Sanjana Kirodiwal

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Haan Ye Mohabbat Hai – 80

Haan Ye Mohabbat Hai – 80

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

एक अनजान आदमी विक्की की मदद कर रहा था और विक्की को भी उसकी बातो पर अब धीरे धीरे विश्वास होने लगा था। विक्की जो कुछ कर रहा था वह उस आदमी के कहने पर कर रहा था और नतीजा ये निकला कि विक्की अब उस राज के बहुत करीब था जिसका बाहर आना जरुरी था।
आदमी की बात सुनकर विक्की ने कहा,”अब मुझे क्या करना होगा ?”


“फ़िलहाल तुम्हे कुछ नहीं करना बस तुम इंतजार करो और देखो असली गुनहगार खुद सामने आयेगा।”,आदमी ने कहा
“और कुमार ? उसका सच सबके सामने कब आयेगा ? डेड की जायदाद के लिये उसने डेड से ही डील की मैं उसे छोडूंगा नहीं,,,,,,,,!!”,विक्की ने गुस्से से कहा


“तुम्हे बस एक बात अपने दोस्त तक पहुंचानी है कि तुम जानते हो असली गुनहगार कौन है और दो दिन बाद तुम उसे कोर्ट में पेश करने वाले हो,,,,,,,,,इतना काफी होगा।”,सामने से आवाज आयी
“हम्म्म ठीक है , लेकिन तुम हो कौन और मेरी मदद क्यों कर रहे हो ?”,विक्की ने सवाल किया
“वक्त आने पर सब पता चल जायेगा,,,,,,,!!”,आदमी ने कहा और फोन काट दिया।


विक्की ने फ़ोन साइड में रखा और कुमार के बारे में सोचने लगा। आखिर कुमार ने विक्की के साथ इतना बड़ा गेम क्यों खेला ? उसने उसी के डेड से विक्की को बचाने के लिये डील क्यों की ? आखिर कुमार को ऐसा क्या चाहिए था जिसके लिये उसने ये सब किया और विक्की की पीठ में छुरा घोपा,,,,,,,,विक्की के पास के पास सिर्फ सवाल थे जवाब नहीं,,,,,,,,,,!

कुछ देर बाद विक्की ने अनजान आदमी के कहे मुताबिक कुमार को फोन लगाया। एक दो रिंग के बाद ही कुमार ने फोन उठा लिया और कहा,”हाँ विक्की ! इस वक्त फोन किया सब ठीक है ना ?”
“कुमार ! मुझे पता चल गया है डेड के साथ डील करने वाला कौन था एंड आई ऍम डेम स्योर छवि का रेप भी उसी इंसान ने किया है।”,विक्की ने गंभीरता से कहा


कुमार ने सुना तो एक पल के लिये खामोश हो गया और कहा,”तुम ये इतना यकीन के साथ कैसे कह सकते हो ?”
“कुछ देर पहले ही इन्स्पेक्टर कदम्ब डेड से मिलने घर आये थे। उन्होंने कहा उन्होंने डेड के फार्म हॉउस की फिर से तलाशी ली है और उन्हें कुछ नए सबूत मिले है। उन्होंने ये भी कहा कि दो दिन बाद कोर्ट की सुनवाई में असली गुनहगार नहीं आएगा और इस से वो उसे पकड़ लेंगे।

कुमार मुझे लगता है इस बार सब क्लियर हो जायेगा और सब ठीक हो जायेगा। छवि को इंसाफ मिल जायेगा कुमार,,,,,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने एक साँस में पूरी बात कह सुनाई जो कि उस अनजान आदमी का प्लान था।

कुमार ने सुना तो बेचैनी भरे स्वर में कहा,”छवि का रेप करने वाला तुम्हारे डेड से डील करने क्यों आएगा ? और वैसे भी हो सकता है ये सब रेपिस्ट ने तुम सबका वक्त बर्बाद करने के लिये किया हो ताकि सब उसमे उलझे रहे और दो दिन बाद कोर्ट इस केस को बंद कर दे। विक्की उस लड़की के लिये तुम खामखा खुद को परेशानी में डाल रहे हो।”


“नहीं कुमार ये सब मैं सिर्फ छवि को इंसाफ दिलाने के लिये नहीं बल्कि सच जानने के लिये भी कर रहा हूँ मैं जानना चाहता हूँ कि आखिर वो कौन है जो मुझे बर्बाद करना चाहता है। खैर तुम्हे मैंने ये सब इसलिए बताया क्योकि तुम मेरे दोस्त हो और मैं तुम पर बहुत भरोसा करता हूँ,,,,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने कहा
“हाँ , हाँ विक्की मैं हमेशा तेरे साथ हूँ , वैसे इन्स्पेक्टर कदम्ब ने उसका नाम नहीं बताया ?”,कुमार ने पूछा


“नहीं उन्होंने कहा सारे सबूत उनके पास है उनके घर में दो दिन बाद वो उन्हें कोर्ट में पेश करेंगे”,विक्की ने कहा जैसा कि कहने के लिये अनजान आदमी ने उस से कहा था।
“हम्म्म ये सही किया उन्होंने,,,,,,,,,,,ठीक है अभी मैं रखता हूँ मुझे थोड़ा काम है ,,, मैं तुम से कल मिलता हूँ। बाय गुड नाईट”,कुमार ने कहा और फोन रख दिया


विक्की ने भी फोन रखा और कहा,”अगर ये सब के पीछे कुमार का हाथ है तो वह परसो कोर्ट नहीं आयेगा , अब मुझे बस परसो का इंतजार है।”
विक्की सोने चला गया लेकिन जहन में चल रहे सेंकडो ख्यालों ने उसे सोने नहीं दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,!!

अमर जी के घर पर आज कोई नहीं था सिवाय मेन गेट पर खड़े गार्ड के , बाकि घरवाले पार्टी में गए हुए थे। चेहरे पर नकाब पहने एक आदमी दिवार चढ़कर घर के अंदर कूदा और दबे पांव अंदर चला गया। अंदर आते ही उस आदमी ने छानबीन शुरू कर दी। उसे देखकर लग नहीं रहा था वह इस घर में चोरी के इरादे से आया है बल्कि वह कुछ और ही ढूंढ रहा था।

सबसे पहले वह अमर जी के कमरे में आया वहा छानबीन करते हुए उसने बिस्तर के पास लगे ड्रॉवर को खोला जिसमे अमर जी की दवाईया रखी थी। आदमी ने दवाईयों को वापस रखा और जैसे ही मुड़ा उसे कुछ खटका और पलटकर उसने ड्रॉवर में रखी उस दवा के पत्ते को उठाकर देखा उसकी आँखे हैरानी से फ़ैल गयी और उसने कहा,”ये तो स्लो पोइजन है लेकिन ये यहाँ कैसे ? कही ये,,,,,,,,,,,,,,,,शीट,,,,,,,,!!”


कहकर आदमी ने उन सारी दवाओं को एक बैग में डाला और वहा से निकल गया। अमर जी के कमरे से निकलकर वह मीरा के कमरे की ओर बढ़ा। कमरे में आकर उसने फिर छान बीन करनी शुरू कर दी। टेबल के ड्रावर को खोला तो उसमे रखे दो लिफाफों पर उसकी नजर गयी। एक लिफाफे पर “To अक्षत व्यास” और दूसरे लिफाफे पर “To राधा माँ” लिखा था। आदमी के पास इतना समय नहीं था कि वह उन लिफाफों को खोलकर उसमे रखे खत को पढ़े इसलिए उसने उन दोनों लिफाफों को अपने जींस के पॉकेट में डाल लिया और वहा से आगे बढ़ गया।

कमरे से निकलते हुए आदमी की नजर दिवार पर लगी कुछ तस्वीरों पर पड़ी। आदमी उनके पास आया और हाथ से उन्हें छूकर देखने लगा। एक अजीब सा दर्द उसकी आँखों में तैरने लगा। कुछ देर बाद वह वहा से निकल गया उसे जो चाहिए था वह उसे अभी तक मिला नहीं था और घर इतना बड़ा था कि ढूंढना मुश्किल हो रहा था फिर भी वह घर के कोने कोने में जाकर ढूंढने लगा।  

अपने घर के बरामदे में बैठी चित्रा मौसम की खूबसूरती को निहार रही थी। आज उसका मन बहुत शांत था और वह खुश भी थी। अक्षत के लिये उसकी जो भावनाये थी वो तो नहीं बदली थी लेकिन अक्षत को पाने का ख्याल उसने अपने दिमाग से निकाल दिया और जब से उनसे ऐसा किया था उसका मन काफी शांत हो चुका था। म्यूजिक सिस्टम पर एक हलकी मीठी प्यारी धुन बज रही थी।

चित्रा अपने ही ख्यालो में खोयी थी कि तभी सामने से आते माथुर साहब उसे दिखाई दिए। माथुर साहब चित्रा के पास आये तो चित्रा उठ खड़ी हुई और कहा,”अरे अंकल आप इस वक्त यहाँ ?”
“ये मैं क्या सुन रहा हूँ चित्रा ? तुम वकालत के साथ साथ ये शहर छोड़कर अमेरिका जा रही हो वो भी हमेशा के लिये,,,,,,,,,,,,,,,क्या तुम नहीं जानती तुमने इसके लिये कितनी मेहनत की है और अब तुम ऐसे ही इसे छोड़कर चली जाओगी ? क्या इसके पीछे की वजह “अक्षत व्यास” है।”,माथुर साहब ने गंभीरता से कहा तो चित्रा उन्हें देखकर मुस्कुराने लगी


“तुम्हारी इस मुस्कराहट को मैं क्या समझू ? अक्षत के लिये मोहब्बत या तुम्हारी बेवकूफी ?”,माथुर साहब ने कहा
“ओह्ह्ह अंकल ! आप कुछ ज्यादा ही सोच रहे है , मैं अपनी ख़ुशी से जा रही हूँ। वैसे भी मैं खुश हूँ कि मैंने अपने दिल की बात अक्षत से कह दी बस मेरी किस्मत थोड़ी ख़राब थी , अक्षत व्यास शादीशुदा निकला और वो अपनी वाइफ से बहुत ज्यादा प्यार करता है,,,,,,,,,

मैं उन दोनों के बीच नहीं आना चाहती ,ना ही मैं अक्षत को पा सकती और ना ही यहा उसके सामने रहकर उसे भूल पाऊँगी इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं हमेशा के लिये यहाँ से चली जाऊ,,,,,,,,!!”,कहते कहते चित्रा उदास हो गयी
माथुर साहब ने देखा तो चित्रा के पास आये और उसके कंधो को थामकर कहा,”चित्रा ! इसमें तुम्हारी गलती नहीं है , अक्षत बहुत अच्छा लड़का है लेकिन वो अपनी फॅमिली से बहुत प्यार करता है।

किसी लड़की के प्यार के लिये वो अपनी फॅमिली को कभी स्पोइल नहीं करेगा,,,,,,,,,,,,,,सब भूलकर उस से दूर जाने का तुम्हारा फैसला सही है लेकिन इसके लिये तुम्हे ये शहर और वकालत छोड़ने की जरूरत नही थी।”
“अंकल ! मैं चाहती थी छवि दीक्षित केस को अक्षत लड़े और जीते ताकि छवि को इंसाफ मिल सके और अक्षत पर लगे इल्जाम हट जाये। मेरे लिए वो सबसे स्ट्रांग और सबसे स्मार्ट वकील थे लेकिन उन्होंने छवि का केस लड़ने से मना कर दिया और केस अपने ही कॉम्पिटिटर सूर्या को दे दिया ,,

उनकी ये बात मुझे पसंद नहीं आयी सर,,,,,,,,,,,,,,पहली बार मैंने उन्हें अपने उसूलो के खिलाफ जाते देखा है , मैं शर्मिन्दा हूँ कि मैं छवि के लिये कुछ नहीं कर पायी।”,चित्रा ने कहा
माथुर जी ने सूना तो वे भी थोड़ा उदास हो गए और कहा,”ये बात तो आज तक मैं भी नहीं समझ पाया , अक्षत चाहता तो इस केस के जरिये एक अच्छा कम बैक कर सकता था फिर उसने ऐसा बचकाना फैसला क्यों लिया ? खैर अक्षत के दिमाग में क्या चलता है ये कोई नहीं जानता ? तुम वो सब छोडो और ये बताओ क्या तुम्हारा जाना जरुरी है ?”


 चित्रा ने खुद को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर भी उसकी आँखों में आँसू भर आये उसने नम आँखों के साथ कहा,”यहाँ रहूंगी तो मैं उसे कभी भूल नहीं पाऊँगी अंकल,,,,,,,,,,,,,मुझे जाने दीजिये।”
माथुर साहब चित्रा की भावनाओ से अनजान नहीं थे उन्होंने चित्रा का सर सहलाया और कहा,”कब जा रही हो ?”
“एक हफ्ते बाद”,चित्रा ने कहा
“अक्षत को इस बारे में बताया ?”,माथुर साहब ने पूछा


“नहीं अंकल और मैं चाहती भी नहीं जाने से पहले मैं उस से मिलू,,,,,,,,,,मेरे लिए मुश्किल हो जायेगा”,चित्रा ने आँखों के किनारे साफ करते हुए कहा
माथुर साहब ने चित्र को अपने सीने से लगाया और उसका सर सहलाने लगे। चित्रा ने भी अपनी आँखे मूंद ली उनके सीने से लगी चित्रा को अपने पिता के साथ होने का अहसास हो रहा था। माथुर साहब ने भी चित्रा को हमेशा अपनी बेटी की तरह ही प्यार किया। वे कुछ देर वहा रूके और फिर घर के लिये निकल गए।

पार्टी में सभी इंजॉय कर रहे थे। अखिलेश भी वहा मौजूद था और रोजाना के बजाय वह आज कुछ ज्यादा ही खुश था। अखिलेश ने जब सोमित जीजू और अर्जुन को उस पार्टी में देखा तो अपने सामने से गुजरते मैनेजर को रोककर पूछा,”इन लोगो को पार्टी में इन्वाइट किसने किया ?”
“किसने से आपका क्या मतलब है ? ये लोग मीरा मैडम की फॅमिली है इन्हे इन्वाइट करने की जरूरत है ?”,मैनेजर ने मुंह बनाकर कहा क्योकि बाकि लोगो की तरह उसे भी अखिलेश बिल्कुल पसंद नहीं था


अखिलेश ने सुना तो गुस्से से मैनेजर को देखने लगा और मैनेजर वहा से खिसक गया। सौंदर्या ने देखा पार्टी अच्छी चल रही है तो उसने कपल डांस अनाउंस कर दिया। सभी कपल्स गदर्न एरिया में आ गए और एक दूसरे का हाथ पकड़कर डांस करने लगे। अखिलेश ने देखा मीरा अकेली खड़ी है , यही मौका था मीरा के साथ अपना कनेक्शन स्ट्रांग करने का इसलिए अखिलेश अपने गले में पहनी बॉ सही करते हुए मीरा की तरफ बढ़ गया।

अर्जुन और सोमित जीजू अकेले आये थे इसलिए जूस का गिलास हाथो में पकडे दोनों साइड में खड़े थे। जूस पीते हुए सोमित जीजू की नजर अखिलेश पर पड़ी , उन्होंने जब अखिलेश को मीरा की तरफ जाते देखा तो अर्जुन से कहा,”मेरे साथ आओ”
“कहा ?”,अर्जुन ने जूस पीते हुए कहा
“सवाल मत करो , मेरे साथ आओ”,जीजू ने कहा और मीरा से कुछ दूर पहले अनजान बनकर खड़े हो गए।


अखिलेश प्यार भरी नजरो से मीरा को देखते हुए उसकी तरफ बढ़ रहा था लेकिन जैसे ही अखिलेश सोमित जीजू के सामने से निकला जीजू ने अपना पैर बीच में कर दिया जिसमे अखिलेश उलझ गया और दूसरे हाथ से अर्जुन को मीरा की तरफ धक्का दे दिया। अर्जुन समझ गया सोमित जीजू क्या चाहते थे उसने जूस का  गिलास साइड टेबल पर रखा और बहुत ही सहजता से मीरा के सामने अपना हाथ आगे करके कहा,”मीरा क्या तुम मेरे साथ डांस करोगी ?”


मीरा ने सुना तो हल्का सा मुस्कुराई और अर्जुन का हाथ थामकर सबके बीच चली आयी। वह अर्जुन को भला ना कैसे कहती आखिर अर्जुन अक्षत का भाई होने से पहले उसका अच्छा दोस्त जो था।

वही दूसरी ओर नजारा देखने लायक था। जिस अखिलेश को पैर बीच में करके सोमित जीजू ने गिराया था वो लड़खड़ाकर सोमित जीजू की ही बांहो में आ गिरा। दोनों एक रोमांटिक पोज के साथ खड़े दोनों एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे और म्यूजिक सिस्टम पर गाना बज रहा था।
“आँखों में तेरी , अजब सी अजब सी अदाए है,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”

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