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हाँ ये मोहब्बत है” – 45

Haan Ye Mohabbat Hai – 45

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Haan Ye Mohabbat Hai – 45

दोपहर में राधा अक्षत के लिए खाना लेकर उसके कमरे के सामने आयी तो देखा अक्षत बिस्तर पर बैठा है उसके आस पास अमायरा के खिलोने रखे हुए है। अमायरा की तस्वीर अक्षत के हाथो में थी और वह रो रहा था। उसे रोता देखकर राधा की उस कमरे में जाने की हिम्मत नहीं हुई वह बाहर ही रुक गयी। अक्षत ने उस तस्वीर पर अपनी उंगलिया फिराई और रोते हुए कहने लगा,”क्या तुम अब भी मुझसे नाराज हो प्रिंसेज , तुम ऐसे क्यों चली गयी ?

तुम्हे पता है मीरा भी अब मुझसे बात नहीं करती है , वो मेरी तरफ देखती तक नहीं है उसे लगता है मेरी वजह से तुम इस दुनिया में नहीं हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैंने तुम्हे बहुत ढूंढा अमु , हर जगह ढूंढा लेकिन तुम नहीं मिली,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हे नहीं बचा पाया मुझे माफ़ कर दो। वापस आ जाओ प्रिंसेज तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लगता है , तुम्हारे पापा को तुम्हारी जरूरत है,,,,,,,,,,,,पापा तुम्हे बहुत मिस करते है , वापस आ जाओ,,,,,,,,,,आई प्रॉमिस मैं कभी तुम्हे खुद से दूर नहीं करूंगा , हमेशा तुम्हारा ख्याल रखूंगा वापस आ जाओ,,,,,,,,,,,


कहते हुए अक्षत ने उस तस्वीर को अपने सीने से लगा लिया और बच्चो की तरफ रो पड़ा। राधा उसे रोते हुए नहीं देख पायी वह अंदर आयी और हाथ में पकड़ी खाने की प्लेट को साइड में रखकर अक्षत के पास बैठते हुए,”बस कर बेटा और कितनी तकलीफ देगा खुद को , अमायरा की कमी हम सबको खलती है उसके साथ साथ इस घर की मुस्कराहट भी जा चुकी है बेटा मैं अपनी एक बच्ची को खो चुकी हूँ लेकिन तुम्हे और मीरा को खोना नहीं चाहती,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मैं जानती हूँ ये वक्त तुम दोनों के लिए बहुत मुश्किल वक्त है लेकिन तुम्हे इस से बाहर निकलना पडेगा। जो चला गया है वो वापस नहीं आएगा बेटा बल्कि हमे ही फिर से जीना शुरू करना पडेगा। अमायरा को गुजरे इतने दिन हो चुके है फिर भी हम सबकी आँखों से आँसू नहीं सूखे है , उसके जाने का गम हम सबके दिलो में हमेशा रहेगा बेटा लेकिन खुद को इस तरह तकलीफ देकर हम उसे हर्ट कर रहे है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आज अगर वो ज़िंदा होती तो तुम्हे इस तरह रोते हुए कभी नहीं देखती ,,

वो हमेशा कहती थी वो बहुत स्ट्रांग है , वो सच में स्ट्रांग थी क्योकि वो अपने पापा पर गयी थी। मीरा ने अगर उसे जन्म दिया था तो तुमने उसे मजबूत बनाया था वो अपने आखरी पलों में भी मजबूत रही होगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या तुम ऐसे रोकर उसका दिल दुखाना चाहते हो ? चुप हो जाओ आशु और सम्हालो खुद को अमायरा कही नहीं गयी है वो यही है हम सब के दिलों में , हमारी अच्छी यादों में,,,,,,,,,,,,,,,!!”
राधा ने अक्षत को समझाया तो उसने अपने आँसू पोछे और कहा,”मैं ये एक्सेप्ट ही नहीं कर पा रहा हूँ माँ की वो अब हमारे बीच नहीं रही।

हर वक्त उसकी यादें मेरे जहन में रहती है उसकी आवाज मेरे कानों में गूंजती रहती है लगता है जैसे वो मुझे बुला रही है , मैंने उसे बचाने की हर कोशिश की माँ लेकिन मैं नहीं बचा सका। मीरा के साथ साथ मैंने एक और माँ से किया वादा तोड़ दिया माँ , मैं छवि को इंसाफ नहीं दिला पाया माँ ना ही मैं अमायरा के साथ इंसाफ कर पाया और यही बात मुझे अंदर ही अंदर खाये जा रही है। मीरा मुझे देखना तक नहीं चाहती है माँ , मैं उसे कैसे यकीन दिलाऊ कि मैंने अमायरा को बचाने की हर कोशिश की थी पर मैं नहीं बचा पाया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं उसे नहीं बचा पाया”


कहते हुए अक्षत की आँखों से एक बार फिर आँसू बहने लगे। राधा ने अपनी साड़ी के पल्लू से अक्षत के आँसू पोछे और उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहने लगी,”एक लड़की जब किसी से प्रेम करती है तो वह अपने प्रेमी के लिए हर परीक्षा स्वीकार करती , वही प्रेमिका जब किसी की पत्नी बन जाती है तो अपने पति के लिए हर मुसीबत से लड़ जाती है लेकिन जब एक पत्नी माँ बनती है तो उसका प्यार अपने पति और बच्चे में बट जाता है। एक माँ के लिए उसके बच्चे उसकी पूरी दुनिया होते है।

मीरा का दुःख भी कुछ ऐसा ही है बेटा इस वक्त उसका दर्द हम सब से ज्यादा है जिस से बाहर निकलने में उसे थोड़ा वक्त लगेगा।”
राधा की बात सुनकर अक्षत मासूमियत से उन्हें देखने लगा
राधा ने अक्षत की तरफ देखा और कहने लगी,”तुम्हे एक बार मीरा से बात करनी चाहिए बेटा , इस वक्त तुम दोनों को सबसे ज्यादा एक दूसरे की जरूरत है , हम सब मीरा का दर्द बाँट जरूर सकते है लेकिन उसे कम सिर्फ तुम कर सकते हो बेटा। मीरा ने हमेशा तुम्हे सम्हाला है इस बार तुम्हारी बारी है उसे सम्हाल लो बेटा ,

उसे ऐसे टूटने मत दो , तुम्हारी मीरा को तुम्हारी जरूरत है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे यकीन है तुम्हारा प्यार और साथ उसके जख्मो को भर देगा। उस बच्ची ने बहुत कुछ खोया है बेटा उसका दर्द भी असीम है ऐसे में सिर्फ तुम ही हो जो उसे सम्हाल सकते हो , उसे इस दर्द से बाहर निकाल सकते हो। मीरा से बात करो मुझे यकीन है वो तुम्हारी बात समझेगी”
“हम्म्म्म !”,अक्षत ने दूसरे हाथ को राधा के हाथ से लगाकर कहा


“तुमने सुबह से कुछ खाया नहीं है चलो थोड़ा सा खाना खा लो”,राधा ने ने उठते हुए कहा उसने टेबल से खाने की प्लेट उठायी और अक्षत के सामने आ बैठी। राधा ने एक निवाला तोड़ा और अक्षत की तरफ बढ़ा दिया तो अक्षत ने उदासी भरे स्वर में कहा,”मुझे भूख नहीं है माँ”
राधा ने सूना तो आँखों में नमी तैर गयी उसने निवाला वापस प्लेट में रखा और बुझे मन से कहा,”सिर्फ मीरा ही किसी की माँ नहीं थी आशु मैं भी किसी की माँ हूँ ,, मेरे बच्चे कितने भी बड़े हो जाये लेकिन उन्हें ऐसे हाल में देखकर तकलीफ मुझे भी उतनी ही होती है”


राधा की बात सुनकर अक्षत को अहसास हुआ की अनजाने में ही सही वह राधा का दिल दुखा रहा है उसने प्लेट में रखा निवाला उठाया और राधा की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”आप मेरी हिम्मत है माँ पर इस वक्त मैं टूट चुका हूँ”
राधा ने सूना तो उनकी आँखों में ठहरे आँसू गालों पर लुढ़क आये अक्षत ने उन्हें अपनी ऊँगली से पोछा और निवाला राधा को खिला दिया। राधा ने निवाला खाया तो अक्षत ने दुसरा निवाला तोड़ते हुए पूछा,”मीरा ने खाया ?”


“हाँ नीता और तनु ने थोड़ा खिलाया है उसे , इन दिनों वो काफी कमजोर हो गयी है डॉक्टर ने कहा है अगर ऐसे ही हालात रहे तो उसे हॉस्पिटल शिफ्ट करना पडेगा।”,राधा ने कहा।
“वो ठीक हो जाएगी माँ , मैं उस से बात करूंगा वो गुस्सा करे , चिल्लाये , मुझ पर हाथ उठाये , चाहे जो भी हो मैं उस से बात करूंगा।”,अक्षत ने कहा तो राधा ने हामी में सर हिला दिया। अक्षत ने मुश्किल से एक चपाती निगली और फिर कहा,”मैं थोड़ी देर में नीचे आता हूँ”


“हम्म्म”,राधा ने कहा और फिर वहा से चली गयी।
अक्षत उठा और अमायरा के खिलोने एक एक करके उसके टेबल पर रखने लगा। उसका मन भारी हो चला था अक्षत कुछ देर बिस्तर पर बैठ गया और मीरा के बारे में सोचने लगा।

शाम में मीरा बिस्तर से उठी नीता ने देखा तो कहा,”क्या हुआ मीरा तुम्हे वाशरूम जाना है क्या ? रुको मैं लेकर चलती हूँ”
“भाभी हमे घर के मंदिर तक जाना है , हम चले जायेंगे”,मीरा ने धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए कहा। उसकी तबियत को देखते हुए नीता उसके साथ चली आयी। दादू और विजय जी हॉल में बैठे थे। राधा तनु के साथ किचन में थी। काव्या और चीकू भी हॉल में उदास से बैठे थे अमायरा के बिना जैसे ये घर सूना हो गया था।

मीरा धीरे धीरे चलकर घर के मंदिर के सामने आयी और मंदिर में रखी भगवान की मूर्ति देखकर आँखों में आँसू भरते हुए कहा,”हमने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा , कभी किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाई , हमेशा सबकी खुशी में खुश रहे दुःख दुखी , हमारी बेटी हमारे लिए हमारी दुनिया थी जब हमारे आस पास रहती थी लगता था जैसे सब सही है पर अब जब वो नहीं है तो कुछ अच्छा नहीं लगता है। सब घरवाले कहते है की वो हमे छोड़कर बहुत दूर जा चुकी है एक ऐसी जगह जहा से वो कभी वापस नहीं आएगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

उसे हमसे छीनकर आपको क्या मिल गया , वो आप में बहुत यकीन करती थी आपको बहुत मानती थी फिर भी आपने उसे हमसे छीन लिया,,,,,,,,,,,,,,,,वो हमारे मुस्कुराने की वजह थी हमारी खुशियों का हिस्सा थी। हमे हमारी बेटी लौटा दीजिये,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमे हमारी अमायरा लौटा दीजिये”
कहते हुए मीरा अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर रोने लगी। नीता ने देखा तो मीरा की तरफ बढ़ते हुए कहा,”मीरा”


लेकिन सामने सीढ़ियों से आते अक्षत ने नीता को वही रुकने का इशारा कर दिया और नीता वही रुक गयी। अक्षत को देखकर दादू और विजय जी भी अपनी जगह से उठे और मंदिर की तरफ चले आये। अक्षत ने मीरा के सामने आकर उसके हाथो को थामा और कहा,”मीरा”
मीरा ने जैसे ही अक्षत की आवाज सुनी अपना सर उठाकर उसकी तरफ देखा आँसुओ से उसकी आँखे भरी हुई थी वह एकटक अक्षत को देखते रही और फिर कहने लगी,”आप जानना चाहेंगे आखरी बार आपकी बेटी ने क्या कहा था ?

वो यहां इस मंदिर में इन भगवान के सामने खड़ी थी और इनसे कह रही थी की उसके पापा उस से बात नहीं करते , उसके साथ खेलते नहीं है , उसे वक्त नहीं देते , लेकिन उसके पापा फिर भी बहुत अच्छे है। ये सब कहते हुए पहली बार उसके चेहरे पर हमने दर्द देखा था , वो आपके साथ के लिए , आपके प्यार के लिए तरसती रही लेकिन आपने ध्यान ही नहीं दिया अक्षत जी,,,,,,,,,,,,,,,,उसने कहा की हमारी तरह वो भी प्रार्थना में विश्वास करती है लेकिन इनसे प्रार्थना करते हुए पहली बार उसकी आँखों में आँसू थे,,,,,,,,,,,,,

वो अपने पापा को बहुत मानती थी लेकिन उसके पापा ने क्या किया ? उसके पापा ने उसे खो दिया,,,,,,,,,,,,,,,,वो चली गयी , हमेशा हमेशा के लिए चली गयी। आप पिता है आपने सिर्फ उसका मुस्कुराता चेहरा देखा था,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन हम उसकी माँ थे हमने उसकी आँखों में आँसू देखे थे , उसके चेहरे पर दर्द देखा था , उसकी आवाज में आपसे दूर होने की तकलीफ देखी थी। हमने इस घर ने तो अमायरा को कुछ दिन पहले खोया है लेकिन आपने तो उसे उसी दिन खो दिया था

अक्षत जी जिस दिन वो आपसे बात करने के लिए दिनभर आपका इंतजार करती थी और थककर सो जाती थी लेकिन आपको अहसास ही नहीं हुआ और अहसास होता भी क्यों क्योकि वो जब भी आपसे मिली मुस्कुरा कर मिली।”
कहकर मीरा रोने लगी। मीरा की बात सुनकर अक्षत के दिल में एक टीस उठी उसके हाथो ने मीरा के हाथो को एकदम से छोड़ दिया। मीरा की बातें सुनकर सबकी आँखों में नमी थी। अमर जी भी वही खड़े थे वे कब आये किसी का ध्यान उस तरफ गया ही नहीं।

मीरा को तकलीफ में देखकर अमर जी उसके पास आये मीरा ने अपना सर उनके सीने पर रख दिया और रोते हुए कहा,”हमे यहाँ से ले जाईये पापा , हमे यहाँ से ले जाईये”
अक्षत ने सूना तो उसकी आँख से निकलकर आँसू की एक बूँद नीचे जमीन पर जा गिरी और वह खाली आँखों से बस मीरा को देखते रहा।

अमर जी ने मीरा को सम्हाला और हॉल की तरफ चले आये। विजय जी ने मीरा से बैठने को कहा और फिर अमर जी से कहने लगे,”मीरा अभी तक उस हादसे को भूली नहीं है , भूलना आसान भी नहीं है लेकिन हम सब कोशिश कर रहे है उसका पूरा ख्याल रखने की , मुझे भरोसा है जल्दी ही वो खुद को सम्हाल लेगी”
“विजय जी अगर आप इजाजत दे तो हम मीरा को कुछ दिनों के लिए अपने साथ लेकर जाना चाहते है। कुछ दिनों के लिए जगह और माहौल बदलेगा तो हो सकता है उस से मीरा की हालत में कुछ सुधार हो।

आप सबकी तकलीफ हम समझ सकते है और इसलिए हम इन्हे घर लेकर जाना चाहते है”,अमर जी ने मीरा की तरफ देखकर कहा जो की ख़ामोश सोफे पर बैठी थी। तनु उसके कंधो पर हाथ रखे उसके पीछे खड़ी थी और घर के बाकी सदस्य भी वही मौजूद थे। राधा ने सूना तो अमर जी के सामने आकर कहा,”मैं समझ सकती हूँ इस वक्त हालात सही नहीं है लेकिन मीरा अगर यहाँ से चली गयी तो आशु अकेला पड़ जाएगा , इन दोनों को सबसे ज्यादा एक दूसरे की जरूरत है अमर,,,,,,,,,,,,,,,इन्हे एक दूसरे से दूर करके हम लोग बस इनका दर्द बढ़ाएंगे”


“हम आपकी परेशानी समझ सकते है राधा पर इस वक्त मीरा का यहाँ से जाना ही सही रहेगा , हम जिद नहीं करेंगे बस हम ये फैसला मीरा पर छोड़ देते है। अगर वो हमारे साथ नहीं जाना चाहेगी तो हम जबरदस्ती नहीं करेंगे”,अमर ने सहजता से कहा
“मीरा और अक्षत के बीच अभी कुछ गलतफहमियां है जिनका दूर होना बहुत जरुरी है अमर जी इसलिए मैं चाहूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,विजय जी ने बस इतना ही कहा की मीरा बोल पड़ी,”हम आपके साथ जाना चाहेंगे पापा”


सबकी गर्दन मीरा की तरफ घूम गयी। अक्षत ने जैसे ही सूना उसका दिल टूट गया , उसने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से वहा से चला गया। मीरा ऐसा फैसला करेगी उसने सोचा नहीं था। वह मीरा से बात करना चाहता था लेकिन जैसे मीरा कुछ सुनना ही नहीं चाहती थी। ये पहली बार हो रहा था जब मीरा अक्षत को समझ नही पा रही थी। मीरा रोकर , आँसू बहाकर अक्षत के सामने अपना दुःख जाहिर कर सकती थी पर अक्षत तो उसके सामने ये भी नहीं कर पा रहा था।


मीरा की बात सुनकर राधा उसके पास आयी और उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहने लगी,”मीरा हम सबसे कोई गलती हुई क्या ? तुम इस घर से जाने की बात कर रही हो। मैं भी एक माँ हूँ और मैं इस वक्त तुम्हारा दर्द समझ सकती हूँ ,, मैं समझ सकती हूँ इस वक्त तुम और हम सब जिन हालातों से गुजर रहे है वो तकलीफ देह है लेकिन हम सब साथ रहकर खुद को सम्हाल लेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम ठीक नहीं हो मीरा , अपनी हालत देखो मैं तुम्हे ऐसे अकेले जाने नहीं दे सकती,,,,,,,,,,,!!”


राधा की बात सुनकर मीरा की आँखों में आँसू भर आये उसने अपने दूसरे हाथ से राधा के हाथ को थामा और कहने लगी,”हमे जाने दीजिये माँ , हम यहाँ रहेंगे तो ये दर्द कभी कम नहीं होगा,,,,,,,,,,,,,,,,,अमायरा की यादें दिनभर हमारा पीछा करती है , हमे उसकी बहुत याद आती है माँ , इस घर के हर कोने से उसकी यादें जुडी है , अगर हम यहाँ रुके तो हमारी तकलीफें और बढ़ जाएगी माँ,,,,,,,,,,,,,,,हमे कुछ दिन के लिए जाने दीजिये”


मीरा की बात सुनकर राधा ने कुछ नहीं कहा बस उसके हाथ को सहलाते रही। मीरा की बाते सुनकर विजय जी को लगा की उसे कुछ दिन के लिए अमर जी के साथ जाने देना चाहिए उन्होंने अमर जी से कहा,”ठीक है , अगर मीरा यही चाहती है तो आप उसे लेकर जा सकते है बस एक बार अक्षत से अगर बात कर लेते तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”
विजय जी ने बात अधूरी छोड़ दी , मीरा अक्षत की पत्नी थी और उस से पूछना भी जरुरी था। अमर जी ने सूना तो सहजता से कहा,”जरूर , हम उनसे मिलकर आते है”


“वो शायद ऊपर चला गया मैं उसे बुलाकर लाती हूँ”,तनु ने कहते हुए जैसे ही जाना चाहा अमर जी ने कहा,”रहने दीजिये बेटा ! हम उस से वही जाकर मिल लेंगे”
“जी”,तनु ने कहा और वापस मीरा के पास आकर खड़ी हो गयी। अमर जी सीढ़ियों की तरफ बढ़ गए। नीता को मीरा का इस तरह से जाना अच्छा नहीं लग रहा था उसे अक्षत के लिए बुरा लग रहा था। वह वहा से चली गयी। दादू मीरा के पास बैठकर उसे समझाने लगे और अपना ख्याल रखने को कहा। विजय जी , राधा , दादी माँ , तनु भी वही मौजूद थे बस नीता वहा से चली गयी। काव्या और चीकू मीरा के सामने आकर खड़े हो गए  


मीरा का उतरा हुआ चेहरा देखकर चीकू उसके पास आया और कहा,”चाची आप कहा जा रहे हो ? मत जाओ ना,,,,,,,,,,,,,,,,,,अमु भी चली गयी अब आप भी चले जाओगे तो अच्छा नहीं लगेगा,,,,,,,,,,,,मत जाईये ना”
“हाँ छोटी मामी मत जाईये , आपको ऐसे देखकर हमे अच्छा नहीं लगता”,काव्या ने भी चीकू की बात का समर्थन करते हुए कहा
मीरा ने चीकू को अपने पास आने का इशारा किया और उसे अपने सीने से लगा लिया वह इस वक्त कुछ कहने की हालत में नहीं थी , काव्या भी आकर मीरा से गले लग गयी।

अमर जी ऊपर अक्षत के कमरे के सामने आये तो देखा अक्षत बालकनी में खड़ा है। वह अमर जी की तरफ पीठ किये खड़ा था। अमर जी अक्षत के बगल में आकर खड़े हो गए और हाथ बांधकर कहने लगे,”हम जानते है हमारा ये फैसला आपको अच्छा नहीं लगेगा। आपने और मीरा ने जो खोया है उसका अहसास हम सबको है। इस वक्त मीरा अमायरा के गम में है और उसका इस बाहर निकलना बहुत जरुरी है। हम जानते है जो कुछ हुआ उसके लिए मीरा आपको जिम्मेदार समझती है पर ये सच नहीं है।

इस वक्त हम उसे कितना भी समझाए वो नहीं समझेगी उसने अमायरा की मौत को अपने मन में बसा लिया है जिसकी वजह से उसे काफी तकलीफ हो रही है। हम मीरा के पिता है और वो घर भी मीरा का अपना घर है , मीरा कुछ दिन अपने घर जाना चाहती है लेकिन जाने से पहले हमे आपकी इजाजत,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“कैसी बातें कर रहे है आप ? आपको मुझसे इजाजत लेने की जरूरत नहीं है। अगर मीरा जाना चाहती है तो मैं उसे नहीं रोकूंगा। मैं जानता हूँ इस वक्त वो मुझसे नाराज है और बात नहीं करना चाहती। मैं चाहकर भी उसे कुछ नहीं समझा सकता , इस वक्त वो मेरी किसी भी बात पर भरोसा नहीं करेगी।

आप उसे ले जाईये,,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने अपने दिल को कठोर करते हुए कहा हालाँकि मीरा का जाना उसके लिए जान जाने जैसा ही था पर इस वक्त उसके लिए मीरा की ख़ुशी से बढ़कर कुछ नहीं था
अमर जी ने अक्षत के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”चिंता मत कीजिये हम उसका पूरा ख्याल रखेंगे ,, इस दुःख की घडी में आपको हिम्मत से काम लेना होगा। हमे आपसे कुछ और बात भी करनी थी”
“हम्म्म्म कहिये”,अक्षत ने कहा


“उस किडनेपर के बारे में कुछ पता चला,,,,,,,,,,,,,,,,,अगर आप चाहे तो हम पुलिस कंप्लेंट कर सकते है इस से उसे ढूंढने में आसानी होगी। हमारी कमिशनर से अच्छी पहचान है आप चाहे तो हम उनसे बात कर सकते है”,अमर जी ने कहा
“नहीं पापा वो जो भी है उसकी दुश्मनी मुझसे है मैं कभी नहीं चाहूंगा की मेरी वजह से आप या मेरा परिवार किसी मुसीबत में पड़े। मैं उसे बहुत जल्द ढूंढ लूंगा उसने एक मासूम की जान ली है मैं उसे छोडूंगा नहीं”,कहते हुए अक्षत के चेहरे पर गुस्से और दर्द के मिले जुले भाव झिलमिलाने लगे।


“हम आपके साथ है , आपको जब भी हमारी जरूरत हो आप बेझिझक हमे कह सकते है”,अमर जी ने कहा तो अक्षत ने हामी में अपना सर हिला दिया
“आईये नीचे चलते है”,कुछ देर बाद अमर जी ने कहा


“मैं उसे जाते हुए नहीं देख पाऊंगा पापा,,,,,,,,,,,उसका ख्याल रखियेगा”,अक्षत ने नम आँखों के साथ कहा तो अमर जी ने आगे बढ़कर उसे गले लगाते हुए कहा,”हम जल्दी ही उसे वापस लेकर आएंगे”
अक्षत ने मीरा का कुछ जरुरी सामान बैग में रखकर अमर जी को दे दिया और अपने कमरे में चला आया।

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संजना किरोड़ीवाल 

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