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Love You जिंदगी – 85

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Love You Zindagi – 85

Love you Zindagi - 85
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नैना को गले लगाए अवि खामोश खड़ा था। उसकी धड़कने नैना को साफ महसूस हो रही थी। अवि ने नैना को खुद से दूर किया और धीरे से कहा,”सॉरी ! अगर ऐसा नहीं करता तो शायद मैं मर जाता”
“इट्स ओके ! अंदर चले ?”,नैना ने कहा तो अवि उसके साथ साथ चल पड़ा। अवि मन ही मन अंदर खुद से कह रहा था,”पागल हो गए तुम , क्या करने जा रहे थे बिना उसकी परमिशन के उसे ऐसे गले लगा लिया,,,,,,,,,,,,,,,,,वो क्या सोच रही होगी तुम्हारे बारे में ? आलरेडी इतना सब बिखरा हुआ है उसे समेटने के बजाय तुम सिचुएशन को और कॉम्प्लिकेटेड बना रहे हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आगे से ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए , नैना की परमिशन के बिना उसे छूना नहीं है अवि ,,,ऐसा पल नहीं आना चाहिए की वो तुम्हारी फीलिंग्स से वो कभी हर्ट हो”
साथ चलती हुई नैना भी मन ही मन खुद से कहने लगी,”माँ की आँख ये हो क्या रहा है ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे पडोसी पर गुस्सा क्यों नहीं आ रहा ? उसे हग करते हुए मैं इतना कम्फर्टेबल क्यों थी ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हां मालूम है ये पहली बार नहीं था लेकिन आज फीलिंग्स चेंज क्यों थी मेरी ?,.,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आहहह पता नहीं क्या हो रहा है मेरे साथ ?,,,,,,,,,,,,,,नैना !!!”
दोनों अपने मन से जूझते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे तभी वो बूढी आंटी जिसे अवि ने खाना लाकर दिया था एकदम से दोनों के सामने आ गयी दोनों रुक गए और हैरानी से आंटी की और देखने लगे। नैना ने अपनी भँवे उचकाई तो आंटी ने कहा,”हां हां मुझे तो पहले से ही पता था तुम दोनों के बीच कुछ चल रहा है , लेकिन ये लड़का तो बहुत ही प्यारा है पहले मुझे खाना खिलाया , फिर तुम्हारे साथ डांस किया और कुछ देर पहले कितना अच्छा गाना गाया,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाय तुम तो बड़ी लकी हो जो तुम्हे इतना प्यार करने वाला लड़का मिला है , कितना अच्छा गाता है।”
नैना और अवि ने सूना तो दोनों ने पहले एक दूसरे की और देखा और फिर नैना ने कहा,”ओह्ह्ह हेलो आंटी , हमारा कोई चक्कर वक़्क़र नहीं चल रहा है समझी आप !”
“अरे अरे मुझे सब पता है , ऐसी मामलो में सब झूठ बोलते है लेकिन चेहरे पर दिख जाता है , 50 साल का एक्सपीरियंस है मेरा भी ऐसे मामलो में लड़का लड़की को देखकर बता देती हूँ क्या चल रहा है उनके बीच”,आंटी ने नैना से कहा तो नैना ने अवि की और देखा और इशारो में कहा,”समझाओ अब इसे”
अवि निचे झुका और धीरे से कहा,”ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा आप सोच रही है हां मैं उसे बहुत पसंद करता हूँ”
“अरे वो भी करती है , मैंने देखा जब तुम गाना गा रहे थे तब कैसे एकटक देख रही थी तुम्हे ,, पसंद तो करती है बस कहती नहीं हैं”,आंटी ने भी धीरे से अवि को कहा तो नैना ने झुंझलाकर कहा,”ये क्या खुसर फुसर कर रहे हो दोनों ?”
“कुछ नहीं , तुम चलो !”,अवि ने कहा तो नैना वहा से चली गयी अवि भी जाने लगा तो आंटी ने उसका हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा,”जोड़ी सुपर है !”
“थैंक्यू !”,अवि ने मुस्कुराकर कहा और चला गया।

सामने से आता सार्थक मिल गया उसने अवि से कहा,”भाई खाना खाया आपने ?”
“नहीं !”,अवि ने नैना को ढूंढते हुए कहा
“हम्म खा लो फिर चलते है , सगाई का फंक्शन तो हो चुका।”,सार्थक ने कहा
“हम्म्म हां , मेरी सीधी चंडीगढ़ की फ्लाइट है , तुम कैसे जाओगे ?”,अवि ने उसे पास पड़ी कुर्सी पर बैठने का इशारा करते हुए कहा
“मैं ट्रेन से जाऊंगा थोड़ा इजी है ना”,सार्थक ने कहा
“हां , वैसे शीतल से बात हुई तुम्हारी ?”,अवि ने पूछा
“हां थोड़ी बातें हुयी थी लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं कहा जिस से मुझे ये लगे की मेरे लिए उसके दिल में कोई फीलिंग्स है ! आज यहाँ इसीलिए आया था की उसके मन में क्या है जान सकू और अब मैं उसे और परेशान नहीं करना चाहता इसलिए हमेशा के लिए दिल्ली जा रहा हूँ। “,सार्थक ने मायूस होकर कहा
“एक दिन उसे तुम्हारा प्यार जरूर नजर आएगा , जिस सिचुएशन वह गुजरी है उसे सम्हलने में थोड़ा वक्त लगेगा , ऐसे में उसका साथ छोड़ने के बजाय तुम्हे उसे पास्ट से बाहर निकालने में उसकी मदद करनी चाहिए”,अवि ने कहा
“आप ठीक कह रहे हो !”,सार्थक ने शर्मिन्दा होते हुए कहा
“देखो यार सार्थक एक लड़की इतनी जल्दी किसी से प्यार नहीं करती है लेकिन जब करती है तो वह उस पर खुद से ज्यादा भरोसा करती है। जब उनकी खुशियों में हम खुश हो सकते है तो उनके दुःख में दुखी क्यों नहीं ? , जिसे हम पसंद करते है , प्यार करते है उसकी परेशानिया भी तो हमारी ही है न , ऐसे में उन परेशानियों निकालने के बजाय उनसे दूर भागना कहा की मर्दानगी है ? तुम्हारी लाइफ के बारे में बोलने का हक़ मुझे नहीं है लेकिन जरा सोचो जब वो लड़की एक गलत लड़के से इतना प्यार कर सकती है तो जब कोई सही लड़का उसकी जिंदगी में होगा वो उस से कितना प्यार करेगी ,,,,, इसलिए डोंट बी लूज़ योर हॉप”,अवि ने प्यार से सार्थक के हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा
सार्थक ने आँखों ही आँखों में सहमति जता दी। दोनों वही बैठकर लोगो को देखने लगे कुछ देर बाद रुचिका वह आयी और अवि सार्थक से कहा,”तुम दोनों ने
खाना खाया ?’
“मैंने और शीतल ने खा लिया , अवि भाई ने नहीं खाया !”,सार्थक ने कहा
“चलो मेरे साथ !”,कहते हुए रुचिका अवि का हाथ पकड़कर उसे वहा से ले गयी सार्थक अकेला बैठा रहा।
रुचिका अवि को लेकर स्टेज के साइड में लगी खाने की टेबल के पास लेकर आयी और बैठने को कहा। मोंटी वहा पहले से बैठा था कुछ उसके दोस्त थे और कुछ रुचिका की कजिन्स भी थी। अवि को वहा थोड़ा असहज लगा इसलिए उसने रुचिका से कहा,”रूचि तुम लोग खाओ मैं बाद में खा लूंगा”
“बाद में क्यों ? हम सबके साथ खाओ ना यार तुम भी इन सब की तरह दोस्त हो”,रुचिका ने कहा
“आई नो बस ऐसे ही थोड़ा कम्फर्टेबल नहीं हूँ सो प्लीज”,अवि ने धीरे से रुचिका को समझाया तो रुचिका मान गयी और अपने फ़ोन से नैना को फोन करके बुलाया , कुछ देर में नैना वहा आयी तो रुचिका ने उसे अवि के साथ खाना खाने को कहा। नैना की नजर अवि पर पड़ी तो उसका दिल धक् धक् करने लगा उसे कुछ देर पहले वाला वह हग याद आ गया उसने कहा,”मु मुझे कुछ काम है मैं बाद में आती हूँ”
कहकर नैना जैसे ही जाने लगी रुचिका ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”ओह्ह्ह नौटंकी चुप करो तुम कोई काम नहीं है तुम्हे ,, अवि हमारा मेहमान है यार और आज मेरी सगाई है तो तुम मेरी बात मानोगी ,,, जाओ और इन्हे खाना खिलाओ !”
“ओके फाइन !”,नैना ने कहा और फिर अवि की और पलटकर कहा,”चलिए !”
“इतने प्यार से कहोगी तो मैं जहनुम चलने के लिए भी तैयार हूँ”,अवि ने नैना की और देखकर कहा
“हम पहले से ही जहनुम (रिश्तेदारों के बीच) में है ,, अब चले !”,नैना ने कहा तो अवि मुस्कुराते हुए उसके साथ चल पड़ा !

रुचिका मोंटी के पास आकर बैठ गयी वेटर उन्हें खाना सर्व करने लगा वह और मोंटी के फ्रेंड्स मिलकर खाने लगे। उनसे कुछ ही दूर खाली पड़ी टेबल के पास अवि आ बैठा और नैना ने उस से पूछा,”क्या खाओगे ?”
“जो तुम खिलाना चाहो !”,अवि ने प्यार से नैना की आँखों में देखते हुए कहा
“जहर चलेगा ?”,नैना ने अवि को घूरते हुए कहा
“उसकी जरूरत नहीं है तुम्हारी जुबान ही काफी है !”,अवि ने कहा
नैना खामोश हो गयी और अवि की और देखने लगी तो उसने कहा,”ओह्ह हेलो मैड़म खाना सर्व कर दो , तुम्हे देखकर पेट नहीं भरने वाला है मेरा”
अवि की बात सुनकर नैना ने उसके सामने खाली प्लेट रखी और उसमे खाना सर्व करने लगी , उसने अवि की प्लेट में खाना परोसा और खाने का इशारा किया
तो अवि ने कहा,”तुम नहीं खाओगी ?”
“मुझे भूख नहीं है , तुम खाओ ना !”,नैना ने कहा
“अच्छा ठीक है जब तक मैं खाऊ मेरे पास ही बैठ जाओ”,अवि ने कहा तो नैना ने कुर्सी खींची और बैठ गयी ! अवि खाने लगा खाना अच्छा बना था , खाते हुए उसकी नजर सामने मोंटी और रुचिका पर चली गयी मोंटी रुचिका को अपने हाथो से खिला रहा था ये देखकर अवि ने कहा,”हाऊ रोमांटिक !”
नैना ने सूना तो उसने भी उन दोनों को देखा और कहा,”अखंड चु#यापा है , आज सबके सामने हाथो से खिला रहे है कल एक दूसरे के बिना ही खा लेंगे ,,,दोनों भुक्कड़ है !”
“तुम कभी सीधी बातें नहीं करती क्या ? हर चीज में कमी निकालती रहती हो”,अवि ने खीजते हुए कहा
“कमी कहा निकाली ? फेक्ट है मिस्टर पडोसी एक इंसान जिंदगी भर एक जैसा प्यार नहीं करता वह बदलता रहता है वक्त साथ भी और हालातो के साथ भी”,नैना ने कहा
“बदलना जरुरी थोड़ी है , वह प्यार बढ़ भी तो सकता है”,अवि ने कहा
“किसी में इतने गट्स भी तो होने चाहिए ना की वो जिंदगीभर एक ही इंसान से प्यार कर सके”,नैना ने कहा
“होते है बहुत से लोगो में होते है , लाइक मेरे मॉम डेड , मैंने हमेशा उन दोनों को एक दूसरे के साथ खुश देखा है एंड ऑल्सो तुम्हारे पेरेंट्स वो भी तो एक दूसरे से कितना प्यार करते है”,अवि ने कहा
“हां उनकी जेनेरेशन वालो में अंडरस्टैंडिंग होती है , हमारी आधी जेनेरेशन तो फ़ोन पर ही रिश्ते बना और खत्म कर देती है”,नैना ने कहा
“राईट ऐसा इसलिए होता है क्योकि वो कभी एक दूसरे से मिले नहीं होते है , फ़ोन पर किसी से बात करने में और फेस टू फेस बात करने में बहुत फर्क होता है ,,,, शायद यही वजह है की सोशल मिडिया वाले रिश्ते जल्दी टूटते है !”,अवि ने कहा
“इस मामले में हम दोनों की सोच एक जैसी है ना पडोसी”,नैना ने खुश होकर कहा
“ये तुम जब मुझे पडोसी बोलती हो ना कसम से बहुत क्यूट लगती हो !”,अवि ने कहा तो नैना ने बात बदलते हुए कहा,”तुम्हे कुछ और चाहिए ?”
“तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब तुम रहने दो मैं खुद ले लूंगा !”,अवि ने शरारत से नैना को कहा और खाने लगा। कुछ देर बाद अवि ने कहा,”अच्छा वैसे तुमने जो चार लाइन्स गाये थे किसके लिए थे ? जहा तक मुझे पता है तुम्हे तो ये सब पसंद नहीं है”
अवि की बात सुनकर नैना ने अपना निचला होंठ दांतो तले दबा लिया और सोच में पड़ गयी वह अवि के इस सवाल का जवाब देना नहीं चाहती थी इसलिए उसकी और पलटकर कहा,”तुम्हारा पोर्ट्रेट का काम कैसा चल रहा है ?”
“अभी नया ऑफिस बन रहा है चंडीगढ़ में दीपावली के बाद ओपनिंग है , तुम आओगी ?”,अवि ने पूछा
“अभी कुछ कह नहीं सकती डेड से पूछना पड़ेगा , वैसे कोन्ग्रेचुलेशन सबकी लाइफ सेट होती जा रही है धीरे धीरे”,नैना ने कहा
“तुमने क्या सोचा है जिंदगी के बारे में ?”,अवि ने पूछा
“सोचना क्या है जो होना है वो तो होगा फ़िलहाल दिल्ली की 4 महीने की जॉब बाकि है अभी वो कम्प्लीट हो जाये उसके बाद उस कम्पनी में परमानेंट जॉब फिक्स हो जाएगा”,नैना ने कहा
“तो क्या जिंदगीभर जॉब करने का इरादा है ,, आई मीन सैटल नहीं होना लाइफ में , अभी जो वक्त है कुछ अपने लिए करने का उसे ऐसे जॉब में खत्म कर रही हो कल को जिंदगी से शिकायत नहीं होगी तुम्हे ?”,अवि ने कहा
“पडोसी मेरे जैसे लोगो को जिंदगी से कभी शिकायत नहीं होती है , मैं हर हाल में जीना जानती हूँ जो मेरे पास नहीं है उसके लिए दुखी रहने के बजाय जो मेरे पास है उसमे खुश रहना ज्यादा अच्छा मानती हूँ। आई लव माय सेल्फ एंड आई लव् माय लाइफ ,,, एक ही तो जिंदगी है इसे भी कोसते हुए जीना गलत है न ,, जो मिला है वो बेस्ट है एंड जो मिलेगा वो इस से भी बेहतर होगा”,नैना ने कहा तो अवि खामोश हो गया और फिर एकदम से कहा,”क्या लड़की हो यार तुम ? मतलब कोई अपनी लाइफ को लेकर इतना पॉजिटिव कैसे हो सकता है ?
“दुसरो का पता नहीं मैं खुश हु अपनी लाइफ से , अब उठो कितना खाओगे ?”,नैना ने कहा तो अवि ने आखरी निवाला खाया और नैना के साथ उठकर वाशबेसिन के पास आकर हाथ धोने लगा। कुछ ही दूर नैना खड़ी थी , हाथ धोने के बाद जैसे ही अवि पलटा उसकी नजरे नैना पर जम सी गयी हवा चलने की वजह से उसके लम्बे बाल उड़कर उसके चेहरे पर आ रहे थे और सबसे बेखबर नैना उन्हें हटा रही थी। अवि ने अपना फोन निकाला और नैना की एक तस्वीर लेकर फोन अपने जेब में रख लिया नैना ने जैसे तैसे अपने बालो को सही किया और कहा,”चले !”


“हम्म !”,कहकर अवि उसके साथ चल पड़ा , आज नैना और अवि ज्यादा से ज्यादा समय एक दूसरे के साथ बिता रहे थे और ये उन दोनों की आने वाली जिंदगी के लिए शायद अच्छा था !
रात काफी हो चुकी थी , आस पास वाले सभी मेहमान जा चुके थे। मोंटी और उसके घरवालों के लिए आज रात के लिए रहने और सोने की व्यवस्था वही कर दी गयी। रुचिका , नैना , शीतल एक रूम में रुकी और तीनो रातभर बातें करती रही। अवि और सार्थक साथ रुके लेकिन विपिन जी भी आकर उनके कमरे में बैठ गए ना खुद सोये ना बेचारे अवि को सोने दिया रात भर उन्हें ना जाने कौन कौन से किस्से सुनाने लगे ? मोंटी अपने दोस्तों के साथ था और सभी पार्टी कर रहे थे। कुछ मेहमान बचे थे वे सब भी सोने चले गए। अवि की फ्लाइट सुबह 6 बजे थे इसलिए वह उठा और फ्रेश होकर रुचिका से मिलने आया लेकिन पता चला की वह अभी तक सो रही है उसने रुचिका को एक मेसेज किया और जाने लगा। नैना से मिलना चाहता था लेकिन नैना भी सो रही थी। विपिन जी देखा तो वे अवि को छोड़ने गेट तक आये और कहा,”इस बार दिवाली पूजा के दो दिन बाद तुम्हे घर आना है , एक बहुत बड़ी खुशखबरी है तो मैं चाहता हूँ तुम और नैना के बाकि दोस्त भी वहा रहे !”
“ठीक है अंकल मैं जरूर आऊंगा”,कहकर अवि चला गया !
सुबह 9 बजे आधे से ज्यादा मेहमान तैयार होकर नाश्ता कर चुके थे , रुचिका शीतल भी उठ चुकी थी लेकिन नैना सो रही थी। मोंटी और उनके घरवाले जाकर बस में बैठने लगे तो आराधना आयी और नैना को उठाते हुए कहा,”अरे नैना क्या रहने का इरादा है , चलो लखनऊ भी जाना है।”
नैना जल्दी से उठी फ्रेश होकर आयी और निचे आकर इधर उधर देखने लगी। अवि उसे कही दिखाई नहीं दिया तो रुचिका ने आकर कहा,”वो सुबह जल्दी चला गया उसकी 6 बजे की फ्लाईट थी !”
नैना ने कुछ नहीं कहा उसकी आँखों में एक अजीब सा खालीपन उतर आया और वह रुचिका शीतल को हग करके बस में जाकर बैठ गयी ! विपिन जी ने शीतल और रुचिका से दिवाली के बाद घर आने को कहा। दोनों ने हामी भर दी रुचिका तो खुश थी की लखनऊ में उसे मोंटी से मिलने का मौका मिल जाएगा और साथ ही नैना के साथ भी वह कुछ वक्त गुजार लेगी। मोंटी और उसके घरवाले वहा से चले गए। आलोक जी के घरवाले भी एक एक करके घर जाने लगे। शीतल ने भी जाने की इच्छा जाहिर की तो रुचिका ने अपने पापा से कहकर उसके लिए कुछ मिठाई के बॉक्स और तोहफों का इंतजाम करवा दिया। सार्थक भी स्टेशन जा रहा था इसलिए रुचिका ने शीतल को भी सही सलामत ट्रेन में बैठाने की बात कही। जब शीतल जाने लगी तो रुचिका उसका हाथ पडककर उसे साइड में लायी ओर कहने लगी,”देख शीतल सार्थक बहुत अच्छा लड़का है , जैसे मोंटी मेरी जिंदगी में आया था वैसे ही सार्थक तेरी जिंदगी में ख़ुशी की नयी उम्मीद बनकर आया है ,, वो तुम्हे हमेशा खुश रखेगा एक बार उसके बारे में जरूर सोचना मैं तुम्हे फ़ोर्स नहीं कर रही हूँ लेकिन कल रात मैंने उसकी आँखों में तुम्हारे लिए प्यार देखा था ,, वो आज भी तुमसे प्यार करता है। उसकी फीलिंग्स को समझने की कोशिश जरूर करना”
शीतल ने आगे बढ़कर रुचिका को गले लगा लिया और फिर सार्थक के साथ वहा से चली गयी। रास्ते भर दोनों खामोश रहे। स्टेशन पहुंचकर सार्थक ने अपनी और शीतल की टिकट्स बुक करवाए और दोनों अंदर चले आये दोनों को विपरीत दिशाओ में जाना था। दोनों वही खड़े इंतजार करने लगे शीतल और सार्थक दोनों के मन में एक अजीब बेचैनी थी लेकिन बात कोई नहीं कर पा रहा था। शीतल की ट्रेन का वक्त हुआ तो सार्थक ने उसे टिकट और पानी बॉटल पकड़ा दिया। भारी मन से उसने शीतल को जाने को कहा। शीतल ट्रेन में चढ़ गयी और सार्थक को देखकर उदास मन से अपना हाथ हिला दिया ! सार्थक ने भी हाथ हिलाकर अलविदा कहा और जाने लगा उसका मन उदास हो गया चाहकर भी वह शीतल से कुछ नहीं कह पाया। ट्रेन धीरे धीरे करके आगे बढ़ रही थी पलटकर पीछे देखने की हिम्मत सार्थक में नहीं थी। अभी कुछ कदम ही चला था की उसके कानो में शीतल की आवाज पड़ी – सार्थक !
सार्थक ने पलटकर देखा ट्रेन जा चुकी थी और शीतल वही खड़ी थी। सार्थक उसके पास आया और कहा,”तुम वापस क्यों उतरी ?”
“कुछ कहना था तुमसे और अगर आज नहीं कहती तो शायद कभी नहीं कह पाती”,शीतल ने कहा
“क्या ?”,सार्थक ने धड़कते
“सार्थक मैंने अपनी जिंदगी में हमेशा गलत फैसले लिए है , प्यार के मामले में मैं हमेशा गलत ही रही ,, मैंने अपनी जिंदगी को कभी सही नजरिये से देखा ही
नहीं था। अपनी आधी जिंदगी मैंने गलत लोगो के पीछे गुजार दी लेकिन अब नहीं ,, मैं खुलकर जीना चाहती हूँ , हसना चाहती हूँ , अपने सपने पुरे करना चाहती हूँ , प्यार करना चाहती हूँ बस नहीं चाहती तो जिंदगी को कोसते हुए जीना !!”,शीतल ने कहा
“मैं कुछ समझा नहीं शीतल”,सार्थक ने कहा
शीतल की आँखों में आंसू भर आये , उसका गला रुंध गया , उसने सार्थक के दोनों हाथो को अपने हाथो में थामकर एक ठंडी आह भरकर कहा”,शादी कर लेते है”
सार्थक ने सूना तो उसने शीतल को अपनी और खींचकर सीने से लगा लिया , सार्थक की आँखों में नमी उतर आयी !

क्रमश – Love You जिंदगी – 86

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संजना किरोड़ीवाल।
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