Haan Ye Mohabbat Hai – 50
Haan Ye Mohabbat Hai – 50
मीरा फोन कान से लगाए स्तब्ध बैठी थी। उसके मुंह से कोई बोल नहीं फूटे। ये आवाज,,,,,,,,,ये आवाज मीरा पहचानती थी , इस आवाज को मीरा पहले भी सुन चुकी थी। मीरा को खामोश पाकर दूसरी तरफ से आदमी ने कहा,”क्या हुआ मीरा जी ? आपको मेरी आवाज पसंद नहीं आयी या मेरी बात,,,,,,,,,,,?”
“अब क्या चाहते है आप ?”,मीरा ने घबराये हुए स्वर में कहा
“अरे ! आप तो सीधा मुद्दे की बात पर आ गयी , चलो फिर काम की बात ही करते है,,,,,,,,,,,,,,,,,एक मुलाकात चाहिए आपके साथ , सिर्फ आप और मैं,,,,,,,,,,बताईये क्या ख्याल है आपका ?”,आदमी की आवाज में एक कशिश थी
“हमारी बेटी को तो आप हम से छीन चुके है अब और क्या चाहिए आपको हम से ?”,मीरा ने नफरत और गुस्से भरे स्वर में कहा
“किसी को किसी से छीनने वाला मैं कौन होता हूँ ? हाँ लेकिन मैं ये बता सकता हूँ कि इन सबके पीछे कौन हैं ? होटल पार्क एवेन्यू , रूम नंबर 127,,,,,,,,,,,,,,,,मैं इंतजार करूंगा मीरा जी”,कहकर आदमी ने फोन काट दिया
“हेलो , हेलो , हेलो,,,,,,,,,,,,!”,मीरा ने कहा लेकिन वह कुछ कह पाती इस से पहले फोन कट गया। मीरा ने वापस उसी नंबर को डॉयल किया लेकिन नंबर बंद आ रहा था।
मीरा ने फोन साइड में रखा और खुद से ही कहने लगी,”ये वही है , वही है जिसने उस दिन अमायरा को मारने की धमकी दी , ये वही है जिसने अमायरा को हम से छीन लिया , हमारी खुशिया हमारी मोहब्बत सब हम से छीन ली,,,,,,,,,,,,हमे अक्षत जी को ये बताना चाहिए,,,,,,,,,,,,पर क्या अक्षत जी हमारी बात पर भरोसा करेंगे ? वो तो हमे देखना तक नहीं चाहते वो हमारी बात कैसे सुनेंगे और सुन भी ली तो क्या वो यकीन करेंगे,,,,,,,,,,,,,हमे इस से मिलना चाहिए , हमे जानना है आखिर हमारी बेटी को उसने क्यों मारा ? क्यों छीन लिया अमायरा को हम से,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए मीरा ने एक फैसला किया और गाड़ी दूसरे रास्ते की तरफ मोड़ दी।
उसी शाम छवि अपने ऑफिस से घर जाने के लिये निकली। छवि के हाथ में कुछ बैग थे जिनमे फल और सब्जियों के साथ कुछ जरुरी सामान भी था। ऑफिस से मेन रोड तक आने के लिये छवि को पैदल चलना पड़ता था और उसके लिये सही भी था।
छवि बैग हाथो में सम्हाले सड़क किनारे चली आयी। काफी देर इंतजार करने के बाद भी जब कोई ऑटो नहीं आया तो छवि रास्ते में कोई ऑटो मिल जायेगा सोचकर पैदल ही चल पड़ी। इत्तेफाक से विक्की भी अपनी गाड़ी लिये उसी तरफ चला आ रहा था। आसमान में काले बादल छाये हुए थे जो कभी भी बरस सकते थे।
हवाएं चल रही थी और छवि धीमे कदमो से सड़क पर चली जा रही थी। चौराहे से मुड़ते हुए छवि ने सामने ध्यान नहीं दिया और सामने से आती गाड़ी ने भी हार्न नहीं दिया था जिस से घबराकर छवि नीचे गिर गयी। गनीमत था उसके हाथ पर ज़रा सी खरोच लगी थी लेकिन हाथ में पकडे बैग नीचे आ गिरे और उनमे रखा सामान बाहर सड़क पर बिखर गया।
वह गाड़ी कोई और नहीं बल्कि विक्की ही चला रहा था। विक्की को नहीं पता था सामने छवि है वह जल्दी से गाड़ी से बाहर आया और सड़क पर बिखरा सामान उठाते हुए कहा,”आई ऍम रियली सॉरी , आपको इस साइड से नहीं आना चाहिए था ये रॉंग साइड है।”
छवि ने खुद को सम्हाला और उठ खड़ी हुई उसका ध्यान हाथ पर लगी खरोंच पर नहीं गया। उसने जब देखा गाड़ी विक्की की है तो गुस्से से उसका चेहरा तिलमिला उठा। वह विक्की के पास आयी और उसके हाथ से बैग छीनकर कहा,”इस सब की कोई जरूरत नहीं है। ये झूठी हमदर्दी दिखाना बंद करो तुम”
विक्की ने छवि की आवाज सुनी तो सर उठाकर देखा सामने अपने पेट को हाथ लगाए छवि खड़ी थी। विक्की उठ खड़ा हुआ और कहा,”तुम यहाँ ? सॉरी मैंने तुम्हे देखा नहीं था , आई ऍम रियली सॉरी”
“अगर देखा होता तो आज मैं इस हालत में नहीं होती,,,,,,,,,,,,!”,छवि ने अपने बढे हुए पेट की तरफ देखकर कहा
छवि को इस हाल में देखकर विक्की कुछ बोल नहीं पाया। कही ना कही छवि के इन हालातो के लिये विक्की आज भी जिम्मेदार था। अपने पेट को हाथ लगाए लगाए छवि ने झुककर गिरा हुआ सामान उठाने की कोशिश की तो विक्की ने आगे बढ़कर कहा,”ये सब मैं उठा देता हूँ।”
छवि ने देखा आस पास उसकी मदद करने वाला कोई नहीं था इसलिए उसने विक्की को मना नहीं किया और वही खड़ी रह गयी। विक्की नीचे बैठकर एक बार फिर सारा सामान समेटने लगा।
छवि विक्की को एकटक देखे जा रही थी। छवि के हिसाब से तो ये वही लड़का था जिसने छवि का रेप किया और उसकी जिंदगी को बदतर बना दिया लेकिन विक्की छवि को बदला बदला नजर आ रहा था। विक्की की आँखों में ना बदले के भाव थे ना ही छवि को लेकर नफरत , उन आँखों में एक खालीपन पसरा था बस।
“तुम्हारा सामान,,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने बैग छवि की तरफ बढाकर कहा
छवि ने बैग लिया और गुस्से से नफरत भरे स्वर में कहा,”मेरी मदद करके मेरे साथ अच्छा बनकर अगर तुम्हे लगता है मैं तुम्हे माफ़ कर दूंगी और ये केस वापस ले लुंगी तो तुम शायद गलत सोच रहे हो। बहुत पैसे है ना तुम्हारे पापा के पास ,, सबको खरीद सकते है वो लेकिन मुझे नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,तुमने मेरे साथ जो किया है वो मैं कभी नहीं भूल सकती , कभी नहीं भूल सकती,,,,,,,,,,,!!”
विक्की ख़ामोशी से सब सुनता रहा उसने कुछ नहीं कहा बस बिना किसी भाव के छवि के चेहरे की तरफ देखता रहा।
छवि अपनी जगह सही थी लेकिन विक्की भी अपनी जगह गलत नहीं था ये विक्की जानता था विक्की का कहना था उसने छवि का रेप नहीं किया लेकिन सच क्या था ये तो विक्की और छवि ही जानते थे।
“क्या मैं तुम्हे घर तक छोड़ दू ?”,विक्की ने कहा
“शुक्रिया,,,,,,,,,,,,!!”,छवि ने नफरत से कहा और वहा से चली गयी। विक्की वही खड़ा छवि को जाते हुए देखता रहा।
चोपड़ा जी और सूर्या मित्तल दोनों ही छवि के केस को लेकर गंभीर हो चुके थे। सूर्या मित्तल विक्की को गलत साबित करने के सबूत ढूंढने लगा और चोपड़ा जी विक्की को बचाने का तरिका ढूंढने लगे। कोर्ट में वकीलों की दो टीम बन चुकी थी। एक चोपड़ा जी की तरफ थी क्योकि वे काफी सीनियर वकील थे और दूसरी टीम सूर्या मित्तल की तरफ,,,,,,,,,,,,!! सूर्या मित्तल दिनभर अपने केबिन में बैठा छवि के केस पर स्टडी करता रहा लेकिन उसे कोई सबूत नहीं मिला जिस से वह रॉबिन को बेकसूर और विक्की को गुनहगार साबित कर सके।
सुबह से शाम हो गयी लेकिन सूर्या के हाथ ऐसा कोई सबूत नहीं लगा जिस से वह विक्की को गुनहगार साबित कर सके। उसी दोपहर अक्षत के पास एक केस आया था जिसके वेरिफिकेशन के लिये अक्षत को पुलिस स्टेशन भी जाना था लेकिन उस से पहले अक्षत अपने केबिन में बैठा किसी फाइल को बड़े ध्यान से स्टडी कर रहा था। सचिन अक्षत के लिये चाय लेकर केबिन में आया। अक्षत के हाथ में पकड़ी फाइल पर सचिन की नजर पड़ी तो उसे बहुत हैरानी हुई। सचिन ने चाय का कप टेबल पर रखते हुए कहा,”सर आपकी चाय”
सचिन की आवाज से अक्षत की तंद्रा टूटी उसने फाइल बंद कर साइड में रखी और चाय का कप उठाते हुए कहा,”थैंक्यू सचिन,,,,,,,,,,,,नए केस के डॉक्युमेंट तैयार करवाए तुमने ?”
“हाँ मैंने उन्हें टायपिस्ट को दे दिया है वो शाम तक दे देगा”,सचिन ने कहा
“हम्म्म ठीक है।”,अक्षत ने चाय पीते हुए कहा
“सर गुस्सा ना करे तो एक बात पुछु आपसे ?”,सचिन ने डरते डरते पूछा
“हम्म्म पूछो”,अक्षत ने कहा
“मैंने देखा अभी कुछ देर पहले आप छवि दीक्षित केस की पुरानी फाइल बहुत ध्यान से पढ़ रहे थे। ये केस सूर्या सर लड़ रहे है फिर आप इस फाइल में ऐसा ऐसा क्या पढ़ रहे है सर ? क्या आपको भी लगता है सूर्या मित्तल को ये केस देकर आपसे गलती हुई है ?”,सचिन ने डरते डरते अक्षत के सामने अपनी बात रखी जिसे सुनकर अक्षत कुछ देर के लिये खामोश हो गया
अक्षत को खामोश देखकर सचिन ने कहा,”मैं आपसे सवाल नहीं कर रहा सर मैं बस जानना चाह रहा था आपने ऐसा क्यों किया ?”
अक्षत ने एक गहरी साँस ली और कहा,”सचिन वर्तमान में आगे बढ़ने से पहले हमे एक बार अपने अतीत में झांककर देख लेना चाहिए। अतीत में जो जो गलतिया हम से हुई है या जो गलत फैसले हमने लिए है उन्हें बदला नहीं जा सकता लेकिन उन से जो सबक मिले है उनके साथ वर्तमान में आगे बढ़ने में हमे आसानी होती है। मैं भी वही कर रहा था बस देख रहा था कि छवि को इंसाफ दिलाने में मुझसे कहा गलती हुई ?”
अक्षत की बाते सुनकर सचिन ने कहा,”आपकी बाते बहुत गहरी होती है सर जिन्हे समझना मेरे बस की बात नहीं है लेकिन मैं जानता हूँ सर छवि दीक्षित केस में आपसे कोई गलती नहीं हुयी आपने अपना बेस्ट दिया था सर , इसे छवि की किस्मत कहे या आपकी मज़बूरी कि उसे इंसाफ ना मिल सका लेकिन इसके लिये आप खुद को दोषी मत मानिये,,,,,,,,,,,,,,,पर सूर्या मित्तल को ये केस देकर आपसे भूल हुई है सर , एक बार आप दुश्मन पर भरोसा कर लेते लेकिन सूर्या सर पर नहीं ,, आपको नीचा दिखाने और हराने के लिये कही वह छवि के साथ फिर से नाइंसाफी ना कर दे।”
सचिन की बातें सुनकर अक्षत हल्का सा मुस्कुराया और कहा,”सचिन जिस दिन तुम ये समझ जाओगे मैंने ऐसा फैसला क्यों लिया उस दिन तुम्हारी जगह वहा नहीं यहाँ होगी , अक्षत व्यास की कुर्सी पर,,,,,,,,,!!”
सचिन ने सूना तो खामोश हो गया , वह कई सालों से अक्षत के साथ था लेकिन आज तक नहीं समझ पाया अक्षत क्या सोचता है और कैसे सोचता है ? सचिन ने ख़ामोशी से अपना काम करना ही बेहतर समझा और अक्षत ने भी एक बार फिर छवि दीक्षित केस की पुरानी फाइल अपने हाथो में उठा ली और अपना ध्यान उसमे लगा लिया।
मीरा गाड़ी लेकर पार्क एवेन्यू होटल पहुंची। ये इंदौर का एक बड़ा और आलिशान होटल था। मीरा ने रिसेप्शन पर आकर रूम नंबर 127 के बारे में पूछा जो कि 7वे माले पर था। मीरा लिफ्ट के सामने चली आयी और बटन दबा दिया। लिफ्ट के दरवाजे खुले मीरा लिफ्ट के अंदर चली आयी जिसमे काले रंग का लंबा सा कोट पहने एक आदमी खड़ा अख़बार पढ़ रहा था। उसने अख़बार को बिल्कुल अपने चेहरे के सामने खोल रखा था जिस से मीरा उसका चेहरा नहीं देख पायी और अंदर आकर 7 नंबर दबा दिया।
लिफ्ट बंद होकर जैसे ही ऊपर जाने लगी अख़बार वाले आदमी ने लिफ्ट की लाइट बंद कर दी ये देखकर मीरा घबरा गयी और जैसे ही चीखना चाहा आदमी ने पीछे से आकर उसके मुंह पर अपना हाथ रख उसका मुंह बंद कर दिया। मीरा कुछ बोल नहीं पायी। आदमी अपने होंठो को उसके कानो के पास लेकर आया और धीरे से कहा,”मीरा जी ! जो खेल आपने शुरू किया था आज उसी खेल में आप मेरे हाथो की कठपुतली बनकर रह गयी है। बेवकूफ आप कल भी थी और आज भी है ,
एक अनजान आदमी ने आपको बुलाया और आप चली आयी ये सोचे बिना कि आपके साथ यहाँ कुछ भी हो सकता है,,,,,,,,,,,,,,और आपके ये परफ्यूम की खुशबु किसी को भी आपका दीवाना बनाने के लिये काफी है। आपकी बेटी को किसने मारा यही जानने आयी है ना आप,,,,,,,,,,,,,,पर क्या कभी आपने अपने घर में झांककर देखा , बाहर से ज्यादा दुश्मन आपको अपने घर में मिल जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,एक बार झांककर देखियेगा।”
इतना कहकर आदमी ने मीरा को पीछे किया और लिफ्ट का दरवाजा खुलते ही तेजी से बाहर निकल गया।
मीरा घबराई हुई सी बाहर आयी उसने यहाँ देखा लेकिन तब तक वो आदमी वहा से जा चुका था। मीरा इस आवाज को पहचानती थी ये वही आवाज थी जो कुछ देर पहले उसने फोन पर सुनी थी। आदमी की बातों से मीरा घबरा गयी , उसकी सांसे तेजी से चलने लगी और माथे पर पसीने पर पसीना चमकने लगा।
मीरा का दिल रेल के इंजन के भांति तेजी से धड़के जा रहा था। मीरा ने उस आदमी से मिलने का ख्याल दिल से निकाल दिया और वापस जाने के लिये मुड़ गयी। इस बार लिफ्ट से ना जाकर मीरा सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी। उसके जहन में आदमी की कही एक ही बात बार बार चली रही थी
“आपकी बेटी को किसने मारा यही जानने आयी है ना आप,,,,,,,,,,,,,,पर क्या कभी आपने अपने घर में झांककर देखा , बाहर से ज्यादा दुश्मन आपको अपने घर में मिल जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,एक बार झांककर देखियेगा।”
मीरा खोयी हुई सी सोच में डूबी नीचे चली आयी। नीचे आकर मीरा और ज्यादा हैरान थी। होटल में चारो तरफ पुलिस के आदमी थे और सबकी तलाशी ले रहे थे। मीरा जैसे ही जाने के लिये दरवाजे की तरफ आयी महिला कॉन्स्टेबल ने कहा,”मैडम अपना बैग दीजिये”
“लेकिन क्यों ? और ये सब क्या हो रहा है ?”,मीरा ने सवाल किया
“यहाँ पुलिस की रेड पड़ी है , पुलिस को खबर मिली है यहाँ यूथ को चरस सप्लाई होता है। चलिए अपना बैग दीजिये,,,,,,,,!!”,महिला कॉन्स्टेबल ने कहा
“आपको क्या लगता है हम ऐसी हरकत करेंगे ? आप शायद जानती नहीं है हम कौन है ?”,मीरा ने कठोरता से कहा
“आप कोई भी है इस से हमे कोई फर्क नहीं पड़ता , कानून की नजर में सब एक है,,,,,,,,,,तलाशी लो इनकी”,वहा पास ही खड़े सीनियर इंस्पेकटर ने महिला कॉस्टेबल से कहा
महिला कॉन्स्टेबल ने मीरा का बैग लिया और खोलकर देखा तो उसके चेहरे के भाव बदल गए। उसने बैग बंद किया और मीरा की तरफ देखकर कहा,”आप ज़रा साइड में आ जाईये।”
मीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था और उस वक्त उसके होश उड़ गए जब महिला इंस्पेक्टर ने आकर उसके हाथो में हथकडिया पहनाते हुए कहा,”आपके बैग की तलाशी लेते हुए पुलिस को बैग से चरस का पैकेट मिला है। आपको गिरफ्तार किया जाता है।”
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संजना किरोड़ीवाल
Yr yeh to siyapa ho gaya Meera k sath…uss anjaan aadmi ne thik hee kaha tha ki Meera kal bhi bewakoof thi aur aaj bhi hai ..Bina kisi ko bataye yaha aa gai uss aadmi se milne aur ab charas k chakkar m…ohhho Meera kya hoga tumhara…tumhra achcha hona kitna nuksan dayak hai yeh tumhe pta nhi kab pta chalega…chalo ab bas aapke patidev Akshat Babu time se aakar tumhe jail se riha karwa le…
Lagta hai Meera ka case ab Akshat ladeka per yeah Aadmi jo bi hai bahut shatir se sabke saath khel raha hai…Akshat Chavi ka case wapas study kar raha yeah janne ke liye ki usse kaha galti hue jan sakke…Chavi ko iss halat me dekh kar Vicky ko bahut bura laga aur Chavi ki dekh pa raha hai Vicky ka badlav..Meera ko Akshat ko inform karke ane chahiye tha aaj uska yeah khatam usse hi musibaat me daal gaya per uss Admin ne sahi kaha ki bahar se jyada dushman uske ghar per hi hai per kaun hai yeah…interesting part Maam♥♥♥♥
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Very nice part
Suspense par chhod kar part ko utsukta badha di.