कितनी मोहब्बत है – 2
kitni mohabbat hai – 2
“कितनी मोहब्बत है”
By Sanjana Kirodiwal
( अब तक आपने पढ़ा ‘मीरा राजपूत’ जिसका इकलौता सहारा ‘सावित्री जी’ हमेशा के लिए उसे छोड़कर चली जाती है ! मीरा की दोस्त निधि उसे अपने घर ले आती है जहा निधि के घरवाले उस से बहुत ही अच्छा बर्ताव करते है और उसे वहा रुकने की परमिशन मिल जाती है ! निधि का बड़ा भाई अर्जुन जब मीरा को देखता है तो उसे मीरा अच्छी लगती है ! नहाने के बाद जब मीरा ऊपर हॉल की बालकनी में जाती है तो उसकी नजर वहा बने कमरे के दरवाजे पर जाती है जिसकी नेम प्लेट पर लिखा था ‘अक्षत व्यास – ए कॉम्प्लिकेटेड बॉय’ ये वही लड़का है जिसका जिक्र कहानी में हो चुका था लेकिन ये क्या था ? ये जानना अभी बाकि था ! अब आगे -:
बाल सुखाकर मीरा वहा से निधि के कमरे की और आती है ! रघु कमरे की सफाई कर चुका था ! निधि अपने और मीरा के लिए कॉफी ले आयी और उसे लेकर अपने कमरे में आयी ! मीरा ने देखा कमरा बहुत खूबसूरत था ! बड़ा सा गद्देदार बिस्तर जिस पर फूलो वाली बेडशीट बिछी हुई थी ! चौकोर और गोल तकियो का ढेर लगा हुआ था ! उन्ही के बिच पड़ा था एक हल्के गुलाबी रंग का टेडी ! मीरा कमरे का जायजा लेने लगी ! बिस्तर के बिल्कुल सामने कबर्ड बने थे ! उनसे लगकर अटैच बाथरूम था ! दिवार से लगकर एक स्टडी टेबल था जिसके ऊपर किताबे रखी थी और एक नाईट लेम्प भी ! बिस्तर से कुछ ही दूर एक बड़ी खिड़की थी और उस से लगकर एक बालकनी थी जिसमे हलके गुलाबी रंग के परदे थे ! मीरा को ऐसे देखकर निधि ने कहा,”अरे क्या हुआ बैठो ना ? कॉफी ठंडी हो जाएगी !”
“हम्म्म्म !”,कहकर निधि बिस्तर के एक किनारे पर बैठ गयी और निधि की और देखकर कहा,”समझ नहीं आ रहा निधि तुम्हारा ये अहसान हम कैसे चुका पाएंगे ? तुमने हमे यहाँ लाकर हम पर बहुत बड़ा अहसान किया है !”
“तुम फिर शुरू हो गयी ! निचे दादू ने क्या कहा था की एक दोस्त ही दोस्त के काम आता है तो इसमें अहसान कैसा हुआ बोलो ?”,निधि ने डपटते हुए कहा !
“तुम नहीं जानती निधि तुमने हमारे लिए क्या किया है ?”,मीरा ने शांत भाव से कहा
“अच्छा थी है जब जरूरत होगी तब हम तुमसे कुछ मांग लेंगे , तुम दे देना उतर जाएगा अहसान !”,निधि ने कॉफी का घूंठ भरते हुए कहा !
“ठीक है !”,मीरा ने कहा
“ऐसे नहीं वचन दो मुझे , तुम राजपूत लोगो के लिए तुम्हारा वचन बहुत इम्पोर्टेन्ट होता है ना ! चलो दो”,निधि ने हाथ आगे करते हुए कहा !
मीरा ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा,”हम वचन देते है , तुम जो मांगोगी हम देंगे !”
निधि मुस्कुराते हुए मीरा के गले लगी और कहा,”तुम खुश रहो इस से ज्यादा मुझे कुछ नहीं चाहिए !”
मीरा भी मुस्कुरा दी ! निधि ने वही बैठे बैठे मीरा को घरवालों के किस्से सुनाने शुरू किये,”चलो मैं तुम्हे सबके बारे में बताती हु ! सबसे पहले दादाजी के बारे में दादू एकदम मस्त इंसान है मैंने कभी भी उनको गुस्सा करते नहीं देखा हमेशा हसते मुस्कुराते रहते है ! सबसे ज्यादा प्यार दादी माँ को करते है जानती हो उस ज़माने में भी दोनों ने लव मैरिज की थी ! हाउ रोमेंटिक ना , दादी माँ कोलकता से है इसलिए साल में एक बार दादा दादी वहा जरूर जाते है एज ए लव बर्ड्स!” (हसने लगती है निधि)
“इस उम्र में भी उन दोनों के बिच इतना प्यार है ! सच में दादी माँ बहुत लकी है !”,मीरा ने कहा
निधि मुस्कुराई और कहने लगी,”हां बिल्कुल ! उन दोनों के बाद मम्मी पापा है , पापा तो हर वक्त काम में बीजी रहते है और मम्मा , मम्मा पापा की जरूरतों का ख्याल रखने में बीजी रहती है ! जब घर में हो तब भी और ऑफिस हो तो फोन करके उन्हें खाने दवाईयों के बारे में दिलाती रहती है !
निधि रुकी और मीरा की और देखकर कहा,”पता है मीरा मम्मा पापा ज्यादा बात नहीं करते फिर भी मम्मा को पता होता है की पापा को किस वक्त क्या चाहिए ? इंट्रेस्टिंग ना !”
“क्योकि उन दोनों में ढेर सारा प्यार है !”,मीरा ने निधि की बातो में दिलचस्पी दिखाते हुए कहा !
“हां ! उसके बाद अर्जुन भैया , अर्जुन भैया बिल्कुल तुम्हारी तरह है शांत , आदर्शवादी और चुप चुप रहने वाले ! उन्हें शोर शराबा बिल्कुल पसंद नहीं है ! ऍम.बी. किया है और अब पापा के साथ मिलकर ऑफिस सम्हाल रहे है !”,निधि ने कहा !
“सब हो गए ?”,मीरा ने उठते हुए कहा !
निधि ने मीरा का हाथ पकड़कर वापस बैठाया और कहा,”अरे एक इंसान के बारे में तो मैं बताना ही भूल गयी !”
“कौन ?”,मीरा ने कहा
“अक्षत भैया ! दुनिया के आठवे अजूबे कहो तो गलत नहीं होगा , उनको ना आज तक कोई नहीं समझ पाया है मम्मा पापा भी नहीं ! अभी अभी कॉलेज ख़त्म हुआ है उनका , हिस्ट्री में कॉलेज में टॉप किया है उन्होंने !”,निधि ने चहकते हुए कहा !
“नाइस !”,मीरा ने धीरे से कहा !
“वो जो सामने हॉल से लगकर कमरा बना है ना वो उन्ही का है , उस साइड कोई नहीं जाता उनका कहना है वो उनका हिस्सा है ! पागल है वो अपने ही घर में क्या अपना पराया !!”,निधि ने कहा !
मीरा की आँखों के आगे वो नेम प्लेट आ गयी जिस पर लिखा हुआ था ‘अक्षत व्यास – ए कॉम्प्लिकेटेड बॉय’ मीरा को अब इस शब्द का मतलब समझ आ रहा था ! अक्षत से उसका सामना कैसे होगा ये वो नहीं जानती थी पर इतना जान चुकी थी की वो बाकि घरवालों से अलग ही था ! सबके बारे में बताने के बाद निधि ने कहा,”अब तुम भी इस घर का हिस्सा हो है ना , तो तुम्हारा इंट्रो में लोगो को ऐसे दूंगी ‘ये है मेरी सबसे खूबसूरत दोस्त मीरा , मीरा राजपूत ! थोड़ी चुप चुप थोड़ी खामोश लेकिन इसकी आँखे बहुत बाते करती है !”
मीरा हसने लगी और कहा,” अरे बस कर हम इतने भी खूबसूरत नहीं है !”
निधि ने मीरा की और देखा और,”हाय कितनी खूबसूरत तो हो कोई भी मर मिटे मैं लड़का होती ना तो पक्का शादी कर लेती तुमसे !”
“चुप करो , सच में बहुत बड़ी नौटंकी हो तुम !”,मीरा में उठते हुए कहा !
“अच्छा मीरा मार्किट चले !”,निधि ने कहा !
“निधि अगले महीने हमारे एग्जाम्स शुरू होने वाले है और एक महीने कॉलेज नहीं आने की वजह से मेरा सारा रिवीजन बाकि है , मैं नहीं जा पाऊँगी प्लीज़”,मीरा ने कहा !
“इट्स ओके मैं भी नहीं जा रही फिर !”,निधि ने वापस बैठते हुए कहा !
“अरे तुम क्यों नहीं जा रही अब ?”,मीरा ने कहा
“तुम्हे अकेला छोड़कर , अच्छा लगता है क्या ?”,निधि ने मासूमियत से कहा !
“अरे हम रह लेंगे , हमारी वजह से तुम अपनी ख़ुशी बर्बाद मत करो ! तुम जाओ”,मीरा ने प्यार से निधि के गाल को छूकर कहा !
“थैंक्स ! अच्छा मीरा वो जो फस्ट नंबर वाला कबर्ड है वो खाली है तुम उसमे अपने कपडे और बाकि सामान रख लेना , और बुक्स मेरी वाली टेबल पर ही रख लेना ! और कुछ चाहिए हो तो मम्मा से कह देना या मुझे फोन कर लेना !”,निधि एक साँस में बोल गयी !
“हम सब देख तुम बेफिक्र होकर जाओ !”,मीरा ने अपना बैग खोलते हुए कहा !
निधि अपना पर्स और फोन लेकर वहा से चली गयी !
मीरा ने दरवाजा बंद किया और फिर निधि के बताये कबर्ड में अपने कपडे और सामान रखने लगी ! सामान रखकर मीरा ने अपनी किताबे निकाली और पढ़ने लगी ! किताबो के बिच एक घंटा कब निकल गया मीरा को पता ही नहीं चला ! उसने एक किताब उठायी और लेकर बालकनी में पड़ी कुर्सी पर आ बैठी ! मीरा इत्मीनान से किताब के पन्ने पलटते हुए पढ़े जा रही थी तभी एक तेज चमक उसे अपने चेहरे पर महसूस हुई ! मीरा ने उस और देखा लेकिन वो चमक सीधी उसकी आँखों में पड़ रही थी जिस से वह चाहकर भी अपनी आँखे नहीं खोल पा रही थी ! वो तेज चमक शीशे की थी मीरा साइड में हुयी तो पत्तो की ओट में निचे खड़े किसी शख्स की आँखे दिखी ! जिस शीशे की चमक मीरा की आँखों में आ रही थी वो शीशा निचे खड़े उस शख्स की घडी का ही था जो उसके हाथ में बंधी हुयी थी ! जैसे ही उसने हाथ ऊपर किया एक बार फिर वही रौशनी मीरा के चेहरे पर आ गिरी ! मीरा ने देखने की कोशिश की लेकिन इस बार सिर्फ उसके सुर्ख होंठ दिखाई दिए ! मीरा को झुंझलाहट हो रही थी एक तो वह तेज रौशनी ऊपर से वह निचे खड़े उस सख्स को देख नहीं पा रही थी ! उसकी आँखों में मीरा के दिल में बेचैनी जो बढ़ा दी थी ! बालकनी से लगी हुई तार पर कपडे सुख रहे थे ! मीरा ने जैसे ही उस तार को पकड़ा वह तार टूटी और उसके सारे कपडे मीरा पर आ गिरे ! मीरा उन कपड़ो में ऐसी उलझी की उस शख्स को देख ही नहीं पाई ! जब उठी और निचे देखा तो वो उसे बाहर जाता दिखा ! मीरा को पहली बार बहुत निराशा हुई ! हाथ में पहनी लड़के की घडी का शीशा अभी भी चमक रहा था चलते चलते उसने जैसे ही हाथ उठाया एक तेज रौशनी एक बार फिर मीरा की आँखों में आ गिरी ! !
मीरा अंदर आकर लेट गयी लेकिन आँखों के आगे बार बार वो दो आँखे और सुर्ख होंठ आ रहे थे ! मीरा की झुंझलाहट अब और ज्यादा बढ़ गयी तो वह कमरे से बाहर आ गयी ! निचे आकर वह बगीचे में दादी के पास चली आयी ! दादी ने देखा तो उसे पास आने को कहा और बोली,”मन लग गया ना तुम्हारा यहाँ ?”
“जी दादी माँ !”,मीरा ने धीरे से कहा !
“आओ बैठो !”,दादी ने बड़े प्यार से कहा तो मीरा आकर उनके पास बैठ गयी ! दादी ने बड़े गौर से देखा और कहा,”तुम कुछ परेशान नजर आ रही हो ? मुझे बताओ किसी ने कुछ कहा ?”
“नहीं दादी माँ ऐसी कोई बात नहीं है , सब बहुत अच्छे है !”,मीरा ने नजरे चुराते हुए कहा
“तो फिर इतने प्यारे से चेहरे पर परेशानी के भाव क्यों ? देख मैं दादी माँ हु चेहरा पढ़ लेती हु !”,दादी माँ ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा !
“दादी माँ वो अभी यहाँ निचे कोई था क्या ?”,मीरा ने झिझकते हुए कहा !
“यहाँ , हाँ वो कुछ देर पहले अक्षत आया था , लेकिन वो पट्ठा एक जगह टिकता कहा है ? आया की वापस चला गया , उस लड़के को बस दिनभर घूमना फिरना मस्ती करनी है ! पता नहीं अपनी जिम्मेदारियों को कब समझेगा ये !”,दादी ने कहा
“ओह्ह्ह तो वो थे अभी उस से मिली भी नहीं हु और टॉर्चर करना शुरू ! आई हॉप हम उस से ना ही मिले”,मीरा ने मन ही मन कहा !
“क्या हुआ ? तुमसे कुछ कहा उसने ?”,दादी ने पूछा
“नहीं दादी माँ , कुछ नहीं कुछ नहीं कहा हम तो बस ऐसे ही पूछ रहे थे !”,मीरा ने कहा
“अच्छा ! तुम कहा से हो ?”,दादी ने पूछा
“जी भोपाल से !”,मीरा ने कहां और उसके बाद दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गयी ! जिससे मीरा उन आँखों को कुछ देर के लिए भूल गयी !
दादी माँ ने उसे अपनी शादी से लेकर अब तक के सफर के बारे में बता दिया ! मीरा ख़ामोशी से उन्हें सुनती रही !
दिन चढ़ने लगा था दादी माँ और मीरा अंदर चली आयी ! मीरा ने देखा रघु बरामदे से कपड़ो का ढेर लेकर जा रहा था तो वह मदद के लिए उसके पास आयी और कहा,”लाईये कुछ कपडे हमे दे दीजिये !”
“अरे नहीं नहीं दीदी , ये अक्षत बाबा के कपडे है ! इन्हे तो हमे ही रखने जाना होगा उन्हें नहीं पसंद कोई उनकी चीजों को हाथ लगाए !”
मीरा ने सूना तो उसे बड़ा अजीब लगा और वह सोचने लगी,”आखिर ये अक्षत है क्या ?”
“आपको कुछ चाहिए दीदी ?”,रघु की आवाज से मीरा की तंद्रा टूटी तो उसने धीरे से ना में गर्दन हिला दी !! वह अंदर चली आयी बालकनी में गमलो में पौधे लगे थे मीरा उनकी और चली आयी ! उसने ख़राब हो चुकी पत्तियों को अलग किया और गमलो की सफाई करके उनमे पानी देने लगी ! दादू बाहर से आ चुके थे और काफी देर से वे मीरा को ये सब काम करते हुए देख रहे थे ! मीरा बड़े प्यार से पोधो की सिचांई कर रही थी जिसे देखकर दादू की आँखों को सुकून मिल रहा था ! वे चलकर मीरा के पास आये और वह पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा,”बड़े दिनों बाद किसी को इतने इत्मीनान से काम करते देखा है !”
“अरे दादाजी आप !”,मीरा ने दादू की आवाज सुनकर कहा
“तुम मुझे सबकी तरह दादू ही बुलाया करो , अपनापन लगता है ! , वैसे तुम आज ही इस घर में आयी हो और आज ही काम में खुद को व्यस्त कर लिया !”,दादू ने बड़े प्यार से कहा
“हमे ये सब काम करना पसंद है दादू , पौधे भी इंसान की ही तरह होते है जैसे कोई उदास इंसान अच्छा नहीं लगता वैसे ही मुरझाया हुआ पौधा भी अच्छा नहीं लगता ! और हमारी माँ कहती थी की मुरझाये हुए पौधे घर में रखना अच्छा शगुन नहीं होता है !”,मीरा ने धीमी आवाज में पौधे पर लगे उस छोटे से फूल को सहलाते हुए कहा !
” तुम तो बहुत समझदार बच्ची हो ! ये पौधे अक्षत लाया था जब पिछले साल हम सब बनारस गए थे घूमने ! वहा से लौटते हुए रास्ते में उसने ये ख़रीदे थे ! ये बात और है घर में लाने के बाद उस नालायक ने इन्हे सम्हाला नहीं !”,दादू ने कहा !
दादू के मुंह से अक्षत का नाम सुनकर मीरा के दिमाग में फिर वही दो आँखे घूमने लगी ! उसे खामोश देखकर दादाजी ने कहा,”तुम करो मैं चलता हु !”
दादू वहा से चले गए मीरा वही बैठी अक्षत के बारे में सोचने लगी ! जिसका नाम वह सुबह से लगातार सुन रही थी लेकिन जिसे देखा नहीं था उसने !
“ऐ मीरा वहा क्या कर रही हो तुम ?”निधि ने बाहर से आते हुए कहा जिसके हाथ में कुछ बैग्स थे !
निधि को वहा देखकर मीरा उठी हाथ धोये और हॉल में आ गयी ! मीरा निधि के पास आयी तो निधि ने एक नोटबुक उसकी और बढाकर कहा,”ये लो तुम्हारे एक महीने के बैक नोट्स”
“ये तुम्हे कहा से मिले ?”,मीरा ने हैरानी से कहा !
“विनीत से ! आज मार्किट में मिला था ! मैंने उसे कहा की मीरा एक महीने कॉलेज नहीं आयी थी तो उसने ख़ुशी ख़ुशी अपने नोटस दे दिए !”,निधि ने सोफे पर बैग रखते हुए !
“तुमने ऐसा क्यों किया ? तुम्हे उस से नोटस नहीं लेने चाहिए थे !”,मीरा ने गंभीर होकर कहा !
“ओह्ह कम ऑन मीरा सब जानते है विनीत तुम्हे पसंद करता है और इसलिए उसने तुम्हे अपने नोटस दिए है !”,निधि ने कहा
“हम उसे कल ये वापस लौटा देंगे !”,मीरा ने कहा
“तुम्हारी मर्जी !”,निधि ने सोफे पर बैठते हुए कहा !
मीरा ने बुक को टेबल पर रखा और निधि के बगल में बैठ गयी ! निधि ने एक बैग से चॉकलेट का पैकेट निकालते हुए कहा,”खाओगी ?”
“तुम्हे पता है ना हमे चॉकलेट्स नहीं पसंद !”,मीरा ने कहा
“तुम ना दुनिया की आठवा अजूबा हो , अह्हह्हं अक्षत भैया के जैसे ! मतलब तुम दुनिया की पहली लड़की होगी जिसे चॉकलेट्स नहीं पसंद ,, वैसे भी मैं ये अक्षत भैया के लिए लायी थी उन्हें डार्क चॉकलेट बहुत पसंद है !”,निधि ने एक पीस मुंह में रखते हुए कहा !
अब तक सबके मुंह से अक्षत का नाम सुन सुन कर मीरा थक चुकी थी और इस बार तो निधि ने उसे अक्षत के जैसा भी बता दिया था ! मीरा उठी और वहा से चली गयी ! निधि को बड़ी हैरानी हुई मीरा के जाने से उसके मुंह से हैरानी भरे शब्द निकले,”अब इसे क्या हुआ ? खैर पहले चॉकलेट खा लू फिर पूछती हु !” निधि ने एक और पीस मुंह में रख लिया !
शाम हो चुकी थी और ठण्ड भी बढ़ने लगी थी ! मीरा ने कबर्ड में रखा अपना क्रीम कलर का स्वेटर निकाल लिया और पहनकर निचे आ गयी ! दादी माँ पूजा घर में शाम की संध्या आरती कर रही थी ! दादाजी हॉल में बैठकर टीवी पर न्यूज देख रहे थे जिन्हे पूजा करते हुए दादी बिच बिच में टोक भी रही थी,”आवाज कम कीजिये ना !” पर दादाजी के कान पर जूं तक नहीं रेंगती ! मीरा ये नजारा देखकर मुस्कुरा उठी ! हॉल से कुछ ही दूर बने डायनिंग एरिया में रघु टेबल पर रखी प्लेट साफ करके लगा रहा था ! उसका ध्यान टेबल पर कम और न्यूज पर ज्यादा था और उसी के हिसाब से उसके चेहरे के भाव भी बदल रहे थे ! मीरा उसके पास आई और इशारो में ही उसे वहा बैठकर टीवी देखने को कहा और उसके हाथ से कपड़ा लेकर खुद प्लेट पोछकर रखने लगी ! रघु मीरा के इस व्यवहार पर मुस्कुरा उठा ! वहा से मीरा किचन की और आयी और दरवाजे पर आकर रुक गयी ! उसे दरवाजे पर खड़े देखकर राधा ने कहा,”तुम बाहर क्यों खड़ी हो ?”
मीरा ने कुछ नहीं कहा शायद वह कहने से हिचकिचा रही थी राधा ने उसका चेहरा देखा तो उसकी परेशानी समझ गयी और कहा,”तुम सोच रही होगी हम लोग ब्राह्मण है और तुम राजपूत तो रसोई के अंदर आउ या नहीं , यही बात है ना ?”
“जी , हम राजपूत जरूर है लेकिन शाकाहारी है !”,मीरा ने धीरे से कहा !
“कोई बात नहीं अंदर आ जाओ !”,राधा ने मुस्कुरा कर कहा ! मीरा अंदर आयी किचन एक कमरे जितना बड़ा था ! सारा सामान व्यवस्तिथ जमा हुआ था किचन देखकर मीरा इतना तो जान चुकी थी की राधा सफाई पसंद थी ! वह किचन की हर चीज को बड़े गौर से देख रही थी ! तभी उसकी नजर सामने रेंक पर रखे कॉफी मग पर गयी ! मीरा ने उसे उठाया उस पर किसी लड़के के तस्वीर थी लेकिन चेहरा नजर नहीं आ रहा था उसने अपने हाथ को अपने चेहरे के बिल्कुल किया हुआ था जिससे सिर्फ उसकी आँखे नजर आ रही थी ! मीरा ने पलटकर देखा तो पीछे एक मेसज लिखा था – My eyes are enough for you to fall in love with me (तुम्हारा मेरे प्यार में पड़ने के लिए मेरी आँखे ही काफी है) मीरा ने पढ़ा तो उसे बहुत अजीब लगा वह जैसे ही पलटी राधा पीछे खड़ी थी उसने मीरा के कहने से पहले ही मग की तस्वीर की और इशारा करते हुए कहा,”मेरा छोटा बेटा अक्षत , इसे तस्वीरें खिंचवाना बिल्कुल पसंद नहीं है ये लास्ट बर्थडे पर निधि ने ली थी और इसे गिफ्ट की थी !”
मीरा ने फिर से अक्षत के बारे में कुछ नया सूना अंदर ही अंदर झुंझलाहट भी थी ! मीरा को खामोश देखकर राधा ने कहा,”इसे वहा रख दो !”
“हम्म !”,कहकर मीरा पलटी और हाथ को जोर से झटका वैसे ही जैसे हम लोग किसी सामान को फेंकते है लेकिन उसने मग फेंका नहीं बल्कि वापस रख दिया ! राधा सब्जिया काटने में बीजी थी तो मीरा उनके पास आयी और कहा,”हम आपकी कुछ मदद करे !”
“नहीं बेटा मैंने सब कर लिया बस दादाजी के लिए कुछ फीका बनाना है ! तुम कुछ लोगी चाय कॉफी”,राधा ने कहा
“नहीं आंटी , आपकी हेल्प करते तो हमे अच्छा लगता ,, वैसे भी जबसे आये है तबसे मेहमान जैसा महसूस कर रहे है !”,मीरा ने मासूमियत से कहा
“अच्छा तो ये बात है ! फिर एक काम करो वो वहा जो कच्चा नारियल रखा है उसके छोटे छोटे टुकड़े कर दो ! अक्षत को नारियल की चटनी बहुत पसंद है ,, खुश हो जाएगा वो”,राधा ने सब्जिया बर्तन में डालते हुए कहा !
“हम्म !”,मीरा ने कहा और चाकू उठाकर नारियल की और बढ़ गयी ! उसने नरियल का टुकड़ा उठाया और उस पर ऐसे चाकू चलाया जैसे वो नारियल नहीं अक्षत की गर्दन हो ! इस एक नाम ने आज उसे जितना परेशान किया था शायद जिंदगी में किसी ने ना किया हो ! जिसके नाम से मीरा इतना परेशान थी वो खुद जब उसके सामने आएगा तब क्या होगा कोई नहीं जानता था ! नरियल काटकर मीरा बाहर चली आयी ! उसने राधा को डायनिंग पर खाना लगाने में मदद की और फिर हाथ मुंह धोने चली गयी ! मुंह धोकर जब उसने खुद को आईने में देखा तो परेशानी के भाव उसके चेहरे से साफ साफ झलकने लगे ! तोलिये से मुंह पोछते हुए वह मन ही मन खुद से कहने लगी -: आखिर क्या बला है ये अक्षत ? घर में सबकी जुबान पर उसका ही नाम है हर कोई बस उसकी ख़ुशी की बाते करता है ! अच्छा है या बुरा है कुछ पता नहीं चल पा रहा ? और फिर उसके ये अजीब थॉट्स आखिर कौन है ये अक्षत ? “
(मीरा के साथ साथ अब आप भी सोच में पड़ गए होंगे की आखिर क्या बला है अक्षत ? हमारे अक्षत जी से मिलने के लिए आप लोग भी उतने ही बेचैन होंगे जितनी हमारी मीरा है ! ये इंतजार की घडिया जल्दी ही ख़त्म होगी तब तक पढ़ते रहिये ‘कितनी मोहब्बत है’ मेरे साथ !
क्रमश -: कितनी मोहब्बत है – 3
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संजना किरोड़ीवाल
Nice
Love this story… Reading again is so much peaceful ❤️
Mujhe laga iss story ka aage ka part aayega lekin yeh toh phle wali story hi repeat ho rahi hai,, iss story ka 2 part kab aayega?
Love your story kitni mohabbat hai, dose the story ends up on their wedding or you are going to write more chapters of Mira and Akshat’s life ahead..
Love your story kitni mohabbat hai , wants to buy your book
Lots of love Kitni mohabbat hai…2❤️❤️
Maam amazing story please write more chapter after the wedding of akshat and mira please i am waiting for it please its a request from a big fan to a big writter plus a good thinking too maam please write more chapters on it
The story is superb , I liked the story very much . By listening this story it doesn’t feel that it is a story but I felt that I am see a movie . Really it is a very beautiful story created by you . Hope the second part of the story will come soon . Thank you