बदलते अहसास – 10
Badalte Ahasas – 10
माही की बाते सुनकर रचना बहुत परेशान थी उसे समझ नहीं आ रहा था वह माही को कैसे समझाये ? रचना अपने फ्लेट में आ गयी और काम में लग गयी लेकिन उसका ध्यान काम में कम और माही में ज्यादा था ! सोच में डूबी वह माही के बारे में सोचे ही जा रही थी की उसके हाथ से प्लेट छूटकर निचे जा गिरी अल्का ने देखा तो वह रचना के पास आयी और कहा,”क्या बात है ध्यान कहा है तेरा ?”
“अगर मैंने मम्मा को माही के बारे में बताया तो पता नहीं वो कैसा रियेक्ट करेंगी ?”,रचना ने मन ही मन कहा
“अरे बोल ना क्या हुआ ? कहा खोई है ?”,अल्का ने रचना का कन्धा हिलाते हुए कहा !
“मम्मा कुछ नहीं बस वो कॉलेज के बारे सोचकर थोड़ा सा”,रचना सफ़ेद बोल गयी !
“कॉलेज में कोई परेशानी है परेशानी है बेटा ?”,अल्का ने प्यार से पूछा !
“अरे नहीं मम्मा कोई परेशानी नहीं है , कॉलेज बहुत अच्छा है ! बस वो ट्रेनिंग की वजह से थोड़ा थक जाती हु इसलिए ! “,रचना ने कहा
“ठीक है तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए नाश्ता लगाती हु”,कहकर अल्का किचन की और चली गयी !
रचना ने नाश्ता किया और माही के साथ कॉलेज के लिए निकल गयी ! रास्तेभर दोनों के बिच कोई बात नहीं हुई ! क्लास ख़त्म होने के बाद रचना की कुछ सहेलियो ने घूमने का प्लान बनाया ! माही का साथ जाने का बिल्कुल मन नहीं था इसलिए उसने मना कर दिया और जाकर अकेले ही कॉलेज के गार्डन में बैठ गयी ! रचना ने जाने से इंकार कर दिया लेकिन माही नहीं चाहती थी उसकी वजह से रचना रुके उसने रचना को जाने के लिए फ़ोर्स किया !
“लेकिन तुम अकेले घर कैसे जाओगी ?”,रचना ने कहा
“डोंट वरी , आई विल मैनेज ! तुम जाओ”,माही ने फीका सा मुस्कुराते हुए कहा ! रचना माही के गले लगी और कहा,”अच्छा ठीक है , अपना ख्याल रखना”
रचना अपनी दोस्तों के साथ वहा से चली गयी ! माही वही बेंच पर बैठे बैठे ऋषभ के बारे में सोचते रही ! उसे नहीं समझ आ रहा था की वो क्या करे ? कुछ देर बाद उसका फोन बजा तो दूसरी तरफ से आवाज आयी,”हेलो माही ! बेटा कहा बीजी रहती हो तुम आजकल ? ना कोई फोन ना कोई मेसेज सब ठीक तो है ना ?”
“यस मम्मा ! सब ठीक है , बस वो थोड़ा बिजी थी इसलिए बात नहीं हो पायी ! आप कैसे हो ? , और डेड कैसे है ?”,माही ने कहा
“मैं ठीक हु और पापा भी ठीक है , ये बताओ तुम घर कब आ रही हो ? तुम्हारी बहुत याद आ रही है बेटा !”,दूसरी तरफ से आवाज आयी !
“मिस यू टू मम्मा , अच्छा लिस्टन मम्मा मुझे आपको कुछ बताना है !”,माही ने गंभीर स्वर में कहा
“हां बताओ बेटा !”,माही की माँ ने कहा
“मम्मा कॉलेज में मेरे बनाये ड्रेस को कॉलेज में फस्ट प्राइज़ मिला है !”,माही ने बिना किसी भाव के कहा !
“कोन्ग्रेचुलेशन बेटा ! प्राउड ऑफ़ यू !”,अमिता (माही की मम्मी) ने कहा
“थैंक्स मम्मा ! अगले वीक घर आ रही हु !”,माही ने कहा
“मैं इंतजार करुँगी ! पापा से बात करना चाहोगी ? “,अमिता ने कहा
पापा का नाम सुनकर माही का मन भारी हो गया वह जानती थी की उसकी आवाज सुनकर इंद्राज जी (माही के पिता) उसके दिल का हाल जान लेंगे उसने कहा,”अभी नहीं मम्मा , अभी मुझे क्लास के लिए जाना है मैं उनसे बाद में बात कर लुंगी !” माही ने फोन काट दिया उसकी आँखो में आंसू भर आये ! वह एकटक फोन की स्क्रीन को देखती रही ! आँखों के आगे फिर से ऋषभ घूमने लगा था ! ऋषभ उस से प्यार नहीं करता ये बात माही का दिल मानने को तैयार नहीं था ! माही उठी फोन जेब में रखा और अपना बैग उठाये कॉलेज के बाहर आ गयी ! उसने टेक्सी रोकी !
“कहा जाना है मैडम ?”,लड़के ने पूछा
“नया – सवेरा पेपर के ऑफिस !”,माही ने कहा और अंदर बैठ गयी ! टेक्सी वाला माही को लेकर आगे बढ़ गया ! चाय के बागानों से होते हुए गाड़ी चली जा रही थी पर आज ये नज़ारे माही को अच्छे नहीं लग रहे थे ! वह कुछ देर उदास आँखों से उन नजारो को देखती रही और फिर अपनी आँखे मूंदकर सर सीट से लगा लिया ! ऋषभ की कही बाते एक बार फिर उसके कानो में गूंजने लगी !
“आज तक किसी ने इतने प्यार से मना किया !”
“ये शहर , ये वादियाँ , ये बागान , पहाड़ , झरने , जंगल , ये सर्द हवाएं सब मेरी अपनी है”,
“जिस जगह से आपको लगाव होता है या सरल शब्दों में कहे तो जिस जगह से आपको प्यार हो , उसके बारे में जानकारी रखने में इंसान को ख़ुशी मिलती है “
“मेरी शादी नहीं हुई है !”
“तुम्हे कुछ पसंद क्यों नहीं आता ? हर चीज में कमी निकालना सही बात नहीं होती है”
“हर बार सच बोलना सही नहीं होता माही , कुछ चीजों , घटनाओ और परिस्तिथियों को ध्यान में रखकर सच को छुपाना पड़ता है ! “
“प्यार के बारे में हर किसी का अपना अपना नजरिया होता है माही , हम उसे किस नजर से देखते है ये मायने रखता है !”
“नहीं वो ऐसे नहीं है , वो ऐसे है ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन , जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन”
“यही तो मैं नहीं चाहता की लोग मुझे जाने ! मैं अपनी जिंदगी का बचा हुआ वक्त अकेले गुजरना चाहता हु
“मुझे तुम पर इस तरह चिल्लाना नहीं चाहिए था , आई ऍम सॉरी !”
“ये मेरी बनाई पोर्ट्रेर्ट में अब तक की सबसे खूबसूरत तस्वीर है ! “
“तुम उम्र में मुझसे बहुत छोटी हो !”
“बिकॉज आई ऍम 47 एंड यू आर 24”
“एवरीथिंग इज मैटर इन लव ! उम्र , जात-पात , रंग , कद , समाज , परिवार , डिग्री , बैंक बेलेंस एवरीथिंग इज मैटर इन लव”
टेक्सी अचानक से रुकी तो माही वर्तमान में लौट आयी ! उसने देखा सामने चाय की पत्तियों को तोड़ने वाले लोगो की भीड़ थी जो रास्ता संकरा होने की वजह से एक एक करके निकल रहे थे ! माही उन्हें देखने लगी उनका पहनावा काफी अलग था ! सर से रस्सी टीकाकार पीठ पर बड़ा सा लकड़ी का टोकरा उठाये सभी अपनी मस्ती में चले जा रहे थे ! माही ने देखा सभी के चेहरो पर प्यारी सी मुस्कराहट थी ! उन्हें देखकर माही का चेहरा खिल उठा वह भी मुस्कुराने लगी ! उनके जाने के बाद टेक्सी आगे बढ़ गयी ! कुछ देर बाद ही टेक्सी ऑफिस के सामने पहुंची माही ने किराया दिया और ऑफिस के मैन गेट पर आयी ! टेक्सी वाला वापस जाने लगा ! माही ने गार्ड से कहा,”मुझे ऋषभ से मिलना है !”
ऋषभ का नाम सुनकर गार्ड ने दरवाजा खोल दिया ! माही गार्ड के साथ अंदर आयी और ऑफिस की और जाने लगी जो की कुछ ही दूरी पर था ! चलते चलते माही रुक गयी और कहा,”क्या आप उन्हें यहां बुला सकते है ? मुझे उनसे अकेले में कुछ बात करनी है !”
“ठीक है तुम रुको मैं अभी उनको बताकर आता हु !”,कहकर गार्ड वहा से चला गया !
माही वही खड़ी ऑफिस के आस पास की जगह देखने लगी ! ऋषभ ने उसके सामने एक बार इस जगह का जिक्र किया था ! सच में वो जगह बहुत खूबसूरत थी ! कुछ ही देर बाद ऋषभ वहा आया माही को देखकर वह खुश भी था और हैरान भी की इस वक्त माही यहाँ क्यों आयी है ?
“तुम यहाँ ?”,ऋषभ ने माही के पीछे आकर कहा
ऋषभ की आवाज सुनकर माही पलटी ! सामने ऋषभ खड़ा था माही बस एकटक उसे देखते रही उसके मुंह से उस वक्त कोई बोल नहीं फूटे , माही को खामोश देखकर ऋषभ ने कहा,”तुम्हे इस तरह यहाँ नहीं आना चाहिए था माही ?”
“व्हाई ? लोग तुम्हे गलत समझेंगे इसलिए ?”,माही ने थोड़ा कड़े स्वर में कहा !
“नहीं , बल्कि यहाँ से शहर तक का रास्ता सेफ नहीं है , अकेली लड़की के लिए”,ऋषभ ने प्यार से कहा !
ऋषभ के शब्दों में माही को अपने लिए फ़िक्र महसूस हुई साथ ही ख़ुशी भी की ऋषभ उसके लिए इतना सोचता है ! उसने एक गहरी साँस ली और कहा,”सुबह तुमने कोई जवाब नहीं दिया ?”
“कैसा जवाब ?”,ऋषभ ने हैरानी से कहा
“यही की तुम मुझसे प्यार करते हो या नहीं ?”,माही ने ऋषभ की आँखो में देखते हुए पूछा
“ये क्या पागलपन हैं माही ?”,ऋषभ ने गुस्से से कहा जबकि अंदर ही अंदर वो किसी और भावना से झुंझ रहा था !
“जस्ट टेल मी यस या नो”,माही ने कहा
“इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं है !”,ऋषभ ने धीरे से कहा
“देन हाउ आई कंट्रोल माय फीलिंग्स ? आई कांट डू दिस री , मैं खुद को नही रोक सकती ! हर वक्त तुम्हारा ख्याल मेरा पीछा करता है , तुम्हारी आवाज मेरे कानो में गूंजती रहती है ! आई कांट कंट्रोल माय फीलिंग्स फॉर यू !”,माही ने तड़पकर कहा
ऋषभ का दिल ये देखकर अंदर ही अंदर टूट गया ! वह माही को कितनी तकलीफ पहुंचा रहा था इस वक्त लेकिन ऋषभ क्या कर सकता था ? वह डरता था अपनी हदो से इसलिए उसने माही के कंधो को पकड़कर उसे समझाते हुए कहा,”माही ये सब ठीक नहीं है ! तुम उम्र में मुझसे बहुत छोटी हो , और इम्मैच्योर भी !”
“इम्मैच्योर होती तो आपसे प्यार नहीं करती , अपनी ही उम्र के लड़के के साथ होती !”,माही ने चिल्लाकर ऋषभ को दूर धकेलते हुए कहा !
ऋषभ खामोश हो गया पहली बार उसने माही की आँखों में आंसू देखे थे और ये आंसू अंदर ही अंदर उसके सीने को छलनी किये जा रहे थे ! वह बेबसी से बस माही की और देखता रहा तो माही ने कहा,”री यू से आई ऍम इम्मैच्योर , बट आई ऍम नॉट री ! मुझे नहीं चाहिए ऐसा प्यार जो सुबह शुरू हो , रात को बेड शेयर किया और अगले दिन भूल गए , मुझे वो प्यार भी नहीं चाहिए जो एक मुलाकात से शुरू होकर शादी के बंधन पर ख़त्म हो ! मुझे ऐसा प्यार चाहिए जो मुझे जीना सिखाये , खुश रहना सिखाये , दुनिया को , लोगो को अलग नजरिये से देखने का हुनर दे ,,,, और ये सब तुम कर सकते हो ! तुम्हारे साथ रहते रहते कब मुझे तुम्हारी आदत हो गयी मैं खुद नहीं जानती बट नाउ यू आर अ पार्ट ऑफ़ माय लाइफ !”
माही की आँखों में लालिमा उतर आयी वह ऋषभ की आँखों में झाकने लगी ! ऋषभ ने महसूस किया माही की फीलिंग्स गलत नहीं थी वह भी तो इस वक्त माही को लेकर यही सब महसूस कर रहा था ! उसने माही को समझाने की एक आखरी कोशिश की और कहा,”इट्स नॉट लव माही ! “
“तुम उम्र में मुझसे बड़े हो इसका मतलब ये नहीं है की मैं तुम्हारी हर बात मानूंगी !”,माही ने गुस्से से कहा उस की आँखों में आंसू भर आये ! ऋषभ ने गर्दन घुमा ली तो माही ने कहा,”यू से इट्स नॉट लव तो फिर क्यों तुम्हे एक अनजान लड़की की इतनी परवाह है ? क्यों तुम उसकी बातो का , उसकी शरारतो का , उसके बुरे बर्ताव का बुरा नहीं मानते ? , क्यों तुम एक लड़की की तस्वीर जिसे मिले अभी तुम्हे कुछ ही वक्त हुआ है की तस्वीर बनाते हो ? , क्यों उस लड़की के लिए आधी रात को खाना बनाते हो वो भी उसकी पसंद का ? जो बाते जो फीलिंग्स तुमने कभी किसी से शेयर नहीं की वो मुझसे क्यों करते हो ? बिकॉज यू लव मी यू गोट डेम इट”
ऋषभ माही की और पीठ किये हुए खड़ा था जिससे माही उसकी आँखों में आयी नमी नहीं देख पायी !
“चलो तुम्हे घर छोड़ देता हु !”,ऋषभ ने अपने आँखों की नमी छुपाते हुए कहा !
“क्या तुम्हे बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता ?”,माही ने तड़पकर कहा !
“हां नहीं पड़ता मुझे फर्क , अकेला रहना चाहता हु मैं , नहीं चाहता कोई मेरी जिंदगी में आये ! खुश हु मैं अपने अकेलेपन से ,, नाउ यू प्लीज़ स्टॉप इट और चलो मेरे साथ”,ऋषभ ने पलटकर गुस्से से कहा ! एक पल के लिए माही डर गयी उसने पहली बार ऋषभ का ये रूप देखा था ! इसके बाद वह कुछ बोल नहीं पाई बस ख़ामोशी से ऋषभ के पीछे चल पड़ी ! ऋषभ ने अपनी जीप निकाली और माही को अपार्टमेंट छोड़कर वापस ऑफिस आने के लिए निकल गया ! रास्ते भर वह बस माही के बारे में सोचता रहा और फिर उसने गाड़ी को यु टर्न लिया और डोड्डाबेटा आ गया ! गाड़ी रोककर वह ऊपर आया और रेलिंग के पास खड़ा होकर उस गहरी खाई को देखने लगा ! उसकी आँखों से आंसू झर झर बहने लगे ! आज से पहले खुद को इतना बेबस और लाचार महसूस नहीं किया था उसने खुद को ! ऋषभ काफी देर तक वही खड़ा सुबकता रहा ! अपनी और माही की भावनाओ को वह अच्छे से समझता था लेकिन वह अपनी हदो से बाहर निकलना नहीं चाहता था ! उसे अपनी फ़िक्र नहीं थी लेकिन माही के लिए वह कोई परेशानी खड़ी करना नहीं चाहता था ! शाम होने लगी लेकिन ऋषभ को कोई होश नहीं था वह बस उदास सा वही बैठा रहा ! सुजैन का फोन आया तो उसे अपनी वर्तमान स्तिथि का अहसास हुआ ! ऋषभ उठा और ऑफिस चला आया ! सुजैन ने उसे कुछ जरुरी फाइल्स दी तो ऋषभ ने कहा,”सुजैन आज रात मैं यही रुकना चाहता हु !”
“क्यों ? आई मीन ऑफिस तो 6 बजे बंद हो जाता है , तुम अकेले रुक कर क्या करोगे ? बाकी बचा काम हम कल कर लेंगे”,सुजैन ने हैरानी से कहा
“सुजैन मुझे कुछ काम है , सो प्लीज़ अगर तुम्हे कोई परेशानी ना हो तो ! “,ऋषभ ने कहा
“इट्स ओके ऋषभ ! तुम रुक जाओ मैं गार्ड से कह देती हु वो तुम्हारे लिए खाने का बंदोबस्त कर देगा !”,सुजैन ने कहा और वहा से चली गयी !
उस रात ऋषभ ऑफिस में ही रुक गया ! उसने खुद को काम में व्यस्त रखने की कोशिश की लेकिन माही की बातो ने नहीं रहने दिया ! गार्ड खाने का डिब्बा देकर चला गया ! ऋषभ ने डिब्बे को खोलकर भी नहीं देखा उसने जेब से सिगरेट की डिब्बी निकाली और एक सिगरेट जलाकर मुंह में रख ली ! (धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है , कहानी में इसका किसी भी प्रकार से सहयोग नहीं किया गया है) ऋषभ एक के बाद एक सिगरेट फूंकता गया और अपने फेफड़े जलाता रहा ! रात उसने जागकर बिता दी ! सुबह सुजैन के आने से पहले ऑफिस से सिगरेट के टुकड़े साफ किये और वहा से निकलकर फ्लेट पर आ गया !!
माही मन ही मन खुद से झुंझ रही थी ! ऋषभ की और से किया जाने वाला बर्ताव माही को बहुत अजीब लग रहा था ! ना ऋषभ हां कह रहा था ना ही इसने इंकार किया ! माही खुद नहीं समझ पा रही थी की आखिर ऋषभ उस से चाहता क्या है ! वह अब पहले से ज्यादा गुमसुम रहने लगी थी ! बस रचना के साथ कॉलेज जाती और वापस आने के बाद अपने फ्लेट में कैद ! ना किसी से ज्यादा बात करती बस चुपचाप अपने आप में खोयी ! देखते देखते एक हफ्ता गुजर गया लेकिन ऋषभ का अहसास माही की यादो से नहीं निकला ! उसके मन में अभी भी वह कही ना कही बसा हुआ था और उसे चुभन का अहसास भी दिला रहा था ! वही ऋषभ हर वक्त इसी कोशिश में रहता की माही से उसका सामना ना हो , वह नहीं चाहता था बीती बातो की यादे माही के मन को चोट पहुंचाए इसलिए अब वह अपना अधिक से अधिक वक्त ऑफिस में ही बीताता ! रविवार की शाम माही अपने कोर्स से रेलेटेड काम से बाहर जा रही थी ! उसने जींस और टॉप पहना ऊपर एक लॉन्ग जैकेट पहन लिया ! उसने बैग उठाया और लिफ्ट के सामने आकर बटन दबाया ! लिफ्ट खुली तो उसमे मिसेज शर्मा और मिसेज अग्रवाल मौजूद थी !
माही अंदर आकर खड़ी हो गयी ! लिफ्ट बंद हुई और निचे जाने लगी मिसेज अग्रवाल और मिसेज शर्मा आपस में खुसर पुसर करने लगी ! माही को कुछ कुछ सुनाई दे रहा था पर उसने इग्नोर करना ही बेहतर समझा ! लेकिन वो दोनों कहा पीछे हटने वाली थी माही को सुनाते हुए मिसेज अग्रवाल ने कहा,”आजकल की लड़कियों में लाज शर्म तो है ही नहीं , कैसे कैसे कपडे पहनती है ?”
माही ने अंदर ही अंदर खुद को रोक लिया और लिफ्ट की स्क्रीन की और देखने लगी ताकि जल्दी से ये खुले और वह इन लोगो से दूर चली जाये ! “अरे बहनजी पूछिए मत माँ बाप जो छूट इन्हे देते है बस उसका गलत फायदा उठाते है ! पढाई के नाम पर बस मौज मस्ती करनी होती है !”, मिसेज शर्मा ने कहा
“लड़की फॉरवर्ड है तभी तो अकेले इतनी दूर रह लेती है , वरना हम तो कतई अपने बच्चो को इतनी छूट ना दे !”,मिसेज अग्रवाल ने कहा
बस अब माही के सब्र का बांध टूट गया ! वह पलटी और कहा,”आप छूट नहीं देंगी तब भी आपके बच्चे बिगड़ ही जायेंगे , जानती है क्यों क्योकि उनके घर में आप जैसे छोटी सोच वाले लोग भी रहते है , जो उन्हें कभी आगे बढ़ने नहीं देते ! हर इंडिपेंडेंट लड़की फॉरवर्ड नहीं होती है बल्कि वो जानती है की उन्हें अपनी जिंदगी कैसे जीनी है ! रही बात आप जैसे शरीफ लोगो की तो वो तो अपनी जिंदगी काट ही रहे है !”
माही की बाते सुनकर दोनों का मुंह खुला का खुला रह गया ! दोनों कुछ कहती इस से पहले ही लिफ्ट रुकी और माही दनदनाती हुई वहा से चली गयी ! मिसेज अग्रवाल और मिसेज शर्मा दोनों बाहर आयी तो कॉरिडोर में मिसेज आहूजा मिल गयी ! वह उन दोनों के पास आयी और कहा,”क्या बात है आज दोनों ब्यूटी क्वींस का मूड कैसे ऑफ है ?”
“हुंह्ह वो है ना नकचढ़ी ! खुद को ना जाने क्या समझती है !”,मिसेज अग्रवाल ने मुंह बनाते हुए कहा !
“अरे सुबह सुबह क्यों उसकी वजह से अपना मूड ख़राब कर रही हो , आज रात मिसेज शर्मा के घर पार्टी है वहा मिल रही हो ना सब !”,मिसेज आहूजा ने पूछा !
“हां बिल्कुल मैंने तो अपने लिए ड्रेस भी मंगवा लिया है !”,मिसेज अग्रवाल ने कहा !
“तो फिर मिलते है उन्हें घर ! बाय “,कहकर मिसेज आहूजा लिफ्ट की और बढ़ गयी ! मार्किट का काम खत्म करके माही वापस आयी ! उसने सामान टेबल पर रखा और कोट निकालकर फेंक दिया ! कामवाली ने खाना बनाकर रख दिया और चली गयी ! माही फ्रेश होने चली गयी नहाकर वह वापस अपने कमरे में आयी कपडे बदले और शीशे के सामने खड़ी होकर खुद को देखने लगी ! क्या हो गयी थी माही इस एक हफ्ते में चेहरे पर उदासी और आँखों में खालीपन पसरा हुआ था ! ऋषभ को भुला पाना उसके लिए नामुमकिन था ! उसका ख्याल हर वक्त उसके जहन में घूमता था ! ऋषभ की आवाजे उसके कानो में फिर गूंजने लगी ! फिर एक बार उसके ख्याल आँखों के सामने आने लगे ! खुद को समझाते समझाते माही थक चुकी थी ! ऋषभ से उसे इतना प्यार हो जाएगा उसने कभी सोचा भी नहीं था ! अचानक बिजली कड़की और आसमान में काले बादल घिर आये ! माही खिड़की के पास आयी बारिश की बुँदे आकर उसके चेहरे पर गिरने लगी ! उन गिरती बूंदो के साथ ही छूने लगा था ऋषभ का अहसास ! उसे वो बीती रात याद हो आयी जिस रात ऋषभ ने उसकी तस्वीर बनाई थी ! कितनी खूबूसरत थी वो बरसात की रात जब माही ऋषभ के साथ थी ! तब ना समाज था ना समाज के लोग , ना उम्र का फांसला था ना सोच का फर्क ! बस दो अकेले इंसान थे जो अपने आप में अधूरे थे ! बारिश की गिरती बूंदो के शोर में माही ऋषभ की आवाज को महसूस कर रही थी ! हवा के झोंके उसके बालो को वैसे ही उलझा जाते जैसे कभी उलझती थी वह ऋषभ से ! माही के होंठो पर एक दर्दभरी मुस्कान तैर गयी ! ऋषभ के ना होने का अहसास उसे अंदर तक छलनी कर गया ! उसकी आँखों में आंसुओ की बुँदे तैरने लगी माही जब पलटी तो नजर सामने दिवार पर टंगे ऋषभ के जैकेट पर गयी माही उसकी और बढ़ी उसने नम आँखों के साथ उसे पहन लिया और अपने हाथो को आपस में समेट लिया ! आँखे बंद की तो आंसुओ की बुँदे लुढ़ककर गालो पर आ गयी !
ऋषभ की बाते अब भी उसके दिमाग में घूम रही थी ! चेहरे पर उतर आया दर्द अब गुस्से में बदल गया ! माही एक खतरनाक इरादे के साथ डायनिंग टेबल की और बढ़ी उसने टेबल पर रखा धारदार चाकू उठाया और लेकर बेड के पास आ गयी ! बेड के एक कोने पर बैठकर उसने अपनी गर्दन झुका ली ! आंसू उसकी आँखों से झर झर करके बहने लगे ! माही ने भीगी आँखों से अपने हाथ में पकडे चाकू को अपने दूसरे हाथ की नस पर चला दिया ! खून का फनवारा छूटा लेकिन माही के मुंह से एक आह तक ना निकली ! वह वही बिस्तर पर निढाल हो गिर पड़ी हाथ से खून बहकर फर्श पर गिरने लगा ! उसकी आँखे अभी भी भीगी थी उसने अधखुली आँखों से देखा खिड़की के पास मुस्कुराता हुआ ऋषभ खड़ा था ! और अगले ही पल उसकी आँखे बंद हो चुकी थी !
“माही , माही”,कहते हुए जैसे ही रचना कमरे में आयी माही को बिस्तर पर देखकर उसके पास आयी लेकिन वहा खून देखकर रचना की चीख निकल गयी ! वह बुरी तरह कांपने लगी उसने देखा खून हाथ से बहते ही जा रहा है ! वह मदद के लिए भागकर बाहर आयी लेकिन सभी आज शर्मा जी की पार्टी में ऊपर टेरेस पर थे ! रचना को कोई नहीं मिला वह लिफ्ट के पास आयी लेकिन निचे किसी ने लिफ्ट रोक रखी थी ! म्यूजिक के शोर में उसकी आवाज भला कौन सुनता ? रचना बदहवास सी वापस कमरे में आयी अब तक माही का काफी खून बह चुका था ! उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था अचानक उसे कुछ याद आया उसने माही का फोन ढूंढा और ऋषभ का नंबर डॉयल किया ! ऋषभ इस वक्त किसी काम से बाहर गया हुआ था माही का नंबर देखते ही उसने फोन उठाया ! वह कुछ कहता इस से पहले ही रचना ने घबराई हुई आवाज में कहा,”हेलो ऋषभ अंकल ! कहा हो आप ? प्लीज़ जल्दी आ जाईये , वो वो माही ने अपने हाथ की नस काट ली है , बहुत खून निकल रहा है ! प्लीज़ आ जाईये !”
ऋषभ ने जैसे ही सूना उसके हाथ से फोन निचे जा गिरा और स्पीकर ऑन हो गया ! जिसमे से रचना की आवाज आ रही थी,”हेलो हेल्लो अंकल आप सुन रहे है ना ? हेलो अंकल , आप जवाब क्यों नहीं दे रहे ? हेलो ! “
ऋषभ ने फोन को वही छोड़ा वह तेजी से अपार्टमेंट की और दौड़ पड़ा ! ऋषभ बेतहाशा बदहवास सा भागे जा रहा था उसने महसुस किया जैसे उसने अपनी जिंदगी की सबसे कीमती चीज खो दी हो !
Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10 Badalte Ahasas – 10
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संजना किरोड़ीवाल