Haan Ye Mohabbat Hai – 78
Haan Ye Mohabbat Hai – 78
मैनेजर अमर जी के घर से बाहर आया। घर से कुछ ही दूर एक गाड़ी खड़ी थी मैनेजर उसके पास आया और दरवाजा खोलकर अंदर आ बैठा। गाड़ी अर्जुन की थी ड्राइवर सीट पर अर्जुन और उसके बगल में सोमित जीजू बैठे थे। मैनेजर जैसे ही गाड़ी में आकर बैठा अर्जुन ने पूछा,”काम हो गया ?”
“ऑलमोस्ट होने ही वाला था सर , मैं मीरा मैडम को सच बताने ही वाला था कि सौंदर्या जी वहा आ गयी,,,,,,,,,,,,,!!”
“इस सौंदर्या की तो मैं,,,,,,,,,,,,,अगर 7 खून माफ़ होते ना तो मैं सातों बार इसका ही खून करता,,,,,,,,,कतई चरस बो रखी है इसने सबकी जिंदगी में,,,,,,,,,,,,,,जहा पहुंचना होता है वहा तो पहुंचेगी ही लेकिन जहा नहीं पहुंचना होता वहा वक्त से पहले पहुँच जाती है,,,,,,,,,,चुड़ैल कही की,,,,,,!!”,जीजू ने गुस्से से किलसते हुए कहा
जीजू की बाते सुनकर मैनेजर हक्का बक्का सा सोमित जीजू को देखने लगा। अर्जुन ने देखा तो मैनेजर से कहा,”उनकी बातो पर ध्यान मत दो वो बस थोड़ा फ्रस्ट्रेटेड है,,,,,,,,,तुम ये बताओ वो लेटर,,,,,,,,,!!”
अर्जुन की बात पूरी होने से पहले मैनेजर ने कहा,”हाँ सर आपने जो लेटर दिया वो मैंने उस फाइल में सबसे ऊपर रख दिया और मीरा मैडम से कहा कि ये आज शाम की पार्टी में आपके लिए स्पीच है आप इसे पढ़ लेना,,,,,,,,,मुझे यकीन है वो उसे जरूर पड़ेगी सर,,,,,,,,,,”
मैनेजर की बात सुनकर अर्जुन को थोड़ी राहत मिली उसने कहा,”हम्म्म तुमने अच्छा किया , मीरा एक बार उसे पढ़ ले तो वह जान जाएगी कि इन सबके पीछे किस का हाथ है ?
अब हम लोग यहाँ से चलते है वरना हमे किसी ने यहाँ किसी ने साथ देख लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी,,,,,!!”
“हाँ सर ! मैं भी चलता हूँ मेरी गाड़ी पीछे खड़ी है”,कहते हुए मैनेजर गाड़ी से नीचे उतर गया और अपनी गाड़ी की तरफ चला गया।
मीरा के कमरे की खिड़की पर खड़ी सौंदर्या खामोशी से खड़ी सब देख रही थी। उसने हाथ में पकड़ी फाइल खोला और उसमे रखे कागज को निकालकर पढ़ने के बाद बड़बड़ाई,”बेवकूफ लोग ! तुम लोगो को क्या लगता है सौंदर्या इतनी बेवकूफ है कि तुम्हारी चालाकी नहीं समझेगी,,,,,,,,,,,,,,,इस लेटर के जरिये तुम मीरा तक सच्चाई पहुंचाना चाहते थे,,,,,,,,,,लेटर तो मीरा के पास जरूर जाएगा लेकिन ये नहीं वो लेटर जो आज रात मीरा की जिंदगी बदल देगा और मीरा कुछ नहीं कर पायेगी,,,,,,,,,,!!”
सौंदर्या ने फाइल में रखे मैनेजर के लेटर को फाड़कर डस्टबिन में डाल दिया और अपने साथ लाया लेटर उस फाइल में रख दिया। सौंदर्या जैसे ही फाइल लेकर पलटी उनकी बड़ी बेटी ने कमरे में आते हुए कहा,”मम्मा ! पापा कहा है वो कही नजर नहीं आ रहे और उनका फोन भी नहीं लग रहा ? क्या वो कही बाहर गए है ?”
सौंदर्या की आँखों में बेचैनी के भाव झिलमिलाने लगे लेकिन अगले ही पल उन्होंने खुद को सम्हाल लिया और हाथ में पकड़ी फाइल को टेबल पर रखते हुए कहा,”अरे हां ! वो मैं तुम लोगो को बताना भूल गयी , तुम्हारे पापा तो आज सुबह जल्दी अजमेर के लिये निकल गए ,, उनके ऑफिस से कोई जरुरी कॉल आया था और उन्होंने मुझे कहा कि उन्हें अर्जेंट में जाना ही होगा। काम जरुरी था इसलिए मैंने भी उन्हें रोका नहीं और जाने दिया,,,,,,,,,,!!”
प्रत्याशा ने सुना तो उसे सौंदर्या की बातो पर यकीन नहीं हुआ। उसने सौंदर्या से कहा,”लेकिन पापा ने तो इस बारे में कुछ नहीं बताया और वो हम लोगो से मिले बिना ही चले गए।”
सौंदर्या उसके पास आयी और कहा,”तुम दोनों उस वक्त सो रही थी मैं तो उठाना भी चाहती थी लेकिन उन्होंने ही मना कर दिया। वैसे उन्होंने कहा है वो एक दो दिन में आ जायेंगे”
“ठीक है मम्मा , वैसे अच्छा होता पापा मुझे भी अपने साथ ले जाते , मुझे यहाँ बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है।”,प्रत्याशा ने उदास होकर कहा
“यहाँ रहने की आदत डाल लो प्रत्याशा , धीरे धीरे सब अच्छा लगने लगेगा,,,,,,,,,,,वैसे जिज्ञाषा कहा है ? सुबह से दिखाई नहीं दी वो,,,,,!!”,सौंदर्या ने अपनी बेटी के कंधो पर हाथ रखकर उसके साथ कमरे से बाहर आते हुए कहा।
“वो अपने कमरे में सो रही है मम्मा”,प्रत्याशा ने कहा
“हे भगवान ! ये लड़की कितनी आलसी है , प्रत्याशा जाकर उठाओ उसे कहो जल्दी से तैयार हो जाये उसके बाद हमे बाहर जाना है।”,सौंदर्या ने कहा
“बाहर किसलिए मम्मा ?”,प्रत्याशा ने पूछा
“शॉपिंग और कहा बेटा,,,,,,,,,,जाओ जल्दी से जाकर तैयार हो जाओ।”,सौंदर्या ने कहा तो प्रत्याशा वहा से चली गयी। अपने कमरे की ओर जाते हुए प्रत्याशा की नजर सोफे पर बैठी मीरा पर चली गयी। प्रत्याशा अपने कमरे में ना जाकर मीरा के पास चली आयी।
उसने देखा मीरा कही खोयी हुई है और उसके सामने चाय का कप रखा है। प्रत्याशा मीरा के बगल में आ बैठी और चाय का कप उठाकर मीरा की तरफ बढाकर कहा,”दी आपकी चाय ठंडी हो रही है।”
प्रत्याशा की आवाज से मीरा की तंद्रा टूटी उसने चाय का कप लेते हुए कहा,”हम्म्म शुक्रिया !”
“आप कहा खोयी थी ? आपको देखकर लग रहा था जैसे आप किसी गहरी सोच में है।”, प्रत्याशा ने कहा
“समझ में नहीं आ रहा प्रत्याशा , वो लोग अपने है जो हमारी परवाह करते है या वो लोग जो परवाह करने का दिखावा करते है।”,मीरा ने बुझे मन से कहा
“आप मम्मा की वजह से ऐसा कह रही है ना , आज सुबह उन्होंने जो किया मैं जानती हूँ मम्मा उस वक्त गलत थी लेकिन वो सच में आपसे प्यार करती है।”, प्रत्याशा ने कहा
मीरा हल्का सा मुस्कुराई और कहा,”तुम से हमारी कभी ज्यादा बात नहीं हुई पर तुम अपनी उम्र से भी ज्यादा समझदारी वाली बातें करती हो।”
“हाँ क्योकि हमारी प्रेरणा आप है। हम आपको बहुत मानते है दी और आपके जैसा बनना चाहते है।”,प्रत्याशा ने खुश होकर कहा
मीरा ने प्यार से उसके गाल को छुआ और कहा,”महादेव तुम्हे हम से भी ज्यादा तरक्की दे।”
कुछ देर बाद प्रत्याशा वहा से उठकर चली गयी। सौंदर्या का सच उसे बताकर मीरा प्रत्याशा का दिल तोड़ना नहीं चाहती थी। कोई भी फैसला लेने से पहले मीरा पूरा सच जानना चाहती थी और सौंदर्या ने मीरा से कहा था कि आज रात वह उसे अमायरा के कातिल के बारे में बता देगी। मीरा को बस आज रात का इंतजार था।
कोर्ट के केंटीन एरिया में अकेला बैठा अक्षत सामने पड़े चाय से भरे कप को खामोश आँखों से एकटक देखे जा रहा था। अक्षत के जहन में इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था लेकिन ऐसा कोई नहीं था जिसके साथ वह उसे बाँट सके और शायद अक्षत बांटना भी नहीं चाहता था। मीरा के जाने के बाद अक्षत ने खुद को इतना सिमित कर लिया कि वह अब अपनी ख़ुशी और अपना दर्द दोनों किसी से नहीं बांटता था। उसे ध्यान ही नहीं रहा कि कब अखिल उसके सामने आकर बैठ गया।
अखिल का चेहरा आज उतरा हुआ था और वह काफी उदास भी लग रहा था। अक्षत की तंद्रा टूटी उसने सामने बैठे अखिल को देखा तो कहा,”तुम यहाँ ? आज तो तुम्हारे केस की सुनवाई थी ना तुम कोर्ट नहीं गए ?”
“जज साहब ने वो केस डिसमिस कर दिया , मुझे नहीं पता था मैं एक इललीगल केस लड़ रहा हूँ,,,,,,,,,,,बार काउन्सिल ने कहा है अगर कोई वकील मेरे पक्ष में मेरी जमादारी ले तो मुझे मेरा लायसेंस मिल सकता है वरना उसे रद्द कर दिया जायेगा।”,अखिल ने उदास होकर कहा
अखिल की बातें सुनकर अक्षत को वो वक्त याद आ गया जब अक्षत का लायसेंस केंसल होने और छवि दीक्षित केस हारने के बाद अखिल ने ही पुरे कोर्ट में सबके बीच अक्षत की इमेज खराब की थी लेकिन आज वह खुद उन्ही हालातो से गुजर रहा था और उसी अक्षत के सामने बैठा था। अक्षत ने केंटीन में काम कर रहे लड़के से एक चाय देकर जाने का इशारा किया और ख़ामोशी से अखिल को देखने लगा।
“कोर्ट में किसी ने मेरा साथ नहीं दिया , मेरे सीनियर्स , मेरे दोस्त सबने हाथ खड़े कर दिए और मुझे भी लगता है कि मेरा वक्त इस अदालत में बस इतना ही था। मैं यहाँ तुमसे खुद के लिये शिफारिश करने बिल्कुल नहीं आया हूँ बल्कि मैं तुम से माफ़ी मांगने आया हूँ। तुम्हारे मुश्किल हालातो में जब तुम्हे इस कोर्ट में किसी दोस्त की सबसे ज्यादा जरूरत थी तब मैंने भी तुमसे मुंह मोड़ लिया,,,,,,,,,,,,,लेकिन कहते है ना कर्मा ,, कल तक मैं सबके साथ खड़े होकर तुम पर हंस रहा था और आज मैं खुद उन हालातो में हूँ। हो सके तो मुझे माफ़ कर देना,,,,,,,,,,!!”,अखिल ने वहा फैली ख़ामोशी को तोड़ते हुए कहा
लड़का चाय रखकर चला गया। अक्षत ने चाय का कप अखिल के सामने रखकर कहा,”चाय पीओ”
अखिल ने सुना तो हैरानी से अक्षत को देखने लगा। अक्षत ने अपना कप उठाया और एक घूंठ भरते हुए कहा,”हम्म्म अच्छी बनी है , पीओ”
“क्या तुम्हे मुझ पर ज़रा भी गुस्सा नहीं आ रहा ?”,अखिल ने पूछा
अक्षत हल्का सा मुस्कुराया और कहा,”नहीं,,,,,,,,,,इसी गुस्से के चलते मैंने अपनी जिंदगी में दो कीमती लोगो को खोया है , इस से ज्यादा खोने की हिम्मत अब मुझमे नहीं है।
तुमने भी वही किया जो एक दोस्त आखिर में करता है इसलिए मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं लेकिन मैं अपनी दोस्ती कभी नहीं भूलता”
कहते हुए अक्षत ने चाय खत्म की और अपने जेब में रखा लायसेंस निकालकर अखिल के सामने रखते हुए कहा,”तुम्हारा लायसेंस रद्द नहीं होगा।”
“ये किसने किया ?”,अखिल ने पूछा
“बार काउन्सिल में जाकर खुद पता कर लो , मुझे अब निकलना होगा।”,कहते हुए अक्षत वहा से चला गया
अखिल ने लायसेंस को देखा और बुदबुदाया,”तो क्या ये अक्षत ने,,,,,,,,,,,,,,!”
अखिल पलटा लेकिन तब तक अक्षत वहा से जा चुका था। अखिल भागकर बार काउन्सिल आया तो उसे पता चला उसकी जमादारी “अक्षत व्यास” ने ली है। अक्षत का नाम सुनते ही अखिल की आँखों में नमी उभर आयी।
उसी शाम सोमित जीजू और अर्जुन दोनों अर्जुन के कमरे में तैयार हो रहे थे। दोनों ने अच्छे महंगे सूट पहने थे। अर्जुन अपने आज के प्लान को लेकर थोड़ा टेंशन में था और सोमित जीजू शीशे के सामने खड़े भर भर कर परफ्यूम लगा रहे थे। अर्जुन ने देखा तो कहा,”जीजू ये क्या कर रहे है आप ? इतना तैयार क्यों हो रहे है ? आपको याद है ना हम अमर अंकल की पार्टी में सौंदर्या भुआ की असलियत सामने लाने जा रहे है उनकी शादी में नहीं।”
सोमित जीजू ने सुना तो मुंह बनाते हुए परफ्यूम की बोतल को वापस रखा और अर्जुन के सामने आकर कहा,”उस सौंदर्या चालक लोमड़ी से शादी करेगा कौन ? बेचारे राजकमल जी कितने सीधे आदमी है और उन्हें मिली वो लोमड़ी से भी तेज दिमाग वाली सौंदर्या,,,,,,,,,,,मुझे तो अब उसके नाम के लोगो से भी नफरत हो गयी है ,, अक्षत-मीरा की शादी से पहले कितनी अच्छी बन रही थी वो ‘नहीं नहीं मैं तो चाहती हूँ अक्षत मीरा हमेशा साथ रहे’ तो अब क्या हो गया उसकी चाहत को अब क्यों उनकी जिंदगी में नागिन बनकर उन्हें डसने पर तुली है वो,,,,,,,,!!”
“अरे बस बस जीजू ! आपकी बातो से तो लग रहा जैसे आप उनका गला ही दबा देंगे,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने सोमित जीजू को शांत करते हुए कहा
“मेरा बस चलता तो कब का दबा देता , और अगर आज उनका सच सामने नहीं आया न तो मैं पक्का उनका गला दबा दूंगा।”,सोमित जीजू ने गुस्से से कहा
“चिंता मत कीजिये आज उस सौंदर्या का असली चेहरा सबके सामने आ जायेगा,,,,,,,,भरोसा रखिये।”,अर्जुन ने कहा और फिर दोनों कमरे से बाहर चले आये।
कमरे से बाहर आकर सीढ़ियों की तरफ जाते हुए दोनों अक्षत से टकरा गये अक्षत भी अपने कमरे से ही निकलकर बाहर आ रहा था। सोमित जीजू ने अक्षत को देखा तो बस देखते ही रह गए। काले रंग के सूट में अक्षत जहर लग रहा था उस पर उसकी बढ़ी हुई दाढ़ी और लम्बे बाल उसे और खूबसूरत बना रहे थे।
अर्जुन ने भी अक्षत को देखा तो कहा,”तुम कही जा रहे हो ?”
“आप लोग कही जा रहे है ?”,अक्षत ने सामने से सवाल किया
“हां वो अमर जी की पार्टी में,,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने बस इतना ही कहा कि अर्जुन ने उन्हें पीछे खींच लिया और कहा,”मैंने जो पूछा उसका जवाब दो।”
“मैं आपके हर सवाल का जवाब देना जरुरी नहीं समझता,,,,,,,,,,,,,,,,इस वक्त तो बिल्कुल नहीं”,कहकर अक्षत वहा से चला गया
अर्जुन ने सूना तो भड़क गया और कहा,”देखा जीजू आपने , कैसे जवाब देकर गया है वो मुझे ?”
“अरे छोडो ना अर्जुन चलो हमे देर हो जाएगी”,सोमित जीजू ने कहा तो अर्जुन उनके साथ नीचे चला आया और घर से निकल गया।
अक्षत आकर अपनी गाड़ी में बैठा और वहा से निकल गया। अर्जुन भी सोमित जीजू के साथ आकर गाड़ी में बैठ गया और वहा से निकल गया। अक्षत को भी अमर जी की पार्टी में ही जाना था और अर्जुन सोमित जीजू को भी इसलिए अर्जुन की गाड़ी अक्षत की गाड़ी के बिल्कुल ठीक पीछे थी।
“अर्जुन मैं पक्का कह सकता हूँ ये साले साहब भी उसी पार्टी में जा रहे है।”,सोमित जीजू ने अपनी गाड़ी के आगे चलती अक्षत की गाड़ी को देखकर कहा
“मुझे भी यही लगता है,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने कहा
गाड़िया कुछ ही दूर साथ चली थी अक्षत की गाड़ी दूसरी तरफ मूड गयी ये रास्ता पार्टी वाली जगह तो बिल्कुल नहीं जाता था। अर्जुन ने देखा तो गाड़ी को एकदम से ब्रेक लगाकर कहा,”जीजू ये आशु तो कही और ही जा रहा है ,,
अगर अक्षत उस पार्टी में नहीं आया तो हमारे पुरे प्लान पर पानी फिर जाएगा।”
“अर्जुन हम लोग वहा चलकर कुछ सोचते है , अभी के लिए चलो वरना पूरा प्लान ही बिगड़ जाएगा।”,सोमित जीजू ने कहा तो अर्जुन ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी लेकिन दोनों के चेहरे पर परेशानी के भाव नजर आने लगे
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संजना किरोड़ीवाल
Please iss story ke last mai kuch trauma mat dena ab….🥹
Mam ab to ekta kapoor ke characters se bahar aa jaye
Akhil ko apni galti ka ehsaas ho gaya ki jab usse Akshat ki help karni chahiye thi tab usne uska mazak udaya aur aaj wahi Akshat uska saath de raha hai uska licence bachane ke liye…Meera ko aaj raat ka intzaar hai kyu ki Soundarya ne usse kaha ki voh Amaira ke khatil ke baare me batayegi aur Soundarya akhir yeah party me kya karne ki soch rahi hai…Arjun aur Jiju Manager ke jariye Meera tak Soundarya ki sachaai batana chahate the per Soundarya ne unhe dekh liya aur voh letter fadkar fekh diya…Somit jiju aur Arjun Akshat ko dusre route per zjyade dekh pareshan hogayi hai kyu ki aaj voh Meera aur Akshat ko ek karne ki plan bana liya hai…Akshat gar party me nahi jaraha hai toh kaha ja raha hai…interesting part Maam♥♥♥♥♥♥
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