Sanjana Kirodiwal

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Haan Ye Mohabbat Hai – 56

Haan Ye Mohabbat Hai – 56

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

घण्टे भर बाद छवि को होश आया। खुद को एमरजेंसी वार्ड में देखकर छवि घबरा गयी और जैसे ही उठकर बैठी विक्की ने उसके पास आकर कहा,”लेटी रहो तुम्हे आराम की जरुरत है।”
विक्की को अपने सामने देखकर छवि के चेहरे पर परेशानी के भाव और ज्यादा उमड़ने लगे और उसने घबराहट भरे स्वर में कहा,”तुम ! तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? मैं यहाँ कैसे आयी ? मुझे यहाँ कौन लेकर आया ?”


“रिलेक्स छवि ! तुम पहले ये पानी पीओ , रिलेक्स,,,,,,,,!!”,विक्की ने पास पड़ा पानी का गिलास छवि की तरफ बढाकर कहा
छवि ने पानी नहीं पीया उलटा घबराकर कहने लगी,”तुम मुझे यहाँ क्यों लेकर आये हो ? क्या तुम फिर मेरे साथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज विक्की मुझे जाने दो मुझे जाने दो यहा से”
कहते हुए छवि बिस्तर से नीचे उतरी और जैसे ही जाने लगी विक्की ने उसे रोक लिया वह ऐसी हालत में छवि को अकेले जाने नहीं दे सकता था।

विक्की ने जैसे ही छवि का हाथ पकड़ा छवि रोने लगी उसे वही बीता वक्त याद आने लगा। विक्की ने जो बर्ताव उसके साथ किया वो सब किसी फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने घूमने लगा। छवि ने विक्की से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा,”भगवान् के लिये मुझे जाने दो प्लीज , मुझे जाने दो ,, तुम मुझे यहाँ क्यों लेकर आये हो ? तुमने जो दर्द मुझे दिया है मैं उसे अब तक नहीं भूल पायी हूँ क्या तुम मुझे वही दर्द वही आंसू फिर देना चाहते हो ?”


 छवि की बाते विक्की के दिल को ठेस पहुँचाने के लिये काफी थी विक्की ने छवि को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन छवि तो जैसे कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थी। बदहवास सी वह बस कुछ न कुछ बोले जा रही थी और वहा से जाना चाहती थी। विक्की ने देखा छवि उसकी बात नहीं सुन रही है तो उसने छवि की दोनों बाँहे पकड़ी और उसकी पीठ दिवार से लगाकर गुस्से से कहा,”पहले मेरी बात सुनो उसके बाद तुम्हे जहा जाना है चली जाना”


विक्की को गुस्से में देखकर छवि सहम गयी। वह खामोश हो गयी उसकी आँखों में मोटे मोटे आँसू भर आये। वह एकटक विक्की को देखने लगी। छवि को चुप देखकर विक्की कहने लगा,”तुम मुझे रास्ते में सड़क पर बेहोश पड़ी मिली इसलिए मैं तुम्हे यहाँ लेकर आया। डॉक्टर ने तुम्हारा चेकअप किया और इंजेक्शन लगा दिया। तुम प्रेग्नेंट हो छवि और ऐसी कंडीशन में तुम्हे आराम की सख्त जरूरत है ऐसा डॉक्टर ने कहा। तुम्हारे साथ यहाँ रुकने के लिये कोई नहीं था इसलिए मुझे रुकना पड़ा अब बताओ मैंने क्या गलत किया ?”


कहते कहते विक्की एकदम से चिल्ला पड़ा जिस से छवि एक बार सहमी और फिर गुस्से और नफरत भरे स्वर में कहा,”क्या किया ? ये तुम मुझसे पूछ रहे हो विक्की सिंघानिया,,,,,,,,,,,,,,,तुमने मेरा रेप किया है , मेरी इज्जत को मिटटी में मिला दिया , मुझे दर दर की ठोकरे खाने के लिये मजबूर कर दिया तुमने , आज हर कोई मुझे पाना तो चाहता है लेकिन कोई मुझे अपनाना नहीं चाहता , मैं किसी के घर की धूल तो बन सकती हूँ लेकिन किसी के माथे का चन्दन नहीं , मेरे साथ इतना सब करने के बाद तुम मुझसे पूछ रहे हो तुमने क्या किया है ?

तो सुनो मुझसे मेरा गुरुर छीन लिया है तुमने , मुझसे जीने की उम्मीद छीन ली है , मेरी हंसी ख़ुशी मेरा सम्मान छीन लिया है।”
कहते कहते छवि रो पड़ी। पहली बार छवि के आंसुओ ने विक्की को तकलीफ दी। विक्की ने छवि की बांहो को थामा और उसकी आंखों में देखते हुए कहने लगा,”मैंने तुम्हारे साथ गलत नहीं किया है छवि मेरा यकीन करो,,,,,,,,,,,,,,मैं सब कर सकता हूँ लेकिन किसी लड़की के साथ,,,,,,,,,,,

मैं किसी लड़की के जिस्म से नहीं खेल सकता,,,,,,,,,,,हाँ मैं गुस्सा था तुम से , तुम्हे सबक सीखाना चाहता था लेकिन ये सब , ये सब मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा , मैं सच कह रहा हूँ मेरा यकीन करो छवि,,,,,,,,,,,,!!”
छवि ने गुस्से से विक्की को देखा और कहा,”मुझे तुम्हारी किसी बात पर भरोसा नहीं है , मुझसे बदला लेने के लिये तुमने मेरे साथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,छी और कितना गिरोगे तुम ?”


विक्की का गुस्सा अब दुःख में बदल चुका था उसने नम आँखों से छवि को देखा और उसकी बांहो को थामते हुए कहा,”तुम्हे मेरी किसी बात का विश्वास नहीं है तो मत करो पर उस छुअन को तो पहचानती होगी ना तुम ? अगर मैं वो इंसान होता जिसने तुम्हारे साथ गलत किया तो क्या तुम मेरे सामने खड़ी रह पाती”


कहते हुए विक्की ने छवि के हाथो को बार बार छुआ , छवि खामोश हो गयी विक्की उसके करीब आया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”तुम कहोगी तो कल अदालत में मैं सबके सामने ये कुबूल कर लूंगा कि वो इंसान मैं हूँ लेकिन एक बार अपने दिल से पूछना छवि क्या सच में वो इंसान मैं हूँ ?”
कहते हुए विक्की छवि से दूर हटा और तेज कदमो से वहा से निकल गया।
विक्की की कही बातें बार बार छवि के कानो में गूंजने लगी वह फैसला नहीं कर पा रही थी विक्की असली गुनहगार है या कोई और ? छवि वही दिवार से  पीठ लगाकर बैठ गयी और रो पड़ी।

उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। विक्की ने उसे बहुत तंग किया था लेकिन आज विक्की का बदला रूप देखकर और उसकी बातें सुनकर छवि कोई फैसला नहीं ले पा रही थी। उसने अपनी आँखे बंद कर ली तो विक्की की कही बात उसके कानों में फिर गुंजी  “”तुम्हे मेरी किसी बात का विश्वास नहीं है तो मत करो पर उस छुअन को तो पहचानती होगी ना तुम ? अगर मैं वो इंसान होता जिसने तुम्हारे साथ गलत किया तो क्या तुम मेरे सामने खड़ी रह पाती””


छवि ने महसूस किया विक्की की छुअन का अहसास उस रात के अहसास से अलग था। अगर विक्की नहीं तो फिर वो कौन था जिसने छवि की इज्जत से खिलवाड़ किया  

विक्की हॉस्पिटल से बाहर आया और गाड़ी में आ बैठा उसने गुस्से से गाड़ी स्टेयरिंग पर अपना हाथ मारा और कहा,”आखिर वो मेरी बात का यकीन क्यों नहीं कर रही ? मैंने उसका रेप नहीं किया वो ये बात क्यों नहीं समझती ? अगर मैं उसे नुकसान पहुंचाता तो क्या मैं उसे हॉस्पिटल लेकर आता,,,,,,,,,,,,वो समझती क्यों नहीं है मैं बदल चुका हूँ , उसके लिये मेरी फीलिंग्स बदल चुकी है। मैं चाहकर भी उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकता। कैसे ? कैसे यकीन दिलाऊ उसे कि ये सब मैंने नहीं किया है , नहीं किया है मैंने”


कहते हुए विक्की ने एक बार फिर स्टेयरिंग पर अपना हाथ दे मारा , उसने जैसे ही गाड़ी स्टार्ट करने के लिये अपना हाथ बढ़ाया फोन बजा। विक्की ने देखा ये फोन उसका नहीं था।  उसने पलटकर देखा तो गाड़ी की पिछली सीट पर रखे बैग से आवाज आ रही थी। ये बैग छवि का था विक्की ने बैग उठाया और उसमे से फोन निकालकर देखा। स्क्रीन पर माँ नाम देखकर विक्की खुद में बड़बड़ाया,”ये तो छवि की मॉम का फोन है अगर मैंने उन्हें बताया छवि हॉस्पिटल में है तो वे परेशान हो जाएगी , एक काम करता हूँ छवि को उसका बैग लौटा देता हूँ वह खुद उनसे बात कर लेगी।”


विक्की ने फोन वापस बैग में डाला और गाड़ी से उतरकर हॉस्पिटल की तरफ आया। विक्की जैसे ही अंदर आया सामने से आती छवि उसे दिखाई दी। विक्की वही रुक गया और जैसे ही छवि उसके पास आयी विक्की ने उसका बैग उसकी तरफ बढाकर कहा,”ये तुम्हारा बैग मेरी गाड़ी में रह गया था।”


छवि विक्की से कुछ कहती इस से पहले ही विक्की वहा से चला गया। छवि को समझ नहीं आ रहा था क्यों लेकिन कुछ देर पहले उसने विक्की से जो कुछ कहा वो सब सोचकर उसे अजीब महसूस हो रहा था। कही ना कही छवि को विक्की की बातो में सच्चाई नजर आ रही थी।

छवि हॉस्पिटल से बाहर आयी और ऑटो का इंतजार करने लगी। विक्की भी गाड़ी में आ बैठा। मौसम काफी ख़राब था और एकदम से बारिश होने लगी ऐसे में छवि अकेले खड़ी है देखकर विक्की ने गाड़ी उसके सामने रोकी और दरवाजा खोलकर कहा,”अंदर आ जाओ भीग जाओगी”
छवि ने कोई जवाब नहीं दिया वह ख़ामोशी से विक्की को देखते रही।

छवि का यू एकटक देखना विक्की को बैचैन करने लगा तो उसने कहा,”तुम चाहो तो मुझ पर भरोसा कर सकती हो ,, इस वक्त तुम्हे कोई ऑटो नहीं मिलेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हे घर तक छोड़ देता हूँ।”
छवि ने सूना तो गाड़ी का दरवाजा बंद किया और पिछली सीट का दरवाजा खोलकर अंदर आ बैठी। विक्की ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी। रास्तेभर छवि विक्की के बारे में सोचती रही विक्की सच में बदल गया था या ये अब उसकी कोई नयी चाल थी लेकिन छवि जानना चाहती थी आखिर सच क्या है ? विक्की ख़ामोशी से गाड़ी चलाता रहा और इस बीच एक बार भी उसने पलटकर छवि को नहीं देखा।


विक्की ने गाड़ी छवि के घर से कुछ दूर पहले ही रोक दी ताकि लोग उसे विक्की के साथ आया देखकर गलत ना समझे। छवि गाड़ी से उतरी और अपना बैग लेकर वहा से चली गयी। विक्की ने भी गाड़ी घुमाई और वहा से चला गया।

विक्की के मन में छवि को लेकर जो एक बोझ था वो धीरे धीरे कम होने लगा था। रास्ता लंबा था इसलिए विक्की ने म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया और उस पर कोई प्यारा सा गाना चलने लगा
“आहटें हो रही तेरी दिल के दर पे मेरे तू यही है कही न कही”
विक्की ने सूना तो उसकी आँखों के सामने छवि का चेहरा आने लगा। उसने महसूस किया छवि को लेकर उसके भाव अब बदलने लगे थे।

छवि घर आयी तो देखा माधवी जी दरवाजे पर यहाँ वहा चक्कर काट रही थी। छवि को देखते ही वे उसके पास आयी और कहा,”छवि ! कहा रह गयी थी तू ? मैंने तुम्हे फ़ोन किया तुमने मेरा फोन भी नहीं उठाया,,,,,,,,,,,,,,,तुम ठीक हो ना बेटा ? पता है मैं कितना घबरा गयी थी।”


माधवी जी को परेशान देखकर छवि ने उन्हें हॉस्पिटल के बारे में नहीं बताया वह माधवी जी और परेशान करना नहीं चाहती थी इसलिए कहा,”माँ मैं बिल्कुल ठीक हूँ , कल कोर्ट में तारीख है ना तो मैं सूर्या सर से मिलने चली गयी थी और इस वजह से फोन भी साइलेंट पर था।”


“तुम अकेले चली गयी मुझसे कहा होता मैं तुम्हारे साथ चलती,,,,,!!”,माधवी जी ने छवि के हाथ से उसका बैग लेते हुए कहा
“माँ इतनी छोटी सी बात के लिये मैं आपको परेशान करना नहीं चाहती थी ,, अब जल्दी से मुझे खाना दीजिये बहुत भूख लगी है।”,छवि ने मुस्कुराते हुए कहा और माधवी के साथ अंदर चली आयी। चलते चलते छवि ने पलटकर देखा , उसे लगा जैसे विक्की अभी भी वही खड़ा हो पर वहा कोई नहीं था। छवि अंदर चली आयी और इसी के साथ माधवी ने घर का दरवाजा बंद कर लिया।

 अमर जी को खाना खिलाकर उन्हें दवा देकर मीरा जैसे ही जाने लगी अमर जी ने मीरा का हाथ पकड़कर उसे रोक लिया। मीरा ने देखा तो ख़ुशी से उसकी आँखे चमक उठी अमर जी ने आज कितने महीनो बाद कोई मूवमेंट किया था। मीरा ने खुश होकर कहा,”हाँ पापा ! आप कुछ कहना चाहते है ?”
अमर जी अभी बोलो नहीं सकते थे इसलिए अपनी पलके झपकाकर उसे बैठने का इशारा किया।

मीरा उसके पास बैठ गयी और अपने दूसरे हाथ से अमर जी के हाथ को थामकर कहा,”आज हम बहुत खुश है पापा , हमे यकीन है आप जल्दी ही ठीक हो जायेंगे पापा”
“मीरा , मीरा , तुम्हारा फोन इतनी देर से बज रहा है लो बात करो”,सौंदर्या ने कमरे में आते हुए कहा
“भुआजी ! आप सुनेगी तो ख़ुशी से भर जाएँगी पापा ने हमारा हाथ पकड़ा , पापा धीरे धीरे ठीक हो रहे है भुआजी”,मीरा ने ख़ुशी से चहकते हुए कहा


“अरे वाह मीरा ! ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है लेकिन ये तुम्हारा फोन”,सौंदर्या आगे कहती इस से पहले ही फोन फिर बज उठा
“किसका फोन है भुआजी ?”,मीरा ने अमर जी का हाथ छोड़कर सौंदर्या की तरफ आते हुए कहा
“भाईसाहब के ऑफिस से है , इस वक्त फोन किया कुछ जरुरी काम होगा लो बात करो,,,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने फोन मीरा की तरफ बढ़ाते हुए कहा
मीरा ने सौंदर्या से फोन लिया और साइड में आकर बात करने लगी।

सौंदर्या अमर जी की तरफ आयी तो एकदम से उनके चेहरे के भाव बदल गए। अमर जी के चेहरे पर गुस्से और नफरत के भाव तैरने लगे। सौंदर्या ने अमर जी के हाथ को पकड़ा और एकदम से मरोड़ते हुए कहा,”बहुत शौक है ना आपको मीरा से सब सच बताने का , लेकिन वो तो आप तब बता पाएंगे जब मैं आपको बताने लायक छोडूंगी।”
हाथ मरोड़ने की वजह से अमर जी को बहुत दर्द हुआ लेकिन कुछ ना बोल पाने की वजह से उनकी चीख गले में ही कही अटक कर रह गयी हालाँकि दर्द उनके चेहरे और आँखों में साफ दिख रहा था।

मीरा ने फोन कान से लगाया और कहा,”हेलो ! जी कहिये”
“नमस्ते मैडम ! इस वक्त आपको फोन करने के लिये माफ़ी चाहूंगा , दरअसल एक हफ्ते बाद अमर सर की कम्पनी के 25 वर्ष पुरे हो जायेंगे और इसी ख़ुशी में
 कम्पनी के सभी शेयर होल्डरस ने एक ग्रेंड पार्टी रखी है जिसकी गेस्ट आप और अमर सर होंगे,,,,,,,,,,,,,,,मैं समझ सकता हूँ अमर सर अभी इस हालत में नहीं है कि कम्पनी सम्हाल सके लेकिन वो वहा होंगे तो हम सबको अच्छा लगेगा।”,मैनेजर ने कहा


“ये तो बहुत ख़ुशी की बात है। हमारी तरफ से किसी भी तरह की हेल्प चाहिए तो जरूर कहियेगा।”,मीरा ने सहजता से कहा
“थैंक्यू मैडम ! मैं आपको सभी डिटेल्स मेल कर देता हूँ ,, थैंक्यू सो मच मैंम।”,मैनेजर ने कहा
“इसमें थैंक्यू कैसा , हमे अच्छा लगेगा अगर हम पापा को थोड़ा स्पेशल फील करवा सके”,मीरा ने कहा
“अमर सर कैसे है मेम ?”,मैनेजर ने पूछा


“पापा अब पहले से बेहतर है , आप एक काम क्यों नहीं करते मेल करने के बजाय सभी डिटेल्स लेकर कल घर आ जाईये और पापा से भी मिल लीजिये।”,मीरा ने कहा
“आपने तो मेरे मन की बात कह दी मेम , मैं कल सुबह आकर आपसे और सर से मिलता हूँ। गुड नाईट मेम”,मैनेजर ने कहा


“गुड नाईट”,मीरा ने कहा और फोन काटकर सौंदर्या की तरफ आते हुए कहा,”पापा के ऑफिस से मैनेजर का फोन था , अगले हफ्ते पापा की कम्पनी को 25 साल पुरे हो जायेंगे उसी की ख़ुशी में एक पार्टी रखी गयी है और उसमे हमे इन्वाइट किया गया है।”
“अरे वाह फिर तो हम सबको वहा जाना चाहिए”,सौंदर्या ने खुश होकर कहा
मीरा अमर जी के पास आयी और कहा,”आप चलेंगे ना पापा ?”


अमर जी ने सुना तो अंदर ही अंदर थोड़ा परेशान हो गए उनकी कम्पनी को तो अभी 20 साल हुए थे फिर मीरा 25 साल क्यों कह रही थी ? मीरा को खुश देखकर अमर जी ने अपनी पलकें झपका दी। मीरा ने उन्हें गुड नाईट कहा और वहा से चली गयी।

सौंदर्या भी कमरे से बाहर चली आयी और जहरीली मुस्कान अपने होंठो पर लाकर कहा,”ये तो बहुत अच्छी खबर है मीरा अब उसी पार्टी में सबके सामने मैं तुम्हारे और अखिलेश की शादी का ऐलान करुँगी और बेस्ट पार्ट इज ये सब तुम्हारे प्यारे पापा के हाथो होगा।”

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