Telegram Group Join Now

“इश्क़” एक जूनून – 6

Ishq Ak Junoon – 6

Ishq Ak Junoon
Ishq Ak Junoon by Sanjana Kirodiwal

नीतू ने फोन उठाया दूसरी तरफ से एक भारी भरकम आवाज में किसी ने कहा – ये पूछने से पहले की मैं कौन हु ये जान लो की तुम्हारा बेटा इस वक्त मेरी बन्दुक के निशाने पर है , अगर तुम चाहती हो गोली न चले तो जैसा मैं कहता हु वैसा करो कहकर फोन से नीतू के 8 साल के बेटे की मम्मा मुझे बचा लो की आवाज सुनाई दी और फिर से वो दमदार आवाज आयी – तुम्हे यकीं हो गया होगा मैं झूठ नहीं बोल रहा
“तुम चाहते क्या हो ? देखो प्लीज़ तुम कहा मैं करुँगी प्लीज़ मेरे बच्चे को कुछ मत करना – नीतू ने घबराते हुए कहा


“मैं जानता हु वैदेही के साथ क्या हुआ है अगर तुमने उसे या किसी से भी सच बताने की कोशिश भी की तो मैं तुम्हारा करियर बर्बाद कर दूंगा , और तुम्हारा बेटा उसे भी मैं किसी और दुनिया में पहुंच दूंगा , इसलिए जैसा मैं कहता हु वैसा करो वैदेही से जाकर कहो की वो बिल्कुल ठीक है , तनाव और कमजोरी की वजह से उसे ये सब परेशानी हो रही है – दूसरी तरफ से आवाज आयी
“प्लीज़ मेरे बच्चे को कुछ मत करना , मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी – नीतू की हालत ख़राब हो गयी दूसरी तरफ से फ़ो कट गया नीतू ने वापस कॉल किया लेकिन नंबर बंद आ रहा था ,,

उसने खुद को सम्हाला और फिर रिपोर्ट्स वही रूम में छोड़ केबिन की तरफ बढ़ गयी , इस वक्त उसके लिए अपने बच्चे से ज्यादा जरुरी कुछ नहीं था l केबिन में वैष्णव और वैदेही दोनों बेसब्री से नीतू का इन्तजार कर रहे थे नीतू को वैदेही के चेहरे पर तनाव साफ नजर आ रहा था ,, वो आकर अपनी कुर्सी प्र बैठी और वैष्णव से कहा
” मिस्टर वैष्णव क्या वैदेही किसी तनाव से गुजर रही है ?
“हाँ डॉक्टर , कुछ दिन पहले ही इंक किसी रिश्तेदार की मौत हो गयी जिससे ये कुछ अपसेट थी ,

कुछ दिन बाद हमारी शादी थी लेकिन कल शाम किसी बात पर हम दोनों में झगड़ा हो गया था , पर आप ये सब क्यों पूछ रही है – वैष्णव न अपनी आँखे बड़ी करते हुए पूछा
नीतू – मिस्टर वैष्णव वैदेही अभी किसी मानसिक स्तिथि का शिकार है ऐसी स्तिथि में पेशेंट कई बार खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश करता है , और वैदेही के साथ भी यही सब हुआ है
“आप कहना क्या चाहती है डॉक्टर क्या मैं पागल हु – वैदेही चिल्ला उठी


नीतू – रिलेक्स मिस वैदेही मैं सिर्फ ये कह रही हु आप अभी दिमागी तौर पर थोड़ा परेशान है बाकि आप बिल्कुल ठीक है
“आप ये कैसे कह सकती है की मैं ठीक हु , मैं ठीक नहीं हु डॉक्टर मेरे साथ कुछ हुआ है – वैदेही रोने लगी वैष्णव ने उसे शांत किया और नीतू की तरफ देखकर उसकी बात पर अपनी सहमति जताई , नीतू ने कुछ दवाईया लिखकर फाइल वैष्णव को थमा दी ,, वैदेही को लेकर वह बाहर आ गया उसने जेब में हाथ डाला तो उसे याद आया की चाबी वो अंदर ही भूल गया है वैदेही को वही रुकने को कहकर वैष्णव् गाड़ी की चाबी लेने वापस अंदर गया


वैदेही परेशान सी खड़ी थी तभी अचानक अमित उसके सामने आया अमित को अपने सामने देखकर वैदेही चौंक गयी तभी अमित ने कहा
“वैदेही मुझे तुमसे बहुत जरुरी बात करनी है , ददु , ददु को मैंने नहीं मारा – अमित ने जल्दी जल्दी में कहा
“अपनी गन्दी जुबान से ददु का नाम भी मत लो तुम , तुमने उनको मार डाला तुम्हे जरा भी रहम नहीं आया – वैदेही ने कहा.


मैंने उनको नहीं मारा दुनिया का कोई भी बेटा अपने पिता को गोली नहीं मार सकता – अमित ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा
“क्या पिता ?
“हाँ पिता , जिन्हे तुम ददु कहती हो असल में वो मेरे अपने पिता थे ,, वैदेही प्लीज़ मेरी बात का यकीं करो मैंने उन्हें नहीं मारा , उस रात जब मैं अपने कमरे की तरफ जा रहा था तब मैंने गोली की आवाज सुनी मैं वहां पहुंचा तो ददु मर चुके थे , वैदेही मुझे तुम्हे कुछ और भी बताना है तुम बहुत बड़े जाल में फास चूकी हो – अमित ने कहा
“तो फिर ददु को किसने मारा – वैदेही ने तड़पते हुए पूछा


ददु को ……………. अमित इतना ही बोल पाया की उसे सामने से आता वैष्णव दिखाई दिया और उसके चेहरे पर डर के भाव आ गए उसन वैदेही से कहा – मैं तुमसे जल्दी ही मिलूंगा वैदेही अभी मैं चलता हु कहकर वो वहा से तेजी से भागा लेकिन अमित की किस्मत ने उसका साथ नही दिया और वो सामने से आते ट्रक से टकरा गया और उसकी वही मौत हो गयी वैदेही की चींख निकल गयी , वो पत्थर सी वही खड़ी अमित को देखती रही ,,वैष्णव वैदेही के पास पंहुचा उसे घबराया देखकर उसने वैदेही से पूछा – क्या हुआ वैदेही तुम इतना डरी हुयी क्यों हो ?


वैष्णव………..वैष्णव वो वो अमित अमित ने कहा ददु को उसने नहीं मारा – वैदेही ने घबराते हुए कहा
वैष्णव – वैदेही अमित की बात पर ध्यान मत दो , वो सिर्फ झूट बोल रहा था कल रात से वो जेल से फरार है वो बहुत शातिर और खतरनाक किस्म का इंसान है अपने गुनाह को छुपाने के लिए वो तुम्हे बहला फुसला रहा था पर देखो उसे उसके बुरे कर्मो का फल मिल गया ,, अब चलो यहाँ से l
कहकर वैष्णव वैदेही का हाथ पकडे गाड़ी की तरफ बढ़ गया .. उधर सत्या को चैन्नई में पता चला की मधु जिन्दा है और अपने नाना के साथ मुंबई में रहती है ,

सत्या का ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा वो कुमार के साथ वापस पुणे लौट आया सत्या रूम पर आकर अपना बैग पैक करने लगा और कुमार से कहा
“शुक्रिया दोस्त तुमने मेरा बहुत साथ दिया
“दोस्त भी कहते हो और शुक्रिया भी करते हो – कुमार ने मुस्कुरा कर कहा तो सत्या ने उसे गले लगा लिया और कहा – तुम्हारे लिए कभी कुछ कर पाव तो मुझसे जरूर कहना कुमार तुम जैसे दोस्त किस्मत वालो को मिलते है
” मैं कुछ मांगू तो मिलेगा ? – कुमार ने कहा


“तेरे लिए मैं जान भी दे सकता हु तू बोल तुझे क्या चाहिए ? – सत्या ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
“मुझे एक बार मधु को देखना है , देखना चाहता हु आखिर क्या है उस लड़की में जिसके लिए तू अब तक इतना सब सहता आया है – कुमार ने कहा
कुमार की बात सुनकर सत्या की आँखों में आंसू आ गए उन आंसुओ को रोकते हुए उसने कहा – जरूर , जब तू उसे देखेगा ना तो तो तुझे तेरे सवाल का जवाब खुद ब खुद मिल जायेगा …


कुमार मुस्कुरा दिया और फिर अपना बैग पैक करके सत्या के साथ कमरे से बाहर आ गया चलते चलते सत्या ने कहा
“जाने से पहले एक बार वैदेही से मिलना चाहता हु , उसे बताना चाहता हु की मधु मिल गयी है
ठीक है चलते है – कहकर कुमार ने गाड़ी स्टार्ट की और फिर एंजल्स होम की तरफ घुमा दी ……

दूसरी तरफ एंजेल्स होम में वैष्णव वैदेही को समझाने में लगा था की वो सिर्फ दिमागी तोर पर परेशान है उसे कुछ नहीं हुआ है पर वैदेही कुछ सुनने को तैयार नहीं थी सभी बच्चे सहमे हुए से कमरे की खिड़कियों से झांक रहे थे , शांता बाई एक कोने में खड़ी वैदेही की हालत पर आंसू बहा रही थी , गार्डस और नर्स भी वही खड़े ख़ामोशी से वैदेही को देख रहे थे ,,


सत्या कुमार के साथ अंदर आया सत्या को देखते ही वैदेही आकर उसके गले लग गयी और कहने लगी – अच्छा हुआ तुम आ गए सत्या , यहाँ कोई मेरी बात नहीं मान रहा है , कुछ तो हुआ है मेर साथ सत्या वो सब महसूस कर सकती हु मैं
सत्या ने वैदेही को खुद से दूर किया और उसे शांत किया और कहा – वैदेही कुछ नहीं हुआ है सब ठीक है
सत्या की बात सुनकर वैदेही को गुस्सा आ गया उसने सत्या को खुद से दूर धकेलते हुए कहा – तुम तो कम से कम मेरा यकींन करो , मुझे समझो , मैं जानती हु कुछ हुआ है पर कोई मुझे बताता क्यों नहीं है ,

सब मुझे पागल समझ रहे है है कोई तो मेरा यकींन करो , कहकर वैदेही रोने लगी सत्या को कुछ समझ नहीं आया वैष्णव ने नर्स से वैदेही को ऊपर ले जाने को कहा और खुद सत्या के पास आया
“वैदेही ऐसे बात क्यों कर रही है – सत्या ने पूछा “
“सत्या वैदेही मानसिक तनाव से बहुत ज्यादा परेशान है , आज डॉक्टर से मिलने पर उन्होंने बताया की विदेह को ददु की मौत का गहरा सदमा लगा है जिसकी वजह से वो मेन्टल डिसऑर्डर का शिकार हो गयी है – वैष्णव ने बताया


“वो ठीक तो हो जाएगी ना – सत्या ने चिंतित होते हुए पूछा
“हां डॉक्टर ने उसे कुछ दिन रेस्ट करने को कहा है ,, – वैष्णव ने कहा
“वैष्णव वैदेही एक बहुत अच्छी लड़की है इस वक्त उसे किसी के अपनेपन और सहारे की जरूरत है प्लीज़ उसका ख्याल रखना , मुझे किसी जरुरी काम से बाहर जाना है जल्दी ही लौट आऊंगा – सत्या ने कहा
“तुम बेफिक्र रहो जब तक मैं हु वैदेही को कुछ नहीं होगा – वैष्णव ने कहा


सत्या ने ऊपर देखा वैदेही खिड़की से उसी की तरफ देख रही थी उसकी ख़ामोश आँखे सत्या से बहुत कुछ कहना चाहती थी लेकिन सत्या वहा से चला गया , नर्स ने वैदेही को इंजेक्शन लगाया जिससे वैदेही नींद के आगोश में चली गयी ,, नर्स ने उसे सुलाया और कमरे से बाहर आकर दवाईया वैष्णव को थमा दी और वहा से चली गयी …… एंजेल्स होम के वीरान हो गया सभी बच्चे चुप चुप और सहमे हुए से अपने कमरों में कैद रहते थे ,,


सत्या कुमार के साथ मुंबई पहुंचा उसके हाथ में प्यारेमोहन जी का पता था ,, सत्या प्यारेमोहन के घर पंहुचा और डोरबेल बजा दी , एक अजीब सी ख़ुशी और बेचैनी उसके मन में थी इतने सालो बाद वह अपनी मधु से मिलेगा , वह उसे जान पायेगी भी या नहीं , सत्या यही सब सोचे जा रहा था …
सत्या ये सब सोच ही रहा था की तभी एक बुजुर्ग ने दरवाजा खोला , सत्या और कुमार को देखकर असमझ में पड गया सत्या ने कहा – नमस्ते सर


नमस्ते बेटा , पर मैंने आपको पहचाना नहीं – प्यारमोहन ने कहा
” मुझे आपसे मधु के बारे में कुछ बात करनी है क्या मैं अंदर आ सकता हु – सत्या ने कहा
इतने सालो में पहली बार मधु का नाम सुनकर प्यारेमोहन की आँखे फेल गयी उन्होंने कहा – क्या तुम बाबू हो बलराम के बेटे ?
हाँ सर – सत्या ने कहा तो प्यारमोहन ने उसे और कुमार को अंदर आने को कहा और तेजी से दरवाजा बंद कर लिया …


अंदर आकर प्यारेमोहन ने सत्या और कुमार से बैठने को कहा और नौकर से पानी लाने का इशारा किया नौकर पानी ले आया पानी पीकर सत्या ने ग्लास रखा नौकर को वहा से भेजकर प्यारेमोहन ने कहा – मैं जानता था तुम एक दिन जरूर आओगे
“सर मधु कहा है , मैं बस एक बार उसे देखना चाहता हु – सत्या ने बेसब्री से कहा
सत्या की बेसब्री देखकर प्यारमोहन ने कहना शुरू किया l

“13 साल पहले जब तुम्हारे पिता और मेरे दामाद रघु ने जब तुम्हारी और भूमि की शादी का फैसला लिया तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई की ये दोस्ती अब िरश्तेदारी में बदलने वाली है , लेकिन मेरे दामाद के बढ़ते लालच ने तुम्हारे पिता से दूरिया बढ़ा ली , ये दूरिया इतनी बढ़ गयी के इसने नफरत का रुप ले लिया , तुम्हारे पिता ने रघु को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन रघु ने उसकी नहीं सुनी ,, इन सबके पीछे की वजह था विष्णु , ताकि दो दोस्तों में फुट डालकर वह अकेला चैनई पर अपनी हुकूमत जमा सके .. उसने रघु से कहकर तुम्हारे माता पिता का क़त्ल कर्व दिया और उनके क़त्ल के इल्जाम में तुम्हे जेल भिजवा दिया !

विष्णु के कहने पर रघु ने गैर क़ानूनी धंधे करना शुरू कर दिए ,, एक शाम मैं उसे समझाने पहुंचा लेकिन विष्णु ने मेरी आँखों के सामने मेरी बेटी और रघु को मार डाला , मैं मधु को लेकर किसी तरह वहां से बचकर निकल गया ,, कुछ दिन मैं चैन्नई में ही यहाँ वहा छुपकर बचता रहा विष्णु ने अपने आदमी मेरे पीछे लगा रखे थे ,, और फिर एक दिन मौका पाकर मैं मधु को अपने साथ लेकर मुंबई आ गया ,, यहाँ आकर भी मेरे दिल से विष्णु का डर नहीं गया अपनी बेटी और दामाद को मैं खो चुका था पर मधु को खोना नहीं चाहता था

मधु का नाम बदल दिया ताकि कोई उसे पहचान ना पाए मैं उसे सबसे बचाकर रखने लगा, उसकी पढ़ाई यही से शुरू की वक्त के साथ साथ वो सब भूल गयी पर नहीं भूली तो वो एक नाम – ” बाबू
वो हमेशा तुम्हारे बारे में पूछा करती थी पर तुम जेल में हो ये जानकर कही वो तुमसे नफरत ना करने लग जाये इसलिये मैंने उसे हमेशा सच्चाई से दूर रखा ,, 18 साल की होने के बाद रघु की सारी जायदाद की वो अकेली वारिश बन गयी मधु को जब अपने पिता की सच्चाई पता चली तो वो यहाँ से पुणे चली गयी

पुणे में मेरा खुद का बड़ा मकान था जो काफी दिनों से बंद पड़ा था मधु ने मुझसे उस मकान की चाबी ले ली और उसे पहले से अच्छा करवा लिया और अपनी दोस्त के साथ रहने लगी ,, पैसे की कोई कमी नहीं थी पर वो उन पेसो को किसी अच्छे काम में लगाना चाहती थी ,, पुणे में वो अपने जैसे बिना माँ बाप के बच्चो को अपने साथ रखने लगी ,, उनकी सारी जरूरते पुर करने लगी ,, उस घर का नाम उसने “एंजेलस होम” रखा है उसके बाद वह बहुत बिजी रहने लगी

साल में एक दो बार मुझसे मिलने आ जाया करती है और जब भी आती है एक ही बात पूछती है “नन्ना बाबू का कुछ पता चला” और मैं हर बार उसे मना कर देता और वो उदास होकर चली जाती ,, मुझसे उसका अकेलापन देखा नहीं जाता था इसलिए पिछली बार जब वो आयी तो मैंने कहा की वो बाबू को भूलकर अपनी जिंदगी में आगे बढे , मेरी उम्र हो चुकी थी और मैं चाहता था की मेरे मरने से पहले वो शादी कर ले ताकि मेरे जाने के बाद उसका ख्याल रखने वाला हो !!!


कहकर प्यारे मोहन चुप हो गए सत्या की आँखों से आंसू निकलकर उसके गालो पर उभर आये उसने Lउनकी तरफ देखते हुए पूछा – मधु का दुसरा नाम क्या है ?
“वैदेही” – प्यारेमोहन ने कहा
उनके मुंह से वैदेही का नाम सुनकर सत्या की आँखों से आंसू टप टप बहने लगे प्यारेमोहन की कही बातें एक एक शब्द बनकर उसकी आँखों के सामने आ गयी मधु , पुणे , एंजेलस होम , वैदेही l

वैदेही ही मधु थी जिसे वो इतने सालो से ढूंढ रहा था सत्या को देखकर प्यारेमोहन ने कहा रुको मैं मधु की तस्वीर लेकर आता हु कहकर वह अंदर चले गए कुमार ने सत्या के कंधे पर हाथ रखा सत्या ने आंसू पोछे और उठकर कमरे में चारो तरफ देखने लगा तभी कोने में रखे कांच के अलमारी में उसे कुछ दिखा वो अलमारी की तरफ गया और शीशे से वो गुड्डे गुड्डी को निकाला और उसे देखने लगा ये वही तोहफा था जो सत्या ने बचपन में मधु को दिया था उसे देखकर सत्या की आँखे फिर भर आयी और उसे अपनी कही बात याद आ गयी “ये तुम और ये मैं”


प्यारेमोहन तस्वीर लेकर आ गए उन्होंने तस्वीर सत्या की तरफ बढ़ा दी सत्या ने कांपते हाथो से तस्वीर उठाकर देखी उसकी आँखों से आंसू निकलकर तस्वीर पर आ गिरे मधु की जो तस्वीर प्यारेमोहन ने सत्या को दी थी वो वो कोई और नहीं वैदेही ही थी वही वैदेही जो सत्या से बहुत प्यार करती थी , जिसे सत्या ने अब तक खुद से दूर रखा वैदेही के साथ का वो हर लम्हा उसकी आँखो के सामने आ गया l आँखों में आंसू होने के बाद भी उसके होंठो पर मुस्कान तैर गयी

वो कुमार के पास आया और उसे तस्वीर दिखाकर कहा – कुमार देख देख वैदेही ही मधु है , वो इतने दिनों से मेरे आस पास थी और मैं उसे पहचान ही नहीं पाया , कितना रुलाया मैंने उसे खुद से दूर रखा कितना दुःख पहुंचाया उसे l पर अब और नहीं मैं उसे खोना नहीं चाहता मैं अभी इसी वक्त उस से मिलना चाहता हु उसे उसे बताना चाहता हु की मैं उस से कितना प्यार करता हु , वो मुझे माँफ कर देगी और गले लगा लेगी – सत्या रोने लगा
कुमार और प्यारेमोहन ने उसे दिलासा दिया और पुणे जाकर मधु यानि वैदेही से मिलने को कहा

सत्या ने वो गुड्डे गुड़िया का सेट उठाया और अपने बैग में डाल लिया रात के 11 बज रहे थे सत्या कुमार के सात उसी वक्त पुणे के लिए निकल गया ,, रास्ते भर वो वैदेही के बारे में सोचता रहा उसके होंठो पर मुस्कान थी और आँखों में आंसू वो बस जल्द से जल्द वैदेही के पास पहुंचना चाहता था l
उधर पुणे में रात में वैदेही को होश आया तो वो बैचैन सी अपने कमरे में घूमने लगी वैदेही पर अब भी इंजेक्शन का असर था वो जाकर वापस लेट गयी ,, एंजेलस होम में घोर सन्नाटा था सभी सो रहे थे ,

वैदेही का शरीर निचे जमींन पर पड़ा हुआ था .शांता बाई उठकर बाहर आयी तो वैदेही को देखकर उसकी चींख निकल गयी , वो दौड़कर वैदेही के पास गयी और उन्हें छूकर देखा वैदेही का शरीर ठंडा बिल्कुल ठंडा था , चारो तरफ खून ही खून फैला हुआ था ,, शांता की चींख सुनकर गार्ड्स भी दौड़कर आये वैदेही को देखकर सभी घबरा गए ,, गार्ड ने पुलिस को फोन किया पुलिस वहा आयी ,, उन्होंने वैदेही का हाथ देखा उसकी धड़कन बंद थी इंस्पेक्टर ने सिपाहियों को वहा की तलाशी लेने को कहा ,, बच्चे डरे सहमे खड़े रो रहे थे ,, शांता का भी रो रोकर बुरा हाल था ….

सुबह के 7 बज रहे थे पुलिस वाले अपना काम करने में लगे थे वैष्णव भी आ चुका था और एक कोने में खड़ा आंसू बहाने लगा , तभी एक सिपाही ने एक कागज का टुकड़ा लाकर इंस्पेक्टर को थमाया इंस्पेक्टर ने वो लेटर लिया और पढ़ने लगा


” यहाँ कोई मेरा विश्वास नहीं कर रहा है सबको लगता है मैं पागल हो चुकी हु , पर ऐसा नहीं है l मैंने बहुत कुछ खोया है और अब मेरे पास जीने की कोई उम्मीद नहीं बची है ,इन हालातो के साथ अब मैं जी नहीं पाऊँगी
मेरे प्यारे बच्चो और नन्ना मुझे माफ़ कर देना
तुम्हारी वैदेही !!
इंस्पेक्टर के पढ़ते ही वैष्णव शांता और बाकि बच्चे रोने लगे ll इंस्पेक्टर ने आत्महत्या का मामला दर्ज किया और एम्बुलेंस के लिए फोन किया , तभी दरवाजे पर गाड़ी आकर रुकी

गाड़ी से सत्या उतरा और अंदर आया वहा मौजूद भीड़ देखकर सत्या को कुछ समझ नहीं आया पर जैसे ही उसने वैदेही की लाश देखी उसके हाथ से बैग छूटकर निचे गिर गया उसकी सांसे जैसे थम सी गयी वो भागकर वैदेही के पास गया और घुटनो के बल गई पड़ा उसकी आँखों से आंसू बहनें लगे उसने भूमि के शरीर को अपनी बांहो में लिया और चींख उठा ,, वैदेही के जिस्म ने कोई हलचल नहीं की सत्या रोने लगा उसे रोता देखकर किसी का भी दिल पसीज जाये l

उसने वैदेही को पाकर भी खो दिया था इंस्पेक्टर भी उसे देखकर खुद को रोक नहीं पाया और सत्या के कंधे पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देने लगा ,, सत्या की आँखों के सामने वो सारे पल घूमने लगे और वो आखरी पल जब वैदेही ने कहा “सत्या प्लीज़ एक बार मुझे गले लगा लो” सत्या को याद आया तो उसने वैदेही के जिस्म को कसकर अपने सीने से लगा लिया अचानक उसे अपने सीने पर कुछ महसूस हुआ उसने वैदेही के हाथ की नस देखी उसकी धड़कन चल रही थी सत्या चीख पड़ा – “ये ज़िंदा है”


इंस्पेक्टर ने सुना तो वो दौड़कर आया और वैदेही का हाथ देखा उसकी नाड़ी बहुत धीमे चल रही थी , सत्या ने वैदेही को गोद में उठाया और दरवाजे की तरफ दौड़ पड़ा एम्बुलेंस आ चुकी थी सत्या ने वैदेही को लिटाया और जल्दी से हॉस्पिटल चलने को कहा गाड़ी सिटी हॉस्पिटल पहुंची वैदेही को तुरंत एमर्जेन्सी वार्ड में ले जाया गया , वहा से उसे ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया 7 घंटे के उस ऑपरेशन में वैदेही के बचने के चांस बहुत कम थे ,,,,

सर पर लगी चोट की वजह से उसके दिमाग की नस ब्लॉक हो चुकी थी डॉक्टर्स ने किसी तरह वैदेही की जान तो बचा ली पर खतरे से बाहर आते ही वैदेही कोमा में चली गयी l
सत्य बाहर बैठा इंतजार कर रहा था जब डॉक्टर्स ने उसे वैदेही के बारे में बताया तो वो धम से चेयर पर गिर पड़ा , ये कैसी परीक्षा ले रहा था ईश्वर उसकी जो वो चाहकर भी वैदेही पा नहीं सका , डॉक्टर ने सत्या से एक और खुलासा किया वैदेही ने आत्महत्या नहीं की थी किसी ने उसके सर पर वार करके उसे मारने क कोशिस की है

सत्या ने सूना तो उसका खून खोल गया l उसने डॉक्टर से वैदेही से एक बार मिलने की बात की तो डॉक्टर ने हामी भर दी ,, सत्या अंदर गया उसके पेरो में जैसे बिल्कुल जान नहीं थी मशीनों से घिरी वैदेही बिस्तर पर लेटी हुयी थी सर पर पट्टिया बंधी थी , सत्या ने वैदेही का हाथ अपने हाथो में लिया और कहने लगा – मुझे माफ कर दो वैदेही , तुम्हारी इस हालत का जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मैं हु , काश उस दिन मैं तुम्हे समझ पाता l मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु वैदेही और ……. और तुम्हे पता है तुम ही मेरी मधु हो l

एक बार तुम्हे खो चुका था और देखो आज फिर तुम्हे खो दिया ….
सत्या रोने लगा और फिर अपने आंसू पोछकर कहा – नहीं छोडूंगा मुझे तुमसे अलग करने वाले को नहीं छोडूंगा वो जहा कही भी है ढूंढ निकलूंगा उसे

Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6

Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6Ishq Ak Junoon – 6

To be continued with – Ishq – ak junoon 7

Follow Me On – instagram

Visit https://sanjanakirodiwal.com

Sanjana Kirodiwal

Ishq Ak Junoon
Ishq Ak Junoon by Sanjana Kirodiwal
Love You Zindagi - Season 2

One Comment

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!