Love You जिंदगी – 42
Love You Zindagi – 42
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
शीतल और मिसेज शर्मा चुपचाप अपना खाना खा रही थी सोने पर सुहागा ये की दोनों आमने सामने ही बैठी थी। चारो खाना खाने लगे बस शर्मा जी और सार्थक ही कुछ न कुछ बातें किये जा रहे थे। खाना खाने के बाद मिसेज शर्मा उठी और वहा से चली गयी। सार्थक फोन आने की वजह से उठकर चला गया। शीतल सभी जूठे बर्तन उठाने लगी तो शर्मा जी भी बचे हुए खाने के बर्तन उठाने लगे।
शीतल ने उन्हें ये सब करते देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा और उसने कहा,”पापा ये सब मैं कर लुंगी आप रहने दीजिये”
“अरे कोई बात नहीं बेटा मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ , वैसे आज का खाना कैसा था ?”,शर्मा जी ने शीतल के साथ साथ किचन में आते हुए पूछा
“बहुत अच्छा था पापा , सॉरी आज मेरी वजह से आपको खाना,,,,,,,,,,,,,,,,मैं सच में शर्मिंदा हूँ पापा”,शीतल ने सर झुकाते हुए कहा
शर्मा जी ने सूना तो शीतल के सर पर प्यार से हाथ रखकर कहा,”तुम्हे अपनी गलती का अहसास हो गया , ये काफी है बेटा”
शीतल ने सुना उसके मन को तसल्ली मिली,,,,,,,,,,,,,,,,,,!
शीतल और मिस्टर शर्मा किचन में थे। मिसेज शर्मा से हुए झगडे के कारण शीतल और मिसेज शर्मा दोनों ने ही रात का खाना नहीं बनाया। शीतल को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने शर्मा जी से माफ़ी मांगी। शर्मा जी ने भी दिल बड़ा रखते हुए शीतल को माफ़ कर दिया। वे किचन में खड़े होकर शीतल की मदद करने लगे।
“आपके हाथो में साक्षात् अनपूर्णा है पापा”,शीतल ने बर्तन धोते हुए कहा
“हाँ तुम्हारी सास भी यही कहती है , वैसे देखा जाये घर के मर्दो का कभी कभी हाथ बटाना बुरा नहीं होता है,,,,,,,,,,,,,!!”,शर्मा जी ने कहा तो शीतल हल्का सा मुस्कुरा उठी।
“घर मर्द और औरत दोनों के कंधो पर चलता है बेटा एक झुके तो दूसरे को तकलीफ होती है लेकिन अगर दूसरा भी थोड़ा झुक जाये तो पहले वाले को आसानी हो जाती है। मर्द घर से बाहर की जिम्मेदारियां निभाते है तो औरत घर के अंदर की और दोनों का ही अपना अपना महत्व भी है। जैसे एक जगह में दो बर्तन होंगे तो वो कभी न कभी टकराएंगे ही वैसे ही एक ही घर में रहने वाले दो लोगो का स्वाभाव भी एक जैसा नहीं होता है।”,शर्मा जी ने गंभीरता से कहा
“आप माँ और मेरे बारे में बात कर रहे है ?”,शीतल ने शर्मा जी की तरफ देखकर पूछा
शर्मा जी ने एक नजर शीतल को देखा और फिर ठेले से सब्जिया निकालकर टोकरे में रखते हुए कहने लगे,”हाँ , मैं पिछले 15 सालो से इस अपार्टमेंट में रह रहा हूँ ये अपार्टमेंट मेरे लिए घर जैसा ही है बेटा पर यहाँ रहने वाले लोग परिवार जैसे नहीं है। मैंने हमेशा देखा कि यहाँ रहने वाले लोग दुसरो के दुःख और तकलीफ में ज्यादा खुश रहते है , वे कुछ लोग दुसरो के घर में आग लगाने का एक मौका नहीं छोड़ते है।
सार्थक की मम्मी ऐसी बिल्कुल नहीं है जरूर किसी ने उसे कुछ उलटा सीधा कहा होगा। मैं ये भी नहीं कह रहा कि तुम गलत हो लेकिन अगर माफ़ी मांगने से कोई रिश्ता सुधरे तो उसे सुधार लेना चाहिए बेटा,,,,,,,,,,,,,,इस घर को तुम्हारी और सार्थक की मम्मी दोनों की जरूरत है। एक छोटा सा सॉरी बोलने से इंसान छोटा नहीं हो जाता बल्कि कभी कभार चीजों को पहले जैसा करने के लिए भी ये किया जा सकता है”
“आप ठीक कह रहे है पापा,,,,,,,,,,,,,,माँ को कोई ग़लतफ़हमी हुई थी और मैंने उसे दूर करने के बजाय उसे बढ़ावा ही दिया। मैं कल सुबह उन से माफ़ी माँग लुंगी”,शीतल ने कहा
“तुम बहुत अच्छी और समझदार लड़की हो शीतल , माफ़ी मांगना लेकिन अपने आत्मसम्मान को कभी कम मत करना”,शर्मा जी ने शीतल के सर पर हाथ रखकर बड़े प्यार से कहा
“आप दोनों के बीच आज इतनी क्या बातें हो रही है ?”,सार्थक ने किचन में आते हुए कहा
“ये बाप-बेटी के बीच का मामला है,,,,,,,,,,,,,क्यों शीतल ?”,शर्मा जी ने शीतल को देखकर पूछा तो शीतल मुस्कुरा दी। शर्मा जी सार्थक और शीतल को वही छोड़कर चले गए। सार्थक शीतल की तरफ देखकर मुस्कुराया तो शीतल ने मुंह बनाया और वापस बर्तन धोने लगी।
“अरे अब मैंने क्या किया ?”,सार्थक ने शीतल के पास आकर कहा
“तुम मेरी और मम्मी की सुलह करवा सकते थे न ?”,शीतल ने पलटकर सार्थक से कहा
“हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,और मैं तब से क्या कर रहा हूँ वही तो कर रहा हूँ लेकिन तुम और मम्मी दोनों ही मेरी बात सुनने को तैयार नहीं तो मैं क्या कर सकता हूँ ?”,सार्थक ने बच्चो की तरह मायूस होकर कहा क्योकि आज से पहले उसके सामने ऐसी स्तिथि तो कभी नहीं आयी थी
“कुछ नहीं करना मैं जाकर कल मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता को सॉरी बोल दूंगी”,शीतल ने एक बार फिर पलटकर बर्तन धोते हुए कहा
“सच में ? लेकिन तुमने तो कुछ किया भी नहीं है शीतल , मम्मी को ही गलतफहमी है,,,,,,,,,,,,,!!”,सार्थक ने कहा
“इसलिए तो ताकि उनकी गलतफहमी दूर हो जाये उसके बाद मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता को कैसे लाइन पर लाना है ये तुम मुझ पर छोड़ दो”,शीतल ने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा
“ये तुम एकदम से नैना की तरह क्यों बात करने लगी ?”,सार्थक ने थोड़ा हैरानी से पूछा
“सार्थक हर लड़की में नैना होती है बस जरूरत है उसे सही वक्त पर बाहर निकालने की , अगर मैंने भी मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता को आईना नहीं दिखाया ना तो मेरा नाम भी शीतल मिश्रा नहीं”,शीतल ने विश्वास भरे स्वर में कहा
“ओह्ह्ह हेलो अब तुम शीतल सार्थक शर्मा हो”,सार्थक ने शीतल को घूरते हुए कहा
“ठीक है शीतल सार्थक शर्मा,,,,,,,,,,,,,,,,अब तुम मेरी हेल्प करोगे या बहस ?”,शीतल ने भी सार्थक को घूरकर देखते हुए कहा
“बहस से अच्छा है हेल्प ही कर देता हूँ”,कहकर सार्थक धुले हुए बर्तन उठाकर रखने लगा।
बीकानेर , मोंटी का घर
रुचिका को आज बैंक जाना था इसलिए उसने जल्दी उठकर घर के सारे काम खत्म किये और नहाने चली गयी। रुचिका नहाकर आयी बाल गीले थे इसलिए उन्हें ड्रायर से सुखाने लगी। ड्रायर की आवाज से मोंटी की नींद टूटी उसने अधखुली आँखों से रुचिका को देखा और कहा,”तुम इतनी जल्दी क्यों उठ गयी ?”
“जल्दी नहीं है मोंटी 9 बज रहे है और मुझे बैंक भी जाना है। तुम भी उठ जाना मैंने तुम्हारे लिए नाश्ता बना दिया है और लंच तुम बाहर से मंगवा लेना प्लीज। शाम में जल्दी घर आ जाउंगी फिर हम मार्ट चलेंगे कुछ जरुरी सामान लेना है”,रुचिका ने तैयार होते हुए कहा
“लंच मैं खुद बना लूंगा वैसे भी मुझे ऑफिस तो जाना नहीं है”,मोंटी ने उठकर बैठते हुए कहा
“हां सिर्फ आज की बात है कल से मैं सब करके जाउंगी तुम्हे प्रॉब्लम नहीं होगी”,रुचिका ने अपना बैग उठाकर उसमे सामान रखते हुए कहा
“क्या मैं तुम्हे बैंक तक छोड़ दू”,मोंटी ने पूछा
“नहीं तुम्हे परेशान होने की जरूरत नहीं है मोंटी , मधु और मैं साथ ही जा रहे है उसकी स्कूटी से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,रुचिका ने मोंटी के पास आकर कहा
“ओके अपना ख्याल रखना”,मोंटी ने कहा
“हाँ और तुम भी अपना ख्याल रखना , नाश्ता वक्त से कर लेना और ज्यादा सोचना मत,,,,,,,,,,,,,,एक काम करना आज तुम फ्री हो तो अपनी फेवरेट सीरीज देखना फिर शाम में हम साथ में मार्ट चलेंगे,,,,,,,,,,,,,ओके ?”,रुचिका ने मोंटी के गाल को छूकर कहा
“हम्म्म ओके मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा,,,,,,,,,,,और नए जॉब के लिए अप्लाई भी करूंगा”,मोंटी ने मुस्कुरा कर कहा
“अच्छा मुझे देर हो रही है बाय,,,,,,,,!!”,रुचिका ने कहा और दरवाजे की तरफ बढ़ गयी। मोंटी उसे दरवाजे तक छोड़ने आया और हाथ हिलाकर बाय बोलकर दरवाजा वापस बंद कर दिया।
मोंटी ने मुंह धोया , ब्रश किया और किचन एरिया में चला आया जहा रुचिका ने उसके लिए नाश्ता बनाकर रखा था। मोंटी ने अपने लिए कॉफी बनायीं और नाश्ते के साथ लेकर बालकनी में चला आया। मोंटी बालकनी में खड़े होकर कॉफी पीते हुए नाश्ता करने लगा। मोंटी अंदर ही अंदर काफी उदास और हताश महसूस कर रहा था। उसकी नौकरी जा चुकी थी , उसे जो लॉन लेना था वो भी पास नहीं हुआ , जिस फ्लेट में मोंटी रह रहा था उसकी भी कुछ किश्ते अभी बाकी थी। मोंटी देर तक इन सबके बारे में सोचता रहा और फिर नाश्ता खत्म करके अंदर से अपना लेपटॉप ले आया। सुबह का वक्त था और ठंडी सुहावनी हवाएं चल रही थी मोंटी वही बालकनी में बैठकर अपना काम करने लगा। उसने एक दो जगह जॉब के बारे में देखा और फिर थककर लेपटॉप बंद कर दिया।
अवि का घर , चंडीगढ़
सुबह के 6 बज रहे थे। अवि बस ट्राउजर पहने अपने बिस्तर पर पेट के बल सोया हुआ था जिस से उसकी पीठ के उभार और मसल्स साफ दिखाई दे रहे थे। इन दिनों उसने अपने बाल छोटे रखे थे इसलिए वो अब माथे पर कम ही आते थे हाँ हलकी दाढ़ी बढ़ चुकी थी।
नैना शीशे के सामने खड़ी थी और अपने दोनों हाथो से पीठ की चैन बंद करने की नाकाम कोशिश कर रही थी। आज नैना ने लाल रंग का अनारकली सूट पहना था , साथ में चूड़ीदार , बालों को सीधी मांग निकालकर खुला छोड़ रखा था और सीधी मांग में भरा था लाल रंग का सिंदूर , आँखों में गहरा काजल , होंठो पर लाल रंग की लिपस्टिक , नाक में सफ़ेद नगीना , ललाट पर छोटी काली बिंदी , कानो में सोने के झुमके , हाथो में लाल रंग की चुडिया और गले में अवि के नाम का मंगलसूत्र जो की इधर उधर झूल रहा था। नैना आज इस नए अवतार में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। वह अब भी कुर्ते की चैन बंद करने की कोशिश कर रही थी। चूडियो की खन खन और नैना के खटपट करने से अवि की नींद खुली वह आँखे मसलते हुए उठा और अंगड़ाई लेकर खड़ा हो गया। उसने जैसे ही नैना को देखा देखते ही रह गया और लड़खड़ाया लेकिन खुद को गिरने से बचा लिया। नैना और इस अवतार में देखकर अवि के तो होश ही उड़ गए। वह नैना की तरफ आया तो नैना पलट गयी और कहा,”गुड मॉर्निंग”
“अह्हह्ह्ह्ह गुड मॉर्निंग,,,,,,,,,,,,,,तुम कही जा रही हो क्या ? कही तुम अपने पापा के साथ लखनऊ जाने का तो नहीं सोच रही ? नैना तुम ऐसे एकदम से डिसीजन नहीं ले सकती यार तुम्हे मुझे बताना चाहिए था,,,,,,,,,,,,,,,,,हम बैठकर बात करते ना इस बारे में , इसलिए तुम आज इतनी जल्दी उठकर तैयार हो गयी है ना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नैना मत जाओ ना यार आई प्रॉमिस मैं तुम्हे कुछ नहीं कहूंगा , इन्फेक्ट मैं तुम्हे परेशान भी नहीं करूंगा,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारी हर बात मानूंगा लेकिन अभी के लिए मत जाओ प्लीज,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम समझो मुझे आदत है तुम्हारी , मैं अकेला क्या करूंगा तुम्हारे बिना ?”,अवि ने बच्चो के जैसे जिद करते हुए कहा।
नैना हैरानी से बस अवि को देखे जा रही थी उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था अवि क्या कह रहा है। उसने अवि को रोकते हुए कहा,”वेट वेट वेट मैं कही नहीं जा रही हूँ”
“तो फिर ये सब ?”,अवि ने असमझ की स्तिथि में कहा
“अह्ह्ह ये , वो कल रात मॉम ने कहा कि यहाँ कोई बड़ा मंदिर है तो सब वही जाने वाले है इसलिए मुझे थोड़ा अच्छे से तैयार होने को कहा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन ये जिप,,,,,,,,,,!!”,नैना ने खीजते हुए एक बार फिर अपने हाथो को पीछे किया और बंद करने लगी लेकिन ढाक के वही तीन पात उस से नहीं हो पाया। अवि ने देखा तो उसके कंधो को पकड़कर उसे घुमाया और उसकी पीठ अपनी तरफ करके सूट की चैन बंद करने लगा। नैना अवि को आज के प्लान के बारे में बताने लगी लेकिन अवि की नजर तो सामने शीशे में नजर आ रही नैना पर थी जो कि इस ड्रेस में आज कुछ ज्यादा ही प्यारी लग रही थी। सूट की चैन बंद करते हुए अवि को शरारत सूझी और उसने अपनी उंगलिया नैना की पीठ से छुआ दी। एक सिहरन सी नैना के पुरे शरीर में दौड़ गयी और वह बोलते बोलते एकदम से चुप हो गयी। अवि की नजरे अभी भी शीशे पर ही थी नैना ने जैसे ही सामने देखा उसकी नजरे अवि की नजरो से जा मिली और दोनों के दिल धड़क उठे। अवि की आँखों में आकर्षण देखकर नैना ने वहा से जाना ही ठीक समझा वह जैसे ही जाने लगी अवि ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और अपनी तरफ खींचकर बांहो में भरते हुए कहा,”क्या तुम ऐसे ही बाहर जाने वाली हो ?”
“पडोसी तुम्हारे इरादे मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहे”,नैना ने धीमे स्वर में कहा
“अब सुबह सुबह तुम मेरे सामने ऐसे आओगी तो मेरा बहकना लाजमी है ना नैना,,,,,,,,,,,!”,अवि ने शरारत से नैना की आँखों में झांकते हुए कहा
“मुझे नींचे जाना चाहिए , मॉम ने कहा आज का प्रशाद मुझे ही बनाना होगा”,नैना अवि की बांहो में मचलते हुए कहा लेकिन खुद को छुड़ा नहीं पायी
“चले जाना पहले मैं एक इम्पोर्टेन्ट काम तो कर लू”,अवि ने नैना की आँखों में झांकते हुए कहा
“क क क्या ?”,नैना ने घबराये हुए स्वर में पूछा
“वही जिसकी इस वक्त मुझे जरूरत है,,,,,,,,,,!!”,अवि ने अपने हाथो को नैना की पीठ पर ले जाते हुए कहा
“पडोसी ये सब सही नहीं है,,,,,,,,,,,!”,नैना ने अपना चेहरा पीछे करते हुए कहा
“तुम्हारे और मेरे बीच गलत क्या है नैना ? हम्म्म्म”,अवि ने अपने होंठो को नैना के होंठो के पास लाकर धीमी आवाज में कहा जिसे सुनकर नैना की धड़कने और बढ़ गयी। वह अपनी साँस रोके खड़ी थी , अवि के करीब आने से उसने अपनी मुट्ठियों को कस लिया , सुबह सुबह अवि की गर्म सांसो को नैना अपने चेहरे पर साफ महसूस कर सकती थी। अवि को अपने इतना करीब पाकर नैना ने धीरे से अपनी आँखे बंद कर ली। अगले ही पल अवि ने उसे अपने करीब किया जिस से नैना उसके गले आ लगी। अवि ने अपनी ठुड्डी नैना के कंधे पर रखी और उसके सूट की जिप बंद करते हुए कहा,”मैं इस जिप की बात कर रहा था , जो मेरा है वो बाकि सब क्यों देखे ?”
नैना ने सूना तो हक्की बक्की रह गयी। अवि उस दूर हटा और वापस बिस्तर की तरफ चला गया। नैना ने देखा और अपने माथे पर आये बालों को होंठो से फूंक मारकर ऊपर उड़ा दिया।
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क्रमश – Love You Zindagi – 43
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संजना किरोड़ीवाल
Naghty avi,naina ko pareshan kr diya
Avi naughty h bechari Naina kya soch liya usne
Bs monti ko koi achi job mil jaaye .avi aur Naina ek doosre k Liye bilkul perfect h
वाह शीतल का नैना अवतार देखने लायक होगा…मोंटी को नौकरी मिलने से रही…माला तो तहलका मचा देगी उसकी लाइफ में…नैना तो आज बवाल लग रही है…
osm bindas jakas
Nice story
Very beautiful
Beautiful part… sheetal ka awatar naina jaise hi gya sarthak ko to shok lagse… bechare avi ko mrng m jhatka laga Naina ko aise dekh k