Sanjana Kirodiwal

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“तेरे इश्क़ में” – 20

Tere Ishq Me – 20

Tere Ishq Me
Tere Ishq Me

कुछ ही दूर सड़क पर साहिबा खून से लथपथ पड़ी थी। पल्लवी को समझ ही नहीं आया की ये अचानक से क्या हुआ ? वह बुत बनी वही खड़ी रह गयी और फ़टी आँखों से कुछ दूर पड़ी साहिबा को देखते रही। ट्रक ड्राइवर उतरकर भाग गया। पार्थ भागते हुए साहिबा के पास आया उसे सम्हाला। खून से लथपथ साहिबा बहुत मुश्किल से साँस ले रही थी। उसके सर पर चोट आयी थी और नाक से भी खून निकल रहा था। पार्थ ने उसे सम्हाला और उसका सर अपनी गोद में रखकर उसके गाल को थपथपाते हुए कहा,”साहिबा , साहिबा आँखे खोलो , साहिबा , साहिबा मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा साहिबा,,,,,,,,,,,,,,,कोई एम्बुलेंस को फोन करो (चिल्लाते हुए कहता है)
साहिबा को इस हाल में देखकर किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था रुबीना और प्रिया तो रो पड़ी। मेहुल ने उन्हें सम्हाला और लक्ष्य को जल्दी से एम्बुलेंस को फोन करने को कहा। धीरे धीरे वहा भीड़ जमा होने लगी। साहिबा की आँखे खुली थी वह पार्थ को देख पा रही थी लेकिन अभी कुछ बोलने की हालत में नहीं थी। उसके नाक से खून बहता जा रहा था।
“साहिबा , साहिबा तुम्हे कुछ नहीं होगा,,,,,,,,,,मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा”,कहते हुए पार्थ रो पड़ा। कुछ देर पहले जिस साहिबा को उसने शादी के जोड़े में देखा था वही साहिबा खून से लथपथ उसकी बांहो में आखरी सांसे ले रही थी। साहिबा ने काँपते हाथ से पार्थ के हाथ को थामा। वह बोलना चाहती थी लेकिन बोल नहीं पा रही थी। पार्थ ने देखा उसकी आँखों में भरे आंसू कनपटी से बहकर नीचे जा रहे है। पार्थ ये देख नहीं पाया उसने साहिबा को अपने सीने से लगा लिया और कहा,”मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा”
एम्बुलेंस आ चुकी थी। साहिबा को एम्बुलेंस में लेटाया , वह बेहोश हो चुकी थी लेकिन उसने पार्थ का हाथ मजबूती से थाम रखा था। मेहुल ने देखा तो कहा,”तुम साहिबा के साथ हम सब आते है। पार्थ साहिबा के साथ एम्बुलेंस में चला गया। पार्थ नम आँखों से साहिबा को देखे जा रहा था। मन ही मन वह ईश्वर से साहिबा के लिए दुआ भी कर रहा था।

सिटी हॉस्पिटल , दिल्ली
एम्बुलेंस हॉस्पिटल पहुंची। दो वार्ड बॉय भागते हुए आये और साहिबा को एम्बुलेंस से निकालकर स्ट्रेक्चर पर लेटाया। साहिबा खून से लथपथ बेहोश पड़ी थी , पार्थ का हाथ अभी भी उसके हाथ में था। स्ट्रेक्चर के साथ साथ पार्थ भी उसके साथ अंदर चला आया। उसकी आँखों में आंसू थे और चेहरे पर साहिबा को खो देने का दर्द साफ दिखाई दे रहा था। डॉक्टर ने वार्ड बॉयज को साहिबा को जल्दी से ऑपरेशन थियेटर में ले जाने को कहा। ऑपरेशन थियेटर के बाहर आकर पार्थ रुक गया। उसके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे वार्ड बॉय ने उसे वही रुकने को कहा लेकिन साहिबा का हाथ पार्थ के हाथ में था। जब पार्थ के हाथ को साहिबा के हाथ से अलग किया गया तो उसके दिल में एक टीस उठी उसे लगा जैसे साहिबा उस से दूर जा रही है।
“सर प्लीज”,नर्स ने कहा तो पार्थ ने साहिबा के हाथ को छोड़ दिया और उसका सर चूमते हुए धीरे से कहा,”तुम्हे कुछ नहीं होगा”
पार्थ साइड हो गया , साहिबा को ऑप्रेशन थियेटर में ले जाया गया। पार्थ बाहर पड़ी बेंच पर आकर बैठ गया। उसकी आँखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। हॉस्पिटल में मौजूद स्टाफ और लोग पार्थ को देख रहे थे। पार्थ की नजर जब उन सब पर पड़ी तो उसने अपने आँसू पोछे , अपने दोनों हाथ की उंगलियों को आपस में फसाया और अपने होंठो से लगाकर सर झुकाकर बैठ गया। पार्थ की आँखों में अब भी आँसू थे उसे साहिबा का कुछ देर पहले का हँसता मुस्कुराता चेहरा
याद आ रहा था। डर और घबराहट के मारे उसके हाथ काँप रहे थे।
कुछ देर बाद ही मेहुल सबके साथ वहा पहुंचा उसने रिसेप्शन पर आकर कहा,”अभी अभी एक एक्सीडेंट केस आया है ? कहा है वो ?”
“वो ऑपरेशन थियेटर है , सीधा जाकर लेफ्ट”,लड़की ने कहा
“थैंक्यू”,कहकर मेहुल वहा से आगे बढ़ गया देखा पार्थ ऑपरेशन थियेटर के सामने पड़ी बेंच पर बैठा है। मेहुल ने आकर उसे सम्हाला और कहा,”पार्थ हिम्मत रखो कुछ नहीं होगा साहिबा को”
“वो ठीक तो हो जाएगी ना ?”,पार्थ ने काँपते होंठो से कहा
“हां पार्थ कुछ नहीं होगा हमारी साहिबा , तुम तुम टेंशन मत लो हम सब उसे कुछ नहीं होने देंगे”,प्रिया ने कहा
लक्ष्य और रुबीना भी आकर वहा बैठ गए सभी मन ही मन साहिबा के लिए दुआ कर रहे थे। पार्थ की आँखे लाल हो चुकी थी , साहिबा के खून से उसकी सफेद शर्ट पर भी धब्बे पड़ चुके थे , साहिबा के दर्द को महसूस करते हुए वह बार बार अपने होंठो को चबा रहा था। उसका दुसरा हाथ साइड में था जो की काँप रहा था। बहुत करीब से उसने साहिबा की साँसो को उखड़ते हुए देखा था। प्रिया ने देखा तो उसने पार्थ के काँपते हाथ पर अपना हाथ रख दिया और कहा,”हिम्मत रखो पार्थ , वो बहुत स्ट्रांग है”
“कल रात ही उसने मुझसे कहा की वो खुश रहना चाहती है और आज ये सब,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए पार्थ की आँखों में फिर आँसू आ गए। प्रिया पार्थ का दर्द महसूस कर रही थी , सिर्फ प्रिया ही नहीं वहा खड़ा मेहुल , लक्ष्य और रुबीना भी पार्थ की फीलिंग्स को महसूस कर रहे थे। पार्थ को इस हालत में देखकर उन्हें बहुत बुरा भी लग रहा था।
दो घंटे बाद ऑपरेशन थियेटर का रेड बल्ब बंद हुआ। डॉक्टर अपनी टीम के साथ बाहर आया। पार्थ ने देखा तो उठकर जल्दी से उनके पास आया और कहा,”कैसी है साहिबा ? वो वो ठीक है ना ?”
डॉक्टर ने पार्थ को एक नजर देखा इतने में बाकि सब भी डॉक्टर के पास चले आये। डॉक्टर ने सबको देखा और कहा,”देखिये पेशेंट की हालत बहुत क्रिटिकल है , उसके सर में काफी गहरी चोटे आयी है , उनका एक ऑपरेशन हुआ है रिज्लट क्या निकलेंगे ये 24 घंटे के बाद ही कुछ कहा जा सकता है”
पार्थ ने सूना तो उसका दिल बैठ गया साथ ही उसे डॉक्टर पर भी गुस्सा आ गया उसने गुस्से से तेज आवाज में कहा,”ऐसी कैसे कुछ नहीं कह सकते आप ? आप डॉक्टर है उसे बचाइए,,,,,,,,,,,,!!”
“बिहेव योर सेल्फ , मैं डॉक्टर हूँ भगवान नहीं ,, हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे है बाकी सब उपरवाले के हाथ में है”,डॉक्टर ने कहा तो मेहुल ने लक्ष्य को इशारा किया की वह पार्थ को साइड में लेकर जाए। लक्ष्य ने पार्थ को सम्हाला और साइड में ले गया। मेहुल ने डॉक्टर की तरफ देखा और कहा,”आई ऍम रियली सॉरी डॉक्टर , वो अभी बहुत परेशान है उसकी बात को इग्नोर कीजिये। साहिबा ठीक तो हो जाएगी ना ?”
“हम पूरी कोशिश कर रहे है , उसका बहुत खून बह चुका है और सर में भी काफी चोटे आयी है ,, ऐसी में अभी कुछ कहना ठीक नहीं होगा। हिम्मत रखिये”,डॉक्टर ने मेहुल के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
“सर क्या हम लोग साहिबा से मिल सकते है ?”,प्रिया ने कहा
“अभी उसकी ड्रेसिंग चल रही है कुछ देर बाद उसे ICU में शिफ्ट कर दिया जाएगा , उसके बाद आप लोग उसे देख सकते है। एक्सक्यूज मी प्लीज”,कहते हुए डॉक्टर ने अपने हाथ में पकड़ा स्टेथोस्कोप अपने गले में डाला और अपनी टीम के साथ वहा से चला गया। साहिबा के बारे में सुनकर किसी को भी अच्छा नहीं लग रहा था। आज पार्थ की उस से शादी होने वाली थी और आज उसके साथ ये हो गया। लक्ष्य पार्थ को समझा रहा था लेकिन पार्थ को सिर्फ साहिबा की फ़िक्र थी वह बाकि सबकी तरफ आया और कहा,”मुझे साहिबा से मिलना है अभी , मुझे देखना है वो कैसी है ?”
“पार्थ तुम अभी उस से नहीं मिल सकते , कुछ देर बाद उसे ICU में शिफ्ट कर देंगे तब हम सब उस से मिलेंगे”,रुबीना ने कहा
“मुझे कुछ नहीं सुनना मुझे उस से मिलना है बस”,पार्थ ने कहा तो प्रिया उसके पास आयी और समझाने लगी,”पार्थ तुम्हारी तरह हम सबको साहिबा की फ़िक्र है लेकिन इस वक्त वो हालत में नहीं है की हमसे मिल सके ,, अपनेआप को सम्हालो कुछ नहीं होगा तुम्हारी साहिबा को”
“कैसे सम्हालू प्रिया दी ? मैंने उस से वादा किया है की मैं कभी उसे अकेला नहीं छोडूंगा और आज वो कितने दर्द में है”,पार्थ कहते हुए फिर रो पड़ा। वह अपने आप को नहीं रोक पा रहा था। प्रिया ने उसके हाथो को थामा और कहने लगी,”पार्थ इस वक्त साहिबा को तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत है अगर तुम ही कमजोर पड़ जाओगे तो उसे कौन सम्हालेगा। हम है ना प्लीज हिम्मत रखो”
पार्थ ने अपने आँसू पोछे और बेंच पर आकर बैठ गया , मेहुल ने लक्ष्य को अपने पास बुलाया और उसे किसी काम से बाहर भेज दिया। मेहुल प्रिया को पार्थ के साथ छोड़कर रुबीना के साथ रिसेप्शन की तरफ चला आया। उसने सभी जरुरी फॉर्म भरे और फिर पानी और चाय लेकर वापस चला आया। उसने पानी की बोतल पार्थ की ओर बढ़ा दी और कहा,”पानी पिलो”
पार्थ ने पानी लिया और एक घूंठ पीकर बोतल वापस रख दी। मेहुल ने चाय का कप पार्थ की तरफ बढ़ाया तो पार्थ ने ना में गर्दन हिला दी।
“पी लो पार्थ सुबह से तुमने कुछ नहीं खाया है”,प्रिया ने कहा
“मेरा मन नहीं है दी , प्लीज”,कहकर पार्थ उठा और खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया। प्रिया जाने लगी तो मेहुल ने उसे रोकते हुए कहा,”नो प्रिया इस वक्त उस पर जो बीत रही है उसे सिर्फ वो समझ सकता है , उसे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दो”
मेहुल के कहने पर प्रिया रुक गयी। मेहुल ने चाय का कप उसे दिया और दुसरा रुबीना को देकर बैठने का इशारा किया। कुछ देर खामोश रहने के बाद मेहुल ने कहा,”पल्लवी वहा आयी थी वो कहा है ?”
“शायद वो वही होगी,,,,,,,,,,,,,,,ओह गोड़”,रुबीना ने कहा
“एक काम करो तुम दोनों यही पार्थ के पास रुको मैं उसे लेकर आता हूँ”,कहते हुए मेहुल वहा से चला गया।
कुछ देर बाद साहिबा को ऑपरेशन थियेटर से बाहर लाया गया। उसकी नाक में ऑक्सीजन पाइप लगी थी। सर पर पट्टिया बंधी थी। एक हाथ में ग्लूकोज तो दूसरे में ऑक्सीजन मीटर लगा हुआ था। साहिबा बेहोश थी , पार्थ ने जैसे ही देखा वह दौड़कर आया। साहिबा को इस हालात में देखकर पार्थ को बहुत तकलीफ हो रही थी। रुबीना और प्रिया की आँखों में भी नमी उतर आयी कुछ घंटो पहले दोनों साहिबा को तैयार कर रही थी और अब वो इस हालत में थी। वार्ड बॉय साहिबा को लेकर आगे बढ़ गया। प्रिया , रुबीना और पार्थ भी उसके पीछे पीछे चले आये। ऊपर 3 फ्लोर पर ICU रूम थे। साहिबा को एक ICU रूम में ले गए। पार्थ ने साथ जाने की कोशिश की तो नर्स ने कहा,”आप कुछ देर रुकिए उसके बाद आप पेशेंट से मिल सकते है”
पार्थ फिर बाहर रुक गया लेकिन ICU का दरवाजा शीशे से बना था जिसके आर पार देखा जा सकता था। पार्थ वहा खड़ा होकर साहिबा को देखने लगा। नर्स और वार्ड बॉय ने मिलकर साहिबा को बिस्तर पर लेटाया , सभी जरुरी मशीने लगाकर चालू कर दी और दोनों कमरे से बाहर आ गए।
“क्या अब मैं उस से मिल सकता हूँ ?”,पार्थ ने बेसब्री से कहा तो नर्स ने प्रिया और रुबीना की तरफ देखा जो की इशारो इशारो में रिक्वेस्ट कर रही थी की वो पार्थ को साहिबा से मिलने दे। पार्थ का उदास चेहरा देखकर नर्स ने कहा,”ठीक है जाओ लेकिन सिर्फ 10 मिनिट”
“थैंक्यू”,कहकर पार्थ अंदर चला गया। नर्स वही बाहर अपनी टेबल के पास आकर बैठ गयी और अपना काम करने लगी। प्रिया और रुबीना बाहर पड़े बेंच पर आकर बैठ गयी। उदासी दोनों के चेहरों से साफ टपक थी।

मेहुल मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस पहुंचा देखा पल्लवी वही बैठी है। मेहुल उसके पास आया उसने देखा साहिबा का एक्सीडेंट देखकर पल्लवी को एक गहरा सदमा लगा है। मेहुल ने किसी तरह पल्लवी को समझा-बुझा कर गाड़ी में बैठा लिया। उसने अश्विनी को भी फोन कर दिया और सब बात बताई। अश्विनी उस वक्त घर पर ही था मेहुल ने उसे वही से पिक कर लिया। पल्लवी ने जब अश्विनी को देखा तो उसके गले लग कर रो पड़ी और कहा,”साहिबा की इस हालत की जिम्मेदार मैं हूँ अश्विनी , अगर उसे कुछ हो गया तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगी”
“शांत हो जाओ पल्लवी कुछ नहीं होगा साहिबा को , हम सब अभी हॉस्पिटल चलते है”,अश्विनी ने कहा
“पापा क्या हुआ ? मम्मा क्यों रो रही है ?”, छोटे ध्रुव ने पल्लवी को रोते हुए देखा तो पूछा। अश्विनी ने उसे भी गले लगाया और कहा,”कुछ नहीं हुआ है बेटा , कुछ नहीं हुआ”
मेहुल ने गाड़ी हॉस्पिटल जाने वाले रास्ते की तरफ मोड दी

पार्थ ICU में आया सामने ही साहिबा बिस्तर पर लेटी थी। वह बेहोश थी उसे होश नहीं आया था। पार्थ ने पास पड़ी कुर्सी को खिसकाया और उस पर बैठ गया। उसने साहिबा के हाथ को अपने दोनों हाथो के में लिया। साहिबा की नाक में अभी भी ऑक्सीजन पाईप लगी हुई थी। ये सब देखकर पार्थ को बहुत तकलीफ हो रही थी। साहिबा के आलता लगा हाथ पार्थ के हाथो में अच्छा लग रहा था। पार्थ ने साहिबा को देखा उसकी आँखे बंद थी , वह चाहकर भी साहिबा से बात नहीं कर सकता था। ख़ामोशी से बस उसके हाथ को थामे रखा।

Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20 Tere Ishq Me – 20

क्रमश – Tere Ishq Me – 21

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संजना किरोड़ीवाल

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