Haan Ye Mohabbat Hai – 67
Haan Ye Mohabbat Hai – 67
सुबह अक्षत जल्दी घर से निकल गया। आज तो सब घरवाले सो रहे थे बस राधा किचन में खड़ी विजय जी के लिये चाय बना रही थी। उन्होंने जब अक्षत को जाते देखा तो किचन से बाहर आयी लेकिन तब तक अक्षत वहा से जा चुका था। राधा फिर किचन में चली आयी और अक्षत के बारे में सोचते हुए चाय बनाने लगी। धीरे धीरे सभी उठे और अपनी अपनी दिनचर्या में लग गए।
विजय जी , सोमित जीजू और अर्जुन नाश्ता करके अपने ऑफिस चले गए। नीता नाश्ते का काम निपटा कर ऊपर अपने कमरे में चली गयी। दादू अपना घर से बाहर घूमने निकल गए और राधा भी दूसरे कामो में बिजी हो गयी। इस घर को अब मीरा के बिना जीने की आदत हो चुकी थी। अक्षत और मीरा के बीच की ये दूरिया कब खत्म होगी ये तो कोई नहीं जानता था लेकिन व्यास परिवार का हर एक सदस्य बस उस दिन के इंतजार में था जब मीरा इस घर में वापस आएगी।
देखते ही देखते ये हफ्ता भी गुजर गया। आज अक्षत सुबह से हॉल में बैठा अपने लेपटॉप पर कुछ काम कर रहा था। वह काफी सीरियस था और उसका पूरा ध्यान बस अपने काम पर था। अगले दिन अमर जी के ऑफिस की ग्रेंड पार्टी थी जिसके बारे में बातें करते हुए सोमित जीजू और अर्जुन साथ साथ सीढ़ियों से ऊपर चले आ रहे थे। उन्होंने जब अक्षत को हॉल में देखा तो अर्जुन ने सोमित जीजू से इशारा किया कि वह जाकर अक्षत से बात करे
“तुम चाहते हो मैं जाकर उस शांत बैठे शेर के मुंह में हाथ डालू,,,,,,,,,,,,,,,कभी नहीं , तुम्हारा प्लान है तुम जाकर बात करो।”,सोमित जीजू ने टका सा जवाब दे दिया
अर्जुन ने जीजू की बाँह पकड़ी और उसे अक्षत की तरफ ले जाते हुए कहा,”तो आप क्या चाहते है मैं अकेला जाऊ , हरगिज नहीं आप भी साथ चलेंगे”
“अरे लेकिन मैं,,,,,,,,,,मैं वहा,,,,,,,,,,!!”,जीजू ने अर्जुन के साथ आते हुए कहा और बेचारे अपनी बात भी पूरी नहीं कर पाए थे कि अर्जुन ने उन्हें अक्षत के सामने ले जाकर खड़ा कर दिया।
अक्षत ने जैसे ही गर्दन उठाकर सोमित जीजू की तरफ देखा तो सोमित जीजू ने बतीसी दिखा दी। अक्षत ने उनके बगल में खड़े अर्जुन को देखा तो अर्जुन ने भी अपने कंधे उचका दिए।
“आप दोनों को कुछ काम है ?”,अक्षत ने पूछा
“अह्ह्ह्हह नहीं नहीं कुछ काम नहीं है , अर्जुन तुम्हे कुछ काम है साले साहब से ? नहीं ना हाँ नहीं कोई काम नहीं है।”,सोमित जीजू ने हड़बड़ाते हुए कहा
“तो फिर आप यहाँ खड़े मत रहिये,,,,,,,,,,,,मैं कुछ जरुरी काम कर रहा हूँ , मुझे डिस्टर्ब हो रहा है।”,अक्षत ने कहा और अपना ध्यान फिर अपने लेपटॉप पर जमा लिया।
अर्जुन ने सोमित जीजू से बोलने का इशारा किया। सोमित जीजू ने ना में अपनी गर्दन हिला दी तो अर्जुन ने गुस्से से उन्हें देखा और बोलने का इशारा किया। सोमित जीजू ने अपना गला साफ किया और कहा,”अह्ह्ह्हह हहहह साले साहब वो मैं ये पूछ रहा था कि क्या कल रात आप अमर अंकल के ऑफिस के 25th सेलेब्रेशन में जाने वाले है क्या ?”
अक्षत ने सुना तो उसकी उंगलिया कीबोर्ड के बटन पर ही रुक गयी। उसने सोमित जीजू की तरफ देखा और बिना किसी भाव के साथ कहा,”मैं वहा क्यों जाऊंगा ?”
“हां , सही कहा तुम वहा क्यों जाओगे ? तुम्हारा वहा क्या काम है ? क्या तुम्हे सच में इन्विटेशन नहीं मिला है ?”,सोमित जीजू ने अक्षत का मजाक उड़ाते हुए कहा
अक्षत ने सुना तो अपनी बाँयी भंव को ऊपर चढ़ाकर सोमित जीजू की तरफ देखा। जीजू ने देखा तो अर्जुन को धकियाते हुए कहा,”अर्जुन चलो चलो ऑफिस जाना है ना और शाम में शॉपिंग भी जाना है ना हमे क्या पता कल शाम के लिये इन्विटेशन आ जाये हमारे लिये,,,,,,,,,,,चलो चलो”
अक्षत ने सुना तो अपना लेपटॉप बंद कर दिया। सोमित जीजू और अर्जुन उसे परेशान करके जा चुके थे। अक्षत ने अपने फोन में टाइम देखा कोर्ट जाने का समय हो गया था।
अक्षत अपने कमरे में आया और नहाने चला गया। नहाकर अक्षत ने कपडे पहने अपना सामान लिया और कमरे से बाहर निकल गया। अक्षत ने सामान गाड़ी में रखा और घर से निकल गया। गाड़ी चलाते हुए ना जाने कितने ही ख्याल उसके जहन में चल रहे थे। अक्षत ने गाड़ी कोर्ट के सामने आकर रोकी लेकिन अंदर ना जाकर आगे बढ़ गया। उसे याद आया आज छवि दीक्षित केस की बहुत इम्पोर्टेन्ट सुनवाई है ये जानते हुए भी अक्षत कोर्ट ना जाकर कही और चला आया।
ये जगह इस शहर की सबसे सुनसान जगह थी , अक्षत ने कुछ दूर पहले गाडी रोकी और उतरकर पैदल ही चल पड़ा। चलते हुए अक्षत के कदम उसका साथ नहीं दे रहे थे। मन भारी हो रहा था और गले में जैसे कुछ चुभता हुआ महसूस हो रहा था। अक्षत की आँखों में नमी तैरने लगी लेकिन वह ख़ामोशी से आगे बढ़ता रहा। कुछ देर बाद एक जगह आकर अक्षत रुक गया। ये वो जगह थी जहा अमायरा को उसके मरने के बाद दफनाया गया था। अक्षत घुटनो के बल बैठा और उस जगह पर हाथ फेर कर वहा जमी गंदगी को हटाने लगा।
ऐसा करते हुए अक्षत क्या महसूस कर रहा था ये सिर्फ वही जानता था। उसी जगह से लगकर एक बड़ा सा पेड़ था। जिस पर लगे पत्ते अब लगभग सूखने लगे थे। हवा का एक झोंका आया और पत्ते उड़ते हुए अक्षत पर आ गिरे। उसे लगा जैसे अमायरा ने उसे छुआ हो। वह वही निढाल हो गया और अपना सर उस जगह पर रख दिया जहा अमायरा को दफनाया गया था और करवट लेकर लेट गया। ये देखना किसी के लिये कितना तकलीफ देह होता कि एक बाप अपनी बेटी की याद में उस जमी पर लेटा था जहा उसे दफनाया गया था।
कुछ देर की ख़ामोशी के बाद अक्षत धीमी आवाज में कहने लगा,”मैं ईश्वर से दुआ करूँगा तुम जिस दुनिया में हो उस दुनिया में खुश रहो। आज छवि दीक्षित केस की बहुत इम्पोर्टेन्ट हियरिंग है आई होप की आज उसे इंसाफ मिल जाये। जो बेगुनाह है वो बच जाये और असली गुनहगार का चेहरा सबके सामने आ जाये। मेरी वजह से पिछली बार उसे इंसाफ नहीं मिल पाया प्रिंसेज क्योकि मैं सेल्फिश हो गया था।
सबको लगता है कि तुम्हे बचाने के लिये मैंने छवि का भरोसा तोड़ दिया जो उसने मुझ पर किया था लेकिन उस वक्त दुनिया का कोई भी बाप वही करता जो मैंने किया पर मुझे जिंदगीभर इस बात का अफ़सोस रहेगा कि इस सब के बाद भी मैं तुम्हे नहीं बचा पाया। ना ही उस इंसान का पता लगा पाया जिसने तुम्हारे साथ ऐसा किया ? मैं एक अच्छा पिता नहीं बन पाया प्रिंसेज मुझे माफ़ कर दो। तुम जब मेरी जिंदगी में थी तब मेरे पास करने के लिये सेंकडो काम थे लेकिन अब जब तुम नहीं हो तो मेरा कोई काम करने का दिल नहीं करता ,
मुझे ये सब बेकार और बेफिजूल लगता है। मैं कही भी जाऊ तुम्हारी यादें हर वक्त मेरा पीछा करती है। इन दिनों मैं काफी शांत हो गया हूँ , एक जंग अंदर ही अंदर खुद से लड़ रहा हूँ। मैं जो हो रहा है उसे बदल नहीं पा रहा और जो सामने है उसे स्वीकार नहीं कर पा रहा। मै स्वीकार नहीं कर पा रहा कि तुम जा चुकी हो , मैं स्वीकार नहीं कर पा रहा कि मीरा मेरी जिंदगी से जा चुकी है , मेरी जिंदगी में अब खुश रहने की वजह ही नहीं बची है प्रिंसेज,,,,,,,,,,,,,,मैं मुस्कुराने की कोशिश भी करू तो मेरी आँखे भर आती है।”
कहते हुए अक्षत की आँख से आँसू निकलकर कनपटी पर बह गए और मिटटी को भिगाने लगे। हवा का झोंका फिर अक्षत को छूकर गुजरा और पेड़ से टूटकर कुछ पत्ते उस पर आ गिरे। अक्षत ने अपनी नम आँखे मुँह ली। हवा के झोंके आते जाते उसे छूकर रहे थे। अक्षत के चेहरे पर एक सुकून था , जैसे हवा के गुजरने वाले हर झोंके के साथ अमायरा उसका सर सहला रही हो।
अदालत लोगो से खचाखच भरी थी। छवि दीक्षित केस एक नया मोड़ ले चुका था। कोर्टरूम के बाहर तक वकीलों और वहा मौजूद लोगो भीड़ लगी थी। सिंघानिया जी विक्की और अपने वकील चोपड़ा जी के साथ बैठे थे।
वही दूसरी तरफ सूर्या मित्तल के साथ छवि और माधवी जी बैठी थी। आज माधवी के भैया भी वहा मौजूद थे उन्हें जब पता चला छवि फिर से अपना केस लड़ रही है तो वे चले आये। भाई को साथ खड़ा देखकर माधवी की हिम्मत बढ़ गयी। इन्ही सब के साथ अदालत के कुछ सीनियर वकील और दूसरे लोग भी वहा जमा थे। भीड़ में धक्का मुक्की करते हुए सचिन और चित्रा अंदर आये। चित्रा ने चारो तरफ नजरे घुमाकर देखा लेकिन अक्षत उसे कही नजर नहीं आया।
चित्रा ने एक बार भी अक्षत को छवि केस की सुनवाई में नहीं देखा था और ऐसा क्यों था वह नहीं जानती थी। चित्रा को खोया हुआ देखकर सचिन ने कहा,”लगता है जज साहब अभी आये नहीं है।”
“हाँ ! अह्ह्ह्ह तुमने कुछ कहा ?”,चित्रा ने चौंकते हुए कहा
“हाँ लेकिन तुम्हारा ध्यान शायद कही और है , क्या तुम किसी को ढूंढ रही हो ?”,सचिन ने पूछा
“अक्षत सर कही नजर नहीं आ रहे ? मैं समझ नहीं पा रही हूँ आखिर वो छवि की हियरिंग में क्यों नहीं आते ?”,चित्रा ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“कैसे आएंगे चित्रा ? अक्षत सर जानते है अपनी बेटी को बचाने के लिये उन्होंने चित्रा के साथ नाइंसाफी की और जान बुझकर केस हार गए। हो सकता है इस वजह से अक्षत सर शर्मिन्दा हो और हियरिंग में ना आते हो।”,सचिन ने कहा
“ये कैसी बाते कर रहे हो तुम ? उन्होंने पूरी सच्चाई के साथ ये केस लड़ा था और वो जीत भी जाते लेकिन लास्ट मोमेंट पर उन्हें अपनी बेटी और छवि में से किसी एक को चुनने को कहा गया,,,,,,,,,,,,,उन्होंने वही किया जो उस वक्त करना चाहिए था , दुनिया का कोई भी बाप वही करता।”,चित्रा ने तड़पकर कहा और उसकी ये तड़प जायज थी इन दिनों वह अक्षत से प्यार जो करने लगी थी।
चित्रा की आँखों में अक्षत के लिये परवाह देखकर सचिन खामोश हो गया। कुछ देर बाद जज साहब वहा आये और कार्यवाही शुरू करने को कहा।
रॉबिन कटघरे में खड़ा था आज उसके चेहरे पर डर के भाव नहीं थे बल्कि आँखों में चमक थी। सिंघानिया जी परेशान से बैठे थे लेकिन उनके दिमाग में कई बाते एक साथ चल रही थी। आज विक्की के साथ कुमार भी कोर्ट आया था जिस से विक्की को थोड़ी राहत मिली कि उसका दोस्त उसके पास है।
सिंघानिया जी को परेशान देखकर चोपड़ा जी ने उनकी और देखा और आँखों से आश्वस्त रहने का इशारा किया। सूर्या अपनी कुर्सी से उठा और सामने आकर कहा,”जज साहब आज की कार्यवाही शुरू करते हुए मैं सबसे पहले मिस्टर रॉबिन से कुछ सवाल करना चाहूंगा”
“इजाजत है,,,,,!!”,जज साहब ने कहा
सूर्या रॉबिन के पास आया और कहा,”मिस्टर रॉबिन ! आपने भरी अदालत में ये जुर्म कुबूल किया है कि आपने मिस छवि का रेप किया है। क्या ये सच है ?”
“हाँ ये सच है मैंने ही उसके साथ गलत किया है और मैं अपना जुर्म अदालत में पहले भी कुबूल कर चुका हूँ।”,रॉबिन ने बिना किसी भाव के कहा
रॉबिन का बयान सुनकर सिंघानिया जी को तसल्ली मिली कि आखिर रॉबिन आज भी अपनी जुबान पर कायम है।
सूर्या हल्का सा मुस्कुरा और कहा,”रॉबिन क्या तुम्हारे घरवाले ये जानते है कि तुम एक गे हो ?”
सूर्या ने जैसे ही ये बात कही रॉबिन के चेहरे का रंग उड़ गया और सिंघानिया जी भी हैरान हो गए क्योकि आज से पहले ये बात किसी को नहीं पता थी उन्हें भी नहीं जो रॉबिन के इतना करीब थे। कोर्ट रूम में खुसर फुसर होने लगी। जज साहब ने देखा तो अपना हथौड़ा टेबल पर मारते हुए कहा,”आर्डर आर्डर , मिस्टर सूर्या आप जो कह रहे है क्या आपके पास इसका कोई सुबूत है ?”
“सुबूत है माय लार्ड,,,,,,,,,,,सूर्या कभी बिना फैक्ट्स के बात नहीं करता”,कहते हुए सूर्या ने टेबल पर रखी फाइल्स में से एक फाइल उठायी और जज साहब के सामने रख कर पीछे आते हुए कहा,”माय लार्ड ! केस की तहकीकात करते हुए मैं एक शाम चोरी छुपे सिंघानिया जी के घर गया था , वहा मुझे रॉबिन के कमरे में उसकी ये मेडिकल फाइल मिली जिसमे साफ साफ लिखा है कि रॉबिन कभी पिता नहीं बन सकता ना ही वो फिजिकल एक्टिविटी के लिये केपेबल है।
जज साहब एक गे किसी लड़की का रेप कैसे कर सकता है ? रॉबिन ने छवि का रेप नहीं किया है जज साहब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,असली गुनहगार को बचाने के लिये इसे फंसाया गया है।”
सूर्या की बात सुनकर लोग पहले से ज्यादा हैरान हो गए और कोर्ट रूम मे सब बातें करने लगे। जज साहब ने भी फाइल देखी और अपनी फाइल में कुछ लिखकर टेबल पर फिर हथोड़ा मारते हुए कहा,”आर्डर
आर्डर,,,,,,,,,,,,,,,,,मिस्टर चोपड़ा आप इस बारे में कुछ कहना चाहेंगे,,,,,!!”
“यस माय लार्ड,,,,,,,!!”,चोपड़ा जी ने विश्वास से भरकर उठते हुए कहा। सूर्या की नजरे उनसे मिली तो उसने पाया जैसे चोपड़ा जी भी आज पूरी तैयारी के साथ आये है।
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संजना किरोड़ीवाल
Very👍👍👍👍😣😣😣😣😣🤔🤔🤔
Chavi k sath galat kaam to kumar ne kiya hai…aur Yeh Robin gay hai, yeh to socha hee nhi tha…aaj kumar bhi court m aaya hai… zarur kuch bada hone wala hai but kya…. Akshat bhi Amayra ki yaado m gum hai…kash Meera yaha hoti to dono ek dusre ko sambhal late
if I’m not wrong gay wo male hota h jo male se attracted hota h mtlb wo physical relation k liye capable hota h so sorry to say aapne gay word glt use kra h it should be sterile
Very nice part
Lagta hai in sab ke bich ek hi aadmi hai Chavi ki Life Spoil karna,Singhaniya ka naam karab karna vicky ko fasana…Amaira ko marna…Akshat aur Meera ke bich sab karab karna..per kaun hai yeah nahi pata chal raha hai per jaise jaise kahani age baad rahi naye naye twist arahe hai…interesting part maam♥♥♥♥♥♥
Subh ho sakta hai
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻