Sanjana Kirodiwal

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“हाँ ये मोहब्बत है” – 48

Haan Ye Mohabbat Hai – 48

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

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Haan Ye Mohabbat Hai – 48

मैनेजर के रूम में बैठा अक्षत उस दिन के CCTV फुटेज देख रहा था जिस दिन अमायरा किडनेप हुई थी। कैमरा उसके घर से कुछ आगे लगा था इसलिए गेट के फुटेज वह नहीं देख पाया लेकिन उस दिन कैमरे के सामने से कुछ ही गाड़िया गुजरी थी। अक्षत सबको बड़े ध्यान से देख रहा था। एक गाड़ी के फुटेज पर उसकी नजर पड़ी जो कि उसे थोड़ी संदिग्ध लगी। अक्षत ने उसे जूम करके देखा तो उस गाडी की नंबर प्लेट दिखाई दी।

अक्षत ने उस गाड़ी का नंबर नोट किया और मैनेजर को थैंक्यू बोलकर चला गया। वहा से निकलकर अक्षत सीधा अपने दोस्त नवीन के ऑफिस चला आया।
“सुन मुझे तेरी एक हेल्प चाहिए”,अक्षत ने आकर नवीन से कहा जो की अपने लेपटॉप के सामने बैठा कुछ काम कर रहा था।


“तू यहाँ वो भी इस वक्त , हम लोग बाहर चलकर बात करते है”,नवीन ने अपना लेपटॉप बंद करते हुए कहा
अक्षत और नवीन उसके ऑफिस के बगल वाले कैफे में चले आये। नवीन ने दोनों के लिए कॉफी आर्डर की और कहा,”मुझे अमायरा के बारे में पता चला , सुनकर बहुत बुरा लगा। मैं तुझसे मिलने घर भी आने वाला था लेकिन आ नहीं पाया,,,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा तू कुछ हेल्प की बात कर रहा था , बता ना क्या हेल्प चाहिए”  


“ये गाड़ी किसके नाम से है मुझे इसकी पूरी डिटेल चाहिए”,अक्षत ने एक पेपर नवीन के सामने रखते हुए कहा
“इतने से काम के लिए तू मुझे बोल रहा है ये तो तू RTO ऑफिस से भी पता लगा सकता था”,नवीन ने हैरानी से कहा
“हाँ लेकिन मैं चाहता हूँ ये बात सिर्फ तुम्हारे और मेरे बीच रहे , ये वही गाड़ी है जिससे अमायरा का किडनेप हुआ था अगर हम ये पता लगा ले कि ये गाड़ी किसकी है तो अमायरा के कातिल का पता लगाया जा सकता है”,अक्षत ने गंभीर होकर कहा


“हाँ मैं ये कर सकता हूँ लेकिन मुझे ये नहीं समझ आ रहा कि तू पुलिस की मदद क्यों नहीं ले रहा वो तेरी इसमें मदद कर सकती है”,नवीन ने कहा
“मैं पुलिस को इसमें इन्वॉल्व करना नहीं चाहता , क्योकि मुझे लगता है छवि दीक्षित केस और अमायरा की मौत एक दूसरे से जुडी है। मेरे साथ ये सब तब से शुरू हुआ है जबसे मैंने छवि दीक्षित केस को अपने हाथ में लिया है,,,,,,,,,,,,अगर मैं गलत नहीं हूँ तो ये दोनों इंसान एक ही है।

छवि दीक्षित केस विक्की सिंघानिया से जुड़ा है इसलिए मैं पुलिस की मदद नहीं ले सकता। इस वक्त मैं अगर किसी पर भरोसा कर सकता हूँ तो वो सिर्फ तुम हो नवीन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं अपनी बेटी के कातिल को ढूंढना चाहता हूँ प्लीज मेरी मदद करो”,कहते हुए अक्षत के चेहरे पर बेबसी और दुःख के भाव उभर आये
“डोंट वरी मैं तेरी मदद करूँगा”,नवीन ने अक्षत के हाथ पर अपना हाथ रखकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा तो अक्षत को थोड़ी राहत महसूस हुई। वेटर कॉफी रखकर चला गया।

दोनों ने कॉफी पी और फिर नवीन वहा से चला गया। अक्षत घर जाने के लिए निकल गया। रास्ते में उसे मीरा का ख्याल आया वह मीरा से बात करना चाहता था उसने गाड़ी रोकी और मीरा का नंबर डॉयल किया लेकिन फोन बंद आ रहा था। अक्षत का मन उदास हो गया और उसकी नजर अपनी बगल वाली खाली सीट पर चली गयी जहा अक्सर मीरा होती थी लेकिन आज वो जगह खाली थी। अक्षत काफी देर तक उस खाली सीट को देखते रहा और फिर गाडी अमर जी के घर जाने वाले रास्ते की तरफ मोड़ दी।


कुछ देर बाद अक्षत की गाड़ी अमर जी के घर के सामने पहुंची लेकिन अक्षत में अंदर जाने की हिम्मत नहीं थी वह नहीं चाहता था की मीरा उसे वहा देखकर फिर से परेशान हो। अक्षत ने गाड़ी साइड में लगाई और अंदर ही बैठा रहा। आसमान लालिमा लिए हुए था और सूरज ढल रहा था अक्षत मीरा को देखने के लिए वही रुक गया। अक्षत की नजर अमर जी के घर की तरफ ही थी तभी उसे घर के बाहर वाले बरामदे में खड़ी मीरा नजर आयी।

अक्षत बुझी आँखों से उसे देखता रहा , कुछ देर बाद सौंदर्या आयी और उसे अपने हाथो से कुछ खिलाने लगी। मीरा मना करती रही लेकिन सौंदर्या ने फिर भी उसे खिलाया ये देखकर अक्षत वहा से चला गया।

“बस भुआजी जी हम और नहीं खा पाएंगे”,मीरा ने सौंदर्या को रोकते हुए कहा।
“तुमने खाया ही कहा है मीरा चलो ये थोड़ा सा बचा है ये और खा लो। देखो ज़रा खुद को कितनी दुबली हो गयी हो , तुम अपना ज़रा भी ख्याल नहीं रखती,,,,,,,,,,,,उधर क्या देख रही हो ?”,सौंदर्या ने कहा
“हमे लगा जैसे थोड़ी देर पहले अक्षत जी यही कही थे , हमारे आस पास”,मीरा ने बेचैनी भरे शब्दों में कहा


“मीरा जमाई सा अगर यहाँ होते तो क्या वो अंदर नहीं आते ? तुम्हे शायद वहम हुआ है,,,,,,,,,,,,ये लो ये खाओ तब तक मैं आती हूँ”,कहते हुए सौंदर्या ने प्लेट मीरा को थमा दी और अंदर चली गयी।
मीरा का मन ये मानने को तैयार ही नहीं था की अक्षत यहाँ नहीं था। उसे बार बार ये अहसास हो रहा था जैसे अक्षत कुछ देर पहले यही था। उसके वहा खड़े नौकर से कहा,”सुनिए ! इसे ले जाईये प्लीज”
“जी मेडम”,नौकर ने कहा और मीरा से प्लेट लेकर कहा और चला गया


मीरा घर के सामने की खाली सड़क को देखकर मन ही मन कहने लगी,”क्या आप सच में यहाँ थे या ये सिर्फ हमारा वहम था। क्या सही है क्या गलत हमे कुछ समझ नहीं आ रहा है अक्षत जी। हम आपसे नफरत नहीं करते है बस थोड़ी नाराजगी है आपसे , हमारे मन में पहली बार आपको लेकर गुस्सा है इसलिए हम आपसे दूर है लेकिन आपकी कमी हमे हर वक्त महसूस हो रही है। हमारी माँ कहती थी “अक्सर किसी रिश्ते को बचाने के लिए उस से कुछ दिन दूर रहना जरुरी हो जाता है” काश हम आपको ये बात समझा पाते।

आपके साथ रहते तो हमारा गुस्सा , हमारा दुःख , हमारी तकलीफ कम होने के बजाय बढ़ती जाती इसलिए हमने कुछ दिन आपसे दूर रहना बेहतर समझा,,,,,,,,,,,,,,,,हमे माफ़ कर दीजियेगा”
मीरा की आँखों में आँसू भर आये उसका मन भारी होने लगा और गले में एक चुभन का अहसास होने लगा  

उसी शाम , छवि का घर
“मेरी बात समझने की कोशिश करो माधवी , तुम्हारा और छवि का यहाँ रहना सुरक्षित नहीं है। वो पैसेवाले लोग है उनके सामने हमारी कोई औकात नहीं है। तुम्हे और छवि को मेरे साथ चलना ही होगा मैं तुम दोनों को यहाँ अकेला नहीं छोड़ सकता”,छवि के मामा कमल ने कहा
“तो तुम क्या चाहते हो मैं कायरो की तरह हार मानकर यहाँ से चली जाऊ ?”,माधवी जी ने गुस्से और दुःख भरे स्वर में कहा तो छवि , कमल और कमल की पत्नी उन्हें देखने लगे।

उन सबको अपनी ओर देखते पाकर माधवी जी ने आगे कहना शुरू किया,”क्यों जाऊ मैं ये शहर छोड़कर सिर्फ इसलिए की जिनके खिलाफ मैंने आवाज उठायी वो बड़े लोग है,,,,,,,,,,,,,,,,मैं नहीं डरती ऐसे बड़े आदमी से जिसने मेरी बेटी की जिंदगी खराब कर दी , उन लोगो ने मेरी छवि के साथ जो किया है उसके जख्म अभी भरे नहीं है। लोग भूल सकते है , समाज भूल सकता है , ये शहर भूल सकता है लेकिन एक माँ,,,,,,,एक माँ अपने बच्चो के साथ हुए अत्याचार को कभी नहीं भूल सकती।

मैं उन सबको सजा दिलवाकर रहूंगी जो इसमें शामिल थे,,,,,,,,,,,,किसी को नहीं छोड़ूंगी। अदालत ने भले उन गुनहगारों को छोड़ दिया लेकिन मैं उन्हें सजा देकर रहूंगी”
कहते कहते माधवी खाँसने लगी छवि ने देखा तो पानी का ग्लास लेकर उनके पास आयी और उन्हे पानी पिलाकर उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा,”माँ , माँ शांत हो जाईये , आपकी तबियत ठीक नहीं है”
“कुछ नहीं हुआ है मुझे और कुछ नहीं होगा,,,,,,,,,,,,,

मैं हार नहीं मानुंगी छवि , मैं हाई कोर्ट जाउंगी , सुप्रीम कोर्ट जाउंगी लेकिन जो असली गुनहगार है उसे सजा जरूर दिलवाऊंगी। उन सबने हमे धोखा दिया है मैं किसी को नहीं छोडूंगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और वो अक्षत व्यास जिसने मुझे सबसे बड़ा धोखा दिया , उसने मुझसे वादा किया कि वो इंसाफ दिलायेगा लेकिन आखरी वक्त में उसने हम सबको धोखा दिया। उसकी ख़ामोशी ने ये साबित कर दिया कि वो भी उन सबके साथ मिला हुआ था,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं उसे छोडूंगी नहीं वो कभी खुश नहीं रहेगा बर्बाद हो जायेगा वो”,माधवी जी ने कहा


“उन्हें बर्बाद करके क्या आपकी बेटी को इंसाफ मिल जाएगा ?”,दरवाजे पर खड़ी चित्रा ने अंदर आते हुए कहा तो सबकी नजर उस तरफ चली गयी।  
“तुम यहाँ क्यों आयी हो तुम भी तो उसी के साथ काम करती हो ? क्या अब उसने तुम्हे पछतावे के लिए भेजा है ?”.माधवी जी ने कहा


“मुझे किसी ने नहीं भेजा मैं यहाँ खुद आयी हूँ , मुझे छवि से कुछ बात करनी है”,चित्रा ने कहा
“लेकिन छवि को किसी से कोई बात नहीं करनी है। हम सब कल सुबहा यहाँ से हमेशा हमेशा के लिए चले जायेंगे”,कमल जी ने कहा
“आप लोग ऐसा क्यों कर रहे है ? एक बेगुनाह छवि के साथ हुए जुर्म की सजा काट रहा है और जो गुनहगार है वो कुछ महीनो बाद छूट जाएगा। आप लोग समझने की कोशिश कीजिये”,चित्रा ने कहा


माधवी ने चित्रा की बांह पकड़कर उसे अपनी तरफ करके कहा,”ये बात जाकर अपने वकील साहब को समझाओ जिनकी वजह से ये सब हो रहा है। उनकी वजह से एक बेकसूर सलाखों के पीछे है , उनकी वजह से एक गुनहगार बच गया , उनकी वजह से मेरी बेटी को इंसाफ नहीं मिला सिर्फ उनकी वजह से,,,,,,,,,!!”
“अक्षत सर की इसमें कोई गलती नहीं है,,,,,,,,,,,,,,!”,चित्रा ने एकदम से चिल्लाकर कहा तो माधवी ने उसकी बांह छोड़ दी। चित्रा के चेहरे पर दर्द के भाव उभर आये और उसने आगे कहा,”वो गलत नहीं है ,

सब उन्हें गलत समझ रहे है लेकिन कोई ये नहीं जानता कि इस वक्त वो किन हालातों से गुजर रहे है। उस दिन अक्षत सर अदालत में चुप रहे क्योकि उनकी बेटी को किसी ने अगवा कर लिया था और जान से मारने की धमकी दी थी। अपनी बेटी को बचाने के लिए उन्हें चुप रहना पड़ा क्योकि आपकी ही तरह उन्होंने एक और माँ से वादा किया था। वादा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उस माँ को उसकी बच्ची लौटाने का लेकिन आखिर में उनके साथ क्या हुआ ?

उन लोगो ने उस बच्ची को मार डाला , अक्षत सर की हसती खेलती जिंदगी में दुखो का पहाड़ टूट पड़ा , हर कोई उन्हें गलत समझ रहा है , उनके बारे में गलत बोल रहा है लेकिन वो तो अभी तक अपनी 3 साल की बेटी की मौत के गम से बाहर ही नहीं निकल पाए है और आप कह रही है की वो गलत है , उन्होंने आपको धोखा दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,चित्रा कहते कहते एकदम से खामोश हो गयी , उसकी सांसे फूलने लगी थी , आँखों में आँसू झिलमिलाने लगे थे।
माधवी जी ने जब सूना तो उनकी आँख से निकलकर आँसू की एक बुंद गाल पर बह गयी।

चित्रा की बात सुनकर वहा सन्नाटा छा गया अक्षत के बारे में सोचकर खुद उसकी आँखों में भी आँसू भर आये वह माधवी जी के पास आयी और उनके हाथो को अपने हाथो में थामकर कहने लगी,”आपका दुःख मैं समझ सकती हूँ ,छवि के साथ जो हुआ उसका दुःख हम सबको है लेकिन इन सबके लिए अक्षत सर जिम्मेदार नहीं है। वो तो ये केस लड़ना भी नहीं चाहते थे लेकिन मैंने उनसे जिद की और उन्होंने छवि को इंसाफ दिलाने के लिए पूरी कोशिश की।

केस की लास्ट डेट से दो दिन पहले ही उनकी बेटी किडनेप हो गयी लेकिन आखरी वक्त तक उन्होंने छवि को इंसाफ दिलाने की उम्मीद नहीं छोड़ी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जब वो कोर्ट रूम में थे तब उनसे उस केस और उनकी बेटी में से किसी एक को चुनने को कहा,,,,,,,,,,,,,,,आप ही बताईये ऐसे वक्त में आप क्या करती ? मैं मानती हूँ छवि के साथ अन्याय हुआ है और एक बेकसूर को सजा लेकिन इन सब में अक्षत सर को कोई गलती नहीं है। कोई भी इंसान उस वक्त वही करता जो उन्होंने किया।”


“मुझे माफ़ कर दो बेटा मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई , मैंने उसे समझने में बहुत बड़ी भूल कर दी,,,,,,,,,,,,,,,,मैं एक माँ हूँ इसलिए अपनी बेटी के साथ होते अन्याय को देख नहीं पायी। मैंने उसे बुरा भला कहा , उस पर हाथ उठाया , उस वक्त मैं कितनी स्वार्थी हो गयी थी , मैंने उसे बद्द्दुआ तक दे दी,,,,,,,,,,,,,एक माँ के मुंह से निकली बद्दुआ जिसने उस से उसकी बेटी छीन ली,,,,,,,,,,,,,,ईश्वर मुझे कभी माफ नहीं करेगा , कभी माफ़ नहीं करेगा”,माधवी जी ने रोते हुए अपना चेहरा अपने हाथो में छुपा लिया


“अपने आपको सम्हालिए माँ”,छवि ने माधवी जी को पास पड़ी कुर्सी पर बैठाते हुए कहा
“गलती हम सब से हुई है और मैं अपनी गलती सुधारना चाहती हूँ , मैं छवि का केस रीओपन करवाना चाहती हूँ”,चित्रा ने एकदम से कहा
“क्या ये मुमकिन है ? छवि और ये परिवार पहले भी इस केस के चलते कितना सब भुगत चुके है। मैं नहीं चाहता अब इन्हे फिर से वही सब झेलना पड़े , वकील साहिबा मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूँ प्लीज यहाँ से जाईये हमे अब कानून से और मदद नहीं चाहिए”,कमल जी ने अपने हाथ जोड़ते हुए कहा


“लेकिन सर,,,,,,,,,,,,,,,,!”,चित्रा ने जैसे ही कहना चाहा कमल जी ने अपना हाथ उसके सामने करके कहा,”बस वकील साहिबा बहुत हो गया , मैं अपनी बहन और भांजी को अपने साथ लेकर हमेशा हमेशा के लिए यहाँ से जा रहा हूँ , छवि के साथ जो कुछ हुआ वो उसकी किस्मत समझकर हम सबने उसे स्वीकार कर लिया है इसलिए हमे इंसाफ की झूठी उम्मीद मत दीजिये चली जाईये यहाँ से और आईन्दा से यहाँ मत आईयेगा”
चित्रा ने माधवी जी की तरफ देखा जो कि ख़ामोशी से बैठी सोच में डूबी थी। छवि ने उन्हें सम्हाल रखा था और उसकी भी आँखे आंसुओ से भरी हुयी थी।

चित्रा ने उसकी तरफ देखा और फिर वहा से चली गयी। चित्रा घर से निकलकर अपनी स्कूटी की तरफ आयी। वह सोच में डूबी हुई थी अक्षत के साथ जो हो रहा था उसके बारे में सोचकर उसका मन काफी भारी हो चुका था। चित्रा जो करना चाहती थी उसमे छवि और छवि के परिवार का पूरा सपोर्ट जरुरी था और यहाँ उन्होंने केस रीओपन करने से साफ़ मना कर दिया। उतरा हुआ चेहरा लिए वहा से चली गयी।

मीरा को अपने घर में खुश देखकर अक्षत का मन ना जाने क्यों खिन्न हो गया। उसने गाडी आगे बढ़ा दी उसका दिल बहुत धीमी लय में धड़क रहा था। अक्षत खुद नहीं समझ पा रहा था की ये खालीपन ये बेचैनी क्यों है ? उसने गाडी की स्पीड धीमी कर दी , एक हाथ स्टेयरिंग पर और दूसरे हाथ की कोहनी खिड़की पर रखकर अंगूठे को होंठो से लगा लिया। वह बहुत उदास था और दर्द उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था।

गाड़ी में पसरी ख़ामोशी तोड़ने के लिए उसने म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया लेकिन आज गाने ने भी अक्षत का साथ ना देकर उसके दर्द को और बढ़ा दिया। म्युजिक सिस्टम पर गाना बजने लगा
“समंदर से ज्यादा मेरी आँखों में आंसू जाने ये ख़ुदा भी है ऐसा क्यूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तुझको ही आये ना ख्याल मेरा , पत्ता पत्ता जनता है एक तू ही ना जाने हाल मेरा ,,
पत्ता पत्ता जनता है एक तू ही ना जाने हाल मेरा”


अक्षत को पता ही नहीं चला की कब उसकी आँखों में ठहरे आँसू उसके गालों पर लुढ़क आये। उसने एकदम से ब्रेक लगा दिया और गाड़ी को साइड लगाकर सर पीछे सीट से लगा लिया। उसने अपनी आँखे मूँद ली मीरा के साथ बिताये पल उसकी आँखों के सामने आने लगे। वो पल जिनमे वो दोनों साथ थे , मुस्कुराते थे , झगड़ते थे लेकिन आज मीरा उसके साथ नहीं थी। अक्षत ने अपने आँसू पोछे और अपना फोन उठाकर मीरा का नंबर डॉयल किया उसका दिल धड़कने लगा। मीरा उसका फोन उठाएगी भी या नहीं ,

उस से बात करेगी भी या नहीं अक्षत इन्ही सब में उलझा हुआ था की कुछ रिंग जाने के बाद फोन उठा लिया मीरा कुछ कहती इस से पहले ही अक्षत बोलने लगा,”मीरा , मीरा वापस आ जाओ , तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लग रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हारी नाराजगी समझ सकता हूँ , तुम्हे मुझसे नाराज होने का , मुझ पर गुस्सा करने का पूरा हक़ है लेकिन मुझसे दूर जाने का तुम्हे कोई हक़ नहीं है मीरा,,,,,,,,,,,,,,,,

तुम मुझे जो सजा देना चाहो मुझे मंजूर है बस मुझसे दूर रहने की सजा मत दो। मैं तुम्हारे अलावा कुछ सोच नहीं पा रहा हूँ , अमायरा जा चुकी है लेकिन मैं तुम्हे नहीं खोना चाहता मीरा,,,,,,,,,,,,मीरा प्लीज वापस आ जाओ , आई प्रॉमिस मैं सब ठीक कर दूंगा , बस एक बार मेरा भरोसा करो। तुम,,,,,तुम कुछ बोल क्यों नहीं रही ? कल से तुम्हारी आवाज नहीं सुनी है मैंने , मीरा एक बार मुझसे बात करो प्लीज,,,,,,,,,,,,,,,!!”


अक्षत की आवाज में उसका दर्द साफ नजर आ रहा था। ये सब कहते हुए उसे अपने सीने में दर्द और गले में चुभन का अहसास हो रहा था। वह फोन कान से लगाए बैठा था लेकिन मीरा ने बिना बात किये ही फोन काट दिया। जब फोन कटा तो अक्षत का दिल भी टूट गया। मीरा इतनी कठोर हो सकती है अक्षत ने कभी सोचा नहीं था उसने फोन साइड में रखा और एक बार फिर सर सीट से लगा लिया लेकिन इस बार उसकी आँखे खुली थी और उनसे आँसू बहे जा रहे थे।

अक्षत के आँसू कनपटी से होकर सीट के लेदर को भीगा रहे थे। जब अपने अंदर चल रहे शोर को अक्षत सम्हाल नहीं पाया तो उसका दर्द सिसकियों में बदल गया उसकी सिसकिया कोई सुन ना ले सोचकर उसने म्यूजिक सिस्टम का वॉल्यूम थोड़ा बढ़ा दिया और सिस्टम पर गाना बजने लगा
अक्षत को इस वक्त कुछ समझ नहीं आ रहा था पहली बार वह अपनी ही भावनाओ को समझ नहीं पा रहा था। उसकी आँखों से आँसू बहते रहे और साथ ही सिसकिया जारी रही।

घंटो अक्षत सड़क के किनारे गाड़ी में बैठा रहा उसे ना घर याद था ना कुछ और उसकी जिंदगी से जुड़े दो खास इंसान आज उसके पास नहीं थे। घर से फोन आते रहे लेकिन अक्षत ने किसी का जवाब नहीं दिया। कुछ देर बाद किसी ने गाड़ी के शीशे को खटखटाया तो अक्षत की तंद्रा टूटी अक्षत ने अपने आँसू पोछे और शीशा नीचे किया। एक फ़टेहाल खड़ी औरत अपनी बच्ची को गोद में उठाये आसभरी नजरो से अक्षत को देख रही थी।

अक्षत ने उसकी तरफ देखा तो औरत ने गिड़गिड़ाते हुए कहा,”बाबू कुछ खाने को दे दीजिये , बच्ची बहुत भूखी है सुबह से कुछ नहीं खाया है,,,,,,,,,,,,,,,,,,थोड़ी सी मदद कर दीजिये”
बच्ची उस औरत की गोद में रोये जा रही थी और वह उसे चुप कराने के लिए बार बार थपथपा रही थी। उस बच्ची को देखकर अक्षत को अपनी अमायरा की याद आ गयी। उसने अपने पर्स से कुछ पैसे निकाले और औरत को दे दिए औरत अक्षत को दुआये देती हुई वहा से चली गयी।

अक्षत ने पानी की बोतल उठायी और गाडी से उतरा , साइड में आकर उसने मुंह धोया और कुछ देर डिवाइडर की दिवार के पास खड़ा वहा से गुजरती गाड़ियों को देखने लगा।
उसकी आँखों में अब आँसुओ की जगह खालीपन पसर चुका था , अक्षत खाली आँखों से सामने देखता रहा तभी उसका फोन बजा।

अक्षत ने देखा फोन नवीन का था उसने जल्दी से फोन उठाया और कहा,”कुछ पता चला ?”
“हाँ मैंने गाड़ी के मालिक की सभी डिटेल्स तुझे मेल कर दी है , आई हॉप वो तेरे कुछ काम आये”,नवीन ने कहा
“थैंक्स”,अक्षत ने बुझे स्वर में कहा


“दोस्त होकर थैंक्स बोल रहा है , चल अपना ख्याल रखना और कोई भी जरूरत हो मुझे फोन करना”,कहकर नवीन ने फोन काट दिया अक्षत ने फोन जेब में डाला और आकर गाड़ी में बैठ गया। उसने गाड़ी स्टार्ट की और घर के लिए निकल गया।

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