Sanjana Kirodiwal

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Haan Ye Mohabbat Hai – 93

Haan Ye Mohabbat Hai – 93

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

सूर्या ने एक बार फिर डायरी में लिखे उस साइन को देखा। उसके चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये। वह दौड़कर अपने केबिन में आया। उसने जल्दी से अपना ड्रॉवर खोला और उसमे रखी वो चिट निकाली जो छवि दीक्षित केस के समय सूर्या को मिला करती थी। सूर्या ने देखा हर चिट में सबसे आखिर में एक साइन था। सूर्या ने उन चिट पर किये गए साइन को देखा और फिर डायरी में किये गए साइन को देखा तो एकदम से अपनी कुर्सी पर आ बैठा वो दोनों साइन अक्षत व्यास के ही थे।


सूर्या को अब समझ आया कि ये केस उसके पास इत्तेफाक से नहीं आया बल्कि अक्षत व्यास द्वारा जान बुझकर भेजा गया था। अदालत में सुनवाई के वक्त उसे मिलने वाली वो चिट अक्षत व्यास का ही काम था। सूर्या के दिल की धड़कने बढ़ गयी। अक्षत इतना मास्टर माइंड हो सकता है किसी ने सोचा नहीं था। सूर्या अक्षत के लिये अपनी नफरत अपना गुस्सा भूल चुका था। हालाँकि वह अक्षत का सीनियर था लेकिन आज खुद को उसके सामने बहुत ही छोटा समझ रहा था।

अपना सब कुछ खोने के बाद भी अक्षत व्यास ने एक चीज नहीं खोयी और वो था उसका खुद पर विश्वास,,,,,,,,,,,,अक्षत ने कर दिखाया , उसने छवि को इंसाफ भी दिलाया , असली गुनहगार को सामने भी लेकर आया , कोर्ट में जो उस पर इल्जाम लगे थे वो भी गलत साबित किये और सबकी नजरो में आज अक्षत फिर उठ गया।

छवि माधवी और अपने मामा के साथ घर जाने लगी तभी विक्की वहा आया और माधवी के सामने आकर कहा,”मुझे आपसे कुछ बात करनी है।”
“हम्म्म कहो,,!!”,माधवी ने थोड़ा कठोर होकर कहा
विक्की ने एक नजर साथ खड़ी छवि को देखा और कहने लगा,”मैं जानता हूँ मैंने छवि के साथ जो किया उसके लिए आप तो क्या दुनिया की कोई भी माँ मुझे माफ़ नहीं करेगी।

अपने गुस्से और बदले की भावना के चलते मैंने ये सब किया , मैंने ये भी नहीं सोचा कि इन सब का अंजाम इतना बुरा हो सकता है। मुझे मेरे किये की सजा मिल चुकी है जो कि बहुत थोड़ी है लेकिन मैं जिंदगीभर इस गिल्ट में जीऊंगा कि मैंने एक लड़की की जिंदगी ख़राब कर दी। मैं आप सब से हाथ जोड़कर माफ़ी मांगता हूँ,,,,,,,,,,,हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजियेगा”
“क्या मैं तुम्हे एक थप्पड़ मार सकती हूँ ?”,माधवी ने उतनी ही कठोरता से कहा


“हाँ आप मार सकती,,,,,,,,,,!”,विक्की अपनी बात भी पूरी नहीं कर पाया कि उस से पहले माधवी ने खींचकर एक थप्पड़ विक्की के गाल पर जड़ दिया।
विक्की ने कुछ नहीं कहा उसने ख़ामोशी से दुसरा गाल भी आगे कर दिया तो माधवी ने गुस्से में आकर दूसरे गाल पर भी थप्पड़ रसीद कर दिया


विक्की ने उफ़ तक नहीं की वह अपने लिये माधवी का गुस्सा समझ सकता था। उसने फिर अपना गाल आगे कर दिया तो माधवी जी ने दो चार थप्पड़ उसके गाल पर और जड़ दिए और इस बार छवि ने तड़पकर कहा,”माँ,,,,,,,,,,,,!!”
माधवी ने अपने बगल में खड़ी छवि को देखा ,  छवि की आँखों में भरे आँसूओ ने आज माधवी को बैचैन नहीं किया बल्कि वे आँसू बहुत कुछ कह रहे थे। माधवी ने विक्की की तरफ देखा और कहा,”मुझे उम्मीद है इसके बाद तुम हमेशा के लिए छवि की जिंदगी से चले जाओगे”


विक्की ने जब ये सुना तो उसके दिल में एक टीस उठी उसने एक नजर छवि को देखा और कहा,”हम फिर मिलेंगे,,,,,,,,,,!!”
“माधवी , छवि चलो यहाँ से,,,,,,!!”,छवि के मामा कमल जी ने कहा और दोनों को साथ लेकर वहा से चले गए। विक्की उन्हें जाते हुए देखता रहा  
 “विक्की ! तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? चलो घर चलते है।”,सिंघानिया जी ने आकर कहा
“मुझे माफ़ कर दीजिये डेड,,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने सिंघानिया जी के सामने आकर कहा


“तुम क्यों माफ़ी मांग रहे हो विक्की ? माफ़ी मांगने की जरूरत तो मुझे है ,, जो कुछ हुआ उसमे कही न कही गलती मेरी है , अगर सही वक्त पर सही फैसला लिया होता तो आज तुम्हे इन सब से गुजरना नहीं पड़ता,,,,,,,,,,,,,,कही ना कही मैं तुम्हारी माँ का भी गुनहगार हूँ , वो मुझे कभी माफ़ नहीं करेगी,,,,,,,,,!!”,सिंघानिया जी ने मायूस होकर कहा


“इट्स ओके डेड ! जो हुआ उसे एक बुरा ख्वाब समझकर भूल जाईये,,,,,,,,आई प्रॉमिस मेरी वजह से आपकी कम्पनी को जो नुकसान हुआ है उसे मैं फिर से उसी पोजीशन पर लाऊंगा और ये साबित कर दूंगा कि आपका बेटा हू।”,विक्की ने कहा तो सिंघानिया जी ने आगे बढ़कर विक्की को गले लगा लिया और उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा,”आई ट्रस्ट यू , चलो घर चलते है।”
सिंघानिया जी विक्की को लेकर घर के लिये निकल गए।

अक्षत अपने केबिन में आया देखा चित्रा , सचिन और माथुर साहब पहले से वहा मौजूद थे। उन्हें देखकर ही लग रहा था जैसे ढेरो सवाल उनके मन में है जो वे लोग अक्षत से पूछना चाहते थे। अक्षत अंदर आया और अपनी टेबल से पीठ लगाकर खड़ा हो गया। सभी अक्षत को देखे जा रहे थे। अक्षत ने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहने लगा,”मैं जानता हूँ आप सबके मन में इस वक्त बहुत कुछ चल रहा है जो आप लोग जानना चाहते है।

चित्रा और सचिन तुम दोनों सिर्फ मेरे असिस्टेंट ही नहीं बल्कि मेरी इस जर्नी का एक इम्पोर्टेन्ट हिस्सा भी रहे हो , और माथुर साहब आप , आपको मैंने हमेशा अपना आदर्श माना है। हाँ मैं मानता हूँ आप लोगो से ये सब से छुपाना शायद थोड़ा गलत था , मैंने अपने कठोर शब्दों से कई बार आपका दिल भी दुखाया और सबसे ज्यादा चित्रा तुम्हारा,,,,,,,,,लेकिन ये करना जरुरी था , मैं मजबूर था,,,,,,,,,,,!!”


“लेकिन ऐसी क्या मज़बूरी थी अक्षत ? जिस केस को तुम सबके सामने लड़ सकते थे उसे चुपचाप इन्वेस्टीगेट क्यों किया ?”,माथुर साहब ने पूछा
“छवि दीक्षित केस आपकी बेटी की किडनेपिंग से जुड़ा था न फिर आपने सिर्फ छवि को इंसाफ दिलाया , आपकी बेटी का क्या ? उसके कातिल कहा है क्या आपको पता चला ?,सचिन ने सवाल किया


“ये जानते हुए भी कि सूर्या सर आपसे नफरत करते है आपको अपना दुश्मन समझते है , आपने छवि को उनके पास क्यों भेजा ?”,चित्रा ने सवाल किया
अक्षत ने एक ठंडी आह भरी और कहा,”छवि का रेप जिसने किया वो और अमायरा की किडनेपिंग जिसने की वो दो अलग लोग है,,,,,,,,,अमायरा की किडनेपिंग का छवि के केस से कोई कनेक्शन नहीं है,,,,,,,,!!”
“व्हाट ? लेकिन ये कैसे हो सकता है ? तुम्हारी बेटी को इसलिए तो किडनेप किया गया था ताकि तुम छवि दीक्षित केस से पीछे हट जाओ,,,,,,,,,!!”,माथुर साहब ने हैरानी से पूछा


“नहीं सर अमायरा के साथ जो हुआ वो पर्सनल था , किसी की सोची समझी चाल थी,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने उदास होकर कहा और ये कहते हुए अमायरा का चेहरा एकदम से उसकी आँखों के सामने आ गया।  
“मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा अक्षत,,,,,,,,,,,,,!”,माथुर साहब ने कहा
अक्षत ने शुरू से सब बताना शुरू किया,”छवि दीक्षित केस को जिसने अंजाम दिया वो शख्स कुमार था , विक्की को इस केस में फंसाकर वह आसानी से बच गया था तो उसे अमायरा को किडनेप करने की जरूरत क्यों पड़ती ?

छवि के रेप के बाद भी ये केस मेरे सीनियर वकील के पास था केस की सुनवाई से एक रात पहले  उनका एक्सीडेंट होना और केस का मेरे पास आना,,,,,,,,,,,,,ये कोई इत्तेफाक नहीं था सर ! केस की छानबीन करते हुए कुछ वक्त बाद ही मुझे ये समझ आ गया था कि “विक्की सिंघानिया” मुजरिम नहीं है उसे बस फंसाया जा रहा है। अमायरा के किडनेप होने तक मुझे यही लगता रहा कि ये दोनों बातें एक दूसरे से जुडी है

मेरा पहला शक “गौतम सिंघानिया” पर था अपने बेटे को बचाने के लिये वह ऐसा कर सकता था लेकिन जब गौतम सिंघानिया आसानी से रॉबिन को इस केस में मुजरिम बना सकता है तो वह अमायरा को किडनेप क्यों करवायेगा ? ये बात सुनवाई के आखरी दिन साबित हो चुकी थी जब मेरे चुप रहने के बाद भी किडनेपर ने अमायरा को,,,,,,,,,,,,,,,,हाह,,,,,,,,,,,,,,,उस दिन समझ आया कि ये जो कुछ भी हो रहा था वो सब मुझसे जुड़ा था।”


कहकर अक्षत कुछ देर के लिये खामोश हो गया ,  अमायरा के साथ हुआ हादसा एकदम से अक्षत की आँखों के सामने आ गया। चित्रा और सचिन ख़ामोशी से अक्षत की बात सुन रहे थे।
“क्या ये सच है ? और ऐसा कौन हो सकता है जो तुम्हे नुकसान पहुंचाएगा ?”,माथुर साहब ने पूछा
“है सर , कोई तो है जो मुझे बहुत करीब से जानता है। उसका मकसद सिर्फ अमायरा ही नहीं बल्कि मुझे बर्बाद करना भी था और वो अपने मकसद में कामयाब भी हुआ , मेरी बेटी मुझसे छीन गयी , मेरी मोहब्बत मीरा मुझसे दूर हो गयी ,

मेरी वकालत पर धब्बा लग गया और मैं सब से दूर हो गया। वो यही चाहता था और उसने ये किया भी,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन उसका खेल यही खत्म नहीं होता। मैं जानता था छवि दीक्षित अपना केस फिर से रीओपन जरूर करेगी और फिर से उस केस को अपने हाथ में लेना मेरी सबसे बड़ी हार होती,,,,,,,,,,,,क्योकि किडनेपर का टारगेट छवि नहीं मैं था और मैं फिर से किसी की जिंदगी को  खतरे में नहीं डाल सकता था इसलिये ये जानते हुए भी कि सूर्या मित्तल मेरे कॉम्पिटिटर है मैंने जान-बूझकर छवि को उसके पास भेजा,,,,,,,,,,,,

क्योकि अगर किडनेपर मेरे दोस्तों के बारे में जानकारी रख सकता है तो उसे मेरे दुश्मनो का भी पता होगा। उसे मुझे हारते हुए देखने से ज्यादा मुझे लोगो की नजरो में गिरते देखना ज्यादा पसंद आ रहा था और ऐसा हुआ भी,,,,,,,,,,,,,,इस केस को लड़ने का फैसला ना कर मैं उन सब लोगो की नजरो में गिर चुका था जिन्हे मुझसे उम्मीद थी,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए अक्षत ने चित्रा और सचिन की तरफ देखा तो दोनों ने अपना सर झुका लिया क्योकि इस केस के चलते चित्रा ने कई बार अक्षत को कठोर शब्द कहे थे  

अक्षत ने माथुर साहब को देखा और कहने लगा,”मैं किडनेपर को जिस भरम में रखना चाहता था वो उसमे चला भी गया और उसे लगा कि मैंने हार मान ली , अदालत में भले ही वो केस सूर्या मित्तल लड़ रहा था लेकिन उसे चलाने वाला मैं था। मैं छवि दीक्षित की हर सुनवाई में आया था,,,,,,!!”
अक्षत ने कहा तो चित्रा ने हैरानी से उसे देखा अक्षत ने आगे कहना शुरू किया,”मैं अगर केस में सामने आता तो कुमार तक कभी नहीं पहुँच पाता , सच्चाई तक पहुँचने के लिये मुझे ये सब करना पड़ा।

अमायरा के कातिल को ढूंढने से भी ज्यादा जरुरी था छवि को इंसाफ दिलाना और अगर मैं ऐसा नहीं करता तो अमायरा मुझे कभी माफ़ नहीं करती,,,,,,,,,,,,! ये सब करते हुए अगर मैंने आप लोगो का दिल दुखाया है तो मैं आप सबसे माफ़ी चाहूंगा”
“अक्षत ! कैसी बातें कर रहे हो तुम ? तुम्हे किसी से माफ़ी मांगने जरूरत नहीं , अपना सब कुछ खोने के बाद भी तुमने छवि के लिये ये लड़ाई लड़ी,,,,,,,,,,और उसे इंसाफ भी दिलाया ,, तुम्हारी माफ़ी इसके सामने कुछ भी नहीं है,,,,,,,,,,,,

आई ऍम प्राउड ऑफ़ यू अक्षत , आज तुम मेरी नजरो में और ऊपर उठ गए हो।”,माथुर साहब ने अक्षत के पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
अक्षत ने नम आँखों के साथ हाँ में गर्दन हिला दी उसके पास आगे कहने के लिये कुछ नहीं था। बची बातें वह कोर्ट में पहले ही बता चुका था।

चित्रा को अपनी गलती का अहसास हुआ वह अक्षत के सामने आयी और कहा,”मुझे माफ़ कर देना सर , मैं आपको समझ नहीं पायी ,, छवि को इन्सांफ दिलाने के चलते मैं ये भी भूल गयी कि आपने क्या खोया है ?”
 हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजियेगा,,!!”
“इट्स ओके मुझे बुरा नहीं लगा,,,,,,,,,,तुम अपनी जगह सही थी , तुम्हारा गुस्सा भी सही था। ये अदालत एक ऐसी जगह है चित्रा जहा कुछ चीजे खुद से भी छुपानी पड़ती है , तुम्हारे और सचिन के लिये मेरी तरफ से ये वकालत का सबसे बड़ा सबक होगा।”


चित्रा ने सुना तो हामी में सर हिला दिया।अक्षत ने सचिन के कंधे पर हाथ रखते है हुए कहा,”तुम्हे बहुत आगे जाना है सचिन,,,,,,और मुझे यकीन है तुम ये कर लोगे,,,,,,,,,,!!”
“थैंक्यू सर,,,,,,लेकिन आगे बढ़ना है लेकिन आपके साथ आपके बिना नहीं”,सचिन ने नम आँखों के साथ कहा
“अक्षत छवि को इंसाफ मिल गया लेकिन उस किडनेपर का क्या ?”,माथुर साहब ने परेशानी भरे स्वर में कहा


अक्षत के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और उसने गंभीरता से कहा,”मैं उसके बहुत करीब हूँ सर,,,,,,,,बहुत जल्द वो सामने होगा।”
अक्षत ने इतना ही कहा कि उसका फोन बजा स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर देखकर अक्षत के होंठो पर मुस्कान तैर गयी वह जो चाहता था वह हो चुका था,,,,,,,,,,,,,,!!

अक्षत ने फोन उठाया और अपने चेंबर से बाहर चला आया। उसने फोन उठाकर कान से लगाया और कहा,”मुझे पता था तुम मुझे फोन जरूर करोगे,,,,,,,,!!”
“कोन्ग्रेचुलेशन मिस्टर अक्षत व्यास,,,,,,,,,,,,बहुत अच्छा गेम प्लान किया तुमने , छवि को तो तुमने इंसाफ दिला दिया लेकिन अपनी बेटी को इंसाफ नहीं दिला पाये , उसे किसे मारा इसका पता तुम आज भी नहीं लगा पाए

च्च्च्चच्च्च्च मुझे तुम्हारी हालत देखकर बहुत दया आ रही है।”,दूसरी तरफ से एक जानी पहचानी आवाज अक्षत के कानों में पड़ी , जिसे सुनने की अब अक्षत को आदत हो चुकी थी।
अक्षत हल्का सा मुस्कुराया और कहा,”तुमने क्या मुझे बेवकूफ समझ रखा है , तुम्हे लगता है मैं अमायरा के कातिल तक पहुँच नहीं पाऊंगा,,,,,,,,,,,,ये खेल तुमने शुरू किया है लेकिन इसे ख़त्म मैं करूंगा,,,,,,,,,,,,,,,दो दिन सिर्फ दो दिन के अंदर तुम घुटनो के बल मेरे सामने होंगे”


“आई लव देट कॉन्फिडेंस,,,,,,,,यू नो तुम्हारी यही बात मुझसे सबसे ज्यादा पसंद है तुम्हारा ये ओवर कॉन्फिडेंस,,,,,,,,,,,,,,,,चलो मैं तुम्हे एक मौका देता हूँ बहुत खेल ली छुपम छुपाई अब फेस टू फेस खेलते है। मैं तुम्हे 24 घंटे देता हूँ मुझे पकड़कर दिखाओ , अगर तुमने कर दिखाया तो जीत तुम्हारी और नहीं तो इसके बाद मेरा नेक्स्ट टारगेट “मीरा सिंह राजपूत” होगी , मैं मीरा को मार दूंगा,,,,,,,,,,,

तुम्हारे लिये ये गेम मैं थोड़ा आसान कर देता हूँ “start from the beginning” मिस्टर अक्षत व्यास,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुड बाय”,दूसरी तरफ से आवाज आयी और फोन कट गया
अक्षत ने कुछ नहीं कहा ना ही वह घबराया और ना ही उसने कोई प्रतिक्रया दी उसने अपना फोन होंठो से लगाया और बड़बड़ाया,“start from the beginning”

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