Sanjana Kirodiwal

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एक दर्द अपना सा – 4

Ak Dard Apna Sa – 4

Ak Dard Apna Sa – 4

मैं उसे लेकर कुर्सी पर आ बैठा और खोलकर पढ़ने लगा
“‘ माँ की मौत के बाद , मुझे उस घर में आना पड़ा जहा मैं कभी आना नहीं चाहती थी ,, उस इंसान के पास जिसे मैं बिलकुल पसंद नहीं करती थी … वो मुझे अपने घर ले आये . उस घर में सब कुछ था लेकिन फिर भी मुझे हमेशा वहा घुटन महसूस होती रही .. ग्रेनी जो की मिस्टर मित्तल की बहुत खास है हमेशा मुझे अजीब नजरो से देखती रहती है …
मिस्टर मित्तल मुझसे बात करने की बहुत कोशिश करते लेकिन मैं नहीं करना चाहती ,, जो वो मेरे आस पास होते है मुझे घुटन महसूस होंने लगती है , उनकी नजरे जैसे हर वक्त मेरा पीछा करती है … उन्होंने मेरा बाहर जाना बंद करवा दिया घर में भी ग्रेनी हर वक्त मेरे साथ रहती ,, वक्त गुजारने के लिए मैंने किताबो को अपना दोस्त बना लिया , मेरा सारा वक्त घर में बनी लायब्रेरी में ही गुजरता था !! मिस्टर मित्तल के दिमाग में क्या चल रहा था ये कोई नहीं जानता था ,, एक शाम उन्होंने घर के सब नोकरो को छुट्टी दे दी और ग्रेनी को भी … उस शाम उन्होंने खूब शराब पि और लायब्रेरी में चले आये उस वक्त मैं रॉ में बिखरी किताबे जमाने में बिजी थी .. वो आये और उन्होंने मुझे पीछे से अपनी बांहो में ले लिया ,, घबराहट में मैंने उन्हें खुद से अलग किया और एक थप्पड़ मारा …
वो लड़खड़ा कर गिर पड़े .. मैं बाहर जाने के लिए दरवाजे की तरफ भागी तो उन्होंने मेरा पैर पकड लिया और गिर पड़ी मेरे मुंह से खून आने लगा ,, रिश्ते में वो मेरे पिता थे लेकिन उस रात उन्होंने दरिंदगी की सारी हदे पार कर दी , मैंने खुद को बचने की बहुत कोशिश की लेकिन मेरा हौसला उस रात हार गया ,, मैं चीखती रही चिल्लाती रही लेकिन किसी ने मेरी मदद नहीं की , कोई नहीं था जो मुझे बचा सके, सारी रात वो मेरे जिस्म को नोचता रहा ,, और मैं बेबस सी पड़ी रही .. इतना सब करने के बाद भी उसे मुझपर रहम नहीं आया ,, एक जबरदस्त लात उसने मेरे मुंह पे मारी ,, मैं होश खो चुकी थी … वो मुझे उसी हालत में छोड़कर चला गया … अगली सुबह ग्रेनी ने आकर मुझे सम्हाला और मुझे मेरे कमरे तक पहुंचाया ,,, जख्म इतने थे की भरने में वक्त लग गया , जिस्म पर लगे घाव तो भर चुके थे पर जो घाव आत्मा पर लग उनका भरना मुश्किल था
मुझे नफरत हो गयी उनसे … वो पिता कहलाने लायक नहीं थे .. मैं किसी से वो सब नहीं कह पायी उस घर में कोई नहीं था जो मेरी बात सुनता .. मैंने वहा से भागने की कोशिश की रस्ते में मुझे ग्रेनी मिल गयी उन्हें जब मैंने सारी बात बताई तो उन्होंने मुझसे कहा – तुम मेरे साथ घर चलो , उस आदमी के खिलाफ रिपोर्ट करके उसे सजा दिलाएंगे हम
मैंने ग्रेनी पर भरोसा कर लिया और उनके साथ घर आ गयी लेकिन असलियत तब पता चली जब मिस्टर मित्तल ने ग्रेनी को तमाचा मारते हुए कहा – तुमसे एक लड़की नहीं सम्हाली जाती
ग्रेनी सर झुकाये खड़ी रही और वो हमे घसीटते हुए ले गए और मुझे कमरे में लेजाकर बंद कर दिया .. मेरी आखरी उम्मीद ग्रेनी थी लेकिन वो भी उस आदमी से मिली हुयी थी ………….. मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती थी
मिस्टर मित्तल को किसी का डर नहीं था और यही वजह थी की अब हर रात मेंरे जिस्म को नोचा जाता था , लेकिन मेरी मदद करने वाला कोई नहीं था ,, वक्त जैसे कही थम सा गया था ,, इस शरीर को दर्द की जैसे आदत सी हो गयी थी , अपने ही घर में मैं कैद हो चुकी थी ..
लेकिन एक दिन जब मिस्टर मित्तल और ग्रेनी बाहर गए हुए थे तब मैं यहाँ से भागने में कामयाब हो गयी , और अपनी नानी के पास पहुंच गयी लेकिन मिस्टर मित्तल वहा भी पहुंच गए मेरी आँखों के सामने उन्होंने मेरी नानी को बेरहमी से मार डाला और मुझे वापस अपने घर ले आये लेकिन इस बार उन्होंने लोगो के सामने नया नाटक शुरू कर दिया मेरी बीमारी का …
मुझे सबके सामने मानसिक रोगी का करार दे दिया और घर में कैद कर दिया .. नानी को खो देने का मुझे बहुत दुःख हुआ उस रात वो मेरे कमरे में आये और मुझे बहुत मारा गया , जब मुझसे सहन नहीं हुआ तो मैं बेहोश हो गयी ,,,
दो दिन बाद मुझे होश आया तो वो मेरे कमरे में फिर आये और उसके बाद जो उन्होंने मुझसे कहा वो मैंने कभी नहीं सोचा था

उन्होंने कहा – “ये मेरी बनाई दुनिया है यहाँ से तुम्हारा बाहर जाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है … मैं सिर्फ तुम्हारे इस जिस्म का दीवाना हु और ये मुझसे कोई नहीं छीन सकता ,, तुम्हारी माँ से शादी मैंने सिर्फ तुम्हे पाने के लिए की थी , मैंने सोचा वो खुशी ख़ुशी इन सब के लिए मान जाएगी लेकिन वो बहुत होशियार निकली और उसने पुलिस को सब बताने की धमकी दी , मुझे मिस्टर मित्तल को , जिसके इशारो पर पुलिस अपनी दुम हिलाती है उस पुलिस की धमकी दे रही थी ,,, मार डाला मैंने उसे अपने इन्ही हाथो से ,, लेकिन तुम्हे नहीं मारूंगा क्योकि तुमसे प्यार करता हु मैं और तुम्हे पाने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकता हु …

कहकर वो बाहर चले गए !! इतना तो मैं समज चुकी थी की वो एक बहुत निर्दयी और शातिर इंसान था .. मैं चाहकर भी यहा से बाहर नहीं निकल सकती ,, हर रात मुझे दर्द मिलता और बेहिसाब मिलता ,, मेरे जिस्म के साथ साथ उसने मेरी सांसो पर भी काबू कर लिया था .. कोई नहीं था जो मेरी मदद कर सके … और फिर हारकर मैंने इसी को अपनी किस्मत मान लिया दिन , महीने और साल बीतते गए मैं अब हर उम्मीद छोड़ चुकी थी ,, किताबों और म्यूजिक को अपने दर्द की दवा बना लिया .. वो सब जो अब तक महसूस किया लिखने लगी मैं ,,इस उम्मीद में की कोई तो होगा जो मेरे दर्द को अपना समझकर मुझे यहाँ से आजाद कराएगा …
कैद में होने के बाद भी न जाने क्यों किसी का इन्तजार रहता है …
आजाद होना चाहती हु उस दर्द से जो मुझे रोज मारता है …………. “”
उसके बाद फिर उस डायरी के आगे के पन्ने खाली थे ….

मेरी आँखों से आंसू निकल आये , ना चाहते हुए भी उसका दर्द महसूस कर रहा था … अब बस जिंदगी का एक ही मकसद था अवनि की आजादी , जिसके लिए मैं कुछ भी करने को तैयार था … मैंने डायरी पहले वाली डायरी के साथ अपने बैग में रख दी ,, और बिस्तर पर लेट गया पर मेरी नजरे उस खिड़की पर जम गयी .. लगा जैसे अवनि वही खड़ी है , आँखे बंद कर ली उसकी पूरी कहानी किसी फिल्म के जैसे आँखों में घूमने लगी …और मैं नींद की बांहो में चला गया शाम को उठा और घर से बाहर आ गया ..
मैंने देखा मिस्टर मित्तल अभी अभी घर से निकले है ,, मैं सबसे नजरे बचाते हुए अवनि के कमरे तक पहुंचा ,,, अंदर गया तो अवनि एक कोने में घुटनों में सर दिए बैठी थी ,, मैं उसके पास गया और धीरे से उसके कंधे पर हाथ उसने डरकर ऊपर देखा वो कुछ बोलती उस से पहले मैंने उसके मुंह पर हाथ रखा और कहा
“मैं जो कह रहा हु ध्यान से सुनो !! अपना id , पासपोर्ट , जरुरी डाक्यूमेंट्स और कुछ कपडे एक बैग में रख लेना … ठीक रात 10 बजे मुझे घर से बाहर मिलना … घर से कैसे निकलना है ये तुम्हे मैं बताता हु …”
कहकर मैंने उसे बेहोशी की दवा दी और कहा – ये दवा तुम्हे सबके खाने में मिलानी है , जब तक वो होश में आएंगे तब तक हम यहा से निकल जायेंगे ,, मुझपे भरोसा रखो मैं तुम्हे कुछ नहीं होंने दूंगा .. बस सिर्फ कुछ देर और अभी मैं जाता हु किसी ने मुझे यहाँ देखा तो तुम्हारे लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी …
कहकर बिना उसका जवाब सुने मैं वहा से निकल गया …
ये क्या हो गया था मुझे ये जानते हुए भी की मिस्टर मित्तल का मैं कुछ नहीं बिगाड़ सकता मैं अवनि के लिए सब करने को तैयार था , खैर शाम होते ही अवनि ने अपना काम किया और वहा से बाहर निकल आयी .. मै अंकल आंटी को बिना कुछ बताये बैग लिए घर से बाहर आ गया ,, गली के दूसरे मोड़ पर अवनि मुझे मिल गयी ,, इतनी रात में कोई गाड़ी मिलना आसान नहीं था मैं उसका हाथ पकडे पैदल ही चल पड़ा .. उसके चेहरे पर अब भी डर के भाव थे उसने मुझसे कुछ नहीं पुछा ना कुछ कहा बस मेरे साथ चली जा रही थी …
चलते हुए हम दोनों बड़ी सड़क पर आ गए अचानक मेरी नजर सामने से आती गाड़ी पर गयी ,, वो मिस्टर मित्तल की गाड़ी थी , वो अवनि की तरफ देखने ही वाले थे की तभी मैंने अवनि को अपनी तरफ खिंच के गले लगा लिया उसकी पीठ गाड़ी की तरफ थी मैंने धीरे से कहा – ऐसे ही रहना मिस्टर मित्तल सामने ही खड़े है ,,
उनका नाम सुनकर न जाने उसे क्या हुआ , उसने मुझे कसकर पकड़ लिया .. मिस्टर मित्तल उसे नहीं पहचान पाए और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए गाडी आगे बढ़ा दी …
खतरे को भांपते हुए मैं अवनि को साथ लिए जगह ढूंढ़ने लगा ,, ऊटी में नया था इसलिये कुछ समझ नहीं आ रहा था ,, कुछ दूर चलने पर एक होटल दिखाई दिया ,, हम लोग वहा पहुंचे मैंने मैनेजर से 2 रूम बुक करने को कहा तो अवनि ने एक ही रूम के लिए कहा ,, मैनेजर अजीब नजरो से हम दोनों को देखने लगा ..
चाबियां लेकर हम रूम में आ गए ,, इन कुछ दिनों में मैं एक लड़की के लिए क्या से क्या बन गया था … मैंने अवनि से आराम करने को कहा और खुद निचे खाना लेने चला आया ,, खाना पैक करवाकर मैं वापस कमरे में आया तो देखा अवनि कंधे पर शॉल ओढ़े खड़ी थी .. मैंने उसे खाने के लिए कहा तो वो चुपचाप आकर बैठ गयी ,, लेकिन जैसे ही उसने खाने के लिए हाथ बढ़ाया उसके मुंह से आहह निकल गयी ..
मैंने देखा उसके हाथ में किसी धारदार चीज से कट लगाए हुए थे …
वो उलटे हाथ से खाने की कोशिश करने लगी लेकिन उस से खाया नहीं गया .. उसे परेशानी में देख मैंने उसे रुकने का इशारा किया और एक निवाला तोड़ अपने हाथ से उसकी तरफ बढ़ा दिया ,, वो मेरी तरफ देखती रही फिर उसने खा लिया ,, उसे देख के लग रहा था जैसे उसे बहुत भूख लगी थी ,, उसे खाना खिलाकर मैंने उसे आराम करने को कहा
वो जैसे ही उठी कंधे से उसका शॉल गिर गया ,, और जो मैंने देखा वो सच में दिल चिर देने वाला था … उसके कंधो हाथ और गर्दन पर मार के गहरे निशान थे .. उसने जल्दी से शाल को वापस अपने चारो तरफ लपेट लिया
मैंने उसे वही रुकने को कहा और खुद नीचे आ गया ,, मैनेजर से फस्ट ऐड बॉक्स लेकर वापस कमरे मे आया अवनि को अपने पास बैठने को कहा
वो आकर मेरे पास बैठ गयी ,, मैंने उसका हाथ पकड़ा और उस पर दवा लगाने लगा , उसकी आँखों से आंसू की कुछ बुँदे मेरे हाथ पर आ गिरी मैंने उसके आंसुओ को पोछते हुए कहा – बस बहुत आंसू बहा लिए तुमने अब आज बाद नही ..
वो मुझे देखती रही और मैं उसके घाव पर दवा लगाता रहा , ..
वो सो गयी और मैं सोफे पर बैठा उसे सोते हुए देखता रहा ,, आज कितने सालो बाद वो इतने सुकुन से सोई होगी ., उसे देखते हुए मैं भी सो गया . सुबह उठते ही मैने दिल्ली के लिए 2 टिकट बुक करवाई ,, फ्लाइट शाम 5 बजे की थी तब तक मुझे उसे बचाये रखना था … मैं वापस होटल आ गया ,, वो अभी भी सो रही थी मैंने उसे उठाना सही नहीं समझा और सोने दिया ,, मैंने टीवी चालू किया और न्यूज़ चैनल लगा दिया लेकिन न्यूज देखते ही मेरे होश उड़ गए मिस्टर मित्तल ने मेरे खिलाफ अरेस्ट वारंट निकलवा दिया
न्यूज में दिखाया जा रहा था की मैंने अवनि को घर से किडनैप किया है …
अब तक ये खबर हर चैनल अख़बार तक पहुंच चुकी थी … मुझे कुछ समझ नही आया मैंने अवनि को उठाया और अपना बैग पैक करने को कहा .. अवनि ने न्यूज देखकर मुझसे कहा – मेरे लिए आप इतनी परेशानी मत उठाईये , आप जाईये यहाँ से आप उसे नहीं जानते वो कुछ भी कर सकते है , मैं अपने लिए आपकी जान जोखिम मे नहीं डाल सकती प्लीज़ ..
मैंने अवनि की आँखों में देखते हुए कहा – अगर तुम्हारे लिए मुझे अपनी जान जोखिम में डालनी भी पड़े तो मैं पीछे नहीं हटूंगा
अवनि – इसे मैं क्या समझू ? मोहब्बत या हसरत ?
जरुरत – मैंने कहा और बैग उठा उसका हाथ पकड़ कर बाहर आने के लिए जैसे ही मुडा होटल का मैनेजर कुछ पुलिस वालो के साथ खड़ा था ,, तभी उन लोगो को को साइड करते हुए मिस्टर मित्तल दाखिल हुए , डरकर अवनि मेरे पीछे आ गयी , उसने मजबूती से मेरा हाथ पकड़ा हुआ था ,,

मिस्टर मित्तल – तुम क्या समझते हो तुम इतनी आसानी से मेरी आँखों में धूल झोंककर इसे लेकर चले जाओगे ,, और फिर इंस्पेक्टर की तरफ देखकर कहा – इसे इतना मारो की जिंदगी में कभी ये मेरी बेटी की तरफ आँख उठाकर भी न देखे
अवनि जो अब तक चुप थी उसने मिस्टर मित्तल से कहा – प्लीज़ इन्हे कुछ मत कीजिये , मैं आपके साथ चलने के लिए तैयार हु , इन्हे छोड़ दीजिये ..
iमिस्टर मित्तल अवनि को खींचते हुए वहा से ले गए और पुलिस वालो ने मुझे बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया ,, एक बार फिर मैं उसे बचा नहीं पाया और वो मेरी आँखों के सामने उसे ले गया .. मैं लगभग बेहोश हो चूका था और उसी हालत में मुझे पुलिस स्टेशन ले जाया गया … मिस्टर मित्तल के कहने पर मुझपर झूठा केस बनाकर दर्ज कर दिया गया और मुझे 3rd डिग्री टॉर्चर दिया गया ताकि मैं वो झूठे इल्जाम कबुल कर लू … अंकल आंटी को भी मुझसे नहीं मिलने दिया गया ,, उन्होंने मम्मी पापा ऊटी बुला लिया ..
माँ का रोरोकर बुरा हाल था सब अवनि को गलत समझने लगे .. अवनि ने मिस्टर मित्तल से कहा – आप जो कहेंगे मैं करने के लिए तैयार हु लेकिन उसे छोड़ दीजिये उसकी कोई गलती नहीं है … मैं वादा करती हु वो हमेश हमेशा के लिए यहा से बहुत दूर चला जायेगा
अवनि की बात सुनकर मिस्टर मित्तल अवनि को लेकर पुलिस स्टेशन से चला गया…

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क्रमश – Ak Dard Apna Sa – 5

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संजना किरोड़ीवाल

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