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Main Teri Heer – 13

Main Teri Heer – 13

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

सारिका ने घर के नौकर से कहकर आई बाबा के लिये शाम का खाना बनवा दिया। किचन से बाहर आकर वह अपने कमरे में चली आयी और बाथरूम में चली आयी। सारिका ने हाथ मुँह धोया और बाहर आयी। उसने कबर्ड से बनारसी साड़ी निकाली और पहनने लगी। सारिका ने साड़ी पहनी और उस का पल्लू सेट करके कंधे पर रख लिया लेकिन बनारसी साड़ी होने की वजह से साड़ी की सलवटें जमने में वक्त लगा रही थी। सारिका बस उन्हें सही करने की कोशिश कर रही थी।

शिवम् सारिका को लेने कमरे में आया तो देखा सारिका अपना पल्लू सहालते हुए साड़ी की सलवटों को जमाने की नाकाम सी कोशिश कर रही है। शिवम् उसके पास आया और नीचे बैठकर सलवटों को अपने हाथ में लेकर सही करने लगा।
सारिका ने देखा तो कहा,”अरे ! आप ये क्या कर रहे है ? उठ जाईये प्लीज आप ये सब करते हुए अच्छे नहीं लगेंगे,,,,,,,,,,,आपको ये नहीं करना चाहिए।”


शिवम् ने सर उठाकर सारिका को देखा और कहा,”क्यों नहीं करना चाहिए ? और अगर हम ये कर भी दे तो क्या हो जायेगा ?”
शिवम् की बात सुनकर सारिका खामोश हो गयी , कभी कभी शिवम् उसके लिये ऐसा कुछ कर जाता था जो सारिका की सोच से भी विपरीत होता था। काम में व्यस्त रहने की वजह से शिवम् सारिका को अपना कम ही वक्त दे पाता था और सारिका ने भी कभी इसके लिये कोई शिकायत नहीं की थी।

शिवम् ने साड़ी की सलवटों को सही किया और उठते हुए कहा,”हम ये क्यों नहीं कर सकते ?”
“क्योकि आपकी जगह हमारे दिल में है हमारे कदमो में नहीं,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने शिवम् को देखते हुए प्यार से कहा
शिवम् ने सारिका की आँखों में देखा और कहा,”अगर पत्नी आप जैसी हो तो उनके कदमो की धूल भी चंदन के समान होती है। और ये आपके हाथ खाली क्यों है ? चुडिया कहा रखी है आपकी ?”


कहते हुए शिवम् कबर्ड से सारिका के लिये चुडिया निकालने लगा लेकिन कुछ देर पहले उसने जो शब्द कहे वो सारिका के दिल को छू गए। शिवम् ने सारिका के लिये चुडिया निकाली और उसे बिस्तर पर बैठाते हुए खुद उसके सामने आ बैठा और एक एक करके चुडिया सारिका के हाथो में पहनाने लगा। सारिका बस प्यार से शिवम् को देखे जा रही थी।

सारिका को अपनी तरफ देखते पाकर शिवम् हल्का सा मुस्कुराया और फिर अपना ध्यान चूडियो पर
जमाते हुए कहा,”आजकल हम आपको ज्यादा वक्त नहीं दे पाते , जानते है सैंकड़ो शिकायतें होंगी आपके मन में हमे लेकर लेकिन आप कभी कहेंगी नहीं , पर आपको लेकर हम अपनी जिम्मेदारी समझते है।”


“और इसलिये आज आप हमे घाट लेकर जा रहे है ?”,सारिका ने कहा तो शिवम् सारिका की आँखों में देखने लगा और कहा,”नहीं , आज कुछ खास है,,,,,,,,,,और इसलिये हम आपको घाट लेकर जा रहे है।”
“कुछ ख़ास ?”,सारिका ने पूछा क्योकि आज ना तो उनकी शादी की सालगिरह थी , ना ही शिवम् सारिका का जन्मदिन , फिर आज क्या ख़ास हो सकता था
“वो तो आपको वही चलकर पता चलेगा”,शिवम् ने आखरी चूड़ी सारिका की कलाई में पहनाते हुए कहा


सारिका ने अपने दोनों हाथो को शिवम् के सामने करके चूडियो को खनखना कर देखा। चूडियो की खनखनाहट से सहसा ही सारिका की आँखों में चमक और होंठो पर मुस्कान तैर गयी।


शिवम् प्यार से सारिका को मुस्कुराते हुए देखता रहा और मन ही मन कहा,”आप सच में कितनी भोली है सारिका दुनिया जहा का ऐशो आराम छोड़कर हमारी जिंदगी में चली आयी और अपना सब हम पर न्योछावर कर दिया बिना किसी शिकायत के,,,,,,,,,,,,उम्र के साथ मोहब्बत बढ़ जाती है ये बात आपको देखकर सच साबित होती है , वरना सोने के कंगन ठुकराने वाली लड़की हमारे हाथो काँच की चुडिया पहनकर इतना खुश ना होती,,,,,,,,,,,,!!”


शिवम् को खोया देखकर सारिका ने मुस्कुराते हुए अपनी भँवे उचकाई तो शिवम् ने भी मुस्कुराकर अपनी गर्दन ना में हिला दी और सारिका की आँख के किनारे से काजल निकालकर उसके कान के पीछे लगा दिया
शिवम् को डर था आज कही उसकी मोहब्बत को उसी की नजर ना लग जायेशिवम् सारिका को लेकर घर से बाहर आया। सारिका गाड़ी की तरफ जाने लगी तो शिवम् ने कहा,”सरु ! वहा नहीं , यहाँ,,,,,,,,,,!!”


सारिका ने शिवम् की तरफ देखा तो पाया शिवम् मुन्ना की बाइक पर बैठा सारिका की तरफ देख रहा है। सारिका मुस्कुराई और शिवम् की तरफ चली आयी। शिवम् ने सारिका से पीछे बैठने का इशारा किया और सारिका ने शिवम् के कंधे पर अपना हाथ रखा और पीछे बैठते हुए कहा,”आज आप पुराने शिवम् जी लग रहे है।”
“और आप पुरानी सारिका,,,,,,,,,,,चले ?”,शिवम् ने बाइक स्टार्ट करके कहा
“हम्म्म !”,सारिका ने धीरे से कहा।


शिवम् ने बाइक के हेंडल पर लगा शीशा सेट किया ताकि अपने पीछे बैठी सारिका को देख सके। उसने बाइक आगे बढ़ा दी और सारिका के साथ घर से निकल गया। रस्ते भर दोनों खामोश , शिवम् शीशे में सारिका को देखते हुए बाइक चला रहा था और सारिका बनारस की सड़को पर बिखरी चकाचोंध में खोयी हुई थी। बनारस को देखते हुए उसकी आँखों में आज भी वही चमक थी जो सालो पहले हुआ करती थी। शिवम् नहीं जानता था आखिर सारिका को ये शहर इतना क्यों पसंद था ?

वजह वह खुद था या ये इस शहर की खूबी थी जो हर आने वाले को अपना बना लेता था। इस शहर की हवाओ में आज भी वही खुशबु , वही इश्क़ घुला था जो सारिका ने पहली बार बनारस आने पर महसूस किया था। बाइक जैसे ही एक खाली सड़क से गुजरी शिवम् के पीछे बैठी सारिका ने अपने दोनों हाथों को हवा में खोल दिया और आँखे मूंदकर सर उठा लिया। उस हवा को , हवा में घुले उस इश्क़ को सारिका आज एक बार फिर महसूस करना चाहती थी। शिवम् ने देखा तो बाइक की स्पीड धीमी कर दी।

सारिका के चेहरे पर सुकून देखकर शिवम् के दिल को भी सुकून मिल रहा था। ठंडी हवाएं चल रही थी और मौसम काफी अच्छा था। सारिका के साथ घाट आने का फैसला काफी सही थी। सारिका ने अपनी आँखे खोली और अपनी बांहे शिवम् की कमर  
से लगाकर अपना गाल उसकी पीठ पर टिकाते हुए कहा,”शुक्रिया !”


“और ये किसलिए ?”,शिवम् ने पूछा
सारिका ने अपनी आँखे मुंदी और कहा,”बस शुक्रिया,,,,,,,,!!”
शिवम् ने आगे कुछ नहीं पूछा और अपने हाथ से सारिका के हाथ को छूकर मुस्कुरा दिया

गौरी से बात कर मुन्ना वापस कमरे में आया तो देखा कमरे में निशि नहीं है और वंश निशि के बिस्तर पर उलटा गिरा निशि के फोन में कुछ कर रहा है।
मुन्ना वंश की तरफ आया वह वंश से कुछ पूछता इस से पहले ही निशि कमरे में वापस आयी उसने यहाँ वहा देखा और फिर वंश के हाथ में अपना फोन देखकर उस से फोन छीनते हुए कहा,”मेरा फोन इधर दो,,,,,,,,,,चीप”


निशि जिस रफ़्तार से कमरे में आयी थी उसी रफ़्तार से वापस चली गयी। निशि ने वंश को चीप कहा लेकिन वह निशि को कुछ बोल पाता इस से पहले निशि वहा से चली गयी। वंश उठा और कहा,”मुन्ना तुमने सुना ना उसने मुझे चीप कहा,,,,,,,,,,,उसे तो मैं,,,,,,,,,,,!!”
कहकर वंश जैसे ही बिस्तर से उठने को हुआ मुन्ना ने उसे वापस बैठा लिया और कहा,”जाने दे , लड़की है,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


मुन्ना की बात सुनकर वंश ने घूरकर मुन्ना को देखा तो मुन्ना ने आगे कहा,”और सबसे बड़ी बात अपनी है,,,,,,,,,माफ़ कर दे”
“ठीक है मुन्ना तू कहता है तो कर देता हूँ,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने बच्चो की तरह कुनमुनाते हुए कहा
“तो अब हमारे कहने से निशि से माफ़ी भी मांग लो,,,,,,,,,,,,,,,सिर्फ हमारे लिये , देखो तुम्हे सीरीज में काम करना है ना वंश तो तुम्हे अपने ईगो को थोड़ा साइड में रखकर ये करना होगा।”,मुन्ना ने वंश को प्यार से समझाते हुए कहा


“हम्म्म्म ठीक है लेकिन सिर्फ तुम्हारे लिये मुन्ना , सिर्फ तुम्हारे लिये मैं उसे सॉरी बोलूंगा,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा हलांकी उसका मन तो नहीं था निशि से सॉरी बोलने का पर उसने जो गलतिया की थी उसके लिये एक सॉरी जरुरी था।


मुन्ना ने उसे साइड हग किया और कहा,”ठीक है हम नीचे जा रहे है 2 मिनिट बाद तुम भी आ जाना और जैसे ही हम तुम्हारी तरफ देखे तुम ऐसे दिखाना कि तुम अपने बर्ताव के लिये शर्मिन्दा हो।”
“क्या ये करना जरुरी है ?”,वंश ने कहा
“हाँ,,,,,,,,,,2  मिनिट बाद नीचे आ जाना”,कहते हुए मुन्ना उठा और वंश का कंधा थपथपाकर वहा से चला गया

मुन्ना के जाने के बाद वंश उठा और निशि के कमरे में यहाँ वहा घूमने लगा लेकिन अगले ही पल उसके शैतानी दिमाग में एक ख्याल आया और उसने बिस्तर की तरफ देखते हुए,”ये बिस्तर कुछ ज्यादा ही साफ सुथरा और जमा हुआ लग रहा है”
कहते हुए वंश बिस्तर पर कूदा और लगा लोट पोट होने , अगले ही पल बिस्तर की बेडशीट जमीन पर थी और तकिये यहाँ से वहा,,,,,,,,,,,,,,वंश को ये सब करने में बड़ा मजा आ रहा था।

इतने में भी उसका मन नहीं भरा तो वह निशि के ड्रेसिंग टेबल के सामने आया और वहा रखे निशि के पुरे मेकअप किट को बिखरे दिया। उसने निशि की सबसे महंगी वाली लिपस्टिक उठाई और शीशे पर बड़े बड़े अक्षरों में “sorry” लिखकर नीचे एक छोटा सा दिल बना दिया। उसे एक अलग ही ख़ुशी हो रही थी। वह कुर्सी खिसकाकर बैठ गया। उसने निशि का मेकअप किट उठाया और फिर खुद को मेकअप करने लगा। मेकअप नहीं दरअसल शीशे में देखते हुए वह निशि की नक़ल कर रहा था उसने बहुत ही गंदा मेकअप किया ,,

गालो पर पाउडर के बाद बहुत सारा ब्लश लगाया, होंठो पर लिपस्टिक और आँखों पर मस्कारा लगाते हुए तो वंश कुछ ज्यादा ही क्यूट लग रहा था।  उसने शीशे में देखकर खुद को ही 2-4 फ्लयिंग किस दी और शीशे में खुद को ऊँगली दिखाते हुए कहा,”हाउ डेयर यू ? तुम्हे कोई हक़ नहीं है तुम इतने सुन्दर लगो,,,,,,,,,,,,,हाहाहाहा छिपकली”

नीचे आकर मुन्ना ने देखा निशि घर की बालकनी में परेशान सी खड़ी है तो मुन्ना उसके पास आया और कहा,”वंश की तरफ से हम तुम से माफ़ी चाहते है।”
“अरे नहीं मुन्ना भैया , आप क्यों माफ़ी मांग रहे है ? दरअसल मैं वंश की वजह से नहीं बल्कि किसी और वजह से परेशान हूँ।”,निशि ने मायूसी भरे स्वर में कहा
“तुम चाहो तो हम से शेयर कर सकती हो,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने अपनेपन से कहा


निशि ने मुन्ना की तरफ देखा और कहा,”आई ऍम सॉरी मुन्ना भैया मैंने आपके सामने वंश को लेकर कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर दिया था। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था ,, वो थोड़ा बद्तमीज है लेकिन उसे बदतमीजी करने के लिए मैंने ही उकसाया,,,,,,,,,,,,डेड ने मुझे घर से बाहर जाने नहीं दिया और उनका गुस्सा मैंने वंश पर निकाल दिया,,,,,,,,,,,,,अगर वो अपना ऐटिटूड थोड़ा कम कर ले तो वो इतना बुरा भी नहीं जितना मैंने उसके लिये कहा,,,,,,,,,,,,,और मुझे आपके लिये भी बुरा लग रहा है आप पहली बार मुंबई आये ,

मेरे घर आये और आपको ये सब देखना पड़ा,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी मुन्ना भैया , मुझे माफ़ कर दीजिये,,,,,,,!!”
 मुन्ना ने सुना तो हल्का सा मुस्कुराया और निशि के सर पर हाथ रखकर कहा,”हमने तुम्हे माफ़ किया , तुम बहुत प्यारी हो सॉरी मत कहो , वैसे तुमसे भी ज्यादा गलती वंश की है और तुम यकीन नहीं करोगी उसने हम से क्या कहा ?”
“क्या कहा उसने ?”,निशि ने आँखों में चमक भरकर कहा


मुन्ना ने निशि की तरफ देखकर कहा,”उसने कहा तुम्हारा दिल दुखाकर वो खुश नहीं हैं , उसने आज तुम से जो कुछ भी कहा या किया उसके लिये वो बहुत शर्मिन्दा है , वो तुम्हे सॉरी बोलना चाहता है लेकिन उसमें इतनी हिम्मत नहीं है कि तुम्हारा सामना कर सके इसलिए उसकी जगह हम तुम्हे सॉरी कहने आये है।
उसने कहा वो सब बर्दास्त कर सकता है लेकिन तुम्हारा गुस्सा और नाराजगी नहीं,,,,,,,,,,,,,आई थिंक वो तुम्हे थोड़ा पसंद भी करता है इसलिये तो इतनी बदतमीजियां करने के बाद भी लौटकर तुम्हारे पास वापस आ जाता है।”


निशि ने सुना तो मुन्ना की बातो में खोकर रह गयी। उसे बस वंश और उसका मासूम हँसता मुस्कुराता चेहरा याद आ रहा था। मुन्ना की बातें सुनकर वह एकदम से वंश की बदतमीजियां और सारी हरकते भूल गयी और एकदम से उसे वंश पर दया आने लगी उसने मुन्ना की तरफ देखकर मायूसी से कहा,”क्या सच में वो शर्मिन्दा है ?”
“हाँ , वो भी इतना कि तुम्हारे सामने आने से भी कतरा रहा है। अब तो उसे माफ़ कर दो,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कुछ ज्यादा ही बेचारगी से कहा


निशि ने सुना तो उसका दिल पिघल गया और उसने कहा,”अह्ह्ह्ह वो कितना अच्छा है और मैंने खामखा उस पर गुस्सा किया , उसे चीप कहा,,,,,,,,,,,,,,मुझे उसे ये सब नहीं कहना चाहिए था उसे कितना बुरा लगा होगा,,,,,,,,,,,!!”
“कोई बात नहीं तुम भी उसे एक सॉरी बोल देना,,,,,,,,,,वो इतना अच्छा है कि तुम्हारी सब बातें भूल जायेगा”,मुन्ना ने कहा
“तो फिर चले ?”,निशि ने कहा


“अह्ह्ह कहा ?”,मुन्ना ने पूछा
“ऊपर , वंश को सॉरी बोलने और उस से सॉरी सुनने,,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने खुश होकर कहा
मुन्ना मुस्कुराया और कहा,”हम्म्म आओ चलो,,,,,,,,,,,!!”

वंश नीचे नहीं आया तो मुन्ना निशि को ही लेकर ऊपर चला आया। वंश ड्रेसिंग से हटकर कमरे की खिड़की के पास आ चुका था और दरवाजे की तरफ पीठ किये खड़ा था। निशि मुन्ना के साथ ऊपर आयी उसने कमरे में आकर कहा,”वंश,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी , मुझे तुम्हारे साथ इतना बदतमीजी से पेश नहीं आना चाहिए था , क्या तुम मुझे माफ़ कर सकते हो ? मैं वादा करती हूँ आइंदा से मैं तुम्हे कभी चिरकुट कहकर नहीं बुलाऊंगी,,,,,,,,,,,आई प्रॉमिस”


वंश ने निशि के मुंह से माफ़ी भरे शब्द सुने तो मन ख़ुशी से गुदगुदा उठा लेकिन वह निशि की तरफ पलटे कैसे ? निशि से बदला लेने के लिये उसने कुछ देर पहले कमरे का जो हाल किया था उसके बाद तो निशि क्या नवीन और मेघना भी उसे माफ़ नहीं करते , ऊपर से वह अपने सुंदर चेहरे पर निशि का महंगा मेकअप थोप कर खड़ा था।
वंश को खामोश पाकर निशि मुन्ना की तरफ देखा और धीरे से कहा,”लगता है वो कुछ ज्यादा ही शर्मिन्दा है,,,,,,,,,,,आप उस से कुछ कहिये न”


“वंश , निशि तुम से कुछ कह रही है,,,,,,,,,वहा खिड़की की तरफ मुंह करके क्यों खड़े हो तुम ? हमारी तरफ पलटो”,मुन्ना ने कहा
वंश ने मन ही मन महादेव का नाम लिया और पलट गया। मुन्ना ने देखा तो उसने अपने सीने पर हाथ रख लिया वह गिरते गिरते बचा वही निशि को काटो तो खून नहीं आखिर उसके हजारों रुपयों के महंगे मेकअप का वंश सत्यानाश जो कर चुका था

वंश को ऐसे देखकर निशि क्या करने वाली है उसके साथ जानने के लिये मुझसे मिलिए वंश की तेहरवी पर,,,,,,,,,,,,,,,बाय बाय

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