Love You जिंदगी – 49
Love You Zindagi – 49
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
शीतल के जाने के बाद मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता , शर्मा जी के फ्लेट के सामने चली आयी और बेल बजा दी। मिसेज शर्मा घर में इस वक्त अकेली थी इसलिए दरवाजा भी उन्होंने ही खोला। मिसेज आहूजा को देखते ही मिसेज शर्मा की भँवे तन गयी उन्होंने जैसे ही दरवाजा वापस बंद करना चाहा मिसेज आहूजा ने उन्हें रोकते हुए कहा,”मिसेज शर्मा जरा सुनिए”
“क्यों मिसेज शर्मा अब आप फिर से यहाँ क्यों आयी है ? कल मेरी बहू के बारे में गलत बोलकर आपको चैन नहीं मिला क्या अब भी कुछ सुनाना बाकि रह गया है ?”,मिसेज शर्मा ने कहा
“उसके लिए मैं और मिसेज गुप्ता शर्मिन्दा है मिसेज शर्मा,,,,,,,,,,,,,,है ना मिसेज गुप्ता ?”,मिसेज आहूजा ने कहा लेकिन मिसेज गुप्ता तो हैरान थी क्योकि ऐसा कुछ करने तो वो दोनों यहाँ बिल्कुल नहीं आयी थी। मिसेज गुप्ता को चुप देखकर मिसेज आहूजा ने धीरे से उनके पैर पर अपना पैर मारा और दाँत पीसते हुए कहा,”है न मिसेज गुप्ता ?”
“हाँ हाँ,,,,,,,,,,,हाँ शर्मिंदा है”,मिसेज गुप्ता ने जल्दबाजी कहा
मिसेज शर्मा ने दोनों को घूरकर देखा तो मिसेज आहूजा ने अपने शब्दों में चाशनी लपेटते हुए कहा,”क्या मिसेज शर्मा अब इतनी छोटी सी बात के लिए इतना गुस्सा करेंगी क्या आप ?”
“ठीक है मैंने तुम दोनों को माफ़ किया लेकिन आईन्दा से ख्याल रखना”,मिसेज शर्मा ने कहा
“हम्म्म्म,,,,,,,,!”,मिसेज आहूजा ने कहा
मिसेज शर्मा ने दरवाजा बंद कर जैसे ही अंदर जाना चाहा मिसेज आहूजा ने मिसेज गुप्ता की तरफ इशारा किया तो मिसेज गुप्ता ने कहा,”अच्छा मिसेज शर्मा वो अपार्टमेंट की सारी लेडीज मिलकर अपना एक क्लब खोलने की बात कर रही है। आज दोपहर में उसी को लेकर मीटिंग है क्या आप उसमे आएँगी ?”
“क्लब ? ये क्या है ?”,मिसेज शर्मा ने पूछा
“अरे मिसेज शर्मा क्लब मतलब अपार्टमेंट के सभी फ्लेट्स में रहने वाली लेडीज का एक ग्रुप जिसके लिए अपार्टमेंट में ही एक ऑफिस बन जाएगा। उस क्लब में शामिल सभी लेडीज एक दूसरे की हेल्प करेगी , एडवाइज देगी , दिनभर हम घरो में पड़े पड़े बोर होते है तो वहा सब साथ बैठकर अच्छा वक्त ही बिता लेंगे और ये क्लब ना हमारी ऐज ग्रुप के लिए होगा”,मिसेज आहूजा ने अपने मन से एक कहानी बनाते हुए कहा
“अच्छा ऐसा तो मैं पहली बार सुन रही हूँ”,मिसेज शर्मा ने हैरानी से कहा
“हाँ मैं भी,,,,,,,,,,,,,,!”,मिसेज गुप्ता ने हताश होकर कहा क्योकि मिसेज आहूजा क्या कह रही थी उन्हें तो कुछ समझ नहीं आ रहा था और मिसेज आहूजा ने एक बार फिर उनके पैर पर अपना पैर मारा और मिसेज शर्मा से कहा,”अरे आप बस ज्वाइन कर लीजिये फिर देखिये कितना मजा आता है , वैसे भी चार लोगो के बीच रहेंगे तो कुछ अच्छा ही सीखने को मिलेगा वरना तो अपार्टमेंट की ओरतो को तो दुसरो के घर में ताका झांकी करने से ही फुर्सत नहीं है”
“मैं जरूर आती लेकिन शीतल अभी घर में नहीं है”,मिसेज शर्मा ने अपनी मज़बूरी बताई
“अरे तो कौनसा आपको बाहर जाना है यही अपार्टमेंट के लॉन एरिया में ही तो है मीटिंग , और तब तक शीतल भी आ जाएगी। आपको ये मौका गवाना नहीं चाहिए मिसेज शर्मा”,मिसेज आहूजा ने कहा तो मिसेज शर्मा सोच में पड़ गयी और कहा,”ठीक है मैं आ जाउंगी”
“ओके मिसेज शर्मा याद से 1 बजे आ जाईयेगा,,,,,,,,,,,,,,,चलिए मिसेज गुप्ता”,कहकर मिसेज आहूजा वहा से चली गयी।
मिसेज शर्मा ने भी दरवाजा बंद किया और अंदर चली गयी।
“ये आप मिसेज शर्मा से किस क्लब के बारे में बात कर रही थी ? ऐसा तो कुछ नहीं है अपार्टमेंट में”,मिसेज गुप्ता ने मिसेज आहूजा के साथ चलते हुए
“कोई क्लब वल्ब नहीं है वो तो मैंने उसे मिसेज शर्मा को झूठ बोलकर अपनी बातो में फंसाया है। पहले मैंने सोचा मिसेज शर्मा को डायमंड के नेकलेस की सच्चाई बता दू लेकिन उस से सिर्फ बात घर में ही रह जाएगी और मजा नहीं आएगा लेकिन ये क्लब के बहाने जब अपार्टमेंट की सारी ओरतो के सामने शीतल का सच आएगा तो कितना मजा आएगा। तब उसे पता चलेगा उसने किस से पंगा लिया है ?”,मिसेज आहूजा ने कहा
“मिसेज आहूजा मुझे लगता है ये सब ज्यादा हो जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,मिसेज शर्मा बहुत सीधी औरत है कही इन बातो की वजह से वो ज्यादा परेशान ना हो जाये और फिर अपार्टमेंट के लोगो के सामने शीतल का अपमान करना,,,,,,,,,,,,,,,मुझे ये ठीक नहीं लग रहा मिसेज आहूजा”,पहली बार मिसेज गुप्ता ने मिसेज आहूजा का साथ ना देते हुए कहा
“आप भूल गयी मिसेज गुप्ता उस शीतल ने हमारे साथ क्या किया था ? उसका बदला तो मैं उस से लेकर रहूंगी बहुत घमंड है ना उसे खुद पर आज मैं उसका ये घमंड चकनाचूर कर ही दूंगी। आपको साथ आना तो आईये वरना मैं चली”,मिसेज आहूजा ने कहा और आगे बढ़ गयी
“अरे मिसेज आहूजा,,,,,,,,,,,,,अरे सुनिए तो,,,,,,,,,,,,मैं भी आती हूँ”,आवाज देते हुए मिसेज गुप्ता भी उनके पीछे चल पड़ी।
बीकानेर , रुचिका का बैंक
रुचिका आज बैंक अकेले ही चली आयी और थोड़ा जल्दी भी। उसने मधु से साथ आने के लिए भी नहीं पूछा क्योकि पिछले दो दिन से उसके और मधु के बीच अनबन जो चल रही थी। अप्रैल का महीना चल रहा था और रुचिका को जल्द से जल्द ऑडिट का काम निपटाना था। वह आकर अपनी सीट पर बैठी और काम करने लगी। रुचिका के अलावा वहा बस दो-चार स्टाफ थे जिनसे रुचिका को कोई मतलब नहीं था। रुचिका बस लगातार अपना काम किये जा रही थी कि एकदम से उसकी आँखों के सामने वो पल आ गया जब उसने माला और मोंटी को साथ देखा था। रुचिका के हाथ रुक गए और चेहरे पर परेशानी के भाव झिलमिलाने लगे। उसने फाइल बंद की और उठकर वाशरूम चली आयी। शीशे के सामने आकर रुचिका ने दो तीन बार मुंह धोया। जैसे ही उसकी नजर शीशे में दिखाई दे रहे अपने अक्स पर पड़ी रुचिका को महसूस हुआ जैसे उसका अक्स उस से कुछ कह रहा है
“तू ये क्या कर रही है रुचिका तुझे मोंटी पर ऐसे आँख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए। अगर मोंटी सही होता तो वो तुम्हे ये जरूर बताता कि वो कल शाम माला से मिला था लेकिन उसने तुम से ये बात छुपाई क्योकि वो नहीं चाहता तुम इस बारे में ज्यादा सोचो,,,,,,,,,,,,,,,क्या तुमने ध्यान दिया इन दिनों मोंटी का प्यार और परवाह तुम्हारे लिए क्यों बढ़ गयी ? ताकि वो तुम्हारा ध्यान माला से हटा सके। जरा सोचो रुचिका मोंटी ने चित्रकूट जाने से मना क्यों किया ? क्योकि माला यहाँ है,,,,,,,,,,,,,,,,मोंटी बिजनेस की बाते कर रहा है इसका साफ मतलब है कि वो अब माला से हाथ मिलाना चाहता है और तुम,,,,,,,,,,,तुम आँख बंद करके बैठी रहो बस,,,,,,,,,,,,,,!”,शीशे में दिखाई पड़ रहे रुचिका के अक्स की आवाज रुचिका के कानो में पड़ी
“नहीं मोंटी ऐसा नहीं है,,,,,,,,,,,,,,वो मुझे धोखा नहीं दे सकता,,,,,,,,,,,,,,वो मुझसे बहुत प्यार करता है”,रुचिका खुद में बड़बड़ाई
“अगर इतना ही प्यार है तो फिर कल वो माला के साथ क्या कर रहा था ? माला के इतना करीब होने से तो यही साबित होता है रूचि कि मोंटी भी उसमे दिलचस्पी रखता है और उसे पसंद करता है।
मोंटी सिर्फ और सिर्फ तुम्हे धोखा दे रहा है रुचिका और कुछ नहीं,,,,,,,,,,,,,,!!”,अक्स ने एक बार फिर नफरत भरे शब्दों में कहा
“बस करो,,,,,,,,,,,,,,,,,मोंटी ऐसा नहीं है”,रुचिका ने अपने कानों पर हाथ रखकर काँपती आवाज में कहा
“हे रुचिका ! क्या हुआ तुम्हे ? तुम ठीक हो ना ? और यहाँ क्या कर रही हो ?”,मधु ने रुचिका के कंधे पर हाथ रखकर पूछा तो रुचिका की तंद्रा टूटी उसने देखा शीशे में अभी भी उसका अक्स नजर आ रहा था लेकिन सामान्य। वह पसीने से भीग चुकी थी और चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये। उसने चेहरे पर आये पसीने को पोछा और मधु की तरफ पलटकर कहा,”क क कुछ नहीं हुआ , मैं ठीक हूँ”
“हाँ पर तुम चिल्लाई क्यों ?”,मधु ने पूछा
“मुझे काम है मैं चलती हूँ”,रुचिका ने कहा और तेज कदमो से वहा से चली गयी
“जरूर रुचिका मुझसे कुछ छुपा रही है , मैंने आज से पहले उसे इतना परेशान नहीं देखा”,मधु बड़बड़ाई और रुचिका के पीछे चली आयी। बाथरूम से बाहर आकर मधु ने देखा रुचिका अपनी कुर्सी पर बैठी है। बैंक में भीड़ अब बढ़ने लगी थी इसलिए मधु ने रुचिका को परेशान करना सही नहीं समझा। लंच टाइम में रुचिका केंटीन में कोने में अकेले बैठी थी खाना उसके सामने रखा था लेकिन वह किसी सोच में डूबी हुई थी। मधु ने देखा तो वह अपना टिफिन लेकर रुचिका के सामने आ बैठी। मधु ख़ामोशी से रुचिका को देखते रही रुचिका बहुत गहरी सोच में डूबी थी इसलिए उसे ध्यान ही नहीं रहा की मधु पिछले पांच मिनिट से उसके सामने बैठी है।
“रुचिका,,,,,,,,,,!”,मधु ने धीरे से कहा तो रुचिका की तंद्रा टूटी
“तुम कब आयी ?”,रुचिका ने अपनी उदासी छुपाते हुए पूछा
“बस अभी आयी , आज तुम बैंक अकेले चले आयी मैं इंतजार कर रही थी फिर मोंटी से पूछा तो उसने कहा तुम निकल गयी हो। वैसे तुम्हे क्या हुआ है तुम काफी परेशान दिखाई दे रही हो ?”,मधु ने अपनापन जताते हुए कहा
“मुझे कुछ नहीं हुआ है मधु मैं ठीक हूँ”,कहते हुए रुचिका ने निवाला तोड़ा और जैसे ही मुंह की ओर बढ़ाया मधु ने कहा,”तुम झूठ बोल रही हो रुचिका”
मधु की बात सुनकर रुचिका का हाथ रुक गया ना तो वह उस निवाले को नीचे रख पाई और ना ही खा पायी। रुचिका बहुत ही नाजुक दिल लड़की है जो की किसी से कुछ छुपा नहीं सकती। उसने निवाला नीचे रख दिया और उसकी आँखों में आँसू भर आये। उसे ऐसे देखकर मधु ने पानी का ग्लास उसकी ओर बढ़ा दिया। रुचिका ने पानी पीया तो मधु ने ग्लास साइड में रखा और उसके हाथ को अपने हाथो में लेकर कहने लगी,”देखो रुचिका मैं जानती हूँ कि मेरी कुछ आदतों की वजह तुम मुझे पसंद नहीं करती लेकिन मैंने हमेशा तुम्हे अपना दोस्त माना है और हमेशा तुम्हारा अच्छा ही सोचा है इसलिए आज तुम्हे परेशान देखकर मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा। तुम चाहो तो अपनी परेशानी मुझसे बाँट सकती हो,,,,,,,,,,,,मुझ पर भरोसा कर सकती हो”
मधु की बात सुनकर रुचिका को थोड़ी हिम्मत मिली उसने मधु को सब बता दिया , मधु ख़ामोशी से रुचिका की बात सुनते रही उसे बुरा भी लग रहा था और मोंटी पर गुस्सा भी आ रहा था।
“मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मैं क्या करू ? क्या मुझे मोंटी से इस बारे में पूछना चाहिए ?”,रुचिका ने अपने आँसू पोछते हुए कहा
“हाँ पूछो ताकि वो फिर से कोई झूठ बोलकर तुम्हे उल्लू बना दे , रुचिका तुम समझती क्यों नहीं मोंटी बस तुम्हारे भोलेपन का फायदा उठा रहा है। तुम उस से प्यार करती हो उस पर भरोसा करती हो लेकिन वो इस भरोसे और प्यार की आड़ में तुम्हारी भावनाओ से खेल रहा है। मैने तो तुम से उसी दिन बोल दिया था कि मोंटी और उस लड़की के बीच कुछ है लेकिन तुमने ही मेरी बात नहीं सुनी”,मधु ने कहा
“तो मैं अब क्या करू ? मैं मोंटी को खोना नहीं चाहती मधु”,रुचिका ने आसभरी नजरो से मधु को देखते हुए कहा
“मोंटी तुम्हारा पति है रुचिका इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले एक बार तुम्हे खुद तसल्ली कर लेनी चाहिए”,मधु ने कहा
“मैं कुछ समझी नहीं”,रुचिका ने असमझ की स्तिथि में कहा
“अगर मोंटी तुम्हे सच में धोखा दे रहा है तो तुम्हारी गैर-मौजूदगी में वो उस लड़की से जरूर मिलेगा। तुम्हे मोंटी का पीछा करना चाहिए या फिर एक दिन वक्त से पहले घर जाकर देखना चाहिए और मोंटी को रंगे हाथ पकड़ना चाहिए”,मधु ने रुचिका के दिमाग में जहर भरते हुए कहा
रुचिका सोच में पड़ गयी रुचिका पर अपनी बातो का असर होते देखकर मधु ने उसके हाथ पर हाथ रखा और कहा,”तुम्हे ये करना ही होगा रुचिका , तुम ऐसे इंसान के साथ अपनी जिंदगी खराब मत करो जो तुम्हारे प्यार और भरोसे के लायक ही ना हो। तुम्हारी शादी को अभी 4 महीने हुए इतने कम वक्त में तुम्हारी मैरिड लाइफ का ये हाल है तो सोचो आगे तो तुम्हारी बहुत जिंदगी पड़ी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या तुम जिंदगीभर समझौता करना चाहती हो। तुम्हे जाकर मोंटी से बात करनी चाहिए”
मधु की बाते एकदम से रुचिका को सही लगने लगी। उसने अपने आँसू पोछे और हामी में गर्दन हिला दी। मधु के होंठो पर मुस्कान तैर गयी और उसने अपना टिफिन रुचिका के सामने करके कहा,”चलो साथ में खाना खाते है , मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ”
“थैंक्स मधु मुझे माफ़ करना मैंने तुम्हे गलत,,,,,,,,,,,,,,,!!”,रुचिका ने कहा लेकिन मधु ने उसे उसकी बात पूरी ही नहीं करने दी
और कहा,”अरे इट्स ओके रुचिका तुम मुझे अपना दोस्त मानो या ना मानो पर मैं तुम्हे अपना दोस्त मानती हूँ”
मधु की बात सुनकर रुचिका मुस्कुरा दी और खाना खाने लगी।
अवि का घर , चंडीगढ़
चौधरी साहब , सौंदर्या जी , अवि , नैना और निबेदिता विपिन जी और आराधना जी को बाहर तक छोड़ने चले आये
“थोड़े दिन और रुक जाते ना डेड”,नैना ने विपिन को साइड हग करते हुए कहा
“बेटा जी ये आपका ससुराल है , यहाँ ज्यादा दिन रुकते अच्छा नहीं लगता। मैं और आराधना जी तुमसे मिलने फिर आएंगे”,विपिन जी ने मुस्कुरा कर कहा
“हम्म्म्म लेकिन मुझे आपका ऐसे जाना अच्छा नहीं लग रहा”,नैना ने उदास होकर कहा
“नैना तुम्हारे डेड ने कहा ना हम दोनों फिर आएंगे”,आराधना ने नैना का सर सहलाते हुए कहा
“पापा चले फ्लाइट का टाइम हो रहा है”,अवि ने कहा तो विपिन जी और आराधना जी उनके साथ गाड़ी की तरफ बढ़ गए। निबेदिता के साथ खड़ी नैना बुझी आँखों से उन्हें देखते रही। उसका मन भारी होने लगा था और गले में चुभन का अहसास हुआ। नैना को लगा जैसे वह उन लोगो से फिर नहीं मिल पायेगी। गाड़ी की तरफ जाते हुए विपिन जी का मन भी भारी होने लगा वे रुके और पलटकर नैना की तरफ आये। उन्होंने नैना से कुछ नहीं कहा ना ही नैना ने उनसे कुछ कहा बस दोनों ख़ामोशी से एक दूसरे को देखते रहे। विपिन जी ने नैना के चेहरे को अपने हाथो में थामा और उसका ललाट अपने होंठो से छूकर कहा,”अपना ख्याल रखना बेटा”
नैना की आँखों में आँसू भर आये लेकिन उसने उन्हें आँखों में ही रोक लिया और अपने पंजो के बल ऊपर उठकर विपिन जी के बालों को सही करते हुए कहा,”आप और मॉम भी अपना ख्याल रखना और मुझे ज्यादा मिस मत करना”
“हम्म्म,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा भाईसाहब , अच्छा बहन जी हम लोग चलते है आप सब से मिलकर अच्छा लगा”,विपिन जी ने अपने हाथ जोड़ते हुए चौधरी साहब से कहा तो उन्होंने विपिन जी के हाथो को थामा और कहा,”हमे भी आपसे मिलकर बहुत ख़ुशी हुई , जल्दी वापस आईयेगा”
अवि और आराधना तब तक गाड़ी में बैठ चुके थे। विपिन जी भी अवि के बगल में जा बैठे और फिर गाड़ी वहा से चली गयी। नैना उदास आँखों से गाड़ी को देखते रही चौधरी साहब ने देखा तो नैना के कंधो पर अपनी बाँह रखी। पिता का अहसास पाकर नैना ने अपना सर उनके सीने से लगा लिया।
Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49Love You Zindagi – 49
क्रमश – Love You Zindagi – 50
Read More – Love You जिंदगी – 48
Follow Me On – instagram | facebook | youtube
संजना किरोड़ीवाल
Sabke life ke l lage padhe hai abhi nena ko kese batayega ki use censar hai
आप वापस आ गई शादी से संजना अच्छा लगा, क्योंकि हमारी स्टोरी आ गई😊😊 लगता है मिसेस अहूजा की बैंड बजने वाली है, क्योंकि शीतल अब पहले वाली शीतल नहीं है ना…रूचिका मधू की बातों में आकर अपनी मैरिड लाइफ बर्बाद कर रही है…अक्ल दें उसको…नैना के पैरेंटस चले…बस वो अपनी तबीयत खराब ना कर ले…
Very nice
Bhut der kardi aapne isbaar,part was awesome 👍👍
Madhu phir ruchika k dimag me jahar bhar rhi h
Ruchika ko Apne Dil ki BAAT share krne k Liye yh Madhu hi mili thi
Nice story
Sheetal ne pakka kuch plan Kiya h in auntiyo k liye… apne parents se dur hona bahut mushkil h har beti k liye…ye madhu ne zahar bhar diya Ruchi k dimaag m…naina sahi kehti h panda dimaag use kiya kr