Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 39

Love You Zindagi – 39

Love You Zindagi - Season 2
Love You Zindagi – Season 2

अवि के गले लगी नैना कुछ देर के लिए भूल गयी कि उसके मम्मी पापा और अवि की मॉम वही खड़ी है। सबको वहा देखकर अवि धीरे से बुदबुदाया,”नैना सब हमे देख रहे है , कंट्रोल योर सेल्फ बच्चे”
नैना ने सूना तो वह जल्दी से अवि से दूर हटी और सौंदर्या जी की तरफ देखकर कहा,”सॉरी मॉम वो,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“इट्स ओके बेटा,,,,,,,,,,,,,,,विपिन जी आईये अंदर चलते है खाना तैयार है”,सौंदर्या जी ने कहा तो सभी अंदर जाने के लिए आगे बढ़ गए। अवि सबके साथ जाने लगा तो नैना ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया। अवि ने नैना की तरफ देखकर अपनी भँवे उचकाई तो नैना ने कहा,”ये सच में सदमे जैसा ही था पडोसी,,,,,,,,,,,,,,,पता है दो दिन से मैं डेड को बहुत ज्यादा मिस कर रही थी , इतना कि मैंने उन्हें फोन भी नहीं किया क्योकि अगर मैं उन्हें फोन करती तो शायद इमोशनल हो जाती,,,,,,,,,,,,,,,,मैं इमोशनल होना नहीं चाहती पडोसी”
“नैना तुम इमोशनल हो , तुम्हे पता है तुम्हारे अंदर कितनी सारी फीलिंग्स है जिन्हे तुम जाहिर करने से डरती हो क्योकि तुम नहीं चाहती तुम्हे किसी की आदत लगे। तुम एक बहुत ही केयरिंग , स्वीट और इनोसेंट लड़की हो नैना अगर तुम्हारे गुस्से और मूड स्विंग को साइड कर दिया जाये तो तुम बहुत रोमांटिक भी हो,,,,,,,,,,वैसे मेरे लिए तुम दुनिया की सबसे ज्यादा खूबसूरत लड़की हो”,अवि ने नैना के चेहरे को अपने हाथो में लेकर कहा।
“हाँ शायद पर आज मुझे वो केयरिंग , लविंग और स्वीट इंसान तुम में नजर आ रहा है। थैंक्यू सो मच”,नैना ने मुस्कुरा कर कहा
“ओह्ह तो अब तुम मुझे थैंक्यू कहोगी ?”,अवि ने नैना को घूरते हुए कहा
“वैसे बोलना तो नहीं चाहिए लेकिन तुमने जो किया वो खास है”,नैना ने अवि को हाथ को सहलाते हुए कहा
“मैडम ये प्यारी प्यारी बातो से मेरा पेट नहीं भरेगा , चलो चलकर खाना खाते है”,अवि ने आगे बढ़ते हुए कहा
नैना ने जाते हुए अवि को देखा और मन ही मन खुद से कहने लगी,”बस कुछ दिन और पडोसी मैं इन सब उलझनों को खत्म कर दू उसके बाद मैं तुम्हे इतना प्यार दूंगी कि तुम परेशान हो जाओगे”
“नैना आओ ना सब वेट कर रहे है”,अवि ने कहा तो नैना की तंद्रा टूटी और वह अंदर चली आयी।
अंदर आकर नैना अवि के साथ सीधा डायनिंग की ओर चली आयी जहा चौधरी साहब , विपिन जी , आराधना और सौंदर्या पहले से मौजूद थे। अवि अपनी मॉम के बगल में पड़ी कुर्सी पर आ बैठा और नैना आराधना के पास आकर बैठ गयी। नैना को टॉप और प्लाजो में देखकर आराधना ने धीरे से फुसफसाते हुए कहा,”नैना ये तुम्हारा ससुराल है तुम्हे अब थोड़ा ध्यान रखना चाहिए”
“मतलब ?”,नैना थोड़ा तेज आवाज में पूछा तो सब उसकी तरफ देखने लगे
आराधना ने सबको अपनी तरफ देखते पाया तो झेंप गयी और टेबल के नीचे नैना का हाथ खींचते हुए कहा,”कुछ नहीं आप सब शुरू कीजिये”
“हम्म्म”,सौंदर्या जी ने कहा और घर के नौकर को सबके लिए खाना परोसने का इशारा किया।
“मॉम आप क्या कह रही थी ? वो ध्यान रखना चाहिए,,,,,,,,,,लाइक”,नैना ने इस बार फुसफुसाते हुए पूछा
“मेरा मतलब तुम्हे सलवार सूट या रंगीन कपड़ो में होना चाहिए , थोड़ा लगना चाहिए न कि तुम शादीशुदा हो,,,,,,,,,,,,,!!”,आराधना ने भी धीमी आवाज में कहा ताकि बाकि सबको सुनाई ना दे
“मॉम आप कौनसे जमाने में जी रही है ? पडोसी के मॉम-डेड,,,,,,,,,,,,,,,आई मीन अवि के मॉम-डेड बहुत कूल है उन्हें मेरे कपड़ो और मेरी लाइफ स्टाइल से कोई प्रॉब्लम नहीं है ये दोनों मुझे कभी कुछ नहीं कहते है , इसलिए आप भी ज्यादा मत सोचो और खाना खाओ,,,,,,,,,,,,राजमा बहुत अच्छा बना है”,नैना ने आराधना की प्लेट में राजमा परोसते हुए कहा
“अच्छा क्या ये तुमने बनाया है ?”,आराधना ने खुश होकर पूछा
“नो मॉम ये भोला भैया ने बनाया है , वो बहुत अच्छा खाना बनाते है,,,,,,,,,,,,,,,,अम्मम्म लाजवाब , टेस्ट कीजिये”,नैना ने मुंह में पानी भरते हुए कहा
“मुझे लगा ये तुमने बनाया है , सच सच बताओ नैना क्या शादी के बाद तुमने इस घर में कुकिंग की भी है ?”,आराधना ने एक निवाला खाते हुए पूछा राजमा वाकई में बहुत टेस्टी बने थे।
“की है ना मॉम 2 या 4 बार वैसे मैं कभी कभी मूड होने पर आपके दामाद के लिए कॉफी बना देती हूँ”,नैना ने बेपरवाही से कहा
“पागल लड़की तुम्हे पता है पति का दिल जितने का सबसे बेस्ट तरीका क्या है ?”,आराधना जी ने कहा
“क्या है ?”,नैना ने खाते हुए पूछा
“कहते है पति के दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है , अच्छा खाना मतलब पति का आधा दिल जितने बराबर है,,,,,,,,,,,,समझी कुछ”,आराधना ने कहा
“हम्म्म्म समझ गयी”,नैना ने बेपरवाही से कहा क्योकि इस वक्त उसे ये अजीबो गरीब बाते सुनने से ज्यादा बेहतर राजमा खाना लगा
“अरे भई आराधना जी सारी बाते क्या यही करेंगी आप दोनों ?”,विपिन जी ने कहा जो बहुत देर से नैना और आराधना को देख रहे थे।
“माफ करना वो बस ऐसे ही,,,,,,,,,,,,,,!!”,आराधना ने झेंपते हुए कहा
“इसमें माफ़ी की क्या बात है समधन जी बिटिया से इतने दिनों बाद मिले है आप लोग ये सब तो चलता है। वैसे हम आपको और समधी जी को इतनी जल्दी जाने नहीं देंगे कुछ दिन यही रुकिए चंडीगढ़ में हमारे साथ,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों सौंदर्या जी ?”,चौधरी साहब ने कहा
“हाँ बिल्कुल आपने तो मेरे मुंह की बात छीन ली , मैंने तो हॉस्पिटल से लिव भी ले ली है”,सौंदर्या जी ने कहा
“अरे नहीं नहीं भाईसाहब क्या कह रहे है आप ? बेटी के ससुराल में ऐसे रुकना ठीक नहीं लगता,,,,,,,,,,,,,,,,नैना से मिलने का मन था सो चले आये , शाम में लौट जायेंगे”,विपिन जी ने कहा
“मैं आपकी बात से बिल्कुल सहमत नहीं हूँ समधी जी , बाकि आप नैना से पूछ लीजिये”,चौधरी साहब ने कहा
“पापा इतने प्यार से बोल रहे है तो रुक जाईये ना डेड”,नैना ने कहा
“हाँ रुक जाईये,,,,,,,,मुझे भी आपसे कुछ बात करनी है और आप दोनों के साथ थोड़ा टाइम स्पेंड करना है तो प्लीज रुक जाईये”,इस बार अवि ने कहा
“आह्ह ठीक है लेकिन सिर्फ एक दिन”,विपिन जी ने कहा
“एक दिन दो दिन आप जितने दिन रुकना चाहे रुक सकते है इसे अपना ही घर समझे , अब खाना खाइये बातो बातो में ठंडा हो रहा है”,चौधरी साहब ने हसते हुए कहा तो विपिन जी मुस्कुरा उठे और फिर सब खाना खाने लगे।

खाना खाने के बाद चौधरी साहब विपिन जी के साथ स्टडी रूम में चले आये .सौंदर्या जी आराधना जी को अपना घर दिखाने लगी जो की काफी बड़ा और आलिशान था। अवि किसी काम से अपने कमरे में चला गया और नैना किचन में भोला भैया से डिस्कस कर रही थी कि रात के खाने में क्या बनेगा ? घर देखने के बाद आराधना जी और सौंदर्या जी हॉल में चली आयी। नैना बाहर आयी उन्हें हॉल में देखा तो सीधा उनके पास चली आयी।
“नैना तुम्हारी मॉम थक गयी होंगी इन्हे अपने कमरे में लेकर जाओ थोड़ा आराम कर लेंगे और मैं भोला से कहकर जूस भिजवाती हूँ”,सौंदर्या जी ने कहा
“अरे नहीं मॉम अभी थोड़ी देर पहले ही तो खाना खाया है , आप भोला भैया को परेशान मत कीजिये जब चाहिए होगा मैं खुद लेने आ जाउंगी”,नैना ने कहा
“ठीक है , आराधना जी आप नैना के साथ थोड़ा वक्त बिताइए फिर शाम में सभी घूमने चलते है”,सौंदर्या जी ने कहा
“हम्म्म जी”,आराधना ने मुस्कुरा कर कहा तो सौंदर्या वहा से चली गयी और नैना अपनी मॉम को लेकर अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी।

बीकानेर
रुचिका के जिद करने पर मोंटी लंच पर जाने को तैयार हो गया। रुचिका ने मोंटी को अपना फेवरेट शर्ट पहनने को कहा और फिर उसे लेकर फ्लेट से बाहर चली आयी। नीचे आकर मोंटी ने पार्किंग से बाइक निकाली और रुचिका के साथ जैसे ही जाने को हुआ सामने से आती मधु ने कहा,”हे रुचिका आज तुम बैंक क्यों नहीं आयी ? वैसे भी आज हाफ डे था”
“हाफ डे था इसलिए नहीं आयी , एक्चुली मैं और मोंटी वीकेंड पर बाहर गए हुए थे और कल रात में ही वापस लौटे है तो सोचा थोड़ा रेस्ट कर लेती हूँ”,रुचिका ने कहा
“ओके , कल से आ रही हो ना तुम ? अप्रैल खत्म होने वाला है और ऑडिट का काम भी बढ़ जाएगा,,,,,,,,,,,,सर ने कहा था मैं तुम्हे इन्फॉर्म कर दू”,मधु ने कहा
“हाँ मैं आजाऊंगी , अभी मुझे और मोंटी को बाहर जाना है”,रुचिका ने मधु से पीछा छुड़ाने के लिए कहा
“हां हां तुम जाओ , कल ऑफिस में मिलते है”,मधु ने कहा और साइड में हो गयी। रुचिका ने मोंटी से चलने को कहा और दोनों वहा से निकल गए।
उस रात हुयी बातचीत के बाद से ही रुचिका मधु से नाराज थी और उसके साथ आना जाना भी लगभग बंद ही कर दिया था लेकिन मोंटी के सामने रुचिका ने ये जाहिर नहीं होने दिया और मधु से अच्छे से बात की। वही रुचिका और मोंटी के जाने के बाद मधु ने मुंह बनाकर कहा,”हुँह खुद को हूर की परी समझती है , पता नहीं ये मोंटी ने क्या देखकर इस से शादी की ? लेकिन तुम मेरी बात का यकीन करो या ना करो रुचिका एक दिन तुम्हारा ये मोंटी तुम्हे धोखा जरूर देगा,,,,,,,,,,,,,,,!!”
मधु ये सब सोच ही रही थी कि उसका फोन बजा और उसने फोन कान से लगाकर कहा,”हाँ बेबी कहा हो तुम ? हाँ बाबा आज शाम हम मिल रहे है , हाँ हां पक्का”
कहते हुए मधु वहा से अपने फ्लेट की तरफ चली गयी।

मोंटी रुचिका के साथ बाइक पर चले जा रहा था। मौसम अच्छा था और ज्यादा धुप भी नहीं थी उस पर मोंटी के पीछे बैठी रुचिका ने उसकी कमर को मजबूती से थाम रखा था। दोनों खुश थे और उनके चेहरे की मुस्कराहट बता रही थी कि बाहर आकर उन दोनों को काफी अच्छा भी लग रहा था। दोनों शादी से पहले के अपने पुराने पलों को याद करते हुए बातें करने लगे।
मोंटी बाइक लेकर जैसे ही ट्रेफिक से निकला बगल में खड़ी गाड़ी में बैठी माला की नजर उस पर पड़ी और उसने अपने ड्राइवर से कहा,”उस बाइक के पीछे चलो”
“लेकिन मैडम आपको तो होटल जाना था”,ड्राइवर ने कहा
“जितना कहा है उतना करो , उस बाइक का पीछा करो”,माला ने थोड़ा गुस्से से कहा तो ड्राइवर ने गाडी मोंटी की बाइक के पीछे बढ़ा दी। मोंटी और रुचिका इस से बेखबर अपनी बाइक पर चले जा रहे थे। उन्हें साथ बैठे देखकर माला का दिल जलने लगा। कुछ देर बाद मोंटी बाइक लेकर एक खूबसूरत से रेस्टोरेंट के सामने पहुंचा। रुचिका बाइक से नीचे उतरी और एंट्री गेट की तरफ जाने लगी। उसने वन पीस घुटनो से नीचे तक गुलाबी और आसमानी फूलो वाला फ्रॉक पहना था और उसके साथ सफ़ेद रंग के ऊँचे सौल वाले जूते साथ ही नार्मल मेकअप किया हुआ था और बालो को खुला छोड़ा हुआ था। उसके चेहरे की ख़ुशी और आँखों की चमक उसे आज और भी ज्यादा प्यारा बना रही थी। मोंटी बाइक पार्किंग में लगाने चला गया और कुछ देर बाद वापस आया तो रुचिका उसकी बांह थामे रेस्टोरेंट के अंदर चली गयी। माला ने ड्राइवर को गाड़ी रेस्टोरेंट के दरवाजे पर रोकने को कहा। वह नीचे उतरी और कहा,”तुम गाड़ी लेकर जाओ मैं होटल खुद चली जाउंगी”
“लेकिन मैडम मैं बॉस से क्या कहूंगा ?”,ड्राइवर ने कहा
“तुम्हे उन से कुछ कहने की जरूरत नहीं है अब जाओ यहाँ से”,माला ने उखड़े स्वर में कहा उसके चेहरे से साफ़ बयां हो रहा था कि मोंटी और रुचिका का उसे पसंद नहीं आ रहा था। माला अंदर चली आयी और मोंटी रुचिका को ढूंढने लगी।
उन्हें ढूंढते हुए माला की नजर शीशे के पास कॉर्नर वाली टेबल पर चली गयी जहा रुचिका और मोंटी एक दूसरे के सामने बैठे थे। रेस्टोरेंट में बस 6 टेबल थे और सब बुक थे। माला को तो बस मोंटी और रुचिका का मूड खराब करना था इसलिए वह जैसे ही उनकी तरफ जाने लगी वेटर ने आकर कहा,”एक्सक्यूज मी मेम , अभी यहाँ सारे टेबल्स बुक है तो क्या आप थोड़ी देर के लिए वेटिंग एरिया में बैठकर वेट कर सकती है प्लीज ?”
“नो इट्स ओके वो दोनों मेरे दोस्त है मैं उन्हें ज्वाइन कर लुंगी”,माला ने एक बड़ी सी मुस्कान के साथ कहा
“ओके मेम नो प्रॉब्लम”,लड़के ने भी सहजता से कहा और वहा से चला गया।
माला मुस्कुरायी और कमर मटकाते हुए मोंटी और रुचिका की तरफ चली आयी। माला खूबसूरत तो थी ही रेस्त्रो में बैठे आधे से ज्यादा लड़को की नजरे आज उसी पर थी। माला ने मोंटी और रुचिका के पास वाली कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा,”हे मोंटी व्हाट अ सरप्राइज तुम दोनों यहाँ , आज तो लंच का मजा दुगुना हो जायेगा”
माला को वहा देखकर रुचिका को मन ही मन बहुत गुस्सा आया लेकिन वह खामोश रही। मोंटी को भी माला का वहा आना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा इसलिए उसने कहा,”रूचि हम दोनों कही और चलते है”
“कम ऑन मोंटी एक मेरे आने से तुम इतना इनसिक्योर क्यों फील कर रहे हो ? ओह्ह कही मुझे यहाँ देखकर तुम्हारी वाइफ को बुरा लग जायेगा इसलिए,,,,,,,,,,,!!”,माला ने कहा लेकिन मोंटी ने उसकी बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और कहा,”जी हाँ बिल्कुल मैं नहीं चाहता किसी तीसरे की वजह से हमारा लंच खराब हो , रूचि चलो चलते है”
“इट्स ओके मोंटी , वैसे भी मुझे यहाँ तुम्हारे अलावा और कोई दिखाई नहीं दे रहा है , अहह शायद हमारा आर्डर आ गया चलो खाते है”,रुचिका ने मोंटी का हाथ पकड़कर उसे वापस बैठाते हुए कहा
मोंटी ने सूना तो मन ही मन उसे तसल्ली हुयी कि रुचिका माला को लेकर कुछ गलत नहीं सोच रही है। वह वापस बैठ गया वेटर ने रुचिका का आर्डर टेबल पर रखा और चला गया। माला के सामने रुचिका ने जान बुझकर मोंटी को अपने हाथो से खिलाना शुरू कर दिया। रुचिका बिल्कुल नार्मल मूड में थी और वह ऐसे बर्ताव् कर रही थी जैसे माला वहा है ही नहीं और ये देखकर रुचिका अंदर ही अंदर जलकर गुस्से से उफनने लगी। मोंटी ने भी माला को इग्नोर करना ही ठीक समझा और रुचिका के साथ मिलकर अपना लंच इंजॉय करने लगा। माला को जलते चिढ़ते देखकर रुचिका को बहुत मजा आ रहा था लेकिन इस वक्त वह चुपचाप थी। कुछ देर बाद वेटर फिर आया और माला का आर्डर उसके सामने रखा तो गुस्से में माला ने प्लेट उठाया और नीचे जमींन पर पटक दिया। वहा मौजूद सभी की नज़र माला पर चली गयी वह गुस्से से लाल हुई जा रही थी। मोंटी और रुचिका भी माला के इस बर्ताव से हैरान थे।

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