बनारसी इश्क़
Banarasi Ishq
“”सर्द मौसम की तन्हा कंपकपाती रातों में ,
एक अनसुना सा मेरे भीतर कुछ शोर बहुत करता है
जब छू के गुजरती है ये हवाएं मेरे गालो को
जब ओस की बूंदे ठहर जाती हैं मेरे होंठो पर किसी मोती की तरह
जब रात का वो पहर महसूस कराता है मेरे जहन में तेरी मौजूदगी
तब मैं , मैं नही रहती मैं घुल जाती हूं तुम में कही
सर्दी की ठिठुरन पर तुम्हारी गर्म यादों का कम्बल अकसर ही लपेट लिया करती हूं मैं
तुम्हारे ना होंकर भी होने के अहसास के अलाव पर
सेक लेती हूं मैं अपनी हथेलियां ओर छू लेती हूं उनसे अपने ठंडे गालो को ये जानकर की तुमने ही छुआ है इन्हें अनजाने में कभी
रात के वो पहर गुजरकर भी गुजरते नही है l
ओर फिर तुम्हारी यादों की भूलभुलैया में खोकर सुबह हो जाती है l
पर मुझे इंतजार है उस सुबह का जो एक रोज तुम्हे अपने साथ लेकर आये l
तुमसे मिलो की ये दूरिया ना जाने क्यों अब सजा सी लगती है l
तुम्हारे बिना कटी रातों की सुबह अब बेवजह सी लगती है l
ये राज काजल से भी काली उन रातों में लिखा है
जिन रातों में तुम सिर्फ याद बनकर मेरे साथ रहे हो !!
हा तुम मुझमे मेरे बाद रहे हो !
हा तुम ! “”
“आ चल चलते है एक बार फिर उन बनारस की गलियों में
जहा गंगा के घाट पर बैठकर साथ साथ देखते थे मैं और तुम डूबते सूरज को
मुझे एक बार फिर तुम्हारे साथ वही घाट देखने है !!
शाम की आरती में गूंजता वो शंख नाद तुम्हारी मधुर आवाज के सामने कितना फीका सा लगता है
तुम्हारी वो मीठी सी बातें अक्सर ही घोल जाती थी मेरे कानो में मिश्री और मैं खो सी जाती थी
मुझे फिर से एक बार वही आवाज सुननी है !
बनारस की उन तंग गलियों में तुम्हारे पीछे भागते हुए !
रंगना है अपने बदन को तुम्हारे इश्क़ की भस्म से
घाट से घाट घूमते हुए , गली गली की खाक छानकर अंत में हर शाम मिल ही जाना है हमे
फिर इश्क़ से भरी उन शामो में तुम्हारे कांधे पर रखकर सर
घाट के पानी में बहते उन टिमटिमाते दियो की रौशनी को देखना है
ये मेरी कोरी कल्पना ही तो है जो अक्सर मुझे अहसास दिला देती है
तुम्हारे आस पास होने का
वो चेहरा जो लड़कपन में देखा था कभी ,
इन आँखों में इस कदर बस चुका है की अब कुछ नजर ही नहीं आता
एक बार फिर आना है बनारस और देखना है
उन एक जोड़ी आँखों में डूबकर की क्या उन्हें भी इंतजार रहता है मेरे लौट आने का !!
मैं एक बार फिर उन आँखों में अपने लिए ढेर सारा प्यार देखना चाहती हु !! .
मैं इश्क़ से लबालब फिर से बनारस देखना चाहती हु !!”
“मेरे सफर की शुरुआत तुम से है
मेरा है एक सवाल तुम से है
क्या चलोगे मेरे साथ उस डगर पे ?
जहा तुम और मैं एक दूसरे का हाथ थामे चलते जाये बिना थके , निरंतर
क्या तुम चलोगे मेरे साथ एक ऐसे रास्ते पर
जहा रात के सन्नाटे में सुनाई दे हमारी धड़कने
जहा ठंडी बहती हवाएं छूकर गुजरे हमे और भीगा दे अपने प्रेम में
जहा बारिश की बूंदे ठहर जाये हमारे होंठो पर किसी सींप के मोती सी
क्या ठहरोगे तब तुम मेरा हाथ थामे उस घने नीम के पेड़ के नीचे ,
एक नाकाम सी कोशिश बारिश में भीगने से बचने की
अपनी हथेलियों को आपस में घिसते हुये हम बार बार झांकना चाहेंगे एक दूसरे की आँखो में
उबड़ खाबड़ , कीचड़ से सने , पत्थरो से अटे रास्ते
पार कर लेंगे हम एक दूसरे के सहारे
कभी झरने , कभी चट्टानें
तो कभी गहरी नदी के किनारे !!
थककर सुस्ता लेंगे किसी पेड़ की ठंडी छाया मे
तुम्हारे माथे पर आई पसीने की बुँदे तब मैं अपने आँचल के एक कोने से पोंछ दूंगी !!
तुम पूछोगे मुझसे की ‘थक तो नहीं गयी’ ये जानते हुए भी की मेरे पांवो में अब छालो ने जगह बना ली है
तब मैं मुस्कुराते हुए ना में सर हिला दूंगी l
तुम पूछोगे मुझसे की “भूख लगी है” ये जानते हुए भी की तुम्हारे पास इस वक्त खिलाने को कुछ नहीं है
मैं तब भी ना में सर हिला दूंगी , जबकि भूख से बेहाल मेरे पेट की आंते बाहर झलकने लगी है
जानते हो ऐसा क्यों होगा ?
क्योकि उस वक्त हम दोनों एक दूसरे की मोहब्बत में होंगे l
हमे एक दूसरे की परवाह खुद से ज्यादा होगी l
पर ऐसे सफर में हमारी समझ और एक दूसरे पर भरोसा ही सर्वोपर्री होगा
ये सफर शायद हमारी मंजिल से भी खूबसूरत होगा l
और एक बार फिर मजबूती से एक दूसरे का हाथ थामे हम आगे बढ़ जायेंगे
कभी ना रुकने के लिए l!! “
” तेरे शहर में आये है इक अरसे बाद ,
और अरसे बाद ये देखा हमने की हमारे जाने के बाद यहाँ कुछ नहीं बदला
महादेव के मंदिर में शंखनाद अब भी उतना ही सुहावना लगता है
घाट का पानी अब भी आँखों को उतना ही भाता है
चहकते पक्षी , कल कल करती नदीया और घाट की वो सीढिया अब भी वैसी है
मैंने देखा है अब भी उस इंतजार को उन सीढ़ियों पर बैठे जो
एक अरसे से करते आ रहे हो तुम !!
हाँ वही इंतजार जो अपने शहर में समंदर किनारे बैठकर कभी किया है हमने !!
उस इंतजार को खत्म करने की एक छोटी सी ख्वाहिश लेकर
आज फिर आए है हम तेरे शहर बनारस में
संकरी सी , पतली लम्बी गलियों से गुजरते हुए हमने महसूस किया है
तुम्हारे और मेरे बिच के उन संकरे धागो को जिनमे उलझा है तुम्हारा और मेरा मन कही
तुम्हारी यादो का नशा अब भी महादेव की भांग सा चढ़ता है मुझपर
जो उतरने का नाम नहीं लेता
और उस नशे में डूबकर फिर बहुत गहरे तक उतरती जाती हु मैं तुम में घुलने के लिए ………….
वही नशा एक बार फिर चाहते है हम
पर इस बार भांग नहीं तेरी आँखों में डूबने फिर आये है हम
तेरे शहर बनारस में ll
घाट दर घाट , गली दर गली भटकना है अब तुम से तुम तक के सफर में
अपने अधूरे इश्क़ को मुक़्क़मल करने आये है हम तेरे शहर में
इस बार तो तू हमे मिल ही जाना
कही ऐसा ना हो जान चली जाये मेरी इंतजार के इस कहर में
फिर से मुझे रखकर तेरे कांधे पर सर तुझे अपनी दास्ताँ सुनानी है
फिर से थाम के तेरा हाथ अपने हाथो में मुझे वो कविताये गुनगुनानी है
इस बार पा ही लेना है तुझे हमेशा के लिए
और फिर रह जाना है साथ मुझे तेरे शहर बनारस में !!
मेरा इश्क़ बनारस है
मेरी रूह है बनारस
मेरा किस्सा बनारस का
मेरा तू है बनारस
मेरी रग रग में बहता है तू
मेरी आदतों में रहता है तू
तुझे ना सोचु तो बैचैन रहु
ये बेबसी अब किस से मैं कहु
तेरी गलियों में भटका सा फिरे ,ये इश्क़ मेरा ये इश्क़ मेरा
तेरे घाटों पर बहता सा रहे , ये इश्क़ मेरा ये इश्क़ मेरा
बस एक नजर तुझको देखो , सब खाक करू तेरी सूरत पे
बस एक दफा तुझको सोचु , सब राख करू तेरी जिद पे
मैं तुझमे ऐसे घुल जाऊ , जैसे रंग घुले है पानी में
मैं तुझमे रहु जिन्दा ऐसे , जैसे रहे है रांझे कहानी में
तेरे इश्क़ की मैं हक़दार रहु , मैं पहला सा तेरा प्यार रहु
तेरी हां मैं रहू , तेरी ना में रहू , तेरे बिन फिर मैं बेकार रहु
जिसे भूल ना पाए जग में कोई मैं ऐसी कहानी बन जाऊ
तू बन जा घाट बनारस का , मैं तेरी दीवानी बन जाऊ
तू बन जा घाट बनारस का , मैं तेरी दीवानी बन जाऊ
तुझसे मेरा आसमा है
तुझसे ही मेरा जहा
तुझसे ही मेरी हर दुआ है
तुझसे ही मेरा खुदा
तुझमे ही अब मैं जगु , तुझमे ही अब मैं ढलु
तू चले जिन रास्ते , उन रास्तो पर मैं चलू
तुझसे ही पूरी हु मैं तेरे बिन अधूरी मैं रहू
तेरे बिना कुछ भी नहीं , तुझसे जो किस्से मैं कहुँ
इश्क़ तेरा बहता है रग रग अब मेंरे साथिया
भूल कर ना भूल पाए प्यार तेरा माहिया
तेरे संग रहु अब मैं सदा , तेरी आँखों का पानी बन जाऊ
तू बन जा घाट बनारस का , मैं तेरी दीवानी बन जाऊ
तू बन जा घाट बनारस का , मैं तेरी दीवानी बन जाऊ
Thankyou So Much
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Sanjana Kirodiwal
Bt itne L kyu lga rkhe h…
Just superb 👌
Di apne to “Rajhna” ki yaad dilva di ,jo humare dill ke bahut kareeb hai .😌😍.shivam aur sarika .
Uff apka ye Ishq ab hume bhi hone laga ❤️❤️
Superb 👌👌
Bahut hi badhiya likha aapne
Sahi me Shivam aur sarika ki yaad aa gayi
अब तो मुझको बनारस घूमना ही है आपकी हर स्टोरी में बनारस का जिक्र पढ़ते हुए पता ही नही कब चला बनारस मेरी पसन्दीदा जगह बन गया।
Aap to banaras se nhi h fir v banaras ke bare me itna q likhti h ? Aapke sb story me banaras aata hi h. Mana ki banaras sach muchh me bahot achha h lekin aapko banaras se itna q lagaw h. Mujhe lgta h ki kasi university se sayd aap study ki h tb sayd waha pr aapko rhne ka mauka mila ho or achhe se banaras ke bare me jan payi ho.
Jo v bat h plz aap batayie ki aakhir q aap banaras se itni judi hui h
Is bat ko janne ke liye dil hamesa bechain rhta h plz iske bare me bataiyega jarur
Hey !!
Maine banaras sirf tasweero me dekhaa hai asal me main kabhi waha nahi gayi huu , banaras jana mera ak khwab hai or usi khwab ki wajah se main ise apni har kahani , poetry me likhnaa pasnd karti huu ,, main khud nahi samjh payi aisaa kyu hai par kuch to hai jo mujhse judaa hai or wo kyaa hai ye to banaras jakar hi pataa chalegaa ,,,, god bless you and be happy 🙂
ये इश्क का रोग तो हमे भी लग गया है, आपके लिखे शब्दो से इश्क उन अहसासों से इश्क वो बनारस से इश्क गंगा घाट से इश्क फीकी चाय से इश्क यारो की यारी से इश्क वो बेपरवाही से इश्क हाँ हमे भी हुआ है इश्क
Apka banaras prem dekh k to mera man bhi ho raha hai kabhi moka mile to banaras zarur ghum k aaungi..
Bhut hi shaandar likhi ha.👌🏻👌🏻👌🏻
very heart touching poetry👌🏻👌🏻
Apki story Ranjhana m bhi banaras prem dikhya hai ..tab hi se banaras ki aur jhukab mehsus hone laga hai..
Kya sach me bnaras itna sunder h
Yeh Banaras hain yaha ke hawao me bhi Isq Bahta Hain
Main Bhi kabhi Banaras nahi gaya lekin 80 Ghat jana chatahu
paneer pakoda
mishrology
Kulhad wali Chai Sab Feel karna Chahta hu
Lov u Banaras!!!
M bhi kbhi Banaras nhi gyi but aapki stories aur poetry me itne khubsurat Banaras ko padh kr ishq ho gaya h Banaras se ..❤️
Ab to Banaras ghumne jaane ka mn ho gaya h ☺️☺️
I love your poems and book❤️
Mujhe ek help chahiya ap ek book Kitni mohabbat hai vo mna audio story sune hai pr mujhe book lenne hai pr kahin mil rahi rahi hai har side par dekh liya mna ap plzz bata sakte ho kaha milegi Mujhe book plzxx
Very Beautiful sanjana mam…
hme bhi jana h banaras …ranjhana ki yd dila di
आप प्रतिभा की बहुत बड़ी धनी है खुद को चोर कहती है पर सच ही कहती है समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता आपका यह आता है प्रेम मेरे हृदय को छू गया और बनारस में तो मेरे प्राण ही बस गए और इस कविता से बनारस की वो के लिए वह काशी विश्वविद्यालय फिर से याद आ गया वह अस्सी घाट में बैठना और महादेव की भक्ति में लीन वह शाम में पान वाले की दुकान से पान खाना सब मेरी आंखों के सामने धरने से लगी है थैंक यू वेरी मच संजना जी❤❤❤❤❤❤❤
This poem meant for ‘ranjhna’, shivam and sarika, superb poem😊😊
I am from BANARAS…, LOVE TO BE A BANARSI🥰🥰🥰🥰 JAISA JIKRA HAI BILKUL VAISA HI H BANARAS❤️❤️❤️
बनारस के इश्क़ में इस कदर डूब जाऊँ
जैसे घाट की सीढ़ियाँ गंगा की लहरों में समायीं हो कहीं।।।।