हाँ ये मोहब्बत है – 27
Haan Ye Mohabbat Hai – 27
अक्षत का दिया कार्ड हाथ में लिए खड़ी छवि अक्षत को जाते हुए देखते रही। छवि अभी भी हैरान थी कि आखिर अक्षत को कैसे पता वह केस रीओपन करना चाहती है ?
“आओ छवि , घर चलते है”,माधवी जी ने कहा तो छवि की तंद्रा टूटी वह उनके साथ वहा से चली गयी। सड़क किनारे आकर माधवी ने ऑटो रुकवाया और छवि के साथ घर के लिये निकल गयी। अक्षत घर के अंदर आया लेकिन उसने देखा घर खाली पड़ा है वहा कोई नहीं है। घर का कोई भी सदस्य इस वक्त घर में मौजूद नहीं था। अक्षत ने रघु को आवाज दी। कुछ देर बाद रघु आया और कहा,”जी अक्षत बाबा,,,,,,,!!”
“घर के सब लोग कहा है ? बच्चे भी कही नजर नहीं आ रहे,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने पूछा
“मुझे नहीं पता बाबा , मैं तो सब्जी लेने मार्किट गया था वापस आया तो देखा घर में कोई नहीं है।”,रघु ने कहा
“हम्म्म ठीक है,,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा
“आपके लिये चाय कॉफी कुछ बना दू ?”,रघु ने कहा
“नहीं आप जाईये,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा और खुद ही किचन की तरफ चला आया। किचन में आकर अक्षत ने पतीला उठाया और गैस पर चढ़ा दिया।
उसने पतीले में पानी , दूध , चाय पत्ती चीनी और अदरक डालकर उसे उबलने के लिये छोड़ दिया। कुछ ही मिनटों में चाय उबलकर तैयार थी। अक्षत ने पतीला जैसे ही उठाया उसकी उंगलिया जल गयी और उसके मुंह से एक आह निकल गयी।
“हमने कहा था ना ये सब मत कीजिये , कुछ चाहिए तो हम से कहिये,,,,,,,,,,,,हम है ना आपका ख्याल रखने के लिये अब देखिये जला ली ना अपनी ऊँगली,,,,,,,,,दिखाईये हमे , हम नहीं होंगे तो पता नहीं आपका क्या होगा ?”,अक्षत के सामने खड़ी मीरा ने अक्षत की जली ऊँगली पर धीरे धीरे फूंक मारते हुए कहा।
सफ़ेद रंग के अनारकली सूट में मीरा कितनी प्यारी नजर आ रही थी। उसके गुंथे हुए बालों से छनकर आती लटें उसके गालों पर झूल रही थी और बार बार मीरा को परेशान कर रही थी।
उन लटों को हटाने के लिये अक्षत ने अपना हाथ मीरा के गाल की तरफ जैसे ही बढ़ाया और उसे छुआ मीरा का अक्स हवा में गायब हो गया। अक्षत को महसूस हुआ कि ये सब बस उसका वहम था। उसने देखा चाय उबलकर आधी हो चुकी है तो उसने चाय को कप में छाना और लेकर बाहर हॉल में चला आया।
हॉल में लगभग अन्धेरा हो चुका था लेकिन अक्षत ने लाइट नहीं जलाई उसे अँधेरे में रहना अब ज्यादा अच्छा लगता था। हॉल में बनी बालकनी से बगीचे में लगी लाइट की रोशनी अंदर आ रही थी जिस से हॉल में थोड़ा उजाला था। अक्षत अपनी चाय लेकर हॉल की सीढ़ियों पर आ बैठा और चाय पीने लगा। अक्षत ने महसूस किया ये चाय बिल्कुल वैसी ही थी जैसी मीरा उसके लिये बनाया करती थी बस मीरा अक्सर उसमे चीनी डालना भूल जाया करती थी।
अक्षत चाहकर भी अपने जहन से मीरा के ख्याल को निकाल नहीं पा रहा था। चाय पीकर अक्षत ने कप साइड में रखा और अपने दोनों हाथो को सर के नीचे लगाकर वही सीढ़ियों बीते वक्त के बारे में सोचने लगा
शाम होते होते अमर जी को होश आ गया। जब सबने सूना तो सबके उदास चेहरे खिल उठे राधा ने महादेव का शुक्रिया अदा किया। सब खुश थे वरुण भी वहा आ पहुंचा जब उसे अमर जी के होश में आने की बात पता चली तो वह भी खुश हो गया और मीरा से कहा,”देखा दी मैंने कहा था ना ताऊजी को कुछ नहीं होगा , आपको खामखा टेंशन हो रही थी।”
डॉक्टर ICU से बाहर आये उन्होंने अमर जी के परिवार के बारे में पूछा तो विजय जी आगे आये और कहा,”जी कहिये,,,,,,,,मैं उनका समधी हूँ अब कैसी तबियत है उनकी ?”
डॉक्टर ने सबको एक नजर देखा और फिर विजय जी से कहा,”आप ज़रा मेरे साथ मेरे केबिन में आईये”
मीरा ने साथ आना चाहा तो विजय जी ने उसे बाहर ही रुकने को कहा क्योकि विजय जी समझ चुके थे जरूर कोई गंभीर बात है जो डॉक्टर सबके सामने करना नहीं चाहता।
विजय जी को अकेले जाते देखकर सोमित जीजू भी उनके साथ चले आये। वरुण ने देखा दोपहर बाद से सौंदर्या भुआ कही दिखाई नहीं दे रही तो वह उन्हें ढूंढते हुए उसी बाथरूम के सामने पहुंचा जहा नीता और तनु ने सौंदर्या भुआ को बंद किया था।
अंदर से आती आवाज सुनकर वरुण ने दरवाजा खोला , बाथरूम के पॉट पर बैठी सौंदर्या भुआ को जब वरुण ने देखा तो हैरानी से कहा,”आप यहाँ क्या कर रही है ?”
“किसी ने मुझे यहाँ बंद कर दिया”,सौंदर्या भुआ ने चिढ़ते हुए कहा और बाथरूम से बाहर आयी
“वैसे ये जिसने भी किया अच्छा किया,,!!”,वरुण धीरे से बड़बड़ाया
“क्या कहा तुमने ?”,सौंदर्या ने गुस्से से आँखे दिखाते हुए पूछा
“कुछ नहीं मैं तो आपको ये बताने आया था , ताऊजी को होश आ गया है जल्दी चलिए,,,,,,,,,,,,,, हो सकता है वो ये भी बता दे कि उनके साथ ये किसने किया ?”,वरुण ने सौंदर्या को डराते हुए कहा
सौंदर्या ने जैसे ही सूना उसके माथे पर पसीने की बुँदे उभर आयी और उसने काँपते लफ्जो में कहा,”क्या ? क्या भाईसाहब को होश आ गया ? अह्ह्ह ये तो बहुत अच्छी बात है वरुण,,,,,,,,,,,,,!!”
“अच्छी बात तो है भुआ क्योकि अब ताऊजी ही ताऊजी ही बताएँगे आखिर वो अब तक थे कहा और उनके साथ ये हादसा कैसे हुआ ?”,वरुण ने सौंदर्या की तरफ देखकर पूछा
सौंदर्या घबरा गयी लेकिन मन के भावो को चेहरे पर नहीं आने दिया और कहा,”एक बार मुझे पता चल जाए वो कौन है जिसने भाई साहब का ये हाल किया है तो उसका मैं वो हाल करुँगी जो उसने कभी सोचा भी नहीं होगा।”
वरुण ने कुछ नहीं कहा बस एक नजर सौंदर्या को देखा और वहा से आगे बढ़ गया। सौंदर्या भी वरुण के पीछे पीछे सबके बीच चली आयी।
विजय जी और सोमित जीजू डॉक्टर मेहता के कहने पर उनके केबिन में आये जहा डॉक्टर आशुतोष पहले से मौजूद थे। डॉक्टर मेहता ने विजय जी और सोमित जीजू से बैठने को कहा और खुद भी अपनी कुर्सी पर आ बैठे।
केबिन में फैली ख़ामोशी को तोड़ने के लिये विजय जी ने कहा,”क्या बात है डॉक्टर आपने हमे यहाँ क्यों बुलाया है ? अमर जी ठीक तो है ना ?”
“अमर जी ठीक है और हमारी टीम ने कड़ी मेहनत करके उन्हें कोमा में जाने से भी बचा लिया है
लेकिन,,,,,,,,!!”,कहते कहते मेहता जी रुक गयी
“लेकिन क्या डॉक्टर ? देखिये आप जो भी बात है साफ साफ बताईये”,विजय जी ने धड़कते दिल के साथ कह
” पेशेंट को तो हमने बचा लिया है लेकिन इतने बड़े एक्सीडेंट के बाद उनकी 90% बॉडी पैरालाइज हो चुकी है। वो सुन सकते है , सब देख सकते है , महसूस भी कर सकते है लेकिन बोल नहीं सकते ,, आने वाले कुछ महीने उन्हें सिर्फ बिस्तर पर गुजारने होंगे। उन्हें ठीक किया जा सकता है।
मेडिकल ट्रीटमेंट और मेडिसिन के साथ साथ उन्हें बहुत सारी केयर की भी जरूरत होगी,,,,,,,,,,,अगर इतना होता है तो उनकी रिकवरी के 70% चांस है। फॅमिली के सामने मुझे ये
बताना सही नहीं लगा इसलिए मैंने आपको यहाँ बुलाया। अमर जी के आगे का पूरा ट्रीटमेंट डॉक्टर आशुतोष देखेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,डॉक्टर आशुतोष इस हॉस्पिटल के बेस्ट डॉक्टर है आपको निराश नहीं करेंगे।”,डॉक्टर मेहता ने विजय जी से कहा।
विजय जी ने सूना तो उनका दिल बैठ गया। मीरा के जीवन में दुःख कम थे जो अब अमर जी के साथ ये सब हो गया। विजय जी के हाथ ठन्डे पड़ गए सोमित जीजू ने देखा तो उन्होंने विजय जी के कंधे पर अपना हाथ रखा और डॉक्टर से कहा,”डॉक्टर खतरे की तो कोई बात नहीं है ना ? मेरा मतलब उन्हें हॉस्पिटल में कब तक रहना होगा ? और हम उन्हें घर कब ले जा सकते है ?”
“पेशेंट के घाव अभी ताजा है , उन्हें भरने में एक हफ्ता लगेगा इसलिए हमे पेशेंट को कम से कम एक हफ्ते तक हॉस्पिटल में ही रखना होगा। यहाँ डॉक्टर आशुतोष है , उनकी टीम है अमर जी को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। एक हफ्ते बाद आप उन्हें हॉस्पिटल से घर लेकर जा सकते है।”,डॉक्टर मेहता ने कहा
डॉक्टर आशुतोष अब तक खामोश थे और इस बार कहा,”डोंट वरी मिस्टर व्यास आप सब मुझ पर छोड़ दीजिये”
“ठीक है डॉक्टर,,,,,,,,,,,,,,,थैंक्यू !”,विजय जी ने कहा
सोमित जीजू और विजय जी कुछ देर केबिन में और रुके फिर बाहर चले आये। कुछ देर पहले विजय जी और सोमित जीजू के चेहरे पर जो मुस्कुराहट थी वो एकदम से निराशा और उदासी में बदल गयी
बाहर खड़े सब लोग बेसब्री से उन्ही का इंतजार करे रहे थे। राधा विजय जी के पास आयी और कहा,”डॉक्टर ने क्या कहा जी ? अमर जी ठीक है ना ?”
“हाँ विजय ! क्या कहा डॉक्टर ने ? कोई घबराने वाली बात तो नहीं है ना ?”,दादू ने पूछा
“पापा डॉक्टर ने कहा है अमर जी अब खतरे से बिल्कुल बाहर है , अभी घाव ताजा है इसलिए हफ्ताभर उन्हें हॉस्पिटल में ही रखेंगे उसके बाद हम उन्हें घर लेकर जा सकते है।”,विजय जी ने पूरी बात न बताई , वे इस वक्त किसी को परेशान करना नहीं चाहते थे खासकर मीरा को,,,,,,,,,,,,,,,,!!
“महादेव का बहुत बहुत शुक्रिया बस अमर जी जल्दी से ठीक हो जाये , फिर सब ठीक हो जाएगा”,दादू ने हाथ जोड़कर ऊपर सर करते हुए कहा
मीरा ख़ामोशी से सब सुन रही थी उसकी आँखों में अब भी नमी थी। विजय जी ने देखा तो उसके पास आये और उसके सर पर हाथ रखते हुए कहा,”मीरा , तुम ठीक हो ना बेटा ? देखो डॉक्टर ने कहा है अमर जी जल्दी ठीक हो जायेंगे”
“थैंक्यू पापा ! थैंक्यू सो मच , आज यहाँ आकर आप सबने हमे ये अहसास दिला दिया कि हम अकेले नहीं है,,,,,,!!”,मीरा ने रोते हुए कहा
राधा ने सूना तो मीरा के पास आयी और कहा,”खबरदार ! जो तुमने खुद को अकेला समझा ,, तुम्हारा परिवार हमेशा तुम्हारे साथ है मीरा,,!!”
“हाँ मीरा राधा ठीक कह रही है ,, आखिर तुम खुद को अकेला कैसे कह सकती हो हम सब भी तो है ना तुम्हारे साथ,,,,,,,,,,,,,भगवान का लाख लाख शुक्र है जो भाईसाहब अब खतरे से बाहर है,,,,,,,,,,,,
मैं तो सुबह से बस प्रार्थना ही कर रही हूँ भले महादेव मेरी उम्र ले ले लेकिन भाईसाहब को कुछ ना हो”,सौंदर्या भुआ ने मीरा के पास आकर बातो में चाशनी लपेटते हुए कहा
“बाप रे क्या एक्टिंग कर रही है इसे तो एकता कपूर के सीरियल में होना चाहिए था,,,,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने बड़बड़ाते हुए अर्जुन से कहा
“हाँ तभी मैं सोचु ये चंट लोमड़ी इतनी जल्दी मासूम गिलहरी कैसे बन गयी ?”,अर्जुन ने भी धीरे से फुसफुसाते हुए कहा
सोमित जीजू ने सूना तो अर्जुन की तरफ देखा और कहा,”ये मिसाल थी ? अर्जुन कम से कम एग्जाम्पल तो अच्छा दो ,, चुड़ैल अपना आउटफिट चेंज कर ले तो परी नहीं बनती बल्कि चुड़ैल की चुड़ैल ही रहती है,,,,,,,,,,,,,,,,इस कलेशी औरत के सामने तो 4 चुड़ैल भी कम है।”
“कलेशी तो है ये औरत , अच्छा है हमारी कोई भुआ नहीं है,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने कहा तो सोमित जीजू ने अफ़सोस में अपना हिलाया और फिर ध्यान विजय की तरफ लगा लिया।
दादू ने इशारा किया तो विजय जी सौंदर्या के सामने आये और हाथ जोड़कर कहा,”अच्छा बहन जी अब हम सब को चलना चाहिए,,,,माँ और पिताजी भी सुबह से यही है थक गए होंगे और बच्चो को भी हमने निधि के यहाँ छोड़ा है। हम सबको अभी के लिये घर जाना चाहिए ,, अर्जुन यहाँ आप लोगो के साथ रुक जाएगा किसी तरह की जरूरत हो तो आप बेझिझक उसे कह सकते है।”
“अरे नहीं नहीं भाईसाहब आप अर्जुन को क्यों परेशान कर रहे है मैं और वरुण है ना यहाँ मीरा के साथ , आप सब लोग घर जाईये और आराम कीजिये यहाँ सब मैं सम्हाल लुंगी,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा
“सम्हाल लुंगी नहीं कहो बिगाड़ दूंगी चंट लोमड़ी,,,,,,!!”,जीजू ने मन ही मन कहा लेकिन इतनी हिम्मत नहीं थी कि सबके सामने कह सके।
“मैं तुम्हारे साथ रुक जाती हूँ मीरा,,,,,,,,,,,,,,,!!”,राधा ने मीरा के हाथो को थामकर कहा
मीरा ने राधा को देखा उनकी आँखों में मीरा को अपने लिए प्यार और परवाह दोनों साफ नजर आ रहे थे। मीरा ने राधा के हाथो को अपने हाथो में थामा और कहा,”नहीं माँ आप भी सबके साथ घर जाईये , सुबह से आप यहाँ है आप भी थक गयी होंगी,,,,,,,,,,,,,,हम ठीक है और भुआ जी है ना हमारे साथ , आप हमारे लिये बिल्कुल परेशान मत होईये और घर जाईये”
“लेकिन ऐसे हालत में तुम्हे अकेले छोड़कर,,,,,,,,,,,,,मुझे यहाँ रुकने दो मीरा”,राधा ने कहा
“माँ ! अगर अक्षत जी को पता चला आप सब यहाँ है तो उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा ,, हम सब कर सकते है लेकिन उनके खिलाफ नहीं जा सकते ,, हमारी बात मानिये और घर जाईये प्लीज ,, उन्होंने अगर आप सब को घर में नहीं देखा तो परेशान हो जायेंगे”,मीरा ने कहा
“देखिये कैसी लड़की है ये ? इतना सब होने के बाद भी इसे उसकी चिंता हो रही है ,, वो जिसने आज आकर ये तक नहीं देखा कि मीरा यहाँ किस हाल में है।”,कहते हुए राधा की आँखों में आँसू भर आये
अक्षत अमर जी से मिलने हॉस्पिटल आया था ये बात मीरा ने घरवालों को बताती इस से पहले ही सौंदर्या भुआ आगे आयी और कहा,”अरे ठीक ही तो कह रही है मीरा ! दामाद जी का गुस्सा तो आप सब जानते ही है , उन्हें पता चला आप लोग मीरा से मिलने यहाँ आये है तो कही मीरा की तरह आप लोगो को भी धक्के मारकर घर से बाहर,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब दामाद जी कुछ भी करने से पहले सोचते कहा है।
राधा की बात घर में किसी को पसंद नहीं आई लेकिन मीरा के लिए सब खामोश रहे पर राधा इस बार खामोश नहीं रही और सौंदर्या की तरफ पलटकर कहा,”मीरा उस घर की बहु थी और हमेशा रहेगी ,, जिस अक्षत ने मीरा को घंऱ से निकाला है बहुत जल्द वही अक्षत अपनी मीरा को उस घर में लेकर आएगा।”
सौंदर्या ने सूना तो फीका सा मुस्कुरा दी , आखिर राधा की कही बात को हजम जो नहीं कर पा रही थी।
मीरा की बात मानकर सभी घरवाले हॉस्पिटल से चले गए। उनके जाने के बाद सौंदर्या ने राहत की साँस ली। मीरा अंदर जाकर एक बार अमर जी से मिली लेकिन अमर जी कुछ कह पाने नहीं थे इसलिए मीरा कुछ देर उनके पास रुककर वहा से वापस चली आयी। वरुण ने समझा बुझाकर मीरा और सौंदर्या को भी घर भेज दिया और खुद वही हॉस्पिटल में रुक गया।
घर आकर सौंदर्या ने जिद करके मीरा को दो निवाले खिलाये और खुद भी खाना खाकर अपने कमरे में चली आयी।
अपने कमरे में आकर सौंदर्या ने दरवाजा बंद किया और विवान सिंह को फोन लगाया। कुछ देर रिंग जाने के बाद दूसरी तरफ से विवान सिंह ने फोन उठाया और कहा,”हेलो ! हाँ सौंदर्या कहो क्या बात है ?”
“भाईसाहब सुबह से कहा है आप ? क्या आपको खबर है बड़े भाईसाहब का एक्सीडेंट हो गया और इस वक्त वो हॉस्पिटल में है।”, सौंदर्या ने कहा जबकि ये एक्सीडेंट उसी ने किया था
“क्या ? ये कब हुआ ? और मुझे ये बताओ भाईसाहब फार्म हॉउस से बाहर निकले कैसे ?”,विवान सिंह ने हैरानी से कहा
” लड़को की लापरवाही की वजह से भाईसाहब वहा से भाग निकले और फिर कल रात किसी ने कार से भाईसाहब को बेरहमी से टक्कर मार दी”,सौंदर्या ने कहा
“चलो ये तो अच्छा ही हुआ , हमारे रास्ते का काँटा खुद ही निकल गया”,विवान सिंह ने अपने ही भाई का मजाक उड़ाते हुए कहा
“हाँ भाईसाहब लेकिन अभी वो ज़िंदा है अगर उन्होंने मीरा के सामने सब उगल दिया तो हम सब फंस जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,हमे जल्द से जल्द इसका कुछ करना होगा।”,सौंदर्या ने कहा
“ओह्ह्ह सौंदर्या अब क्या इन छोटी छोटी बातो के लिये तुम मुझे परेशान करोगी ? मैं अभी बाहर हूँ और उम्मीद है मेरे लौटने तक तुम सब सही कर दोगी”,विवान सिंह ने कहा
“समझ गयी भाईसाहब,,,,,,,,,,,,,इस बार आपकी ये बहन आपको शिकायत का मौका नहीं देगी”,सौंदर्या ने रहस्य्मयी मुस्कान के साथ कहा और फोन रख दिया।
उसके दिमाग में अब क्या खिचड़ी पक रही थी और वह कौनसी घटिया चाल चलने वाली थी ये तो सिर्फ वही जानती थी लेकिन अपने ही सगे भाई को लेकर उसके इरादे सही नहीं थे।
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संजना किरोड़ीवाल
अमर जी के लिए दुख हो रहा है, बेचारे बिना किसी गलती के सजा भुगत रहे हैं और अब वो कुछ कर भी नहीं सकते हैं… पता नहीं सौंदर्य बुआ क्या नया खेल खेलेंगी, लेकिन इतना पता है कि उनका अमर जी जान से मारने का प्लान पक्का होगा, तभी तो मीरा उनके कब्जे में होगी और प्रॉपर्टी भी… लेकिन अभी ऐसा करना सौंदर्य बुआ के लिए मुश्किल होगा, क्योंकि व्यास फैमिली मीरा के साथ है और अब सौंदर्य बुआ को पहचान चुके है…और वरुण तो घर में ही है सौंदर्य बुआ की लंका लगाने के लिए।
Nice part kintu yeshu sister ho ne se achhana ho .