Sanjana Kirodiwal

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एक दर्द अपना सा – 3

Ak Dard Apna Sa – 3

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Ak Dard Apna Sa – 3

उस घर में मुझे एक चीज बहुत अजीब लगी , वहा 6-7 के आस पास नौकर थे लेकिन सबके चेहरे पर डर और ख़ामोशी थी सब के सब हमेशा हाथ बंाधे खड़े रहते मैंने किसी की आवाज तक नहीं सुनी शिवाय मिस्टर मित्तल , अवनि और ग्रेनी के
खैर कमरे का दरवाजा खोलकर मैं अंदर दाख़िल हुआ ,, कमरे में ढेर सारी किताबे सलीके से रखी हुयी थी ,, मैं उन्हें देखने लगा कुछ किताबे मुझे अच्छी लगी उन्हें निकालकर मैंने टेबल पर रखा और फिर किताबे देखने में व्यस्त हो गया ,, तभी मुझे लगा जैसे मेरे पिछे कोई था , मैंने पलटकर देखा कमरे में कोई नहीं था , मैंने एक किताब और निकाली और उसे खोलकर जैसे ही देखने लगा ,, पियानो की वो धुन मेरे कानो में पड़ी .. किताब को टेबल पर रख मैं कमरे से बाहर आ गया और उस आवाज की दिशा में चलने लगा ..
ये वो ही आवाज थी जो मैं पिछले तीन दिन से सुन रहा था ,, मैं बस चला जा रहा था इतने बड़े घर में बहुत सारे कमरे थे एक कमरे के सामने जाकर मैं रुक गया आवाज वही से आ रही थी जैसे ही मैंने उस दरवाजे को खोलने के लिए हाथ बढ़ाया ,, किसी का मजबूत हाथ मेरे कंधे पर आया ,, मैं बुरी तरह डर गया मैंने पलटकर देखा तो पीछे मिस्टर मित्तल खड़े थे
“ओह्ह!! सर आप – मैंने डरते हुए कहा मेरा दिल अब भी तेजी से धड़क रहा था
मिस्टर मित्तल – आप यहाँ क्या कर रहे है ?
“सर वो मैं पियानो की आवाज सुनकर यहाँ तक आ गया – मैंने अटकते हुए कहा
मिस्टर मित्तल ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखते हुए – आईये चलते है
मैंने हाँ में गर्दन हिला दी वो मेरे साथ साथ चलने लगे तभी उन्होंने कहना शुरू किया – मिस्टर अश्विन , आपने जो पियानो की आवाज सुनी वो अवनि के कमरे से आ रही थी ,, दरअसल उसे संगीत से बहुत प्यार है , वो कही बाहर नहीं जाती थी इसलिए हमने उसके लिए यही पियानो मंगवा दिया ,, उसकी ख़ुशी से बढकर हमारे लिए कुछ भी नहीं
“सर एक बात और पूछनी थी आपसे ?
मिस्टर मित्तल – श्योर ,
“मुझे यहां आये अभी कुछ ही दिन हुए है , अवनि के कमरे से अक्सर रात में चीखे सुनाई देती है ,, मैंने बहूत जानने की कोशिश की लेकिन किसी को इस बारे में कुछ नहीं पता”
मेरा सवाल सुनकर मिस्टर मित्तल ने एक बारगी मुझे घुरा और फिर एक ठंडी साँस भरते हुए कहा – अवनि मेरी दूसरी पत्नी की संतान है मेरी दूसरी शादी के बाद से ही अवनि ने हमारे साथ रहने से इंकार कर दिया , उसकी ख़ुशी के खातिर हमने उसे उसकी नानी के साथ रहने के लिए भी दिया ,, कुछ ही महीनो बाद तनाव में आकर मेरी दूसरी पत्नी ने सुसाइड कर लिया जिस से अवनि को गहरा सदमा पहुंचा ,, अवनि कुछ दिन मेरे साथ ही रही लेकिन फिर वापस अपनी नानी के पास चली गयी , लेकिन कुछ दिन बाद उनकी नानी का भी देहांत हो गया … अवनि को वहा अकेले नहीं छोड़ सकते थे इसलिए मैं हमेशा के लिए उसे अपने घर ले आया ,, उसकी देखभाल के लिए मैंने ग्रेनी को नौकरी पर रख लिया ,,, ग्रेनी अवनि की माँ की बहुत अच्छी दोस्त है … अपनी माँ की मौत का गम जब बर्दास्त नहीं हुआ तो अवनि ने ड्रग्स लेना शुरू कर दिया ,, उसकी उम्र अभी सिर्फ 21 साल है उसका भविष्य ख़राब न हो इसलिए हमने उसे बहुत रोका लेकिन उसने हमारी एक नहीं सुनी ….मैंने उसका इलाज करवाने के लिए घर पर ही डॉक्टर्स को बुलाना शुरू कर दिया ,, मैं नहीं चाहता था बाहर किसी को भी उसके बारे में पता चले ….
“पर वो चीखे ? – मैंने उनकी तरफ देखते हुए पूछा
मिस्टर मित्तल – ड्रग्स के ओवर डोज से अवनि की मानसिक स्तिथि बिलकुल ठीक नहीं है ,, हर रात जब डॉक्टर्स के जरिए उसे दवा , इंजेक्शन दिए जाते है तब वो अक्सर चीखने चिल्लाने लगती है ,, और घंटो रोती रहती है ,, मुझसे उसकी ये हालत देखी नहीं जाती लेकिन मैं मजबूर हु ,, उसने तो जैसे मुझे और ग्रेनी को अपना दुश्मन ही मान लिया है इसलिए अक्सर वो लोगो के सामने मुझे गलत ठहराने की कोशिस करती है जिससे मैं उसे फिर से उस नर्क में जाने दू … कहते कहते मिस्टर मित्तल की आँखे नम हो हई
“हिम्मत रखिये सर सब ठीक हो जाएगा ,, मुझे गर्व है आप पर की इतना सब होने के बाद भी आप अवनि के लिए इतना फिकरमंद है …
मैंने घडी में देखा 11 बज रहे थे मैंने उनसे जाने की इजाजत मांगते हुए कहा – अच्छा सर रात बहुत हो चुकी है , मैं चलता हु अपना ख्याल रखियेगा और किसी भी वक्त मेरी जरुरत हो तो आप बेझिझक मुझसे कह सकते है
मिस्टर मित्तल ने हाथ मिलाते हुए कहा – आपसे मिलकर ख़ुशी हुयी मिस्टर अश्विन ..
“मुझे भी सर
इतने में एक नौकर हाथ में कुछ किताबे लिए हुए आया , और मेरी तरफ बढ़ा दी ये वही किताबे थी जो मैंने टेबल पर निकालकर रखी थी
तभी मिस्टर मित्तल ने कहा – आपने ये किताबे शायद पढ़ने के लिए निकाली और टेबल पर ही भूल आये
“ये किताबे मैं जल्दी ही आपको लौटा दूंगा”
मिस्टर मित्तल – इनकी कोई जरूरत नहीं है अश्विन तुम ये किताबे हमारी तरफ से तोहफे के रूप में रख सकते हो ..
“थैंक्यू सर बोलकर मैंने जैसे ही ऊपर देखा अवनि वही खड़ी थी वो अब भी मुझे घूरे जा रही थी … उस से नजरे बचाता मैं घर से बाहर आ गया .. अपने घर आ गया , अंकल आंटी सो चूके थे उन्हें बिना डिस्टर्ब किये मैं चुपचाप अपने कमरे में चला आया .. किताबे टेबल पर रख मैंने कपडे चेंज किये और बालकनी में आकर खड़ा हो गया ,,, आज मुझे मेरे सारे सवालों के जवाब मिल चुके थे , मैं खुश था मैंने सामने देखा अवनि खिड़की पर खड़ी थी उसके चैहरे पर कोई भाव नहीं थे वो बस मुझे घूरे जा रही थी ,,, उसका इस तरह देखना मेरे मन में एक अजीब सी बेचैनी पैदा का रहा था …
मैं अंदर आ गया और लेट गया …
पियानो की वो आवाजे आने लगी पर आज इन आवाजों को लेकर मेरे मन में कोई डर कोई सवाल नहीं था मैं आँखे बंद करके लेट गया ,, और कुछ ही देर बाद वो चींखे भी शुरू हो गयी लेकिन आज कुछ सोचने के बजाय मैं मन ही मन भगवान से ये प्राथना कर रहा था की अवनि जल्दी से जल्दी ठीक हो जाये …सोचते सोचते नींद की आगोश में कब गया पता ही नहीं चला …
अगला एक सप्ताह मेरा अच्छा गुजरा ,, काम की व्यवस्ता के चलते मैं वो किताबे पढ़ ही नहीं पाया जो मित्तल साहब के घर से लेकर आया था शाम को खाना खाकर मैं अपने कमरे में आया ,, अगले दिन सन्डे था इसलिए आज पूरी रात उन किताबो को पढ़ने का सोचा ,,, मैंने टेबल से किताबे उठायी तो वो कागज निचे आ गिरा जिसमे अवनि की लिखी कविता थी मैंने उसे उठाकर टेबल की दराज में रख दिया और किताबे लेकर बिस्तर पर आ गया मैं किताबो को देखने लगा
सबसे अच्छी वाली मैं पहले पढ़ना चाहता था एक के बाद एक किताब में साइड में रखता गया अचनाक एक किताब मेरे हाथ में आयी “हेल टू हेवन”
मैं सोचने लगा मैंने तो ऐसी कोई भी किताब रैंक से नहीं निकाली थी मैंने उस किताब को खोलकर देखा पहले पन्ने पर अवनि की तस्वीर थी , उसे देखते ही मैं समझ गया की ये कोई किताब नहीं बल्कि अवनि की डायरी थी लेकिन वो इन किताबो के बिच कैसे आयी समझ नहीं आया ,,
बाकि किताबे साइड में रख मैंने उस डायरी को पढ़ना शुरू किया
“छोटा सा परिवार था मेरा माँ पापा और मैं तीनो हमेशा साथ साथ रहते थे , पापा मेरे हीरो थे हमेशा मैं उनके अलावा किसी और को अपना हीरो नहीं मानती थी , वो मेरी हमेशा हेल्प करते , मुझे सपोर्ट करते और मेरी हर खवाहिश पूरी करते थे … माँ से भी उनको बहुत प्यार था ,, छुट्टियों में हर साल हम सब मिलकर नानी माँ के घर जाते थे .. कितना अच्छा लगता था सब ..
पापा के ट्रांसफर से बार बार मेरी पढ़ाई में परेशानी होती थी उस वजह से मुझे हॉस्टल में जाना पड़ा पर है महीने पापा मम्मी मुझसे मिलने आते रहे … मैं खुश थी और पढ़ाई में हर साल अव्वल आती रही … 12वी बोर्ड के एग्जाम के वक्त मम्मी पापा पर बहुत बड़ी मुसीबत आयी लेकिन मेरी पढ़ाई पर असर ना पड़े इस वजह से उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया .. मैं यह बेखबर सी अपनी परीक्षाओ की तयारी में लगी थी और उधर पापा का बिजनेस ठप हो गया .. पापा के रिश्तेदारों ने पापा की कोई मदद नहीं की , सबने उन्हें ताना कसा , वो माँ के साथ साथ दर दर की ठोकरे खाते रहे ,, स्कॉलरशिप मिलने के चलते मेरी पढ़ाई में कभी कोई अड़चन नहीं आयी .. नानी को जब पता चला तो उन्होंने माँ और पापा को अपन पास बुला लिया ,,, पापा उनके घर रहने लगे ,, और तनाव के चलते उन्होंने अपनी जान ले ली , मुझे और माँ को अकेला छोड़
वो इस दुनिया से जा चूके थे !!
जिस दिन उनकी मौत हुयी उसी दिन हमने अपने शहर में 12vi में टॉप किया था मैडल और सर्टिफिकेट लिए जब घर पहुंचे तो सामने पापा की लाश थी , सफ़ेद चददर में लिपटी ,, हमने कभी सोचा नहीं था हमारे हीरो हमे इस तरह छोड़कर चले जायेंगे हम नहीं रोये हमने पहले माँ को सम्हाला उनका रो रोकर बुरा हाल था .. हमारी आँखों के सामने हमारे हीरो इस दुनिया से चले गए … मैंने वापस हॉस्टल जाने से मना कर दिया , और वही रुक गयी माँ और नानी के पास लेकिन , इन दुखो का यही अंत नहीं हुआ था … नानी के घर रहते हुए भी माँ को ना जाने लोगो का कितना अपमान और घृणा सहन करनी पड़ी और जब नहीं सहा गया तो वो मुझे लेकर ऊटी शहर में आ गयी ,, यहाँ उन्होंने मेरे साथ एक नयी जिंदगी शुरू की .
मुझे हर ख़ुशी दी ,, उन्होंने मुझसे आगे पढ़ने को कहा मैंने कॉलेज में एडमिशन ले लिया , माँ अपनी पूरी मेहनत से मुझे पढ़ाने की कोशिश कर रही थी ,,, फिर उनकी जिंदगी में एक शख्स आया
“संजय मित्तल” उन्होंने माँ की बहुत मदद की और शायद उनके अहसानो के निचे दबकर ही माँ ने कभी उनकी किसी बात को ना नहीं कहा .. मुझे वो बिलकुल पसंद नहीं थे उन्होंने मेरे पिता मेरे हीरो की जगह लेने की कोशिश की और यही मुझसे कभी बर्दास्त नहीं हुआ .. माँ को उनसे जितनी मोहब्बत थी मुझे उनसे उतनी ही नफरत थी .. जब भी वो घर आते थे मेरे लिए ढेरो तोहफे लाते लेकिन मैंने कभी उनके तोहफों को छुआ भी नहीं उनके हर तोहफे से मुझे उनके नापाक इरादों की बू आती थी ,, उनका देखना , मुझे छूना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था मुझे
और फिर एक दिन उन्होंने मेरी माँ से शादी कर ली लेकिन मैं कभी उन्ह पिता का दर्जा नहीं दे पायी …
मैं वापस अपनी नानी के घर लोट आयी ,, अब वो ही मेरी दुनिया थी ,, माँ कभी कभी आकर मुझसे मिल जाया करती और हमेशा मुझसे अपने साथ चलने के लिए कहती लेकिन हर बार मेरा जवाब एक ही होता
“उस आदमी के जीते जी मैं उस घर में नहीं रह सकती”
और माँ बस यही समझाती
” कितनी नफरत करोगी उनसे अवनि , वो तुम्हारे पिता है आखिर इतनी नफ़रत कहा से आयी तुम्हारे मन में”
और फिर माँ चली जाती …. पर मैं खुश थी कम से कम माँ तो उनके साथ खुश थी .. आखरी बार जब माँ मिलने आयी तो मुझे अपने साथ स्वर्ण पैलेस ले आयी .. उनकी ख़ुशी के लिए मुझे उनके साथ आना पड़ा .. वो खुश थी और मैं सिर्फ उनकी ख़ुशी के लिए खुश … क्युकी मैं जानती थी , ये खुशिया सिर्फ चंद दिनों की मेहमान है …….
उसके बाद मेरी जिंदगी में सबसे बुरा वक्त आया जिसने मेरी हंसती खेलती दुनिया को नर्क से बह बदतर बना दिया ……..

उसके बाद उस डायरी के सारे पन्ने खाली थे .. उनमे कुछ नहीं लिखा था बाकि की आधी डायरी खाली पड़ी थी … दिमाग एक बार फिर सोचने पर मजबूर हो गया ,,
आखिर वो मिस्टर मित्तल से इतनी नफ़रत क्यों करती थी ?
ऐसा क्या हुआ उसके साथ जिससे उसकी जिंदगी नर्क से भी बदतर बन गयी ?
क्यों वो आलिशान घर , शानो शौकत छोड़ककर अपनी नानी के पास रहती थी ?
सच्चा कौन था ? मिस्टर मित्तल ? या फिर अवनि ?
सवाल एक बार फिर मेरे चारो और मंडराने लगे … ये राज सुलझने के बजाय और उलझता जा रहा था , कुछ तो था जो अब तक सामने नहीं आया … फिर एक पल को विचार आया की हो सकता है लोगो को भटकाने और मिस्टर मित्तल को बदनाम करने के लिए उसने ये सब लिखा हो .. दिल कुछ और कह रहा था दिमाग कुछ और मैंने डायरी का पहला पन्ना निकाला जिसपर अवनि की तस्वीर थी . कितनी मासूमियत थी उस चेहरे में फिर वो ये सब क्यों कर रही थी समझ नही आ रहा था … डायरी बंद कर मैं बिस्तर पर लेट गया ,, नींद आँखों से कोसो दूर थी
अगली सुबह मैं ऑफिस के लिए निकल गया … पूरा दिन काम में बिजी रहने के कारण सब भूल गया शाम को आने में देर हो गयी जैसे ही घर आया आंटी परेशान सी मेरे पास आयी और कहा – अच्छा हुआ बेटा तुम आ गए ,
वो लड़की आयी है तुमसे मिलने !!
मैं जैसे ही अंदर आया देखा अवनि वहा बैठी थी मुझे वहा देखकर वो तुरंत मेरे पास आयी और मुझसे कहा – प्लीज़ हेल्प मी तुम ही हो जो मेरी मदद कर सकते हो , वो मिस्टर मित्तल वो अच्छा इंसान नहीं है , उसने मेरी माँ को मार डाला , वो मुझे भी मार देगा प्लीज़ हेल्प मी , मैं बहुत मुश्किल से वहा से निकलकर आयी हु ,, प्लीज़ यहा कोई मेरी बात का यकीन नहीं कर रहा प्लीज़ तुम तो मेरी मदद करो .. एक बार यहाँ से निकलने में मेरी मदद करो प्लीज़
उसकी बातें सुनकर ना जाने क्यों मुझे उस पर विश्वास नहीं हुआ मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे घर से बाहर ले आया अंकल आंटी भी मेरे पीछे पीछे आ गए और दरवाजे पर रूक गए .. मैं उसे उसके घर की तरफ ले जाने लगा तो वो घबराते हुए बोली
“मुझे वापस वहा लेकर क्यों जा रहे हो ? वो मित्तल मुझे मार डालेगा प्लीज़ मेरा विश्वास करो वो अच्छा इंसान नहीं है”
“मैं जानता हु अभी तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है , इस वक्त तुम्हारा घर जाना ही ठीक है
अवनि – तुम समझते क्यों नहीं ? वो अच्छा इंसान नहीं है , तुम तो मेरा विश्वास करो प्लीज़ , यहाँ …. यहाँ कोई मेरी बात नहीं सुनता तुम तो सुनो प्लीज़
“मुझे कुछ नहीं सुनना , चलो अपने घर जाओ
अवनि – कैसे लोग हो तुम , क्या तुम्हे महसूस नहीं होता , चींखे नहीं सुनाई देती तुमको ,, कोई तो मेरी बात का विश्वास करो प्लीज़ ,, मेरी मदद करो प्लीज़ हेल्प मी
उसकी आवाज में वो ही दर्द था जो हर रात मैं उन चीखो में सुनता था अवनि की आवाज सुनकर आस पास के घरो से लोग निकल आये और आपस में कानाफूसी करने लगे .. अवनि रोती रही मदद की भीख मांगती रही पर किसी ने उसकी मदद नहीं की सब अपने अपने घरो में वापस चले गए .. सिर्फ वो और मैं था और दरवाजे पर खड़े अंकल आंटी
तभी मिस्टर मित्तल आ गए अवनि को बाहर देख वो तुरंत उसके पास चले आये और उसका हाथ पकड़ कर उसे ले जाने लगे तो वो चिल्लाने लगी लेकिन उसने मेरा हाथ नहीं छोड़ा , वो लगभग उसे घसीटते हुए ले जा रहे थे और वो मदद भरी निगाहो से मेरी तरफ देखे जा रही थी वो बार बार अपनी गर्दन ना में हिलाकर मुझे उसका हाथ ना छोड़ने के लिए कह रही थी … एक मजबूर पिता को अपनी बीमार बेटी के साथ देख मुझसे रहा नहीं गया मैंने अवनि का हाथ छोड़ते हुए कहा
“ले जाईये सर ..
मिस्टर मित्तल उसे ले गए वो उदास नजरो से मुझे देखती रही उसके जाने का दर्द सिर्फ मैं ही जानता था लेकिन उस वक्त मिस्टर मित्तल की आँखों में मैंने अवनि के लिए तकलीफ देखि थी .. मैं घर आ गया अंकल आंटी परेशान से खड़े थे ,, उनकी परेशानी देख मैंने अंकल आंटी को अवनि के बारे में सब बता दिय जो मिस्टर मित्तल ने मुझे उस रात बताई थी .. उन्होंने मुझसे इस झमेले से दूर रहने को कहा
मैं वही सोफे पर बैठ गया .. मुझे बार बार अवनि का वो बेबस चेहरा नजर आ रहा था …
तभी आंटी ने एक किताब मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा – अश्विन बेटा , ये किताब शायद वो यही भूल गयी थी
मैंने आंटी से किताब ली और बिना उसे देखे कहा – मैं अभी ये किताब उन्हें देकर आता हु ..
कहकर मैं घर से निकल गया और मिस्टर मित्तल के घर की तरफ चल पड़ा !
अंदर जाकर मैंने मिस्टर मित्तल को आवाज लगायी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला , मैं किताब लिए सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया .. दिमाग में अब भी अवनि ही घूम रही थी समज नहीं आ रहा था की वो सही थी या गलत सोचत सोचते मैं उसके कमरे के सामने पंहुचा जैसे ही दरवाजे की तरफ हाथ बढ़ाया एक कठोर और रोबदार आवाज मेरे कानो में पड़ी जो की कमरे से थी
“बहुत पर निकल आये है तेरे , मेरे खिलाफ बोलेगी ,, तुझे क्या लगता है लोग तेरी बात का विश्वास करेंगे
मैंने दरवाजे से कान लगाकर सुनने की कोशिश कि किसी के थप्पड़ मारने की आवाज आयी वो आवाज फिर से गुंजी
“मेरी चंगुल से बचकर जाना इतना आसान नहीं है , तुझे पाने के लिए कितना सब किया है मैंने और तू इतनी आसानी से यहाँ से भाग जाना चाहती है ,,
आवाज कुछ जानी पहचानी सी थी मैंने दरवाजे के छेद से अंदर झांककर देखने की कोशिश की वहा मिस्टर मित्तल मौजूद थे उन्होंने आगे बढ़कर एक जबरदस्त लात कोने में बैठी उस लड़की पर मारी जिससे वो मेरी आँखों के सामने आ गिरी वो दर्द से कराह रही थी मिस्टर मित्तल ने जैसे ही उसका मुंह पकड़कर ऊपर किया मेरा दिल धक् से रह गया , आँखे पथरा गयी वो लड़की कोई और नहीं अवनि थी .. उसके मुंह से खून निकल रहा था मिस्टर मित्तल ने उसका मुंह पकड़ा हुआ था उसकी आँखों से आंसू लगातार बहे जा रहे थे तभी उन्होंने कहा
“आईन्दा से अगर यहा से निकलने की कोशिश भी की तो तेरा भी वही हाल करूंगा जो तेरी माँ का किया था – कहकर उन्होंने अवनि की बांह पकड़कर उसे घसीटते हुए बिस्तर तक ले गए और अपने कपडे उतारने लगे और भूखे जानवर की तरह अवनि पर हावी हो गए ,, अवनि चींखने लगी लेकिन मिस्टर मित्तल ने उसे दबोचते हुए कहा
“चिल्ला और जोर से चिल्ला , तेरी चींखे सुनने वाला यहाँ कोई नहीं है ….

वो चीखे जा रही थी ये वही चीखे थी जो हर रात मुझे सुनाई देती थी , मैं जड़ हो चूका था , मुझसे एक पल भी वहा रुका नहीं गया मैं दौड़ता हुआ निचे आया और घर की तरफ भागा , बेतहासा भागते हुए अपने कमरे में आया और दरवाजा बंद करके वही घुटनों के बल गिर पड़ा ,,, और अपने चेहरे पर हाथ रख रोने लगा ,,
“ये मैंने क्या किया , मैंने अवनि को उस दरिंदे के हवाले कर दिया .. मिस्टर मित्तल ने मुझसे सब झूठ कहा था अवनि को कोई बीमारी नहीं थी ये सब तो उसका बनाया एक जाल था जिसमे उसने सबको फंसा रखा था ताकि वो अपने नापाक इरादे पुरे कर सके .. मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी ,,, वो पिता नहीं बल्कि एक जानवर है जिसने अपनी बेटी के साथ ऐसी घिनौनी हरकत की … वो चींखे अवनि की ही थी लेकिन कोई उन चीखो का मतलब नहीं समझ पाया , वो रोती रही मदद की भीख मांगती रही पर मैंने उसके दर्द को नहीं समझा , न जाने कितनी रातो से वो मासूम लड़की ये सब सह रही होगी .. मैं रोता जा रहा था ,
कुछ देर मैं वैसे ही गेट पर बैठे रहा और बालकनी में आ गया वो खिड़की बंद थी ,, मैं वही खड़ा रहा कुछ देर बाद पियानो की आवाज आने लगी वही दर्दभरी धुन जो वो हमेशा बजाया करती थी पर आज उस धुन में दर्द की कोई सीमा नहीं थी ,, वो दर्द आज मैं महसूस कर रहा था ,, मैं अंदर आ गया दराज खोली तो उसमे वो कागज पड़ा था मैंने उसे निकाला और उस धुन से जोड़ने लगा … वो उन्ही लाईनो की धुन थी जो उसने कविता में लिखी थी ,,, मैं सारी रात खुद को कोसता रहा , रोता रहा उसकी चीखो का राज मैं जान चुका था …
पूरी रात मैंने जागकर काट दी
सुबह आंटी मेंरे कमरे में आयी मुझे इस हालत में देखकर वो घबरा गयी जैसे ही उन्होंने मेरे सर पर प्यार से हाथ रखा मैं उनके गले लग रो पड़ा .. वो घबरायी हुयी सी मुझे गले लगाए रही मैं बस रोता जा रहा था
उन्होंने मुझे उठाया और बिस्तर पर बैठाया और मुझे पानी का ग्लास दिया ,, पानी पीकर मैंने अपना चेहरा पोछा और उनकी तरफ देखा
आंटी – क्या हुआ बेटा तुम ठीक तो हो ?
“आंटी , मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है आंटी – इतना कहकर मैंने उन्हें रात जो भी मैंने देखा सब बता दिया
मेरी बात सुनकर एक बार को जैसे उन्हें सदमा सा लगा और फिर शांत होकर उन्होंने कहां – मैं ये बात जानती थी बेटा , लेकिन अगर मैं किसी को बताती तो कोई मेरी बात का विश्वास नहीं करता , मिस्टर मित्तल इस शहर के सबसे बड़े आदमी है , नेता , राजनेता , पुलिस , मिडिया सब उनसे मिले हुए है ,,उस लड़की को उनके चंगुल से निकलना नामुमकिन है
मैं आंटी की गोद में सर रखकर लेट गया ..
“आंटी मैं उसे इस हाल में नहीं देख सकता , मुझे उसे उस नर्क से निकालना है मैं क्या करू आंटी? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है ,, वो चीखे , वो चीखे मुझे सोने नहीं देती है ,, वो आवाजे हर वक्त मेरा पीछा करती है , अवनि की आँखे मुझसे मदद मांगती है ..
आंटी – तुम परेशान मत हो सब सही हो जाएगा … तुम्हारी आँखे देखकर लगता है रातभर तुम सोये नहीं .. तुम आराम करो मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हु
कहकर आंटी चली गयी ..
मैं अवनि के बारे में सोचता हुआ लेटे रहा , उसे कैसे बचाऊ सोचता रहा ,, ऑफिस फोन करके कुछ दिन न आने का बोलकर मैं नहाने चला गया , बाहर आया तो आंटी चाय नाश्ता लेकर आ चुकी थी ,, मुझे नाश्ता कराकर वो निचे चली गयी … मेरा कुछ करने का मन नहीं था तभी मेरी नजर जमीन पर गिरी किताब पर गयी ..”ओह्ह कल ये किताब मैं उसे लौटाना भूल ही गया . मैंने किताब उठायी तो उसपर लिखा था “हेवन टू हेल पार्ट-2 ” ये अवनि की डायरी थी

क्रमश – Ak Dard Apna Sa – 4

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संजना किरोड़ीवाल

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