Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 50

Love You Zindagi – 50

Love You Zindagi - Season 2
Love You Zindagi – Season 2

अवि नैना के मॉम डेड को लेकर चला गया। नैना भी बाकि घरवालों के साथ अंदर चली आयी। सौंदर्या जी को अपने हॉस्पिटल जाना था इसलिए वे तैयार होने चली गयी। वही चौधरी साहब अपने ऑफिस के लिए निकल गए। घर में बस नौकर और भोला भैया के अलावा नैना और निबेदिता थी। निबेदिता अपने कमरे में चली आयी। उसका फोन बजा स्क्रीन देखते ही उसके होंठो पर मुस्कान तैर गयी और उसने फोन उठाते हुए कहा,”हे बेबी मैं तुम्हे ही मिस कर रही थी और देखो तुमने फोन कर दिया”
“तुमने याद किया और मैं हाजिर”,दूसरी तरफ से लड़के की आवाज आयी
“मतलब ?”,निबेदिता ने थोड़ा हैरानी से कहा
“अपने कमरे की खिड़की पर आओ”,लड़के ने कहा
निबेदिता ने आकर खिड़की खोली और जैसे ही सामने देखा उसे सामने अपना लवर नजर आया जो की मुस्कुराते हुए निबेदिता की तरफ हाथ हिला रहा था। इस वक्त निबेदिता के आश्चर्य और ख़ुशी की कोई सीमा नहीं थी। वह मुस्कुरा उठी
“तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? मुझे लगा तुम चले गए,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम बाहर क्यों खड़े हो ?”,निबेदिता ने कहा
“ठीक है मैं अंदर आ जाता हूँ”,कहते हुए लड़का जैसे ही घर की तरफ बढ़ा निबेदिता ने कहा,”अरे नहीं अंदर मत आओ प्लीज”
“तुम तो ऐसे डर रही हो जैसे मैं तुम्हे खा जाऊंगा , अभी इतना डर रही हो तो फिर घरवालों से कैसे मिलवाओगी ?”,लड़के ने अपने कदम रोककर कहा
“वो मैं कर लुंगी अच्छा सुनो,,,,,,,,,,,,,,,,!”,निबेदिता ने कहा इतना ही कहा कि उसके कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर आती नैना ने कहा,”निबी ये तुम्हे मेरा फेसपेक चाहिए था,,,,,,,,,,,,,,!!”
नैना को अपने कमरे में पाकर निबेदिता का गला सुख गया उसने जल्दी से फोन रखा और लड़के को जाने का इशारा किया। लड़का वहा से चला गया लेकिन नैना की पारखी नजरो से बच नहीं पाया। नैना ने उसे जाते हुए देख लिया बस उसका चेहरा नहीं देख पायी।
“वो कौन था ?”,नैना ने खिड़की के बाहर देखते हुए पूछा
कौन ? कोई भी तो नहीं था भाभी , मैं तो अपनी दोस्त से बात कर रही थी।”,निबेदिता ने घबराये स्वर में कहा
नैना ने टेबल पर रखा निबेदिता का फोन उठाकर स्क्रीन उसके सामने करके कहा,”तो तुम्हारी दोस्त का नाम बेबी है साथ लाल दिल भी है”
निबेदिता ने देखा जल्दबाजी में वह फोन काटना भूल गयी थी। उसने झेंपते हुए नैना के हाथ से फोन लिया और कॉल कट करके कहा,”सॉरी भाभी”
नैना ने अपने हाथ बांधे और निबेदिता की तरफ देखकर पूछा,”कब से चल रहा है ये सब ?”
“मैं और एनी तीन महीने पहले मिले थे। बैंगलोर के एक मॉल में एंड उसके बाद मिलना जुलना होता रहा एंड एक दिन उसने मुझे प्रपोज कर दिया। वो इतना प्रपोजल इतना स्वीट था कि मैं उसे ना नहीं कह पायी एंड हम रिलेशनशिप में आ गए”,निबेदिता ने आखरी शब्द धीमे स्वर में कहे
“हम्म्म्म तो ये बात है , अवि को ये पता है ?”,नैना ने फिर सवाल किया
“नहीं नहीं भाई को इस बारे में कुछ नहीं पता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एंड आई हॉप कि आप भी उन्हें कुछ नहीं बताएंगी”,निबेदिता ने मासूमियत से कहा
“मैं उसे नहीं बताउंगी लेकिन तुम्हारा उस लड़के से आई मीन एनी से ऐसे छुपकर बात करना गलत है,,,,,,,,,,,,,,,,,,अगर वो तुम्हे पसंद है तो तुम्हे मॉम-डेड को इस बारे में बता देना चाहिए”,नैना ने कहा
“मैं अभी अभी घर वापस आयी हूँ भाभी अगर मैंने आते ही घर में उसके बारे में बता दिया तो पता नहीं मॉम कैसे रिएक्ट करेंगी और डेड तो मुझे मार ही डालेंगे”,निबेदिता ने बिस्तर पर बैठते हुए कहा
“पापा इतने भी डेंजर नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा वैसे कहा का रहने वाला है ये लड़का ? और फॅमिली कहा है ? कौन कौन है फॅमिली में ? क्या करता है ? बैकग्राउंड कैसा है उसका पता किया ? तुम लड़कियों को ना 4 दिन में किसी से सच्चा प्यार हो जाता है और आँख बंद कर के तुम इनके पीछे चल देती हो। क्या उसने कभी अपने बारे में कुछ बताया ?”,नैना एक साँस में सब कह गयी और निबेदिता के सामने पड़े बीन बैग पर आकर बैठ गयी
“भाभी साँस तो ले लो,,,,,,,,,,,,,,,आप बिल्कुल किसी रिश्तेदार की तरह लग रही है”,निबेदिता ने नैना के चेहरे की तरफ देखकर कहा जिस पर एक साथ कई भाव आ जा रहे थे
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,रियली,,,,,,,,,,,,,खैर छोडो ये बताओ की उसका नाम क्या है ?”,नैना ने अपना सर झटककर कहा
“मैंने कभी उस से उसका नाम नहीं पूछा बस उसके फ्रेंड्स उसे एनी कहकर बुलाते है और मैं भी”,निबेदिता ने कहा
“गजब्ब ढक्कन लड़की हो तुम मतलब तीन महीने से तुम एक लड़के के साथ रिलेशनशिप में हो और तुम्हे उसका नाम तक नहीं पता,,,,,,,,,,,,,,,,,सरनेम पता है ?”,नैना ने फिर पूछा
“एनी मित्तल,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ उसका सरनेम मित्तल है”,निबेदिता ने कहा याद करते हुए कहा
“मित्तल ?”,मित्तल शब्द सुनते ही नैना की नसे एक्टिवेट हो गयी लेकिन उसे याद नहीं आ रहा था कि ये नाम उसने कहा सुना है। उसने दिमाग पर जोर डालने की कोशिश की लेकिन नहीं आया तो उसने निबेदिता से कहा,”अच्छा उसकी कोई तस्वीर है तुम्हारे पास,,,,,,,,,,,,,,,,दिखाओ जरा”
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,,,ये देखिये”,निबेदिता ने लड़के की एक फोटो निकालकर फोन नैना की तरफ बढ़ा दिया। अब इसे नैना की बुरी किस्मत कहे या कुछ और जैसे ही उसने फोन लिया वह फोटो ऊँगली के टच से स्लाइड हो गयी और निबेदिता के किसी कॉलेज फ्रेंड की तस्वीर सामने आ गयी। उस तस्वीर को देखकर नैना को तसल्ली हुई कि ये वो मित्तल नहीं था जिसके बारे में नैना सोच रही थी।
नैना ने फोन वापस निबेदिता की तरफ बढ़ा दिया और कहा,”हम्म्म लड़का तो अच्छा है लेकिन अभी तुम्हे अपनी पढाई और करियर पर ध्यान देना चाहिए इन सब में नहीं”
“अच्छा भाभी अगर फ्यूचर में मैं घर पर एनी के बारे में बताऊ तो आप मुझे सपोर्ट करोगे ?”,निबेदिता ने कॉफी पीते हुए कहा
“अगर तुम दोनों का प्यार सच्चा है तो जरुर,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने मुस्कुराते हुए कहा
निबेदिता ने सुना तो कॉफी का कप साइड में रखा और नैना को हग करते हुए कहा,”ओह्ह्ह भाभी आप कितनी अच्छी हो थेंक्यू सो मच”
“अच्छा मैं अपने कमरे में जा रही हूँ , मुझे थोड़ा काम है”,नैना ने उठते हुए कहा और वहा से चली गयी। निबेदिता भी ख़ुशी ख़ुशी अपनी कॉफी पीने लगी।

अवि नैना के मॉम-डेड को लेकर एयरपोर्ट पहुंचा। फ्लाइट में अभी टाइम था लेकिन सभी जरुरी फॉर्मलिटीज पूरी करने के लिए उन्हें एक घंटे पहले अंदर जाना था। अवि ने विपिन जी और आराधना के पैर छुए और उन्हें ध्यान से जाने को कहा। आराधना अवि को ढेर सारा आशीर्वाद और खूब सारी नसीहतें देकर सामान ट्रॉली पर रखने लगी। जाने से पहले विपिन जी अवि के पास आये और उसके हाथो को थामकर कहा,”नैना का ख्याल रखना , मैं जानता हूँ वो थोड़ी अल्हड है और उसमे काफी बचपना है लेकिन धीरे धीरे वो आपको समझने लगेगी और अपनी जिम्मेदारियों को भी,,,,,,,,,,,,,,उस से कोई गलती हो जाए तो उसे प्यार से समझा दीजियेगा। मुझे आप पर पूरा भरोसा है बेटा जी कि आप उसका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे,,,,,,,,,,,और नैना भी हमेशा आपके साथ खुश रहेगी,,,,,,,,,,,,,!!”
“पापा आप चिंता मत कीजिये मैं नैना का खुद से भी ज्यादा ख्याल रखूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,आपको कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगा”,अवि ने कहा
“थैंक्यू बेटा जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा नैना के साथ लखनऊ कब आ रहे है आप ?”,विपिन जी ने पूछा
“जल्दी आऊंगा पापा,,,,,,,,,,,,,,,,,,अभी आने वाले टाइम में थोड़ा बिजी रहूंगा लेकिन उसके बाद जरूर”,अवि ने कहा
“विपिन जी चले देर हो रही है”,आराधना ने कहा तो विपिन जी ने अवि की बाँह थपथपाते हुए कहा,”अपना ख्याल रखना बेटा जी , हम चलते है”
“आप दोनों भी अपना ख्याल रखना और घर पहुँचते ही फोन करना”,अवि ने मुस्कुरा कर कहा। कुछ देर बाद विपिन जी और आराधना वहा से चले गए

आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
मिस्टर शर्मा , सार्थक और शीतल तीनो ही अपार्टमेंट से बाहर गए हुए थे। घर में मिसेज शर्मा अकेले थी। मिसेज आहूजा ने उन्हें सोसायटी का क्लब ज्वाइन करने को कहा और दोपहर में उसकी मीटिंग में आने को भी कहा जो कि अपार्टमेंट के लॉन में ही थी। मिसेज शर्मा दोपहर का खाना खाकर लॉन में चली आयी जहा मिसेज आहूजा और गुप्ता के साथ अपार्टमेंट की कुछ और महिलाये भी थी और सभी हमउम्र ही थी।
“लो मिसेज शर्मा भी आ गयी। अरे आईये ना मिसेज शर्मा आप ही का इंतजार था”,मिसेज आहूजा ने कहा तो मिसेज शर्मा सबके बीच चली आयी।
लॉन में एक बड़े से पेड़ के नीचे 3 बेंच लगी हुई थी सभी वहा बैठ गयी चूँकि ये क्लब मिसेज आहूजा ने शुरू किया था इसलिए हेड तो वही थी फिर भी उन्होंने उठकर सबसे पहले सबका वेलकम किया और फिर कहा,”इस क्लब का नाम होगा “आशीर्वाद वीमेन-राइट्स क्लब” , और मैं चाहूंगी इसकी अध्यक्ष मिसेज शर्मा हो”
मिसेज आहूजा के मुंह से अपना नाम सुनकर मिसेज शर्मा को थोड़ी हैरानी हुई तो कुछ महिलाओ का मुंह बन गया कि उन्हें अध्यक्ष क्यों चुना ? जबकि ये बस मिसेज आहूजा की सोची समझी चाल थी। सभी आपस में खुसर-फूसर करने लगी तो मिसेज आहूजा ने कहा,”शांत हो जाईये , मिसेज शर्मा कोई परमानेंट अध्यक्ष नहीं होगी बल्कि हर महीने अपार्टमेंट में वोटिंग के हिसाब से अध्यक्ष बदलता रहेगा जिस से क्लब की रौनक बनी रहे”
इस बार मिसेज आहूजा की बात सबको थोड़ी पसंद आयी और उन्होंने मिसेज शर्मा को अध्यक्ष के रूप में चुन लिया। मिसेज शर्मा भी इस बात से खुश थी कि एक महीना अब वह एक लीडर की तरह काम करेगी। सभी साथ बैठकर क्लब को लेकर चर्चा करने लगे और बातो ही बातो में कई सारी समस्याएं आयी जिनका हल ढूंढना था। मिसेज शर्मा ने तय किया कि सभी क्लब मेंबर मिलकर फ्री टाइम में रोज सोसायटी की एक समस्या का निवारण करेंगे। सभी को मिसेज शर्मा की बात पसंद आयी लेकिन अपार्टमेंट की ही एक महिला ने कहा,”मिसेज शर्मा पहले आप अपने घर की समस्या तो हल कर लीजिये इसके बाद अपार्टमेंट की समस्या के बारे में सोचियेगा”
महिला की बात सुनकर साथ बैठी कुछ महिलाये खी खी करके हसने लगी तो मिसेज आहूजा भी मुस्कुराये बिना ना रह सकी
“आप कहना क्या चाहती है ?”,मिसेज शर्मा ने उस महिला से पूछा
“यही की आप से अपनी बहू तो संभल नहीं रही है क्लब की जिम्मेदारी कैसे सम्हालेगी ?”,महिला ने फिर कड़वाहट भरे लहजे में कहा
“मिसेज राय सोसायटी के क्लब में ये घरेलु बातें मत लाईये”,मिसेज आहूजा ने कहा
“क्या मिसेज आहूजा आप तो समझदार है ? आप ही बताइये एक अनपढ़ शिक्षक बच्चो को कैसे पढ़ायेगा ?”,मिसेज राय ने मिसेज शर्मा को ताना मारते हुए कहा
“मिसेज राय मुझे अपने बच्चो को सम्हालना अच्छे से आता है उसके लिए मुझे आपकी या सोसायटी के लोगो की एडवाइज की जरूरत नहीं है। मेरी बहू को अच्छे संस्कार मिले है उसे इस सोसायटी में कैसे रहना है ये उसे अच्छे से पता है।”,मिसेज शर्मा ने कहा
“वो तो सब जानते है मिसेज शर्मा कि वो कितनी संस्कारी है। सोसायटी के लोगो को मुंह पर जवाब देना , किसी से सीधे मुंह बात नही करना ये ही तो संस्कार है उसके”,मिसेज राय ने मुंह बनाकर कहा
मिसेज शर्मा ने सूना तो उन्हें बहुत गुस्सा आया और उन्होंने थोड़ा गुस्से से कहा,”तो आप लोग ऐसी हरकते करती ही क्यों है कि मेरी बहू आपको उलटे जवाब दे , पहले अपनी हरकते सुधारिये उसके बाद किसी के बारे में बात किजिये”
” शांत हो जाईये मिसेज राय और मिसेज शर्मा,,,,,,,,,,,,,,,अगर आप लोग आपस में ही ऐसे झगड़ेंगे तो फ़िर हो गयी समस्या हल”,मिसेज आहूजा ने दोनों के बीच आकर कहा।
मिसेज आहूजा की बात सुनकर दोनों खामोश हो गयी। अगले ही पल शीतल हाथ में एक बैग लिए उधर से गुजरी मिसेज शर्मा की उस पर नजर चली गयी। मिसजे आहूजा ने देखा तो आकर मिसेज शर्मा से कहा,”लगता है शीतल बाहर से आयी है , वैसे उसके हाथ में ये बैग कैसा ?”
“अरे मिसेज आहूजा होगा कुछ पर्सनल , अब बहुते सास को हर बात बताये जरुरी तो नहीं”,मिसेज गुप्ता ने कहा तो मिसेज राय हसने लगी। उनकी हंसी मिसेज शर्मा को चुभने लगी और वह बस शीतल को जाते हुए देखते रही।
बीकानेर , मोंटी का घर
रुचिका और मोंटी के बीच तनाव का माहौल बन चुका था। दोनों ठीक से एक दूसरे से बात तक नहीं कर रहे थे। रुचिका सुबह बिना नाश्ता किये ही बैंक चली गयी। मोंटी भी इस बार रुचिका के इस बर्ताव से थोड़ा नाराज हो गया और मन बना लिया कि अब रुचिका ही आकर उस से बात करेगी। दोपहर में किचन एरिया में खड़ा मोंटी अपने लिए खाना बना रहा था। उसे ज्यादा भूख नहीं थी इसलिए कुछ वेजिटेबल्स के साथ उसने नूडल्स बनाने का सोचा। मोंटी सब्जिया काट ही रहा था कि डोरबेल बजी।
“इस वक्त कौन आया होगा ?”,सोचते हुए मोंटी ने अपना एप्रिन उतारा और दरवाजे की तरफ चला आया। मोंटी ने जैसे ही दरवाजा खोला सामने खड़ी माला को देखकर हैरान रह गया साथ ही उसे थोड़ा गुस्सा भी आया कि माला अब उस के घर तक चली आयी है। मोंटी ने जैसे ही दरवाजा बंद करना चाहा माला ने कहा,”दरवाजा बंद मत करना मोंटी , मुझे तुम से बात करनी है”
“माला मैं तुम्हे कैसे,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,मोंटी ने कहा लेकिन माला ने उसकी बात पूरी नहीं होने दी
“प्लीज मोंटी सिर्फ दो मिनिट उसके बाद मैं चली जाउंगी”,माला ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा
मोंटी ने दरवाजा खोल दिया और साइड हो गया। माला अंदर चली आयी उसने एक नजर घर को देखा और कहा,”रुचिका ?”
“वो बैंक में है”,मोंटी ने सहजता से कहा जबकि अंदर ही अंदर उसका दिल किसी अनहोनी के डर से धड़के जा रहा था।
माला मोंटी की तरफ पलटी और कहा,”मैं यहाँ तुम से माफ़ी मांगने आयी हूँ मोंटी”
मोंटी ने सूना तो उसे हैरानी हुई साथ ही उसकी बढ़ती धड़कने भी सामान्य हो गयी। वह ख़ामोशी से माला को देखता रहा। मोंटी को खामोश देखकर माला ने आगे बोलना शुरू किया,”हाँ मोंटी मैंने जो तुम्हारे और रुचिका के साथ किया उसके लिए मैं बहुत शर्मिन्दा हूँ और तुम दोनों से माफ़ी मांगने आयी हूँ। कल तुम्हारी बाते सुनने के बाद मुझे ये अहसास हुआ कि मैं चाहे कितनी भी कोशिश कर लू तुम्हे हासिल नहीं कर सकती। तुम्हारे लिए मेरा प्यार सिर्फ और सिर्फ मेरी जिद था ये अहसास कल तुमने मुझे दिलाया। तुम एक बहुत अच्छे इंसान हो मोंटी लेकिन मैंने हमेशा तुम्हारा दिल दुखाया। तुम मुझे माफ़ करोगे या नहीं मैं नहीं जानती लेकिन मैं सच में बहुत शर्मिंदा हूँ”
मोंटी अब भी खामोश था। माला ने एक गहरी साँस ली और अपने पर्स से लिफाफा निकालकर मोंटी की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”ये तुम्हारा रिजाइन लेटर है मिस्टर अरोरा ने इसे रिजेक्ट कर दिया है तुम फिर से अपना ऑफिस ज्वाइन कर सकते हो। आज शाम में मेरी फ्लाईट है और मैं हमेशा के लिए इस शहर से तुम्हारी जिंदगी से जा रही हूँ हो सके तो मुझे माफ़ कर देना”
माला की आँखों में पश्चाताप के आँसू मोंटी साफ देख पा रहा था। आज पहली बार उसे माला की बातों में सच्चाई नजर आयी। उसने लिफाफा लिया और उसे फाड़कर पास पड़े टेबल पर रखते हुए कहा,”मुझे इस नौकरी की जरूरत नहीं है माला , मिस्टर अरोरा ने अब तक सिर्फ अपने फायदे के लिए मुझे इस नौकरी पर रखा था मेरी काबिलियत देखकर नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,मैंने तुम्हे माफ़ किया जो हुआ उसे भूल जाओ और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो”
“तुम बहुत अच्छे इंसान हो मोंटी”,कहते हुए माला की आँखों में भरे आँसू उसके गालो पर लुढ़क आये। मोंटी को ये अच्छा नहीं लगा तो उसने पास पड़े बॉक्स से टिसू उठाकर माला के आँसू पोछते हुए कहा,”तुम्हारे आँसू अनमोल है इन्हे मुझ जैसे इंसान के लिए तो बिल्कुल मत बहाओ”
दरवाजे पर खड़ी रुचिका ने मोंटी और माला को एक बार फिर साथ देखा तो उसका दिल टूट गया

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संजना किरोड़ीवाल

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