Sanjana Kirodiwal

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इश्क़ का रंग सफ़ेद

Ishq Ka Rang Safed

Ishq Ka Rang Safed

Ishq Ka Rang Safed by Sanjana Kirodiwal

Ishq Ka Rang Safed

प्यार , इश्क़ , मोहब्बत , आशिक़ी , प्रेम ये सब अलग अलग शब्द है लेकिन इनका मतलब एक है l कहते है प्यार एक ऐसा अहसास है जो कभी भी किसी को भी हो जाता है , ना ये उम्र देखता है ना जात-पात , ना ये रिश्ते देखता है ना रंग रूप बस जब होना होता है हो ही जाता है ..मैंने इस कहानी में इश्क़ का रंग सफ़ेद बताया है क्युकी प्यार भी सफ़ेद रंग जैसा ही है ,,

जिस तरह सफ़ेद रंग होता है निश्छल , पाक , साफ और सुकून से भरा इश्क़ बह वैसा ही है जिसमे कोई कोई छल , कपट नहीं सब साफ होता है , वो प्यार जो ना छुपता है ना किसी से डरता है , बस वक्त के साथ बढ़ता जाता है मजबूत होता जाता है इतनी ताकत आ जाती है की सारी दुनिया से लड़ जाता है …

ये कहानी भी ऐसे ही दो प्यार करने वालो धारा और राजवीर की है जो अपने प्यार के लिए दुनिया से लड़ जाने को तैयार हो जाते है और समाज के खोखले रीती रिवाजो को झूठा और बेमतलब साबित कर देते है !!

ये कहानी है बनारस की जहा के घाट मोक्ष , शांति और सुकून के लिए जाने जाते है ,, साथ ही भगवान शिव की भी वहा बहुत मान्यता है !! यहाँ के हर घाट की कोई ना कोई कहानी है लेकिन सबसे ज्यादा अगर इन घाटों पर कुछ दीखता है तो वो है प्यार !!

बनारस की हवा में भी प्यार लहराता है , और ना जाने कितनी ही प्रेम कहानिया यहाँ शुरू होकर यही के घाटों में बह जाती है !! एक बार जो यहाँ आता है यही का आकर हो जाता है न जाने कोनसा सुकून है इस जगह में की बस आओ तो यही के होकर रह जाओ !!

बनारस के सबसे बड़े और ऊँचे घराने के मालिक शिव प्रताप जी को लोग बहुत मानते थे यु समझ लीजिये की बनारस में उनकी पहुंच बहुत थी और बनारस के बाहर भी , उनका दबदबा इतना था की जब वो गली से गुजरते थे तो लोगो की उनसे नजर मिलाने की हिम्मत नहीं होती थी …

शिव प्रताप का इकलौता वारिस था राजवीर !! इकलौता था इसीलिए शिव प्रताप जी और राजवीर की माँ ने उन्हें कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी ,, और इसी लाड प्यार के चलते राजवीर ने ना ढंग से पढ़ाई की ना ही पिता के काम में कोई रूचि दिखाई ..

दिनभर दोस्तों के साथ घाटों और बनारस की गलियों में अपनी फटफटिया दोडाते फिरता , यु तो पूरे बनारस को वो अपना दोस्त मानता था पर राजवीर के दो खास दोस्त थे – किशना और मनु

तीनो जब देखो तब पूरे बनारस में धमाचौकड़ी मचाये रखते ,, राजवीर बड़े बाप का था इसलिए उसे कोई कुछ नहीं कहता था , जितना शिव प्रताप जी का स्वभाव गर्म था उतना ही राजवीर ठन्डे दिमाग का था !!

एक रोज सुबह सुबह ही शिव प्रताप जी ने राजवीर से कहा – जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारकबाद बेटा , हम चाहते है आज तूम शिव मंदिर जाकर खुद पूजा करो ताकि तुम्हारा आने वाला भविष्य अच्छा हो , मुझे और तुम्हारी माँ को एक जरुरी काम से बाहर जाना है इसलिए साथ नहीं आ सकते पर हां शाम को तुम्हारे जन्मदिन की ख़ुशी में एक शानदान प्रोग्राम जरूर होगा !!

कहकर शिव प्रताप जी अपनी पत्नी के साथ बाहर निकल गए !! राजवीर जाना तो नहीं चाहता था पर उसने कभी अपने पिता की बात को इंकार नहीं किया था ..इसलिए तैयार होकर घर से निकल गया , उसने फोन करके किशना और मनु को भी बुला लिया .. आज राजवीर ने अपनी पसंदीदा सफ़ेद रंग की शर्ट और नीले रंग की जींस पहनी थी ..

जैसे ही मंदिर पहुंचा किशना और मनु पहले से वहा मौजूद थे ! आते ही किशना ने कहा

– का बात है भैया आज तो बड़ा चमक रहे हो , जान लेने का इरादा है क्या ?

राजवीर – अरे नहीं रे किशना, उ आज हमारा जन्मदिन है ना तो अम्मा लेके आयी थी हमारी पसंद के कपडे बस इसलिए पहने है ..

– अरे भैया क्या बात , जन्मदिन है और हमे खबर ही नहीं , खैर सबसे पहले आपको जन्मदिन की ढेर सारी बधाई , अब बताओ पार्टी का कोई इंतजाम ?

राजवीर – हां है ना शाम को बाबूजी ने दावत रखी है घर पर ,, दोनों आ जाना वक्त पे .. अभी तो मंदिर चलो मेरे साथ …….. धत तेरे की

क्या हुआ भैया ?

राजवीर – अरे वो हम प्रशाद लाना भूल गए .. इक काम करो तुम और किशना जाकर जल्दी से घर से प्रशाद ले आओ तब तक हम यही रुकते है — कहकर राजवीर ने गाड़ी की चाबी दोनों को थमा दी !!

दोनों फटफटिया लेकर चले गए , राजवीर मंदिर के अंदर जाकर दोनों का इन्तजार करने लगा ,, आज भीड़ भी कुछ ज्यादा ही थी मंदिर में राजवीर एक किनारे खड़ा हो गया तभी उसकी नजर सामने भीड़ की तरफ गयी ,

काजल से सनी वो दो आँखे बेइंतहा खूबसूरत थी , इतनी की कोई भी उनका दीवाना बन जाये एक बार के लिए तो राजवीर जैसे उन आँखों में खो ही गया था , उसकी आँखे इतनी गहरी थी जैसे कोई समंदर हो ,

राजवीर ने इधर उधर होकर उसे देखना चाहा पर नहीं देख पा रहा ,, थोड़ा सा आगे बढ़ा फिर देखने की कोशिश इस बार भीड़ में सिर्फ उसके होठ नजर आ रहे थे ,, सुर्ख गुलाबी होठ , फूलो से भी नाजुक ,, वो कुछ बुदबुदा रही थी शायद ईशवर से पार्थना कर रही थी ,,

राजवीर को झुंझलाहट होने लगी , लाख कोशिश के बाद भी वो ना उसे देख पा रहा था ना उस तक पहुंच पा रहा था , पर उसे देखने के लिए वो भी बाकि लोगो के साथ भीड़ में शामिल हो गया .. लोग धक्के मारते हुए आगे बढ़ रहे थे और वो होश खोया हुआ सा बस चल रहा था

तभी मंदिर की नजर राजवीर पड़ी वो राजवीर के पास आये और हाथ जोड़ते हुए कहा

– अरे ! राजवीर बाबू आप यहाँ , इस भीड़ में आपने कहा होता तो मैं आपको सीधा दर्शन करवा देता .. आईये मैं आपको दर्शन करवा देता हु चलिए मेरे साथ

राजवीर पंडित जी के साथ अंदर चला गया जिस लड़की को राजवीर ढूंढ रहा था वो लड़की मंदिर में ही थी …

राजवीर की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था ! वो मंदिर में दाखिल हुआ और उस लड़की के सामने जा पहुंचा ..

बला की खूबसूरत थी वो उसने सफेद रंग का सूट पहन रखा था , सर को सफ़ेद दुपट्टे से ढक रखा था आँखे बंद और होठ कुछ बुदबुदा रहे थे . हवा में उड़ती उसके बालो की लटे कभी उसका गाल चूमती तो कभी उसके होठो को ! प्राथना में हिल रहे होठ किसी फूल की पंखुड़ियों से प्रतीत हो रहे थे ,..

राजवीर एक टक उसे देखे जा रहा था बार बार बिना पलक झपकाए और फिर उसके चारो तरफ चक्कर काटने लगा एक चक्कर पूरा हुआ और उसके बराबर जाकर खड़ा हो गया

वो लड़की प्राथना कर चुकी थी जैसे ही उसने प्रशाद की थाली लेने के लिए हाथ बढ़ाया पंडित जी ने कहा – भगवान तुम्हारी जोड़ी सलामत रखे !!

पंडित के शब्द सुनकर लड़की घबरा गयी और थाली लेकर जैसे ही मुड़ी राजवीर से टकरा गयी थाली में रखा सिंदूर उछलकर राजवीर की शर्ट पर गिर गया , सफ़ेद रंग की शर्ट पूरी लाल पर राजवीर बस खामोश खड़ा उसे देखता रहा , ऐसे लग रह था जैसे वो इस दुनिया में है ही नहीं वो जाने लगी और राजवीर बेसुध सा उसके पीछे पीछे चल पड़ा !!

उस लड़की ने पलटकर भी नहीं देखा और राजवीर बस बेसुध होकर चला जा रहा था उसके पीछे पीछे तभी किशन और मनु वहा आ गए

किशना – अरे भैया कहा जा रहे हो आप मंदिर उधर है चलो ?

राजवीर ने बिना देखे ही कहा – हम पूजा कर चुके तुम दोनों जाकर कर लो , जाओ

और फिर चल पडा

“ये भैया को क्या हो गया है , बड़ी अजीब बातें कर रहे है – किशना ने मनु से कहा

एक काम करते कर है हम पूजा करके आते है तुम भैया का ध्यान रखो !! कहकर किशना अंदर चला गया .. इधर वो लड़की वापस भीड़ में गुम हो गयी , राजवीर उदास सा मंदिर के दरवाजे पर खड़ा हो गया और आँखे बंध करके शिवजी से प्राथना करने लगा

” हे भोलेनाथ !! आज हमारा जन्मदिन है और आपने हमे इतना खूबसूरत तोहफा दिया है इसे हम जिंदगी भर नहीं भूलेंगे , बस एक बार हमे उसके दर्शन करा दो … कहकर जैसे ही राजवीर ने आँखे खोली वो सामने से आती दिखाई दी , पर उसने राजवीर पर धयान नहीं दिया

भीड़ की वजह से वो बेखबर सी बिलकुल राजवीर क पास से गुजरी हवा का एक झोंका आया और उसका दुपटा सीधा राजवीर के चेहरे को छूता हुआ गुजर गया ..

और वो भी राजवीर की नजरो से ओझल हो गयी ,, राजवीर अब भी सीढ़ियों में बूत बने खड़ा था किशना और मनु भागते हुए आये

” भैया !! का हो गया तुमको – किशना ने राजवीर का कन्धा पकड़कर हिलाते हुए कहा

राजवीर – रे !! किशनवा आज इश्क़ इतने करीब से गुजरा की समझो बस हो ही गया .. राजवीर ने खुश होकर कहां

मनु और किशन को कुछ समझ नहीं आया , राजवीर ने एक चपत मनु के सर पर लगाते हुए कहा – तुमको समझ नहीं आएगा बाबु !! चलो घर बाउजी और माँ राह देख रहे होंगे हमारी

तीनो फटफटिया पे बैठे और घर की तरफ निकल पड़े ! गाडी राजवीर चला रहा था पर उसकी आँखो के सामने बार बार उस लड़की का चेहरा आ जाता और फिर वो उसमे ऐसा खोया की गाड़ी लेजाकर सीधा दिवार में ठोक दी !! तीनो गिर पड़े गनीमत है ज्यादा चोट किसी को नहीं आयी पर राजवीर को कोई फर्क नहीं पड़ा वो तो किसी और ही दुनिया में था ..

किशना और मनु दोनों दर्द से कराह रहे थे ..

राजवीर ख्यालो से बाहर आया तो दोनों की हालत देखकर हसने लगा !! फिर दोनों को लेकर दवाखाने गया और उनकी मरमत करवाई !!

राजवीर जैसे ही घर पंहुचा माँ ने टोक दिया ..

“कहा रह गए थे बेटा, और ये शर्ट कैसे ख़राब कर ली ,, ला उतार कर मुझे दे मैं धोबी के यहाँ भिजवा देती हु ..

राजवीर – नहीं माँ इसकी कोई जरुरत नहीं है ,, ऐसे ही ठीक है

– कहकर राजवीर अपने कमरे में चला जाता है और आईने के सामने खड़ा हो जाता है , आज जो कुछ भी मंदिर में घटा वो सब आखो के सामने आ जाता है , राजवीर उस चेहरे को भूल ही नहीं पा रहा था . उसने शर्ट उतारी और समेटकर अलमारी में रख दी , वो इसे धोना नहीं चाहता था , जो लाल रंग इसपर लग था वो हटाना नहीं चाहता था !! बस एक खूबसूरत याद के रूप में रखना चाहता था हमेशा के लिए अपने पास !!

शाम को शिव प्रताप जी ने बेटे के लिए शानदार पार्टी का आयोजन किया , पर आज पहली बार राजवीर वहा होकर भी वहा मौजूद नहीं था !! उसकी खामोश नजरे न जाने क्या खोज रही थी पार्टी में सभी बड़े बड़े लोग आये .. सबने राजवीर को ढेर सारी बधाई दी धीरे धीरे सब चले गए

राजवीर भी अपने कमरे में आ गया पर नींद आँखों से कोसो दूर थी

सारी रात बैचैनी में करवटे बदलता रहा !!

सुबह देर से उठा … और नहा धोकर फिर उसी मंदिर में आ गया घंटो इन्तजार करने के बाद भी वो नहीं आयी !! ऐसा रोज होने लगा राजवीर रोज मंदिर जाता पर वो नहीं मिलती पंडित जी से भी पूछा पर उनको भी नहीं मालूम था ,,

एक शाम उदास सा वो एक घाट पर बैठा था , सेकड़ो की संख्या में लोग वहा पूजा पाठ कर रहे थे , घंटियों की आवाजे , शंख की आवाज आज राजवीर को चुभन का अहसास करवा रही थी उसके मन की उथल पुथल बस सिर्फ वही जानता था , ये सा क्या था क्यों था कुछ नहीं जानता था वो !!

वो उठ गया और आँखे बंद की हाथ जोड़कर प्राथना करने लगा . जैसे ही आखे खोली वो लड़की सामने खड़ी उसी तरह सफ़ेद सूट में सर पर दुप्पट्टा , खामोश आँखों से वो राजवीर को ही ताक रही थी

राजवीर ने अपना हाथ आगे बढ़ाया वो लड़की प्रशाद उसके हाथ में रखकर आगे बढ़ गयी ..

राजवीर वही खड़ा रह गया ,, और ख़ुशी से उछल पड़ा की अचानक उसका पैर फिसला वो गिरने ही वाला था की तभी किसी ने उसका हाथ थाम लिया , राजवीर ने देखा की जिसने उसका हाथ पकड़ा है वो कोई और नहीं वही लड़की थी … राजवीर कुछ बोल नहीं पाया बस उसे देखता ही रह गया

जरा सम्हल कर , पानी बहुत गहरा है – कहकर लड़की वहा से चली गयी उसकी आवाज मधुर संगीत बनकर राजवीर के कानो में गुजने लगी .. उसने आँखे मूंद ली और हाथ फैला कर बहती हवा को महसूस कर रहा था !!

और वही बैठ गया !!

तभी किशना और मनु भी आ गए ..

किशना ने पूछा – भैया रहते कहा हो आजकल तुम , ना मिलना जुलना कुछ नहीं एक हफ्ते से लापता हो , आखिर हुआ क्या है

इश्क़ हो गया है हमे उनसे – राजवीर ने खोये हुए कहा

किस से ? – मनु ने पूछा

राजवीर – वही लड़की जो मंदिर में मिली थी

किशना – अरे कौन मिली थी , हमने तो कोई लड़की नहीं देखि अभी तक

राजवीर – वही जो आज आयी थी यहाँ ,,, – वो अब भी उसी के खयालो में डूबा था

मनु – भैया हमे तो कोई लड़की नहीं दिख रही है यहाँ

राजवीर – वो हवा के साथ आयी थी और हवा के साथ चली गयी

किशना – लगता है तुम पगला गए हो

राजवीर – अरे ओ किशनवा , पगलाए नही है , इश्क़ हो गया है तुम्हारे भाई को , अब तो जब तक उसे कह ना दे चैन नहीं आएगा

किशना – अरे तो तुम बताओ कौन है , क्या नाम है , कहा से है अभी 2 मिनिट में लाकर तुम्हारे सामने पटक देंगे !!

राजवीर – तुम ना साले गंवार के गंवार ही रहोगे , अरे प्यार करते है उस से कोई सामान थोड़े ही है जो लाकर पटक दोगे !! तमीज से बात करो बेटा भाभी है तुम्हारी !!

किशना – अरे भैया गुस्सा काहे हो रहे हो , अच्छा भाभी का कुछ नाम अता पता कुछ है तुम्हारे पास ?

राजवीर – नहीं , कुछ नहीं मालूम ,,

किशना – तो फिर कैसे पता चलेगा !!

कुछ देर तीनो वही बैठे रहे और फिर घर चले गए !! अगले दिन राजवीर फिर वही घाट पर आता है , और कुछ ही देर बाद वो लड़की भी वही आती है राजवीर उसके बगल में जाकर खड़ा हो जाता है पर बात करने की हिम्मत नहीं होती ,, बस निहारता रहता है तभी पीछे से किसी ने आवाज दी

– धारा चलो , देर हो जाएगी

“हम आते है भाभी , आप चलिए – कहकर वो फिर आँखे बंद कर प्राथना करने लगी

राजवीर दिल ही दिल में सोचता – पता नहीं इतना क्या मांगती रहती है वो भगवन से खैर जो भी हो भोलेनाथ उसकी हर खवाहिश पूरी करे , वरना हम तो है ही करने के लिए

खैर उस लड़की का नाम धारा था , कितना खुबसुरत नाम था उसका उसी की तरह ,, वो प्राथना करने में ब्यस्त थी और राजवीर उसे निहारे जा रहा था तभी 2 – 4 लड़के आये और बदतमीजी करने लगे !! वो डरकर राजवीर के पीछे आ गयी मदद की उम्मीद में

तभी एक लड़के ने आगे धारा का हाथ पकड़ लिया

हाथ छोड़ – राजवीर ने धीरे से कहा

मैंने कहा हाथ छोड़ – राजवीर ने इस बार गुस्से से कहा पर लड़के ने नहीं छोड़ा

एक जबरदस्त मुक्का लड़के के मुँह मारा और वो वही गिर पड़ा

“का बेटा एक बार बोलने से सुनाई नहीं पड़ता तुमको , भूल गए ये बनारस है और यहाँ औरत की इज्जत की जाती उन पर हाथ नहीं डाला जाता , का समझे

चलो फूटो यहाँ से और दोबारा यहाँ नजर नहीं आना – राजवीर ने गिरे हुए लड़के को उठाते हुए कहा !!

सारे लड़के भाग गए !!

राजवीर ने देखा वो अब भी डरी हुयी थी , उसका दुपट्टा निचे लटका हुआ था राजवीर ने दुपट्टा उठाया और सर पर ओढ़ाते हुए कहा – तुम ठीक हो ?

उसने सिर्फ है में सर हिलाया , घबराहट उसके चेहरे से साफ झलक रह थी ..

– देखो वो सब तुम्हे दोबारा परेशांन नहीं करेंगे , पर तुम इस तरह रात में घर से बाहर अकेले कम निकला करो … चलो तुम्हे घर तक छोड़ देता हु

इस वक्त राजवीर की आँखों में जिम्मेदारी और उसके प्रति परवाह साफ झलक रही थी

शुक्रिया – कहकर वो दौड़ते हुए वहां से निकल गयी !

राजवीर को कुछ समझ नहीं आया , फिर भी वो खुश था किशना ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा और फिर तीनो मुस्कुरा कर अपने अपने घर चले गए …

घर आकर राजवीर फिर उसी के खयालो में खो गया ,, ना वक्त पे खाता ना सोता बस खोया खोया सा घूमता रहता ,,, एक महीना गुजर गया उसकी एक झलक पाने के राजवीर घंटो उसका इन्तजार करता !!

उसे परेशान देखकर एक दिन किशना ने कहा – तू उसे बोल क्यों नहीं देता की तू उस से प्यार करता है , ऐसे कब तक उसके लिए खुद को परेशा रखेगा !!

राजवीर – कहना तो चाहता हु पर कैसे कहु , अभी तक मैं ये भी नहीं जानता की उसके दिल में मेरे लिए क्या है !

किशना – एक तरिका है , अगले महीने होली है तुम्हारे घर के मैदान में होली का कार्यकर्म रखते है , और सबको बुलाते है हो सकता है वो भी अा जाये ,, और तब तुम उस से अपने दिल की बात कह देना !

राजवीर ख़ुशी ख़ुशी में किशना के गाल चुम लेता है और कहता है – किशना जिओ मेरी जान हम बाउजी को बोल के इंतजाम करवा देंगे !!

– ये पप्पी शप्पी भाभी के लिए बचा के रखो – किशना ने गाल साफ करते हुए कहा तो राजवीर शरमा गया !

होली वाले दिन सब लोग इकट्ठा हो गए , प्र वो नहीं आयी जिसको राजवीर की नजरे ढूंढ रही थी राजवीर ने बाइक उठायी और घर से बाहर आ गया , उदास सा पूरे बनारस की गालिया छान ली पर वो नहीं दिखी , थक हार कर घाट पर जा पहुंचा पर देखा के एक कोने पर धारा बैठी थी उसी सफ़ेद सूट में ,, राजवीर उसके पास गया और कुछ दूरी बनाकर बैठ गया

राजवीर – सब लोग हमारे घर होली खेलने आये है , तुम नहीं आयी ?

धारा – हमे पसद नहीं है !

राजवीर – हम जब भी तुम्हे देखते है तुम हमेशा सफ़ेद कपड़ो में ही नजर आती हो , रंगो से दुश्मनी है तुम्हारी !!

धारा – ये सफ़ेद रंग मुझे कुदरत ने दिया है ,

राजवीर कुछ समझा नहीं फिर उठकर उसके पास गया और जेब से रंग निकालकर कहा – क्या हम तुम्हे रंग लगा सकते है ?

धारा ने अपनी हथेलियाँ आगे बढ़ा दी !! राजवीर ने अपने हाथो का रंग उसकी हथेलियों में लगा दिया !! कुछ देर खामोश रहने के बाद धारा ने हाथो पर लगा रंग राजवीर के गालो पर लगाया और चली गयी !!

उसकी छुअन का अहसास गजब का था .. उसके जाने के बाद भी वो वही खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा जाते जाते धारा ने पलट के देखा और फिर आँखों से ओझल हो गयी , एक पल के लिए जैसे राजवीर का दिल धड़कना ही बंद हो चूका था …..

धारा से मिलने के बाद राजवीर बहुत बदल चुका था !! उसने सब बुरी संगत छोड़ दी घाटों पर भी आजकल कम नजर आता था ,, पूरा दिन या तो शिव मंदिर या घर की छत पर सपने देखते हुए बिताता , धारा के बिना उसे जैसे सब फीका बेरंग लगता था ..

Iजिस रस्ते से धारा गुजरती अक्सर राजवीर मिल जाता , कभी कभी धारा की नजरे भी राजवीर से मिल जाती , कही न कही उसके दील मे भी प्यार का अंकुर फुट चूका था , कही ना कही उसके मन में भी प्यार की भावना फिर से जन्म ले रही थी , पर वो मजबूर थी और जब राजवीर दीखता ख़ामोशी से राजवीर के पास से गुजर जाती ,, उसकी ख़ामोशी ने राजवीर को और ज्यादा बैचैन कर दिया !!

धारा के दिल में क्या था वो खुद नहीं जानता था पर जानना चाहता था !! एक शाम जब धारा अकेले घर लौट रही थी तभी राजवीर वहा पहुंच गया और उस से कुछ दूरी पर चलने लगा ..

तभी धारा ने कहा

– आप मेरा पीछा क्यों कर रहे है , रोज रोज इस तरह मेरे रास्ते में खड़े रहना आपके लिए सही नहीं है , लोग आपके और मेरे बारे में गलत छवि बनाएंगे …

राजवीर – मुझे लोगो की परवाह नहीं है ना ही उनकी सोच की , बहुत दिनों से मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हु !! जब पहली बार तुम्हे शिव मंदिर देखा था उसी दिन से मैं तुम्हे पसंद करने लगा , धीरे धीरे तुम्हारी तरफ खींचता चला गया ,,

मैंने इस से पहले कभी किसी के लिए वो सब महसूस नहीं किया जो आजकल तुम्हारे लिए करता हु !! साफ शब्दों में कहु तो इश्क़ हो गया है तुमसे , सच्चा वाला !!

धारा अब भी खामोश थी , प्यार उसके दिल में भी था लेकिन वो मजबूर थी !! वो बिना राजवीर की बात का जवाब दिए आगे बढ़ गयी , पर राजवीर ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया

और कहा – हम तुमसे कुछ कह रहे है धारा , भोलेनाथ की कसम बहुत प्यार करते है तुमसे , खुद से भी ज्यादा … और ऐसा नहीं है की सिर्फ प्यार करते है जान भी दे सकते है तुम्हारे लिए हमेशा खुश रखेंगे तुम्हे !!

धारा – हम आपसे प्यार नहीं कर सकते !!

राजवीर – पर क्यों ? क्या कमी है मुझमे , अच्छे घर से हु पैसे घर बार गाड़ी किसी चीज की कमी नहीं है , हमारे माँ बाप के इकलौते बेटे है हम ,, क्यों नहीं कर सकती प्यार …

धारा ने अपनी बड़ी बड़ी आंसुओ से भरी आँखे उठाते हुए कहा – क्युकी हम किसी की “विधवा” है ,, और एक विधवा को किसी से प्यार करने का हक़ नहीं है !! ये सफ़ेद कपडे ये यु ही नहीं पहनते हम , ये सफ़ेद कपडे बताते है की अब हमारी जिंदगी में रंगो का कोई महत्व नहीं है !! आपसे हाथ जोड़कर विनती है बार बार हमारे सामने मत आईये ,, हमे हमारे हाल पर छोड़ दीजिये ,, अगर आपसे प्यार कर लिया तो दुनिया थूकेगी हम पर

धारा की बात सुनकर एक पल के लिए राजवीर आवाक सा रह गया , शब्द जैसे उसके हलक में जम से गए वो कुछ बोल ही नहीं पाया बस धारा के चेहरे को देखता रहा ,

आज उसे समझ आ रहा था की क्यों वो हमेशा शफेद कपड़ो में रहती थी , क्यों वो इतनी खामोश और डरी डरी सी रहती थी, क्यों उसे रंगो से परहेज था , राजवीर सब समझ गया !

ख़ामोशी दोनों तरफ बराबर थी , बहुत कुछ था दोनों के पास कहने को पर ख़ामोशी दोनों के मन पर छायी हुयी थी .. बस ख़ामोशी से दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे !! तभी तेज बारिश शुरू हो गयी दोनों बुरी तरह भीग गए !! आस पास रुकने के लिए कोई जगह भी नहीं थी

चारो तरफ पानी ही पानी था , बारिश थी के रुकने का नाम नहीं ले रही थी , दोनों थोड़ी दूर आगे बढे , कुछ दूर उन्हें एक घर नजर आया !!

दोनों उसकी तरफ बढे !!

वहा पहुंचकर देखा की वो एक सुनसान घर था जो लगभग आधा टूट चुका था और बाकि का आधा खंडर बन चूका था .. राजवीर ने बारिस से बचने के लिए जगह देखि उसे जयादा मेहनत नहीं करनी पड़ी ,, मकान के एक कोने में बरामदे में उन्हें जगह मिल गयी दोनों वही रुक बारिश के रुकने का इन्तजार करने लगे !!

बारिश तेज होती जा रही थी ,,

धारा पूरी तरह भीग चुकी थी उसने सर से दुप्पटा उतारा और बालो को सुखाने लगी , राजवीर एकटक उसे बस देखे जा रहा था !! वो खुद को उसे देखने से नहीं रोक सकता था ,, बाल सुखाने के बाद वो वही निचे जमीं पर बैठ गयी !! राजवीर ने कुछ सुख लकडिया और घास फुस इकट्ठा किया और आग जला ली ,,

आग से दोनों को थोड़ी राहत मिली बारिश अब भी जारी थी और मौसम भी सर्द था ,, राजवीर भी आग के दूसरी तरफ बैठ गया एकदम उसके सामने ,, और उसे देखने लगा , वो बेपरवाह सी अपना चेहरा दोनों घुटनो पर टिकाये जलती हुयी आग को देखे जा रही थी और राजवीर उसे ,,

हां वो सच में बहूत खूबसूरत थी , ये आज नजदीक से देखने पर राजवीर ने जाना था ,,

कुछ देर की ख़ामोशी के बाद राजवीर ने कहा – लगता है बारिश कल सुबह तक रुकेगी , और सारे रास्तो में पानी भरा हुवा है घर जाना मुश्किल है ..

धारा ने कुछ नहीं कहा वो ना जाने किस सोच में गुम थी उसकी उदास आँखों में दर्द का सैलाब था जैसे !! राजवीर ने चुटकी बजाते हुए कहा – कहा खोयी हो ?

उसने ना में गर्दन हिला दी .. रात बहुत लम्बी थी इस तरह ख़ामोशी में कैसे कट ती यही सोचकर राजवीर ने फिर कहा – तुम्हारे बारे में जानना चाहता हु , बताओगी ?

धारा – हमारा नाम धारा है , हम लखनऊ से है , यहाँ बनारस में घाट से कुछ ही दूर हमारा ससुराल है , दो साल पहले हमारी शादी यहां बनरास में हुयी थी , वीरेन से !! हम शादी नहीं करना चाहते थे पर पापा की बीमारी की वजह से उनकी आखरी इच्छा था ..

वीरेन से हमे कभी प्यार नहीं हुआ बस एक छत के नीचे जरूर थे हम दोनों .. मैंने उन्हें समझने की बहुत कोशिश की लेकिन वो कभी मुझे अपना नहीं पाए ,, उन्हें बुरी आदते थे जिनके कारन उनका घर पैसा सब बर्बाद हो गया .. उनकी माँ ने कभी उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की … वो बुरी आदतों के ऐसे शिकार हुए की फिर उसमे डूबते ही चले गए .. और फिर एक दिन उनकी लाश घाट किनारे मिली थी , नशे में धुत !!

हर कोई जानता था उनकी मौत कैसे हुयी पर सब मुझे दोषी ठहराने लगे , उन्हें लगता की मेरी वजह से उनकी जान गयी है !! वीरेन की मौत के कुछ महीने बाद ही पापा भी मुझे छोड़कर चले गए ,, और मैं अनाथ हो गयी

हां वो माँ मुझे बचपन में ही छोड़कर चली गयी , लखनऊ में अब कुछ नहीं था मेरे लिए इसलिए मैं वहा वापस नहीं गयी !! यही रुक गयी बनारस में ..

राजवीर – तुमने दूसरी शादी क्यों नहीं की ? अकेले जिंदगी नही काटी जाती !!

धारा – जानती हु , पर कभी हिम्मत नहीं हुयी और यहाँ विधवाओं की शादी नहीं होती है ..

राजवीर – क्या तुम इंसान नहीं हो , क्या एक विधवा लड़की की कोई जिंदगी नहीं होती क्या उनके पास दिल नहीं होता , क्या उन्हें खुश रहने का हक़ नहीं है

धारा – वो सब मैं नहीं जानती बस इतना पता है की मुझे अब ऐसे ही रहना है सारी जिंदगी ,

राजवीर – लेकिन मैं तुम्हे ऐसे नहीं देख सकता , इस तरह मरते हुए !! धारा जिंदगी को एक मौका और दो ,, अपने अंदर उम्मीद की रोशनी जलाकर देखो , अपने अँधेरे से बाहर निकलकर देखो ,, हर तरफ उजियाला है सारी दुनिया तुम्हारी है … बस जरूरत है तुम्हे बाहर निकलने की

राजवीर उठ खड़ा हुआ और बाहर बारिश को देखत हुए कहने लगा !!

मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु , और तुम्हारे बारे में जानने के बाद अब तुमसे और ज्यादा प्यार करने लगा हु , तुम्हे वो सारी खुशिया देना चाहता हु जो तुम्हे नहीं मिल सकी .. तुम्हारे साथ जिंदगी जीना चाहता हु ,, और मुझे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता की तूम कोन हो क्या हो , मैं बस इतना जानता हु की तुम सिर्फ मेरा इश्क़ हो ,, सफ़ेद इश्क़

जिसमे कोई दाग नहीं है , कोई छल कपट धोखा नहीं है सिर्फ सच है

और सच ये है की मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु …. कहकर राजवीर जैसे ही पलटा तो उसने देखा की धारा सो चुकी थी गहरी नींद में ,, सोते हुए वो एक छोटे बच्चे जैसी दिख रही थी राजवीर उसे देख मुस्कुरा उठा और धीरे से कहा

– “पागल”

बारिश रुक चूकी थी , धारा इतनी बेफिक्री से सोई थी की राजवीर ने उसे उठाया नहीं , बारिश रुकने के बाद ठंडी हवाएं चलने लगी हवा से बाल उड़कर बार बार धारा के चेहरे पर आ रहे थे

राजवीर उठकर धारा के पास आया और धीरे से उसके बालो को चेहरे से हटा दिया तभी धारा ने नींद में अपना सर उसके हाथ पर रख दिया ,, राजवीर ने हाथ हटाना चाहा पर धारा की नींद ना खुल जाये .. वो वही उसके पास बैठ गया धारा उसके बहूत करीब थी .. राजवीर उसे निहारे जा रहा था पर अपनी मर्यादा जानता था ..

और फिर दिवार से अपना सर टीकाकार धारा को देखने लगा और सोचने लगा

” बस आज की रात इसे जी भरकर देख लू , कल क्या पता ये पल मिले या ना मिले .. धारा मुझसे प्यार नहीं करती मुझे इस बात का दुःख नहीं है , पर मैं इस तरह इसे इस हाल में नहीं छोड़ सकता !! “

सोचते सोचते कब राजवीर को नींद आयी पता ही नहीं चला ,,

सुबह लोगो की आवाजों से राजवीर और धारा की आँख खुली , भीड़ देख दोनों घबरा गए और जल्दी से उठे तभी किसी ने कहा

-” अरे ये तो शिव प्रताप जी का बेटा है, पर ये यहाँ इस विधवा के साथ वो भी इस हालत में!!

– अरे बड़े बाप का बेटा है तो क्या कुछ भी करेगा , हमारे घर में भी बहन बेटिया है , ऐस लोगो से उनपर क्या असर पडेगा

इतने में ही धारा की सास आयी और धारा के बाल खींचते हुए कहा – कलमुही , करमजली मेरे बेटे को तो खा गयी अब , विधवा होकर भी तुझे चैन नहीं नहीं यहां , यारो के साथ रंगरलिया मनाते शर्म नहीं आयी तुझे – कहते हुए एक जोरदार तमाचा उसके मुँह पर जड़ दिया

राजवीर अपनी सफाई में कुछ कह पाता इस से पहले गांव के लोगो ने उसे पीटना शुरू कर दिया

धारा ने बहुत कहा पर किसी ने कुछ नहीं सूना धारा रोती रही पर किसी ने उस की एक ना सुनी

वो रोते हुए कहती रही – उसे मत मारो !! कुछ नहीं किया उसने , भगवान के लिए उसे छोड़ दो उसने कुछ नहीं किया

तभी धारा की सास ने उसका हाथ पकड़ा और घसीटते हुए ले गयी ,, राजवीर अब तक अधमरा हो चुका था , सबने उसे वही पटका और चले गए वो धारा को जाट हुए देखता रहा और फिर बेहोश होकर गिर गया !!

इधर घर आने के बाद धारा की सास ने उसे पिट पिट कर अधमरा कर दिया ,, ना जाने कितनी ही गालिया दी और फिर कमरे में बंद कर दिया .. राजवीर को ढूंढते ढूंढते किशना और मनु पहुंचे उन्होंने उसे अस्पताल पहुंचाया उसकी मरहम पट्टी करवाई

शिव प्रताप जी को जैसे ही पता चला पुरे बनारस के लोगो को इक्क्ठा किया और पूछा पर किसी ने कुछ नहीं बताया उलटा

राजवीर और धारा के बारे में गलत रिश्ते की झूठी बाते बताई !! शिव प्रताप ने बेटे के बारे में गलत सूना और गुस्से में आग बबूला हो उठे !! यहां तक की अस्पताल उसे देखने तक नहीं गए

राजवीर के होश में आते ही उसने सबसे पहले धारा के बारे में पूछा

तभी किशना ने गुस्से में कहा – अरे भैया छोड़ो उस लड़की का चक्कर , उसकी वजह से देखो तुम्हारी का हालत हो गयी है , सारा बनारस तुम पर लांछन लगा रहा है

राजवीर – नहीं किशना , तू नहीं जानता वो हमारे लिए क्या है ,, वो भी हमसे प्यार करती है उस दिन जब हम पिट रहे थे देखा हमने उसकी आँखों में !! अब तो उसे छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता !!

किशना – भैया कहे उसके लिए खुद को बर्बाद करने पे तुले हो , उस जैसे 50ओ तुम्हारे सामने खड़ी कर देंगे !!

इतने में मनु भागते हुए आया और कहा – भैया वो , भाभी को बहुत मारा और दो दिन से कमरे में बंद कर रखा है उन लोगो ने , हो सके तो उनको बचाय लो !! हम अभी अभी सुनकर आ रहे है

मनु की बात सुनकर राजवीर गुस्से में आ गया और तुरंत गाड़ी निकाल कर धारा की घर की तरफ दौड़ा दी … कुछ ही देर में किशना और मनु भी वहा पहुंच गए ,, अंदर जाकर राजवीर ने धारा को पुकारा वो दौड़कर कमरे की खिड़की पर आयी लाचारी और बेबसी उसकी आँखों में साफ नजर आ रही थी !!

तभी धारा की सास और कुछ लोग भी वहा आ गए

धारा की सास ने कहा – उस से मिलने की कोशिश भी की तो जान ले लुंगी तेरी

राजवीर – मैं उस से प्यार करता हु , और वो भी मुझसे प्यार करती है !! हम दोनों के बिच अगर भोलेनाथ भी आये तो भी मैं उसे नहीं छोडूंगा

– वो मेरे बेटे की विधवा है , जानता है ना तू विधवा क्या होती है , उसे कोई हक़ नहीं है किसी से प्यार करने का ,

राजवीर चिल्ला पड़ा – विधवा है तो क्या उसे जीने का हक़ नहीं है , अपने फैसले लेने का हक़ नहीं है .. मैं उसे अपने साथ लेजाकर रहूंगा , उसे इस नर्क में नही रहने दूगा , अब तक उसे जो सहना था उसने सह लिया अब और नहीं !! बुलाओ उसे बाहर

– वो तुझसे प्यार नहीं करती >>>>>>

राजवीर – ये बात मैं उसके मुँह से सुनना चाहता हु ,, अगर उसने कह दिया तो मैं जिंदगी में कभी दोबारा आप लोगो को अपनी शकल नहीं दिखाऊंगा … बुलाओ उसे

धारा की सास उसे लेकर आती है ,, जिस्म पर जगह जगह मार के निशान वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी ! राजवीर से कुछ दूरी पर खड़ी हो गयी , आँखे उठाकर देखा तो सामने राजवीर खड़ा था वो खामोश खड़ी रह पर उसकी आँख बहुत कुछ कह रही थी ..

राजवीर ने उसकी आँखो में वो सब पढ़ लिया जो वो कहना चाहती थी उसने

कहा -धारा !! मैं जानता हु तुम मुझसे प्यार करती हो बस एक बार इन सब लोगो से कह दो , तुम्हे यहाँ किसी से डरने की जरूरत नहीं है !! खुद को सजा मत दो बस एक बार सिर्फ अपने बारे में सोचो

धारा कुछ नही बोली पर उसकी आँखों के सामने वो सारे पल उभर आये जो राजवीर से जुड़े थे उसने एक पल के लिए सबको देखा और फिर दौड़कर राजवीर के गले लग गयी !!

सब देखते रह गए , धारा कुछ नहीं बोली पर वो उसे गले लगाए रखी

कुछ लोगो ने आगे बढकर उन्हें अलग किया ,,, राजवीर ने आँखो में आँसू लाकर मुस्कुराते हुए कहा – बस यही देखना था , अब तुम्हे मुझसे कोई अलग नहीं कर सकता , बहुत जल्द मैं तुम्हे यहाँ से लेकर जाऊंगा !!

कहके राजवीर घर से बाहर निकल गया !!

कुछ दिन बाद ही पंचायत बैठायी गयी , शिव प्रताप के साथ साथ सभी लोग उसमे मौजूद थे

धारा की सास और लोगो ने राजवीर और धारा के रिश्ते पर कीचड़ उछाला , गालिया दी और बहुत बेइज्जत किया , शिव प्रताप जी का सर शर्म से झुक गया

तब राजवीर ने कहा – आपको सर झुकाने की जरुरत नहीं है बाउजी , मैंने कोई गलत काम नहीं किया है , ये लड़की उतनी ही पवित्र है जितनी गंगा मैया ,, हमारा रिश्ता बहुत पाक है हमने सिर्फ इस से प्यार किया है , और अब अपना प्यार निभा रहे है

हमने आपसे ही सिखा है औरत की इज्जत करना ,

शिव प्रताप जी ने राजवीर की आँखों में देखा , उन्हें उसकी बातो में सच्चाई नजर आ रही थी

वो ख़ामोशी से सब दलीले सुनने लगे ,, तभी पंचायत से एक आदमी ने कहा

– प्यार करना गलत नहीं है पर एक विधवा की दोबारा शादी नहीं हो सकती है !!

राजवीर – क्यों नहीं हो सकती ,, मैं करूंगा इस से शादी ,,

कहकर राजवीर ने धारा की मांग में सिंदूर भर दिया ,, सब लोग देखते रह गए सब के मुँह खुले के खुले रह गए अब तक जो कीचड़ उछाल रहे थे अब एक दूसरे की बगले झाँकने लगे .. पंचायत में सन्नाटा छा गया … और इन सब के बिच धारा की उजड़ी मांग फिर से भर गयी ..

कुछ देर चुप्पी के बाद पंचायत ने कहा – राजवीर ने जो किया वो पंचायत के फैसले के खिलाफ है लेकिन इसने एक विधवा लड़की को अपनाया इस बड़े गर्व की बात और क्या हो सकती है , पंचायत को इन दोनों की शादी से कोई ऐतराज नहीं है ,, बाकि आगे का फैसला मैं शिव प्रताप जी पर छोड़ता हु

शिव प्रताप जी अब भी खमोश थे , सबकी नजर उन्ही पर थी की वो क्या बोलेंगे पर वो अपनी जगह से उठे और राजवीर के पास आकर खड़े हो गए और कहा

– बहु को लेकर घर पहुँचो मैं और तुम्हारी माँ निकलते है , बहु का स्वागत भी तो करना है …. फिर किशन को आवाज देकर कहा

– अरे ओ किशनवा , पूरे बनारस को दुल्हन की तरह सजा दो , बहु के स्वागत में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए !!

राजवीर की आँखे भर आयी और होठो पर मुस्कान थी , उसे समझ नहीं आ रहा था वो क्या कहे तभी शिव प्रताप जी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा – तुम्हारी ख़ुशी से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं है

और धारा के सर पर है रखकर कहा – घर आकर इसकी नजर उतरवा लेना , ये इतनी सुन्दर है की इसको नजर लग जाएगी ….

कहकर शिव प्रताप जी अपनी पत्नी के साथ पंचायत से बाहर निकल गए ..

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The End

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