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“हाँ ये मोहब्बत है” – 27

Haan Ye Mohabbat Hai – 27

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Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

Haan Ye Mohabbat Hai – 27

अक्षत ने अपना सर पोछा और तौलिया चित्रा की तरफ बढ़ा दिया। चित्रा को खोया देखकर अक्षत ने खाँसने का नाटक किया तो उसकी तंद्रा टूटी। चित्रा ने अक्षत के हाथ से तौलिया लिया और ऐसा करते हुए सहसा ही उसकी उंगलिया अक्षत की उंगलियों को छू गयी। एक सिहरन सी चित्रा के पुरे बदन में दौड़ गयी और आँखे चमक उठी पर अक्षत को ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ। वह ख़ामोशी से बारिश की फुहारों को देखता रहा। चित्रा अंदर चली आयी।

उसके मन में तितलियाँ सी उड़ रही थी पहली बार अक्षत उसके घर आया था उसने समझ नहीं आ रहा था क्या करे ? क्या नहीं ? बारिश और ठण्ड को देखते हुए उसने गैस पर चाय चढ़ा दी और फिर कबर्ड में अक्षत के पहनने लायक कपडे ढूंढने लगी लेकिन उसके पास ऐसा कुछ नहीं मिला। अक्षत ने जिस तौलिये से अपना सर पोछा था चित्रा ने उसे अपने कंधे पर डाल रखा था उसमे से आती हेयर स्प्रे की भीनी खुशबू चित्रा के नाक में बसती चली जा रही थी। चित्रा ने उसे दोनों हाथो में लिया और सूंघकर आँखे मूँद ली।

हाँ वो अक्षत को पहले दिन से ही बहुत पसंद करती थी लेकिन आज अक्षत उसके बहुत करीब था , उसके घर में था और चित्रा उसे इम्प्रेस करने का मौका खोना नहीं चाहती थी। उसने तौलिये को रेंक पर डाल दिया। उसने किचन में आकर दो कप में चाय छानी और लेकर बाहर चली आयी। बाहर आकर चित्रा ने देखा अक्षत बाहर लगे हीटर को चालू करके उसके पास खड़ा अपने कपडे सूखा रहा है। चित्रा ने चाय का कप पास पड़ी टेबल पर रखते हुए कहा,”सर चाय”
“माफ़ करना वो मैंने तुमसे बिना पूछे इसे इस्तेमाल किया”,अक्षत ने टेबल की तरफ आते हुए कहा


“अरे कोई बात नहीं सर”,चित्रा ने कहा तो अक्षत ने चाय का कप उठाया और पीने लगा इस वक्त उसे इस चाय की बहुत जरूरत थी। चित्रा भी वही खड़ी चाय पीने लगी। अक्षत कुछ देर खामोश रहा और फिर कहा,”आज की मीटिंग की सारी डिटेल्स माथुर साहब को मेल कर देना और कल उनसे पेपर्स पर साइन ले लेना , उसके बाद दो दिन होली की छुट्टी रहेगी तो कोर्ट बंद रहेंगे”
“ओके सर , सर अगर आप बुरा ना माने तो एक बात पूछ सकती हूँ”,चित्रा ने डरते डरते कहा क्योकि अक्षत के गुस्से से वह थोड़ी सी तो वाकिफ थी


“हम्म्म पूछो”,अक्षत ने सामने देखते हुए कहा
“आप हमेशा काम के बारे में ही बात क्यों करते है ? मेरा मतलब काम के अलावा भी आपकी एक लाइफ और है जिसमे घूमना , पार्टी , डिनर शामिल होता है”,चित्रा ने कहा
“आई लव माय प्रोफेशन , और जब आप अपने काम से प्यार करते है तो हर चीज को उसी से जोड़कर देखने लगते है। काम के अलावा मेरी अपनी सोशल और पर्सनल लाइफ है जिसे मैं सब के साथ शेयर करना पसंद नहीं करता”,अक्षत ने सहजता से कहा


“ओहहहके , वैसे आज की मीटिंग के लिए थैंक्यू सर , मैंने काफी कुछ सीखा”,चित्रा ने अक्षत का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए कहा
“उसके लिए तुम्हे माथुर साहब को थैंक्यू बोलना चाहिए उन्होंने ही तुम्हे आज की मीटिंग के लिए रिकमेंड किया था।”,अक्षत ने कहा तो चित्रा का दिल टूट गया वो सुबह से ये सोचकर खुश थी की आज के केस के लिए अक्षत ने सचिन को छोड़कर उसे चुना है पर सच्चाई कुछ और थी।

चित्रा ने आगे कुछ नहीं कहा बस मन ही मन दुआ करने लगी की बारिश थोड़ी देर और चलती रहे ताकि उसे अक्षत के साथ थोड़ा टाइम और मिल जाये लेकिन चित्रा की किस्मत खराब थी बारिश अब धीरे धीरे कम होने लगी थी। अक्षत ने अपनी चाय खत्म की और कप टेबल पर रखकर कहा,”मुझे अब चलना चाहिए बारिश भी रुक गयी है”
चित्रा ने हाँ में सर हिला दिया वह सीधा सीधा अक्षत को रुकने के लिए भी नहीं कह सकती थी।

अक्षत वहा से जाने लगा अगले ही पल वह रुका और पलटा तो चित्रा का मन ख़ुशी से खिल उठा उसे लगा अक्षत रुकना चाहता है लेकिन अगले ही पल उसका ये सपना भी टूट गया और अक्षत ने कहा,”चाय के लिए थैंक्यू”
अक्षत वहा से चला गया और चित्रा वही खड़े उसे जाते हुए देखते रही।

चित्रा के घर से निकलकर अक्षत अपनी गाडी के पास आया। वह गाड़ी में आकर बैठा और गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश की दो चार बार कोशिश करने के बाद गाड़ी स्टार्ट हो गयी और अक्षत वहा से घर के लिए निकल गया। देर रात अक्षत घर पहुंचा तो देखा मीरा सोफे के पास बैठी हीटर पर अपने हाथ सेंक रही है। अक्षत ने अपना बैग गेट के पास रखे टेबल पर रखा , अपने गीले जूते भी वही निकाल दिए और मीरा की तरफ चला आया। उसने मीरा के सामने आकर पहले सामने दिवार पर लगी घडी देखी जिसमे रात का 1 बज रहा था और फिर मीरा से कहा,”मीरा तुम सोई नहीं ?”


“आप आ गए , नींद नहीं आ रही थी इसलिए निचे चले आये। आप थक गए होंगे बैठिये हम आपके लिए कुछ गर्म ले आते है”,मीरा ने उठना चाहा तो अक्षत ने उसे वापस बैठाया और उसके सामने पड़ी टेबल पर आ बैठा और कहा,”एक तो मेरे लिए इतनी देर तक जाग रही हो और अब गर्म लेने भी जाओगी , बिल्कुल नहीं यही बैठो”
मीरा ने कुछ नहीं कहा बस प्यार से अक्षत को देखने लगी , उसकी नजर अक्षत के पैरो पर पड़ी जो की ठण्ड की वजह से लाल हो चुके थे और इसी वजह से अक्षत उन्हें बार बार सिकुड़ रहा था।

मीरा ने एकदम से अक्षत के हाथो को थामा तो पाया की उसके हाथ काफी ठन्डे थे। मीरा ने अपने हाथो को हीटर के सामने थोड़ा गर्म किया और अक्षत के हाथो को सेकते हुए कहा,”आप अपना बिल्कुल ख्याल नहीं रखते , हाथ देखिये अपने कितने ठंडे है,,,,,,,,,,,,,,,,,,अक्षत जी हमे नहीं चाहिए इतनी तरक्की जिसके पीछे आप सब भूल जाये,,,,,,,,,,,हमे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा”


“पर मुझे अच्छा लग रहा है तुम्हे इस तरह अपनी परवाह करते देखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। तुम्हारे हाथो का ये गर्म स्पर्श मुझे हमेशा याद रहता है और तुम्हारी ये प्यारी सी आँखे जिनमे मेरे लिए बेइंतहा प्यार और परवाह है मुझे बहुत अच्छी लगती है,,,,,,,,,,,,,,,,,इसलिए परेशान मत हो ये तरक्की तुम्हारे और अमु के भविष्य के लिए है। मैं तुम दोनों को वो सब देना चाहता हूँ जो तुम्हे चाहिए”,अक्षत ने मीरा के चेहरे को देखते हुए बड़े प्यार से कहा


“हमे जो चाहिए था वो सालो पहले हमे मिल गया अब हमे बस उसे सम्हाल कर रखना है”,मीरा ने भी एक बार फिर अपने हाथो को गर्म करके अक्षत के पैरो की तरफ बढ़ाते हुए कहा तो अक्षत ने एकदम से अपने पैर पीछे कर लिए और कहा,”ए क्या कर रही हो ? तुम मेरे पैरो को हाथ नहीं लगा सकती”
“क्यों ? दीजिये इधर कितने ठन्डे है”,मीरा ने अपना हाथ अक्षत के पैरो की तरफ करते हुए कहा तो अक्षत एकदम से उठ खड़ा हुआ और कहा,”मीरा छोडो इसे और चलो चलकर सो जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अमु कहा है ?” अक्षत ने हीटर बंद करते हुए कहा


“वो आज काव्या और चीकू के साथ उनके कमरे में सो गयी , गहरी नींद में थी इसलिए हमने उसे उठाया नहीं , आप चलिए हम आते है”,कहते हुए मीरा मेन गेट बंद करने चली गयी और अक्षत ऊपर कमरे में चला गया। दरवाजा बंद करते हुए मीरा की नजर गेट के पास टेबल पर रखे अक्षत के बैग पर चली गयी जिसमे रखा एक कागज बाहर झाँक रहा था मीरा ने उसे निकाला और जैसे ही उसे वापस बैग में रखने को हुई उसकी नजर उस कागज़ पर लिखे अक्षरों पर चली गयी


“आज की मीटिंग के लिए थैंक्यू सो मच सर , आप बहुत अच्छे है , Lots of love” साथ में नीचे लिखा था चित्रा अग्रवाल
मीरा ने उस पेपर को फाड़कर पास पड़े डस्टबिन में डाल दिया और मुस्कुराकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी।

अगले दिन अर्जुन और जीजू दोपहर में ही घर आ गए और उन्होंने अक्षत को भी घर बुला लिया। दादू , दादी माँ , विजय जी और तनु को छोड़कर बाकी सब होली की शॉपिंग के लिए घर से निकल गए। बच्चो ने अपनी पसंद के कपडे -जूते खरीदे , अक्षत अर्जुन और सोमित जीजू ने इस बार भी सेम ड्रेस खरीदी और साथ ही नीता , तनु और मीरा के लिए भी अपनी पसंद से साडिया ली। विजय जी और राधा आज मॉल में साथ साथ घूम रहे थे।

होली की शॉपिंग के बहाने ही सही आज कई सालों बाद दोनों साथ साथ शॉपिंग पर आये थे वरना तो राधा बहू या बेटो के साथ शॉपिंग करती थी और विजय जी के लिए भी खुद ही खरीद लिया करती थी। शॉपिंग के बाद शाम में सभी घर चले आये। चीकू , काव्या और अमायरा तो अपने नए नए कपड़ो से बहुत खुश थे साथ ही चीकू खुश था की अब उसे दो दिन स्कूल नहीं जाना पडेगा। शॉपिंग के बाद नीता , राधा और मीरा के साथ साथ अर्जुन अक्षत और जीजू भी काफी थक चुके थे।


तनु सबके लिए चाय लेकर आयी और उनके चेहरे देखकर कहा,”लगता है आज कुछ ज्यादा ही शॉपिंग कर ली आप सब लोगो ने”
“हाँ तनु , आज इतना घूमे है ना सब की क्या बताये ?”,राधा ने कहा
“कोई बात नहीं मौसीजी आज आप सब रेस्ट कीजिये रात का खाना मैं बना दूंगी”,तनु ने कहा
“दी हम आपकी मदद कर देते है”,मीरा ने उठते हुए कहा


“अरे मीरा तुम भी तो सबके साथ बाहर से आयी हो बैठो मैं सब कर लुंगी”,तनु ने मुस्कुराते हुए कहा लेकिन मीरा को ये सोचकर अच्छा नहीं लगा की तनु दी अकेले काम करेंगी। मीरा ने जैसे ही अक्षत की तरफ देखा अक्षत ने उठते हुए कहा,”उसकी कोई जरूरत नहीं है मैंने आज खाना बाहर से आर्डर कर दिया है , आज सब दादू की पसंद की कढ़ाई पनीर खाएंगे,,,,,,,,,,,,,,,क्यों दादू ?”


“साथ में रुमाली रोटी और दाल मखनी भी”,दादू ने कहा तो अक्षत ने हवा में ही उन्हें हाई फाइव दे दिया।
“लेकिन पापा बाहर का खाना,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,विजय जी ने जैसे ही कहना चाहा दादू ने बीच में टोकते हुए कहा,”तू चुप रह,,,,,,,,,,,आशु विजय का खाना मत मंगवाना ये खिचड़ी खायेगा”
“अरे मैंने कब मना किया मुझे सिंपल दाल रोटी चलेगी”,विजय जी ने कहा तो अर्जुन और जीजू दबी हंसी हसने लगे।


“आशु मेरे लिए चिली पनीर और जीजू के लिए काजू करी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बाद में दोनों मिल बाँट के खा लेंगे”,अर्जुन ने पहले अक्षत से कहा और फिर जीजू की तरफ पलटकर दबी आवाज में कहा
“मामू मेरे लिए चीज पिज्जा”,काव्या ने आकर कहा तो चीकू ने भी सेम बात कही। अक्षत सबकी फरमाईश पर आर्डर करता जा रहा था। उसने खाना आर्डर किया और कहा,”तो आज घर की महिलाओ की किचन से छुट्टी,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
“थैंक्यू आशु”,तनु ने कहा


“थैंक्यू कैसा ? और थैंक्यू बोलना ही है तो अर्जुन भैया को कहिये मैंने इन्ही के फोन से आर्डर किया है”,अक्षत ने जैसे ही कहा अर्जुन की शक्ल देखने लायक थी उसका फ़ोन उसके पास नहीं था। उसने विजय जी की तरफ देखा और कहा,”देखा पापा ये हमेशा ऐसे ही करता है,,,,,,,,,,,,,,,,कंजूस वकील”
“अरे कोई बात नहीं बिल मैं दे दूंगा”,दादू ने कहा तो अर्जुन खुश हो गया और सभी वही बैठकर होली के फंक्शन को लेकर बातें करने लगे।

 होली वाली सुबह अर्जुन और जीजू घर का डेकोरेशन करवा रहे थे। नीता और राधा डायनिंग के पास बैठी गुजिया बना रही थी और मीरा तनु दी के साथ किचन में थी। बच्चे रघु के साथ बाहर लॉन में खेल रहे थे आज उन्हें स्कूल नहीं जाना था। दादू भी उनका ध्यान रखने के लिए लॉन में ही घूम रहे थे। दादी माँ मंदिर की सफाई में लगी थी। कुल मिलाकर पूरा व्यास परिवार काम कर रहा था और इस घर का सबसे काबिल बेटा अक्षत ऊपर अपने कमरे में सो रहा था।

जैसा की हमेशा होता था हर त्यौहार पर अक्षत ऐसे ही देर तक सोया रहता था , बाकि दिन तो उसे काम से ही फुर्सत नहीं होती थी। विजय जी ने देखा नीचे सब है बस अक्षत नहीं है तो उन्होंने अर्जुन से कहा,”ये अक्षत कहा है ?”
“सो रहा है अपने कमरे में , पापा ये लड़का ना दिन-ब-दिन बोरिंग होता जा रहा है।”,अर्जुन ने लाइटिंग फिक्स करवाते हुए कहा
“इस लड़के को समझ लिया समझो गंगा नहा लिया”,विजय जी ने कहा


“मतलब मीरा गंगा नहा चुकी”,सोमित जीजू ने तुरंत पॉइंट मारा , अर्जुन विजय जी और सोमित जीजू पहले तो कुछ देर खामोश रहे और फिर एकदम से हंस पड़े। त्यौहार के दिन घर में हंसी ख़ुशी का माहौल था और सबके चेहरे चमक रहे थे।  
शाम में होलिका दहन के समय सभी तैयार होकर मैदान में पहुंचे। घर की महिलाये एक तरफ बैठकर माँ होलिका की पूजा कर रही थी और दूसरी तरफ खड़े मर्द चंग और ढ़ाल का लुफ्त उठा रहे थे।

अमायरा चीकू और काव्या का हाथ पकडे अक्षत के पास ही खड़ी थी और खुश हो रही थी। जीजू जो की व्यास फैमिली में सबसे ज्यादा खुशमिजाज थे उन्होंने चंग बजाने वालो के साथ नाचना गाना शुरू कर दिया। नीता ने देखा तो तनु से कहा,”ये लो दी जीजू तो शुरू भी हो गए , वैसे सच कहु तो आप बहुत लकी है सोमित जीजू के साथ रहकर तो हर कोई मुस्कुराना सीख जाए”


“हाँ नीता ये सच कहा तुमने लेकिन सोमित के चेहरे पर ये ख़ुशी इस परिवार में मिले प्यार की वजह है”,तनु ने कहा
“दी आपने और जीजू ने भी तो इस घर को कितना प्यार और सम्मान दिया है। आपके दोनों के बिना ये व्यास फॅमिली अधूरी है”,मीरा ने तनु दी के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहा। नीता और मीरा तनु के अगल बगल खड़ी थी इसलिए तनु ने दोनों हाथो से उनके गालों को छुआ और कहा,”तुम दोनों हमेशा खुश रहो”


राधा ने तीनो को साथ देखा तो मुस्कुरा उठी और कुछ देर बाद दादी को लेकर घर चली आयी। बाकि घरवाले भी कुछ देर वहा रुके और फिर घर चले आये। घर में पूजा आरती के बाद सबने एक साथ खाना खाया और हॉल में गद्दे लगाकर महफ़िल जमा ली जैसे की हर त्यौहार पर होता था। निधि हनी और नक्ष के साथ अपने ससुराल में थी। देर रात बातों और हंसी मजाक का दौर चलता रहा और उसके बाद सभी सोने चले गए।

अगले दिन व्यास हॉउस में होली का बड़ा फंक्शन रखा गया था जिसमे घर के सभी लोग जमा थे। नीता के घर से भी कुछ लोग आये थे।  मीरा के यहाँ से कोई नहीं आया क्योकि अमर जी इन दिनों अजमेर में थे। हनी , निधि और नक्ष भी चले आये। दादू ने अपने कुछ दोस्तों को इन्वाइट किया था और अक्षत अर्जुन ने भी अपने दोस्तों को बुलाया था जिसमे अक्षत के सिर्फ दो दोस्त शामिल थे अखिल और नवीन।

नीता , तनु , मीरा , निधि , काव्या सबने सफ़ेद रंग के सूट पहन रखे थे वही अर्जुन , अक्षत , सोमित जीजू , हनी और चीकू ने सफ़ेद रंग का कुर्ता पजामा। अखिल के साथ उसकी पत्नी भी आयी थी वह भी मीरा के साथ बाकि सब में शामिल हो गयी। सभी एक दूसरे को रंग लगा रहे थे। अक्षत ने तो सबसे पहले अपनी बेटी को रंग लगाया और उसी के साथ होली खेली।


घर में कोई फंक्शन हो और उसमे सोमित जीजू और अर्जुन मस्ती ना करे ऐसा हो ही नहीं सकता था। दोनों ने हाथो में रंग उठाया और बेचारे हनी को मल दिया। लाल गुलाबी हरे पीले रंग में रंगा हनी पहचान में नहीं आ रहा था रही सही कसर उन्होंने उस पर पानी डालकर पूरी कर दी। अर्जुन और सोमित जीजू को ये सब करके खूब मजा आ रहा। अक्षत अमायरा को गोद में उठाया घर आये मेहमानो से बातें कर रहा था। विजय जी होली खेलकर साइड में आये उन्होंने देखा नाश्ते की टेबल के बगल में रघु बैठा है। विजय जी ने वहा रखी ठंडाई में से एक ग्लास उठाया और गटागट पी गए।


“अरे इसमें,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,रघु इतना ही बोल पाया की विजय जी वहा से चले गए। इस बार अर्जुन और सोमित जीजू ने रघु को ठंडाई में भांग मिलाने का काम सौंपा था ताकि किसी को पता ना चले लेकिन रघु निकला उनसे भी बड़ा गड़बड़ी उसने भांग मिली ठंडाई वाला ग्लास विजय जी को थमा दिया और वो पीकर चले गए
विजय जी कभी ड्रिंक नहीं करते थे ना ही किसी तरह का नशा इसलिए कुछ देर बाद ही उन्हें भांग चढ़ गयी और सर घूमने लगा।

लॉन के एक साइड स्पीकर लगे थे विजय जी उस तरफ आये। स्पीकर पर किसी का दुपट्टा रखा था विजय जी ने उसे उठाया और अपने सर पर बांध लिया। उन्होंने माइक उठाया और कहा,”हेलो हेलो लेडीज एंड हिच्चचच जेंटलमेंट्स”
“ये मौसाजी वहा क्या कर रहे है ?”,सोमित जीजू ने अर्जुन से कहा
“चलो चलकर देखते है”,अर्जुन ने कहा और विजय जी की तरफ चले आये। विजय जी भांग के नशे में कभी मुस्कुरा रहे थे तो कभी कुछ भी बोल रहे थे।

राधा ने देखा तो वह भी हैरानी से विजय जी को देखने लगी क्योकि आज से पहले विजय जी ने तो ऐसी हरकत नहीं की थी। कुछ देर बाद विजय जी ने गाना शुरू किया
“अरे होली खेले रघुबीरा अवध में होली खेले रघुबीरा”
अक्षत ने जैसे सूना मुस्कुराते हुए उस तरफ चले आया। सब विजय जी का ये रूप पहली बार देख रहे थे।

विजय जी ने गाना चलाने का इशारा किया तो DJ के पास खड़े लड़के ने यही गाना चला दिया। विजय जी ने माइक रखा। उन्होंने अपने और दादू के दोस्तों को बुलाया और नाचने गाने लगे। विजय जी को खुश देखकर दादू भी ख़ुशी में शामिल हो गए।
आदमियों ने अपना अलग ग्रुप बना लिया तो घर की महिलाये कहा पीछे रहने वाली थी वे भी एक ग्रुप में शामिल हो गयी।

विजय जी के ग्रुप में सोमित जीजू , अर्जुन , अखिल , नवीन , दादू और विजय जी के कुछ दोस्त शामिल थे तो राधा के ग्रुप में नीता , तनु , निधि , अखिल की पत्नी और कुछ और महिलाये। अब चूँकि विजय जी को भांग चढ़ी हुयी थी इसलिए वे अपनी शर्म शंका तो आज भूल ही चुके थे वे राधा की तरफ आये उसका हाथ थामकर नाचने लगे। राधा भी आज खुश थी इसलिए गाने के साथ साथ गाते हुए झूठ मुठ का गुस्सा करते हुए विजय जे से कहा


“तनिक शर्म नहीं आये देखे नहीं अपनी उमरिया
 तनिक शर्म नहीं आये देखे नहीं अपनी उमरिया”  
ये देखकर सोमित जीजू कहा पीछे रहने वाले थे वे आये और राधा की साइड होकर विजय जी की तरफ देखते हुए गाने लगे


“हो साठ बरस में इश्क़ लड़ाये  
साठ बरस में इश्क़ लड़ाये
“मुखड़े पे रंग लगाए बड़ा रंगीला सांवरिया”,कहते हुए विजय जी ने राधा के गालो पर रंग मल दिया , शरमा कर राधा तनु के पीछे जा छुपी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!


नाचते गाते हुए जीजू कही सी एक दुप्पटा लेकर आये और उसे ओढ़कर घूँघट निकाले सबके बीच चले आये। अक्षत जीजू को देखकर खुश हो रहा था। अमायरा भी उसकी गोद में खिलखिला रही थी। सबने एक बड़ा सा गोल घेरा बना रखा था जिसमें विजय जी और , सोमित जीजू डांस कर रहे थे। जीजू दुपट्टा ओढ़े घूँघट निकाले बिल्कुल लड़की की तरह एक्टिंग कर रहे थे और विजय जी सर पर दुपट्टा बांधे आँखों पर चश्मा लगाए उनके साथ ठुमके लगा रहे थे। अर्जुन इन सब का विडिओ बना रहा था ताकि बाद में विजय जी को दिखा सके।

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संजना किरोड़ीवाल 

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