Haan Ye Mohabbat Hai – 87
Haan Ye Mohabbat Hai – 87
सौंदर्या ने जब विवान सिंह को वहा देखा तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया। उसका दिल धड़कने लगा। विवान सिंह को वहा देखकर सौंदर्या हैरान थी। सौंदर्या ने सोचा नहीं था जिस भाई पर वह आँख बंद करके भरोसा कर रही है वही भाई आज उसके खिलाफ खड़ा है। विवान सिंह अंदर आया तो इंस्पेक्टर ने सौंदर्या से कहा,”ये है सबूत , इन्होने ही आपके खिलाफ कंप्लेंट लिखवाई है कि आपने इनके बड़े भाई को जान से मारने की कोशिश की है।”
सौंदर्या ने सुना तो विवान सिंह की तरफ आयी और उनकी कॉलर पकड़कर गुस्से से कहा,”धोखेबाज , मैंने तुम पर आँख बंद करके भरोसा किया और तुमने , तुमने मेरी ही पीठ में छुरा घोप दिया।”
सौंदर्या के बदतमीजी भरे स्वर सुनकर विवान सिंह ने गुस्से से लेकिन दबी आवाज में कहा,”कर्मा सौंदर्या , तुमने भाईसाहब को धोखा दिया और मैंने तुम्हे,,,,,,,,,,,,हम जो करते है वो लौटकर किसी ना किसी रूप में हमारे पास वापस जरूर आता है।”
सौंदर्या ने सुना तो इंस्पेक्टर कदम्ब की तरफ पलटी और कहा,”इंस्पेक्टर ये सब में मैं अकेली शामिल नहीं हूँ , इनका भी इसमें हाथ है ,, ये भी भाईसाहब और मीरा की जायदाद हड़पना चाहते थे , इन्होने भी इन सब में मेरा पूरा साथ दिया है अगर गिरफ्तार करना ही है तो इन्हे भी कीजिये,,,,,,,,,,,!!”
“देखा इंस्पेक्टर जब इनका सच बाहर आया तो इन्होने मुझे इसमें फंसा दिया , अरे ! मेरे पास किस चीज की कमी है ,, अगर मुझे भाईसाहब की जायदाद चाहिए
होती तो मैं खुद सौंदर्या का पर्दा-फाश क्यों करता ? ये औरत लालच और धोखेबाजी में इतना गिर चुकी है कि अब मुझ पर इल्जाम लगा रही है। इंस्पेक्टर गिरफ्तार कर लीजिये इसे और कानून से कड़ी से कड़ी सजा दिलवाइये”,विवान सिंह ने नफरत भरे स्वर में कहा
“कॉन्स्टेबल ! गिरफ्तार कर लो इसे,,,,,,,!!”,इंपेक्टर कदम्ब ने सौंदर्या की तरफ हाथ करके कहा
“इंस्पेक्टर मेरा विश्वास कीजिये , मैं सच बोल रही हूँ विवान भाईसाहब भी इन सब में मेरे साथ मिले हुए थे।
आप मेरी बात का यकीन कीजिये,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा लेकिन तब तक उनके हाथो में हथकड़ी पहनाई जा चुकी थी। सौंदर्या बार बार कहती रही लेकिन किसी ने उसकी बात का यकीन नहीं किया।
आखिर में इंस्पेक्टर कदम्ब ने परेशान होकर कहा,”बस कीजिये , बहुत झूठ बोल चुकी आप ,, अब अपनी बाकी की सफाई कोर्ट में दीजियेगा”
“वो सच कह रही है।”,एक जानी पहचानी रौबदार आवाज सभी के कानों पड़ी। सबने आवाज वाली दिशा में देखा तो दिवार के साइड से निकलकर अक्षत सबके बीच आया। अक्षत को वहा देखकर विवान सिंह के चेहरे के भाव बदल गए लेकिन वे खामोश रहे तो वही इंस्पेक्टर कदम्ब अक्षत को वहा देखकर हैरान थे।
“मिस्टर व्यास आप यहाँ ?”,इंस्पेकटर कदम्ब ने पूछा
“हाँ इंस्पेक्टर कुछ भूल गया था बस वही लेने आया था। मुझे पुलिस से ये उम्मीद तो बिल्कुल नहीं थी।”,अक्षत ने पहेलियाँ बुझाते हुए कहा
“क्या मिस्टर व्यास ? मैं आपकी बात समझा नहीं,,,,,,,,,,,,,,!!”,इंस्पेक्टर कदम्ब ने कहा
अक्षत ने विवान सिंह को देखा और कहा,”कैसे है आप ? आपको नहीं लगता मुंबई से यहाँ आने में आपने बड़ी जल्दी की ,, किसी अनजान ने आपको एक कॉल किया और आप यहाँ चले आये,,,,,,,,,,,,,,ऐसी भी क्या जल्दी थी विवान सिंह जी,,,,,,,,,,,,!!”
विवान सिंह ने सुना तो उसके चेहरे पर हवइया उड़ने लगी।
दरअसल विवान को पता ही नहीं था कि सौंदर्या का सच मीरा के सामने आ चुका है , अमर जी के मैनेजर ने विवान सिंह को कॉल करके धोखे से यहाँ बुलाया था और वे अपने ही बुने जाल में खुद फंस गए लेकिन जब उन्हें सब पता चला तो खुद को बचाने के लिये उन्होंने सारा इल्जाम सौंदर्या पर डाल दिया।
विवान सिंह को खामोश देखकर इंस्पेक्टर ने कहा,”अक्षत ये क्या कह रहा है विवान सिंह जी,,,,,,,,,,?”
“अरे ! बकवास कर रहा है ये , मुझे कोई अनजान कॉल नहीं आया था भाईसाहब के ऑफिस से फोन आया था वही से मुझे सौंदर्या की इस हरकत का पता चला। भाईसाहब और मीरा किसी मुसीबत में ना हो सोचकर मैं तुरंत यहाँ चला आया। अक्षत अपनी निजी दुश्मनी के चलते मुझे भी इसमें फंसाना चाहता है लेकिन मैं ऐसा होने नहीं दूंगा”,विवान सिंह ने खुद को बचाने की कोशिश करते हुए कहा।
अक्षत ने सुना तो मुस्कुराया और कहने लगा,”इंस्पेक्टर सौंदर्या जी इस खेल में सिर्फ एक मोहरा है लेकिन उस मोहरे को चलाने वाले विवान सिंह है। इन्होने सौंदर्या जी को मीरा और उसके पापा की दौलत का लालच दिया और इन्हे सबके सामने कर खुद पीछे बैठकर इस घटिया खेल को खेलते रहे। इनका ये खेल में काफी पहले समझ गया था जब मीरा के पापा के इस शहर में ना होने के बाद भी ये उनकी कम्पनी के शेयर्स बेचने उनके ऑफिस गए लेकिन इत्तेफाक से पापा ने कम्पनी के फैसले लेने का हक़ मीरा और मेरे कंधो पर डाल दिया
शायद वे इनकी नियत जानते थे। मीरा को व्यास हॉउस से अपने घर लाने वाले खुद उसके पापा थे और दो दिन बाद ही वो मीरा को अकेला छोड़कर इस शहर से चले गए ये बात मुझे हजम नहीं हो रही थी। छानबीन करने पर पता चला कि विवान सिंह के आर्डर पर सौंदर्या जी ने उन्हें किडनेप करके शहर से बाहर रखा है ताकि वे मीरा से मिल ना पाए और इन लोगो का सच सामने ना आ पाये। विवान सिंह के कहने पर ही इन्होने पापा को टक्कर मारी लेकिन किस्मत से वो बच गए।
जब मैं उनसे मिलने हॉस्पिटल पहुंचा तब इन्होने ही विवान सिंह के कहने पर उनके वेंटिलेटर का वायर निकाला था लेकिन मैंने कहा ना किस्मत,,,,,,,,,,,किस्मत ने उन्हें फिर बचा लिया। दौलत के लालच में ये लोग इतने अंधे हो गए कि सौंदर्या जी ने पापा को दवाईयों के साथ स्लो पोइजन देना शुरू कर दिया जिस से धीरे धीरे वो मौत की तरफ जा रहे थे लेकिन यहाँ भी किस्मत ने उनका साथ दिया और होती इस से पहले इनका खेल सबके सामने आ गया।”
अक्षत की बात सुनकर विवान सिंह के चेहरे पर चिंता की लकीरे उभर आयी और सौंदर्या ने अपना सर झुका लिया।
मीरा ये सब के लिये उसे पहले ही अपमानित कर चुकी थी और अब अक्षत भी भिगो कर जूते मार रहा था। विवान सिंह इतनी जल्दी हार मानने वालो में से नहीं था इसलिए आगे आकर कहा,”बहुत बढ़िया दामाद जी , बहुत अच्छी कहानी बनायीं आपने जब आपने इतना सब पता लगा ही लिया है तो फिर आप अमायरा को कैसे भूल गए ? अमायरा का किडनेप करवाने वाली कोई और नहीं बल्कि सौंदर्या ही है ,
अमर जी ये सच्चाई जानते थे इसलिए तो इसने उनका किडनेप करवाया और जब इसे पता चला इसका सच सबके सामने आ जायेगा तो इसने अमायरा को मौत के घाट उतार दिया और अब जब इसे लगा कि सब सामने आ चूका है तो इसने अपने इस गंदे खेल में मुझे भी शामिल कर लिया।”
अमायरा का नाम सुनकर अक्षत के चेहरे पर एक बारगी तकलीफ के भाव आये लेकिन अगले ही पल उनसे खुद को मजबूत कर लिया और गुस्से से कहा,”इन्होने अमायरा को नहीं मारा है , तुम में से किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मेरी बेटी को छू भी सके,,,,,,,,,,,,,,खुद को बचाने के लिये आप बस झूठ बोल रहे है।”
“नहीं अक्षत मैं झूठ क्यों बोलूंगा ? मैं सच कह रहा हूँ अमायरा को इसने ही मारा है,,,,,,,,,,,,,,मीरा , मीरा भी ये सच जानती है।”,विवान सिंह ने फिर एक कोशिश करते हुए कहा
“बस कीजिये भाईसाहब , और कितना झूठ बोलेंगे आप,,,,,,,,,,,,,,मैंने अमायरा को नहीं मारा है अक्षत , मैं उस से और मीरा से नफरत जरूर करती थी लेकिन मैंने कभी उसे मारने के बारे में नहीं सोचा,,,,,,एक माँ होकर किसी बच्चे की जान नहीं ले सकती मैं ऐसा कभी नहीं,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए सौंदर्या रोने लगी
अक्षत ख़ामोशी से विवान सिंह को देखने लगा और फिर कहा,”आगे का सच आप बताएँगे या मैं बताऊ ?”
“को को कौनसा सच ? मैंने मैंने अमायरा को नहीं मारा है , मेरा यकीन करो अक्षत मैंने उसे नहीं मारा है,,,,,,,,,,,,,,!!”,विवान सिंह ने घबराकर कहा
“मैं जानता हूँ आपने अमायरा को नहीं मारा है।”,अक्षत ने बिना किसी भाव के शांत स्वर में कहा तो सब हैरानी से उसे देखने लगे। इंस्पेक्टर कदम्ब भी ख़ामोशी से सब समझने की कोशिश कर रहे थे।
अक्षत ने आगे कहा,”लेकिन आप मीरा को क्यों मारना चाहते थे ?”
अक्षत का सवाल सुनकर विवान सिंह के चेहरे पर एक बार फिर परेशानी के भाव उभर आये और उन्होंने कहा,”नहीं , ऐसा नहीं है मैं भला मीरा को क्यों मारूंगा मेरा यकीन करो अक्षत मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है ?”
अक्षत ने कुछ नहीं कहा बस अपने जेब से फोन निकाला और उसमे कुछ ऑन करके फोन स्पीकर पर डाल दिया। सभी ध्यान लगाकर उसे सुनने लगे जिसमे विवान सिंह किसी से कह रहा था
“भाईसाहब ने मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा किया है , उन्होंने अपनी सारी जायदाद उस फटीचर मीरा के नाम कर दी। उसकी मंजूरी के बिना भाईसाहब की दौलत हासिल करना तो दूर उस में से एक छोटा सा हिस्सा भी नहीं ले सकते,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मार दो मीरा को , मीरा अब हमारे गले की फ़ांस बनती जा रही है।”
“लेकिन ऐसे किसी को मारना इतना आसान नहीं है , ऊपर जवाब देना पड़ता है और फिर मीरा कोई छोटी मोटी इंसान नहीं है उसके साथ काफी टाइट सिक्योरिटी है। हम सब इसमें फंस सकते है।”,एक अनजान मर्दाना आवाज उभरी
“तुम्हे मैंने इतने पैसे क्या बहाने बनाने के लिये दिए है ? मीरा को किसी भी केस में फंसाओ और कस्टडी में का दिखावा कर हमेशा के लिये उसे गायब कर दो , ये तो कर पाओगे ना तुम ?”,विवान सिंह की आवाज उभरी
“ठीक है सर मैं करता हूँ। कल आप किसी भी तरह मीरा को पार्क एवेन्यू होटल अकेले बुला लीजिये उसके बाद मैं सब सम्हाल लूंगा”,वही अनजान मर्दाना आवाज उभरी जिसे इंस्पेक्टर कदम्ब कुछ कुछ पहचान रहे थे
“ठीक है हो जायेगा”,विवान सिंह ने कहा
रिकॉर्डिंग बंद हो गयी। विवान सिंह के माथे पर पसीने की बुँदे झिलमिलाने लगी। सौंदर्या हैरानी से विवान सिंह को देख रही थी विवान सिंह तो उस से भी दो कदम आगे निकले। इंस्पेकटर कदम्ब ने अक्षत की तरफ देखा और कहा,”ये आवाज तो इंस्पेकटर विक्रम की है तो क्या वो भी ?”
अक्षत फीका सा मुस्कुराया और कहा,”पैसा इंस्पेकटर कदम्ब , पैसा इंसान को खरीद और बेच सकता है।”
अक्षत ने विवान सिंह की तरफ देखा और कहा,”उस दिन मीरा को होटल बुलाने वाले आप थे , आपके प्लान के मुताबिक इंस्पेक्टर ने ड्रग्स के झूठे केस में मीरा को गिरफ्तार कर लिया और पुलिस स्टेशन ले आये। वो मीरा पर प्रोस्टीटूट का चार्ज लगाकर उसे इस शहर से बाहर भेजने वाले थे लेकिन किस्मत,,,,,,,,,,,,मीरा की किस्मत मुझसे जुडी है , आप ये देखना भूल गए कि उसके सामने ढाल लेकर अक्षत व्यास खड़ा है।”
विवान सिंह अक्षत के सामने आया और गिड़गिड़ाते हुए कहने लगा,”अक्षत , अक्षत मुझे माफ़ कर दो ,, मुझे माफ़ कर दो पैसे के लालच में मैं भूल गया था कि मैं अपनी ही भतीजी के साथ इतना बुरा करने जा रहा हूँ। मीरा मेरी,,,,,,,,,,,,!!”
विवान सिंह आगे कह पाता इस से पहले ही अक्षत ने एक तमाचा उनके गाल पर रसीद कर गुस्से से कहा,”अपनी गन्दी जबान से मीरा का नाम भी मत लेना। तुम लोग खुद को उसका परिवार कहते हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,असल मायनों मे तुम लोग ही उसके सबसे बड़े दुशमन हो। मीरा के साथ तुम लोगो ने जो किया है उसके लिये मीरा भले तुम सबको माफ़ कर दे लेकिन मैं कभी माफ़ नहीं करूंगा। इंस्पेकटर ले जाईये इन दोनों को,,,,,,,,,,!!”
इंस्पेक्टर कदम्ब ने कॉन्स्टेबल से इशारा किया। कॉन्स्टेबल ने विवान सिंह को भी गिरफ्तार किया और सौंदर्या के साथ लेकर वहा से बाहर निकल गए। अक्षत भी इंस्पेक्टर कदम्ब के साथ घर से बाहर चला आया। घर के दरवाजे के बाहर वरुण खड़ा था विवान सिंह की नजर उस पर पड़ी तो उन्होंने हैरानी से कहा,”वरुण तुम ?”
वरुण ने एक नजर अक्षत को देखा और विवान सिंह से कहा,”आई ऍम सॉरी डेड लेकिन मैं आपके इस घटिया प्लान का हिस्सा नहीं बन पाया ,, मैंने ही आपके फोन से वो रिकॉडिंग अक्षत जीजू को दी थी। मैं एक क्रिमिनल को बचाने की कोशिश कभी नहीं करूँगा फिर वो मेरे डेड ही क्यों न हो ?”
विवान सिंह ने सुना तो शर्म से उनका सर झुक गया और कॉन्स्टेबल उन्हें लेकर आगे बढ़ गया। अक्षत वरुण के सामने आया और कहा,”थैंक्यू वरुण ! तुमने मेरी
बहुत मदद की है ,, मैं तुम्हारा ये अहसान कभी नहीं भूलूंगा।”
“जीजू अगर आप इसे अहसान का नाम दे ही रहे है तो मैं चाहूंगा आप मुझ पर एक अहसान और करे,,,,,,,!!”,वरुण ने कहा
“हम्म्म कहो,,,,,,,!!”,अक्षत ने पूछा
“मीरा दी को फिर से अपना लीजिये जीजू , आपके अलावा उसका इस दुनिया में कोई नहीं है।
उनका अपना ही परिवार उनका दुश्मन बन गया है और मैं कभी नहीं चाहूंगा वो ऐसे परिवार का हिस्सा रहे,,,,,,,,,,,,उन्हें घर ले जाईये जीजू”,कहते हुए वरुण की आँखों में आँसू भर आये और उसने अक्षत के सामने अपने हाथ जोड़ दिए
अक्षत ने सुना तो उसके सीने में एक टीस उठी कि क्यों उसने मीरा को खुद से इतना दूर कर दिया। अक्षत ने आगे बढ़कर वरुण को गले लगाया और कहा,”बहुत जल्द मीरा अपने घर में होगी , अपनों के बीच”
वरुण खुश हो गया और वहा से चला गया। इंस्पेक्टर कदम्ब ने भी अक्षत से हाथ मिलाया और कहा,”वकील होकर पुलिस वालो के साथ दोस्ती निभा रहे हो मिस्टर व्यास , आई ऍम प्राउड ऑफ़ यू,,,,,,,,,,,इस जीत पर एक कप चाय तो बनती है।”
“आज नहीं इंस्पेक्टर कदम्ब फिर कभी,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा
“तुम कही जा रहे हो ?”,कदम्ब ने पूछा
अक्षत के चेहरे पर गंभीरता के भाव आये और उसने कहा,”हाँ इंस्पेक्टर , अभी बहुत से चेहरों से नकाब उतरना बाकि है।”
कहकर अक्षत वहा से चला गया और इंस्पेकटर कदम्ब मुस्कुरा उठे।
Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87
Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87 Haan Ye Mohabbat Hai – 87
Continue With Haan Ye Mohabbat Hai – 88
Visit Website sanjanakirodiwal.com
Follow Me On instagram
संजना किरोड़ीवाल
Vivan or Soundarya ka kaam to khatam ab next kumar or Shubh bacha hai…
I strongly feel shubh ne hi Amu ko mara hai..
Par isse pahle Akshata please meera se mil lo ek bar she is waiting for you…
Bahut din se door ho dono ….. sach me tumne bauht jyda gussa kar diya hai meera par…
Sanjan ji request please kuch acche life ke parts send karna sab k sach samne aate story band mat kar dena ..
Aise Akshat ne Meera ke gharwalo ka sach samne laye aur bataya ki uske apne hi uske dushman hai waise hi bahut jald yeah bi proof kar dega ki Amaira ko kisne mara aur Chavi ke saath galat kisne kiya..aur humme bi uss din ka intazaar hai jab Akshat Meera ko pure hakh se wapas apni life me layega…interesting part Maam♥♥♥♥♥♥
👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
Very very nice👍👍👍👏👏👏😊😊😊👏
Jitna iss kahani ne hume unki duriyon se rulaya hai aaj vahi hume khushiyon se bhar rahi hai hume andaza nahi tha Meera ke chacha vivan singh isme mastermind honge hum Saundarya ko bura bhara keh rhe the par uske kandhe par gun rakhi gyi thi haan isse Saundarya achii nhi ho jaati lekin ab bhi amayra ka katil bacha hai kumar kuch to janta hai isiliye vo vikki ko sachai tak pahuchne nahi de raha Surya pe hume gussa aa rha andha ho gya hai Akshat ko harane ke chakkar me khair bas ab amayra ke katil ke samne aane ka intazar hai bhut dard me dekh liya humare Akshat Meera ko ab sirf muskurahat chahiye dono ki Zindagi aur dono ek dusre ki zindagi me bhut jhel liya Akshat bhut dur reh Li Meera ab bas 🥹🥹🥹🥹🥹🥹🥹
Very nice part