“हाँ ये मोहब्बत है” – 50
Haan Ye Mohabbat Hai – 50
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Haan Ye Mohabbat Hai – 50
“दिलीप चौरसिया” के रूप में अक्षत को उम्मीद की एक किरण नजर आयी थी लेकिन वह उस से मिलता इस से पहले ही “दिलीप” ने खुद को खत्म कर लिया। अक्षत के हाथ बस निराशा ही लगी , वह नहीं समझ पा रहा था आखिर ऐसा कौनसा दुश्मन था उसका जो उसे इस कदर बर्बाद करना चाहता था। अक्षत ने अपना टूटा हुआ फोन उठाया वो चलने की हालत में नहीं था इसलिए अक्षत ने उसे गाड़ी के डेशबोर्ड में डाल दिया और खुद ड्राइवर सीट पर आ बैठा। उस आदमी से बात करने के बाद उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था।
एक साथ कितनी ही बातें उसके जहन में चल रही थी। एक के बाद एक परेशानिया उसकी जिंदगी में आती जा रही थी जिन्होंने उसकी तकलीफ को दुगुना कर दिया। अक्षत ने गाड़ी स्टार्ट की और वहा से निकल गया। सूरज ढल चुका था और रात होने वाली थी। सुबह का भूखा प्यासा अक्षत लगातार बस चले जा रहा था , ना उसे अपनी भूख का अहसास था ना ही अपना ख्याल,,,,,,,,,,,,,,,,,उसे बस अमायरा के कातिल को ढूंढना था और अपनी बिखरी हुई जिंदगी को समेटना था।
शाम का चला अक्षत देर रात घर पहुंचा। उसने घडी में वक्त देखा जो की रात के 2 बजा रही थी , इस वक्त सब सो रहे थे अक्षत अंदर चला आया चलते चलते उसकी निगाहें डायनिंग टेबल की ओर चली गयी और उसे मीरा याद आ गयी
“मीरा मैंने कितनी बार कहा है अगर मुझे आने में देर हो तो तुम खाना खाकर सो जाया करो,,,,,,,,,,,,मैं काम की वजह से अक्सर लेट हो जाता हूँ”,अक्षत ने कहा
“हम जानते है लेकिन जब आप थके हारे परेशान से घर आये तो कोई तो होना चाहिए ना जो मुस्कुरा कर आपका स्वागत करे,,,,,,,,,,,,,,और वैसे भी हमे यहाँ बैठकर आपका इंतजार करना बहुत अच्छा लगता है”,मीरा ने कहा
“फिर तो मुझे जल्दी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए अक्षत जैसे ही डायनिंग टेबल की तरफ बढ़ा मीरा वहा नहीं थी। अक्षत अपने वर्तमान में लौट आया उसकी आँखों में खालीपन पसर गया। एक मीरा के ना होने से उसकी जिंदगी में कितना अधूरापन था ये उसे महसूस हो रहा था।
अक्षत ने टेबल पर रखे मग से गिलास में पानी डाला और एक साँस में पी गया उसने महसूस किया उसे बहुत तेज प्यास लगी थी। उसने देखा वहा कोई नहीं था सिवाय उसके , अगले ही पल उसके कानो में खुद की कही बात गूँज उठी “कोई जरूरत नहीं है मेरा इंतजार करने की , सब मेरे बिना भी खाना खा सकते है”
अक्षत के चेहरे पर उदासी के भाव आ गए। वाशबेसिन के सामने आकर उसने अपने हाथो को धोया और किचन में चला आया। उसके हिस्से का खाना रखा हुआ था।
अक्षत ने प्लेट उठायी उसमे थोड़े से चावल रखे और एक कटोरी में दाल लेकर वह बाहर चला आया। इंसान कितना भी दर्द में क्यों ना हो जीने के लिए उसे खाना पड़ता ही है।
अक्षत ने प्लेट डायनिंग टेबल पर रखी और कुर्सी खिसकाकर बैठ गया। खाना उसके सामने रखा था अक्षत कुछ देर उसे देखता रहा। वहा बैठे हुए एक बार फिर अमायरा की यादों ने उसे घेर लिया। उसे वो पल याद आने लगे जब अमायरा कभी कभार अपने नन्हे नन्हे हाथो से उसे खाना खिलाया करती थी। वो पल याद आते ही उसका दिल भर आया और आँखे डबडबाने लगी।
अक्षत ने दाल चावलों पर उड़ेली और उन्हें मिलाकर एक निवाला खाया , उसकी आँखों से आँसू बहने को बेताब थे जिन्हे नजर अंदाज करने के लिए अक्षत ने जल्दी जल्दी दो निवाले और खाये और अगला निवाला वापस प्लेट में छोड़कर रो पड़ा। उसका दर्द कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा था अक्षत उठा और खाना अधूरा छोड़कर ही वहा से चला गया।
सोमित जीजू पानी लेने के लिए किचन की तरफ जा रहे थे उन्होंने टेबल पर खाने की प्लेट देखी। उन्होंने पलटकर देखा अक्षत सीढ़ियों से अपने कमरे में जा रहा था। अधूरा खाना देखकर जीजू का मन भी उदास हो गया। उन्होंने जग टेबल पर रखा और अपने कमरे में चले आये। कुछ देर बाद जीजू ऊपर चले आये देखा अक्षत बालकनी में खड़ा है जीजू उसके पास आये और हाथ में पकड़ी सिगरेट अक्षत की तरफ बढाकर कहा,”ये लो इस वक्त तुम्हे इसकी जरूरत है”
अक्षत ने काँपती उंगलियों से सिगरेट ली और अपने होंठो के बीच रख रख ली। उसने एक दो कश मारे और कहने लगा,”मैं अमायरा को नहीं बचा सका , ना ही छवि को इंसाफ दिलवा सका , मेरी आँखों के सामने मीरा इस घर से चली गयी लेकिन मैं उस रोक नहीं पाया , मेरे दोस्त , मेरे कलीग्स मुझसे नाराज है , बार काउन्सिल ने 2 महीने के लिए मेरा लाइसेंस रद्द कर दिया है , एक आखिरी उम्मीद थी वो आदमी जो अब इस दुनिया में नहीं है , अपने ही घर में मुझे घुटन महसूस होने लगी है क्योकि अमायरा की यादें इस घर से जुडी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,
इतना सब होने के बाद मेरे पास अब खोने के लिए कुछ नहीं बचा है जीजू। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ आखिर मुझसे कहा गलती हुई , मैं एक अच्छा पिता नहीं बन पाया ना ही एक अच्छा पति,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं सब ठीक करना चाहता हूँ लेकिन कैसे करू कुछ समझ नहीं आ रहा है। ये सब मेरे हाथ से रेत की तरह फिसलता जा रहा है और मैं बस बेबस तमाशा देख रहा हूँ,,,,,,,,,,,,,,,ये जो कुछ भी हो रहा है इसे रोकने के लिए मैं क्या करू मैं समझ नहीं पा रहा हूँ जीजू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत की आवाज से उसका दर्द साफ झलक रहा था जीजू ने उसे अपनी तरफ किया और उसे गले लगाते हुए कहा,”सब ठीक हो जाएगा आशु , आज जो लोग तुम्हे गलत समझ रहे है कल उन्हें इस बात का पछतावा जरूर होगा। मीरा का फैसला शायद अपनी जगह सही हो कुछ दिन दूर रहकर हो सकता है वो तुम्हे बेहतर तरीके से समझ पाए लेकिन वो लौट आएगी। तुम्हारे पास 2 महीने है ये सब समेटने के लिए और इसमें मैं तुम्हारे साथ हूँ,,,,,,,,,,,,,,
लोग तुम्हे गलत समझे समझने दो मैं तुम्हे कभी गलत नहीं समझूंगा क्योकि इस घर में तुम्हारे साथ रहते हुए अगर मैं तुम्हे नहीं समझ पाया तो शायद मैं किसी को नहीं समझ पाऊंगा। तुम कमजोर नहीं हो आशु तुम इन सब परेशानियों से लड़ सकते हो जैसे हमेशा लड़ते आये हो बस इस बार मुश्किलें कुछ ज्यादा है लेकिन मुझे भरोसा है तुम पर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम से दूर रहकर मीरा भी खुश नहीं होगी।
वो जिन हालातो में है वो खुद नहीं समझ पा रही कि क्या सही है और क्या गलत,,,,,,,,पर जब उसे अहसास होगा वो चली आएगी आशु , वो जरूर आएगी,,,,,,,,,,,,,,,,,मीरा अपने अक्षत से ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकती। तुम दिल छोटा मत करो , सब ठीक हो जायेगा”
“कुछ ठीक नहीं होगा जीजू , मैं थक गया हूँ मैं मीरा को कैसे समझाऊ कि अमायरा की मौत की वजह मैं नहीं हूँ। मैं उसे कैसे यकीन दिलाऊ कि मैंने आखरी पल तक अमायरा को बचाने की कोशिश की थी लेकिन मैं नहीं बचा पाया।
मैं उसे कैसे समझाऊ कि इस वक्त मुझे उसकी जरूरत है,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,कहते हुए अक्षत रो पड़ा। सोमित जीजू ने सूना तो उनका मन भी भारी हो गया और आँखों में नमी तैरने लगी। रोते हुए अक्षत वही बालकनी से पीठ लगाकर बैठ गया और सिसकते हुए कहने लगा,”मीरा हमेशा मेरे साथ रही , हर अच्छे बुरे वक्त में उसने मुझे सम्हाला , मेरा साथ दिया , वो बिना कहे मेरी बात समझ जाती थी लेकिन आज मेरे कहने पर भी वो कुछ नहीं समझ रही है जीजू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वो ऐसे जिद कर रही है जो सब बर्बाद कर देगी। वो ये घर छोड़कर जा सकती है , मुझे छोड़कर जा सकती है लेकिन मैं कहा जाऊ ? अमायरा और उसकी यादें हर वक्त , हर जगह मेरे साथ होती है मैं कहा जाऊ ? पहली बार मैं खुद को इतना
बेबस और लाचार महसूस कर रहा हूँ कि मैं किसी के सामने अपना दुःख भी जाहिर नहीं कर सकता। उसने उस मेरा साथ छोड़ दिया जिस वक्त मुझे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी जीजू,,,,,,,,,,,,,,,,
मीरा को ऐसे नहीं जाना चाहिए था जीजू , वो मुझसे नाराज रहती , मुझ पर चिल्लाती , मुझसे बात तक ना करती बस मेरे साथ रहती लेकिन उसने एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोचा,,,,,,,,,,,,,,,,,वो जब इस घर से जा रही थी तब मैं यही,,,,,,,,,,,,,,,मैं यही खड़ा था लेकिन उसने,,,,,,,,,,,,,,उसने मुझे पलटकर भी नहीं देखा जीजू,,,,,,,,,,,,,,,उस वक्त लगा जैसे वो हमेशा के लिए जा रही है। इस घर से , मेरी जिंदगी से,,,,,,,,,,,,,,,!!
सोमित जीजू उसकी बगल में आ बैठे और कहने लगे,”ऐसा नहीं है आशु , तूम और मीरा दोनों मुझे अजीज हो वो बच्ची ऐसी बिल्कुल नहीं है। अमायरा को खोने का जितना दर्द तुम्हे है उतना ही मीरा को भी है। वो भी तेरी तरह बहुत परेशान है , उसकी तबियत खराब थी ऐसे में मौसाजी ने खुद कहा कि मीरा कुछ दिन अपने पापा के साथ रहे ताकि वह इस गम से उबर सके। जितनी जरूरत तुझे उसकी है उतनी ही जरूरत उसे तुम्हारी है।
तुम दोनों एक दूसरे के सहारे हो , इस घर से जाते हुए उसे भी उतनी ही तकलीफ हुयी होगी ये मैं जानता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,तुझे उसे थोड़ा वक्त देना चाहिए और उसकी भावनाओ को समझने की कोशिश करनी चाहिए। तुम्हारे साथ हम सब है उसके पास सिर्फ उसके पापा है,,,,,,,,,,,,,,,अब बता ज्यादा अकेला कौन हुआ तू या मीरा ? ये वक्त तुम दोनों कि जिंदगी का सबसे बुरा वक्त है जिसे तुम्हे धैर्य के साथ काटना होगा ,
जल्दबाजी में एक दूसरे के लिए राय बनाकर कोई गलत फैसला मत लो आशु,,,,,,,,, मीरा ने तुम पर हमेशा भरोसा दिखाया है और तुम्हारे लिए हर बार कठिन परीक्षा दी है लेकिन इस बार तुम्हारी बारी है। किस्मत एक बार फिर तुम दोनों की मोहब्बत को आजमाना चाहती है और इस बार भी तुम्हे हार नहीं माननी है। तुम अकेले नहीं हो मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। अब रोना बंद करो तुम्हे ऐसे देखकर मुझे सच में बहुत तकलीफ हो रही है”
सोमित जीजू की बातें सुनकर अक्षत ने अपने आँसू पोछे और कहा,”मैंने कभी सोचा नहीं था मेरी जिंदगी में ऐसा मोड़ भी आएगा , अमायरा को तो मैं नहीं बचा सका लेकिन अपनी मोहब्बत को जाने नहीं दूंगा जीजू। मीरा अगर मुझसे दूर है तो उसकी ख़ुशी के लिए मैं उस से दूर भी रहूंगा। मैं उसकी नजरो में खुद को बेकसूर साबित करके रहूंगा”
“अब लग रहे हो तुम मेरे साले साहब ,चलो उठो अपने कमरे में चलो तुम्हे खुद को इस तरह तकलीफ देने की जरूरत नहीं है आशु ,
चलो आओ मेरे साथ”,कहते हुए सोमित जीजू ने अक्षत को उठाया और उसे उसके कमरे में लेकर आये। अक्षत बिस्तर पर आकर बैठ गया। सोमित जीजू भी वहा पड़ी कुर्सी पर आ बैठे और उसे समझाने लगे। अक्षत ख़ामोशी से उनकी बातें सुनता रहा , बाते करते करते सुबह हो गयी , सोमित जीजू ने देखा अक्षत सो चुका है। उन्होंने अक्षत के सर के नीचे तकिया लगाया और दरवाजा बंद कर बाहर चले आये। अक्षत काफी थका हुआ था इसलिए गहरी नींद में सो गया।
सोमित जीजू नीचे चले आये। नहाने के बाद सोमित जीजू नाश्ता करने डायनिंग टेबल के पास चले आये जहा सिर्फ विजय जी और अर्जुन बैठा था। अमायरा के जाने के बाद से ही इस घर के लोगो को साथ बैठकर खाना नसीब ही नहीं हुआ था। सोमित जीजू ने कुर्सी खिसकाई और बैठ गए।
“जीजू आपको देखकर लग रहा है आप कल रात ठीक से सोये नही,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने सोमित जीजू की बोझिल आँखे देखते हुए कहा
“क्या हुआ सोमित जी अगर तबियत ठीक नहीं है तो आज आप घर पर रुक जाईये”,विजय जी ने कहा
“नहीं मौसाजी मैं ठीक हूँ , मैं ऑफिस चलूँगा घर में रहूंगा तो और परेशान रहूंगा। सब एकदम से बदल गया है , इस घर में जैसे कोई रौनक ही नहीं बची है”,सोमित जीजू ने उदास होकर कहा
“इस घर की रौनक अमायरा और मीरा से थी अब वो दोनों ही यहाँ नहीं है,,,,,,,,,,,,,,!!”,राधा ने आँखे नम करते हुए कहा
“राधा हमारे सारे बच्चे इस घर की रौनक है,,,,,,,,,!”,विजय जी ने कहा
“हाँ लेकिन सब हमारे साथ यही सिवाय उनके , अमायरा को तो हम लोग वापस नहीं ला सकते लेकिन मीरा,,,,,,,,,,,,,,,उसे क्यों हम सबसे दूर किया है। क्या उसे यहाँ नहीं होना चाहिए हम सबके साथ ?”,राधा ने सुबकते हुए कहा
“इस घर से जाने का फैसला मीरा का था माँ , उसने भी तो हम सबके बारे में नहीं सोचा , देवर जी के बारे में नहीं सोचा,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नीता ने जीजू की प्लेट में नाश्ता परोसते हुए कहा
“नीता ये क्या तरिका है माँ से बात करने का ?”,अर्जुन ने थोड़ा गुस्से से कहा
“शांत हो जाओ अर्जुन , और राधा तुम , तुम कब से ये बच्चो जैसी बातें करने लगी ? मीरा कुछ दिनों के लिए अपने मायके गयी है और मुझे लगता है ऐसे हालातों में उसे अपने मायकेवालों के प्यार और साथ की भी जरूरत है , वो घर छोड़कर नहीं गयी है। तुम सब मिलकर खामखा इन बातो को बढ़ा रहे हो,,,,,,,,,,,,मैं समझ सकता हूँ इस वक्त घर के हालात ठीक नहीं है लेकिन वक्त के साथ सब सही हो जायेगा”,विजय जी ने सहजता से सबको समझाते हुए कहा
“कैसे भी हालात हो मुझे मीरा इस घर में चाहिए बस”,कहते हुए राधा वहा से चली गयी।
“नीता मीरा को लेकर तुम्हारा गुस्सा मैं समझ सकता हूँ लेकिन इस वक्त वो जिस तकलीफ और हालत से गुजर रही है उसे हम सबको समझने की जरूरत है। तुम इस घर की बड़ी बहू हो बेटा तुम्हे थोड़ा ध्यान रखना चाहिए।”,विजय जी ने कहा
“आई ऍम सॉरी पापा , वो मीरा का इस तरह चले जाना मुझे अच्छा नहीं लगा इसलिए मैंने ये सब,,,,,,,,,,,,,,सॉरी अर्जुन , सॉरी जीजू”,नीता ने कहा
“इट्स ओके नीता , तुम जाओ”,अर्जुन ने कहा तो नीता वहा से चली गयी। डायनिंग टेबल पर बस अब विजय जी , अर्जुन और सोमित जीजू बैठे थे। विजय जी के चेहरे पर गंभीर भाव उभर आये और उन्होंने कहा,”इस घर की असली ताकत है इस घर में रहने वाला परिवार,,,,,,,,,,,,,,,,इस परिवार को मैं कभी टूटने नहीं दूंगा”
अर्जुन ने सूना तो विजय जी के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहा,”चिंता मत कीजिये पापा सब ठीक हो जाएगा”
“हम्म्म , मैं चलता हूँ”,कहते हुए विजय जी उठे और वहा से चले गए। सोमित जीजू और अर्जुन नाश्ता करने लगे और कुछ देर बाद दोनों ने एक साथ कहा,”अर्जुन,,,,,,,,,,,,,,,,जीजू”
“आप कहिये”,अर्जुन ने कहा
“मैं ये सोच रहा था क्यों ना हम दोनों मीरा के घर चले और चलकर उसे समझाए। जब से मीरा गयी है आशु भी बहुत परेशान है कल रात वो उसे याद करके बहुत रो रहा था मुझसे उसकी ये हालत देखी नहीं जाती,,,,,,,,,,,,,,हम चलकर उसे समझायेंगे , उसे वापस आने को कहेंगे”,सोमित जीजू ने कहा
“हाँ जीजू मैं भी आपसे यही कहने वाला था , आजकल मुझे बहुत बेचैनी रहती है हर वक्त एक डर सा लगा रहता है कि कही अब कुछ गलत ना हो जाये। आशु के लिए हमे मीरा को वापस इस घर में लाना होगा”,अर्जुन ने कहा
“ठीक है आज शाम हम दोनों उस से मिलने चलेंगे , हमसे वो बात जरूर करेगी बस ये बात हम दोनों के बीच रहनी चाहिए”,सोमित जीजू ने कहा
“ठीक है”,अर्जुन ने कहा और फिर दोनों चुपचाप नाश्ता करने लगे।
उसी सुबह अमर जी के घर में –
“मीरा हमे किसी जरुरी काम से 2 दिन के लिए शहर से बाहर जाना होगा हम जल्दी लौट आएंगे। तब तक सौंदर्या आपके साथ है आपको किसी भी तरह की परेशानी हो तो आप इनसे कह सकती है”,अमर जी ने मीरा के कमरे में आकर कहा
“नहीं पापा हमे कोई परेशानी नहीं है , आपको जाना चाहिए हमारे लिए आपको अपन जिम्मेदारियों को साइड करने की जरूरत नहीं है।”,मीरा ने कहा
“हम जल्दी आएंगे”,कहकर अमर जी ने मीरा के सर को चूमा और वहा से चले गए। अमर जी के जाने के बाद सौंदर्या ने कहा,”मीरा तुम नहा लो तब तक मैं रसोईये से कहकर तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंद का खाना बनवा देती हूँ”
“हम्म्म”,मीरा ने कहा तो सौंदर्या वहा से चली गयी। मीरा ने टेबल पर रखा अपना फोन उठाया और एक बार फिर अक्षत का नंबर डायल किया लेकिन अक्षत का फोन नेटवर्क से बाहर था।
उदास होकर मीरा ने फोन वापस रख दिया और बिस्तर पर बैठकर खुद से कहने लगी,”अक्षत जी का फोन क्यों नहीं लग रहा ? वो ठीक तो होंगे ना ?,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या हम राधा माँ को फोन करे,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह नहीं हमारे इस तरह चले आने की वजह से सब घर वाले हम से नाराज होंगे शायद,,,,,,,,,,,वरना वो हमे फोन जरूर करते। हमे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
“मेडम आपसे मिलने कोई आया है”,नौकर ने कमरे के दरवाजे पर आकर कहा तो मीरा उठी और बाहर चली आयी। मीरा ने देखा अखिलेश आया था। मीरा अखिलेश के पास आयी तो अखिलेश ने उसे चाइल्ड होम से जुडी कुछ जरुरी बातें बताई और फिर चला गया। मीरा भी अपने कमरे में चली आयी और नहाने चली गयी।
शाम में मीरा अपने कमरे में थी की सौंदर्या भुआ आयी और मीरा को जूस देते हुए कहा,”मीरा ये लो इसे पी लो , देखो कितनी कमजोर हो गयी हो ,, भाईसाहब ने कहा था मुझसे तुम्हारा ख्याल रखने के लिए लो पीओ”
“भुआ जी हमारा मन नहीं है”,मीरा ने कहा
“ऐसे कैसे मन नहीं है ? मीरा तुम क्यों उन लोगो की इतनी परवाह कर रही हो जिन्होंने तुम्हारे यहाँ आने के बाद तुमसे एक बार भी मिलने की कोशिश नहीं की। मिलना तो दूर किसी ने तुम्हे फोन तक नहीं किया।
सही है वो लोग ही तुम्हारा परिवार है तुम्हारे सब कुछ है मैं तो कुछ भी नहीं मैं ये जूस ले जाती हूँ”,सौंदर्या ने कहा और जैसे ही जाने लगी मीरा ने उन्हें रोकते हुए कहा,”भुआ जी , किसने कहा हम आपको अपना नहीं मानते , आप हमारी माँ जैसी है ऐसी बातें मत कीजिये हमे अच्छा नहीं लगेगा”
“तो फिर ये जूस पी लो ना मीरा,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हे ऐसी हालत में नहीं देख सकती , तुम्हारा दर्द समझती हूँ पर देखना जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे अपने हमेशा तुम्हारे साथ है , लो पी लो इसे”,सौंदर्या ने बड़े ही प्यार से कहा तो मीरा ने जूस का ग्लास लिया और पी लिया।
सौंदर्या ने मुस्कुराते हुए मीरा के गाल को छुआ और वहा से चली गयी। मीरा भी अपने बिस्तर पर आकर आराम करने लगी। कुछ देर बाद ही मीरा को नींद ने अपने आगोश में ले लिया।
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Sanjana Kirodiwal
Khin na khin bua meera or akshat ao ushi family ke liye galat fehmi bada rahi h pata nahi kyu ??
Ye bua Akshat or Meera ke beech dure n kra de ye bua jarur koi plan bna rahe hai
Mam Akashta ki halat dekh kar mujhe “Aankh hai bhari bhari aur tum muskurane ki baat karte ho” yeh song yaad aata hai. Mam agar aab Mera comment padh rahi hai to meri aapse se request hai ki please ek baar yeh son aap use kare mujhe accha legea .
Ab arjun aur somit jiju meera se milne aayenge woh bhi nhi mil payenge meera se because of saundrya bua😌
Akshat ke liye bura lag raha aur voh bi kahi na kahi Meera ko galath samaj raha ki voh uske saath nahi hai..aur Soundarya Bhuva ke irade kuch tikh nahi lag rahe voh Meera ko ghar wapas bejne ke bijai usse apne parivaar walo ke khilaf badka rahi hai…I think jab Somit Jiju aur Arjun milne ayenge tab Meera neendh me hogi aur BHuvaji unhe yeah keh kar bej degi ki Meera nahi Milna chahati..
Very nice part
Mam ek aur song hai ” Tu hi re” best for Akashta and Mira.
Mughe ye bhuaji kuch thik nhi lagti h khi ye meera aur Akshat ko dur na Kar de
Nice Part
Yh bua k iraade kuch theek nhi lg rhe
Ek villain kam h ye bua bhi villain bn gai.. inhone juice m kuch diya jis se meera so gai..ab jb jiju aayenge to bua milne nhi degi
Kmini nind ki dawa khila ri h meera ko