Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 35

Love You Zindagi – 35

Love You Zindagi - Season 2
Love You Zindagi – Season 2

नैना तैयार होकर 10 मिनिट से पहले ही नीचे चली आयी। उसने सफ़ेद रंग का प्लाजो और उस पर हल्का गुलाबी टॉप पहना था। बालो में अभी ड्रायर किया था इसलिए खुला ही छोड़ दिया। मेकअप के नाम पर बस मांग में हल्का सा सिंदूर,,,,,,,,,,,,,,!!
नैना अपने हाथ में स्मार्ट वाच पहनते हुए नीचे आयी देखा अवि नाश्ते की टेबल पर बैठा था नैना ने आकर उसके बगल वाली कुर्सी पर बैठते हुए कहा,”मैंने कभी सोचा नहीं था तुम मुझे ऐसे टॉर्चर करोगे ?”
“इतनी जल्दी आ गयी तुम ठीक से नहायी ना ?”,अवि ने नाश्ता करते हुए कहा तो नैना ने उसे घुरा और फिर बटर लगाने वाले चाकू को उठाकर अवि को दिखाकर आँखों ही आँखों में उसे चेतावनी देनी चाही जिसे अवि ने तिरछी नजरो से देख लिया और उसके हाथ से चाकू लेकर नीचे रखते हुए कहा,”चुपचाप नाश्ता करो”
नैना ने अवि को घूरकर देखा और फिर खाते हुए कहा,”वैसे हम लोग इतनी सुबह सुबह कहा जा रहे है ?”
“मैने तुमसे कहा था एक सरप्राइज है , बस उसी के लिए”,अवि ने बिना किसी भाव के कहा
“पर तुम्हारी शक्ल देखकर तो लग रहा है ये सरप्राइज नहीं बल्कि मेरे लिए शॉक होगा”,नैना ने चम्मच को प्लेट में घुमाते हुए कहा
“मेरी शक्ल पर मत जाओ और नाश्ता करो”,अवि ने इस बार नैना को घूरकर देखते हुए कहा तो नैना चुपचाप नाश्ता करने लगी लेकिन मन ही मन अवि को कितना कुछ सूना भी दिया।

बीकानेर , मोंटी का फ्लेट
देर रात घर लौटे मोंटी और रुचिका अपने कमरे में गहरी नींद में सो रहे थे। रुचिका ने पुरे बेड पर कब्जा जमाया हुआ था और बेचारा मोंटी बिस्तर के एक कोने पर था। इस ट्रिप के बाद दोनों काफी थक चुके थे। दुधवाला बाहर दूध रख के जा चुका था लेकिन इन दोनों को होश नहीं था। कुछ देर बाद मोंटी का फोन बजा उसने नींद में अपना हाथ इधर उधर टटोला और फोन उठाकर कान से लगाकर कहा,”हेलो कौन बोल रहा है ?”
“मानव मैं बोल रहा हूँ तुम्हारा बॉस , ये कोई सोने का वक्त है क्या ? मैं कल शाम से तुम्हे कॉल लगाने की कोशिश कर रहा हूँ तुम मेरा फोन क्यों नहीं उठा रहे ?”,मोंटी के बॉस ने चिल्लाकर कहा
“वो मैं कल रात ही वापस आया हूँ और इस वक्त मैं ऑफिस आने की कंडीशन में बिल्कुल नहीं हूँ,,,,,,,,,,,,,,मुझे आज की छुट्टी दे दीजिये”,मोंटी ने बिस्तर पर पड़े पड़े कहा
“आज की क्यों तुम चाहो तो मैंने तुम्हारी हमेशा हमेशा के लिए छुट्टी कर देता हूँ ,,,,,,,,,,,,,,, तुमने आखिर इस ऑफिस को समझ क्या रखा है ? तुम्हारा जब मन करेगा आओगे जब मन करेगा नहीं,,,,,,,,,,,,,,,ये मेरा ऑफिस है कोई धर्मशाला नहीं”,बोस ने बिफरते हुए कहा लेकिन मोंटी के कान में जूं तक नहीं रेंगी और उसने उसी हालत में पड़े पड़े कहा,”बॉस मैं अपना काम पूरा करके ही तो गया था अब ऐसा क्या हो गया जो आप इतना गुस्से में है”
“गुस्से में ना रहू तो और क्या करू ? एक डील फिक्स की थी मैंने मिस माला के साथ लेकिन तुम्हारी वजह से वो भी हाथ से चली गयी”,बॉस ने गुस्से में कहा
माला का नाम सुनते ही मोंटी की नींद उड़ गयी और वह उठ गया उसने देखा रूचि सो रही है उसे डिस्टर्ब ना हो सोचकर वह कमरे से बाहर चला आया और फोन कान से लगाकर कहा,”डील केंसल हो गयी पर क्यों ?”
“तुम अभी के अभी आकर ऑफिस में मुझसे मिलो वरना कल अपना रिजाईन लेटर ले जाना,,,,,,,,,,,,,,!!”,बॉस ने कहा और फोन काट दिया
मोंटी का सर घूमने लगा जिस डील के लिए मोंटी ने इतनी मेहनत की थी वो एकदम से केंसल हो गयी और वजह थी माला। मोंटी ने फोन नीचे किया और सोच में डूब गया तभी रुचिका ने कमरे से आते हुए कहा,”सुबह सुबह किस से बात कर रहे हो तुम ? दूर के बाहर दूध रखा होगा लेकर आओ ना प्लीज”
“हम्म्म अभी लाता हूँ”,मोंटी ने कहा और दरवाजे की ओर चला गया रुचिका ने मुंह धोया , और ब्रश पर पेस्ट रखकर अपने दाँत साफ करने लगी। मोंटी टेंशन से भरा दूध का पैकेट लेकर आया और उसे किचन प्लेटफॉर्म पर रख दिया।
“गोआ वाली ट्रिप कितनी मस्त रही ना मोंटी,,,,,,,,,,,,,सब से मिलने का मौका मिला और मैंने नैना शीतल के साथ मिलकर खूब इंजॉय भी किया”,रुचिका ने ब्रश करते हुए कहा लेकिन मोंटी का ध्यान कही ओर था उसने रुचिका की बात पर ध्यान ही नहीं दिया। वह बस डील के बारे में सोच रहा था।
“क्या हुआ सुबह सुबह तुम किस सोच में पड़े हो ? ओह्ह्ह शायद तुम ट्रिप के खर्चे के बारे में सोच रहे हो डोंट वरी अवि ने मना किया है तो क्या हम नैना को दे देंगे,,,,,,,,,,,,,,,,पर अवि को पता चला तो उसे अच्छा नहीं लगेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,मोंटी मैं तुम से बात कर रही हूँ , क्या हुआ है तुम्हे ?”,रुचिका ने ब्रश करते हुए मोंटी के सामने आकर कहा
“मुझे ऑफिस जाना होगा”,मोंटी ने हताश होकर कहा
“हाँ तो चले जाओ इसमें इतना अपसेट होने की क्या बात है ? वैसे भी हॉलिडे खत्म हो चुका अब हमे
तो अब हमे अपने अपने काम पर लौट जाना चाहिए।”
“बॉस ने ऑफिस काम करने के लिए नहीं बल्कि रिजाइन देने के लिए बुलाया है”,मोंटी ने खीजते हुए कहा
“रिजाइन देने के लिए ? लेकिन क्यों ? ये ट्रिप तो वीकेंड लिव पर थी ना फिर एकदम से तुम्हारे बॉस को क्या हुआ है ?”,रुचिका ने हैरानी से कहा
“ट्रिप जाने से पहले जो डील मैंने फिक्स करवाई थी वो डील अब केंसल हो चुकी है और बॉस बहुत गुस्से में है,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने हताश होकर कहा
“मैं कुछ समझी नहीं डील का हमारे ट्रिप से क्या कनेक्शन है ?”,रुचिका ने ब्रश धोते हुए कहा
“जो डील मैंने फिक्स करवाई थी वो डील माला के साथ थी,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने धीमी आवाज में कहा क्योकि उसे अभी भी डर था कही रुचिका माला के नाम पर भड़क ना जाये और वही हुआ जैसे ही रुचिका ने माला का नाम सूना कुल्ला कर मोंटी की तरफ आते हुए कहा,”ओह्ह तो ये सब उसका किया धरा है गोआ में तुम पर अपना जादू नहीं चला पायी तो यहाँ आकर डील केंसल कर दी और तुम्हारा बॉस तुम पर भड़क रहा है। तुम अपने बॉस को बताओ ना उनकी माला जी का सच उन्हें भी तो पता चले,,,,,,,,,,,,,!”
“माला का इसमें कोई रोल नहीं है रूचि वो डील मेरे हाथ में थी अगर वो केंसल हुई है तो जायज सी बात हैं कि मुझसे कही कोई गलती हुई है जिसकी वजह से ये केंसल हो रही है,,,,,,,,,,,,,,,,,,इस बारे में हम बाद में बात करेंगे अभी मैं नहाने जा रहा हूँ , क्या तुम मेरे लिए एक कॉफी बना दोगी ?”,मोंटी ने सहजता से कहा
“हाँ साथ में कुछ खाओगे ?”,रुचिका ने किचन की तरफ जाते हुए पूछ लिया
“नहीं बस कॉफी,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहते हुए मोंटी वहा से चला गया और जाते जाते खुद में बड़बड़ाया,”खाने के लिए ही तो बॉस ने इन्वाइट किया है”
रुचिका किचन में आकर मोंटी और अपने लिए कॉफी बनाने लगी साथ ही मोंटी पर आयी इस नयी मुसीबत से निकलने के लिए मन ही मन दुआ करने लगी


दिल्ली , आशीर्वाद अपार्टमेंट
रात 10 बजे शीतल और मोंटी आशीर्वाद अपार्टमेंट पहुंचे। दोनों गाड़ी से नीचे उतर गए सार्थक ने सामान उतारा और फिर शीतल की तरफ देखकर कहा,”चले ?”
शीतल सार्थक के पास आयी और उसकी बाँह थामकर मुस्कुराते हुए हामी में सर हिला दिया। दोनों आगे बढ़ गए। दिल्ली आने से पहले ही सार्थक और शीतल के बीच जो भी गलतफहमी थी सब क्लियर हो गयी साथ ही दोनों ने एक दूसरे से वादा भी किया कि अब कैसी भी सिचुएशन आये दोनों साथ रहेंगे और एक दूसरे का साथ देंगे। शीतल को जहा सार्थक पर भरोसा कम था वही सार्थक राज को लेकर इनसिक्योर था। दोनों फ्लाइट में साथ थे अकेले थे इसलिए दोनों ने ही अपनी अपनी समस्या पर खुलकर बात की और आखिर में एक अच्छे नतीजे पर पहुंचे।
“सार्थक भाई शीतल भाभी कब से आप दोनों का इंतजार कर रहा था यार”,शुभ ने सार्थक और शीतल की तरफ आते हुए कहा
“अरे शुभ क्या हुआ ? बड़ा खुश नजर आ रहा है”,सार्थक ने कहा
“ख़ुशी की तो बात है ना सार्थक भाई , तुम्हारे भाई की जॉब लग गयी है अब मैं भी तुम्हारी तरह रोज ऑफिस जाऊंगा वेल्ला नहीं रहूंगा,,,,,,,,,,लो मिठाई खाओ , भाभी आप भी लो ना”,शुभ मिठाई का डिब्बा उन दोनों के सामने करते हुए कहा
“कॉन्ग्रैचुलेशन शुभ”,शीतल ने एक पीस उठाते हुए कहा
“बधाई हो मेरे भाई , लो पहले तुम ही मुंह मीठा करो”,कहते हुए सार्थक ने मिठाई का टुकड़ा शुभ को खिलाया और बाकि बचा खुद खा लिया।
“सिर्फ बधाई देने से काम नहीं चलेगा , जब मेरी फर्स्ट सैलरी आएगी तब मैं तुम दोनों को पार्टी दूंगा”,शुभ ने खुश होकर कहा
“अच्छा वैसे तुझे ये जॉब मिली कैसे ? मतलब तू तो कह रहा था ये एक बड़ी कम्पनी है और वहा बिना सिफारिश काम नहीं होता”,सार्थक ने एक पीस और उठाते हुए कहा
“शुभ को जॉब उसकी मेहनत से मिली है वरना कुछ लोग तो ऐसे है जो बीवी की सिफारिश पर नौकरी पाते है”,शुभ की मम्मी मिसेज गुप्ता ने कहा तो सार्थक का हाथ रुक गया क्योकि उसे जो नौकरी मिली थी वो शीतल की वजह से ही मिली थी।
“अरे तब शीतल इसकी बीवी थोड़ी थी तब तो दोनों का बस चक्कर,,,,,,,,,,,,,,,,खैर किसे पता था ? यहाँ रेंट में रहने वाले लोग यहाँ के परमानेंट बन जायेंगे”,मिसेज अरोरा ने कहा
सार्थक ने सूना तो उस से बर्दास्त नहीं हुआ उसने जैसे ही कुछ कहना चाहा शीतल आगे आयी और कहा,”हाँ जी आंटी अब चक्कर चलाया तो सोचा क्यों ना उसे अंजाम तक भी पहुंचा दिया जाये इसलिए शादी करके यही शिफ्ट हो गयी। वैसे भी दिल्ली जैसे बड़े शहर में घर मिलना कितना मुश्किल है और फिर यहाँ तो जान पहचान के लोग है जिन्हे दुसरो की जिंदगी में दखल देने का कुछ ज्यादा ही शौक है अब आप बताईये ऐसी सोसायटी को छोड़कर जाने का भला किस का मन करेगा ?
मिसेज गुप्ता और अरोरा ने सूना तो मुंह फाड़े शीतल को देखने लगी शीतल ने पहली बार ऐसा कुछ कहा था। उन्हें देखकर शीतल आगे कहने लगी,”और ये किसने कहा आंटी की एक वाइफ अपने हस्बेंड की हेल्प नहीं कर सकती ? जब एक पति अपनी पत्नी की जरूरतो और जिम्मेदारियों को निभाने के लिए मेहनत कर सकता है तो एक पत्नी भी तो अपने पति की हेल्प कर सकती है ना फिर चाहे वो जिम्मेदारी निभाने में हो या घर चलाने में क्या बुराई है ? सार्थक को जॉब मैंने रिकमेंड किया लेकिन आज उसने जो पाया है वो अपनी मेहनत से मेरी वजह से नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दिनभर सोसाइटी में घूमकर लोगो को जज करना आसान है लेकिन 10-12 घंटे की नौकरी करके अपना घर चलाना बहुत मुश्किल है और सार्थक वो जिम्मेदारी बहुत अच्छे से निभा रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,चले सार्थक माँ पापा वेट कर रहे होंगे ?”
शीतल ने आखरी शब्द सार्थक की तरफ हाथ बढ़ाकर कहा। शीतल के शब्दों में अपने लिए भरोसा और प्यार देखकर सार्थक दिल ही दिल में मुस्कुरा उठा उसने मिसेज अरोरा और मिसेज गुप्ता के सामने शीतल का हाथ थामा और वहा से चले गए।
“मम्मी क्या जरूरत थी उन से ये सब कहने की ?”,शुभ ने खीजते हुए मिसेज गुप्ता से कहा
“तू यहाँ क्या कर रहा है चल जा यहाँ से ?”,मिसेज गुप्ता ने कहा तो शुभ मुंह बनाकर वहा से चला गया
“देखा मिसेज गुप्ता शादी के बाद कैसे पर निकल आये है इस लड़की के ? पहले तो कैसे सती-सावित्री की तरह रहती थी और अब कैंची की तरह जबान चलने लगी है इसकी”,मिसेज अरोरा ने जाती हुई शीतल को देखकर कहा
“हाँ मिसेज अरोरा मैं भी वही सोच रही हूँ आखिर इस भीगी बिल्ली में इतनी हिम्मत आयी कहा से ?”,मिसेज गुप्ता ने कहा
“अरे और कहा से आएगी ? बेचारी मिसेज शर्मा तो इसे कुछ कहती नहीं है और सार्थक ने इसे बैठा लिया है अपने सर पर अब ये तो उछलेगी ही”,मिसेज अरोरा ने कहा
“जिस दिन गिरेगी ना सारी अकड़ और घमंड निकल जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,हुँह छोडो हमे क्या ? वैसे आपने सूना क्या 304 वाली तिवारी जी की लड़की कल पार्टी से रात 2 बजे घर आयी थी , मुझे तो लगता है इनकी लड़की भी हाथ से निकल गयी है”,मिसेज गुप्ता ने कहा
“अरे उसे तो मैंने खुद कितनी बार देखा है बाइक पर घूमते हुए , कुछ भी कहो मिसेज गुप्ता इस अपार्टमेंट में तो अब रहने का मन ही नहीं है”,कहते हुए मिसेज अरोरा बाते करते हुए मिसेज गुप्ता के साथ वहा से निकल गयी।


चंडीगढ़
अवि ड्राइवर सीट पर बैठा फोन पर किसी से बात करते हुए गाड़ी चला रहा था और नैना उसके बगल में बैठी खीज रही थी। अवि सुबह से उसे सरप्राइज के नाम पर टॉर्चर कर रहा था और हद तो तब हो गयी जब वो उसे लेकर घर से बाहर आ गया और पिछले 10 मिनिट से गाड़ी चली जा रही थी। अवि ने जैसे ही कॉल कट किया नैना ने उसकी तरफ पलटकर कहा,”पडोसी तुम मुझे कहा लेकर जा रहे हो ?”
“चुपचाप बैठो बस थोड़ी देर में पहुँचने वाले है”,अवि ने सामने देखते हुए कहा
“हाँ लेकिन कहा एटलीस्ट तुम इतना तो बता सकते हो ना ?”,नैना ने चिढ़ते हुए कहा
“असली सरप्राइज वो जगह ही है बच्चे इसलिए चुप करके बैठो और मुझे डिस्टर्ब मत करो”,अवि ने कहा तो नैना और चिढ गयी। वह जान बुझकर अवि को तंग करने लगी। जब नैना नहीं मानी तो अवि ने गाड़ी एक साइड रोकी और अपनी जेब से रुमाल निकालकर दोनों हाथो को बांध दिया।
“ये तुम क्या कर रहे हो ? मेरे हाथ क्यों,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,नैना ने कहा लेकिन तब तक अवि ने गाड़ी के बॉक्स में रखा टेप उठाया और तोड़कर नैना के मुंह पर लगाते हुए कहा,”ताकि तुम थोड़ी देर चुप रहो और मैं अपनी ड्राइविंग पर फोकस कर सकू और अगर तुमने अब कोई हरकत की तो मैं तुम्हे कभी नहीं बताऊंगा हम कहा जा रहे है और ऐसे ही चंडीगढ़ की सड़को पर घूमता रहूंगा”
नैना ने सूना तो बोलने की कोशिश की लेकिन शब्द नहीं निकले बस आवाज ही आयी तो अवि ने ऊँगली होंठो पर रख नैना को चुप रहने का इशारा किया और गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी।
नैना ने सर पीछे सीट पर दो तीन बार मारा और फिर चुपचाप बैठ गयी। सुबह से सोच सोचकर उसका दिमाग खराब हो चुका था लेकिन उसे कुछ बता नहीं रहा था। कुछ देर बाद ही अवि नैना को लेकर पहुंचा और गाड़ी रोककर नैना के हाथ खोलते हुए कहा,”चलो बाहर आ जाओ”
नैना बाहर आयी और सामने खड़ी बिल्डिंग को देखा तो हैरानी से आँखे चौड़ी हो गयी और चेहरे के भाव बदल गए। नैना के पास से गुजरते लड़के ने नैना को देखा तो रुक गया वह कभी नैना तो कभी सामने खड़ी बिल्डिंग को देखता नैना ने लड़के को देखा तो भँवे उचकाई , लड़के भी जवाब में भँवे उचकाई तो नैना ने एक लात उसके पीछे मारकर उसे वहा से भागने का इशारा किया और गुस्से से अवि की तरफ आयी। अवि के सामने खड़े होकर नैना उसे घूरने लगी। अवि ने उसके मुंह पर लगे टेप को हटाया तो नैना बिफर पड़ी,”तो ये था तुम्हारा सरप्राइज,,,,,,,,,,,,,सरप्राइज के नाम पर तुम मुझे सिटी हॉस्पिटल लेकर आये हो सीरियसली ब्रो,,,,,,,,,,,,तुम्हे लगता है मैं बीमार हूँ , मैं नहीं बल्कि तुम बीमार हो पडोसी , तुम्हे इलाज की जरूरत है और तुम्हे यहाँ नहीं बल्कि आगरा के पागलखाने में जाना चाहिए क्योकि यहाँ तो तुम्हारा ट्रीटमेंट होगा नहीं,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारा दिमाग तो सही है तुम मुझे यहाँ लेकर क्यों,,,,,,,,,,,,,!!”
नैना एक साँस में इतना बोल गयी कि वह आगे कुछ कहती इस से पहले ही अवि ने हाथ में पकडे टैप को वापस नैना के मुंह पर चिपका दिया और नैना एक बार फिर अवि को खा जाने वाली नजरो से देखने लगी।

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संजना किरोड़ीवाल

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