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“हाँ ये मोहब्बत है” – 19

Haan Ye Mohabbat Hai – 19

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

Haan Ye Mohabbat Hai – 19

दादू , विजय जी और सोमित जीजू ने अपनी डेट सनशाइन होटल में रखी थी और रही सही कसर अर्जुन और नीता ने पूरी कर दी। वे दोनों भी इसी होटल में थे। सोमित जीजू तनु के साथ अपनी टेबल पर आ बैठे और ऐसे बर्ताव करने लगे जैसे उन्हें कुछ पता ही ना हो। सोमित जीजू की वजह से दादू की टेबल पर रखा केक भी खराब हो गया।

दादी को चिपचिपा लगने लगा तो उन्हें उठते हुए कहा,”मैं बाथरूम होकर आती हू”
“रुको मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ”,कहते हुए दादू भी दादी माँ के साथ वहा से चले गए

“नीता और कितना टाइम लगेगा ?”,लेडीज बाथरूम के बाहर खड़े अर्जुन ने घडी में टाइम देखते हुए कहा
“बस 5 मिनिट अर्जुन तुम्हारे लिए सरप्राइज है , तुम्हारी फेवरेट ड्रेस”,अंदर से नीता ने आवाज दी तो अर्जुन खुश हो गया। कई दिनों बाद उसे नीता से सरप्राइज जो मिलने वाला था।

अर्जुन वही बाहर खड़ा खुश हो रहा था की अचानक से दादू दादी वहा आये। अर्जुन ने देखा तो थोड़ा चौंक गया , फिर एकदम से उसे याद आया की नीता वेस्टर्न ड्रेस में बाहर आने वाली है उसने दरवाजा खटखटाया
“अरे बाबा आ रही हूँ”,नीता ने कहा लेकिन तब तक दादू और दादी अर्जुन के पास ही आ चुके थे। अर्जुन जल्दबाजी में जैसे ही पलटा दिवार से टकरा गया


“अरे बरखुरदार सम्हाल कर”,दादू अर्जुन को उन कपड़ो में पहचान नहीं पाए
“जी”,कहकर अर्जुन अपना मुंह छुपाकर वहा से भाग गया।
“अजीब लड़का है , सुरेखा जी आप जाईये अंदर जाकर खुद को साफ कर लीजिये मैं यही हूँ”,दादू ने कहा तो दादी माँ अंदर चली गयी और दादू साइड में चले आये।


दादी माँ लेडीज वाशरूम का दरवाजा खोलकर जैसे ही अंदर आयी नीता को लगा अर्जुन है वो तैयार थी इसलिए पलटते हुए कहा,”अरे अर्जुन तुम अंदर क्यों चले आये मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दादी माँ आप ?”


दादी माँ ने नीता को वहा देखा और जब उसे एक थाई कट गाउन में देखा तो आँखे खुली की खुली रह गयी और उन्होंने कहा,”नीता ये सब क्या है ? तुम यहाँ क्या कर रही हो ? क्या अर्जुन भी तुम्हारे साथ आया है ?”
“दादी माँ एक्चुली ये अर्जुन का ही प्लान था आज वेलेंटाइन डे है ना तो सेलिब्रेट करने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सॉरी दादी माँ”,नीता ने नजरे चुराते हुए कहा


“सॉरी की कोई बात नहीं है बेटा बस ऐसे कपडो में तुम्हारा बाहर जाना थोड़ा ठीक नहीं है , बाहर तुम्हारे दादू खड़े है और विजय राधा , सोमित जी तनु भी इसी जगह आये हुए है , उन्होंने तुम्हे ऐसे देखा तो अच्छा नहीं लगेगा। तुम्हे बुरा ना लगे तो थोड़ा ढंग के कपडे पहन कर बाहर आना”,कहकर दादी वाशबेसिन की तरफ बढ़ गयी।


नीता वापस चेंजिंग रूम की तरफ गयी और जिस साड़ी में यहाँ आयी थी वो पहनकर बाहर चली आयी उसका मूड कुछ कुछ खराब हो चुका था। बाहर आकर उसने देखा दादी माँ वहा से जा चुकी है। नीता बाहर आयी अर्जुन ने उसे देखा तो कहा,”ये था तुम्हारा सरप्राइज ?”
“अर्जुन जब पूरी फॅमिली यहाँ है तो तुम मुझे यहाँ क्यों लेकर आये ?”,नीता ने चिढ़ते हुए कहा


“अरे मुझे क्या पता था सब यही आएंगे और जीजू ने भी नहीं बताया की वो यहाँ आ रहे है , तुम कहो तो हम दूसरी जगह चलते है”,अर्जुन ने कहा
“नहीं अर्जुन अब कही जाने का मन नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब यहाँ आ ही गए है तो सेलिब्रेट करते है और घर चलते है”,नीता ने बुझे मन से कहा
“आई ऍम सॉरी नीता मुझे लगा तुम्हे ये सब पसंद आएगा,,,,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने भी अपसेट होकर कहा


“इट्स ओके अर्जुन तुमने मेरे लिए इतना किया वो काफी है ,,,,,, हम्म्म्म अब चलो”,अर्जुन का उतरा हुआ चेहरा देखकर नीता ने उसकी बांह थामते हुए कहा और दोनों अपनी बुक की टेबल की ओर बढ़ गए

अक्षत ने चीकू के लिए फल काटे साथ में काव्या और अमायरा के लिए भी काटकर कटोरे में रख दिए। अक्षत ने उन्हें एक ट्रे में रखा और किचन से बाहर निकल गया। मीरा प्लेटफॉर्म से नीचे उतरी और किचन का बचा हुआ काम करने लगी। अमायरा , चीकू और काव्या पहले ही डायनिंग के पास आ बैठे थे। अक्षत को देखते ही अमायरा ने कहा,”पापा”


अक्षत ने एक कटोरी चीकू के सामने रखी दूसरी काव्या के सामने और फिर अमायरा की तरफ आकर उसका सर चूमते हुए कहा,”कैसा है मेरा बच्चा”
“फच क्लास”,अमायरा ने हाथ की अंगुली और अंगूठे को मिलाकर कहा
“अमु फच नहीं फर्स्ट क्लास होता है”,चीकू ने कहा तो अमायरा ने अपना निचला होंठ बाहर निकालकर मुंह बना लिया और ऐसा करते हुए वह बहुत ही प्यारी लग रही थी।

अक्षत भी अमायरा के बगल वाली कुर्सी पर आ बैठा और उसे अपने हाथ से खिलाने लगा।
“अच्छा चीकू एंड काव्या सब घरवाले कहा गए आज ?”,अक्षत ने पूछा
“मामू सब पार्टी करने गए है और हमे यही छोड़ गए”,काव्या ने कहा
“हाँ चाचू पापा कह रहे थे वहा सिर्फ बड़े जाते है जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तब मैं भी वेलेनिन पार्टी में जाऊंगा”,चीकू ने कहा


“अरे चीकू वो वेलेंटाइन होता है वेलेनिन नहीं”,काव्या ने हँसते हुए कहा तो चीकू ने अपने कंधे उचका दिए।
“अच्छा चीकू पार्टी करने के लिए वेलेंटाइन डे का क्यों वेट करना वो तो हम लोग अभी भी कर सकते है , क्यों अमु ?”,अक्षत ने अमायरा की तरफ देखकर कहा तो अमायरा ने हाँ में गर्दन हिलाते हुए कहा,”यछ यछ”


अमायरा यस यस कहना चाहती थी लेकिन मुंह में सेब का टुकड़ा होने की वजह से उसके मुंह से उछ ही निकला।
“हाँ मामू फिर तो बहुत मजा आयेगा और हम बहुत सारी सेल्फी भी लेंगे ताकि निधि मौसी और अर्जुन मामू को दिखा सके”,काव्या ने भी खुश होकर कहा
“हाँ हम पार्टी में ढेर सारी चॉकलेट्स और चिप्स भी रखेंगे”,चीकू ने कहा जिसे चॉकलेट्स बहुत पसंद थी


“ओके फिर जल्दी से ये खत्म करो फिर हम सब पार्टी की तैयारी करते है”,अक्षत ने कहा और उठकर एक बार फिर किचन में चला गया। मीरा गैस पर पराठे सेंक रही थी। अक्षत बिल्कुल उसके सामने प्लेटफॉर्म पर आ बैठा और कहा,”मीरा जी , वो मैंने और बच्चो ने एक छोटी सी पार्टी रखी है तो क्या आप उसमे शामिल होना चाहेगी ?”


“अब कोई प्यार से पूछेगा तो मना करने का तो सवाल ही नहीं उठता , वैसे ये पार्टी किसलिए ?”,मीरा ने गैस बंद करके अक्षत की तरफ आकर कहा। अक्षत ने अपनी बांहे मीरा के गले में डाली और कहा,”सूना है आज वेलेंटाइन डे है और घर के सब लोग बाहर गए है अपना वेलेंटाइन सेलिब्रेट करने तो सोचा क्यों ना हम सब घर में पार्टी करे,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी ये मेरा आइडिआ नहीं है बच्चो का है”


“आपका आईडीआ हो भी नहीं सकता आप इतने सडु जो है”,मीरा ने अक्षत की बांहो के घेरे से निकलते हुए कहा
“मैं इतना भी सडु नहीं हूँ मीरा,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने बच्चो की तरह मुंह बनाकर कहा मीरा ने सूना तो मुस्कुरा उठी और जाते हुए कहा,”हम चेंज करके आते है”
“मीरा जी,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने बड़े ही प्यार से कहा
मीरा जाते जाते रुकी और पलटकर अपनी भँवे उचकाई


“क्या तुम वो रेड साड़ी पहनोगी ?”,अक्षत ने मीरा की आँखों में झांकते हुए कहा
“हम थोड़ी देर में आते है”,मीरा ने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा और वहा से चली गयी। अक्षत मुस्कुराने लगा और वही बैठा रहा कुछ देर बाद उसकी नजर सामने खड़े चीकू , काव्या और अमायरा पर पड़ी तो उसने मुस्कुराना बंद कर दिया और कहा,”ओह्ह शिट मैं भूल गया था चलो चलो पार्टी की तैयारी करते है”


अक्षत तीनो बच्चो के साथ हॉल में चला आया और पार्टी की तैयारी करने लगा। हॉल में सोफे के साथ लगी टेबल को साइड किया। म्यूजिक सिस्टम को भी हॉल में ही सेट कर लिया। लास्ट टाइम काव्या के बर्थडे पर कुछ बैलून्स बचे थे , तीनो मिलकर उन्हें फुलाने लगे , अक्षत ने कुछ पार्टी वाली लाइट्स सेट कर दी। सब काफी अच्छा लग रहा था। चीकू काव्या अमायरा तो काफी खुश हो गए वो सब सेट अप देखकर,,,,,,,,,,,,,,,,चीकू की फरमाईश पर अक्षत ने कुछ चॉकलेट्स और एक केक भी आर्डर कर दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”

रात के 9 बज रहे थे और सनशाइन होटल के लॉन एरिया का माहौल काफी बदला हुआ था। लॉन एरिया में 7 कपल टेबल लगे थे जिनमे से 4 तो व्यास फॅमिली ने ही बुक किये थे। बाकि दो पर दूसरे कपल थे और एक रिजर्व थी जिस पर किसी का आना बाकी था। दादू-दादी साथ साथ बैठे थे , दादी माँ तो खुश थी की पूरी फॅमिली वहा है लेकिन दादू वो पहली बार चिढ़े हुए थे।

कितने मन से उन्होंने दादी माँ के लिए सरप्राइज प्लान किया था और इन सबने आकर उसका कबाड़ा कर दिया। दादू के बगल वाली टेबल पर ही अर्जुन-नीता थे , कुछ दूर विजय जी और राधा बैठे थे तो उनके आगे वाली टेबल पर सोमित जीजू और नीता बैठे थे। सब चुपचाप बैठे थे बोले भी तो क्या बोले ?


कुछ देर बाद नक्ष को गोद में उठाये हनी निधि के साथ लॉन एरिया में चला आया जैसे ही उसकी नजर दादू और दादी पड़ी वह खुश हो गया। उसने दादू के पास आकर एक्साइटेड होकर कहा,”अरे दादू आप और यहाँ लगता है आप भी मेरे और निधि की तरह वेलेंटाइन डे सेलिब्रेट करने आये है”
अर्जुन और सोमित जीजू ने जैसे ही हनी की बात सुनी अपना सर पीट लिया क्योकि यहाँ आने के बाद उन दोनों की दादू से मुलाक़ात कुछ ख़ास अच्छी नहीं रही थी।

दादू ने हनी को निधि के साथ वहा देखा तो झुंझला उठे और कहा,”अगर और कोई बाकी रह गया है तो उसे भी बुला लो , सत्संग चल रहा है ना यहाँ जो  पूरा व्यास खानदान यहाँ जमा है”
दादू के अचानक गुस्सा होने से बेचारा हनी सहमकर पीछे हट गया। जीजू ने दादू को गुस्सा होते देखा तो तुरंत वहा आये और कहा,”अरे दादू पूरा खानदान नहीं आया है। मीरा और अक्षत घर में ही है , और बच्चे भी उनके साथ ही है”


दादू ने सूना तो जीजू की तरफ देखने लगे कही बात बिगड़ ना जाये सोचकर अर्जुन ने जीजू के पास आकर धीरे से कहा,”जीजू क्यों फट्टे में टाँग अड़ा रहे है ?”
अर्जुन की बात सुनकर जीजू पीछे खिसक गए। दादू को गुस्सा होते देखकर दादी माँ उनके पास आयी और कहा,”क्या कर रहे है आप ये घर के छोटे दामाद है ऐसे बात करेंगे इनसे ? आपको तो खुश होना चाहिए की पूरा परिवार यहाँ साथ है”


“लेकिन सुरेखा जी,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,दादू ने कहना चाहा तो दादी माँ ने कहा,”लेकिन वेकिन कुछ नहीं जरा देखिये आपके गुस्से की वजह से सब बच्चो के मुंह कैसे उतर गए है ? अगर ये प्रेम दिवस है तो मुझे नहीं मनाना ऐसा प्रेम दिवस , ऐसा दिन किस काम का जो परिवार के बच्चो को दुखी करे”
“वाह दादी माँ क्या बात कही है मैं दादू को कब से यही तो समझाना चाह रहा था”,अर्जुन ने भी दादी माँ की साइड आते हुए कहा।


 राधा और विजय जी ने सबको साथ देखा तो उठकर चले आये। सभी घरवालों को वहा देखकर विजय जी भी हैरान थे कुछ देर बाद उन्होंने कहा,”अब जब सब आ ही गए है तो क्यों ना एक फॅमिली डिनर हो जाये”
“तुम सबने मेरी डेट खराब की है इसकी भरपाई तुम सब लोग करोगे”,दादू ने विजय जी ने कहा तो विजय जी दादू की तरफ आये और उनके कंधो पर हाथ रखकर उन्हें बैठाते हुए कहा,”अरे पापा हम सब मिलके कर देंगे अब आप गुस्सा थूक दीजिये”


विजय जी ने वेटर को बुलाया और दादू वाली टेबल को फॅमिली टेबल बनाने को कहा। नक्ष को राधा ने अपनी गोद में ले लिया। हनी सोमित जीजू और अर्जुन की तरफ चला आया वो अभी भी उलझन में था जीजू ने देखा तो उसके कंधे पर अपनी बाँह रखते हुए कहा,”क्यों भई हनी तुम्हे भी पुरे इंदौर में यही होटल मिला था क्या ? वैसे किस गधे ने बताया तुम्हे इस जगह के बारे में ?”


“अगर मैंने आपके फेवरेट साले साहब से कहा की आप उन्हें गधा बोल रहे है तो जानते है क्या होगा ?”,हनी ने जीजू की तरफ देखकर कहा
“मतलब ये जगह तुम्हे साले साहब ने बताई है ?”,जीजू ने हैरानी से पूछा
“बताई क्या उन्होंने ही टेबल बुक किया है”,हनी ने कहा और चला गया


हनी के जाने के बाद जीजू अर्जुन की तरफ पलटे तो पाया की अर्जुन हैरानी से मुँह फाड़े खड़ा है। जीजू ने उसे कंधे से हिलाया और कहा,”अब तुम्हे क्या हुआ ?”
“आपको इस जगह के बारे में किसने बताया ?”,अर्जुन ने जीजू की तरफ देखकर पूछा
“आशु ने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब तुझे भी ये जगह आशु ने ही बताई है ?”,जीजू ने पहले आराम से कहा और फिर एकदम से दिमाग लगाया


अर्जुन ने बेचारगी से अपनी गर्दन हाँ में हिला दी तो जीजू समझ गए की हनी , अर्जुन और उन्हें यहाँ फ़साने का खुराफाती दिमाग अक्षत का था। जीजू ने अर्जुन के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”हम सबको यहाँ भेजकर खुद घर में अपनी मीरा के साथ वेलेंटाइन सेलिब्रेट कर रहे होंगे साले साहब,,,,,,,,,,,,!!”
“हाँ जीजू अब समझ आया क्यों वो सुबह चुपचाप चला गया ? आईये डिनर कर लेते है क्योकि घर जाकर तो ये भी नहीं मिलेगा”,अर्जुन ने कहा

 “मामू सब हो गया लेकिन ये छोटी मामी आने में इतना वक्त क्यों लगा रही है ?”,काव्या ने सोफे पर बैठते हुए कहा
“रुको मैं बुलाकर लाता हूँ तब तक तुम ये म्यूजिक सिस्टम पर साउंड चेक करो और चीकू तुम जाकर रघु भैया से कहो की पार्सल वाला आये तो उस से पिक कर ले”,अक्षत ने सीढ़ियों की तरफ जाते हुए कहा


“ओके चाचू”,चीकू ने कहा और चला गया। अक्षत ऊपर कमरे में आया , मीरा ने वही लाल रंग की साड़ी पहनी थी जो अक्षत ने कही थी। शीशे के सामने खड़ी मीरा अपने कानों में झुमके पहन रही थी। मीरा को उस लाल रंग की साड़ी में देखकर अक्षत का दिल धड़क उठा वह उसके पास चला आया। साड़ी के साथ के ब्लाउज की बेक थोड़ी डीप कट थी। अक्षत ने अपनी उंगलियों से मीरा की नंगी पीठ को छू लिया।

अचानक छूने से मीरा एकदम से अक्षत की तरफ पलटी और अक्षत का हाथ उसकी कमर से जा लगा। दोनों एक दूसरे की आँखो में देखे जा रहे थे। नीचे काव्या म्यूजिक सिस्टम चेक कर रही थी उसने एकदम से बटन दबाया उसमे एक बहुत ही खूबसूरत गाना बजने लगा। काव्या चेंज करती इस से पहले ही चीकू ने उसे बुला लिया और काव्या चली गयी


अक्षत मीरा की आँखों में देखे जा रहा था , अचानक मीरा का हाथ अक्षत के सीने से जा लगा तो उसे महसूस हुआ की अक्षत की धड़कने इस वक्त तेज थी। म्यूजिक सिस्टम पर बजता गाना इस वक्त उन दोनों के दिल का हाल बयां कर रहा था
“अहसास की जो जुबान बन गए , दिल में मेरे मेहमान बन गए,,,,,,,,,,,,,,आपकी तारीफ में क्या कहे ? आप हमारी जान बन गए”


“ऐसे क्या देख रहे है ?”,मीरा ने कमरे में फैली ख़ामोशी को तोड़ते हुए पूछा
“देख रहा हूँ तुम्हारी आँखे ज्यादा गहरी है या मेरा प्यार”,अक्षत ने एकटक मीरा की आँखों में देखते हुए कहा
“आपका प्यार ज्यादा गहरा है और रही आँखों की बात तो आपकी आँखों के सामने समंदर भी कम गहरे लगेंगे”,मीरा ने प्यार से कहा


“बहुत खूबसूरत लग रही हो , अगर मैं दो मिनिट और तुम्हे ऐसे ही देखता रहा तो मुझे तुम से फिर से प्यार हो जाएगा मीरा”,अक्षत ने अपलक मीरा को देखते हुए कहा
“तो हो जाने दीजिए , कहते है शराब और मोहब्बत जितनी पुरानी हो उतना सुकून देती है”,मीरा ने कहा
“ये सब तुमने कहा से सीखा ?”,अक्षत ने एकदम से कहा


“आपको क्या लगता है सिर्फ आप ही उलझी उलझी बाते कर सकते है हम नहीं , वैसे आपके लिए हमारे पास कुछ है”,मीरा ने कहा
“क्या ?”,अक्षत ने कहा
“आप हमे छोड़ेंगे तब न हम बताएँगे”,मीरा ने अक्षत की बांहो से छूटने की कोशिश करते हुए कहा


“अगर मेरा बस चले तो मैं तुम्हे कभी खुद से दूर ना जाने दू , पर फ़िलहाल मुझे ये जानना है की तुम्हारे पास मेरे लिए क्या है ?”,अक्षत ने बच्चो की तरह खुश होकर कहा।
मीरा अपने स्टडी टेबल की तरफ आयी और ड्रावर खोलकर डायरी में रखा खत निकालकर अक्षत की तरफ बढ़ा दिया। अक्षत ने खत लिया और मुस्कुराते हुए कहा,”ये तुमने मेरे लिए लिखा है ?”


“हाँ और हम चाहते है नीचे जाने से पहले आप इसे पढ़े”,मीरा ने अपने दोनों हाथो को बांधकर कहा तो अक्षत ने आगे बढ़कर उसे गले लगाया और कहा,”तुम्हारे हाथ से लिखे खत मेरे लिए इस दुनिया के सबसे अनमोल तोहफों में से एक है”
मीरा ने सूना तो मुस्कुरा उठी

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