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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 17

Pakizah – 17

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 17

( अब तक आपने पढ़ा रागिनी रुद्र के घर उसे शाम के फंक्शन के लिए इनवाइट करने आती है , साथ ही अलसम से मुलाकात के दौरान उसे पता चलता है कि वह रागिनी को पसंद करता है l अब आगे -)

रुद्र शाम को मुम्बई जाने के लिए अपना बैग पैक करता है l सफर लम्बा था और उसे ट्रेन से भी जाना था ये सोचकर उसने पाकिजा की किताब को भी बेग में रख लिया l रुद्र ने घर को लॉक किया और बाहर आ गया
पास ही गिफ्ट गेलेरी से रागिनी की बहन और जीजाजी के लिए गिफ्ट लिया ओर रागिनी के घर की तरफ निकल गया l घर के सामने पहुँचकर रुद्र ने डोरबेल बजायी l

दरवाजा रागिनी के जीजाजी अविनाश ने खोला l उन्होंने रुद्र से हाथ मिलाया ओर उसे लेकर अंदर आ गया रुद्र ने देखा अंदर सिर्फ रागिनी , उसकी बहन निशा ओर रागिनी के मम्मी पापा ही थे l उन सबको देखकर रुद्र ने अविनाश से कहा,”क्या बात है सिर्फ इतने से लोग बाकी सब मेहमान कहा है ?”
अविनाश – आज के हमारे खास मेहमान आप ही है आईये


कहते हुए अविनाश ने रुद्र का सबसे परिचय करवाया l कुछ देर बाद असलम ओर प्रवीण भी आ गए l सबने दीदी जीजाजी को तोहफे दिए केक काटा और फिर सबने साथ मिलकर खाना खाया l प्रवीण ओर असलम दोनो जीजाजी के साथ बरामदे में जाकर बैठ गए रुद्र ने घड़ी देखी 7:30 बज रहे थे l 8:45 पर उसकी ट्रेन थी l तभी रागिनी वहा आयी और रुद्र का हाथ पकड़ कर उसे साइड में ले गयी जहा उसके मम्मी पापा खड़े थे


“पापा इनसे मिलिए ये है हमारे रुद्र सर जिनके बारे में मैंने आपको बताया था”,रागिनी ने एक्साइटेड होकर कहा l
“कैसे हो बेटा ? रागिनी से बहुत तारीफ सुनी है आपकी “,रागिनी के पापा ने कहा
“अरे ! सर ऐसा कुछ नही है l वी आर गुड स्टाफ्स”,रुद्र ने मुस्कुराते हुये कहा
“वैसे कहा से हो आप ? ओर घर मे कौन कौन है बेटा ?”,रागिनी के पापा ने पूछा l


“जी मैं मेरठ से हु ओर घर मे मम्मी , पापा ओर एक छोटी बहन है”,रुद्र ने कहा
“शादी के बारे में आपका क्या ख्याल है ?”,रागिनी के पापा ने रुद्र को गौर से देखते हुए कहा
रुद्र को इस सवाल की उम्मीद नही थी l उसने रागिनी की तरफ देखा तो रागिनी ने मुस्कुरा कर कंधे उचका दिए l
“क्या हुआ बेटा बताया नही आपने ?”,रागिनी के पापा ने रुद्र को खोये हुए देखकर कहा l


“जी…… जी अभी मेरा ऐसा कोई इरादा नही हैं”,रुद्र ने कहा
“वैसे हम लोग भी रागिनी के लिए कोई अच्छा लड़का देख रहे है”,रागिनी के पापा ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा l
“चिंता मत कीजिये रागिनी को बहुत अच्छा लड़का मिलेगा”,कहते हुए रुद्र बरामदे में खड़े असलम को देखने लगा l


रुद्र की बात पर रागिनी ओर उसके पापा रुद्र की तरफ देखने लगे निशा के आवाज देने पर पापा उसकी तरफ चले गए अब रागिनी ओर रुद्र ही वहां बचे थे तो रागिनी ने रुद्र के पास आकर कहा,”तो क्या सोचा आपने ?
रुद्र – किस बारे में ?
रागिनी – मेरे लिए लड़का ढूंढने के बारे में
रुद्र – लड़का तो तुम्हारे सामने ही है बस तुम देख नही पा रही


रुद्र की बात सुनकर रागिनी के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ गयी और उसने कहा,”देख तो पा रही हु सर बस कहने से डर लग रहा है”
“अरे इसमे डरना कैसा ? साफ जाके बोल दो प्यार है l ओर मैंने तो ये तक सुना है कि सामने वाली पार्टी भी तुमको उतना ही पसन्द करती है जितना तुम”,रुद्र ने धीरे से रागिनी के कान के पास आकर कहा


रागिनी मुस्कुरा उठी और कहा ,”सच मे l
“महादेव की कसम ! तुम्हारे लिए प्यार उसकी आँखों मे दिखता है “,रुद्र ने मुस्कुराते हुए कहा l
“आप जानते है मेरी पसंद कौन हैं ?”,रागिनी ने धीरे से पलके झुकाकर कहा
“तुम्हारी पसन्द तुम्हारे सामने ही है”,रुद्र ने कहा l
रागिनी ने जैसे ही पलके उठायी सामने असलम खड़ा था l रागिनी हैरान हो गयी


“क्यों ? यही है ना तुम्हारी पसन्द”,रुद्र ने रागिनी के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहा
“लेकिन सर असलम…………..!!”,शब्द रागिनी के गले मे ही अटक गये ओर वह कहते कहते रुक गयी l
“रागिनी असलम तुम्हे बहुत पसंद करता है और चाहता भी है बस कभी कह नही पाया l तुम दोनों इतने सालों से एक दूसरे को जानते हो इस से अच्छा लड़का तुम्हे नही मिलेगा “,रुद्र ने कहा


“हा रागिनी सर सही कह रहे है l पहले दिन से ही मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हु लेकिन कभी कह नही पाया पर आज सर की वजह से मैं ये कह पाया हूं कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु”,असलम ने रागिनी का हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा l
रागिनी को कुछ समझ नही आया l असलम उसे लेकर ये सब महसूस करता है उसे आज पता चला पर वो तो रुद्र को पसंद करती है ये सब कैसे हो गया l

अब इन दोनों से वह क्या कहे उसे कुछ समझ नही आ रहा था रागिनी के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया उसने असलम के हाथ से अपना हाथ छुड़ाया ओर वहां से चली गयी l
“इसे क्या हुआ ?”,असलम ने कहा
“शायद शरमा गयीं”,रुद्र ने कहा
“पर उसने तो जवाब में कुछ नही कहा सर”,असलम ने असमझ की स्तिथि में कहा l


“तुम भी ना असलम ! पुलिस वालों की तरह सवाल पर सवाल करने लग जाते हो”,रुद्र ने हल्की से झिड़की देते हुए कहा l
“क्या सर हम पुलिस वाले ही है , आप भूल गए क्या ?”,असलम ने कहा
“ओह्ह हा , आई फॉरगेट अभी एक महीने ससपेंड हु ना तो पुलिस वाला दिमाग चलना बन्द हो गया”,कहकर रुद्र हँसने लगा असलम भी हंस पड़ा और कहा,”सर जल्दी से वापस आ जाईये , ऑल स्टाफ मिसिंग यु सो मच !”


“बिल्कुल ! अच्छा अभी मैं निकलता हु मुझे ट्रेन पकड़नी है दो दिन के लिए बाहर जा रहा हु और हा जब तक मैं वापस आउ तुम्हारी ओर रागिनी की सगाई की खुशखबरी चाहिए मुझे l समझे !”,रुद्र ने घड़ी देखते हुए कहा
“क्या सर आप भी ना”,कहकर असलम शर्माने लगा


“अरे अरे अरे इंस्पेक्टर साहब , शर्माना छोड़िये ओर जाकर इंस्पेक्टरईन से अपनी मोहब्बत का इजहार कीजिये”,कहकर रुद्र अपना बैग उठाये वहां से निकल गया l
असलम रुद्र को जाते हुए देखता रहा और उसके मुंह से निकला ,”आप बहुत अच्छे है सर खुदा करे आपकी जिंदगी में कभी कोई गम ना आये”

स्टेशन आकर रुद्र ने अपनी ट्रेन के बारे में पता किया और आकर अपनी सीट पर बैठ गया l सामने वाली बर्थ खाली थी इसलिए रुद्र ने अपने पैर उस पर टिका लिए ओर बैग से पाकिजा की किताब निकाल कर वह पन्ना निकाल लिया जहा उसने लास्ट टाइम छोड़ा था l खिड़की से आती ठंडी हवा रुद्र के गालों को सहलाने लगी रुद्र किताब या यूं कहें पाकिजा की कहानी में खो गया l

अम्माजी के कोठे से निकाले जाने के बाद मुरली यहां वहां भटकने लगा पर किसी ने उसे कोई काम नही दिया l दलाली करते करते हालात ये हो गए कि उसे कोई काम आता ही नही था l दिन गुजरते गए पाकिजा अब भी बहुत कम बोलती थी वह अपना अधिकतर समय या तो सोनाली के साथ गुजारती या बरामदे में खड़ी आते जाते लोगो को देखती रहती l शिवेन ओर उसके दोस्त एग्जाम्स की तैयारियों में जुट गए l

एक महीना कब हवा हो गया किसी को पता नही चला l एक रात सभी सो रहे थे तो सोनाली चुपके से वहां से निकलकर रस्सी के सहारे नीचे उतरी ओर गली में पहुंच गई l गली में खड़ा मुरली उसी का इंतजार कर रहा था सोनाली को देखते ही उसने उसे गले लगा लिया और फुट फुट कर रोने लगा ओर कहा
मुझे माफ़ कर दो सोनाली , मैं तुम्हारे लिए कुछ भी नही कर पाया”


सोनाली – मत रो मुरली , आज मैं हमेशा हमेशा के लिए अम्माजी की इस दुनिया को छोडकर आई हूं l चल यहा से भाग चलते है हमेशा के लिए
मुरली – तो फिर देर किस बात की चल !
सोनाली ने मजबूती से मुरली का हाथ थामा ओर वहा से निकल गयी l
अंधेरे का फायदा उठाकर दोनो वहां से भाग निकले l


मुरली उसे अपने किसी दोस्त के कमरे पर ले आया l सोनाली बहुत खुश थी मुरली ने रातभर उसे प्यार किया उसके रुप की तारीफ की ओर उसे एक अच्छी जिंदगी देने का वादा किया l जब दोनों एक दूसरे से अलग हुए तो सोनाली ने कहा,”अब हम कहा जाएंगे मुरली ?
मुरली – हम यहां से दूर चले जायेंगे जहा अम्माजी का कोई डर ना हो , मैंने कल सुबह की दो ट्रेन की टिकट करवा दी है l कल से हम दोनों अपनी जिंदगी की एक नई शरुआत करेंगे


सोनाली – ओह्ह मुरली ! उस नरक से निकाल कर तुमने मुझे एक नई जिंदगी दी है मैं जिंदगी भर तुम से यू ही प्यार करती रहूंगी l
मुरली – सोनाली ! मैं तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी करूँगा पर तुम्हे मुझपर भरोसा तो है ना ?
सोनाली – मै तुम पर खुद से भी ज्यादा भरोसा करती हूं मुरली !
मुरली ने सोनाली को सीने से लगा लिया और एक बार फिर दोनों प्यार के समंदर में गोते लगाने लगे l

अगली सुबह मुरली सोनाली को लेकर मुम्बई के लिए निकल गया l दूसरी तरफ़ जब सोनाली अम्माजी को नही दिखी तो हड़कंप मच गया उसने अपने आदमियो को सोनाली ओर मुरली का पता लगाने के लिए कहा लेकिन किसी को नही पता था कि वे दोनों कहा है l गुस्से की मारी अम्माजी ने कोठे की सभी लड़कियो की बेवजह खाल खींच दी l

अम्माजी का गुस्सा सांतवे आसमान पर था उसके हाथ से सोने की मुर्गी जो निकल चुकी थी l दो दिन तक उसने सभी लड़कियों पर बहुत अत्याचार किया l साथ ही अपने आदमियो को भी सोनाली की खोज में लगाये रखा पर कोई फायदा नही हुआ ना सोनाली मिली ना ही उसका पता

दूसरी तरफ मुरली सोनाली को लेकर मुम्बई आ गया l उसने कुछ रुपये जमा किये थे जिनसे वही एक खोली खरीद ली l दोनों खुशी खुशी वहां रहने लगे l मुरली पूरा दिन सोनाली के साथ खोली में पड़ा रहता एक हफ्ता यू ही गुजर गया l साथ लाये रूपये भी खत्म होने को आये तो एक सुबह सोनाली ने कहा
“मुरली ऐसा कब तक चलेगा , तू कोई काम क्यों नही ढूंढ लेता ? ऐसा कब तक चलेगा ?

ओर हमारी शादी कब होगी ऐसे बिना शादी के हम कब तक साथ रहेंगे”
“सब हो जाएगा सोनाली तुम चिंता ना करो”,कहकर मुरली ने सोनाली को बांहो में भरना चाहा लेकिन सोनाली ने उसे झिड़क दिया और कहा,”नही मुरली तुम आज ही बाहर जाओ और कोई काम धंधा ढूंढो l
मुरली उठ खड़ा हुआ और कहा ,”जो हुकुम मेरी जान

मुरली खोली से बाहर निकल गया l दिन भर मुम्बई की सड़कों पर खाक छनता रहा लेकिन उसे कोई काम नही मिला l दिन भर की थकान उतारने के लिए मुरली सामने बने दारू की दुकान की तरफ बढ़ गया एक बोतल गले के नीचे उतारने के बाद मुरली वहां से निकला l नशे में लड़खड़ाता हुआ मुरली चला जा रहा की उसका फोन बजने लगा स्क्रीन पर नम्बर देखकर उसकी आंखें आश्चर्य से फैल गयी l

घबराकर उसने फोन वापस जेब मे रख लिया लेकिन कुछ देर बाद फोन फिर बजने लगा दूसरी बार मुरली ने फोन उठा लिया दूसरी तरफ से किसी ने मुरली से कुछ कहा और मुरली अवाक सा सब सुनता रहा l
कुछ देर बाद मुरली ने ठीक है कहकर फोन काट दिया l
मुरली के दिमाग मे हजारो सितार एक साथ झनझनाने लगे l मुरली खोली पर आया सोनाली बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी l

मुरली को देखते ही वह उसके पास आयी ओर पूछा – मुरली मिल गया काम ?
“हा ऐसा काम मिला है कि पूरी जिंदगी ऐश से कटेगी”,मुरली ने लड़खड़ाती जुबान से कहा
“ओह्ह मुरली मैं बहुत खुश हूं”,कहते हुए सोनाली मुरली के गले लग गयी l
सोनाली को बस सुबह का इंतजार था l

अगली सुबह मुरली ने सोनाली से तैयार होने को कहा और फिर सोनाली के साथ खोली से बाहर निकल गया
“ये तू मुझे कहा लेकर जा रहा है मुरली ?”,सोनाली ने हैरानी से पूछा l
“तुम्हारी नई दुनिया मे”,कहते हुए मुरली मुस्कुरा उठा l
सोनाली ने मजबूती से मुरली का हाथ पकड़ा और उसके साथ साथ चलने लगी l


कुछ देर बाद दोनों एक बडी सी बिल्डिंग के सामने पहुंचे मुरली सोनाली को लेकर 7वे माले पर गया और जाकर एक दरवाजे के सामने खड़ा हो गया l मुरली में कमरे का दरवाजा खोला और सोनाली को लेकर अंदर आया l
सोनाली खुशी खुशी कमरे में आयी लेकिन अगले ही पल उसके चेहरे से खुशी गायब हो गयी और आंखों में डर तैरने लगा l उसकी दिल की धड़कने रुक गयी


उसने ओर मजबूती से मुरली का हाथ पकड़ लिया
मुरली ने सोनाली के हाथ से अपना हाथ छुड़ाया ओर उसे सामने सोफे की तरफ फेंकते हुए कहा

“ये रही आपकी अमानत !!!

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Countinue With Pakizah – 18

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