Haan Ye Mohabbat Hai – 71
Haan Ye Mohabbat Hai – 71
चित्रा पर गुस्सा करके अक्षत को अच्छा नहीं लग रहा था। वह खिड़की के पास चला आया और वहा खड़े होकर बाहर देखने लगा। चित्रा की कही बातें बार बार अक्षत के कानों में गूंज रही थी। वह चित्रा का ख्याल अपने जहन से निकाल नहीं पा रहा था। अक्षत अभी खिड़की के पास खड़ा सोच में डूबा ही था कि उसका फोन बजा। अक्षत टेबल की तरफ आया उसने फोन उठाकर देखा फोन अमर जी के मैनेजर का था। अक्षत ने फोन उठाकर कान से लगाया तो दूसरी तरफ से मैनेजर ने कहा,”हेलो ! अक्षत सर , आप कल शाम की पार्टी में आ रहे है ना ?”
“मैं कोशिश करूंगा,,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा
“कोशिश नहीं सर आपको आना ही है ,, वैसे भी मैंने सुना है सौंदर्या भुआ कल शाम मीरा मैडम को लेकर कोई बहुत जरुरी अनाउंसमेंट करने वाली है आपका वहा होना बहुत जरुरी है सर,,,,,,,,,,!!”,मैनेजर ने कहा या यू मान लो उस से कहलवाया गया
अक्षत ने जैसे ही मीरा का नाम सुना खामोश हो गया। वह कुछ देर शांत रहा और कहा,”मैं कोशिश करूंगा”
कहकर अक्षत ने फोन काट दिया
“सर कह रहे है वो कोशिश करेंगे”,मैनेजर ने अपने पास बैठे अर्जुन से कहा
“अबे यार ! तुमको साला मैनेजर बनाया किसने है ? एक बन्दे को पार्टी में आने के लिये नहीं पटा सकते”,सोमित जीजू ने भड़कते हुए कहा
“सर मैं मैनेजर हूँ राखी सावंत नहीं,,,,,,!!”,मैनेजर ने चिढ़ते हुए कहा
“उस से भी कहा कोई पटता है।”,सोमित जीजू ने मुंह बनाकर कहा
“जीजू ! क्या कर रहे है आप ?”,अर्जुन ने बीच बचाव करते हुए कहा
“अरे ये क्या कर रहा है ? अक्षत का कल की पार्टी में आना कितना जरुरी है जानते हो न तुम उसके बाद भी ये बोल रहा कि अक्षत कोशिश करेगा। और अर्जुन तुम , तुमने इस से झूठ क्यों बुलवाया ? वो चांडाल सौंदर्या कौनसी अनाउंसमेंट करने वाली है ?”,सोमित जीजू ने अर्जुन की तरफ पलटकर कहा
“आशु कल की पार्टी में आये ना आये लेकिन मीरा का नाम सुनकर वो कल की पार्टी में जरूर आएगा,,,,,!!”,अर्जुन ने कुछ सोचते हुए कहा
” तुम्हे पक्का यकीन है ?”,सोमित जीजू ने पूछा
“हाँ जीजू पक्का , आप बेफिक्र रहो”,अर्जुन ने बेपरवाही से कहा
सोमित जीजू ने सुना तो थोड़ी तसल्ली मिली और उन्होंने मैनेजर से कहा,”अच्छा मैनेजर सॉरी हाँ , वो मैं,,,,,,!!”
“सिर्फ मीरा मैडम के लिये वरना तो मैं कब का यहाँ से उठकर चला जाता।”,मैनेजर ने चिढ़ते हुए कहा
“इनकी तरफ से मैं माफ़ी मांगता हूँ बस आप कल की पार्टी की तैयारी शुरू कीजिये और हाँ पार्टी में शराब जरूर होनी चाहिए।”,अर्जुन ने उठते हुए कहा
“शराब ?”,मैनेजर ने हैरानी से कहा
“अरे भई तुमको नहीं पता हमारे वकील साहब के इमोशंस पीने के बाद ही बाहर आते है।”,सोमित जीजू ने कहा
मैनेजर को कुछ समझ नहीं आया वह सोमित जीजू को देखने लगा तो अर्जुन ने उन्हें ले जाते हुए मैनेजर से कहा,”कुछ नहीं इन्हे थोड़ा मजाक करने की आदत है।”
अर्जुन सोमित जीजू को साथ लेकर अमर जी के ऑफिस से बाहर निकल गया लेकिन बेचारो की बुरी किस्मत की सामने से आते अखिलेश ने उन्हें देख लिया था। सोमित जीजू और अर्जुन ने अखिलेश पर ध्यान नहीं दिया और गाड़ी में बैठकर निकल गए।
अखिलेश ने तुरंत सौंदर्या को फोन लगाया। कुछ देर बाद सौंदर्या ने फोन उठाया और कहा,”हाँ अखिलेश बोलो क्या बात है ?”
“मैडम मैंने अभी अभी अक्षत के बड़े भाई और जीजा को अमर सर की कम्पनी से बाहर आते देखा है।”,अखिलेश ने कहा
“वो दोनों वहा क्या कर रहे हैं ? जरूर वो किसी गड़बड़ से आये है तुम अंदर जाकर मैनेजर से पता करो,,,,,,,,,,,,,उनका भाईसाहब के ऑफिस आना हमारे लिये कही कोई मुसीबत खड़ी न कर दे।”,सौंदर्या ने कहा
“ठीक है मैडम,,,,,,!!”,कहते हुए अखिलेश ने फोन रखा और अंदर चला आया। अंदर आकर अखिलेश ने मैनेजर से बात की लेकिन मैनेजर तो खुद अर्जुन के साथ मिला हुआ था इसलिए अखिलेश को कोई झूठी कहानी बनाकर सुना दी। अखिलेश ने फोन कर सौंदर्या से सब ठीक होने की बात कही और अमर जी के ऑफिस को घूमते हुए देखने लगा। देखने क्या लगा बल्कि आने वाले वक्त के लिए उस ऑफिस में खुद इमेजिन करने लगा। अखिलेश अमर जी के केबिन में आया जहा अमर जी की कुर्सी खाली पड़ी थी।
अखिलेश पहले पुरे केबिन में घुमा और फिर कुर्सी के पास आकर उसे छूकर देखने लगा। उस कुर्सी को छूते हुए अखिलेश को लगा जैसे वही इस कुर्सी का असली हक़दार है। उसने कुर्सी घुमाई और उस पर आ बैठा। उस पर बैठते ही अखिलेश का कॉन्फिडेंस एकदम से बढ़ गया उसने अपने पैरो को ऊपर उठाया और टेबल पर रख लिया। अखिलेश ने जूते पहने थे और उसमे बिल्कुल भी तमीज नहीं थी।
उसने पैरो को क्रॉस कर रखा था और पैरो को आपस में टकराते हुए कहने लगा,”आज समझ आया आखिर क्यों अमर जी का ऐटिटूड इतना रौबदार था। इस कुर्सी की बात ही अलग है और बहुत जल्द ये कुर्सी मेरी हो जाएगी,,,,,,,,,,,बस एक बार मेरी शादी मीरा से हो जाये उसके बाद ये सब मेरा ही तो है। वाह सौंदर्या भुआ क्या खूब गेम खेला है आपने लेकिन आपके इस गेम से मीरा भी मेरी और अमर प्रताप सिंह की ये दौलत भी मेरी,,,,,,,,,,,,,बैठे बैठाये करोड़पति हो गया मैं तो,,,,,,,,,!!”
अखिलेश खुश हो ही रहा था कि तभी मैनेजर वहा आया उसने अखिलेश को अमर जी की कुर्सी और उसके पैरो को टेबल पर देखा तो गुस्से से कहा,”ये क्या बद्तमीज़ी है ? ये कुर्सी अमर सर की है उठो यहाँ से,,,,,,,!!”
अखिलेश उठा और मैनेजर के पास आकर कहा,”तुम इस कम्पनी के मैनेजर हो ना ? याद रखना सबसे पहले मैं तुम्हे ही बदलूंगा और धक्के मारकर इस कम्पनी से बाहर करूंगा,,,,,,,,,,याद रखना बहुत जल्द”
अखिलेश ने कहा और वहा से निकल गया। मैनेजर वही खड़ा था कि कम्पनी का अकाउंटेंट वहा आया और कहा,”क्या बात है सर आप कुछ परेशान दिख रहे है , क्या कह रहा था वो आदमी ?”
“जब से अमर सर ने कम्पनी आना बंद किया है तब से ये कम्पनी , एक कम्पनी ना होकर कोई फल हो गयी है जिसे बस हर कोई निगल जाना चाहता है फिर चाहे वो अमर सर के अपने हो या पराये,,,,,,,,,,,,,,बस अमर सर जल्दी से ठीक हो जाये”,कहकर मैनेजर मुँह लटका कर वहा से चला गया।
अखिलेश से बात करने के बाद सौंदर्या ने फोन रखा और खुद में बड़बड़ाई,”ये अर्जुन और उसका वो मोटू जीजा कुछ ज्यादा ही चालाक बन रहे है। भाईसाहब की कम्पनी में वो क्या लेने गए थे ? मैनेजर से पूछा तो उसे शक हो जाएगा और वो सच बताएगा भी नहीं लेकिन अर्जुन का वहा जाना मेरे लिये ख़तरा हो सकता है। कुछ सोच सौंदर्या कुछ सोच कही ये दोनों तुम्हारा बना बनाया प्लान ना बिगाड़ दे।”
सौंदर्या ने अपने फोन से कोई नंबर डॉयल किया और कहा,”अर्जुन व्यास और सोमित शर्मा , ये दोनों कल इस शहर में दिखने नहीं चाहिए”
“काम हो जाएगा मैडम,,,,,!!”,दूसरी तरफ से आवाज आयी और फोन कट गया।
“ममममआ,,,,,,,!!”,एक प्यारी सी आवाज सौंदर्या के कानों में पड़ी
सौंदर्या ने देखा सामने उसकी दोनों बेटियां और राजकमल जी खड़े थे। सौंदर्या खुश होकर उनकी तरफ आयी और दोनों बेटियों को गले लगाते हुए कहा,”ओह्ह्ह मेरी , बच्चियों मम्मा ने तुम्हे बहुत मिस किया,,,,,,,,,,,,कैसा रहा सफर ?”
“बोरिंग मम्मा,,,,,,,,,,,मुझे बहुत थकान हो रही है मुझे तो सबसे पहले एक शॉवर की जरूरत है।”,सौंदर्या की छोटी बेटी जिज्ञासा सिंह ने कहा
“मंजू,,,,,,,,,इनका सामान कमरे में रख दो और जिग्गू को कमरे तक छोड़ दो,,,,,,,,,,,,,जाओ जाकर फ्रेश हो जाओ फिर आराम से बात करते है।”,सौंदर्या ने मंजू को आवाज दी और फिर अपनी बेटी से कहा।
“मम्मा जिग्गू को जाने दो मुझे आपसे जरुरी बात करनी है , मम्मा वो भरत से मेरी शादी,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या की बड़ी बेटी प्रत्याशा ने कहना चाहा लेकिन सौंदर्या ने उसकी बात काटते हुए कहा,”उसकी चिंता तुम मत करो वो मेरा काम है , तुम्हारी शादी भरत से इसी साल होगी वो भी अजमेर वाली हवेली में पुरे शान ओ शौकत से,,,,,,,,!!”
“तुम्हारी माँ तो ऐसे बात कर रही है जैसे यहाँ इनकी कोई लॉटरी लग गयी हो,,,,,,,,,,,,,,,सौंदर्या भूलो मत वो महल मीरा का है ऐसी बातें करने से पहले तुम्हे एक बार मीरा से इसकी इजाजत ले लेनी चाहिए।”,राजकमल जी ने सौंदर्या को उकसाने के लिये कहा
“आपको क्या लगता है उस महल के लिये मैं उस मीरा की इजाजत लुंगी,,,,,,,,,,,बहुत जल्द वो महल और ये बँगला सब मेरा होने वाला है और तब आप देखियेगा इजाजत कौन लेता है मैं या वो मीरा,,,,!!”,सौंदर्या ने दाँत पीसते हुए कहा।
“ये कभी नहीं बदल सकती,,,,,,,,,,,,,प्रत्याशा आओ कमरे में चलते है।”,राजकमल जी ने कहा और अपनी बेटी को साथ लेकर वहा से चले गए।
प्रत्याशा राजकमल जी की तरह शांत , समझदार और सीधी थी वही जिज्ञाषा बिल्कुल सौंदर्या की तरह थी। दोनों बहने राजकमल जी के साथ इंदौर ऑफिस की पार्टी के लिये आयी थी। कुछ महीनो बाद ही प्रत्याशा की शादी होने वाली थी और वो चाहती थी सौंदर्या अब उनके साथ अजमेर वापस चले और अपने घर में रहे क्योकि पिछले 8 महीनो से सौंदर्या इंदौर में ही थी और राजकमल जी और बच्चियों के बुलाने पर भी घर नहीं आयी थी। वे हर बार मीरा और भाईसाहब अकेले है का बहाना बना दिया करती थी। सौंदर्या वहा से चली गयी और दूसरे कामो में लग गयी।
“बेटा तुम चलो मैं ज़रा अमर जी से मिलकर आता हूँ।”,राजकमल जी ने कहा
“पापा मैं भी आपके साथ चलती हूँ , मामाजी से मिले कितना वक्त हो गया।”,प्रत्याशा ने कहा और राजकमल जी के साथ अमर जी के कमरे में चली आयी।
अमर जी बिस्तर पर थे। राजकमल जी ने उन्हें नमस्ते किया और उनकी बगल में आ बैठे। प्रत्याशा उनके पास आकर खड़ी हो गयी। राजकमल जी को वहा देखकर अमर जी पहली बार मुस्कुराये।
राजकमल जी को अच्छा लगा उन्होंने अमर जी के हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा,”कैसे है आप ? माफ़ करना इतने महीनो में मैं आपसे मिलने भी ना आ सका”
अमर जी ने अपनी पलकें झपका दी। उन्होंने राजकमल जी के पास खड़ी प्रत्याशा को देखा
“सौंदर्या ने हम सबको यहाँ बुला रही थी। उसने बताया कल आपकी कम्पनी को लेकर एक बड़ा आयोजन है सोचा इस बहाने आपसे भी मुलाकात हो जाएगी।”,राज कमर जी ने कहा
सौंदर्या का नाम सुनकर अमर जी के चेहरे के भाव ही बदल गए उन्होंने नजरे घुमा ली। प्रत्याशा और राजकमल जी ने एक दूसरे की तरफ देखा दोनों को कुछ समझ नहीं आया। प्रत्याशा कुछ देर बाद वहा से चली गयी और राजकमल जी वही बैठे अमर जी से बातें करते रहे।
मीरा चाइल्ड होम गयी थी। जब से उसे अमर जी का कड़ा मिला था वह परेशान थी और उस बात से अपना ध्यान हटाने के लिये वह चाइल्ड होम चली आयी ताकि बच्चो के साथ कुछ वक्त गुजार सके। बच्चो के साथ वक्त गुजारकर मीरा लॉन में पड़ी बेंच पर आ बैठी और उदास आँखों से सामने खेलते बच्चो को देखने लगी। बच्चो से नजरे हटाकर मीरा ने दूसरी तरफ देखा तो सामने गमले में लगे पौधे के सफ़ेद फूल पर चली गयी। उसे देखते ही मीरा को अक्षत की याद आ गयी और कुछ पल के लिये बीता हुआ कल उसकी आँखों के सामने आ गया।
“आप हमारे लिये हमेशा ये सफ़ेद फूल ही क्यों लाते है ? लाल फूल क्यों नहीं ?”,मीरा ने प्यार से अक्षत की आँखों में देखते हुए कहा
अक्षत ने हाथ में पकड़ा फूल मीरा के बालों में लगाते हुए कहा,”लाल फूल प्रेमिका के लिये होता है और लाल फूल तो हर कोई पसंद करता है लेकिन मैं ओरो से थोड़ा अलग हूँ ना इसलिए मैंने कुछ अलग चुना”
“तो क्या हम आपकी प्रेमिका नहीं है ?”,मीरा ने अक्षत की तरफ पलटकर पूछा
“मैंने तुम्हे कभी अपनी प्रेमिका नहीं माना बल्कि पहली मुलाकात में ही तुम्हे अपनी वाइफ मान लिया था और मिसेज व्यास सफ़ेद गुलाब इसलिये भी जरुरी है ताकि आप कूल रहे”,अक्षत ने शरारत से कहा
“अच्छा तो क्या हम झगड़ा करते है ?’,मीरा ने झूठ मुठ का नाराज होकर कहा
“हम्म्म कभी कभी लेकिन मैं मना लेता हूँ।”,अक्षत ने मीरा को अपनी बांहो में भरते हुए कहा लेकिन मीरा का गुस्से वाला चेहरा देखकर अक्षत ने एकदम से कहा,”अरे देखो तुम्हारा गुलाब लाल हो गया,,,,,,,,!!”
“हाँ,,,,,,,,!!”,मीरा ने हैरानी से कहा तो अक्षत एकदम से हंस पड़ा और उसके साथ मीरा भी हंसने लगी।
मीरा अतीत के ख्यालों से बाहर आयी तो पाया कि वह मुस्कुरा रही थी। मीरा की नजर एक बार फिर सामने खिलते सफ़ेद गुलाब पर चली गयी। मीरा उसके पास आयी और उसे तोड़कर देखते हुए मन ही कहा,”काश ! अक्षत जी यहाँ होते और हम उन्हें बता पाते कि उनके साथ बिताये पल हमारी जिंदगी के सबसे बेहतरीन पल थे। हम उन्हें बताते कि हम उन्हें आज भी कितना चाहते है , काश ! काश वो यहाँ होत,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“एक्सक्यूज मी,,,,,,,,,,!!”,एकदम से मीरा के कानों में अक्षत की आवाज पड़ी उसका दिल धड़का और उसने पलटकर देखा। मीरा को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ उसका दिल इतनी तेजी से धड़क रहा था जैसे बाहर आ गिरेगा। अक्षत मीरा के बिल्कुल सामने खड़ा था अतीत की यादों में नहीं बल्कि हकीकत में,,,,,,,,,!!
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संजना किरोड़ीवाल
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Sanjana Kirodiwal
मैं कोई Writer नहीं , बल्कि एक चोर हु जो लोगो का समय चुराती है !
Wha ..subha subha Dil khush ho gaya…bhale hee Akshat Meera naraj ho, lakin pyar wo Meera se hee krta hai…Meera Akshat ko soch rhi thi aur wo uske samne aa gaya ..kya ittefaq hai…khar Somit jiju aur Arjun to kal kidnep ho jayenge… Akshat ka party m aana 50-50 to fir kal party m kon hoga….
Jiju or Arjun na bhi rahe office m kal to chaleg..
Akshata to aa hi raha fir sab theek ho jayga….
Waise ye bua n kisi cal kiya Jiju or Arjun ko city se bahar bhejne k liye ab ye neya banda koin hai??
kya sach m Akshata meera se milne aaya ?
Waoooooo wait for next part…
Kya Sach me Akshat Meera se milne aya hai….Akshat ko bura lag raha Chitra se aise behave karke..Soundarya kuch bi karle voh Meera ko Akshat se dur nahi kar payegi kyu ki Akshat Soundarya ki sachaai janta hai Arjun anjane me bi kaha ki kal Soundarya kuch announce karne wali hai per uski baat sacha hai Kyu Soundarya kal Akhilesh aur Meera ki Shaadi ki announcement karna chahati hai…Akhilesh abhi se Meera ko apni wife aur Amar ki property uski hai imagine karne laga…Soundarya ki aise baate Rajkamal ji aur unki beti ko samajh nahi ayi..interesting part Maam♥♥♥♥♥♥♥
Very very good👍👍👍👍👍👍
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Very nice part