Sanjana Kirodiwal

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Haan Ye Mohabbat Hai – 64

Haan Ye Mohabbat Hai – 64

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

विक्की अपने कमरे में आया। दरवाजा बंद किया और फोन कान से लगाकर कहा,”हेलो ! क्या तुम मुझे उस आदमी के बारे में बता सकते हो ? देखो मेरा उसके बारे में जानना बहुत जरुरी है। तुम जो कहोगे मैं करने के लिये तैयार हूँ,,,,,,,,,,,,,,,तुम जितना कहोगे मैं उतना पैसा तुम्हे दूंगा बस तुम मुझे उस आदमी का नाम बताओ।”
विक्की की बात सुनकर दूसरी तरफ से आवाज आयी,”मैं पैसो में नहीं बिकता , हाँ उस आदमी को मैं तुम्हारे सामने जरूर लाऊंगा लेकिन उस से पहले मैं जो कहता हूँ वो करो”


“मुझे क्या करना होगा ?”,विक्की ने आतुरता से कहा
ये सब करके विक्की एक बार फिर मुसीबत में फंस सकता था लेकिन उसे इसकी परवाह नहीं थी। वह बस जवाब के इंतजार में था। आदमी कुछ देर शांत रहा और कहने लगा,”तुम्हे गौतम सिंघानिया से प्रॉपर्टी को लेकर झगड़ा करना होगा और उनकी सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करवानी होगी वो भी कोर्ट की अगली  सुनवाई से पहले,,,,,,,,,,!!”
“ये क्या बकवास है ?”,विक्की ने एकदम से कहा


“ये बकवास ही तुम्हे इस जाल से बाहर निकालेगी जिसमे तुम उलझे हो , मुझे यकीन है तुम ये कर लोगे”,आदमी ने कहा और फोन काट दिया
“हेलो , हेलो , हेलो,,,,,,,,,,,,,,,,यू गोट डेम इट”,विक्की ने गुस्से से फोन बिस्तर पर फेंककर कहा
वह कमरे में यहाँ वहा टहलते रहा और फिर आकर बिस्तर पर बैठ गया और अपना हाथ अपने होंठो से लगा लिया। क्या करे क्या नहीं कुछ समझ नहीं आ रहा था। कोर्ट की अगली सुनवाई में अभी 5 दिन बाकि थे उस से पहले विक्की को सच का पता लगाना था  

उसे किसी भी हालत में उस शख्स का नाम जानना था जिसने सिंघानिया जी से डील की थी। विक्की पीठ के बल बिस्तर पर आ गिरा। बहुत सोचने के बाद विक्की ने फैसला किया और नीचे चला आया। विक्की ने देखा सिंघानिया जी हॉल में चोपड़ा जी के साथ बैठे बातें कर रहे है। विक्की नीचे आया और जान बूझकर थोड़ा गुस्से से कहा,”डेड , डेड,,,,,,,,,!!”
“क्या बात है ? तुम इतना गुस्से में क्यों हो ?”,सिंघानिया जी ने पूछा
“अगर मैं आपसे कुछ मांगू तो आप मुझे देंगे ?”,विक्की ने पूछा


“क्या चाहिए तुम्हे ?”,सिंघानिया जी ने विक्की की आँखों में गुस्से और बगावत के भाव देखकर पूछा
“मुझे आपकी प्रॉपर्टी अपने नाम चाहिए ?”,विक्की ने सिंघानिया जी की आँखों में देखते हुए कहा
“”व्हाट ? लेकिन तुम्हे अचानक से ऐसी बात कहने की जरूरत क्यों पड़ी ? आखिर मेरे बाद ये सब तुम्हारा ही तो है।”,सिंघानिया जी ने हैरानी से कहा


“आपके बाद नहीं डेड , मुझे ये सब आपके रहते चाहिए,,,,,,,,,,,ये सब मेरे नाम कर दीजिये”,विक्की ने कहा
“दिमाग ख़राब हो गया है तुम्हारा , ये क्या बकवास किये जा रहे हो तुम ? तुम्हे मेरी प्रॉपर्टी चाहिए मैं जरूर दूंगा लेकिन ऐसे नहीं,,,,,,,,,,,!!”,सिंघानिया जी ने गुस्से से कहा
“क्यों डेड ? मैं क्यों नहीं मांग सकता ? ये सब मेरा ही है ना या फिर आपका कोई और वारिस भी है जिसके लिये आप ये प्रॉपर्टी बचाना चाहते है ?”,विक्की ने सवालिया नजरो से सिंघानिया जी को देखते हुए कहा


“विक्की,,,,,,,,,,,,,तुम होश में तो हो , मैं तुम्हारी माँ जैसा नहीं हूँ समझे तुम,,,,!!”,सिंघानिया जी ने गुस्से और तकलीफ भरे स्वर में कहा
“क्यों क्या फर्क है आप में और मेरी माँ में ? वो मुझे तब छोड़कर चली गयी जब मैं छोटा था और आपने मुझे खुद से दूर कर दिया।”,विक्की ने कहा


“विक्की,,,,,,,,,,,,विक्की मैंने तुम्हे खुद से दूर नहीं किया है। ये , ये सब तुम्हारा ही तो है लेकिन अभी मैं ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहता जिसका मुझे जिंदगीभर के लिये पछतावा हो।”,सिंघानिया जी ने बेबसी से कहा
“ठीक है डेड आप मुझे ये सब नहीं दे सकते तो फिर मेरा और आपका रिश्ता ही क्या है ? और क्यों हूँ मैं यहाँ ?”,कहते हुए विक्की ने अपना हाथ वहा रखे कांच के फ्लॉवर पॉट पर दे मारा जिस से पॉट नीचे गिरकर बिखर गया।


नौकर जो कि चोपड़ा जी के लिये जूस लेकर आया था पॉट गिरने से सहम गया। उसने जूस टेबल पर रखा और वहा से चला गया।
“विक्की ! ये क्या कर रहे हो तुम ?”,सिंघानिया जी ने कहा
“आप प्रॉपर्टी मेरे नाम करेंगे या नहीं ?”,विक्की ने गुस्से से पूछा


“विक्की तुम,,,,,,!”,सिंघानिया जी ने इतना ही कहा कि विक्की ने टेबल पर पड़ा शीशे का जार उठाया और बार की तरफ दे मारा जिस से वहा रखी महंगी शराब की कई बोतलें एक बार में ही टूटकर बिखर गयी। गुस्सा विक्की की आँखों से साफ झलक रहा था  

चोपड़ा जी जो काफी देर से विक्की को इस तरह बर्ताव करते देख रहे थे सिंघानिया जी के पास आये और धीरे से कहा,”सिंघानिया जी विक्की जो कह रहा है वो मान लीजिये कही ऐसा ना हो कोर्ट की सुनवाई में ये गुस्से में आकर इल्जाम अपने सर ले ले,,,,,,,!!”
“पर कैसे चोपड़ा ? वो ऐसी जिद कर रहा है जो जायज नहीं है,,,,,,,!!”,सिंघानिया जी ने कहा


“सिंघानिया जी हालात की नजाकत को समझिये , इस वक्त विक्की की बात मान लेने में ही हम सब की भलाई है , उसकी ये बात मानकर हम उसे प्रेशर कर सकते है कि वो कोर्ट में अपना बयान ना बदले,,,,,,,,,,,वैसे भी कुछ साल बाद ये सब विक्की का ही होगा तो अभी क्या परेशानी है ,, मेरी बात मानिये प्रॉपर्टी विक्की के नाम कर दीजिये,,,,,,,,,,!!”
सिंघानिया जी को चोपड़ा जी पर बहुत भरोसा था इसलिए उन्होंने उनकी बात मानकर विक्की से कहा,”ठीक है मैं अपनी सारी प्रॉपर्टी तुम्हारे नाम करने के लिये तैयार हूँ , लेकिन बदले में तुम्हे मेरी एक बात माननी पड़ेगी”


“मुझे आपकी हर बात मंजूर है,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने कहा
“चोपड़ा , मेरी सारी प्रॉपर्टी के पेपर्स विक्की के नाम से तैयार करो।”,सिंघानिया जी ने विक्की को देखते हुए कहा
“हो जायेगा सर,,,,,,,,,!”,चोपड़ा जी ने कहा
सिंघानिया जी ने एक नजर विक्की को देखा और वहा से चले गए। उनके पीछे पीछे चोपड़ा जी भी वहा से चले गए। आज पहली बार विक्की को अपने ही पिता के साथ इस तरह से बात करके दुःख हो रहा था। उसका चेहरा उदासी से घिर गया और वह वहा से चला गया।

सिंघानिया जी के घर का नौकर जो कुछ देर पहले चोपड़ा जी के लिये जूस लेकर आया था। उसने सारी बातें सुनी और अपना फोन निकालकर साइड में
चला आया। उसने किसी का नंबर डॉयल किया और फोन कान से लगा लिया। कुछ देर बाद दूसरी तरफ से किसी ने फोन उठाया।
“हेलो ! आपके लिये एक बुरी खबर है , सिंघानिया जी अपनी पूरी प्रॉपर्टी विक्की के नाम करने वाले है। अभी कुछ देर पहले ही विक्की बाबा का साहब जी से झगड़ा हुआ है और वो बहुत गुस्से में है।”


“हम्म्म , तुम बस उन पर नजर रखो और जो बात होती है मुझे बताते रहो।”,दूसरी तरफ से किसी ने कहा
“मेरे पैसे ?”,नौकर ने हिचकिचाते हुए कहा
“वो तुम्हे मिल जायेंगे,,,,,!!”,दूसरी तरफ से आवाज आयी और फोन कट गया। नौकर ने फोन जेब में रखा और वहा से चला गया। 

चित्रा कोर्ट आयी। उसकी नजरे बस अक्षत को ढूंढ रही थी और अक्षत उसे कही दिखाई नहीं दिया। चित्रा माथुर जी से मिली उन्होंने किसी जरुरी काम से चित्रा को फाइल देकर अक्षत के केबिन में भेजा जहा सचिन से कुछ डॉक्युमेंट लेने थे। अक्षत को देखने का ये अच्छा मौका था सोचकर चित्रा ख़ुशी ख़ुशी माथुर साहब के केबिन से निकलकर जाने लगी। कोरीडोर में चलते हुए चित्रा को सामने से आता सूर्या मित्तल मिल गया। उन्होंने चित्रा को देखा तो उसके सामने रुककर कहा,”नमस्ते वकील साहिबा ! कैसी है आप ?”


“नमस्ते,,,,,!”,चित्रा ने बेमन से कहा
” वैसे आपके वो अक्षत व्यास कही दिखाई नहीं दे रहे , मुझसे हारने के डर से कही घर में छुपकर तो नहीं बैठ गया ?”,सूर्या मित्तल ने अक्षत का मजाक उड़ाते हुए कहा
चित्रा ने सूना तो वह फीका सा हंसी और कहा,”आपको लगता है अक्षत सर को आपसे या इस कोर्ट में किसी से डरने की जरूरत है ? इस केस में अब अक्षत सर को कोई दिलचस्पी नहीं है इसलिए किसी और की मेहनत पर उड़ना बंद कीजिये”


चित्रा की बात सुनकर सूर्या की भँवे तन गयी और कहा,”वो तो इस केस का रिजल्ट आने के बाद पता चलेगा कौन उड़ता  है और कौन मुँह के बल जमीन पर गिरता है। इस बार की सुनवाई में मैं ये साबित कर दूंगा इस केस का असली गुनहगार विक्की सिंघानिया है और अक्षत ने जान बूझकर उसे बचाने के लिये उसके नौकर को फंसा दिया। जानती हो वकील साहिबा इसके बाद क्या होगा ? इसके बाद जज साहब और ये अदालत आपके प्यारे अक्षत व्यास को लात मारकर बाहर कर देगी। इसे कहते है एक तीर से दो शिकार,,,,,,,!!”


चित्रा ने सूना तो सके चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये और उसने कहा,”इस से ज्यादा आप से उम्मीद भी क्या की जा सकती है ,, पता नहीं अक्षत सर ने क्यों छवि को आपसे मिलने के लिये कहा”
“इसे कहते है अपना पैर कुल्हाड़ी पर मारना लेकिन अक्षत से ज्यादा मुझे तुम पर तरस आ रहा है जिस तरह से तुम उसके आगे पीछे घूमती हूँ , ये केस अगर मैं जीत गया तो इसका दुःख सबसे ज्यादा शायद तुम्हे ही होगा।”,सूर्या ने अफ़सोस जताते हुए कहा।


सूर्या की बातें चित्रा को सीने में चुभती महसूस हुई उसने सूर्या को एक नजर देखा और वहा से आगे बढ़ गयी। सूर्या ने जाती हुई चित्रा को देखा और मुस्कुरा कर वहा से चला गया।  

मीरा के कहने पर अखिलेश वहा से चला गया। सौंदर्या ने अखिलेश को बाहर जाते देखा और खुद मीरा के पास उसके कमरे में चली आयी। सौंदर्या को वहा देखकर मीरा ने अपने आँसू पोछे और उठते हुए कहा,”आप यहाँ ? आपको हमसे कुछ काम था ?”
“क्यों मीरा ? क्या मैं सिर्फ तब तुम्हारे कमरे में आ सकती हूँ जब मुझे तुम से काम हो  , क्या मैं ऐसे तुम्हारे कमरे में नहीं आ सकती ?”,सौंदर्या ने प्यार से शिकायती लहजे में कहा


“नहीं ऐसी बात नहीं है,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने बुझे मन से कहा
सौंदर्या भुआ मीरा के पास आयी और कहा,”मीरा ! क्या हुआ है तुम इतना परेशान क्यों हो ? कोई बात है तो मुझे बताओ आखिर मैं तुम्हारी माँ जैसी ही हूँ”
मीरा कुछ कहती इस से पहले ही घर में काम करने वाली मंजू आयी और कहा,”मीरा मैडम ! वो सर दूध नहीं पी रहे है , उसके बाद उन्हें दवाईया देनी है। आप ही उन्हें समझाइये ना”


“भाईसाहब भी ना ,, अभी मैंने उन्हें कितना समझाया कि जल्दी ठीक होने के लिये उन्हें टाइम से खाना पीना और दवाईया लेनी ही पड़ेगी लेकिन वो दिन ब दिन बच्चो की तरह जिद्दी होते जा रहे है। मीरा ! चलो अब चलकर तुम ही उन्हें समझाओ,,,,,,,,,,देखती हूँ तुम्हारे सामने कैसे इंकार करते है वो चलो आओ”,सौंदर्या भुआ ने कहा
अमर जी का कडा मिलने के बाद से ही मीरा अमर जी के बारे में सोचकर परेशान हो रही थी , इसके बाद अपने पिता के सामने जाने पर उसकी क्या प्रतिक्रया रहेगी मीरा नहीं जानती थी।

उसने सौंदर्या की बात का कोई जवाब नहीं दिया वह बस खामोश खड़ी रही।
“क्या हुआ मीरा चलो ना,,,,,,,चलो आओ”,कहते हुए सौंदर्या मीरा का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ कमरे से बाहर ले गयी।

सौंदर्या मीरा को लेकर अमर जी के कमरे में आयी और मीरा से अमर जी की तरफ जाने का इशारा किया। मीरा ख़ामोशी से उनके सामने आ बैठी। अमर जी बिस्तर पर आधे से ज्यादा लेते थे और उनका सर थोड़ा सा तकिये से ऊपर था वे एकटक मीरा को देखे जा रहे थे। मीरा ने साइड टेबल पर रखा दूध का गिलास उठाया और अमर जी के होंठो की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”मंजू बता रही है कि आप दूध पीने से मना कर रहे है। अगर आप ये नहीं करेंगे तो दवा कैसे लेंगे और जल्दी ठीक कैसे होंगे ? चलिए ये पि लीजिए इसके बाद हम आपको दवा दे देते है।”


अमर जी ने देखा मीरा के हाथो में दूध का वही गिलास था जिस में सौंदर्या ने दवा मिलायी थी। आँखों देखे जाने के बाद भी अमर जी भला सच्चाई को कैसे ठुकराते लेकिन मीरा ने इतने प्यार से कहा कि वे ना नहीं बोल पाए और होंठो को दूध के गिलास से लगा लिया।

पास ही खड़ी सौंदर्या ने दोनों को देखा और मुस्कुरा कर मन ही मन कहा,”वाह क्या नजारा है ? अपने प्यारे पापा को मीरा अपने ही हाथो जहर वाला दूध पीला रही है। ओह्ह्ह मीरा तुमने तो मेरा काम और भी आसान कर दिया,,,,,,,,,,,,!!”

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