Sanjana Kirodiwal

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Main Teri Heer – 11

Main Teri Heer – 11

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

भूषण के कहने पर खुशबु राजन के पास चली आयी लेकिन राजन ने उसे कोई भाव नहीं दिया। नाव पर राजन सामने घाट पर होती गंगा आरती को देख रहा था। उसका ध्यान सामने था और खुशबु का ध्यान उस पर था। खुशबु को अपनी खूबसूरती पर बहुत घमंड था लेकिन यहाँ राजन ने उसे घास तक नहीं डाली। खुशबु उठी और राजन के बगल में आकर बैठ गयी। राजन ने देखा तो थोड़ा साइड में खिसक गया और उस से दूरी बनाकर बैठ गया।
“मेरा नाम खुशबु है , तुम्हारा नाम क्या है ?”,खुशबु ने राजन से बात करने की शुरुआत करते हुए कहा


राजन ने खुशबु की तरफ देखा और कहा,”का हम तुमको जानते है ?”
“जान पहचान बढ़ाने के लिए ही तो नाम पूछा रही हूँ ,, मैं बनारस से हूँ तुम कहा से हो ?”,खुशबु ने कहा
राजन ने देखा एक अनजान लड़की उसके पीछे ही पड़ गयी है तो वह उठा और वहा से जाने लगा। खुशबु ने 2000 रुपयों को मतलब राजन को जाते देखा तो उठकर कहा,”क्या तुम किसी को ढूंढ रहे हो ?”
खुशबु ने अँधेरे में तीर छोड़ते हुए कहा जो की सही निशाने पर जाकर लगा। राजन रुका और पलटकर खुशबु की तरफ आते हुए कहा,”क्या तुम्हे पता है मुन्ना कहा है ?”


“मुन्ना ? ये किस मुन्ना की बात कर रहा है ?”,खुशबु ने मन ही मन सोचते हुए खुद से कहा
“क्या तुम मुन्ना को जानती हो ?”,राजन ने एक बार फिर पूछा तो खुशबु की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”मुन्ना , हाँ मुन्ना ने ही तो मुझे यहाँ भेजा है,,,,,,,,,,,,,,उसने कहा वो तुमसे जल्दी ही आकर मिलेगा,,,,,,,,,,,,,यही बताने तो मैं तुम्हे यहाँ आयी थी लेकिन तुमने भाव ही नहीं दिया।”
खुशबु की बात सुनकर राजन खुश हो गया और कहा,”हम कबसे उसको ढूंढ रहे थे , उसका नंबर भी लगाया लेकिन दो दिन से उसका फोन ही नहीं लग रहा है।

अब तुमने बताया तब जाकर हमारी परेशानी कुछो कम हुई ,,, हमे उस से बहुत जरुरी बात करनी है।”
“जरुरी बात ?”,खुशबु ने पूछा
“हाँ , मुन्ना को,,,,,,,,,,,,,एक मिनिट हम तुम्हे क्यों बताये ? तुम इतनी भी खास नहीं हो हमारी”,कहकर राजन वहा से जाने लगा
“तुम्हारी खास बनने के लिये मुझे क्या करना होगा ?”,लड़की ने थोड़ा ऊँची आवाज में कहा


“अजीब लड़की है पीछे ही पड़ गयी है हमारे,,,,,,,,,,,!”,बड़बड़ाते हुए राजन पलटा और कहा,”दूर रहो हम से,,,,,,,!!”
खुशबु कुछ कह पाती इस से पहले राजन वहा चला गया। खुशबु नाव से बाहर निकलकर आयी लेकिन तब तक राजन वहा से जा चुका था। खुशबु ने मुँह बना लिया पहली बार ऐसा हुआ कि किसी लड़के ने उसमे दिलचस्पी नहीं दिखाई।

चाय की टपरी पर बैठे रमेश ने जब राजन को घाट से बाहर जाते देखा तो भूषण से कहा,”भूषण भैया , राजन भैया जा रहे है,,,,,,,,,,,,,!!”
“खुशबु है का साथ में ?”,भूषण ने पूछा
“नहीं भैया , राजन भैया तो अकेले ही है,,,,,,,,,,,,,और खुशबु , उह वहा खड़ी है घाट के पास,,,,,,,,,!!”,रमेश ने कहा
भूषण ने चाय खत्म की और उठकर अपने लड़को के साथ खुशबु के सामने आकर कहा,”का रे खुशबु ? थोड़ी देर पहिले तो बड़ा उड़ रही थी अब का हुआ , मुँह लटकाये काहे खड़ी हो ?”


“भैया लगता है राजन भैया इनके पर काट दिए है,,,,,,,,,,,!!”,रमेश ने कहा तो साथ खड़े लड़के हसने लगे
“अभी खींचकर देंगे ना दुइ कंटाप तो बिलबिला उठोगे समझे , ए भूषण तुमने जो कहा उह काम तो मैं डेफिनेटली करुँगी,,,,,,,,,,बात इस बार खुशबु के ईगो पर आ गयी है। बनारस का लौंडा मुझे इग्नोर करे ऐसा आज से पहिले कभी नहीं हुआ।”,खुशबु ने गुस्से से उबलते हुए कहा


“जे तो हमको भी समझ नहीं आ रहा , साला राजन भैया इतना चेंज कैसे हो गए ?”, भूषण ने सोचते हुए कहा
“और ये मुन्ना कौन है ? वो बार बार किसी मुन्ना के बारे में पुछ रहा था,,,,,,,,,,,,,,!!”,खुशबु ने कहा
मुन्ना का नाम सुनते ही भूषण की भँवे तन गयी।
“भैया हमको लगता है जे मुन्ना का कुछो करना पडेगा,,,,,,,,,,,,इन दिनों उह वंशवा भी नहीं है बनारस में , मुन्ना अकेला पड़ गया है उसको घेरना आसान रहेगा।”,रमेश ने कहा


रमेश की बात ने भूषण की आग को और बढ़ा दिया उसने रमेश के सर पर जोर से मारते हुए कहा,”साले भांग वांग खा रखे हो का ? मुन्ना को घेर लेंगे ? भूल गए उह दिन का कहे थे राजन भैया “मुन्ना दोस्त है उनका” तुम चाहते हो मुन्ना के चक्कर में हम साला राजन भैया से दुश्मनी ले ले,,,,,,,,,,,!!”
“सॉरी भैया हम तो बस,,,,,,,,,,,!!”,रमेश ने बुझे स्वर में कहा


“रमेशवा फ़िलहाल के लिए मुन्ना हमरा टारगेट नहीं है , हमरा टारगेट है राजन भैया के दिल में फिर से अपने लिये जगह बनाना और उह हम बनाकर रहेंगे”,कहकर भूषण वहा से चला गया
“अरे भैया , भूषण भैया सुनिए तो,,,,!!”,कहते हुए लड़के भूषण के पीछे चले गए लेकिन रमेश वही खड़ा खुशबु को देखता रहा , रमेश को अपनी ओर घूरते पाकर खुशबु ने कहा,”अब तुम्हे क्या चाहिए ?”


“अगर राजन भैया तुमसे सेट ना हो तो एक मौका हमको देकर देखना ,, रानी बनाकर रखेंगे तुमको”,रमेश ने खुशबु की तरफ देखकर कहा
“तुमको मौका देने से पहले गंगा मैया में कूदकर खुदखुशी ना कर लू मैं”,कहते हुए खुशबु ने रमेश को साइड किया और वहा से चली गयी। बेचारा रमेश अपना सा मुँह लेकर रह गया।

सारिका और आई शिवम् से पहले घर पहुंची। शिवम् रास्ते में कुछ सामान लेने के लिये रुक गया था इसलिए थोड़ी देर से पहुंचा। सारिका ने सामान रखा और सबके लिये चाय बनाने किचन में चली आयी हालाँकि घर में नौकर थे लेकिन सुबह और शाम की चाय शिवम् सारिका के हाथो से बनी चाय ही पीया करता था।    


शिवम् हाथ में डिब्बा लिए अंदर आया। उसने देखा सारिका किचन में है तो वह डिब्बा लेकर सीधा किचन में ही चला आया। सारिका ने शिवम् को देखा तो कहा,”आ गए आप ! हम आपके लिये चाय बना ही रहे थे”
“सरु ! चाय छोडो और यहाँ आओ , हम आपके लिए कुछ लेकर आये है”,शिवम ने सारिका का हाथ पकड़कर उसे अपने सामने करके कहा

सारिका ने शिवम् को देखकर अपनी भँवे उचकाई तो शिवम् ने हाथ में पकड़ा डिब्बा सारिका के सामने कर दिया। सारिका ने डिब्बा खोला तो उसमे रखी जलेबिया देखकर मुस्कुरा उठी। सारिका को बीते पल याद आ गए जब वह पहली बार बनारस आयी थी और शिवम् ने उसके लिये जलेबिया बनायीं थी।

सारिका को मुस्कुराते देखकर शिवम् ने जलेबी उठाई और सारिका को खिलाते हुए कहा,”बाबा की दुकान तो अब बंद हो गयी और हमने भी जलेबिया बनाना छोड़ दिया लेकिन आज घर आते वक्त यादव जी की दुकान पर गर्मागर्म जलेबिया निकलते देखी तो बीते दिनों की याद आ गयी और ये हम आपके लिए लिये ले आये।”
सारिका ने सुना तो मुस्कुराने लगी उसने जलेबी उठाई और शिवम् को खिलाते हुए कहा,”लेकिन इन जलेबियो में वो मिठास नहीं है जो आपके हाथो से बनी जलेबियो में होती थी , वो मिठास हम कभी नहीं भूल सकते।”

शिवम् ने सुना तो सारिका की आँखों में देखने लगा जिनमे आज भी शिवम् को वही मोहब्बत नजर आ रही थी। सारिका शिवम् के चेहरे में ऐसी खोयी कि उसे गैस पर रखी चाय का ख्याल नहीं रहा और चाय उफन कर गैस पर गिरने लगी। सारिका ने देखा तो शिवम् को पीछे करते हुए कहा,”शिवम् जी ! आप जाईये यहाँ से आपकी वजह से हमारी चाय गिर गयी,,,,,!!”
“चाय नहीं ये हमारे जज्बात है जो उफन रहे है लेकिन आपका ध्यान नहीं जाता”,शिवम् ने कहा


“शशशशश कैसी बातें कर रहे है आप ? किसी ने सुन लिया तो,,,,,,,,,आप जाईये यहाँ से,,,,,,!!”,सारिका ने शिवम् के मुँह पर हाथ रखते हुए कहा
शिवम् ने धीरे से सारिका के हाथ को हटाया और कहा,”सरु ! आज रात हमारे साथ घाट पर चलेगी आप ?”
“इस उम्र में ? शिवम् जी आपको नहीं लगता अब हम लोग बड़े हो गए है,,,,,,,,,,,,,रात में घाट पर घूमना क्या सही है हमारे लिए”,सारिका ने कहा


“ये बनारस हमारा है , यहाँ की गलिया , घाट , मंदिर , गलियारे सब हमारी मोहब्बत के साक्षी है ,, और फिर उम्र का घाट पर घूमने से क्या लेना देना,,,,,,,,,,,,,आज रात हम घाट चलेंगे बस”,शिवम् ने बच्चो की तरह जिद करते हुए कहा
शिवम् ने इतना हक़ से कहा कि सारिका उसे ना नहीं कर पायी और हामी में गर्दन हिला दी। शिवम् मुस्कुराया और किचन से जाते हुए थोड़ा ऊँचे स्वर में कहा,”तो आज रात हम घाट जा रहे है”


“शिवम् जी धीरे कहिये किसी ने सुना तो क्या सोचेगा ?”,सारिका ने कहा लेकिन शिवम् तब तक वहा से जा चुका था
“सारिका बिटिया हमने कुछो नहीं सुना ना ही कुछ सोचा है”,आई ने किचन में आते हुए कहा
सारिका ने आई को देखा तो शरमाकर दूसरी तरफ देखने लगी।

आई सारिका के पास आयी और कहा,”लो इह उम्र मा भी शरमाँ रही हो , अरे हम जब तुमरी उम्र मा थे ना तो रात में सबके सोने के बाद कितनी ही बार शिवम् के बाबा के साथ चोरी छुपे सिनेमा देखने जाते थे। उह तो एक बार हमरी सास की आँख खुल गयी और उन्होंने हमे जाते देख लिया।”
“फिर क्या हुआ ?”,सारिका ने जिज्ञासावश पूछा


“होना का था अगले दिन शिवा के बाबा कि जो क्लास लगाई है हमरे ससुर जी ने ,, लेकिन हमको कुछो नहीं कहा ,, जब उनको पता चला हमको सिनेमा देखना पसंद है तो उन्होंने हमरे लिये घर में ही टीबी और बीसीआर लगवाय रहे,,,,,,,,,,तब बाहर जाने का इतना जमाना नहीं था लेकिन अब तो जमाना और शोक दोनों बदल चुके है।”,आई ने कहा
“आपके जमाने की बातें कितनी इंट्रेस्टिंग है हमे और बताईये ना,,,,,,,!!”,सारिका ने चाय का कप आई को देते हुए कहा


“उह सब बाद मा पाहिले जाओ जाकर तैयार हो जाओ और घाट जाओ शिवा के साथ,,,,,,,,,,,,,जब जाना ही है तो थोड़ा जल्दी जाओ गंगा आरती भी देखना”,आई ने कहा
सारिका ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा दी और शिवम् की चाय लेकर किचन से चली गयी।

मुंबई , नवीन का घर
मुन्ना से बात कर नवीन वहा से चला गया। मुन्ना उठा और जैसे ही जाने लगा वंश आया और मुन्ना का हाथ पकड़कर उसे बालकनी की तरफ लाकर कहा,”ए मुन्ना ! ये डाटने वाटने तक ठीक है हाँ लेकिन तुम्हे उसकी कमर में हाथ नहीं डालना चाहिए था।”
”क्या ? हम कुछ समझे नहीं,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने हैरानी से कहा


“मैं निशि की बात कर रहा हूँ , तुमने उसकी कमर,,,,,,,,,,मेरा मतलब तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए था”,कहते हुए वंश का टोन एकदम से चेंज हो गया
मुन्ना ने सुना तो कहा,”ओह्ह्ह तो तुम्हे जलन हो रही है”
“जलन समझो चाहे कुछ भी समझो पर तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए,,,,,,,,,मेरे सामने तो बिल्कुल भी नहीं , तुम थोड़ा दूर रहकर भी उसे समझा सकते हो।”,वंश ने मुन्ना से नजरे चुराते हुए कहा


“तुम्हारा हमे समझ नहीं आता वंश तुम निशि को पसंद भी करते हो और जब वो सामने होती है तब उसकी जान के दुश्मन बन जाते हो,,,,,,,,,,,ये सब क्या है हमे समझ नहीं आ रहा है ?”,मुन्ना ने अपने हाथो को बांधकर कहा
वंश ने मुन्ना की तरफ देखा और मासूमियत से कहा,” वो मुझे अच्छी लगती है पर जब वो मुझसे बदतमीजी करती है पता नहीं मुझे क्या हो जाता है ? उसे मुझसे तमीज से पेश आना चाहिए ना जैसे गौरी आती है तुम्हारे साथ,,,,,,,,,,,वो तुम से कितने प्यार से बात करती है और ये जंगली बिल्ली तो जब देखो तब मुझे काटने को दौड़ती है”


“हम्म्म , तुम भी तो बद्तमीज हो ना वंश,,,,,,,,,,,,क्या तुमने आज से पहले किसी लड़की को ऐसे बुलाया है ?”,मुन्ना ने पूछा
“नहीं,,,,,,,,,,इन्फेक्ट कभी नहीं”,वंश ने कहा
“तो फिर तुम निशि को ये सब नामो से क्यों बुलाते हो ? तुम भी तो हमारी तरह उसके साथ तमीज से पेश आ सकते हो ना,,,,,,,!!”,मुन्ना ने वंश को समझाते हुए कहा

लेकिन वंश के भेजे में इतनी जल्दी कोई बात घुसे ये तो नामुमकिन था उसने कहा,”अरे लेकिन मैं उस से बड़ा हूँ ना , उम्र में भी और हाइट में भी तो उसे मुझसे तमीज से बात करनी चाहिए,,,,,,,,,,!!”
“हमे कल सुबह वापस बनारस जाना है वंश और हम तुम्हे और निशि को इस मिसअंडरस्टेंडिंग में तो छोड़कर बिलकुल नहीं जा सकते”,मुन्ना ने सहजता से कहा
“तो मुझे क्या करना होगा ?”,वंश ने पूछा


“निशि से माफ़ी मांग लो,,,,,,,!!”,मुन्ना ने फिर सहजता से कहा
“हाँ ? क्या क्या क्या क्या कहा तुमने ? मैं जाकर उस चिपक,,,,,,,,,आई मीन उस निशि से माफ़ी मांगू ,, मुन्ना तुम होश में तो हो ?”,वंश ने चौंकते हुए कहा
“वंश क्या तुम हम से सच में प्यार करते हो ?”,मुन्ना ने पूछा
“ऑफकोर्स मुन्ना ये भी कोई पूछने की बात है”,वंश ने कहा


“तो फिर हमारे कहने पर निशि से माफ़ी मांग लो,,,,,,,,,,,,एक छोटा सा सॉरी तुम दोनों के बीच चीजे फिर से ठीक कर सकता है।”,मुन्ना ने कहा
“मुन्ना तू कहेगा कुए में कूद जा तो मैं कूद जाऊंगा लेकिन इस साइको निशि से सॉरी कभी नहीं कहूंगा,,,,,,,,,वो एक नंबर की बद्तमीज लड़की है।”,वंश ने कुढ़ते हुए कहा
“ठीक है फिर हम आज रात ही बनारस के लिये निकल जाते है।”,मुन्ना ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा


वंश ने सुना तो वह सोच में पड़ गया और कहा,”मुन्ना तुम उस निशि के लिये इतने परेशान क्यों हो ?
मुन्ना ने सुना तो वह वंश के पास आया और उसके कंधो को थामकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”हम निशि के लिये नहीं तुम्हारे लिये परेशान हो रहे है। हम नहीं चाहते तुम्हारा सपना अधूरा रहे , निशि के बिना तुम्हारी सीरीज अधूरी है उसमे उसका होना जरुरी है और ये सब चीजे सिर्फ तुम्हारे एक सॉरी पर डिपेंड करती है। तुम्हे अपने ईगो को साइड कर अपने सपने पर ध्यान देना चाहिए”


वंश ने सुना तो खामोश हो गया। उसने महसूस किया मुन्ना उसके लिये कितना सोचता है , उसने हामी में सर हिला दिया तो मुन्ना उस से दूर हटा और वहा से जाते हुए कहा,”और तुम चाहो तो उस छिपकली पर अपना गुस्सा सीरीज में निकाल सकते हो उसके पति के रूप में,,,,,,,,,,,!!”
वंश ने सुना तो मुस्कुरा उठा और कहा,”तुम पागल हो मुन्ना,,,,,,,,,,आई लव यू”

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