Sanjana Kirodiwal

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Haan Ye Mohabbat Hai – 85

Haan Ye Mohabbat Hai – 85

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

सौंदर्या की बाते सुनकर घर में हर कोई हैरान था। किसी को सौंदर्या से ये उम्मीद बिल्कुल नहीं थी। सौंदर्या कुछ देर खामोश रही और फिर कहने लगी,”मैं अपनी बेटी की शादी उस महल में करना चाहती थी लेकिन एक दिन पता चला कि भाईसाहब ने वो महल अपनी नातिन के नाम कर दिया है। इस घर को इस घर के लोगो को मैंने कितना प्यार और समय दिया लेकिन बदले में मुझे क्या मिला कुछ भी नहीं,,,,,,,,,,,,,मुझे वो महल चाहिए था और भगवान ने मेरी सुन ली ,

अमायरा इस दुनिया से चली गयी और महल फिर मेरे हाथ आ गया लेकिन इसी बीच पता चला कि मीरा भी अक्षत को छोड़कर अपने पापा के घर आ गयी है तब मेरे मन में लालच आया कि अगर अमायरा के जाने से महल मेरा हो सकता है तो मीरा और अक्षत को दूर करके , मीरा के हिस्से में आयी जायदाद क्यों नहीं ? बस उसी दिन से मैंने मीरा के मन में जहर भरना शुरू कर दिया,,,,,,,,,,,,,मीरा को अक्षत से दूर करने के लिये मैं जो कर सकती थी मैंने वो किया,,,,,,,,,,व्यास  हॉउस में अक्षत को तलाक के पेपर मैंने ही भिजवाए थे ,

भाईसाहब जब हॉस्पिटल में थे तब अक्षत पर झूठा इल्जाम लगाकर उसे जेल भी मैंने ही भिजवाया था , अखिलेश के साथ मिलकर चाइल्ड होम को बेचने का प्लान भी मेरा ही था , मीरा को अक्षत से हमेशा के लिये दूर करके मैं उसकी शादी अपने पसंद के लड़के से करवाकर उसकी सारी जायदाद अपने नाम करवाना चाहती थी लेकिन उस से पहले,,,,,,,,,,,,,,हाँ मैं दौलत के लालच में अंधी हो गयी थी और इसी लालच के चलते मैं सही और गलत में फर्क भी भूल गयी,,,,,,,,,,,,,लेकिन मेरा यकीन करो मीरा मैंने तुम्हारी बेटी अमायरा को नहीं मारा,,,,,,,,,,,,,,

मैं मैं अपनी दोनों बेटियों की कसम खाकर कहती हूँ मैंने उसे नहीं मारा,,,,,,,,मैं उसे मारने का सोच भी नहीं सकती मीरा ,, मैं इस बारे में कुछ नहीं जानती,,,,,,,,,,,मेरा यकीन करो।”
कहते हुए सौंदर्या घुटनो के बल गिरकर रो पड़ी लेकिन मीरा पर उसके आँसुओ का कोई असर नहीं हुआ। वह सौंदर्या के पास आयी और कठोरता से कहा,”हमे आपकी किसी भी बात पर भरोसा नहीं है भुआजी,,,,,,,,,,,अगर आपने अमायरा को नहीं मारा तो आप उसके कातिल के बारे में कैसे जानती है ?”


मीरा का सवाल सुनकर सौंदर्या ने भीगी आँखों से उसे देखा और कहने लगी,”अमायरा की मौत के बाद जब भाईसाहब तुम्हे यहाँ लेकर आये तब कुछ दिन बाद ही उन्हें मुझ पर शक होने लगा। मेरा बना बनाया प्लान बिगड़ ना जाये सोचकर मैंने उन्हें अगवा करवाकर शहर से बाहर रखा सोचा अपने प्लान में कामयाब होने के बाद उन्हें छोड़ दूंगी ,, भाईसाहब की गैर मौजूदगी में जब मैंने उनके शेयर्स बेचने की कोशिश की तो पता चला कि उन्होंने अपने ऑफिस के शेयर्स तुम्हारे और अक्षत के नाम कर दिए है,,,,,,,,,,,,,,,,,,

अक्षत इन सब में कभी मेरा साथ नहीं देता इसलिए मैंने तुम्हे अपने काबू में करना शुरू कर दिया। सब सही चल रहा था और इसी बीच भाईसाहब वहा से भाग निकले लेकीन उनका एक्सीडेंट हुआ और वो इस हालत में आ गए लेकिन मुझे डर था कि किसी दिन ये तुम्हे सच ना बता दे इसलिए उस सुबह किडनेपर बनकर मैंने ही तुम्हे फोन किया था और सिरपुर झील बुलाया था।

वो डिब्बा मैंने ही वहा रखवाया था जिसमे भाईसाहब के हाथ का कडा था जिसे देखकर तुम्हारा शक भाईसाहब पर चला जाये और अमायरा की मौत का जिम्मेदार तुम उन्हें मानने लगो और उनसे नफरत करने लगो। ये सब मैंने खुद को बचाने के लिये किया मीरा,,,,,,,,,,,मेरा यकीन करो मैंने अमायरा को नहीं मारा !”

 सौंदर्या की बात सुनकर राजकमल जी आगे आये और उन्होंने दवाईया सामने करते हुए कहा,”और इसलिए तुम हर रोज उन्हें ये स्लो पोइजन की दवाईया दे रही थी ताकि वो हमेशा के लिये शांत हो जाये और किसी को तुम्हारा सच पता ना चले,,,,,,,,,,,,,,,तुम इतना कैसे गिर सकती हो सौंदर्या ?”

सौंदर्या की बातें सुनकर मीरा को एक धक्का सा लगा उसे चक्कर आया वह गिरने को हुई लेकिन सोफे के हत्थे पर अपना हाथ रख लिया। राजकमल जी और सोमित जीजू उसे सम्हालने आगे बढे तो मीरा ने अपना हाथ उनके सामने कर उन्हें रोक दिया। दोनों वही रुक गए। मीरा अवाक् सी सौंदर्या को देखने लगी उसकी आँखों में भरे आँसू बह गए और वह कहने लगी,”हमे लगा था आप सिर्फ हम से नफरत करती है लेकिन आप तो,,,,,,,,,,,,,,,,,

हमारे पापा तो आपके भाई थे ना , उन्होंने आपको हमेशा अपनी बेटी जैसे समझा और आपने उनके ही साथ ये सब,,,,,,,,,और हम कितने बेवकूफ थे आपकी बातो में आकर हमने भी उन्हें अमायरा का कातिल समझ लिया। उनकी बेटी होकर हमने ये कैसे मान लिया कि वो किसी की जान ले सकते है,,,,,,,,,,,,,,,,अपनी नातिन की जान ले सकते है। जिन्होंने उस छोटी बच्ची के मांगने पर बिना एक पल सोचे अपना महल उसके नाम कर दिया वो इंसान उसकी जान कैसे ले सकते थे ?

लेकिन हमने , हमने उन्हें गलत समझा,,,,,,,,,हमे लगा वो ऐसा कर सकते है क्योंकी हमने आप पर भरोसा किया , हमने अपने पापा को गलत समझा सिर्फ आपकी वजह से,,,,,,,,,,,,,,एक औरत होकर आप दूसरी औरत को इतना दर्द कैसे दे सकती है ? क्या ये दौलत हमारे रिश्ते से बढ़कर थी ? क्या ये दौलत उस मासूम की जान से बढ़कर थी ? आपने हमारे साथ ऐसा क्यों किया भुआजी ?

अरे हम से कहा होता हम ख़ुशी ख़ुशी सब आपको दे देते हमे ये सब नहीं चाहिए असली दौलत तो  हमारी बेटी और अक्षत जी थे जिन्हे हमने आपकी वजह से खो दिया,,,,,,,,,,,,,,हम आपको कभी माफ़ नहीं कर पाएंगे , कभी माफ़ नहीं कर पाएंगे।”
मीरा को रोते देखकर सोमित जीजू भी रो पड़े , व्यास फॅमिली में मर्दो में सबसे ज्यादा इमोशनल सोमित जीजू ही थे और फिर मीरा को तो वो अपनी बेटी की तरह प्यार करते थे लेकिन आज उसे इस तरह दर्द में देखकर वो भी रो पड़े।


राजकमल जी ने देखा उन्होंने सोमित जीजू को साइड से अपने सीने से लगा लिया और जीजू रो पड़े। अपनी माँ का सच जानकर जिज्ञाषा और प्रत्याशा की आँखों से भी आँसू बहने लगे। सौंदर्या की आँखों में आँसू नहीं थे वह बस अपने किये पर खामोश खड़ी थी। धीरे धीरे उसे महसूस हो रहा था कि अपने लालच के चलते उसने कितने लोगो की जिंदगी बर्बाद की थी , कितने लोगो को दर्द दिया था और आज उसकी वजह से सब कितनी तकलीफ में थे।

मीरा रोते हुए बदहवास सी अमर जी के पास आयी और घुटनो के बल बैठकर उनके हाथो को अपने हाथो में लेकर अपने ललाट से लगाकर कहा,”हमे माफ़ कर दीजिये पापा,,,,,,,,,,,,,,हमे माफ़ कर दीजिये , हमारे अपने ही हमे धोखा देते रहे और हम समझ ही नहीं पाए। हमने आपको अमायरा का कातिल समझ लिया , आपने अमायरा को हम से छीना है ऐसा ख्याल भी हमारे दिमाग में कैसे आ सकता है ?

जिन हाथो से आपने हमारा कन्यादान किया था , जिन हाथो ने हमे अक्षत जी को सौंपा था , जिन हाथो ने हमे प्यार से चार निवाले खिलाये थे वही हाथ हमारी बेटी की जान कैसे ले सकते है ? हम समझ ही नहीं पाए पापा , हम समझ ही नहीं पाए कि अपनों के साथ की आड़ में हम दुश्मन को न्योता दे रहे है। हमारे अपने ही हमारी खुशियों के दुश्मन बन जायेंगे हमने कभी सोचा नहीं था। हमे माफ़ कर दीजिये पापा , हमे माफ़ कर दीजिये”


कहकर मीरा अपना सर उनकी गोद में रखकर रोने लगी। अमर जी ने मीरा को इतने दर्द में देखा तो उनका दिल भर आया। आँखों से झर झर आँसू बहने लगे। मीरा के आंसुओ का ही असर था कि अमर जी उसे दर्द में नहीं देख पाये उन्होंने अपने दोनों कांपते हाथो को मीरा के सर पर रख दिया जैसे वे उसे समझा रहे हो।

अर्जुन ने देखा मीरा ज्यादा ही एमोशनल हो गयी है तो उसने मीरा को उठाया और उसे चुप करवाते हुए कहा,”बस मीरा ! बस करो , जो कुछ हुआ उसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं है। तुम सिर्फ उनकी ग़लतफ़हमी का शिकार थी,,,,,,,,,,,,,,हम में से किसी को तुम से शिकायत नहीं है। हाँ थोड़ा वक्त लगा लेकिन सच को एक दिन बाहर आना ही था और अच्छा हुआ मीरा कि ये सच सामने आ गया अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है मीरा,,,,,,,,,,,,,,,,

अमायरा को हम वापस नहीं ला सकते लेकिन तुम्हारा अक्षत , तुम्हारा अक्षत आज भी तुम्हारा इंतजार कर रहा है। वो आज भी अपनी मीरा का इंतजार कर रहा है। हाँ मीरा तुम्हारे अपने आज भी तुम्हारे साथ है।”
मीरा के पास कहने के लिये शब्द नहीं थे वह अर्जुन के सीने से आ लगी और रो पड़ी। यहाँ अर्जुन भी खुद को रोक नहीं पाया उसकी आँखों से भी आँसू बह गए।

सोमित जीजू राजकमल जी से दूर हटे तो राजकमल जी ने मीरा के सामने आकर कहा,”सौंदर्या ने जो किया वो माफ़ी के लायक नहीं है मीरा , मैं अभी पुलिस को फोन करता हूँ इसकी सही जगह वही है।”
“नहीं फूफाजी इसकी जरूरत नहीं है,,,,,,,,,,,,,,अर्जुन जी हम अभी आते है।”,मीरा ने राजकमल जी पुलिस को फोन करने से रोका और खुद अपने कमरे की तरफ चली गयी।

हॉल में शांति पसरी थी। राजकमल की के चेहरे पर गुस्से तो सौंदर्या के चेहरे पर निराशा के भाव थे। कुछ देर बाद मीरा अपने कमरे से बाहर आयी उसके हाथो में कुछ तस्वीरें थी। मीरा के हाथो में उसकी माँ सावित्री , बेटी अमायरा और अक्षत की तस्वीर थी जिसे मीरा ने अपने कमरे की दिवार पर लगा रखा था और जब ये लोग उसके साथ नहीं थे तब वह इन तस्वीरों से बात किया करती थी। मीरा ने उन तस्वीरो को अमर जी की गोद में रखा और और खुद व्हील चेयर के हत्थे पकड़कर सौंदर्या के सामने चली आयी।

सौंदर्या ने देखा तो कहा,”मीरा , मीरा मुझे माफ़ कर दो ,, मैं जानती हूँ मैंने जो किया वो माफ़ी के लायक तो नहीं है फिर भी मैं हाथ जोड़कर तुम से माफ़ी मांगती हु ,, मुझे माफ़ कर दो मीरा मुझे माफ़ कर दो,,,,,,!!”
“इस जिंदगी में हम आपको कभी माफ़ नहीं कर पाएंगे भुआ जी,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने नम आँखों के साथ कहा


सौंदर्या ने देखा मीरा ने उसे माफ़ नहीं किया तो वह घुटनो के बल अमर जी के सामने बैठ गयी और कहा,”भाईसाहब , भाईसाहब मुझे माफ़ कर दीजिये,,,,,,,,,,,,मैंने जो किया वो सब लालच में आकर किया , मुझे माफ़ कर दीजिये , मुझे आपसे मुझे कुछ नहीं चाहिए ,, ये दौलत ये घर महल कुछ नहीं चाहिए मुझे , बस मुझे माफ़ कर दीजिये”
अमर जी ने सुना तो उसने अपना चेहरा घुमा लिया उन्होंने भी सौंदर्या को माफ़ी नहीं दी।

हताश होकर सौंदर्य उठी तो मीरा ने कहा,”आपके माफ़ी मांगने का अब कोई महत्व नहीं रह जाता है भुआजी,,,,,,,,,,,,,हम ये सब छोड़कर जा रहे है ,, ये घर दौलत चाहिए थी ना आपको तो हम ये सब आपके लिये छोड़कर जा रहे है , आपने हम से जो छीना है उसकी भरपाई आप इस जन्म में नहीं कर पायेगी।”


सौंदर्या ने सुना तो गिड़गड़ाते हुए कहा,”मीरा , मीरा ये क्या कह रही हो तुम , मुझे मुझे ये सब नहीं चाहिए मीरा,,,,,,,,,,,,,,,,मुझसे गलती हो गयी मीरा पर तुम , तुम ये घर छोड़कर मत जाओ मीरा ,, मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है मुझे ये सब नहीं चाहिए,,,,,,,,,,!!”
मीरा ने सौंदर्या की बात पर जरा भी ध्यान नहीं दिया और व्हील चेयर का हत्था पकड़कर दरवाजे की तरफ बढ़ गयी। अर्जुन और सोमित जीजू ने देखा तो दोनों मीरा के पीछे चल दिए।

सौंदर्या की आँखों से आँसू बहने लगे। घर के नौकर रघु , मंजू ने देखा तो उन्होंने भी मीरा के साथ आते हुए कहा,”मीरा मैडम हम भी आपके साथ जायेंगे ,, इस घर में रहकर क्या करेंगे जहा अपना ही अपनों का दुश्मन है,,,,,,,,,,,,,,,हमे भी अपने साथ ले चलिए मैडम,,,,,,!!”
उनकी बात सुनकर मीरा रुकी और कहा,”रघु , मंजू हमारा खुद कोई ठिकाना नहीं है हम आप लोगो को लेकर कहा जायेंगे ?”


“क्यों मैडम ? इतने सालों से साहब ने हमको खाना दिया , पैसे दिए आज जब आप लोगो पर मुसीबत आयी है तो क्या हम आपको ऐसे ही छोड़ दे ? आप हमारे घर चलिए ,, इतना बड़ा और आलिशान नहीं है लेकिन तुमको और साहब को किसी तरह की परोब्लम नहीं होने देगी मैं,,,,!”,मंजू ने कहा
“ए मैडम तुम्हारे घर क्यों जाएगी ? मैडम आप मेरे घर चलिए,,,,,,,,,,वहा आपको कोई परेशानी नहीं होगी।”,रघु ने कहा
मीरा ने सुना तो उसकी आँखों में नमी तैरने लगी।

अर्जुन ने दोनों को झगड़ते देखा तो कहा,”सुनो मेरी बात  , मीरा कही नहीं जाएगी वो अपने घर जाएगी , अपने ससुराल इसलिए तुम दोनों झगड़ना बंद करो।”
“ये तो और भी अच्छा है , वहा तो मीरा मैडम का ख्याल रखने के लिये इतने सारे लोग भी है,,,,,,,,,,,,,,मीरा मैडम आप वही जाईये लेकिन हम लोगो को भूलियेगा नहीं , जब भी आपकी याद आएगी मैं आपसे मिलने जरुर आएगी हाँ,,,,,,,,,,,खुश रहना”,मंजू ने कहा तो मीरा ने उसे गले लगाते हुए कहा,”आप बहुत अच्छी है अपना ख्याल रखना,,,,,,,,,!!”


मीरा ने मंजू से दूर होकर रघु को नमस्ते की और फिर सब वहा से निकल गए। सौंदर्या आँसू बहाते हुए उन्हें देखते रही।
मीरा के जाने के बाद राजकमल जी वहा से जाने लगे तो सौंदर्या ने कहा,”आप , आप कहा जा रहे है ? आप तो रुक जाईये”


राजकमल जी सौंदर्या को देखकर मुस्कुराये और कहा,”तुम्हारी दौलत और ऐशो आराम की जिंदगी तुम्हे मुबारक सौंदर्या ,, अपने स्वार्थ के चलते तुमने अपने ही पति की जान लेनी चाही,,,,,,,,,,,,मैं यहाँ रहकर क्या करूंगा ?”
कहकर राजकमल जी वहा से चले गए
“सुनिए , सुनिए मत जाईये , रुक जाईये मुझे अकेला छोड़कर मत जाईये”,सौंदर्या ने रोते हुए कहा लेकिन राज कमल जी ने पलटकर भी नहीं देखा और वहा से चले गए


प्रत्याशा ने देखा उसके पापा चले गए है तो वह भी जाने लगी जैसे ही सौंदर्या के सामने से गुजरी सौंदर्या ने कहा,”प्रत्याशा ! कहा जा रही हो तुम ? क्या तुम अपनी मम्मा को माफ़ नहीं करोगी ? मत जाओ रुक जाओ प्रत्याशा मुझे अकेला छोड़कर मत जाओ,,,,,,,,,,,!!”
“मम्मा दौलत के लिये आपने मीरा दीदी के साथ इतना बुरा किया , मामाजी को इन हालातो में ले आयी यहाँ तक कि मेरे पापा की जान तक लेनी चाही ,, कल अगर किसी ने आपको पैसे दिए तो आप हमे भी बेच देगी,,,,,,,है ना मम्मा ?”,प्रत्याशा ने आखो में आँसू भरकर कहा


“नहीं,,,,,,,,,,,नहीं बेटा मैंने ये सब तुम दोनों के लिये किया,,,,,,,,,,,,,मुझे अकेला छोड़कर मत जाओ बेटा मत जाओ”, सौंदर्या ने प्रत्याशा के गाल को छूकर कहा लेकिन प्रत्याशा ने उनका हाथ नीचे किया और जिज्ञाषा को वहा से लेकर चली गयी।

सब सौंदर्या को छोड़कर जा चुके थे और इतने बड़े राजघराने आज सौंदर्या अकेली थी अपनी हार के साथ , वह घुटनो के बल नीचे आ गिरी और रोने लगी।

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