मनमर्जियाँ – 13
Manmarjiyan – 13
“मनमर्जियाँ”
By Sanjana Kirodiwal
Manmarjiyan – 13
मिश्रा जी ने गुड्डू की बात को अनसुना किया और वहा से चले गए। उनके जाते ही मिश्राइन गुड्डू के पास आयी और गुड्डू की बांह पकड़कर उसे अपनी और करके कहा,”का रे कौन है इह पिंकी ? अच्छा अच्छा कही उह शर्मा जी वाली लौंडिया की बात नहीं ना कर रहे हो ? एक ठो बात सुन ल्यो गुड्डू हमाये घर में जात बिरादरी की लड़की आयी है , कोनो पंडिताइन नहीं समझो”
“अरे अम्मा तुमहू भी पिताजी के जैसे काहे हमाये प्यार पर आरी चलाय रही हो , अरे पिंकिया अच्छी लड़की है एक ठो बार उन से मिलो तो सही , हमे विस्वास है ना नहीं ना कह पाओगी”,गुड्डू ने मिश्राइन को समझाने की कोशिश की
“देखो गुड्डू हम किसी पिंकी फींकी से ना मिलने वाले , और तुम्हरा दिमाग खराब हो गवा है मोहल्ले की लड़की को ब्याहकर लायी हो अपने घर , मोहल्ले वाले का कहेंगे ?”,मिश्राइन ने कहा
“हमसे ज्यादा बकैती नाही करो गुड्डू मिश्रा जी ने सुना तो अबहु पेल दिहिस ,, चुपचाप कॉलेज जाओ”,कहते हुए मिश्राइन अंदर चली गयी। गुड्डू के लिए अपनी शादी की बात करना जी का जंजाल हो गया था। वह बाइक लेकर कॉलेज के लिए निकल गया। रास्ते भर गुड्डू घऱवालो के बारे में सोचता रहा , ना दोस्त (गोलू) उसे समझ रहा था ना ही घरवाले उसकी बात सुनने को तैयार थे और पिंकिया वो तो हर वक्त गुड्डू को बस धमकी देते रहती थी। बाइक आकर ट्रेफिक में रुकी , गुड्डू को देखते ही उसका हवलदार दोस्त उसकी और चला आया और कहा,”का गुड्डू सुबह सुबह अकेले , आज तुम्हायी पिंकिया नहीं आयी ?”
गुड्डू जिसका दिमाग पहले से गर्म था उसने कहा,”चिकाई कर रहे हो का बे ? अभी झपड़ा दिए जाओगे तब पता चलेगा पंजीरी कहा बट रही है”
“अरे अरे गुड्डू नाराज काहे हो रहे हो भाई , हमहू तो ऐसे ही हाल चाल पूछ लिए”,हवलदार ने गुड्डू के गुस्से को देखकर कहा
“ऐसा है जियादा ओरंगजेब ना बनो तुम्हारा जो काम है न उह करो , ट्रेफिक क्लियर करो नहीं तो तुम्हायी छाती पर से बाइक निकाल दी है”,गुड्डू ने कहा तो हवलदार वहा से चला गया। गुड्डू बाइक लेकर आगे बढ़ गया ,
कॉलेज आया और देखा की कॉलेज में एग्जाम्स की तैयारियां शुरू हो चुकी है। गुड्डू कुछ देर कॉलेज रुका और फिर शोरूम चला आया। वहा मिश्रा जी ने गुड्डू को देखा तो अपने पास बुलाकर कहा,”एग्जाम कबसे है ?”
“दो हफ्ते बाद”,गुड्डू ने कहा
“तो हिया का कर रहे हो ? घर जाकर पढाई करो एक महीने बाद शोरूम तो तुमको आना ही आना है”,मिश्रा जी ने विश्वास के साथ कहा क्योकि उन्हें पता था गुड्डू इस साल भी पास नहीं होने वाला है। गुड्डू वापस घर चला आया खाना खाकर अपने कमरे में आ गया , किताब खोलकर पढ़ने का सोचा लेकिन कुछ ही देर बाद उसे नींद आने लगी और गुड्डू सो गया। शाम को उठा और छत पर चला आया , मन भारी था कुछ हल्का हो जाएगा सोचकर उसने पिंकी को फोन लगाया पिंकी ने फोन उठाया और कहा,”हेलो”
गुड्डू – हैलो पिंकी , हम गुड्डू
पिंकी – तुमने अपने घर में बताया ?
गुड्डू – हा बताया लेकिन पिताजी कुछो सुनने को तैयार ही नहीं है
पिंकी – देखो गुड्डू , अगर तुम्हे मुझसे शादी करनी है तो उन्हें मनाना ही होगा
गुड्डू – नहीं माने तो भागकर शादी कर लेंगे
पिंकी – पागल वागल हो क्या ऐसा कुछ सोचना भी मत गुड्डू ? शादी होगी तो घरवालों की मर्जी से वरना नहीं होगी समझे
गुड्डू – अरे पिंकिया हमायी बात तो सुनो,,,,,,,,,,,,!!
पिंकी – क्या सुने हम ? गुड्डू अपनी पिताजी को मनाओ वरना हमे भूल जाओ
गुड्डू – अरे कहा से मनाये हमायी फटी पड़ी है , जानती हो ना हमाये पिताजी को कितने कठोर है , सुनेंगे क्या उह हमायी , इस से अच्छा है अभी जो चल रहा है जैसा चल रहा है चलने देते है बाद में धीरे धीरे मना लेंगे घरवालों को
पिंकी – बाद में का मना लोगे गुड्डू , हमे तो तुम्हारी नियत में ही खोट नजर आ रहां है , टाईमपास कर रहे हो तुम हमारे साथ
गुड्डू – अरे ऐसा कुछ भी नहीं है पिंकिया , भोलेनाथ की कसम तुम्हाये अलावा आज तक किसी और लड़की के बारे में सोचे तक नहीं है यार भरोसा करो
पिंकी – हम्म्म्म , हम रखते है गुड्डू पापा आ गए
गुड्डू – ठीक है अपना ख्याल रखना
कहकर गुड्डू ने फोन काट दिया !
पिंकी से बात करके गुड्डू और परेशान हो गया।
उसने फोन जेब में रखा और दिवार पर आ बैठा , कुछ देर बाद सोनू भैया अपनी छत पर आये गुड्डू को उदास बैठा देखकर उन्होंने कहा,”अरे गुड्डू काहे मुंह लटकाये बैठे हो यार ? मिश्रा जी ने फिर से कुछो कह दिया तुमको ?”
सोनू की आवाज सुनकर गुड्डू उसकी और पलटा और कहा,”अरे भैया मत पूछो साला हमायी जिंदगी , जिंदगी ना हो गयी कानपूर की सड़क होय गयी है , जब देखो तब कोई नयी समस्या”
गुड्डू की बात सुनकर सोनू भैया बगल वाली छत लाँघकर गुड्डू के घर की छत पर आया और उसके बगल में बैठते हुए कहा,”अब बताओ का हुआ ?”
गुड्डू ने सोनू को सारी बातें बता दी , सोनू ने ध्यान से सूना और कहने लगा,”यार तुमहू भी कमाल करते हो मतलब रंगबाजी करने के लिए मोहल्ले की लड़की मिली तुमको , उह भी शर्मा जी की बिटिया ,, तुमको लगता है तुम्हारे पिताजी हां करेंगे बिल्कुल नहीं ,, अब देखो ऐसा है जैसे तैसे करके पिंकिया को समझाओ की उह अपने घरवालों को पहले मनाये का पता शर्मा जी खुद ही बात करे तो मिश्रा जी पिघले थोड़ा”
“उह कहा सुनेगी हमायी”,गुड्डू ने झुंझलाकर कहा
“तो गुड्डू बेटा ऐसा है की जोन शादी से पहिले तुम्हायी नहीं सुन रही उह शादी के बाद तुम्हारी का सुनी है , वैसे इह वही पिंकिया तो नहीं ना है जिसके पीछे अपने मोहल्ले के सारे लौंडे पड़े है ?”,सोनू ने पूछा
“हां लेकिन उह हमसे प्यार करती है”,गुड्डू ने कहा
“अरे ठीक है लेकिन तुम्हायी समस्या का तो भैया निदान ना है , इस से अच्छा है मिश्रा जी जो लड़की देखे उस से ब्याह कर ल्यो और खुश रहो”,सोनू ने कहा तो गुड्डू बिफर गया और कहने लगा,”का यार सोनू भैया तुमहू हमायी परेशानी सुनने आये हो जले पर नमक मलने ,, एक तो पिताजी हमारी बात नहीं सुन रहे ऊपर से उह पिंकिया और अब तुम ,, चलो जाओ हमको किसी की सलाह नहीं चाहिए”
कहकर गुड्डू वहा से चला गया , सोनू भैया ने पीछे से आवाज भी लगायी लेकिन गुड्डू कहा सुनने वाला था वह निचे चला आया। दादी ने बुलाया तो गुड्डू बेमन से उनके पास आ बैठा और कहा,”का बात है बूढ़ा अब का तुमहूँ भी कोई सलाह देहि हो हमको”
“अरे हम काहे सलाह देंगे गुड्डू तुमको , कितने दिनों से तुमहू हमाये पास ही नहीं आये कहा रहते हो बिटवा ?”,दादी ने प्यार से कहा
“जिंदगी से ना बहुते परेशान है बूढ़ा , हमहु अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जीना चाहते है लेकिन पिताजी हर बार उसे अपने हिसाब से मोड़ देते है”,गुड्डू ने कहा
“देखो गुड्डू आनदं तुम्हाये पिताजी है तुमसे 15-20 सावन उह जियादा ही देखे रहय तो अक्ल भी उसमे तुमसे जियादा ही होई , वैसे का किया मेरे बेटे ने ?”,दादी ने पूछा
“बूढ़ा एक ठो लड़की है जिसको हमहू बहुते पसंद करते है पर मिश्रा जी तैयार नहीं है शादी को”,गुड्डू ने मुंह लटकाकर कहा
“अरे ! इह तो ख़ुशी की बात है की मरने से पहिले हमहू तुम्हायी दुल्हिन देख ली है , पर आनंद काहे मना कर दिए ?”,दादी ने पूछा
“लड़की कानपूर की है , हमाये मोहल्ले से ही है इहलीये”,गुड्डू ने कहा
“अरे तो इह तो और भी अच्छा है , लड़की अपने शहर की हो तो का दिक्कत है ,, आंनदवा को छोड़ हमको मिला उस लड़की से देखे तो किसको पसंद किये रहय तुम”,दादी ने कहा तो गुड्डू ने ख़ुशी से उन्हें गले लगाते हुए कहा,”अरे जिओ बूढ़ा , तुमहू हो हमायी सच्ची वाली गर्लफ्रेंड ,, तुम्हरे पास ना हर चीज का इलाज है”
“मक्खन ना लगाओ बबुआ , चाय नहीं पिलाई अभी तक तुम्हायी अम्मा ने हमको”,दादी ने थोड़ा मुंह बनाकर कहा
“अरे चाय का तुम कहो तो कॉफी बनवा दे तुम्हाये लिए , रुको ज़रा”,कहते हुए गुड्डू ने लाजो को आवाज लगाई और दो कप चाय देने को कहा , चाय आयी दादी और गुड्डू चाय पीने लगे और गुड्डू चाय पीते हुए दादी को अपने और पिंकी के बारे में बताने लगा !+
दो दिन बाद गुड्डू ने पिंकी को अपने घर आने के लिए मना लिया। जब मिश्रा जी शोरूम पर थे तब पिंकी गुड्डू के घर आयी। चूड़ीदार बिना बाजु का सलवार सूट , दुपट्टा गले में डाले , आँखों में गहरा काजल और मसखरा लगाए , होंठो पर लाली और हाथ में एक छोटा सा पर्स पकडे पिंकी गुड्डू के घर चली आयी। वेदी भी घर थी और हॉल में बैठकर पढाई कर रही थी पिंकी को अंदर आते देखकर वह उसके पास आयी और कहा,”आप तो मेरे ही कॉलेज में पढ़ती हो ना ?”
“हां , फाइनल ईयर में”,पिंकी ने कहा
“तुम हिया कैसे ?”,वेदी ने सवाल किया
“वो गुड्डू ने हमे बुलाया था”,पिंकी ने कहा
जैसे ही वेदी ने पिंकी के मुंह से गुड्डू नाम सूना चहकते हुए कहा,”अच्छा तो वो तुम्ही हो जिसने हमाये गुड्डू भैया को अपना दीवाना बना रखा है।”
पिंकी मुस्कुरा उठी और वेदी उसे अंदर ले आयी उसने दादी , मिश्राइन और लाजो को आवाज लगायी सभी हॉल में चले आये। गुड्डू भी नीचे चला आया और मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगा की घरवालों को पिंकी पसंद आ जाये। मिश्राइन आकर पिंकी से मिली , वे तो पिंकी की सुंदरता देखकर ही खुश हो गयी , दादी ने भी पिंकी को पसंद कर लिया।
“ए लाजो ज़रा चाय नाश्ते आ इंतजाम तो करो , पहली बार हमाये घर आयी है कोनो कमी ना रखी हो”,मिश्राइन ने कहा तो लाजो ख़ुशी ख़ुशी रसोई की और चली गयी। मिश्राइन और बाकि सब बैठकर पिंकी से बात करने लगे ,, बाते करते हुए पिंकी की नजर ऊपर लगे झूमर पर गयी तो उसने पूछ लिया,”बड़ा ही खूबसूरत है , महंगा होगा ना”
“पुरे 25000 हजार का है बिटिया , वेदी के जन्म के बाद जब नया घर बना तब गुड्डू के पिताजी मंगवाए रहय”,मिश्राइन ने कहा
“हम्म्म बहुत सुन्दर है”,पिंकी ने कहा और फिर बातो में लग गयी। पिंकी का ध्यान बातो में कम और घर में ज्यादा था , पिंकी पहली बार गुड्डू के घर आयी थी। अभी सब चाय नाश्ता कर ही रहे थे की रौशनी किसी काम से गुड्डू के घर आयी जब उसने पिंकी को वहा देखा तो उसकी भँवे चढ़ गयी। उसने गुड्डू को खा जाने वाली नजरो से देखा तो गुड्डू ने भँवे उचकाकर पिंकी की और इशारा किया और मुस्कुरा दिया। आधी जंग तो गुड्डू यही जीत चुका था क्योकि घरवालों ने पिंकी को पसंद कर लिया था। रौशनी आगे आयी और पिंकी और देखकर कहा,”इह यहाँ का कर रही है ?”
“अरे रौशनी गुड्डू भैया बताये थे ना वो इनको पसंद करते है ये वही है”,वेदी ने कहा
रौशनी ने सूना तो अंदर ही अंदर गुस्से से उबल पड़ी लेकिन कहा कुछ नहीं , उसे खड़े देखकर मिश्राइन ने कहा,”अरे खड़ी काहे हो रौशनी बइठो ना”
“नहीं चाची हमहू जा रहे है , तुम सब बइठो गुड्डू जी की पसंद के साथ”,कहकर रौशनी वापस चली गयी। उसके जाने के बाद दादी ने कहा,”इह रौशनी को का हुई गवा ?”
“अरे दादी कुछो नहीं पिंकिया को देखकर जल भून गयी उह”,गुड्डू ने कहा तो पिंकी हसने लगी। कुछ देर रुकने के बाद पिंकी वहा से चली गयी , गुड्डू को वेदी , मिश्राइन और दादी की तरफ से पिंकी के लिए हरी झंडी मिल चुकी थी , अब बस मिश्रा जी को राजी करना था। शाम में जब मिश्रा जी घर आये तो गुड्डू ने मिश्राइन से बात करने का इशारा किया। मिश्राइन ने खाना परोसते हुए कहा,”उह गुड्डू जिस लड़की के बारे में बात कर रहा था उस से आज मिले थे हम अच्छी लड़की है , एक ठो बार बात करने में का जाता है ? हमारा मतलब लड़का लड़की आजकल अपनी पसंद से नयी ना रिश्ता करते है”
मिश्रा जी ने सुना तो गुड्डू की और देखा और कहा,”इह पट्टी तुम्हाये सपूत पढ़ाये रहय तुमको ?”
“अरे हम काहे पढ़ाएंगे , पिताजी पिंकिया अच्छी लड़की है”,गुड्डू ने कहा
“हम्म्म जानते है”,मिश्रा जी ने खाते हुए कहा
“हमहू उस से सादी करना चाहते है”,गुड्डू ने उम्मीदभरी नजरो से मिश्रा जी की और देखकर कहा
“हां तो कर ल्यो मना किसने किया है ?”,मिश्रा जी का ध्यान अभी भी खाने पर ही था , गुड्डू ने सूना तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा उसने कहा,”का पिताजी ? का सच कहय रहे हो का ?”
मिश्रा जी ने गुड्डू की और देखा और कहा,”बिल्कुल सच कह रहे है झूठ काहे बोलेंगे ? पर बेटा एक ठो बात सुनो अपनी पसंद से सादी करनी है तो अपना बोरिया बिस्तरा समेटो और घर से निकलो बाहर ,, उसके बाद जिस से सादी करनी है करो , जहा नैन मटक्का करना है करो कोनो परेशानी नहीं,,,,,,,,,,,,का समझे ?”
“ऐसे कैसे घर से निकले ? हमारा घर नहीं है का इह”,गुड्डू की सारी ख़ुशी गायब हो गयी
“बेटा इस घर के मालिक है हम , हिया सरकार भी हमायी रहय और चुनाव भी हम ही जीते। तुमको अगर अपनी मर्जी चलानी है तो उह चलाओ इह घर से बाहर ,, समझे”,कहकर मिश्रा जी वहा से चले गए। गुड्डू मुंह लटका के मिश्राइन को देखने लगा तो मिश्राइन भी कंधे उचकाकर चली गयी।
क्रमश – manmarjiyan-14
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संजना किरोड़ीवाल
Biradari to mishra aur Sharma ki ek hi hogi n dono Pandit bramhan hote h
😂😂😂 akash se jmin pe aa gira guddu😂😂
Very nice
Bhut hi acha part tha
Bahut khub maim 👌👌👌😊😊😊
Ab jab khali hanth hokar jayega guddu bhaiya pinki se milne tab pata chalega.. ki pinki unke rocket me bas aaag laga rahi thi,,,, pyar vyar kuch nahi tha.. 😂😂😂😂
VERY NICE
Guddu bhaiya ke pita ji bahut mast hai…. Ek ek dialogue …👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
भगवान जल्दी ही गुड्डू की बैंड बजाए और पिंकी की उसके सामने पोल खुलवाए…मुझे तो पिंकी से ज्यादा इस गुड्डू के बच्चे पर गुस्सा आ रहा है…
Superbbbbbb mam notification problem solve krwaiye please
Guddu k pitaji k dailog to kamal hi hai total dhamal or guddu ki to halat hi kharab ho jati h unke age😉
I love you mishra ji dil jeet liya apne…ye baat jab pinki ko pata chalegi ki shadi ke baad vo is ghar me nahi rahenge to uska bhanda vaise hi phut jayega..chalo family me koi to samjhdar nikla
Awesome part
bas ab jaldii ye pinky puran khatam ho aur aur guddu real love story shuru ho