Sanjana Kirodiwal

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“तेरे इश्क़ में” – 9

Tere Ishq Me – 9

Tere Ishq Me
Tere Ishq Me

पार्थ को जब पता चला की साहिबा जा चुकी है तो उसे बहुत बुरा लगा। वह साहिबा को साहिबा को ढूंढ़ने स्टेशन भी गया था लेकिन तब तक ट्रेन जा चुकी थी। पार्थ का चेहरा उदासी से घिर गया। हताश होकर वह वापस चला आया। घर में सबको पता चल चूका था की साहिबा वापस चली गयी है लेकिन साहिबा और पल्लवी के झगडे के बारे में किसी को पता ना चले इसलिए प्रिया और रुबीना ने सबसे झूठ कह दिया की साहिबा के किसी नजदीकी रिस्तेदार का देहांत हो गया है इसलिए उसे जाना पड़ा पर पार्थ को उनकी बातो पर यकीन नहीं हुआ। वह प्रिया के पास आया और कहा,”दी साहिबा ऐसे क्यों चली गयी ? आप तो उनकी दोस्त है आपको पता होगा”
“तुम्हे उसके जाने से इतना फर्क क्यों पड़ रहा है ?”,पीछे से पल्लवी ने कमरे में आते हुए कहा
“क्योकि कल शाम ही उन्होंने मुझे बताया था की उनका इस दुनिया में कोई नहीं है सिवाय आपके”,पार्थ ने पलटकर उदास लहजे में कहा
“साहिबा यहाँ से जा चुकी है पार्थ और जैसे ये सब तुम्हारी दी है वैसे ही वो भी है”,पल्लवी ने कहा
“दी आप गलत समझ रहे हो”,पार्थ ने कहा
“मैं अंधी नहीं हूँ पार्थ तुम दोनों के बीच जो चल रहा था वो साफ दिख रहा है मुझे”,पल्लवी ने गुस्से से धीमी आवाज में कहा
“दी,,,,,,,,,,,,(पार्थ ने हैरानी से पल्लवी को देखा और आगे कहने लगा) साहिबा मुझसे बात नहीं कर रही थी बल्कि मैं खुद बार बार उस से बात करने जा रहा था। वो आपकी बेस्ट फ्रेंड है और उनको आपकी पसंद नापसद के बारे में ज्यादा पता होगा सोचकर मैं सिर्फ उनसे ये जानना चाहता था की आपको शादी में क्या तोहफा देना सही रहेगा ? वो बहुत अच्छी है दी उसने मुझसे कोई गलत बात नहीं की इन्फेक्ट उनसे इम्प्रेस था और आपने इन सब चीजों को गलत नजर से देखा और शायद ये सब बाते आपने साहिबा से भी कह दी और वो यहाँ से चली गयी”,पार्थ ने पल्लवी की बातो से हर्ट होकर कहा
पल्लवी ने सूना तो उसे बुरा लगा की उसने अपनी दोस्त को गलत समझा लेकिन पार्थ और साहिबा की नजदीकियां उसे क्यों नहीं पसंद आ रही थी ये बात सिवाय पल्लवी के कोई नहीं जानता था। पल्लवी को खामोश देखकर पार्थ वहा से चला गया। दिनभर वह उदास सा शादी के कामो में हाथ बटाता रहा। शाम में सभी तैयार होकर गेस्ट हॉउस जाने लगे। पार्थ अपने कमरे में आया। नए कपडे पहने , साहिबा के बिना उसे अच्छा नहीं लग रहा था। अब तक इस घर में कितनी ही बार उसका साहिबा से सामना हुआ लेकिन अब साहिबा यहा नहीं थी। तैयार होकर पार्थ जैसे ही जाने लगा उसकी नजर टेबल पर रखी घडी के बॉक्स पर गयी जो उसे साहिबा ने दिया था।
पार्थ ने उसे उठाया और घडी निकालकर से अपनी कलाई पर पहन ली। घडी पार्थ के हाथ में अच्छी लग रही थी। वह गेस्ट हॉउस के लिए निकल गया। रुबीना प्रिया और लक्ष्य को भी साहिबा के बिना वहा अच्छा नहीं लग रहा था तीनो उदास से एक तरफ बैठे थे। पल्लवी शादी की रस्मो में बिजी हो गयी। .

वर्तमान , चैन्नई एयरपोर्ट
ख्यालों में खोये साहिबा की तंद्रा टूटी तो उसने महसूस किया उसके हाथ में पकड़ी कॉफी ठंडी हो चुकी है। साहिबा ने उसे डस्टबिन में डाल दिया और घडी में समय देखा। अगली फ्लाइट का समय हो चुका था साहिबा अपना हैंड बैग सम्हाले फ्लाइट की और बढ़ गयी। साहिबा ने चेक किया इस बार भी उसे खिड़की वाली सीट ही मिली थी लेकिन अपने बगल वाली सीट पर नाम देखकर उसका दिल धड़क उठा “पार्थ मिश्रा”
साहिबा अपनी सीट पर आकर बैठ गयी और बार बार पीछे मुड़कर देखने लगी। उसकी धड़कने सामान्य से तेज थी , क्या ये वही पार्थ मिश्रा था जिसे साहिबा जानती थी ? साहिबा ने देखा एक एक करके सब सीटों पर आकर बैठ चुके है बस उसकी बगल वाला अभी भी नरराद है। साहिबा ने एक दो बार और पीछे देखा और फिर खुद से ही कहने लगी,”क्या हो गया है तुम्हे Why are you behaving like a teenager ? 5 साल हो चुके है वो यहाँ क्यों आएगा ?”
साहिबा ने अपना ध्यान उस नाम से हटाया और खिड़की के बाहर देखने लगी। कुछ देर बाद एक लड़का आकर उसकी बगल में बैठा साहिबा का दिल एक बार फिर धड़कने लगा। उसने धड़कते दिल के साथ अपनी बगल में देखा , ये वो नहीं था बल्कि एक 16-17 साल का लड़का था जिसने कानो पर हैड फोन लगा रखे थे। साहिबा ने एक नजर उसे देखा और फिर खिड़की के बाहर देखने लगी।
वह आज भी उसे नहीं भूली थी , वो चेहरे वो आँखे उसे सब याद था ,,,,,,, साहिबा ने अपनी आँखे मुंदी और सर सीट से लगा लिया !
सुबह के 5 बजे साहिबा दिल्ली एयरपोर्ट पर थी। उसने बरेली के लिए फ्लाइट का पूछा लेकिन आज फ्लाइट बंद थी। उसने अपना सामान लिया और वहा से बाहर निकल आयी। ये शहर उसका अपना था बचपन से लेकर कॉलेज तक वही इसी शहर में तो रही थी। 5 सालो में कुछ नहीं बदला था इस शहर में सब वैसा ही था। साहिबा ने ऑटो रुकवाया और आकर उसमे बैठ गयी उसने ऑटोवाले से रेलवे स्टेशन चलने को कहा। ऑटो मैं बैठे बैठे वह दिल्ली की सड़को को देखे जा रही थी। सुबह के उगते सूरज के साथ दिल्ली बहुत आकर्षक लग रहा था। साहिबा उन नजारो में खोकर रह गयी। सड़क के एक तरफ जॉगिंग करती चार लड़किया दिखाई दी तो साहिबा को अपने पुराने दिन याद आ गए। उन चारो में वह इस वक्त खुद को , पल्लवी और प्रिया रुबीना को देख रही थी। एक फीकी सी मुस्कान उसके होंठो पर तैर गयी। ऑटोवाला रेलवे स्टेशन पहुंचा साहिबा अपना बैग लिए नीचे उतरी और किराया देकर अंदर चली आयी। टिकट काउंटर पर आकर उसने ट्रेन के बारे में पूछा तो पता चला की ट्रेन अभी 1 घंटे बाद आएगी। साहिबा सफर करके काफी थक चुकी थी उनसे नल के पास आकर मुंह धोया और अपने लिए चाय लेकर बेंच पर आकर बैठ गयी। चाय पीकर उसने कप को डस्टबिन में डाल दिया। साहिबा वही बैठे बैठे ट्रेन के आने का इंतजार करने लगी। एक घंटे बाद ट्रेन आयी साहिबा उठी और ट्रेन की तरफ बढ़ गयी। सुबह का वक्त था लेकिन भीड़ काफी बढ़ चुकी थी। अपना बैग खींचते हुए साहिबा अपने डिब्बे का पता लगाते हुए चली जा रही थी की सामने से आते लड़के से उसका कंधा टकराया। एक जाना पहचाना अहसास साहिबा को हुआ “सॉरी” कहते हुए वह जैसे ही लड़के की तरफ पलटी लड़का आगे बढ़ चुका था शायद जल्दी में था। साहिबा ने कुछ देर उसे देखा और फिर आगे बढ़ गयी। चलते चलते लड़के को अहसास हुआ जैसे तकराने वाली लड़की उसकी कोई अपनी हो वह पलटा लेकिन देखा लड़की जा रही है। लड़का कुछ देर उसे देखता रहा और फिर ट्रेन में चढ़ गया।
“यार पार्थ तू हमेशा लेट हो जाता है , कभी तो वक्त आ जाया कर भाई”,लड़के के दोस्त ने उस से कहा और दोनों जाकर अपनी अपनी सीट पर बैठ गए।
साहिबा से टकराने वाला लड़का कोई और नहीं बल्कि पार्थ ही था लेकिन दोनों ही एक दूसरे को नहीं देख पाए और ट्रेन के अलग अलग डिब्बों में चढ़ गए। नींद से साहिबा की आँखे बार मूंदे जा रही थी , उसने अपना बैग नीचे रखा और सर खिड़की से लगाकर सो गयी। 5-6 घंटे बाद ट्रेन बरेली स्टेशन पहुंची। साहिबा उठी अपना बैग लिया और ट्रेन से नीचे उतर गयी। बगल वाले डिब्बे से पार्थ उतरा लेकिन दोनों एक बार फिर एक दूसरे को नहीं देख पाए और अलग अलग दिशाओ में बढ़ गए।

प्रिया कौशिक के घर में शादी का माहौल था। दो दिन बाद उसकी शादी थी। पल्लवी , रुबीना , लक्ष्य और वरुण कबका आ चुके थे लेकिन प्रिया को किसी और का भी इंतजार था। नाश्ते के बाद सभी घर के बाहर वाले लॉन में बैठकर बातें कर रहे थे। प्रिया , रुबीना , लक्ष्य ,अश्विनी , पल्लवी और वरुण सभी वहा बैठे थे। ध्रुव थक चुका था इसलिए पल्लवी उसे अंदर प्रिया के कमरे में सुलाकर आ गयी। सभी काफी वक्त बाद मिले थे और सबके पास करने को ढेर सारी बाते थे। बाते करते करते रुबीना की नजर गेट के बाहर गयी जहा एक कैब आकर रुकी थी। रुबीना की नजर उधर ही थी तभी उसने देखा कैब से उतरने वाला कोई और नहीं बल्कि साहिबा थी। साहिबा जैसे ही अपना बैग उठाये गेट के अंदर आयी रुबीना ने ख़ुशी से उछलते हुए कहा,”हे गाईज साहिबा आयी है”
रुबीना के कहने के बाद सबकी नजरे उस तरफ चली गयी सभी उठे और साहिबा की तरफ चले गए सिवाय पल्लवी और अश्विनी के
“कैसी है यार ? कहा थी इतने साल ? मुझे तो लगा तू मेरा मेल ही नहीं देखेगी”,प्रिया ने साहिबा के गले लगते हुए कहा
“मैं ठीक हूँ तुम सब कैसे हो ? हाय रुबीना , लक्ष्य सब यही हो”,साहिबा ने सबके गले लगते हुए कहा
“काफी बदल गयी हो साहिबा , वेल ड्रेस्ड , बिल्कुल फॉरेनर लग रही हो ,,,5 साल में एक बार भी हम सबकी याद नहीं आयी”,लक्ष्य ने उसे साइड हग करते हुए कहा तो साहिबा ने कहा,”फ़िलहाल ऊटी में हूँ , मैं भी तुम सबको हमेशा याद करती थी”
कहते हुए साहिबा ने सामने देखा जहा पल्लवी बैठी थी।
“मैं पल्लवी से मिलकर आती हूँ”,कहते हुए साहिबा उसकी तरफ चली आयी लेकिन वह पल्लवी से कुछ बात कर पाती इस से पहले ही पल्लवी उठी और कहा,”मैं ध्रुव को देखकर आती हूँ”
साहिबा में अश्विनी की तरफ देखा और कहा,”हाय अश्विनी कैसे हो ?”
“मैं ठीक हु साहिबा बैठो ना”,अश्विनी ने कहा तो साहिबा खाली पड़ी कुर्सी पर आकर बैठ गयी।
“ध्रुव हमारा बेटा है , पल्लवी उसे ही देखने गयी है”,अश्विनी ने साहिबा के उदास चेहरे को देखते हुए कहा
“इट्स ओके”,साहिबा ने कहा। प्रिया रुबीना लक्ष्य भी वहा चले आये और सब साहिबा के अगल बगल बैठ गए और उस से बातें करने लगे। कुछ देर बाद प्रिया
ने उठते हुए कहा,”साहिबा तुम इन सबसे बाते करो मैं तुम्हारे लिए चाय नाश्ता भिजवाती हूँ”
“प्रिया पहले मुझे नहाना है कल सुबह से ट्रेवल कर रही हूँ”,साहिबा ने कहा
“ठीक है फिर मेरे साथ आओ”,प्रिया ने कहा तो साहिबा उठी और अपना बैग लेकर उसके साथ चली गयी। साहिबा के आने से सभी खुश थे आखिर सब उस से 5 साल बाद जो मिल रहे थे

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क्रमश – Tere Ishq Me – 10

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संजना किरोड़ीवाल

कहते हुए साहिबा ने सामने देखा जहा पल्लवी बैठी थी।
“मैं पल्लवी से मिलकर आती हूँ”,कहते हुए साहिबा उसकी तरफ चली आयी लेकिन वह पल्लवी से कुछ बात कर पाती इस से पहले ही पल्लवी उठी और कहा,”मैं ध्रुव को देखकर आती हूँ”
साहिबा में अश्विनी की तरफ देखा और कहा,”हाय अश्विनी कैसे हो ?”
“मैं ठीक हु साहिबा बैठो ना”,अश्विनी ने कहा तो साहिबा खाली पड़ी कुर्सी पर आकर बैठ गयी।
“ध्रुव हमारा बेटा है , पल्लवी उसे ही देखने गयी है”,अश्विनी ने साहिबा के उदास चेहरे को देखते हुए कहा
“इट्स ओके”,साहिबा ने कहा। प्रिया रुबीना लक्ष्य भी वहा चले आये और सब साहिबा के अगल बगल बैठ गए और उस से बातें करने लगे। कुछ देर बाद प्रिया
ने उठते हुए कहा,”साहिबा तुम इन सबसे बाते करो मैं तुम्हारे लिए चाय नाश्ता भिजवाती हूँ”
“प्रिया पहले मुझे नहाना है कल सुबह से ट्रेवल कर रही हूँ”,साहिबा ने कहा
“ठीक है फिर मेरे साथ आओ”,प्रिया ने कहा तो साहिबा उठी और अपना बैग लेकर उसके साथ चली गयी। साहिबा के आने से सभी खुश थे आखिर सब उस से 5 साल बाद जो मिल रहे थे कहते हुए साहिबा ने सामने देखा जहा पल्लवी बैठी थी।
“मैं पल्लवी से मिलकर आती हूँ”,कहते हुए साहिबा उसकी तरफ चली आयी लेकिन वह पल्लवी से कुछ बात कर पाती इस से पहले ही पल्लवी उठी और कहा,”मैं ध्रुव को देखकर आती हूँ”
साहिबा में अश्विनी की तरफ देखा और कहा,”हाय अश्विनी कैसे हो ?”
“मैं ठीक हु साहिबा बैठो ना”,अश्विनी ने कहा तो साहिबा खाली पड़ी कुर्सी पर आकर बैठ गयी।
“ध्रुव हमारा बेटा है , पल्लवी उसे ही देखने गयी है”,अश्विनी ने साहिबा के उदास चेहरे को देखते हुए कहा
“इट्स ओके”,साहिबा ने कहा। प्रिया रुबीना लक्ष्य भी वहा चले आये और सब साहिबा के अगल बगल बैठ गए और उस से बातें करने लगे। कुछ देर बाद प्रिया
ने उठते हुए कहा,”साहिबा तुम इन सबसे बाते करो मैं तुम्हारे लिए चाय नाश्ता भिजवाती हूँ”
“प्रिया पहले मुझे नहाना है कल सुबह से ट्रेवल कर रही हूँ”,साहिबा ने कहा
“ठीक है फिर मेरे साथ आओ”,प्रिया ने कहा तो साहिबा उठी और अपना बैग लेकर उसके साथ चली गयी। साहिबा के आने से सभी खुश थे आखिर सब उस से 5 साल बाद जो मिल रहे थे कहते हुए साहिबा ने सामने देखा जहा पल्लवी बैठी थी।
“मैं पल्लवी से मिलकर आती हूँ”,कहते हुए साहिबा उसकी तरफ चली आयी लेकिन वह पल्लवी से कुछ बात कर पाती इस से पहले ही पल्लवी उठी और कहा,”मैं ध्रुव को देखकर आती हूँ”
साहिबा में अश्विनी की तरफ देखा और कहा,”हाय अश्विनी कैसे हो ?”
“मैं ठीक हु साहिबा बैठो ना”,अश्विनी ने कहा तो साहिबा खाली पड़ी कुर्सी पर आकर बैठ गयी।
“ध्रुव हमारा बेटा है , पल्लवी उसे ही देखने गयी है”,अश्विनी ने साहिबा के उदास चेहरे को देखते हुए कहा
“इट्स ओके”,साहिबा ने कहा। प्रिया रुबीना लक्ष्य भी वहा चले आये और सब साहिबा के अगल बगल बैठ गए और उस से बातें करने लगे। कुछ देर बाद प्रिया
ने उठते हुए कहा,”साहिबा तुम इन सबसे बाते करो मैं तुम्हारे लिए चाय नाश्ता भिजवाती हूँ”
“प्रिया पहले मुझे नहाना है कल सुबह से ट्रेवल कर रही हूँ”,साहिबा ने कहा
“ठीक है फिर मेरे साथ आओ”,प्रिया ने कहा तो साहिबा उठी और अपना बैग लेकर उसके साथ चली गयी। साहिबा के आने से सभी खुश थे आखिर सब उस से 5 साल बाद जो मिल रहे थे कहते हुए साहिबा ने सामने देखा जहा पल्लवी बैठी थी।
“मैं पल्लवी से मिलकर आती हूँ”,कहते हुए साहिबा उसकी तरफ चली आयी लेकिन वह पल्लवी से कुछ बात कर पाती इस से पहले ही पल्लवी उठी और कहा,”मैं ध्रुव को देखकर आती हूँ”
साहिबा में अश्विनी की तरफ देखा और कहा,”हाय अश्विनी कैसे हो ?”
“मैं ठीक हु साहिबा बैठो ना”,अश्विनी ने कहा तो साहिबा खाली पड़ी कुर्सी पर आकर बैठ गयी।
“ध्रुव हमारा बेटा है , पल्लवी उसे ही देखने गयी है”,अश्विनी ने साहिबा के उदास चेहरे को देखते हुए कहा
“इट्स ओके”,साहिबा ने कहा। प्रिया रुबीना लक्ष्य भी वहा चले आये और सब साहिबा के अगल बगल बैठ गए और उस से बातें करने लगे। कुछ देर बाद प्रिया
ने उठते हुए कहा,”साहिबा तुम इन सबसे बाते करो मैं तुम्हारे लिए चाय नाश्ता भिजवाती हूँ”
“प्रिया पहले मुझे नहाना है कल सुबह से ट्रेवल कर रही हूँ”,साहिबा ने कहा
“ठीक है फिर मेरे साथ आओ”,प्रिया ने कहा तो साहिबा उठी और अपना बैग लेकर उसके साथ चली गयी। साहिबा के आने से सभी खुश थे आखिर सब उस से 5 साल बाद जो मिल रहे थे

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