Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 12

Love You Zindagi – 12

Love You Zindagi - Season 2
Love You Zindagi – Season 2

ट्रेफिक से निकलकर नैना अवि को लेकर एक बहुत ही प्यारी सी जगह पहुंची। अवि गाड़ी से नीचे उतरा और देखा नैना उसे लेकर एक झील किनारे आयी थी जहा से कुछ ही दूरी पर एक शानदार ओपन रेस्टोरेंट था। अवि नैना के साथ रेस्त्रो की तरफ जाने लगा। नैना की साड़ी का पल्लू थोड़ा लंबा था इसलिए जमीन से लगकर चल रहा था और नैना ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। नैना के साथ चलते हुए अवि ने देखा तो नैना के पल्लू को हाथ में उठाकर चलने लगा और मन ही मन कहा,”तुम्हे इन सबकी आदत नहीं है नैना पक्का ये तुमने मेरे लिए पहनी होगी,,,,,,,,,,,,,तुम कितनी अच्छी हो यार मतलब मैंने सुबह तुम पर गुस्सा किया और तुम,,,,,,,,,,,,!!”
“अवि,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने चलते चलते पलटकर कहा तो अवि ने उसका पल्लू छोड़ दिया। नैना के मुंह से अपना नाम उसे फीका सा लगा।
“तुम चलकर बैठो मैं वाशरूम होकर आती हूँ”,नैना ने अवि को खामोश देखकर कहा
“हम्म्म्म ठीक है”,कहकर अवि कुछ दूर पड़े टेबल के काउच पर जा बैठा। अवि ने देखा आसपास कुछ कपल्स और बैठे थे और वह जगह भी काफी खूबसूरत थी। नैना ऐसी जगह पसंद करेगी अवि ने सोचा नहीं था लेकिन वह खुश था कुछ देर बाद नैना आयी और अवि के बगल में उसी कुछ पर आ बैठी।आज उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी और आँखों में ख़ुशी नजर आ रही थी। नैना ने देखा अवि चुपचाप बैठा है तो उसने कहा,”अवि क्या हुआ ? क्या तुम्हे ये जगह पसंद नहीं आयी ?”
“ये जगह बहुत खूबसूरत है बस एक बात समझ नहीं आ रही,,,,,,,,,!!”,अवि ने उलझनभरे स्वर में कहा
“और वो क्या है ?”,नैना ने बड़े प्यार से पूछा
अवि नैना की तरफ मुंह करके बैठा और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”सच सच बताओ नैना तुम्हारे दिमाग़ में क्या चल रहा है ? क्या तुम्हे कुछ दिन के लिए अपने घर जाना है ? या फिर कोई नया जींस लेना है ? या फिर तूम अपने दोस्तों के साथ किसी वेकेशन पर जाना चाहती हो ?”
अवि की बात सुनकर नैना एकटक उसे देखने लगी और फिर बड़े ही प्यार से कहा,”अवि ऐसा कुछ भी नहीं है मैंने ये सब तुम्हारे लिए अरेंज किया है क्योकि मुझे लगा शायद मैं तुम्हारे साथ कुछ ज्यादा सख्त हो रही हूँ। तुम हमेशा मेरे साथ अच्छे रहे हो , मेरी बदतमीजी मेरे मूड स्विंग्स सब बर्दास्त करते हो तो मुझे लगा कि मुझे यहाँ पिघलना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आफ्टर ऑल तुम मेरे हसबेंड हो”
“थैंक गॉड तुम्हे ये याद तो आया कि मैं कौन हूँ , वैसे तुम्हे इस जगह के बारे में किसने बताया ? मैं स्कूल टाइम में यहाँ हमेशा आता था”,अवि ने एक बार फिर उस जगह को देखते हुए कहा।
“तुम्हारे डेड ने एक बार बताया था , जब मैं उनसे पहली बार मिली थी तब,,,,,,!”,नैना ने कहा
“और तुम्हे अब तक याद है ?”,अवि ने नैना की आँखों में देखते हुए पूछा
“तुमसे जुडी हर बात याद है,,,,,,,,,,,,,,,,इन्फेक्ट मैं याद रखना चाहती हूँ मेरे डेड के बाद तुम ही तो हो जिसने मुझे समझा है”,नैना ने एक बार फिर उतने ही प्यार से कहा तो अवि प्यारभरी नजरो से नैना को देखने लगा। नैना का ये बदला हुआ रूप आज अवि को और भी प्यारा लग रहा था।
“सर-मेम आपका टेबल रेडी है”,वेटर ने आकर कहा तो अवि और नैना की तंद्रा टूटी और दोनों उसके साथ अपने डिनर टेबल की तरफ बढ़ गए।

आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
मूवी देखने के बाद सार्थक और शीतल घर चले आये। मिस्टर शर्मा और मिसेज शर्मा दोनों सो चुके थे। सार्थक हाथ मुंह धोकर अपने कमरे में चला गया। शीतल पानी लेने किचन में चली आयी। उसने फ्रीज खोला तो पाया कि सभी बोतल बाहर रखे है और खाली है। दिल्ली में इन दिनों गर्मी ज्यादा ही थी और अप्रैल से उसका असर दिखना भी शुरू हो चुका था। शीतल ने एक एक करके बोतल भरकर फ्रीज में रख दी। आखरी बोतल में पानी भरते हुए शीतल को थियेटर में घटी घटना याद आ गयी जब राज एकदम से उसके सामने आ गया था। शीतल उस बारे में सोचते रही और उसे ध्यान नहीं रहा कि जग का पानी बोतल के बजाय नीचे गिर रहा है।
“शीतल कहा खोयी हो ? देखो तुम्हारे आस पास पानी गिर गया , लाओ मुझे दो”,सार्थक ने अंदर आते हुए कहा
सार्थक की आवाज से शीतल की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”वो मैं पानी लेने चली आयी”
“हम्म्म ये लो हो गया , चलो चलते है”,कहते हुए सार्थक शीतल के साथ अपने कमरे में चला आया। सार्थक ने बोतल साइड टेबल पर रखा और बिस्तर पर आ बैठा। शीतल कपडे चेंज करके आयी और ड्रेसिंग के सामने बैठकर अपने हाथो पर लोशन लगाने लगी। कुछ देर पहले वह राज के बारे में सोचकर परेशान थी और अब एकदम से उसे सार्थक की मम्मी की कही बात याद आ गयी। शीतल के हाथ रूक गए और वह फिर खोयी हुई सी शीशे में खुद को देखने लगी।
“वैसे आज मूवी अच्छी थी ना ? थोड़ी एडल्ट भी थी अच्छा हुआ पापा नहीं गए,,,,,,,,,,,,,,,,,शीतल,,,,,,,,,,,,,,,,शीतल,,,,,,,,,,,मैं तुम से कह रहा हूँ,,,,,,,,,,,,,,,ए हेलो कहा खोयी हो ?”,सार्थक ने शीतल के पास आते हुए कहा लेकिन शीतल के जहन में तो राज , मिसेज शर्मा और अपार्टमेंट की औरतो की कही बाते चल रही थी।
“शीतल क्या हुआ ?”,सार्थक ने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह तुम हो”,शीतल ने घबराकर पीछे हटते हुए कहा। उसके चेहरे से परेशानी और घबराहट के मिले जुले भाव साफ झलक रहे थे। सार्थक ने देखा तो वह शीतल के पास आया और उसके कंधो को थामकर कहा,”शीतल , शीतल क्या हुआ ? तुम ठीक तो हो ना ? इतनी परेशान क्यों हो ? कोई बात है क्या ? देखो अगर कोई बात तुम्हे परेशान कर रही है तो तुम मुझसे कह सकती हो। कुछ देर पहले किचन में भी तुम परेशान हो रही थी और अब भी,,,,,,,तुम बताओ मुझे कुछ हुआ है क्या ?”
सार्थक को अपनी परवाह करते देखकर शीतल एकदम से उसके गले आ लगी और धीमी आवाज में कहा,”सार्थक वो राज,,,,,,,,,,,,,,,वो यहाँ क्यों आया है ? जब सब खत्म हो चुका है वो बार बार हमारी जिंदगी में क्यों आ रहा है ?”
“बस इतनी सी बात के लिए तुम परेशान हो रही हो। शीतल मुझे राज से और तुम्हारे पास्ट से कोई मतलब नहीं है। आज शाम भी जो कुछ हुआ वो मैं भूल चुका हूँ इसलिए तुम भी ये सब भूलकर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो।
जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ वो तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता इसलिए तुम बेफिक्र रहो धीरे धीरे वो भी इस बात को समझ जाएगा”,सार्थक ने शीतल का सर सहलाते हुए कहा
“आज उसने तुम से जिस तरह से बात की मुझे अच्छा नहीं लगा”,शीतल ने सार्थक से दूर हटकर मासूमियत भरे लहजे में कहा
सार्थक ने उसके चेहरे को अपने हाथो में थामा और बड़े ही प्यार से कहा,”ओहो तो मेरी मिसेज को ये बात परेशान कर रही है कि उनके मिस्टर से किसी ने गलत तरह से बात की,,,,,,,,,,,,,तो आगे से एक काम करना अगर कोई मुझसे ऐसे बात करे तो तुम एक पंच जोर से उसके मुंह पर मार देना,,,,,,,,,,,,ठीक है मार पाओगी ना”
शीतल ने सूना तो मुस्कुरा उठी और कहा,”मैं नैना नहीं हूँ पंच तो क्या मैं एक मक्खी तक ना मार पाऊ”
“हाँ तुम नैना नहीं हो लेकिन सच में नैना कमाल की लड़की है जब वो यहाँ थी तो पुरे अपार्टमेंट की आंटियो के मुंह पर बस उसका ही नाम रहता था। नैना ने आज ये किया , नैना ने आज वो किया , नैना ऐसी , नैना वैसी,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन नैना,,,,,,,,,,,,उसे इन लोगो की बातो से कभी फर्क नहीं पड़ा वो अपनी दुनिया में मस्त रहती थी और अब तो उसने अपनी दुनिया ही कही और बसा ली,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारा पडोसी ले गया उसे”,सार्थक ने शीतल के सामने से हटकर बिस्तर पर बैठते हुए कहा
“अवि को पडोसी सिर्फ नैना ही बुलाती थी और उसके मुंह से अच्छा भी लगता था लेकिन हम में से किसी ने सोचा नहीं था कि उसे अवि से इतना प्यार हो जाएगा कि वह एक दिन उस से शादी करके उसकी दुनिया में चली जाएगी। उसकी बहुत याद आती है पता नहीं वो वापस दिल्ली कब आएगी ?”,शीतल ने भी नैना को मिस करते हुए कहा और आकर सार्थक के बगल में बैठ गयी।
“फिर तो कल ही उसे फोन करता हूँ और कहूंगा की अपने पडोसी को लेकर यहाँ आ जाये,,,,,,,,,,,,,दिल्ली और फिर हम सब मिलकर एक बार फिर से वो पुराने दिन जियेंगे”,सार्थक ने शीतल को अपनी बाँहो में भरते हुए कहा।

बीकानेर , राजस्थान
मोंटी माला को अपने साथ लेकर मीटिंग रूम में पहुंचा। अब चूँकि माला खूबसूरत थी इसलिए सबकी नजरे उस पर जा टिकी सिवाय मोंटी के,,,,,,,,,,,,मोंटी प्रेजेंटेशन और प्रोजेक्ट्स की फाइलस सबके सामने रखने में बिजी था। फाइल रखते हुए जैसे ही वह माला के पास आया उसका हाथ माला के हाथ से जा लगा। मोंटी ने जल्दी से अपना हाथ खींच लिया लेकिन माला ने कोई आपत्ति नहीं जताई। फाइल्स सबके सामने थी और उसके बाद मीटिंग शुरू हुयी।
मोंटी जिस होटल में आया था उसी होटल में रुचिका अपने अपार्टमेंट में साथ काम करने वाली लड़की मधु के साथ डिनर पर आयी थी। रुचिका ने मोंटी को एक अनजान लड़की के साथ देखा तो थोड़ी हैरान परेशान हुई लेकिन मधु के सामने कुछ नहीं कहा। वह नहीं चाहती थी बिना कुछ जाने वह मोंटी के लिए कोई राय बनाये। रुचिका मोंटी के साथ अंदर चली आयी। मधु ने दोनों के लिए खाना आर्डर किया और बैठकर रुचिका से बाते करने लगी
“यार रुचिका तुझे अपने बैंक में काम करने वाला वो अमन याद है ?”,मधु ने धीमी आवाज में कहा
“हाँ वो अमन मेहरा न ? क्या हुआ उसे ?”,रुचिका ने भी हैरानी से कहा
“हमारे बैंक के बगल में जो डांस क्लास है ना,,,,,,,,,,,,,,,उस डांस क्लास और अमन का अफेयर था”,मधु ने फिर धीमी आवाज में कहा
“हाँ तो क्या हुआ दोनों अडल्ट है रिलेशनशिप में रह सकते है”,रुचिका ने नार्मल होकर कहा
“अरे पूरी बात तो सुनो,,,,,,,,,,,,,,,,अपने बैंक में किसी को पता नहीं है लेकिन अमन शादीशुदा है और उसे एक 3 साल की बेटी भी है इसके बावजूद उसका बाहर अफेयर चल रहा था। कल शाम ही उसकी वाइफ ने उसे रंगे हाथ पकड़ा है”,मधु ने धीमें स्वर में लेकिन हैरानी भरे भावो के साथ कहा
“व्हाट ? ये तू क्या कह रही है ? वो तो खुद को सिंगल बताता था”,रुचिका ने चौंकते हुए कहा
“अरे ! एक नंबर का झूठा इंसान है वो , ऐसे सिंगल सिंगल बोलकर ना जाने कितनी ही लड़कियों को फंसा रखा है उसने”,मधु ने लानत भरे स्वर में कहा
“एक मिनिट तुझे ये सब कैसे पता ? आज बैंक में तो कोई इस बारे में बात नहीं कर रहा था ना ही अमन बैंक आया था,,,,,,,,,,,,,,,,,,फिर तू कैसे कह सकती है वो गलत है ?”,रुचिका ने एकदम से कहा
“वो मुझे,,,,,,,,,,,,,,,मुझे पता है तू छोड़ ना ये सब , मुझे तेरे बारे में सोचकर चिंता हो रही है”,मधु ने एकदम से बात बदलते हुए कहा
“मेरे बारे में सोचकर,,,,,,,,,,,,,,मेरा उस अमन से कोई लेना देना नहीं है बहन मुझे इन सब से दूर ही रखो”,रुचिका ने कहा
“अरे नहीं मेरे कहने का मतलब है कही मोंटी भी तुम्हे धोखा तो नहीं दे रहा,,,,,,,,,,,,,,,,,देख यार शादी से पहले ये लड़के बहुत सही होते है लेकिन शादी के बाद धीरे धीरे इनका इंट्रेस्ट कम होने लगता है और ये बाहर अफेयर करने लगते है। अब आज तुम खुद देख लो मोंटी को तुमने भी देखा न किसी के साथ लेकिन उस से कुछ पूछने के बजाय तुमने मुझे ही चुप करवा दिया। मैं तो कहूँग कि तुम्हे मोंटी पर थोड़ा ध्यान देना चाहिए”,मधु ने आग लगाते हुए कहा
“मोंटी ऐसा नहीं है वो मुझसे बहुत प्यार करता है और मुझे उस पर पूरा भरोसा है इसलिए तुम उसके बारे में ये बकवास करना बंद करो”,रुचिका ने थोड़ा नाराज होकर कहा
“मैं कोई बकवास नहीं कर रही रुचिका मैं बस तुम्हे आईना दिखाने की कोशिश कर रही हूँ। अमन ने जो अपनी वाइफ के साथ किया कल को वो तुम्हारे साथ ना हो सोचकर ही मैंने तुम्हे ये सब बताया है लेकिन तुमने तो जैसे अपनी आँखे ही बंद कर ली है”,मधु ने मुंह बनाकर कहा
“थैंक्यू लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं उसे सिर्फ इसलिए जज करू कि मैंने उसे एक लड़की के साथ देखा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ग्रो अप मधु मोंटी ऐसा बिल्कुल नहीं है वो कभी मुझसे कुछ नहीं छुपाता , वो मेरा भरोसा कभी नहीं तोड़ेगा”,रुचिका ने मोंटी पर अपने भरोसे को कायम रखते हुए कहा हालाँकि अंदर से वह भी थोड़ा उलझी हुई थी
“और अगर मोंटी ने ऐसा कुछ किया तो ? तब क्या करोगी तुम ?”,मधु ने रुचिका की दुखती रग पर हाथ रखते हुए कहा
“तो मैं उसे छोड़ दूंगी,,,,,,,,,,!!”,कहकर रुचिका उठी और जाने लगी तो मधु ने कहा,”तुम डिनर किये बिना कहा जा रही हो ?”
“मैं डिनर नहीं कर पाऊँगी मधु तुम्हारी बातो से मेरा पेट भर गया है। बाय”,कहकर रुचिका ने अपना बैग उठाया और तेजी से वहा से निकल गयी।

नैना और अवि ख़ामोशी से खाना खा रहे थे। खाते हुए जरा सा खाना अवि के होंठ से कुछ नीचे जा लगा नैना ने देखा तो टिशू उठाया और खुद ही उसे साफ करने लगी। जितने प्यार से वह ये कर रही थी अवि का तो दिल ही धड़कने लगा। नैना से ऐसे बर्ताव की उम्मीद तो उसने कभी सपने में भी नहीं की थी लेकिन आज नैना उसके लिए ये सब कर रही थी और अवि बस मुस्कुरा रहा था। अवि को मुस्कुराते देखकर नैना ने अपनी भँवे उचकाई। अवि ने उसका सर नीचे किया और अपने होंठो से छूकर कहा,”इतना प्यार मत जताओ नैना कही मैं मर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
अवि ने जैसे ही कहना चाहा नैना ने अपना हाथ उसके होंठो पर रख दिया और कहा,”श्श्श्श ऐसी बातें नहीं करते , तुम्हे मेरे साथ जीना होगा , मुझे झेलना होगा इसलिए मरना केंसल,,,,,,,,,,,,,वैसे भी मैं तुम्हे इतनी जल्दी छोड़ने वाली नहीं हूँ”
“मैं छोड़ने दूंगा भी नहीं”,अवि ने उसके हाथ को थामकर कहा। दोनों ने खाना खत्म किया और उसके बाद अवि ने नैना से कहा,”नैना !”
“हाँ,,,,,,,,,,,!”,नैना ने कहा
“वो सामने जो झील है वो काफी खुबसुरत है तो क्या हम दोनों एक वॉक पर चले ?”,अवि ने झिझकते हुए पूछा
“आज की रात सिर्फ तुम्हारी है तो तुम जो कहो मंजूर है,,,,,,,,,,,चलो”,नैना ने ख़ुशी ख़ुशी हामी भर दी और अवि के साथ चल पड़ी। दोनों धीमे कदमो से चले जा रहे थे। चलते चलते अवि ने नैना के हाथ को अपने हाथ में थाम लिया और नैना से बातें करते हुए आगे बढ़ गया। बातें सिर्फ अवि कर रहा था वो नैना को अपने स्कूल के दिनों में यहाँ आने के किस्से सूना रहा था और आज नैना ने भी अवि को बोलने का पूरा मौका दिया। वह मुस्कुराते हुए बस ख़ामोशी से सब सुने जा रही थी। अवि आज नैना के सामने बिल्कुल बच्चा बना हुआ था और उसे ऐसे खुश देखकर नैना के होंठो से मुस्कुराहट हटने का नाम नहीं ले रही थी। धीरे धीरे ही सही लेकिन हमारी नैना बदल रही थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और ये बदलाव काफी खूबसूरत था।

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