Love You जिंदगी – 55
Love You Zindagi – 55
फ्लाइट में नैना अपने बगल वाले बन्दे से अच्छी खासी परेशान हो चुकी थी ना उसे गुजराती समझ आ रही थी ना ही वो आदमी जो हर दो मिनिट में नैना से गुजरती टोन में कुछ ना कुछ खाने को पूछता और नैना मना कर देती। दुसरी तरफ नैना अवि को लेकर परेशान थी वह सीधा सीधा उसे पूछ भी नहीं सकती थी कि अवि उसके साथ क्यों आया है ? नैना ने देखा अवि के साथ बैठी लड़की काफी देर से अवि से हंस बोल रही है और ये देखकर नैना को मन ही मन जलन भी हो रही थी लेकिन वह जताना नहीं चाहती थी। अवि समझ गया कि नैना को जलन हो रही है इसलिए उसे थोड़ा और जलाने के लिए अवि भी लड़की से बहुत अच्छे से बात करने लगा ये देखकर तो नैना जल भून गयी। रही सही कसर बगल में बैठे आदमी ने पूरी कर दी और कहा,”तमे जलेबी फाफड़ा खाओ छो ?”
नैना के सब्र का बांध अब टूट चुका था वह अपनी जगह से उठी और आदमी को घूरते हुए कहने लगी,”नहीं मैं जलेबी फाफड़ा नहीं खाती मैं केकड़े बिच्छू और सांप खाती हूँ , जब से फ्लाइट में चढ़े हो कभी ढोकला , कभी फाफड़ा , कभी खाकरा , साले दुकान खोलेगा क्या यहाँ ? फ्लाइट में सब मिलता तो है ठूसो और जाकर रेन मारो बाथरूम की,,,,,,,,,,,,,,,,एक और बार मुझसे खाने का पूछा ना तो मैंने तेरा फाफड़ा फाड् देना है,,,,,,,,,,,,,!!”
बेचारा आदमी नैना की बातें सुनकर हक्का बक्का रह गया उसने हाथ में पकडे फाफड़े का एक टुकड़ा खाया और बेचारगी से अवि को देखने लगा।
नैना को गुस्से में देखकर अवि ने तो अपनी गर्दन ही घुमा ली। एयरहोस्टेस ने देखा तो वह आकर नैना को शांत करवाने लगी। नैना ने उसे साइड किया और बाथरूम की ओर चली आयी। नैना ने दो-तीन बार अपना मुंह धोया और शीशे में खुद को देखा। अपने चेहरे पर परेशानी और चिड़चिड़ाहट के भाव उसे साफ दिखाई दे रहे थे। नैना कुछ देर खुद को घूरते रही और फिर खुद से ही कहने लगी,”अच्छा खासा सब चल रहा होता है कि फिर किसी को चूल मचती है और सब झंड,,,,,,,,,,,,,,,,,पहले प्यार फिर शादी और फिर रोज का डेली सोप ड्रामा,,,,,,,,,,,,इस से अच्छा शादी ही मत करो , सिंगल रहो खुश रहो , वैसे भी सारे सारे फसाद की जड़ है शादी,,,,,,,,,,,,जब तक शादी नहीं हो जाती तब तक बेबी तुम्हारे बिना मैं कुछ ही नहीं और जैसे ही शादी हुई बेबी-शोना गया तेल लेने या तो आज तू नहीं या मैं नहीं,,,,,,,,,,,,आखिर इतनी भसड़ क्यों ? एक छोटी सी जिंदगी है उसे चैन से क्यों नहीं जीते ये लोग ? एक तो मेरी अक्ल पर भी पत्थर पड़े थे जो मैंने शादी की,,,,,,,,,,,अपनी लाइफ तो जैसे अब है ही नहीं बस दिनभर दुसरो के साथ एडजस्ट करते रहो , उनकी सुनते रहो और गलती से अपनी एक कह दी तो तुम हो गए सेल्फिश , खुदगर्ज , शादी का मतलब ही है मुसीबत का टोकरा सर पर लेना,,,,,,,,,,,,,,रूचि को सम्हालू , मोंटी को सीधा करू , शीतल को समझाओ , घरवालों की सुनो , बाहरवालों की सुनो , उस पर रही सही कसर पडोसी को पूरी करनी है,,,,,,,,,,,,,आखिर ये हो क्या रहा है मेरे साथ ?”
आखरी शब्द नैना ने झल्लाते हुए थोड़ी तेज आवाज में कहे
“मेम आर यू ओके ? आपको कुछ चाहिए ?”,बाहर खड़ी एयरहोस्टेस ने पूछा
“जहर मिलेगा ?”,नैना ने दरवाजा खोलकर बाहर आते हुए कहा
“सॉरी !”,एयरहोस्टेस ने असमझ की स्तिथि में कहा
“साइड प्लीज”,नैना ने कहा तो एयरहोस्टेस उसके सामने से हट गयी और नैना वापस अपनी सीट की तरफ चली आयी। सीट की तरफ आते हुए नैना का गुस्सा एकदम से शांत हो गया क्योकि इस बार गुजराती आदमी की जगह अवि बैठा था। जब नैना बाथरूम गयी थी तब अवि ने उसके साथ अपनी सीट बदल ली थी। नैना आकर अवि के बगल में बैठ गयी और कहा,”थैंक्स,,,,,,,,,,,,,,!!”
“तुम्हे उस बेचारे पर इतना गुस्सा नहीं करना चाहिए था , जरा उसकी हालत देखो”,अवि ने बगल में इशारा करके कहा
“तुम यहाँ क्यों आये हो ?”,नैना ने अवि की बात को नजरअंदाज करते हुए कहा
“तुम्हारे लिये,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,अवि ने नैना की आँखों में देखते हुए कहा तो कुछ देर के लिए नैना खामोश हो गयी। नैना को खामोश देखकर अवि ने उसके गालों पर आयी लट को कान के पीछे करते हुए कहा,”मैंने तुम्हारे डेड से वादा किया है मैं तुम्हे कभी अकेला नहीं छोडूंगा”
अवि की बात सुनकर नैना अवि पर आये गुस्से को भूल गयी और कहा,”यहाँ आने के लिए थैंक्यू”
“ओह्ह्ह तो अब तुम मुझे थैंक्यू कहोगी ?”,अवि ने नैना को घूरते हुए कहा तो नैना ने अवि से नजरे हटा ली और साइड में देखा गुजराती आदमी नैना और अवि को ही देख रहा था। नैना को अपनी ओर देखते पाकर गुजराती आदमी से रहा नहीं गया और उसने हाथ में पकड़ा डिब्बा नैना की तरफ बढाकर डरते डरते पूछा,”फाफड़ा खाओ छो ?”
नैना ने सूना तो मुस्कुरा उठी और डिब्बे से एक पीस उठाकर खाने लगी। गुजराती आदमी को तसल्ली मिली की नैना अब शांत है। वह ख़ुशी ख़ुशी फाफड़ा खाने लगा।
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
मिसेज शर्मा शीतल को कत्थक करके दिखा रही थी और शीतल बड़े ध्यान से उन्हें देख रही थी। मिसेज शर्मा में ये टेलेंट भी था शीतल को आज पता चला था। कुछ देर बाद मिसेज शर्मा थककर कुर्सी पर आ बैठी और पैरो में बंधे घुंघरू खोलते हुए कहा,”आज कितने सालो बाद मैंने अपने पैरो में घुँघुरु पहने है , सच में अब इस उम्र में कत्थक करना इतना भी आसान नहीं है”
“लेकिन आपने बहुत अच्छा किया माँ , मैं तो बस आपको को ही देख रही थी। आपके भाव कितने खूबसूरत थे। माँ मुझे भी सिखाईये ना,,,,,,,,,,,,,मुझे भी ये सीखना है”,शीतल ने बच्चो की तरह मचलते हुए कहा
“हां सिखाऊंगी ना , तुम्हारे साथ साथ मुझे भी एक बार फिर से अपनी जवानी के दिन जीने का मौका मिल जाएगा”,मिसेज शर्मा ने घुंघरू निकालकर टेबल पर रखते हुए कहा
“माँ आपने कत्थक करना क्यों छोड़ा ? आप चाहती तो आप क्लासेज खोल सकती थी फिर,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते कहते शीतल ने बात अधूरी छोड़ दी
“मिसेज शर्मा मुस्कुराई और कहने लगी,”हम ओरतो की जिंदगी कहा इतनी आसान होती है बेटा ? जब स्कूल में थी तब से ही मुझे कत्थक का बहुत शौक था लेकिन मेरे पिताजी बहुत सख्त रवैये के थे उन्हें लड़कियों का बाहर जाना , ज्यादा पढ़ना लिखना , किसी से ज्यादा बात करना पसंद नहीं था। मेरी पढाई भी सिर्फ 10वी तक ही हुई उसके बाद शर्मा जी से मेरा रिश्ता कर दिया गया और फिर शादी,,,,,,,,,,,,,,,,उसके बाद घर-बाहर की जिम्मेदारियां और फिर सार्थक का जन्म,,,,,,,,,,,,,,उसके बाद तो जैसे खुद के लिए कभी वक्त मिला ही नहीं और फिर मैंने भी इसी सब को अपनी दुनिया मान लिया। अपने सपनो को भूला दिया पर मन में हमेशा एक कसक रही अपने सपने को लेकर और आज जब तुम्हारे हाथो में ये घुंघरू देखे तो लगा जैसे मेरे सपनो को फिर से पंख लग गए है । मैं तो कत्थक नहीं कर पायी लेकिन तुम अपने सपने को जरूर पूरा करना शीतल,,,,,,,,,,,,,,,जिम्मेदारियां तो आती जाती रहेगी उनका क्या लेकिन सपनो को कभी मरने देना नहीं चाहिए”
मिसेज शर्मा की बात सुनकर शीतल का दिल भर आया उसने नम आँखों से मिसेज शर्मा की ओर देखा और कहा,”आप बहुत अच्छी सास है माँ,,,,,,,,,,,,,,,,,अगर दुनिया की हर सास आपकी तरह सोचने लगे तो हम बहुओ को ससुराल कभी नर्क नहीं लगेगा। मैं आपका सपना जरूर पूरा करुँगी , अनजाने में अगर मैंने कभी आपका दिल दुखाया हो तो मुझे माफ़ कर देना माँ,,,,,,,,,,,,,,,,मैं आपको कभी समझ ही नहीं पायी।”
“बस करो मेरी कहानी सुनकर इतना भी इमोशनल नहीं होना था। वैसे आज तुमने मुझे शाम की चाय नहीं पिलाई,,,,,,,,,,,,,,,,लगता है मुझे फिर से सास वाला रूप दिखाना पडेगा”,मिसेज शर्मा ने प्यार भरी नजरो से शीतल को घूरते हुए कहा
“बातो बातो में मैं भूल गयी,,,,,,,,,,,,,मैं अभी आपके लिए गर्मागर्म चाय लेकर आती हूँ”,कहकर शीतल उठी और किचन में चली गयी। मिसेज शर्मा वही बैठकर उन घुंघरुओं को देखते हुए मन ही मन कहने लगी,”मिसेज आहूजा की बातो में आकर आज मैं कितनी बड़ी गलती करने जा रही थी। एक मामूली सी चीज के लिए मैंने सबके सामने शीतल पर शक किया,,,,,,,,,,,,,,,,,,मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता ने ये अच्छा नहीं किया , मुझे उनकी बात नहीं माननी चाहिए थी। इतना सब होने के बाद भी शीतल ने मुझसे शिकायत नहीं की,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो सच में कितनी अच्छी है। आज के बाद मैं उसे कभी परेशान नहीं करुँगी”
मिसेज शर्मा से थप्पड़ खाने के बाद मिसेज आहूजा गुस्से से आग-बबूला होकर अपने फ्लेट में चली आयी। मिस्टर आहूजा आज घर में ही थे जब उन्होंने मिसेज आहूजा को गुस्से में देखा तो कहा,”अरे क्या हुआ ? आज किस की शामत आयी है जो इतना गुस्से में हो ?”
“वो मिसेज शर्मा और उनकी बहु शीतल आखिर खुद को समझती क्या है ? मुझे , आहूजा को थप्पड़ मारने की उसकी जुर्रत कैसे हुई ? उन दोनों सास बहुओ को तो मैं छोड़ने वाली नहीं हूँ”,मिसेज आहूजा ने गुस्से से लाल होते हुए कहा
“ये थप्पड़ तो तुम्हे बहुत पहले पड़ जाना चाहिए था”,मिस्टर आहूजा बड़बड़ाये जो कि अपनी पत्नी की हरकतों से वाकिफ थे
“क्या कहा आपने ?”,मिसेज आहूजा गुस्से से उन्हें घूरते हुए पूछा
“अरे अरे भाग्यवान मैंने कुछ नहीं कहा , मैं तो बस ये कह रहा हूँ कि गुस्सा थूक दो और थोड़ी अपनी जबान को काबू में रखो ये सारा किया धारा तुम्हारी इसी जबान का है। इस अपार्टमेंट में लोग परिवार की तरह रहते है इसलिए यहाँ के लोगो की बातो का क्या बुरा मानना,,,,,,,,,,,!!”,मिस्टर आहूजा ने कहा
“आप ना ज्यादा दिमाग ना लगाओ उस मिसेज शर्मा को तो मैं मजा चखाकर रहूंगी”,मिसेज आहूजा ने चोट खायी नागिन के जैसे फुंफकारते हुए कहा
“अच्छा एक कप चाय बना दो जरा”,मिस्टर आहूजा ने कहा
“क्या कहा आपने जरा फिर से कहना ?”,मिसेज आहूजा ने एक बार फिर मिस्टर आहूजा को गुस्से से घूरते हुए कहा
“वो मैं तो पूछ रहा था तुम्हारे लिए एक कप चाय बना दू ?”,मिस्टर आहूजा ने कहा
“हाँ और थोड़ी अदरक भी डालना”,कहते हुए मिसेज आहूजा सोफे पर जा बैठी। मिस्टर आहूजा ने सूना तो किचन की तरफ जाते हुए बड़बड़ाये,”थोड़ा जहर होता तो वो भी मिला देता , पीछा छूटता तुम से,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
बीकानेर , मोंटी का फ्लेट
रुचिका को ढूंढने के बाद मोंटी थक हारकर अपने फ्लेट पर चला आया। मोंटी का ग़ुस्सा शांत हो चुका था और अब उसे रुचिका की चिंता होने लगी थी। पहले रुचिका फोन नहीं उठा रही थी और अब तो उसका फोन भी बंद आ रहा था। मोंटी परेशान सा बैठा था कि कुछ देर बाद उसका फोन बजा। फोन रुचिका का होगा सोचकर मोंटी तुरंत फोन की तरफ लपका लेकिन स्क्रीन पर रुचिका के पापा का नंबर देखकर मोंटी की परेशानी और ज्यादा बढ़ गयी।
“रुचिका के पापा इस वक्त मुझे फोन क्यों कर रहे है ? रूचि यहाँ नहीं है अगर उन्होंने उसके बारे में पूछा तो मैं क्या जवाब दूंगा ? एक काम करता हूँ फोन नहीं उठाऊंगा कह दूंगा बिजी था लेकिन फिर अगर उन्होंने रुचिका को फोन किया और वो बंद मिला तो उन्हें टेंशन हो जाएगी,,,,,,,,,,,,,,,कही वो यहाँ ना चले आये , नहीं नहीं ऐसे तो बात और बिगड़ जाएगी,,,,,,,,,,,,,,,मैं उनका फोन उठाकर कह देता हूँ कि रुचिका सो रही है। हाँ ! ये ठीक रहेगा,,,,,,,,,,,,!!”,फोन की स्क्रीन देखते हुए मोंटी बड़बड़ाया। वह फोन उठाता इस से पहले ही कॉल डिस्कनेक्ट हो गया।
मोंटी ने राहत की साँस ली लेकिन अगले ही पल फोन फिर बजा। इस बार मोंटी ने दो रिंग के बाद ही फोन उठा लिया और कहा,”हेलो !!”
“हेलो ! हाँ दामाद जी ! कैसे है आप ? रूचि का फोन नहीं लग रहा कहा है वो ?”,दूसरी तरफ से रुचिका के पापा ने कहा
“वो पापा ! रुचिका , रुचिका सो रही है , उसके सर में थोड़ा दर्द है ,,,,,,,,,,,,,,थोड़ी देर पहले ही ऑफिस से आयी थी। उसका फोन भी चार्जिंग पर है शायद इसलिए नहीं लगा होगा”,मोंटी सफ़ेद झूठ बोल गया क्योकि इस वक्त वक्त रुचिका के घरवालों को परेशान करना नहीं चाहता था।
“अच्छा अच्छा , मैंने ये पूछने के लिए फोन किया था कि दो दिन की छुट्टी मिले आप दोनों को तो घर आ जाईये। रूचि और आपसे मिले काफी वक्त हो गया। अगर आप दोनों काम में उलझे है तो फिर हम लोग बीकानेर आ जाते है। जयपुर से ज्यादा दूर थोड़ी है”,रुचिका के पापा ने कहा
“अगर वो लोग इधर आएंगे तो सब गड़बड़ हो जाएगी,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं मुझे उन्हें आने से रोकना होगा”,मोंटी ने मन ही मन खुद से कहा और फिर रुचिका के पापा से कहा,”नहीं पापा ! आप क्यों परेशान होंगे मैं और रूचि ही वहा आ जाते है ना। वैसे भी मैं इस वीकेंड फ्री हूँ और रुचिका का काम भी लगभग ख़त्म हो जाएगा तो हम दोनों ही वहा आते है। मम्मी और कुकू से भी मिल लेंगे”
“हां दामाद जी जैसा आपको ठीक लगे , रुचि उठे तो उस से बात करवा दीजियेगा”,रुचिका के पापा ने कहा
“हां जरूर,,,,,,,,,,,,,अपना ख्याल रखियेगा”,मोंटी ने कहा और फोन काट दिया।
रुचिका के घर में ना होने से मोंटी पहले ही परेशान था उस पर इस फोन कॉल ने उसकी परेशानियों को और बढ़ा दिया था। मोंटी अपना सर पकड़ कर कुर्सी पर बैठ गया। उस से हुई सभी गलतिया एक एक करके उसकी आँखों के सामने आने लगी और गुस्से में रुचिका को मारे गए थप्पड़ पर आकर रुक गयी।
नैना और अवि दोनों बीकानेर पहुंचे और एयरपोर्ट के बाहर खड़े होकर दोनों फिर झगड़ा कर रहे थे।
“हमे मोंटी के पास जाना चाहिए”,अवि ने कहा
“हमे पहले रुचिका के पास जाना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,फोन पर रुचिका रो रही थी मोंटी नहीं”,नैना ने गुस्से से लगभग अवि पर चढ़ते हुए कहा
“तुम्हे कैसे पता रुचिका इस वक्त कहा होगी ? मेरी बात मानो और मोंटी के पास चलो,,,,,,,,,,,,,,,सारी बात पता करके फिर हम तीनो उसे ढूंढेंगे ना”,अवि ने नैना को समझाते हुए कहा
“अच्छा और तब तक अगर उसने खुद को ट्रेन के आगे धकेल दिया , खुद को किसी नदी नाले में बहा दिया , किसी बिजली के तार को पकड़कर दुनिया को अलविदा कह गयी या फिर गुस्से में आकर अपनी नस काट ली तब तुम क्या करोगे ? वो बहुत इमोशनल है यार वो अपने साथ गलत कर लेगी पहले उसे ढूंढ़ते है,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे आना है तो आओ वरना अभी प्लेन पकड़ कर वापस चले जाओ,,,,,,,,,,,,,मेरा सर मत खाओ”,नैना ने आखरी शब्द झल्लाते हुए कहा
“ओके फाइन चलो”,अवि ने कहा और नैना के साथ सड़क किनारे चला आया। नैना ने ऑटो रुकवाया और उसे रेलवे स्टेशन चलने को कहा
“हम रेलवे स्टेशन क्यों जा रहे है ? तुम स्योर हो रूचि वहा मिलेगी ?”,अवि ने अपना डाउट क्लियर करने के लिए पूछा
“हाँ जब उसका फोन आया था तब मुझे हिंट मिल गया था”,नैना ने बिना अवि की तरफ देखे कहा
“कैसा हिंट ?”,अवि ने हैरानी से पूछा
“जब वो मुझसे बात कर रही थी तब फोन में एक आवाज और आ रही थी ये ले चाय चाय चाय चाय 10 रूपये गर्म चाय चाय चाय , अब एयरपोर्ट पर तो ऐसे कोई चिल्लायेगा नहीं इसलिए दिमाग लगाया”,नैना ने कहा तो अवि मुंह फाडे उसे देखने लगा
उसके बाद अवि ने नैना से कोई बात नहीं की। दोनों रेलवे स्टेशन पहुंचे अंदर जाते हुए नैना ने पानी की बोतल ली और पीते हुए प्लेटफॉर्म पर चली आयी उसने पानी पीते हुए रुचिका को ढूंढना शुरू कर दिया लेकिन वो थी कि कही दिखाई नहीं दे रही थी।
“पता नहीं वो किस हाल में होगी,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए नैना जैसे ही पलटी उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और आँखों में गुस्सा झिलमिलाने लगा कुछ ही दूर खम्बे के पास बैठी रुचिका उसे दिखाई दी। नैना ने हाथ में पकड़ा पानी का बोतल रुचिका को फेंककर दे मारा क्योकि जिस रुचिका के लिए नैना परेशान हो रही थी वो रुचिका इस वक्त खम्बे के पास बैठी मजे से चीज बर्गर खा रही थी।
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क्रमश – Love You Zindagi – 56
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संजना किरोड़ीवाल
Oh god,yeh sb nautanki baaz ek sath hi ikaththe hone the,mtlb seriously,Ruchi arram se burger kha rhi thi🤣🤣🤣🤣,naina ne us aadmi ki kya class lagayi,yahan naina ho vahan koi scene creat na ho ,aisa ho hi nhi sakta
Matlab Ruchi gusse aur dukh m bhi chiz bargar kha rhi h
Kya baat hai Ruchi alage he level par hai yaar enthe deer se Nina bichari Avi aur us admi se jhadha kar rahe hai aur Ruchi cheese burger kaa rahi hai seriously, o my God! It’s unbelievable 🤣🤣 bhagwan he bacye Ruchi ko kyu ki aab Nina use chodne wali nahi hai aur Monti wo to gaya Kam se. Ab ayage story main maza
Nice story
Very nice 😁😁😁😁😁😁
Yh Ruchika bhi ajeeb bechari Naina tension k maare mare ja rhi h aur yh cheese burger udda rhi h
Superb part….. naina or avi ki nokjhok dekhne m maza aaya m.. bechara gujrati dar gya…avi hi naina ko handle kr sakta h… yaha Naina tension m Mari ja rhi h or panda burger kha rhi h