Love You जिंदगी – 58

Love You Zindagi – 58

Love You Zindagi - Season 2
Love You Zindagi – Season 2

मोंटी अवि और नैना बालकनी में खड़े बातें कर रहे थे। कुछ देर बाद रुचिका भी वहा चली आयी। मोंटी रुचिका से नाराज था इसलिए रुचिका के वहा आते ही उसने कॉफी से भरा आधा कप बालकनी की दिवार पर रखा और अंदर चला गया। मोंटी के यू चले जाने से रुचिका को अच्छा नहीं लगा और वह उदास हो गयी। उसे उदास देखकर नैना ने उसे साइड हग किया और कहा,”अभी वो तुमसे थोड़ा नाराज है पर जल्दी मान जाएगा,,,,,,,,,,,,तुम चिंता मत करो”
“हाँ रूचि तुम हंसती मुस्कुराती ही अच्छी लगती हो , तुम्हारे और मोंटी के बीच चीजे बिगड़े इस से बेहतर है कि तुम दोनों एक दूसरे को समझो और बीती बातो को भूलकर आगे बढ़ो”,अवि ने कहा
“पडोसी खाने का क्या प्रोग्राम है ? बहुत भूख लगी है यार,,,,,,,,,,,,,इन निब्बा निब्बी के चक्कर में मुझे भूखे नहीं मरना खाना मंगवाओ प्लीज़”,नैना ने अंदर जाते हुए कहा
“देखो वो हम दोनों को निब्बा-निब्बी बोल रही है”,रुचिका ने मासूमियत से मुंह बनाते हुए कहा
“वैसे एक बात कहू , तुम दोनों लगते भी हो”,अवि ने कहा तो रुचिका ने उसकी बांह पर हल्का सा पंच मारा और अंदर चली गयी। अवि मुस्कुरा उठा और साथ ही उसे थोड़ी राहत भी हुई के सब ठीक है। उसने खाना आर्डर करने के लिए अपना फोन निकाला। वह खाना आर्डर करता इस से पहले ही उसका फोन बजा स्क्रीन पर सौंदर्या जी का नंबर देखकर अवि ने फोन उठाया और कहा,”हेलो मॉम”
“अवि कहा हो तुम ? और नैना कहा है ? क्या तुम दोनों कही बाहर गए हो ?”,सौंदर्या ने घबराये हुए स्वर में पूछा
“हाँ मॉम वो एक्चुली नैना की फ्रेंड है ना रूचि,,,,,,,,,,,वो थोड़ी प्रॉब्लम में थी इसलिए मैं और नैना बीकानेर चले आये।”,अवि ने सहजता से कहा
“और तुम्हारी एग्जीबिशन का क्या ? मृणाल घर आया था उसने बताया ना तुम उसका फोन उठा रहे हो ना ही मेसेज का जवाब दे रहे हो,,,,,,,,,,,,,ये सब चल क्या रहा है अवि ? तुम इतने लापरवाह पहले तो नहीं थे”,सौंदर्या जी ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा
“नो मॉम ऐसा नहीं है,,,,,,,,,,,,,मै मृणाल से ऑफिस में मिल चुका था एंड मैंने उसे कहा भी था कि मैं बिजी हूँ,,,,,,,,,,,,,,,नैना का रुचिका से मिलना बहुत जरुरी था वो अकेले आ रही थी और मुझे अच्छा नहीं लगा इसलिए मैं उसके साथ चला आया। कल सुबह ही हम लोग चंडीगढ़ के लिए वापस निकल जायेंगे”,अवि ने कहा
“अवि तुम दोनों बताकर भी जा सकते थे,,,,,,,,,,,,,,,,तुम नहीं तो एटलीस्ट नैना को तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए। वैसे भी उसकी फर्स्ट प्रायोरिटी उसकी मैरिड लाइफ है , फॅमिली है दोस्त नहीं,,,,, उसकी शादी हो चुकी है अब वो किसी के घर की बहू है और अपने सारे फैसले वो खुद नहीं ले सकती उसे ये बात समझनी चाहिए”,सौंदर्या ने कहा
अवि ने सूना तो उसे थोड़ा बुरा लगा लेकिन सौंदर्या जी की बात वो काट नहीं सकता था इसलिए ख़ामोशी से सब सुनता रहा। सौंदर्या जी ने उसे अच्छे से फटकार लगाई और नैना के लिए पहली बार गुस्सा भी जाहिर किया। सौंदर्या जी की बात खत्म होने के बाद अवि ने कहा,”सॉरी मॉम आगे से मैं इस बात का पूरा ध्यान रखूंगा”
“उम्मीद है तुम रखोगे,,,,,,,,,,,,कल सुबह नैना को लेकर वापस आ जाना”,सौंदर्या जी ने कहा और फोन काट दिया
अवि फोन रखकर जैसे ही पलटा नैना ने उसकी तरफ आते हुए कहा,”किसका फोन था ?”
“अह्ह्ह वो मैं खाना आर्डर कर रहा था”,अवि ने नैना से झूठ कह दिया उन्हें सौंदर्या जी के बारे बताकर अवि उसे परेशान करना नहीं चाहता था।
“मेरे लिए वेज रोल प्लीज,,,,,,,,,,,और थोड़ा जल्दी”,नैना ने हाथ में पकडे सेब को खाते हुए कहा
“हाँ,,,,,,,,,,,!”,कहकर अवि ऑनलाइन खाना आर्डर करने लगा
मोंटी अपने कमरे में था और रुचिका हॉल में,,,,,,,,,,,दोनों के बीच कोई बात नहीं हो रही थी। नैना आकर रुचिका से बात करने लगी। बातो बातो में रुचिका ने नैना को बैंक और माला से जुडी सारी बाते बताई। नैना को अब धीरे धीरे सब समझ आ रहा था साथ ही उसके दिमाग में खुराफात भी चल ही रही थी। नैना चुपचाप उसकी बात सुनती रही और फिर सहजता से कहने लगी,”तुम्हे ऐसी जगह नौकरी करने की जरूरत नहीं है रूचि और तुम्हे ऐसे लोगो से कॉन्टेक्ट रखने की भी जरूरत नहीं है। अभी मोंटी के पास जॉब नहीं है लेकिन उसने कहा है कि वो जल्दी ही कोई नई जॉब ढूंढ लेगा। हाल फिलहाल में तुम दोनों को अपनी सेविंग्स को यूज करना चाहिए और अपने खर्चे भी थोड़े लिमिटेड कर दो। तुम दोनों चाहोगे तो मैं फाइनेंशियली स्पोर्ट कर दूंगी लेकिन ऐसा करके मैं तुम दोनों को लो फील करवाना नहीं चाहती। मोंटी ऐसे हालात में चित्रकूट जाना नहीं चाहता,,,,,,,,,,,,,,,,शर्मा जी को ये सब के बारे में पता चला तो मोंटी के अलग से लग जायेंगे,,,,,,,,,,,,,पर जैसी सिचुएशन है मुझे लगता है तुम दोनों को चित्रकूट चले जाना चाहिए”
“तुम और अवि यहा आये मेरे लिए इतना ही काफी है नैना,,,,,,,,,,,,,,अगर तुम वक्त पर नहीं आती तो मुझे सच पता ही नहीं चलता। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी मुझे मोंटी को समझना चाहिए था लेकिन मैंने नहीं समझा,,,,,,,,,,,,,,,,वो मुझसे बहुत नाराज है पता नहीं वो मुझे माफ़ करेगा भी या नहीं”,कहते कहते रुचिका भावुक हो गयी
नैना ने रुचिका को साइड हग किया और कहा,”पांडा माना कि जिंदगी बुरी है लेकिन इतनी बुरी भी नहीं है कि हम बिगड़ी हुई चीजों को ठीक ना कर सके। जो हो गया उसे भूल जाओ , ज्यादा मत सोचो। मोंटी का गुस्सा शांत हो जाएगा अभी वो थोड़ा हर्ट है इसलिए उसे बुरा लग रहा है पर मुझे यकीन है तुम दोनों के बीच बहुत जल्द सब ठीक हो जाएगा बस आईन्दा से तुम मोंटी पर शक मत करना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,शक से बड़े बड़े रिश्ते खराब हो जाते है रूचि , दूसरों की बातो में आकर अपनों पर शक करना हर रिश्ते के लिए बुरा है”
“थैंक्यू नैना तुम हर बार मुझे सम्हाल लेती हो”,रुचिका ने नम आँखों के साथ नैना को कसकर गले लगाते हुए कहा
“अरे बस कर यार अजीब लग रहा है अब,,,,,,,,,,,,इतना तो पडोसी मुझसे नहीं चिपकता जितना तू,,,,,,,,,,!”,नैना ने कहा तो रुचिका ने उसे छोड़ते हुए कहा,”तुम कब सुधरोगी ?”
“इस जन्म में तो बिल्कुल नहीं और अगले जन्म में तुम सबको झेल सकू इतनी मेरी केपेसिटी नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पडोसी खाने का क्या हुआ ?”,रुचिका से कहकर नैना ने अवि की तरफ देखकर कहा
“10 मिनिट में आ रहा है , वैसे मुझे लगता नहीं तुम्हे खाने की जरूरत है। तुम सब का दिमाग खाकर भी अपना पेट भर सकती हो”,अवि ने हॉल में आते हुए कहा
अवि की बात सुनकर रुचिका हंस पड़ी और नैना अवि को घूरने लगी। अवि नैना के बिल्कुल सामने आ बैठा तो नैना ने कहा,”हाँ लेकिन मैं चर्बी वाला दिमाग खाना पसंद नहीं करती”
“तुम में आलरेडी इतनी चर्बी जो है”,अवि ने नहले पर देहला मारते हुए कहा
“तुम कहना चाहते हो कि मैं मोटी हो गयी हूँ,,,,,,,,,,,,,!”,नैना ने अवि को घूरते हुए पूछा
“हाँ शादी के बाद हो गयी हो,,,,,,,,,,,,,,,दिनभर मेरा खून जो पीती हो”,अवि ने आखरी बात धीमी आवाज में कही लेकिन नैना को सुन गया।
“तुम्हे तो मैं,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए नैना जैसे ही अवि की तरफ बढ़ी अवि ने अपना पैर आगे किया और नैना उलझ कर अवि के ऊपर आ गिरी। गनीमत था उसके निचे गिरने से पहले अवि ने उसे सम्हाल लिया। उन दोनों को साथ देखकर रुचिका उन्हें अकेले छोड़कर वहा से चली गयी।

कुछ देर बाद खाना आया सबने साथ खाना खाया। रुचिका को अपनी गलती का अहसास था बस मोंटी ही थोड़ा ज्यादा नाराज था इसलिए नैना और अवि बैठकर उसे समझाते रहे। देर रात सभी सोने चले गए। सुबह नैना की आँख खुली उसने देखा अवि हॉल के सोफे पर सो रहा था और रुचिका नैना के साथ गद्दे पर। नैना ने रुचिका को पास पड़ी चददर ओढ़ाई और उठकर वाशबेसिन की तरफ चली आयी। मुंह धोते हुए नैना की नजर मोंटी पर चली गयी जो कि अपने कमरे में था और बैग में कपडे रख रहा था। नैना को कुछ शक हुआ तो वह कमरे में आयी और कहा,”ये बैग जमाकर कहा भागने की प्लानिंग कर रहां है तू ? देख यार मोंटी जो हुआ उसे भूल जा,,,,,,,,,,,,,,,,,अब तो रुचिका को भी अपनी गलती का अहसास है और वो तुझ से माफ़ी भी मांग चुकी है। इसके बाद भी तू भाव खा रहा है। मेरी बात सुन और ठन्डे दिमाग से सोच,,,,,,,,,,,,,,,,”
“और ये बैग नीचे रख क्या तू भी छोटी छोटी बात पर घर छोड़ने का सोच रहा है”,नैना ने मोंटी के हाथ से बैग लेकर नीचे रखते हुए कहा
नैना जैसे ही पलटी दरवाजे पर रुचिका आँखों में आँसू लिए खड़ी थी उसे लगा मोंटी उसकी वजह से घर छोड़कर जा रहा है। नैना ने देखा तो रुचिका का हाथ पकड़कर उसे अंदर लाते हुए कहा,”रूचि ये कही नहीं जा रहा ये बस तुझे डरा रहा है”
“मैं अकेले कही नहीं जा रहा रूचि भी मेरे साथ जा रही है”,मोंटी ने बिना किसी भाव के कहा
“मतलब तुम दोनों चित्रकूट जा रहे हो,,,,,,,,,,,,,ये तुमने ठीक किया मोंटी चलो मेरी बातो का कुछ तो असर हुआ तुम पर”,नैना ने तसल्ली भरे स्वर में कहा
“मैं और रूचि जयपुर जा रहे है , रूचि के घर”,मोंटी ने कहा
“रूचि के घर,,,,,,,,,,,,,,,,क्या तू रूचि को उसके घर छोड़ने जा रहा है ? तेरा दिमाग तो ठीक है तू इतनी जल्दी रुचिका को छोड़ने का फैसला कैसे ले सकता है ? मोंटी मेरे बच्चे जल्दबाजी में कोई फैसला मत ले,,,,,,,,,,,,ये इतना बड़ा इशू भी नहीं है”,नैना ने बिना पूरी बात सुने मोंटी से कहा
“शट अप नैना,,,,,,,,,,,,,,,तुझे क्या ओवर रिएक्ट करने की बीमारी हो गयी है ,, पहले पूरी बात सुन तो ले”,मोंटी ने थोड़ा गुस्से से कहा तो नैना ने झेंपते हुए रुचिका को देखने लगी।
“कल शाम रूचि का फोन नहीं लग रहा था तो इसके पापा ने मुझे फोन किया था। वे अपनी फॅमिली के साथ यहाँ आना चाहते थे लेकिन यहाँ का माहौल देखते हुए मैंने मना कर दिया और कहा मैं खुद रूचि के साथ कुछ दिन के लिए जयपुर आ रहा हूँ। आज सुबह उनका फिर फोन आया था और मैंने कह दिया की मैं और रूचि जयपुर आ रहे है,,,,,,,,,,,,,,,,अब तुम अपनी दोस्त से पूछ लो ये मेरे साथ जाएगी या नहीं”,मोंटी ने रुचिका की तरफ देखकर कहा उसकी नाराजगी अभी भी उसकी बातो से झलक रही थी।
“हाँ जाएगी ना क्यों नहीं जाएगी,,,,,,,,,,,,शहर बदलेगा , माहौल बदलेगा तो तुम दोनों की मिसअंडरस्टेंडिंग भी दूर हो जाएगी”,नैना ने खुश होकर कहा
“तुम दोनों भी वापस जा रहे हो”,मोंटी ने कहा
“किधर ?”,नैना ने हैरानी से पूछा
“चंडीगढ़,,,,,,,,,,,,नैना तुम्हे अवि का जरा भी ख्याल है , आज उसकी इम्पोर्टेन्ट एग्जीबिशन है लेकिन सिर्फ हमारी वजह से वो अपना सब काम छोड़कर यहाँ है। मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा यार मेरी और रुचिका की वजह से तुम दोनों की पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ डिस्टर्ब हो,,,,,,,,,,,,,तुम दोनों अभी चंडीगढ़ के लिए निकलो”,मोंटी ने कहा तो नैना को याद आया पिछले कुछ हफ्तों से अवि जिस एग्जीबिशन की बात कर रहा था वो आज थी। अब नैना को अवि के बारे में बुरा लग रहा था

अवि के उठने के बाद सब तैयार हुए , नाश्ता किया और फिर वहा से निकल गए। मोंटी रुचिका को स्टेशन छोड़कर अवि नैना को एयरपोर्ट जाना था। ट्रेन आ चुकी थी मोंटी और रुचिका ने नैना को हग किया और ट्रेन में चढ़ गए ,ट्रेन धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और मोंटी नैना को देख रहा था।
“मेरी बात मान चित्रकूट वापस चला जा , यहाँ रहकर क्या भजिया बेचेगा ?”,नैना ने ऊँची आवाज में मोंटी से कहा
मोंटी ने सूना तो नैना की तरफ हाथ हिलाते हुए मुस्कुरा दिया लेकिन नैना कहा कहा “भजिया” शब्द उसके दिमाग में घूमने लगा।

ट्रेन वहा से जा चुकी थी। नैना खाली पड़ी पटरियों को देखते रही अवि उसके पास आया और कहा,”चले ?”
“हाँ चलते है”,नैना ने कहा और अवि के साथ प्लेटफॉर्म से बाहर चली आयी। चलते चलते अवि का फोन बजा। अवि ने स्क्रीन देखी विहान का फोन था। अवि ने नैना से कहा,”नैना मुझे प्यास लगी है , क्या तुम मेरे लिए एक बोतल पानी लेकर आओगी प्लीज ?”
“या स्योर”,नैना ने कहा और दुकान की तरफ चली गयी
नैना के जाने के बाद अवि ने फोन उठाया और कान से लगाकर कहा,”हाँ विहान”
“अवि तू कहा है ? मैंने तुझसे कहा था नैना को हॉस्पिटल लेकर आने को लेकिन तू नहीं आया,,,,,,,,,,,,,,,,,तूने उसे बताया भी है या नहीं ?”,विहान ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“नहीं मैंने उसे नहीं बताया,,,,,,,,,,,,,!”,अवि ने बुझे स्वर में कहा
“अवि तू क्या कर रहा है यार ? नैना के लिए ये जानना बहुत जरुरी है उसके बाद ही उसका इलाज शुरू हो सकता है। अगर तू नहीं बता सकता तो मैं उस से बात करता हू”,विहान ने कहा
“आज शाम में उसे बता दूंगा,,,,,,,,,,,,,,,अभी मैं नैना के साथ चंडीगढ़ से बाहर हूँ घर आते ही मैं उसे बता दूंगा”,अवि ने धीमे स्वर में कहा उसकी नजर सामने खड़ी नैना पर चली गयी
जो कि प्लेटफॉर्म पर खड़े कुछ बच्चो के साथ हंस मुस्कुरा रही थी और उन्हे बड़े से चिप्स के पैकेट से चिप्स खिला रही थी। नैना को मुस्कुराते देखकर अवि के होंठो पर भी मुस्कान तैर गयी।
“मुझे समझ नहीं आ रहा तू ऐसी बेवकूफी क्यों कर रहा है ? तुझे यहाँ हॉस्पिटल में होना चाहिए नैना के इलाज के लिए और तू शहर के बाहर है। तुझे उसकी परवाह है भी या नहीं ? हेलो हेलो अवि मैं तुझसे बात कर रहा हूँ हेलो,,,,,,,,,,,,,,!!”,विहान बोलते ही रह गया लेकिन अवि इस वक्त नैना को देखने में इतना खो चुका था कि उसे विहान की आवाज सुनाई ही नहीं दी।
“हेलो,,,,,,,,,,,,!!”,विहान ने एक बार फिर कहा तो अवि की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”मैं कल नैना को लेकर आ जाऊंगा”
“ठीक है मैं आगे के ट्रीटमेंट की तैयारी करता हूँ”,कहकर विहान ने फोन काट दिया। अवि ने फोन काटकर जेब में रख लिया तब तक नैना भी उसके पास चली आयी और पानी का बोतल अवि के साथ बढ़ा दिया। अवि को प्यास नहीं थी लेकिन नैना को दिखाने के पीना पड़ा। दोनों स्टेशन से बाहर चले आये चलते चलते अवि ने नैना से कहा,”तुम उन बच्चो के साथ बहुत खुश नजर आ रही थी , देखकर लग रहा था जैसे तुम्हे बच्चे बहुत पसंद है”
अवि की बात सुनकर नैना रुकी और एकदम से उसकी ओर पलटकर कहा,”ऑफ़-कोर्स मुझे पसंद है , मैं तो चाहती हूँ हमारे भी ऐसे छोटे छोटे क्यूट बच्चे हो और फिर मैं दिनभर उनके पीछे भागू , उन्हें प्यार करू , उन्हें सम्हालू”
कहते हुए नैना बहुत मासूम लग रही थी और अवि बस उसके चेहरे की तरफ देखे जा रहा था।

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संजना किरोड़ीवाल

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