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“हाँ ये मोहब्बत है” – 23

Haan Ye Mohabbat Hai – 23

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Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

Haan Ye Mohabbat Hai – 23

अक्षत मीरा के केबिन से बाहर निकलकर लॉन में चला आया जहा अखिल और मीरा बैठकर चाय पीते हुए बाते कर रहे थे। अक्षत ने कुर्सी खिसकाई और बैठते हुए कहा,”मीरा मेरे साथ घर चल रही हो ना तुम ?”
“हाँ अक्षत जी आज ज्यादा काम नहीं है हम थोड़ी देर में निकल जायेंगे”,मीरा ने अक्षत की तरफ देखकर कहा
अखिल ने मीरा से एक फाउंडेशन में आने की रिक्वेस्ट की साथ ही वो खुद भी मीरा के चाइल्ड होम से जुड़ना चाहता था। मीरा से मिलकर अखिल वहा से निकल गया।

कुछ देर बाद अक्षत और मीरा भी घर के लिए निकल गए। गाड़ी चलाते हुए अक्षत को कोर्ट में हुए हादसे का ख्याल आया उसने मीरा का हाथ अपने हाथ में लिया और गाड़ी गेयर हेंडल पर रख लिया। मीरा ने अक्षत की तरफ देखा जैसे कि वह हमेशा अक्षत की आँखे पढ़ लिया करती थी आज भी उसे समझ आ गया की किसी बात को लेकर परेशान है। उसने दूसरे हाथ से अक्षत के शर्ट की बाजू को फोल्ड करते हुए पूछा,”आज आपका दिन कैसा था ?”
“कुछ खास नहीं तुम बताओ”,अक्षत ने सामने देखते हुए कहा


“हमारा दिन तो सुबह आपको देखने से ही अच्छा हो जाता है”,मीरा ने बड़े प्यार से कहा
“अच्छा और मान लो किसी दिन मैं तुम्हे ना दिखू,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने जैसे ही कहा मीरा ने हल्का सा मुक्का उसके कंधे पर जड़ते हुए कहा,”आप ऐसी बातें मत किया करो हमे अच्छा नहीं लगता”
“सॉरी,,,,,,,,,,,,,मैं थोड़ा परेशान था , खैर छोड़ो घर चलते है मुझे तुम्हारे हाथ की चाय पीनी है”,अक्षत ने मीरा के हाथ पर पकड़ मजबूत करते हुए कहा
“जरूर”,मीरा ने मुस्कुरा कर कहा।


कुछ देर बाद दोनों घर पहुंचे जैसे ही मीरा अक्षत के साथ हॉल में आयी उसका चेहरा खिल उठा। सामने सोफे पर उसके पापा “अमर प्रताप सिंह” दादू के साथ बैठे बातें कर रहे थे। अक्षत फोन आने की वजह से साइड में चला गया। मीरा खुश होकर उनके पास आयी। मीरा को देखकर अमर जी उठे और उसे गले लगाते हुए कहा,”कैसी है आप मीरा ?”


“हम ठीक है पापा , आप कैसे है ? हम आज ही आपके बारे में सोच रहे थे”,मीरा ने भावुक होते हुए कहा
“और देखिये हम हाजिर है , हम कुछ महीनो के लिए अजमेर जा रहे है तो सोचा आप सब से मिलकर जाये”,अमर ने कहा
“अजमेर ? लेकिन यु अचानक , सब ठीक तो है ना पापा ?”,मीरा ने परेशानी भरे स्वर में पूछा


“अरे मीरा क्या सब बातें खड़े खड़े करोगी ? आराम से बैठकर बात करो बेटा”,पास बैठे दादू ने कहा तो मीरा को अहसास हुआ की तब से अमर जी बस खड़े ही है उसने झेंपते हुए कहा,”पापा आप खड़े क्यों है बैठिये ना ?”
अमर जी वापस सोफे पर बैठ गए , मीरा भी बगल में पड़ी छोटी कुर्सी पर आ बैठी और अमर जी की तरफ मुखातिब होकर कहा,”पापा आप अजमेर जा रहे है , सौंदर्या भुआजी तो ठीक है ना ?”


“मीरा आप कुछ ज्यादा ही चिंतित हो रही है। हम अजमेर इसलिए जा रहे है क्योकि सौंदर्या ने अपनी बड़ी बेटी का रिश्ता किया है वो एक दो दिन में अजमेर आने वाले है। सौंदर्या चाहती है हम उनसे मिले। दुसरी वजह है अजमेर वाला हमारा पुश्तैनी महल , सौंदर्या ने बताया वो काफी जर्जर हो चुका है और उसे मरम्मत की काफी जरूरत है। आपके दादाजी का बनवाया हुआ वो महल उनकी आखरी निशानी है जिसे अपने जीते जी हम सुरक्षित रखना चाहते है।”,अमर जी ने कहा


“हाँ पापा मीरा आजकल कुछ जल्दी ही चिंतित होने लगती है”,अक्षत ने अमर जी की तरफ आते हुए कहा और फिर उनके पैर छूकर पूछा,”कैसे है पापा ?”
“हम ठीक है दामाद जी आप बताईये , इन दिनों थोड़ा कमजोर नजर आ रहे है”,अमर जी ने कहा
“नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है बस वो कोर्ट में काम बढ़ गया है ना तो दिन भर भाग दौड़ चलती रहती है”,अक्षत ने सामने पड़े सोफे पर बैठते हुए कहा


“हम सबके लिए चाय भिजवाते है”,मीरा ने जैसे ही उठना चाहा तनु दीदी ने टेबल पर ट्रे रखते हुए कहा,”मीरा तुम अपने पापा के पास बैठो चाय मैंने पहले ही चढ़ा थी दी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नमस्ते अंकल जी”
“नमस्ते बेटा , चाय के लिये शुक्रिया”,अमर जी ने मुस्कुरा कर कहा
“ये लीजिये कर दिया ना आपने मुझे पराया , आप इस घर में मेहमान थोड़ी है आप तो इस घर के अपने है , शुक्रिया कैसा”,तनु ने अमर जी की तरफ पलटकर कहा तो अमर जी मुस्कुरा उठे और कहा,”अरे नहीं बेटा आप भी हमारी मीरा की तरह ही है खुद को पराया मत कहिये”


“नानाजी,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अमायरा ने सबके बीच आकर कहा। उसे देखकर अमर का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा और उन्होंने अमायरा को अपने हाथो में उठाकर अपनी गोद में बैठाया और प्यार से उसका सर चूमते हुए कहा,”कैसी है हमारी राजकुमारी ? हमने आपको बहुत याद किया”
“नानाजी आपके पास महल है ?”,अमायरा ने अपनी बड़ी बड़ी पलकें झपकाते हुए कहा


“हाँ हमारे पास बहुत बड़ा महल है , जब आप बड़ी हो जाएँगी तब हम आपको वहा लेकर चलेंगे”,अमर जी प्यार से अमायरा के बालों को सहलाते हुए कहा।
“मुझे भी महल चाहिए नानाजी”,अमायरा ने मासूमियत से कहा
“हमारा जो महल है वो आपका महल है”,अमर जी ने कहा


“नहीं ! मुझे अपना महल चाहिए , जिसमे मैं और पापा रहेंगे,,,,,,,,,,,,,,,और ममा रहेगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,और चीकू भैया भी”,अमायरा ने जिद करते हुए कहा
नन्ही अमायरा की बात सुनकर अमर जी मुस्कुरा उठे लेकिन अमायरा ने तो जिद ही पकड़ ली। अक्षत ने देखा तो कहा,”अमु ऐसे जिद नहीं करते बेटा”
“नहीं मुझे महल चाहिए , मुझे महल चाहिए”,अमायरा रोने लगी उसे रोता देखकर अमर जी ने कहा,”ठीक है हम बनवाएंगे आपके लिए महल”


“प्रोमिच,,,,,,,,,,,,!!”,अमायरा ने आँसुओ से भरी आँखों से अमर जी की तरफ देखते हुए कहा
“हम वादा करते है”,अमर जी ने कहते हुए अपना हाथ अमायरा के हाथ पर रख दिया
“पापा ये आप क्या कर रहे है ? अमु अभी बच्ची है इसने ऐसे ही जिद कर ली होगी”,अक्षत ने कहा। अमायरा अमर जी के पास से हटकर दादू के पास चली गयी


“ये जिद नहीं है दामाद जी अमायरा का हक़ है , हम काफी पहले से सोच रहे थे की अपना अजमेर वाला घर हम इसे तोहफे में दे”,अमर जी ने कहा
“नहीं पापा , अमायरा के लिए आपका प्यार ही काफी है और अभी वो बच्ची है उसे इन सब की समझ नहीं है”,मीरा ने कहा


“मीरा क्या हमे अपनी नातिन को तोहफा देने का हक़ भी नहीं है ? हमारे पास जो कुछ है वो हमारे बाद आपका ही है उसमे से कुछ हिस्सा हम अपनी नातिन को देना चाहते है बस और इसके लिए हमे आपकी इजाजत लेने की जरूरत नहीं”,अमर जी ने एक पिता की तरफ अपना फैसला सूना दिया।
मीरा ने अक्षत की तरफ देखा और समझ गयी की अक्षत को भी इस तरह अमर जी से कुछ लेना अच्छा नहीं लग रहा लेकिन वह खामोश रहा। अक्षत कपडे बदलने चला गया।

अमर जी दादू से बात करने लगे। शाम  के 4 बज रहे थे और अमर जी को निकलना था इसलिए वे सबसे मिले और फिर जाने लगे। मीरा उन्हें छोड़ने बाहर तक आयी और चलते हुए कहा,”हमे माफ़ कीजियेगा पापा”
“किस बात की माफ़ी मीरा ?”,अमर जी ने सहजता से पूछा
“एक ही शहर में होकर भी हम आपसे मिलने नहीं आते है। हमे आपका ख्याल रखना चाहिए और हम अपनी ही जिम्मेदारियों में उलझे हुए है”,मीरा ने उदास होकर कहा


“मीरा हमने एक बहुत लंबा वक्त अकेले रहकर गुजारा है , हमे अकेले रहने की आदत है। हम ये जानकर खुश है कि शादी के बाद आप अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभा रही है। अपना और अमायरा का ख्याल रखियेगा इस बार आने में शायद थोड़ा वक्त लग जाये।”,अमर जी ने मीरा के सर पर हाथ रखते हुए कहा
“आप भी अपना ख्याल रखना और सौंदर्या भुआ जी से कहियेगा हम जल्दी ही उनसे मिलने आएंगे”,मीरा ने अमर जी के सीने से लगते हुए कहा। कुछ देर बाद अमर जी वहा से चले गए और मीरा भी अंदर चली आयी।

VS कम्पनी से इस्तीफा देने के बाद छवि अपने घर चली आयी। जैसे ही छवि घर के अंदर आयी माधवी जी ने कहा,”अरे छवि आज बड़ी जल्दी घर आ गयी तुम , आज तुम्हारे ऑफिस में हाफ डे था क्या ?”
छवि ने अपनी माँ की बात का कोई जवाब नहीं दिया और बैग रखकर बाथरूम में चली आयी।
“लगता है थक गयी है मैं पहले इसके लिए चाय बना देती हूँ”,माधवी ने खुद से कहा और किचन की तरफ चली गयी।


छवि वाशबेसिन के सामने आयी उसने नल चालू किया अपने हाथ मुंह धोये और शीशे में खुद को देखने लगी। छवि की आँखों के सामने ऑफिस में हुआ तमाशा आने लगा। वो सब सोचकर बरबस ही उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।  शीशे के सामने खड़ी छवि आँसू बहाती रही उसकी तंद्रा तब टूटी जब बाहर से माधवी की आवाज आयी,”छवि बेटा तुम्हारी चाय ठंडी हो रही है , और कितनी देर लगेगी तुम्हे ?”


छवि ने सूना तो उसने अपने आँसू पोछे और एक बार फिर अपना मुंह धोकर बाहर चली आयी ताकि माधवी को कुछ पता ना चले। छवि बाहर आयी और डायनिंग  टेबल के पास बैठकर चाय का कप उठा लिया। माधवी ने छवि का उतरा हुआ चेहरा देखा तो उसके सर को छूते हुए कहा,”क्या हुआ तेरी तबियत तो ठीक है न ?”
“माँ बैठिये ना मुझे आपसे कुछ बात करनी है”,छवि ने माधवी का हाथ पकड़कर उन्हें बैठाते हुए कहा
“हाँ कहो क्या बात है ?”,माधवी ने कहा


छवि कुछ देर खामोश रही और फिर धीरे से कहा,”मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी है माँ”
माधवी ने सूना तो उसे थोड़ी हैरानी हुई , यू छवि का अचानक से नौकरी छोड़ना उन्हें अजीब लगा तो उन्होंने छवि की तरफ देखकर कहा,”तुम्हारे ऑफिस में कुछ हुआ है क्या ?”
“अगर मैंने माँ को सच बताया तो वो परेशान हो जाएगी , नहीं मैं उन्हें सच नहीं बता सकती”,छवि ने मन ही मन खुद से कहा


उसे खामोश देखकर माधवी ने फिर कहा,”क्या हुआ बेटा ? कुछ हुआ है क्या मुझे बताओ ? तुमने अचानक से नौकरी क्यों छोड़ दी ?”
“माँ परेशान मत होईये , मेरे ऑफिस में कुछ नहीं हुआ है बल्कि वो लोग तो बहुत अच्छे है। मुझे ही वो नौकरी कुछ जम नहीं रही थी। वो एक बहुत बड़ी कम्पनी है माँ , वहा के तौर तरिके भी काफी अलग है। बड़ी कम्पनी है इसलिए कपडे और रहन सहन भी महंगा होना जरुरी था

बस इसलिए वो नौकरी छोड़ दी और फिर आने जाने में भी रोज बस और ऑटो का किराया भरना होता है उस पर वो इतनी दूर भी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप चिंता मत कीजिये मैं यही कही आसपास में नौकरी ढूंढ लुंगी”,छवि ने सरासर झूठ बोलते हुए कहा
“अच्छा ऐसा है क्या , देख बेटा अगर तुझे वो नौकरी नहीं करनी तो कोई बात नहीं। तू परेशान मत हो तुझे दूसरी नौकरी मिल जाएगी”,माधवी जी ने कहा लेकिन चिंता के भाव उनकी आँखों में साफ झिलमिला रहे थे।


“माँ आप परेशान मत हो मैं सब सम्हाल लुंगी , अच्छा आज मैं जल्दी आ ही गयी हूँ तो क्यों ना मैं आपको लिए आपकी पसंद के गोभी के पराठे बनाकर खिलाऊ , बहुत दिन हो गए ना आपको मेरे हाथो से बना खाना खाने को नहीं मिला”,छवि ने खुश होकर कहा


“तू क्यों परेशान होती है मैं बना लेती हूँ”,माधवी जी ने कहा
“इट्स ओके माँ आप बैठिये मैं बना लुंगी और साथ में टमाटर की तीखी वाली चटनी भी”,कहते हुए छवि ने अपनी चाय खत्म की और बालों को बांधते हुए किचन की तरफ चली गयी। माधवी जी भी उठकर बाहर चली गयी।

जल्दी घर आने की वजह से अक्षत अपने कमरे में आया कपडे बदले और सो गया। शाम की नींद से उसे आज भी उतना ही प्यार था। मीरा बाकी सबके साथ नीचे किचन में थी। अमायरा चीकू के साथ खेल रही थी। विजय जी , सोमित जीजू घर आ चुके थे और हॉल में बैठकर शाम की चाय पी रहे थे। ऑफिस से हमेशा जल्दी आने वाला अर्जुन आज देर से आया था। वो काफी थका हुआ था और उसका चेहरा उतरा हुआ था।

अर्जुन अपना बैग लिए ऊपर कमरे में चला आया। फ्रेश होकर कपडे बदले और कमरे से बाहर चला आया। अर्जुन जैसे ही नीचे जाने लगा उसका फोन बजा। फोन उसी USA कम्पनी से था जिसने अर्जुन को उसके प्रोजेक्ट के लिए एक बड़ा ऑफर दिया था। अर्जुन ने फोन उठाया और कान से लगा लिया। उसी पल अक्षत अपने कमरे से बाहर निकला लेकिन अर्जुन को इसका आभास नहीं था। जैसे ही अक्षत जाने लगा उसके कानो में अर्जुन के कहे कुछ शब्द पड़े और वह सोफे के पास रुक गया।


“थैंक्यू सो मच मिस्टर फेंक लेकिन मैं अपना देश छोड़कर आपकी कम्पनी में नहीं आ सकता , आई ऍम सॉरी”,अर्जुन ने एक लम्बी चौड़ी बात के बाद कहते हुए फोन काट दिया और जैसे ही पलटा अक्षत को वहा देखकर थोड़ा हैरान रह गया। अक्षत अर्जुन के पास आया और कहा,”भाई आप,,,,,,,,,,,,,,,,,,!
“यही चाहता था ना तू की मैं USA ना जाऊ , मैं नहीं जा रहा”,अर्जुन ने अक्षत की बात बीच में काटते हुए कहा


अक्षत ने सूना तो खुश हो गया और थोड़ा हैरान भी , उसे मुस्कुराते देखकर अर्जुन ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और कहने लगा,”तूने सही कहा था लाइफ बोरिंग होती नहीं बल्कि उसे बोरिंग हम खुद बनाते है। इन कुछ दिनों में मैंने वही किया जो मेरे दिल ने कहा और मैंने पाया की मेरे ऑफिस के लोग मुझे कितना पसंद करते है। मुझ पर कितना भरोसा करते है। मैं उन लोगो का भरोसा नहीं तोड़ सकता यार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं पागल था जो मैंने तेरे सामने घर छोड़ने की बात की , तुझे उस दिन कितना हर्ट हुआ होगा,,,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी यार”


“इट्स ओके भाई , मुझे बुरा नहीं लगा”,अक्षत ने अर्जुन के गले लगते हुए कहा
अक्षत के गले लगकर अर्जुन को अच्छा। वह अक्षत से दूर हटा और कहा,”वैसे थैंक्स यार तूने मेरी लाइफ फिर से एक्साइटेड बना दी वरना अब तक तो मैं USA की किसी कम्पनी में बैठा एग्रीमेंट बना रहा होता”
“अगर आपकी लाइफ नहीं चेंज होती तब भी मैं आपको USA तो नहीं जाने देता”,अक्षत ने अपनी गर्दन खुजाते हुए कहा


“अच्छा ऐसा क्या करता ?”,अर्जुन ने पूछा
अक्षत ने अर्जुन की तरफ देखा और थोड़े ऐटिटूड में कहा,”वकील हूँ ना , केस कर देता आप पर फिर तारीख दर तारीख मुलाक़ात होती आपसे”
“अच्छा तू मुझपे केस करेगा , तुझे तो मैं”,कहते हुए अर्जुन अक्षत के पीछे भागा। दोनों बच्चो की तरह पुरे घर में दौड़ रहे थे।

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