Sanjana Kirodiwal

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कितनी मोहब्बत है – 5

Kitni Mohabbat Hai – 5

(अब तक आपने पढ़ा अक्षत और मीरा की तकरार बढ़ती ही जा रही थी वही अर्जुन के मन में मीरा के लिए भावनाये उमड़ने लगी थी ! कॉलेज में मीरा ने विनीत से दूर रहने और उसकी किसी भी तरह की मदद करने से मना कर दिया ! घर में सभी मीरा से बहुत खुश थे ! राधा उसके साथ बिल्कुल निधि की तरह ही व्यवहार कर रही थी ! निधि से बातचीत के दौरान मीरा के अतीत की एक छोटी से झलक देखने को मिलती है लेकिन अतीत के राज क्या है ? ये मीरा भी नहीं जानती है ! रात के खाने के दौरान अक्षत खाना खाने में आना कानी करता है लेकिन दादी उसे खिला देती है ! आखिर अक्षत ने ना क्यों कहा आईये जानते है -: )

अक्षत को अनमने ढंग से खाते देखकर मीरा को शक हुआ ! खाते हुए उसकी नजर निचे गयी उसने देखा अक्षत ने पार्टी वियर जुते पहने है ! मीरा ने मन ही मन खुद से कहा,”इन्होने तो कहा की ये घर में ही थे और सोकर आ रहे है , लेकिन घर में ऐसे जूते पहनकर कौन सोता है ? जरूर कुछ गड़बड़ है !”
“मेरा हो गया !”,कहते हुए अक्षत उठा और भाग गया ! किसी ने भी उसके जूतों पर ध्यान नहीं दिया ! खाना खाकर निधि जैसे ही चुपके से जाने लगी तो अर्जुन ने रोकते हुए कहा,”500 रूपये !”
“भैया वो मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी , मुझे तो पता था अक्षत भाई घर में ही है !”,निधि ने बचते हुए कहा
“ये सब बाते ना कही और बनाना , चुपचाप पैसे निकाल !”,अर्जुन ने कहा
“निधि कोई पैसे नहीं देगी !”,मीरा ने आकर कहा !
“क्यों ? क्यों नहीं देगी ?”,अर्जुन अब मीरा के सामने था ! मीरा मुस्कुराई और कहा,”क्योकि आपके अक्षत जी घर पर नहीं थे , कुछ देर पहले ही बाहर से आये थे !”
मीरा के मुंह से सच सुनकर अर्जुन अवाक् रह गया लेकिन खुद को सही साबित करना भी जरुरी था इसलिए कहा,”ये आप कैसे कह सकती है की वो बाहर से आया था !”
“उन्होंने डायनिंग पर पार्टी वियर शूज पहने हुए थे मतलब वो बाहर से आये थे ! आप शर्त हार गए !”,मीरा ने कहा और चली गयी !
“यार तेरी दोस्त तो बहुत इंटेलिजेंट है , उसने कैसे पता लगा लिया ?”,अर्जुन ने कहा
“क्योकि वो मेरी दोस्त है ना इसलिए !”,कहकर निधि भी चली गयी !
ऊपर खड़ा अक्षत ये सारी बाते सुन रहा था उसने धीरे से कहा,”सिली गर्ल !” अक्षत अपने कमरे की और चला गया लेकिन असली मुसीबत तो अब शुरू होनी थी ! पेट में दर्द होना शुरू जो हो चुका था मतलब अब इंसान दो दो बार खाना खायेगा तो यही हाल होगा ना उसका ! कमरे में आकर वह कभी बिस्तर पर गिरता तो कभी पर सोफे पर !
अक्षत उठा और ड्रावर से दवा निकाल कर ले ली ! लेकिन दवा से भी तुरंत आराम कहा आता है थोड़ा वक्त लगता है पर हमारे अक्षत में सब्र की जो कमी थी ! बेचैनी से वह यहाँ वहा घूमने लगा ! बेचारा किसी से कह भी नहीं सकता वरना सुनना पड़ जाएगा ! दरअसल घर आने से पहले वह अपने दोस्तों के साथ बाहर ठूसकर जो आया था ! अक्षत की उम्र 24 साल थी अभी हाल ही मैं उसने अपने ग्रेजुएशन की पढाई कम्प्लीट की थी ! अपने कॉलेज में वह हमेशा टॉप पर रहा ! हिस्ट्री में उसकी अच्छी पकड़ थी , अक्षत के दो दोस्त थे एक तरुण और दुसरा शुभ ! कॉलेज में अक्षत हमेशा चर्चा में रहा अपनी पर्सनालिटी और दुसरा उसका ऐटिटूड ! कॉलेज की सभी लड़किया उस पर फ़िदा थी पर मजाल है वो किसी को नजर भर देख ले ! वो हमेशा अपनी ही मस्ती में धुन रहने वाला लड़का था और उसकी यही बाते उसे ओरो से अलग भी बनाती थी !
अपना पेट पकडे पकडे वह बाहर आया और बालकनी में आकर खड़ा हो गया ! “बस अब एक ही रास्ता है”,कहते हुए उसने एक गहरी साँस ली और जेब से सिगरेट निकाल कर मुंह में रखते हुए जला ली ! अक्षत को सिगरेट की आदत कॉलेज में लगी थी लेकिन घरवालों को अभी इसके बारे में पता नहीं था ! उसने उनके सामने कभी नहीं पि थी ! अभी वह खड़ा खड़ा सिगरेट के कश लगा ही रहा था की तभी सीढ़ियों से मीरा चली आ रही थी अक्षत ने उसे एक नजर देखा और बालकनी से सामने देखते हुए फिर से सिगरेट पर ध्यान जमा लिया ! मीरा ने देख लिया था शायद इसलिए वह उसकी और चली आयी उसने हाथ में पकड़ी किताब को टेबल पर रखा और अक्षत के पास आकर धीरे से कहा,”सिगरेट पीना बुरी बात है !”
अक्षत ने कोई जवाब नहीं दिया बस चुपचाप सामने देखते हुए सिगरेट पिता रहा ! अक्षत का कोई जवाब नहीं पाकर मीरा ने कहा,”अंकल आंटी को पता है आप सिगरेट पिते है ?” अक्षत ने इस बार भी जवाब नहीं दिया तो मीरा ने खीजते हुए कहा,”एक काम करते है हम जाकर बता देते है !”
कहते हुए मीरा जैसे ही जाने लगी अक्षत एकदम से उसके सामने आ गया और कहा,”तुम क्या , पागल वागल हो ! ये सब बाते बताने के लिए होती है क्या ?”
“नहीं , पर शायद सिगरेट भी पीने के लिए नहीं होती है , इट्स डेंजरस फॉर हेल्थ !”,मीरा ने कहा
अक्षत उसके थोड़ा करीब आया और कहा,”मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है लोग मुझे इस तरह फालतू एडवाइज दे ! निधि की दोस्त हो उसकी दोस्त बनकर रहो मुझसे फ्रेंक होने की जरूरत नहीं है !”
“आपको लगता है हम आपसे फ्रेंक होने का सोचेंगे भी बिल्कुल नहीं ! हमने सिर्फ इसलिए कहा क्योकि इस एक सिगरेट से आप खुद को नहीं बल्कि अपने आस पास के लोगो और पेड़ पोधो को भी नुकसान पहुंचा रहे है !”,मीरा ने थोड़ा सख्त होकर कहा !
“वाओ , तुम इलेक्शन में खड़ी क्यों नहीं हो जाती ? जीत जाओगी कसम से !”,अक्षत ने कहा और दूसरी सिगरेट जला ली लेकिन वह कश ले पाता इस से पहले ही मीरा ने उसके मुंह से सिगरेट निकाल कर फेंकते हुए कहा,”आप शायद हमारी बात समझे नहीं , हमने कहा इस से नुकसान होता है !”
“सो व्हाट ? तुम्हे उस से क्या ?”,अक्षत ने कहा
“हमे इस से क्या ? हम्म्म सही है , तो फिर पीजिये ! हमे भी जो करना होगा हम करेंगे हम जाकर सबको बता देंगे !”,मीरा ने कहा
“अच्छा ठीक है !”,अक्षत ने झुंझलाकर सिगरेट फेंकते हुए कहा !
“हर वो चीज हमारे लिए सही नहीं होती जो हमे ख़ुशी देती है !”,मीरा ने कहा और वहा से चली गयी ! अक्षत वही खड़ा खुनस में उसे देखता रहा और कहा,”पर तुम तो खुद अपने आप में एक टॉर्चर हो !” अक्षत वही सोफे पर बैठ गया पेट अब ठीक था ! जेब से फोन निकाला और देखने लगा फोन देखते देखते उसकी नजर टेबल पर रखी किताब पर गयी ! उसने उसे उठाया और देखने लगा पेज खोला था ऊपर शुद्ध हिंदी में लिखा था – “मीरा राजपूत”
“हम्म्म तो ये उन मोहतरमा की है , पर उनको किताब की क्या जरूरत उनके पास तो आलरेडी इतना ज्ञान है , सॉरी बेबी बट रिवेंज इज रिवेंज”,कहते हुए अक्षत एक एक करके किताब के पन्ने फाड़ने लगा और वही हॉल में उड़ाने लगा ये करते हुए उसे बड़ा मजा आ रहा था !
किताब के सारे पन्ने निकालने के बाद अक्षत वहां से उठा और कमरे में चला गया ! मीरा को किताब का ख्याल नहीं रहा वह जाकर लेट गयी ! अक्षत के व्यवहार से थोड़ी परेशान थी ! अक्षत उसे पहली नजर में ही भा गया था पर जैसे जैसे मीरा उसे जानते जा रही थी उसे समझ आ रहा था की क्यों उसने नाम के बाद ‘कॉम्प्लिकेटेड’ लगाया है ! ऐसा ही था वो पल में गुस्सा पल में खुश , कभी सही कभी गलत मीरा समझ नहीं पा रही थी की इस घर में रहकर वह उसे कैसे हेंडल करे ? मीरा की एक कमजोरी थी और वो ये की वो जब भी कुछ गलत होते देखती उस से देखा नहीं जाता और वह उस रोकने की कोशिश करती ! लेकिन अक्षत के सामने वह कन्फ्यूज हो जाती की क्या सही है और क्या गलत ? विचारो में उलझे उसे नींद आ गयी ! सुबह उठी नहाकर तैयार हुई निधि भी आज जल्दी उठ चुकी थी ! दोनों तैयार होकर जैसे ही कमरे से बाहर आयी हॉल में ढेर सारे पन्ने इधर उधर उड़ रहे थे ! एक पन्ना मीरा के पैरो के पास आया उसने देखा तो आँखे खुली की खुली रह गयी ये तो उसकी बुक के पन्ने थे ! मीरा ने एक दो पन्ने और उठाये और उन्हें देखने लगी तो निधि ने कहा,”ये सुबह सुबह यहाँ कचरा किसने कर दिया ?” मीरा निधि की और पलटी और कहा,”ये कचरा नहीं है निधि हमारे कोर्स की किताब थी , पता नहीं किसने फाड् दी ?”
निधि ने देखा ये कहते हुए मीरा की आँखों में आंसू तैर गए ! उसने धीरे से कहा,”इम्पोर्टेन्ट थी क्या ?’
“हम्म्म , हमने कॉलेज की लेब से ऑनलाइन आर्डर की थी कल ही मिली थी और आजखुद सारे नोट्स बनाये थे पर सब बर्बाद हो गया ,,,, !”,मीरा कहते कहते रुक गयी !
“तुम परेशान मत हो हम पापा से कहकर दूसरी आर्डर करवा देंगे !”,निधि ने कहा
“पर इसके साथ ऐसा किसने किया होगा ?”,मीरा ने कहा
“सुबह सुबह क्या हो रहा है ?”,अक्षत ने कमरे से बाहर आते हुए कहा !
“भाई पता नहीं किसी ने बुक के सारे पन्ने फाड़ दिए ! वो बुक मीरा की थी इसलिए वो परेशान हो रही है !”,निधि ने मायूसी से कहा
“सिली गर्ल इसमें इतना परेशान क्यों होना ? बुक ही तो है और आ आजायेगी !”,अक्षत ने कहा
“पुरे 680 रूपये की किताब थी !”,मीरा ने आँखों में आंसू भरकर कहा
“680 की ही तो थी बस इतनी सी बात के लिए इतना परेशान , तुम्हारी दोस्त सच में पागल है निधि”,अक्षत ने टोंड मारते हुए कहा !
“आपके लिए सिर्फ 680 हो सकते है क्योकि आपके पास आपके पापा के लाखो रूपये है ! पर हमारे लिए इन 680 रुपयों की बहुत अहमियत थी ! जब खुद कमाएंगे तब अहसास होगा”,मीरा ने अक्षत से कहा और वहा से चली गयी !
“क्या भाई ? वो पहले ही इतना परेशान है और आपने,,,,,!”,कहकर निधि भी वहा से चली गयी !
“दोनों पागल है छोटी सी किताब के लिए रो रही है ! पहले पता होता तो मैं ऐसा करता ही नहीं”,कहकर अक्षत फिर से जाकर सो गया !
मीरा निचे आयी ! उसने अपनी उदासी छुपाने की कोशिश की नाश्ता करने के बाद मीरा चली गयी तो विजय ने निधि से कहा,”निधि आज मीरा कुछ परेशान नजर आ रही है तुम दोनों के बिच झगड़ा हुआ है क्या ?”
“नहीं पापा वो दरअसल मीरा की किताब फट गयी बस इसीलिए वो थोड़ा परेशान है”,निधि ने कहा !
“बस इतनी सी बात , मुझे बताओ कौनसी किताब है मैं अभी ऑनलाइन आर्डर कर देता हु !”,अर्जुन ने फोन निकालते हुए कहा !
“भैया वो नहीं लेगी !”,निधि ने उदास होकर कहा
“पर क्यों बेटा ?”,विजय ने कहा
“पापा उसके अपने कुछ उसूल है , अपनी जरूरतों के लिए वो किसी का अहसान नहीं लेती है ! इस घर में भी वो बहुत मिन्नतों के बाद रुकी है !”,निधि ने कहा
“हां ये राजपूत अपने उसूलो और वादो के पक्के होते है ! खैर तुम कोशिश करना वो मान जाये !”,विजय ने कहा !
“अभी नयी है ना इसलिए थोड़ा परायापन लग रहा है उसे , जब यहाँ रहेगी ना सबके बिच तो इस घर को और हम सबको अपना समझने लगेगी !”,दादी ने कहा !
“मैं चलती हु पापा , कॉलेज के लिए देर हो रही है !’,निधि ने कहा और चली गयी लेकिन जाते जाते अपनी परेशानी अर्जुन के चेहरे पर छोड़ गयी ! कॉलेज में निधि अपनी क्लास में थी और मीरा अपनी क्लास में दोनों के सब्जेक्ट्स अलग थे ! बस एक सब्जेक्ट्स में साथ क्लास होती थी ! क्लास ख़त्म होने के बाद भी मीरा क्लास में ही बैठी रही ! उसे उदास देखकर रागिनी (निधि और मीरा) की कॉमन फ्रेंड थी आकर उसके पास बैठ गयी और कहा,”क्या हुआ मीरा तू कुछ परेशान दिख रही है ?”
“कुछ नहीं रागिनी बस ऐसे ही !”,मीरा ने उदास लहजे में कहा
“मीरा तू मुझे बता सकती है , हम दोस्त है यार हो सकता है तेरी परेशानी जानकर मैं तेरी कुछ हेल्प कर दू !”,रागिनी ने अपना हाथ मीरा के हाथ पर रखकर कहा ! मीरा ने उसे सारी बात बता दी ! रागिनी ने बड़े ध्यान से सूना और कहा,”अगर तेरी फायनेंसियल प्रॉब्लम्स सॉल्व हो जाये तो सब ठीक हो जाएगा ना !” “हां लेकिन उसके लिए बाहर निकलना होगा !”,मीरा ने कहा !
“देखो कॉलेज के बाहर पास ही में मेरे एक दोस्त का कैफे है वहा पर तुम चाहो तो पार्ट टाइम जॉब कर सकती हो ! इस से तुम्हारा कॉलेज भी बंक नहीं होगा और तुम्हे कुछ पैसे भी मिल जायेंगे ! एक महीने बाद एग्जाम्स है तुम चाहो तो उसके बाद शुरू कर लेना !”,रागिनी ने कहा !
“थैंक्यू रागिनी !”,मीरा ने कहा ! उसकी थोड़ी परेशानी कम हुई रागिनी उसे काम के बारे में बताने लगी तब तक निधि वहा आ गयी जब उसने सूना तो उसे बहुत बुरा लगा और उसने कहा,”मीरा ऐसा कुछ भी नहीं करेगी !”
“निधि , हमे कुछ न कुछ तो करना होगा ना !”,मीरा ने कहा
“कुछ नहीं करना जब तक मैं हु , कुछ पैसो के लिए तुम क्यों जॉब करोगी यार ?”,निधि ने उदास होकर कहा !
“आज नहीं तो कल खुद के लिए हमे कोई ना कोई काम तो करना होगा ना निधि , जिंदगीभर तो हम तुम्हारे घर में इस तरह नहीं रह सकते ना !”,मीरा ने कहा
“क्यों नहीं रह सकती ? मम्मी पापा को कोई ऐतराज नहीं है मीरा तुम्हारे वहा रहने में !”,निधि ने कहा
“हां लेकिन अपनी जरूरतों के लिए के लिए हम उन्हें परेशान नहीं कर सकते !”,मीरा ने कहा
“लेकिन मीरा,,,,,,,,,,,,,,!!”,निधि ने कहना चाहा पर मीरा ने रोक दिया और कहा,’निधि प्लीज़ हमे बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा तुम्हारे घरवालों से पैसे लेना प्लीज़ , हमारे सम्मान को ठेस मत पहुंचाओ !!”
“ठीक है , लेकिन तुम्हारी पढाई !”,निधि ने कहा
“उस पर कोई फर्क नहीं पडेगा हम थोड़ी ज्यादा मेहनत कर लेंगे ! बस तुम वादा करो की घर में ये बात किसी को पता नहीं चलेगी !”,मीरा ने हाथ आगे बढाकर कहा ! निधि ने अपना हाथ मीरा के हाथ पर रखा और कहा,”ठीक है वादा रहा !”

तीनो क्लास से बाहर चली आई ! कॉलेज ख़त्म होने के बाद दोनों घर आ गयी ! दोपहर का खाना खाने के बाद मीरा कमरे में आकर नोटस बनाने लगी शाम को दादी उसे अपने साथ मंदिर ले आयी जो घर के पास वाली गली में ही था ! मंदिर में दर्शन करने के बाद मीरा और दादी कुछ देर के लिए वही प्रांगण में बैठ गयी ! मीरा ने बातचीत शुरू करते हुए कहा,”दादी माँ आपकी और दादाजी की लव मैरिज हुई थी ना ?”
दादी माँ – हां
मीरा – उस जमाने में लव मैरिज होती थी ?
दादी माँ – नहीं बिल्कुल नहीं , पर मैंने और तेरे दादाजी ने घरवालों और समाज के खिलाफ जाकर की थी
मीरा – आप दोनों का प्यार कैसे शुरू हुआ ? बताईये ना ?
दादी माँ – मैं तब 16 की थी और वो थे 20 साल के थे ! मेरे पिताजी का बड़ा रौब था उस वक्त बनारस शहर में तुम्हारे दादाजी हमारे घर के मुंशी के बेटे थे ! कभी कभार उनके साथ घर आते थे ! तब हमारा बहुत झगड़ा होता था लेकिन झगड़ा धीरे धीरे कब प्यार में बदल गया पता ही नहीं चला ! फिर एक शाम जब घाट किनारे मैं अपनी भाभियो के साथ दिये जलाने गयी थी तब तेरे दादाजी चुपके से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वहा से ले गए ओर अपने प्यार का इजहार किया ! ईश्वर के सामने भला कोई झूठ कैसे कहेगा ! उनकी बातो में सच और प्यार नजर आया तो मैंने भी हां कर दी ! उसके बाद खूब बाते हुयी , उंगलिया उठी हमे अलग कर दिया लेकिन हम दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और फिर एक दिन पिताजी ने हमारे प्यार को मान लिया और शादी करके हम यहाँ चले आये !
“वाओ दादी माँ आपकी स्टोरी तो बहुत क्यूट है ! पर क्या हर लव स्टोरी की शुरुआत झगडे से ही होती है !”,मीरा ने मासूमियत से पूछा !
“नहीं जरुरी नहीं है पर अधिकतर प्रेम कहानिया झगडे से ही शुरू होती है ! इंसान की जिंदगी में सबसे खूबसूरत अहसास यही तो होता है , वरना इसके बिना जीवन बेरंग है !”,दादी ने कहा
“आप यहाँ रोज आती है दादी माँ ?”,मीरा ने बात बदलते हुए कहा
“नहीं कभी कभी आती हु जब या तो बहुत खुश होती हु तब या बहुत उदास होती हु तब !”,दादी ने कहा
“फिर आज क्या वजह है खुशी या उदासी ?”,मीरा ने मुस्कुराकर कहा
“आज दोनों ही वजह नहीं है !”,दादी भी मुस्कुरा उठी !
“तो फिर ?”,मीरा ने हैरानी से कहा !
दादी माँ ने प्यार से मीरा के गाल को छुआ और कहा,”क्योकि आज तुम उदास थी इसलिए ! देखो मीरा जीवन में सुख दुःख आते रहते है बेटा लेकिन हमे डटे रहना चाहिए घबराना नहीं चाहिए ! ना ही दिल छोटा करना चाहिए क्योकि कोई भी परेशानी हमारे होसलो से बड़ी नहीं होती है ! ईश्वर एक दरवाजा बंद करता है तो एक नया खोलता भी है !”
“हां दादी माँ आप सही कह रही है ! जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा !”,मीरा ने कहा ! चलो
“चलो घर चलते है , सब इंतजार कर रहे होंगे !”,दादी माँ ने उठते हुए कहा !
मीरा ने अपना हाथ दादी माँ की तरफ बढ़ाया , दोनों घर के लिए निकल गए ! दादी माँ के रूप में उसे एक दोस्त मिल चुकी थी ! घर आकर दादी माँ अपने कमरे में चली गयी ! मीरा राधा की हेल्प करने किचन में चली आयी ! उसने कुछ सब्जिया काटी , उसकी ख़ामोशी को राधा बखूबी समझ रही थी ! इसलिए बड़े प्यार से उसे हर काम सीखा रही थी जल्दी ही मीरा सुबह वाली बात भूल गयी ! रात के खाने पर जैसे ही सब लोग आये दंग रह गए ! आज अक्षत सबसे पहले वहा मौजूद था ! विजय को तो अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हुआ ! सबको अपनी और घूरता पाकर अक्षत ने कहा,”माँ खाना लगा दीजिये बहुत भूख लगी है !”
सभी अपनी अपनी कुर्सियों पर आकर बैठ गए ! अर्जुन मीरा के पास वाली कुर्सी पर बैठ गया ताकि जब मीरा आये तो उसी कुर्सी पर बैठे लेकिन उसकी ख़राब किस्मत वहा निधि आकर बैठ गयी ! अब तो बस दादी और अक्षत के बिच वाली कुर्सी ही बची थी ! मीरा को वहा बैठना पड़ा ! सभी खाना खाने लगे ! मीरा ने अक्षत को देखा और मन ही मन सोचने लगी,”इन्हे समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ! सुबह जो कुछ भी हुआ उसमें कही इनका ही तो हाथ नहीं है !”
अक्षत ने मीरा की और देखा तो मीरा निचे देखने लगी और खाना खाने लगी ! अचानक अक्षत को हिचकी शुरू हो गयी ! उसने पानी पीया लेकिन हिचकी नहीं रुकी , राधा ने उसे खाने को कहा लेकिन हिचकी नहीं रुकी ! अक्षत का बुरा हाल हो रहा था तो मीरा उसकी और पलटी और कहा,”हमारी आँखों में देखिये !”
“व्हाट ?”,अक्षत ने कहा
“आप देखिये ! पलके मत झपकाइयेगा !”,मीरा ने कहा
अक्षत मीरा की आँखों में देखने लगा मीरा की आँखे बिल्कुल उसकी आँखों जैसी थी बस पलके मेरे की बड़ी थी ! मीरा की आँखों में देखते हुए अक्षत अपनी हिचकी भूल चुका था ! मीरा ने देखा तो कहा,”अब ठीक है !
अक्षत ने देखा वाकई उसकी हिचकी ठीक हो चुकी है ! राधा ने मीरा की और देखकर कहा,”अरे वाह ये कैसे किया तुमने ?”
“अगर हिचकी के वक्त ध्यान कही और लगाए तो वह ठीक हो जाती है !”,मीरा ने कहा !
“बहुत अच्छा है ये तो !”,दादी ने कहा और सभी फिर से खाने में लग गए ! मीरा भी खाना खा रही थी और अक्षत खाते हुए सोच रहा था,”पक्का ये काला जादू जानती है , वरना ऐसे कैसे ठीक हो जाता मैं ?”
खाना खाने के बाद सभी हॉल में आकर बैठ गए ! राधा अर्जुन के बालो में तेल लगा रही थी ! उसके उठने के बाद अक्षत आकर बैठ गया ! अर्जुन कॉल आने से ऊपर चला गया ! कुछ देर इधर की बातो के बाद मीरा भी उठकर उपर चली गयी निधि ने थोड़ी देर में आने का कहा ! मीरा जैसे ही सीढिया चढ़कर ऊपर आयी उसने देखा अर्जुन उनके कमरे से निकलकर जा रहा था ! मीरा कमरे में आयी उसने देखा सब व्यवस्तिथ था फिर अर्जुन जी यहाँ क्यों आये थे ? सोचकर वह जैसे ही मुड़ी उसकी नजर टेबल पर रखी किताब पर गयी ! मीरा उस और बढ़ी उसने किताब उठायी और देखी ये वही किताब थी जिसके पन्ने सुबह यहाँ वहा बिखरे पड़े थे ! किसी ने उन्हें फिर से जमाकर सही कर दिया था ! किताब के ऊपर एक छोटा सा स्माइली भी बनाया हुआ था जिसे देखकर मीरा मुस्कुरा उठी ! !

क्रमश -: कितनी मोहब्बत है – 6

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