Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 45

Love You Zindagi – 45

Love You Zindagi - Season 2
Love You Zindagi – Season 2

चंडीगढ़ , अवि का घर
अवि नैना की मदद कर रहा था और नैना किचन के दरवाजे पर खड़ी पहरा दे रही थी। कुछ देर बाद ही विपिन जी किचन की तरफ से गुजरे और नैना को देखकर रुक गए। नैना का ध्यान विपिन जी पर नहीं था वह दरवाजे से झांकते हुए बाहर देख रही थी और जैसे ही पलटी विपिन जी से टकरा गयी। विपिन जी को वहा देखकर नैना थोड़ी हैरान रह गयी।
विपिन जी ने अपनी भँवे उचकाई तो नैना जवाब में खिंसिया कर मुस्कुरा दी और ना में गर्दन हिला दी। नैना की मुस्कुराहट से विपिन जी को थोड़ा थोड़ा शक हुआ और वे जैसे ही किचन में जाने लगे नैना ने उनके सामने आकर कहा,”डेड अंदर मत जाईये,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब आपको क्या चाहिए मुझसे कहिये ना मैं लेकर आती हूँ”
“बेटा जी मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं बस देखना चाहता हूँ किचन की तरफ मुंह ना करने वाली नैना आज किचन में क्या कर रही है ?”,विपिन जी ने नैना को साइड कर अंदर आते हुए कहा
नैना भी उनके पीछे पीछे अंदर आयी। उन दोनों से बेखबर बेचारा अवि लड्डू बनाने में लगा हुआ था। बूंदी गर्म थी इसलिए उसके हाथ भी जल रहे थे। अवि को काम करते देखकर विपिन जी हैरान थे और नैना अपना सर पीटते हुए घूम गयी।
“बेटा जी ये क्या ?”,विपिन जी ने नैना की तरफ पलटकर कहा तो नैना ने जल्दी से अवि की तरफ आकर कहा,”अरे अरे ये क्या अवि मैंने तो बस तुम्हे ये बर्तन नीचे रखने को कहा था और तुम लड्डू बनाने लगे,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे इन सब की आदत नहीं है ये सब मैं कर लुंगी”
अवि ने सूना तो बिना किसी भाव के नैना को देखने लगा लेकिन विपिन जी नैना की चाल समझ गए इसलिए अंदर आकर अवि के सामने बैठते हुए कहा,”आपको सच में आदत नहीं है बेटा जी , लाईये मैं आपकी मदद करता हूँ”
कहकर विपिन जी लड्डू बनाने लगे लेकिन अवि को ये अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए उसने कहा,”अरे नहीं नहीं पापा आप रहने दीजिये मैं कर लेता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“इट्स ओके ये सब चलता है”,विपिन जी ने कहा तो अवि मुस्कुरा दिया। अपने पति और अपने पापा को काम करते देखकर नैना को थोड़ी सी शर्मिंदगी महसूस हुयी तो उसने अवि के बगल में बैठते हुए कहा,”मैं भी मदद कर देती हूँ”
नैना ने बीच से बूंदी उठाये जो की गर्म थे और आह उह्ह करते हुए वापस भगोने में डाल दिए। अवि ने देखा तो अपने हाथ का लड्डू छोड़कर नैना का हाथ देखते हुए कहा,”मैंने अभी बताया था न ये थोड़ा गर्म है , तुमने ध्यान क्यों नहीं दिया ? दिखाओ ज्यादा जला क्या ?”
“कुछ नहीं हुआ है मैं ठीक हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,चलो लड्डू बनाते है”,नैना ने कहा और इस बार ठन्डे वाले बूंदी से लड्डू बनाने की कोशिश करने लगी और बहुत मेहनत के बाद उसने एक मोटा सा टेढ़ा मेढ़ा लड्डू बनाया जिसे देखकर अवि और विपिन जी दोनों हंस पड़े। नैना ने उस लड्डू को देखा और फिर मुंह बना लिया लेकिन अगले ही पल उसे खुद भी हंसी आ गयी। विपिन जी की मदद से लड्डू जल्दी बन गए , नैना ने उन पर सूखे मेवे और चाँदी का वर्क लगाया और एक एक करके डिब्बों में जमाने लगी। लड्डू रखते हुए नैना के कानो में सौंदर्या जी की आवाज पड़ी तो नैना बची हुई थोड़ी सी बूंदी को अपने हाथो पर लगाने लगी।
“ये तुम क्या कर रही हो ?”,अवि ने पूछा
“अरे मॉम को लगना चाहिए ना ये सब मैंने बनाया है,,,,,,,,,,,,,और इन्हे बनाने में कितनी मेहनत की ये दिखाने के लिए ये सब तो करना होगा न”,नैना ने बिना अवि की तरफ देखे कहा तो अवि को शादी से पहले की वो पराठे वाली बात याद आ गयी। वह हैरानी से विपिन जी की तरफ देखने लगा तो विपिन जी ने कंधे उचका दिए। अवि उठा और विपिन जी के साथ वहा से चला गया।

आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
शीतल के कहने पर मिसेज शर्मा ने मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता को अपने घर नाश्ते के लिए बुला लिया। मिसेज आहूजा तो मिसेज शर्मा के बगल में ही रहती थी इसलिए थोड़ी देर बाद तुरंत चली आयी लेकिन मिसेज गुप्ता नीचे ग्राउंड फ्लोर पर रहती थी इसलिए वे थोड़ी देर से आयी और साथ ही हैरान भी थी क्योकि मिसेज शर्मा ने आज से पहले तो उन्हें ऐसे कभी नहीं बुलाया।
मिसेज गुप्ता और मिसेज आहूजा दोनों मिसेज शर्मा के साथ हॉल में बैठी थी और शीतल उनके लिए किचन में पराठे बना रही थी।
“मिसेज शर्मा क्या आपने शीतल से बात की ? उसने अपनी गलती एक्सेप्ट की या नहीं ?”,मिसेज गुप्ता ने दबी आवाज में कहा
“हाँ मिसेज गुप्ता सही कह रही है , ऐसे मामलो में बहुओ को ज्यादा छूट नहीं देनी चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,आप समझ रही है ना मिसेज शर्मा”,मिसेज आहूजा ने आग में घी डालते हुए कहा
“अरे तुम दोनों चिंता मत करो कल ही मैंने अच्छे से सुनाया है उसे तभी तो आज कैसे सीधे सीधे काम कर रही है। वैसे मेरी बहू इतनी भी बुरी नहीं है देखो उसने खास मेरे लिए ये पराठे बनाये है”,मिसेज शर्मा ने शीतल की तरफदारी करते हुए कहा
“मिसेज शर्मा आप ना बहुत सीधी है , उसने दो पराठे बनाकर क्या खिलाये आप उसकी तरफदारी करने लगी। अरे ये तो इन बहुओ का नुस्खा होता है सास को अपने कंट्रोल में करने का”,मिसेज आहूजा ने कहा तो मिसेज शर्मा सोच में पड़ गयी
मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता और आग लगाती इस से पहले ही शीतल अपने दोनों हाथो में प्लेट लेकर वहा आयी और कहा,”गुड मॉर्निंग आंटी”
“हाँ गुड मॉर्निंग , मिसेज शर्मा आज आपकी बहू के मुंह से कुछ ज्यादा ही शहद टपक रहा है”,मिसेज आहूजा ने मुंह बनाकर कहा जिसे कुछ दिन पहले ही शीतल ने बहुत अच्छे से सुनाया था
“क्या आंटी आप भी बच्चो की बातो का बुरा मान जाती है , अब हमारी उम्र की लड़किया आपसे नहीं सीखेंगी तो किस से सीखेंगी आग लगाना , मेरा मतलब आग पर खाना पकाना , वैसे मैंने ये पराठे अपने हाथो से बनाये है टेस्ट कीजिये ना”,शीतल ने बड़े ही प्यार से कहा लेकिन उसकी बातो में छुपे ताने को मिसेज आहूजा बखूबी समझ रही थी।
पराठे देखते ही मिसेज गुप्ता के मुंह से तो लार टपकने लगी उन्होंने प्लेट उठाते हुए कहा,”अरे वाह ! खुशबू तो बढ़िया आ रही है,,,,,,,,,,,,,,मिसेज आहूजा आप भी लीजिये ना”
“हम्म्म,,,,,,,,,,,,वैसे आज ये पराठे खिलाने का कैसे सोच लिया कही इसमें कुछ,,,,,,,,,,,!!”,मिसेज आहूजा ने शीतल की ओर देखकर प्लेट उठाते हुए कहा
“मिसेज आहूजा आप भी ना खाइये ना बहुत टेस्टी बने है,,,,,,,,,,,शीतल भला इसमें क्या मिलाएगी ?”,मिसेज शर्मा ने अपनी प्लेट से खाते हुए कहा
शीतल ने सूना तो मिसेज आहूजा की तरफ देखकर मुस्कुराई , मिसेज आहूजा को उसकी मुस्कान में कुछ गड़बड़ लगी फिर भी उन्होंने मिसेज शर्मा की बात मानते हुए जैसे ही पराठे का टुकड़ा तोड़कर मुंह की तरफ बढ़ाया शीतल ने एकदम से कहा,”एक मिनिट,,,,,,,,,,,,?”
मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता दोनों के हाथ रुक गए और मिसेज आहूजा मुस्कुरा दी जैसे उन्हें पता हो कि पराठो में गड़बड़ है। मिसेज शर्मा , आहूजा और गुप्ता ने शीतल की तरफ देखा तो शीतल ने कहा,”एक्चुली मैं आप दोनों से माफ़ी मांगना चाहती हूँ , उस दिन मैंने आपसे कुछ ज्यादा ही गलत तरीके से बात की,,,,,,,,,,,,,,,,मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता मुझे माफ़ कर दीजिये मैं शर्मिंदा हूँ”
शीतल की बात सुनकर मिसेज गुप्ता और आहूजा को तो अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ लेकिन वही मिसेज शर्मा का उन दोनों के सामने मन खिल उठा आखिर शीतल ने माफ़ी मांगकर उनकी लाज जो रख ली
“अरे शीतल कोई बात नहीं कभी कभी गुस्से में ऐसा हो जाता है,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मिसेज गुप्ता ने कहा।
“हाँ लेकिन आगे से ध्यान रखना , सोसायटी के लोगो की रिस्पेक्ट करना तुम्हारा फर्ज है अब तुम इस सोसायटी की बहू हो बेटी नहीं,,,,,,,,,,,,क्यों मिसेज शर्मा ठीक कहा ना मैंने ?”,मिसेज आहूजा ने कहा
“मैं पूरा ध्यान रखूंगी आंटी और फिर आप लोग तो है ही मेरे घर बर्बाद,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब आबाद करने के लिए,,,,,,,,,,,अरे पराठे ठंडे हो जायेंगे आप लोग खाइये ना,,,,,,,,,,तब तक मैं हरी चटनी लेकर आती हूँ”,कहते हुए शीतल किचन की तरफ चली गयी।
“माफ़ी मांगी लेकिन तेवर वही है इसके”,मिसेज आहूजा निवाला खाते हुए बड़बड़ाई लेकिन पहले ही निवाले में उनकी आत्मा तृप्त हो गयी क्योकि सच में पराठे बहुत टेस्टी बने थे। मिसेज गुप्ता ने तो अपनी प्लेट में रखा पराठा खत्म भी कर दिया था और सामने टेबल पर रखी प्लेट से दूसरा लेते हुए कहा,”भई मान गए मिसेज शर्मा आपकी बहू के हाथो में तो जादू है , क्या बढ़िया पराठे बनाती है।”
“हाँ काफी अच्छे बने है मिसेज शर्मा,,,,,,,,,,,,,,,वैसे शीतल से माफ़ी मंगवा ही दी आपने”,मिसेज आहूजा ने दबी आवाज में कहा ताकि शीतल ना सुन ले
“मैंने कहा था ना मिसेज आहूजा मैं अपनी बहू को इतनी छूट नहीं देने वाली,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मिसेज शर्मा ने इतराते हुए कहा
“बस ऐसे ही लगाम कस के रखना”,मिसेज आहूजा ने कहा और दुसरा पराठा प्लेट में रख लिया। तीनो बातें करते हुए खाने लगी। उधर किचन में शीतल ने कटोरी में हरी चटनी निकाली और एक चम्मच बेकिंग सोडा उसमे भी मिलाते हुए बड़बड़ाई,”सिर्फ पराठे ही क्यों चटनी में भी गड़बड़ तो होनी ही चाहिए ना मिसेज आहूजा,,,,,,,,,,,,,,,,आज के बाद आप भूलकर भी इस घर के पराठे नहीं खाएंगी , मेरे हाथ से बने तो बिल्कुल नहीं”
शीतल ने कटोरी उठाई और बाहर चली आयी। उसने मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता की प्लेट में चटनी रखी और वही पास खड़ी हो गयी।
“अरे शीतल खड़ी क्यों हो जाओ तुम भी खा लो,,,,,,,,,,,,,,,!”,मिसेज शर्मा ने कहा
“ठीक है माँ”,शीतल ने कहा और वहा से चली गयी।
मिसेज गुप्ता अब तक तीन पराठे खा चुकी थी साथ में आधी से ज्यादा हरी चटनी भी निपटा चुकी थी जिसका टेस्ट उन्हें आज कुछ ज्यादा ही अच्छा लग रहा था। जैसे ही मिसेज गुप्ता ने चौथा पराठा प्लेट में रखा उन्हें अपने पेट में गुड़गुड़ महसूस हुई,,,,,,,,,,,,,,!! मिसेज गुप्ता ने उसे इग्नोर किया और एक निवाला तोड़कर खाया लेकिन अगले ही पल फिर उन्हें पेट में हलचल महसूस हुई जो की उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। उन्होंने धीरे से हाथ में पकड़ा टेबल पर खिसकाते हुए कहा,”मैं जरा आती हूँ”
मिसेज आहूजा वहा से सीधा बाथरूम की तरफ चली गयी लेकिन मिसेज शर्मा और आहूजा जी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया वे किसी और ही टॉपिक पर बात कर रही थी। बाथरूम से आते आते मिसेज गुप्ता की हालत खराब थी। वे आकर अपनी सीट पर बैठी लेकिन सब सामान्य दिखाने की कोशिश की। मिसेज आहूजा ने देखा तो इशारो में पूछा लेकिन मिसेज गुप्ता ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए ना में गर्दन हिला दी। किसी को शक ना हो सोचकर मिसेज गुप्ता ने प्लेट वापस उठा ली लेकिन कुछ खाती इस से पहले ही उनके पेट में फिर हलचल हुयी और उन्हें जाना पड़ा इस बार मिसेज आहूजा को कुछ गड़बड़ लगी। मिसेज गुप्ता बाहर आयी तो मिसेज आहूजा ने कहा,”क्या बात है मिसेज गुप्ता आप ठीक हो न ?”
“हाँ,,,,,,,,हाँ मैं ठीक हूँ”,मिसेज गुप्ता ने बैठते हुए कहा
मिसेज आहूजा आगे कुछ कहती इस से पहले ही उन्हें भी पेट में गुड़गुड़ शुरू हुई और उन्होंने अपनी प्लेट रखते हुए कहा,”मैं जरा अभी आयी”
“लगता है मिसेज आहूजा भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पता नहीं क्या मिलाया है इन पराठो में इस शीतल ने”,मिसेज गुप्ता ने डायनिंग के पास बैठी शीतल को देखकर मन ही मन कहा।
मिसेज आहूजा जल्दी से बाथरूम आयी और कुछ देर बाद जब बाहर आयी तो उनकी भी हालत खराब थी। अपना पेट पकडे वह मिसेज शर्मा और आहूजा की तरफ आयी तो मिसेज शर्मा ने पूछा,”क्या हुआ तूम दोनों को , ठीक हो ना ?”
“मिसेज शर्मा लगता है आपकी बहू ने हम से बदला लेने के लिए इन पराठो में कुछ मिलाया है”,मिसेज आहूजा ने कहा
“ये आप क्या कह रही है ? शीतल ऐसा क्यों करेगी ? और पराठे तो मैंने और उसने भी खाये है ना आपके सामने,,,,,,,,,,,,,,,,,,आपकी ये बात मुझे ठीक नहीं लगी मिसेज आहूजा”,मिसेज शर्मा ने थोड़ा गुस्से से कहा
शीतल भी उनके पास चली आयी तो मिसेज गुप्ता ने उसे साइड करके कहा,”आप लोग बहस करो मैं अभी आयी,,,,,,,,,,,,,,,हाये मर गयी”
“देखी आपने मिसेज गुप्ता की हालत,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,मिसेज आहूजा ने फिर कहा
“आंटी अब सुबह सुबह वो एक साथ चार-चार पराठे खाएंगी तो पेट तो खराब होगा न,,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी उन्हें अपनी उम्र देखते हुए अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,क्यों मम्मी जी ?”,शीतल ने बड़ी ही सहजता से कहा तो मिसेज आहूजा उसे घूरने लगी
“मिसेज शर्मा आपने इसलिए हमे अपने घर बुलाया था,,,,,,,,,,,,,,,देख रही है अपनी बहू को,,,,,,,,,,,,!”,मिसेज आहूजा ने कहा
“बस कीजिये मिसेज आहूजा अब आप मेरी बहू की इंसल्ट कर रही है। उसने बड़ा दिल रखते हुए आप दोनों से माफ़ी भी मांगी जबकि आपको भी पता है गलती किस की थी। मुझसे गलती हुई जो मैंने आप लोगो को इन्वाइट किया,,,,,,,,,,,,,,,बेहतर होगा अब आप दोनों यहाँ से जाये”,मिसेज शर्मा आने थोड़ा कठोरता से कहा
“रुकना भी कौन चाहता है मिसेज शर्मा,,,,,,,,,,,,,,,,,,मिसेज गुप्ता चलिए चलते है”,मिसेज आहूजा ने कहा तो मिसेज गुप्ता बाथरूम से बाहर आयी और कहा,”लगता है मैंने कुछ ज्यादा ही खा लिया,,,,,,,,,,,,,,आह्ह चलिए मिसेज आहूजाआआअ,,,,,,,,,,,,मैं बाद में आ जाउंगी”
कहते हुए मिसेज गुप्ता एक बार फिर बाथरूम की तरफ भाग गयी और शीतल मन ही मन हंस पड़ी।

चंडीगढ़ , अवि का घर
अवि और विपिन जी की मदद से नैना ने प्रशाद के लड्डू बना लिए। सभी मंदिर जाने के लिए तैयार थे। भोला ने सब सामान गाड़ी में रख दिया। सौंदर्या जी , विपिन जी और आराधना गाड़ी के पास खड़े थे। चौधरी साहब सुबह ही किसी काम से ड्राइवर के साथ जा चुके थे। चंडीगढ़ में महादेव का विशाल मंदिर था जहा दर्शन करने सब साथ जाने वाले थे।
“ये दामाद जी और नैना कहा है ?”,विपिन जी ने घर के दरवाजे की तरफ देखते हुए कहा
“भाईसाहब वो दोनों आ जायेंगे तब तक हम चलकर गाड़ी में बैठते है”,सौंदर्या ने कहा
पार्किन से बाहर खड़ी आलिशान गाड़ी में विपिन जी आगे आकर बैठ गए , सौंदर्या और आराधना जी पीछे आ बैठी। तीनो गाड़ी में बैठकर बाते करते हुए अवि और नैना का इंतजार करने लगे।

“ये जब से मेरी तुम से शादी हुई है मेरे कपडे कभी सही जगह नहीं मिलते,,,,,,,,,,,,,,,मुझे समझ नहीं आता आखिर तूम मेरे कपडे पहनना बंद कब करोगी ?”,अवि ने कबर्ड में अपना नया टीशर्ट ढूंढ़ते हुए कहा जो की उसे अपने ब्लेजर के साथ पहनना था
“आह क्यों सड़ रहे हो पडोसी ? तुमने ही तो कहा था जो तुम्हारा है वो मेरा है,,,,,,,,,,,,,,,,अगर मैंने तुम्हारे कपडे पहने तो तुम मेरे कपडे पहन लो,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन ये बड़े लोगो के जैसे कुड कुड मत करो”,नैना ने शीशे के सामने खड़े होकर अपने बालो की उलटी सीधी चोटी गूंथते हुए कहा।
अवि कबर्ड से नैना का एक नाईट ड्रेस लेकर आया और उसे दिखाते हुए कहा,”तुम चाहती हो मैं ये पहनू ?”
“अगर तुमने ये पहना तो तुम कितने फनी लगोगे ना”,नैना ने अवि की तरफ पलटकर हँसते हुए कहा और अवि उसे घूरने लगा।

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संजना किरोड़ीवाल

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