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कितनी मोहब्बत है – 61

Kitni mohabbat hai – 61

“कितनी मोहब्बत है”

By Sanjana Kirodiwal

कितनी मोहब्बत है – 61

अक्षत का जवाब सुनकर लड़किया मुंह बनाकर वहा से चली गयी ! लड़कियों के जाते ही अक्षत के साथ वाले लड़के उसके पास आये और उनमे से एक ने कहा,”भाई पहला दिन है और उसपे ये ऐटिटूड , तू लकी है की लड़की ने सामने से तेरा नंबर मांगा !”
“चाहने के लिए जिंदगी में एक इंसान ही काफी है , हर जगह मुंह मारने वाला मर्द नहीं होता ! मैं यहाँ सिर्फ काम करने आया हु इन सब में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है”,कहकर अक्षत अगला आर्डर लेने चला गया !
“यार कितना घमंड है इसमें !”,दूसरे लड़के ने कहा
“भगवान ने थोड़ी शक्ल अच्छी दी है ना इसलिए ! चल अपना काम करते है !”,कहकर बाकि लड़के भी उधर से चले गए ! अक्षत शाम से रात तक वही काम करता रहा , तनु को उसने फोन करके कह दिया की वह थोड़ा देर से आएगा ! 8 बजते ही अक्षत ने एप्रिन और केप उतार कर रख दी ! जैसे ही वह जाने लगा चेतन ने उसे अपने पास बुलाकर कहा,”मुझे तुम्हारा काम बहुत पसंद आया अक्षत , वेल डन !”
“थैंक्यू सर !”,अक्षत ने कहा
“तो कल आ रहे हो ना तुम ?”,चेतन ने कहा
“जी !”,कहकर अक्षत वहा से चला गया ! रेस्त्रो से बाहर आकर वह पैदल ही घर के लिए चल पड़ा ! घर पहुँचते पहुंचते उसे आधा घंटा लग गया ! तनु गेट पर ही खड़ी थी अक्षत को देखते ही उसने कहा,”कहा रह गया था तू ? कितनी देर लगा दी आने में चल अंदर आकर हाथ मुंह धो ले मैं खाना लगा देती हु !”
अक्षत चुपचाप अंदर आया अपना बैग टेबल पर रखा और वाशबेसिन की और बढ़ गया ! अक्षत हाथ मुंह धोकर आया तब तक जीजू भी आ चुके थे ! तनु ने सबके लिए खाना लगाया , सभी खाना खाने बैठे तो जीजू ने कहा,”और भई साले साहब कैसा रहा कॉलेज का पहला दिन ?”
“ठीक था जीजू !”,अक्षत ने थके हुए स्वर में कहा
“क्या बात है बड़े थके हुए नजर आ रहे हो ?”,जीजू ने अक्षत की और देखकर कहा
“सुबह का गया अब घर आएगा तो चेहरा तो उतरेगा न !”,तनु ने अक्षत की प्लेट में सब्जी रखते हुए कहा
“अब घर आया है , पर तुम्हारा कॉलेज तो 2 बजे तक का है ना , फिर बाकि टाइम कहा थे तुम ?”,जीजू ने कहा
“जीजू वो कॉलेज के ही कुछ लड़के है उनको डॉट्स क्लियर करवा रहा था बस उसी में देर हो गयी !”,अक्षत झूठ बोल गया !
“वो सब तो ठीक है पर उनके चक्कर में अपनी पढाई मत भूल जाना !”,जीजू ने हँसते हुए कहा
“हम्म्म्म !”,अक्षत ने कहा और खाना खाने लगा ! खाने के बाद जीजू और तनु से कुछ देर इधर उधर की बाते की और फिर सोने चला गया ! अक्षत जैसे ही बिस्तर पर आकर लेटा उसने महसूस किया उसके पैर बहुत ज्यादा दर्द हो रहे थे ! जिंदगी में शायद पहली बार वो इतना पैदल चला था ! कुछ देर बाद ही अक्षत को नींद आ गयी !!

मीरा धीरे धीरे खुद को नए नए माहौल में ढालने की कोशिश कर रही थी ! हालाँकि अमर से उसकी कोई बात नहीं होती थी फिर भी वह अपने बेटी होने का फर्ज निभाने से पीछे नहीं हटती थी ! मीरा एक सुबह बैठकर बड़े ध्यान से सोशल वर्क्स पर छपी किताब पढ़ रही थी , अमर ने देखा तो कहा,”आपको सोशल बुक्स पढ़ना पसंद है ?”
“जी हां , हमारा सपना है हम भी लोगो के लिए कुछ करे !”,मीरा ने किताब पढ़ते हुए बिना अमर की और देखे कहा ! अमर ने अपनी जेब से एक कार्ड निकाला और टेबल पर रखकर कहा,”फिर तो आपको इस जगह जरूर जाना चाहिए !” अमर वहा से चला गया मीरा ने कार्ड उठाकर देखा जिस पर बड़े बड़े शब्दों में लिखा था “सावित्री सदन – अनाथालय”
मीरा कार्ड को देखती रही और सोचती रही की आखिर अमर ने उसे इस जगह जाने की परमिशन कैसे दे दी ? खैर दोपहर में मीरा ने ड्राइवर से कहा और उनके साथ उस जगह चली आयी जो को शहर से 20 किलोमीटर दूर थी ! मीरा ने देखा वो एक खुली जगह में फैला बहुत बड़ी जगह थी मीरा उसके अंदर आयी ! मीरा को देखते ही एक मैनेजर उसके पास आया तो मीरा ने हाथ में पकड़ा कार्ड उसकी और बढ़ा दिया ! कार्ड देखते ही मैनेजर ने कहा,”आईये मैडम सर ने बताया था की आप आने वाली है , प्लीज कम !”
मीरा हैरानी के साथ आगे बढ़ी उसने देखा वहा बहुत से बच्चे थे जिनमे से कुछ विकलांग थे , कुछ मानसिक रोगी थे , कुछ बहुत कमजोर थे और जो स्वस्थ थे वो उन बाकि बच्चो का ख्याल रख रहे थे ! उन्हें देखते ही मीरा के मन में उनके लिए दया के भाव पनपने लगे ! वह चले जा रही थी तभी एक छोटी सी बच्ची आकर उसके पैरो से लिपट गयी और कहने लगी,”दीदी दीदी दीदी दीदी”
“माफ़ करना दीदी , ये जब भी कोई नया मेहमान आता है तो ऐसे ही दौड़े चली आती है और दीदी दीदी बोलने लगती है !”,एक बड़े से लड़के ने बच्ची को मीरा से दूर करते हुए कहा !
“कोई बात नहीं !”,मीरा ने बच्ची का गाल छूकर कहा तो लड़का उसे वहा से लेकर चला गया !
मीरा मैनेजर के साथ वहा बने ऑफिस में आयी , ऑफिस में कुछ स्टाफ और भी थे जो उस अनाथालय को सम्हालते थे , मीरा को देखते ही सब उठ खड़े हुए ! मैनेजर ने सबसे मीरा का परिचय करवाया और सारे स्टाफ का मीरा से , उनसे मिलने के बाद मैनेजर उसे बड़े ऑफिस में लेकर आया जो की अमर का था ! उसने मीरा से बैठने को कहा मीरा मालिक की कुर्सी पर न बैठकर साइड में पड़ी कुर्सी पर आ बैठी और कहा,”ये सब बच्चे यहाँ कैसे ?”
“सर ने ये जगह 12-13 सालो पहले खरीदी थी और ये अनाथालय बनवाया , फिर जब भी उन्हें कोई बेसहारा या लाचार बच्चा दीखता वो उसे यहाँ ले आते थे , शुरुआत में सिर्फ 7 बच्चे थे अब 52 बच्चे है !”,मैनेजर ने कहा !
“आप शुरू से पापा के साथ है ?”,मीरा ने हैरानी से कहा
“जो 7 बच्चे सर यहाँ लेकर आये थे , मैं भी उनमे से एक ही हु मैडम”,मैनेजर ने कहा
मीरा सोच में पड़ गयी , अपने पिता को वह जितना बुरा इंसान समझ रही थी वे वास्तव में उतने बुरे नहीं थे ! मीरा को सोच में डूबा देखकर मैनेजर ने कहा,”आप कुछ लेंगी चाय कॉफी ?”
“एक कप चाय”,मीरा ने कहा
“मैं भिजवाता हु !”,कहकर मैनेजर वहा से चला गया ! मीरा कुछ देर वही बैठी रही और फिर उठकर खिड़की के पास चली आयी बाहर खेलते बच्चो को देखने लगी , उन बच्चो में उसे अपना बचपन नजर आ रहा था ! मीरा वहा से हटकर ऑफिस को देखने लगी , टेबल के साइड में दिवार पर उसकी माँ की तस्वीर लगी थी जिस पर हार चढ़ा हुआ था ! शायद उन्ही के नाम से अमर ने ये अनाथालय बनवाया था ! ! मीरा वहा रखी चीजों को देख रही थी सब बहुत
सलीके से रखा हुआ था !
लड़का चाय ले आया और टेबल पर रखकर चला गया मीरा ने चाय का कप उठाया और चाय पीकर वहा पड़ी किताबे देखने लगी
किताब उसने साइड में रखी और मन में एक फैसला करके वह बाहर बच्चो के बिच चली आयी , मीरा ने उनके साथ वक्त बिताया उसे काफी अच्छा लग रहा था ! उसका सपना उसके सामने बांहे पसारे खड़ा था , उसने फैसला किया की अब वह रोज कुछ वक्त के लिए यहाँ आया करेगी और इन बच्चो के साथ अपना वक्त बिताएगी , इनके लिए एक बेहतर जिंदगी बनाने की कोशिश करेगी !! मीरा बहुत खुश थी उसने मैनेजर से बाकि स्टाफ से भी बात की सभी मीरा की सादगी और उसके विचारो से काफी इम्प्रेस थे , जब उसने वहा ज्वाइन करने की बात की तो सभी खुश हो गयी और उसका दिल से स्वागत किया ! मीरा ने सबको अलविदा कहा और शाम होने से पहले ही वापस घर लौट आयी ! मीरा आज बहुत खुश थी , उसे अपनी मंजिल नजर आ चुकी थी बस रास्ता तय करना था ! आज ऐसे पल में वह अक्षत को बहुत याद कर रही थी , उसने टेबल पर पड़ी अक्षत की फोटो उठायी और देखते हुए कहने लगी,”आज हम बहुत खुश है , हम जो चाहते थे वो आज हमने देखा , उस माहौल में वक्त बिताया बहुत अच्छा लग रहा था ,, हां आपकी कमी महसूस हुई थी हमे लेकिन आप इतनी दूर है की चाहकर भी आपको बता नहीं सकते ,, ये कैसी शर्त मान ली आपने जिसमे आपको देखना , सुनना और आपसे मिलना तक नसीब में नहीं है !! शायद हमारी किस्मत में यही लिखा है पर हम इंतजार करेंगे !”

मीरा ने तस्वीर को अपने सीने से लगा लिया ! उधर रेस्त्रो में अक्षत का हिचकियो से हाल बेहाल था !
“ये ले भाई पानी पि ले !”,लड़के ने बोतल उसकी और बढ़ाकर कहा , अक्षत ने पानी पीया एक गहरी साँस ली तो उसे थोड़ा आराम मिला ! अक्षत फिर अपने काम में लग गया ! लड़का उसे देखता रहा तो दूसरे लड़के ने आकर कहा,”यार ये लड़का बड़ा अजीब है , ना किसी से बात करता है , ना हम लोगो के साथ बैठता है , इसे देखकर लगता है जैसे इसे किसी से कोई मतलब ही नहीं है !”
“क्योकि ये अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करना चाहता है !”,पीछे खड़े चेतन ने कहा , चेतन को वहा देखकर दोनों लड़के थोड़ा घबरा गए तो चेतन ने कहा,”ये लड़का एक दिन बहुत बड़ा नाम करेगा , इसे देखते ही पता नहीं क्यों हमेशा एक पॉजिटिव फीलिंग आने लगती है ! कुछ पाने का जो जूनून इसकी आँखों में है न वो मैंने आज तक किसी की आँखों में नहीं देखा है !”
बॉस के मुंह से अक्षत की तारीफ सुनकर दोनों वहा से निकल गए ! दो दिन में अक्षत बॉस का चहेता बन चुका था इस से अच्छी बात और क्या हो सकती थी ? पर ये सच था की अक्षत को वहा किसी से कोई मतलब नहीं था वह ख़ामोशी से अपना काम करता रहता था , जितना पूछो उतना ही जवाब देता और उसकी यही खूबी वहा आने वाले हर इंसान को अपनी और खींचती थी , कुछ लड़किया तो सिर्फ उसे देखने के लिए ही एक दो दिन से चली आती थी जिसका फायदा चेतन को हुआ उसके रेस्त्रो में अब पहले से ज्यादा भीड़ रहने लगी थी ! एक हफ्ता गुजर गया अक्षत रोज लेट आने का बहाना बनाता रहा जीजू समझ नहीं पाए ! उधर मीरा को भी एक जिम्मेदारी मिल चुकी थी इसलिए वो वह अपना समय उन बच्चो के साथ बिताने लगी !!

अक्षत और मीरा दोनों ही अपने अपने कामो में व्यस्त रहने लगे थे पर ऐसी कोई सुबह या शाम नहीं गुजरी जब दोनों ने एक दूसरे को याद ना किया , उनके बिच भरोसे की डोर ही थी जो उन्हें एक दूसरे से जोड़े हुए थी ! मीरा को लेकर अमर के मन भी अब बदलाव आने लगे थे , मीरा की परेशानी पर वह अक्सर परेशान हो जाया करते थे ! अक्षत खुश था अपनी मेहनत से एक सुबह वह जैसे ही क्लास में इंटर हुआ सामने से आती लड़की से टकरा गया , उसने सामने देखे बिना ही अपनी बुक्स सम्हालते हुए कहा,”आई ऍम सॉरी ?”
“हे तुम और यहाँ ? व्हाट अ प्लीजेंट सरप्राइज”,इशिका ने चहकते हुए कहा !
“तुम ?”,अक्षत को भी इशिका को वहा देखकर हैरानी हुई ! इशिका अक्षत को देखते रही और तुनककर कहा,”हां मैं ! क्यों मुझे यहाँ देखकर ख़ुशी नहीं हुई तुम्हे ?”
“नहीं ऐसी बात नहीं है , पर यहाँ एक्स्पेक्ट नहीं किया था तुम्हे ! यहाँ कैसे ?”,अक्षत ने कहा
“आई ऍम आल्सो अ लॉ स्टूडेंट , और शायद तुम भी ?”,इशिका ने कहा
“हां !”, अक्षत ने छोटा सा जवाब दिया !
“तो फिर चले !”,इशिका ने कहा
“कहा ?”,अक्षत ने कहा
“अरे बाबा क्लास और कहा , अब चलो यहाँ यही खड़े रहोगे !”,इशिका ने अक्षत की बांह पकड़कर उसे अंदर लाते हुए कहा ! अक्षत को इशिका का इस तरह छूना पसंद नहीं आया लेकिन उसने कुछ कहा नहीं क्योकि वहा बहुत बहुत सरे स्टूडेंट थे ! अक्षत आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया इशिका भी उसकी बगल में बैठ गयी ! अभी टीचर नहीं आये थे इसलिए अक्षत ने कहा,”तुम इतने दिन बाद कैसे ?”
“वो एक्चुअली तबियत खराब थी तो पापा ने आने नहीं दिया !”,इशिका ने कहा
“हम्म्म !”,अक्षत ने कहा और दूसरी और देखने लगा !
क्लास स्टार्ट हुयी अक्षत का ध्यान अपनी पढाई में था लेकिन इशिका का ध्यान सिर्फ अक्षत पर था ! क्लास ख़त्म होने के बाद जब अक्षत क्लास से बाहर आया तो इशिका उसके पीछे पीछे चली आयी और कहा,”अक्षत सुनो !”
अक्षत पलटा तो इशिका उसके पास आयी और कहा,”वो एक हफ्ते के नोटस मेरे पास नहीं है , और मुझे कुछ समझ भी नहीं आ रहा है ,, क्या तुम मेरी हेल्प करोगे प्लीज ?”
अक्षत सोच में पड़ गया उसे एक घंटे बाद रेस्त्रो भी जाना था उसने कहा,”पर मेरे पास सिर्फ एक घंटा ही है !”
“इट्स ओके तुम थोड़ा थोड़ा करके क्लियर करवा देना , प्लीज प्लीज प्लीज”,इशिका ने जिद ही पकड़ ली !
“ठीक है !”,अक्षत ने कहा और इशिका के साथ चलकर लॉन में आकर बेंच पर बैठ गया ! अक्षत ने उसे कुछ एक्ट्स समझाए , उसकी नजर बार बार घड़ी पर चली जाती , जिसे देखकर इशिका ने कहा,”तुम्हे कही जाना है क्या ?”
“हां वो पार्ट टाइम जॉब है मेरा इसलिए !”,अक्षत ने कहा
“ओह्ह्ह , पर तुम्हे जॉब की क्या जरूरत है ? तुम तो अच्छे खासे पैसे वाले दीखते हो !”,इशिका ने मजाक में कहा
“जिंदगी में हर चीज जरूरतो के लिए नहीं की जाती है , खैर तुम नहीं समझोगी ,, अभी मैं चलता हु जो समझाया वो रिवीजन कर लेना कुछ नहीं समझ आये तो कल क्लास में पूछ सकती हो !”,कहकर अक्षत उठा और वहा से चला गया !
इशिका उसे जाते हुए देखते रही और खुद से कहा,”मुझे तो बस सिर्फ तुम्हे समझना है !”

अक्षत रेस्त्रो आया और अपने काम में लग गया ! इशिका से उसकी 2-3 बार मुलाकात हो चुकी थी और यही वजह थी की वह उसके साथ थोड़ा नरम होकर बात कर रहा था पर इशिका के दिमाग में तो कुछ और ही पक रहा था जिसकी भनक अक्षत को नहीं थी ! वह बस अपनी पढाई और अपने काम पर फोकस किये हुए था ! रोज कॉलेज जाना क्लास अटेंड करना उसके बाद कभी कभी वह इशिका की हेल्प कर दिया करता था , कॉलेज के बाद रेस्त्रो और फिर सीधा घर , जीजू और तनु से भी बहुत कम बात कर पाता था क्योकि इन सब से वह इतना थक जाता था की खाना खाने के बाद ही उसे नींद आने लगती थी ! जीजू और तनु भी समझ रहे थे इसलिए उसे ज्यादा परेशान नहीं करते थे ! देखते देखते एक महीना गुजर गया जब चेतन ने उसे उसकी पहली सेलेरी दी तो अक्षत बहुत खुश था ! चेतन ने उसे सेलेरी देते हुए कहा,”आई ऍम सो प्राउड ऑफ़ यू अक्षत , मुझे तुम्हारा काम बहुत पसंद आया ! तुम एक मेहनती और होनहार लड़के हो ,, गॉड ब्लेस यू”
“थैंक्यू सर !”,अक्षत ने लिफाफे को देखते हुए कहा उसके हाथ में उसकी पहली कमाई थी जैसे ही वह जाने लगा चेतन ने कहा,”अक्षत !”
“जी सर !”,अक्षत ने कहा
“मुझे आधे घंटे के लिए किसी काम से बाहर जाना है , आज सारे लड़के भी जा चुके है तो क्या तुम थोड़ी देर के लिए यहाँ रुकोगे प्लीज !”,चेतन ने कहा !
“ठीक है !”,अक्षत ने कहा तो चेतन उसे छोड़कर बाहर चला गया ! अक्षत काउंटर पर आकर बैठ गया
अक्षत वहा बैठकर चेतन के आने का इंतजार कर ही रहा था की तभी किसी ने कहा,”भैया दो डबल लेयर चीज पिज्जा पैक कर देना और साथ में एक फॅमिली पैक स्ट्राबेरी आइस क्रीम भी !”
“जी सर !”,कहते हुए अक्षत ने जैसे ही सामने देखा हक्का बक्का रह गया , आर्डर देने वाला कोई और नहीं जीजू ही थे ! जीजू ने भी अक्षत को वहा देखा तो हैरानी से कहा,”आशु तुम यहाँ ? इसका मतलब अब तक तुम हम लोगो से झूठ बोलते रहे हो !”
“जीजू घर चलिए मैं आपको सब बता दूंगा”,अक्षत ने डरते डरते कहा जीजू को अक्षत पर इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था , अक्षत ने उसने झूठ कहा ये बात वो हजम नहीं कर पा रहे थे ! जीजू ने अक्षत की और देखा और गुस्से से कहा,”जो आर्डर दिया है वो पैक करो !”
अक्षत वहा से निकलकर किचन की और आया अब तक वह पिज़्ज़ा बनाना सिख ही चुका था ! उसने दो पिज्जा तैयार किये और पैक करके बाकि सामान के साथ रखककर जीजू को थमा दिया !
“कितना हुआ ?”,जीजू ने उसी गुस्से में कहा
“मैं दे दूंगा !”,अक्षत ने कहा
“कोई जरूरत नहीं है ! कितना हुआ ये बताओ ?”,जीजू ने कहा अक्षत जीजू को और हर्ट करना नहीं चाहता था इसलिए चुपचाप बिल बनाकर दे दिया ! जीजू ने पेमेंट किया और चले गए ! जीजू अक्षत से नाराज थे अब उन्हें कैसे तो मनाना ही था उसे याद आया जीजू को मशरूम पिज्जा बहुत पसंद है वह मुस्कुराया और एक बार किचन में आ पहुंचा उसने बड़े प्यार से जीजू के लिए मशरूम पिज्जा तैयार किया !
चेतन आ चुका था , अक्षत ने उसे चाबी दी और फिर अपने नाम से बिल बनाने को कहा !
“अरे तुम्हारे लिए बिल कैसा तुम ऐसे ही रख लो ?”,चेतन ने कहा
“नहीं सर मुझे मेरे पापा ने सिखाया है फ्री के राजभोग से मेहनत की दाल अच्छी है , प्लीज रख लीजिये मुझे अच्छा लगेगा !”,अक्षत ने कहा
“तुम और तुम्हारे ये उसूल , खैर तुम्हे हर्ट नहीं करूंगा इस लिए रख लेता हु !”,चेतन ने कहा
अक्षत वहा से घर के लिए निकल गया लेकिन थोड़ा डर भी रहा था जीजू के रिएक्शन को लेकर !!

जीजू घर के अंदर मेन गेट के पास यहाँ से वहा चक्कर काट रहे थे ! तनु ये सब देखकर परेशान थी उसने कहा,”आखिर हुआ क्या ? ऐसे गुस्सा क्यों हो रहे है आप ?
तभी अक्षत आ पहुंचा उसे देखते ही जीजू का गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया और उन्होने अंदर जाते हुए तनु से कहा,”पूछो अपने भाई से !”
“आशु क्या बात है ? ये इतना गुस्सा क्यों कर रहे है ?”,तनु ने अक्षत से पूछा !
“दी अंदर चलो बताता हु”,अक्षत ने कहा और तनु को अपने साथ अंदर ले आया !
दोनों अंदर आये तो जीजू ने तनु से कहा,”तनु पूछो इस से क्या जरूरत थी इसे झूठ बोलकर रेस्त्रो ने जॉब करने की , कुछ चाहिए था तो मुझसे बोल सकता था ना ये , जानती हो आज इसे वहा देखकर मुझे कितना दुःख हुआ !”
“आशु तू जॉब करता है , मुझे तो लगा तू दोस्तों के साथ पढाई करता है”,तनु ने हैरानी से कहा
“दी वो मैं”,अक्षत ने बोलना चाहा लेकिन जीजू ने उसे बोलने का मौका ही नहीं दिया और कहा,”जॉब करता है ये वो भी हमसे झूठ बोल के”
“जीजू मेरी बात तो सुनिए !”,अक्षत ने फिर कहा
“नहीं सुनना मुझे बस ये जानना है की जॉब की जरूरत क्यों पड़ी तुझे ? आशु तू यहाँ अपने सपने पुरे करने आया है ये छोटी मोटी जॉब नहीं , तुमने क्यों नहीं बताया की तू वहा काम करता है”,जीजू ने कहा
“आपने भी तो नहीं बताया की मेरे कॉलेज की फीस आपने दी है”,अक्षत ने सहजता से कहा
जीजू ने सूना तो अब हैरान रहने की बारी उनकी थी वो कुछ कहते इस से पहले ही अक्षत ने कहना शुरू किया,”आपको लगता है मैं बच्चा हु मुझे कुछ दिखता नहीं है , समझ नहीं आता ! मुझे पता था वो सब आप कर रहे है मैं बस चुप था क्योकि मैं आपको ठेस पहुंचाना नहीं चाहता था , मेरे लिए आप डबल शिफ्ट काम करते है , मेरे फ्यूचर की चिंता करते रहते है तो क्या मैं आपका साथ देने के लिए एक जॉब नहीं कर सकता ! माना की आपने मेरी हेल्प की है लेकिन मेरी भी तो कुछ जिम्मेदारी बनती है ना जीजू !”
“लेकिन रेस्त्रो में जॉब ?”,जीजू ने खीजते हुए कहा
“कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता जीजू”,अक्षत ने प्यार से कहा
“और ये बात किसने सिखाई ?”,जीजू ने चिढ़कर कहा
“मीरा ने , मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा यु टर्न वही तो है !”,अक्षत ने मुस्कुराते हुए कहा
“लेकिन जॉब ?”,जीजू अभी भी उसी बात पर अटके थे ! अक्षत उनके पास आया और कहा,”वो सब बाते हम बाद में डिस्कस करेंगे , चलकर पहले पिज्जा खाते है इतनी मेहनत से बनाया है मैंने !”
जीजू आकर उसके गले लगे और कहा,”तू सच में बड़ा हो गया है यार !”

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संजना किरोड़ीवाल

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