Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

रांझणा – 57

Ranjhana – 57

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

Ranjhana – 57

घाट से निकलकर शिवम् मुरारी के साथ बाहर चला आया। शिवम् ड्राइवर सीट पर आ बैठा और कहा,”हम चलाएंगे !”
“अरे हां तुम चलाय ल्यो , पर सुनो जरा गड्डी आगे ढाबे पर रोक देना कछु जरुरी काम है”,मुरारी ने बैठते हुए कहा। शिवम् ने हैरानी से मुरारी की और देखा और कहा,”काहे उधर काहे जाना है तुमको !!” मुरारी खिंसियया और कहा,”बहुते दिन हो गए तो सोचा गला तर कर लेते है”


“अच्छा बहुते दिन , और वो जो छुप छुप के अनु के साथ पीते रहे उसका का ?”,शिवम् ने मुरारी को घूरते हुए कहा ! शिवम् की बात सुनकर मुरारी की सिटी पिट्टी गुम थी उसने हैरानी से कहा,”तुमको कैसे पता ?” .. “तुमको का हम बेवकूफ लगते है , एक दिन तुमरी अनु ने बता दिया था हमको बातो बातो में”,शिवम् ने गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ते हुए कहा। मुरारी मन ही मन अनु को कोसते हुए बोला,”इह फूलन देवी के पेट में कोनो बात नहीं टिकती !”


मुरारी को सोचते हुए देखकर शिवम् ने कहा,”वैसे तुम बनारस के पहले लौंडे हो जो अपनी प्रेमिका के लिए आधी रात को दारू लेकर आते हो , खूब जमेगी तुम दोनों की” ! शिवम् ने देखा अभी भी मुरारी खोया हुवा है तो उसने उसका कंधा हिलाते हुए कहा,”अरे इतना का सोचने लगे , चलो पीला देंगे ! हमरी शादी की पार्टी समझ लेना !!”
“शादी की पार्टी नहीं चाहिए , पहले भाभी को ठीक होने दो ओके बाद जश्न मनाएंगे !”,मुरारी ने कहा
“तो फिर का घर चले ?”,शिवम् ने कहा


“हां , घर ही चलो थोड़ा भाभी से भी बतलाय लेंगे और आई के प्रवचन भी सुन लेंगे”,मुरारी ने दोनों हाथ सर के पीछे लगाकर सीट पर पसरते हुए कहा !
शिवम् ने गाड़ी वापस घर की तरफ मोड़ दी ! ऐसा नहीं था की मुरारी का पिने का मन नहीं था पर अनु का नाम सुनकर उसे सब याद आ गया और ऐसे हालात में तो वह बिल्कुल पीना नहीं चाहता था !

फिर मुरारी को थोड़ा गुस्सा भी था अनु पर मुंबई आने के बाद अनु ने उसे एक बार भी फोन या मेसेज नहीं किया था ! दोनों घर पहुंचे आई ने सबके लिए खाना लगाया “हम सरु को खिलाकर आते है”,शिवम् ने उठते हुए कहा !


“बैठो , बहू को हमने दूध पिला दिया है और साथ में पतली भात भी , और राधिका ने दवाईया देकर उसे सुला भी दिया “,आई ने शिवम् को रोककर कहा !
शिवम् को बहुत हैरानी हुई तो आई ने कहा,”शिवम् ! सारिका का ख्याल रखने के लिए मैं , राधिका और तेरे बाबा है ना तू बस अब कमाने की सोच , अपने साथ साथ अब सारिका की जिम्मेदारी भी तुझपे है , इस घर में उसे कोनो चीज की कमी नहीं चाहिए !!”


आई की बात सुनकर शिवम् को ख़ुशी हुई ! घर के सभी लोग सारिका से कितना प्यार करते है ये उसे आज पता चला। सारिका के साथ उसका सफर अब और आसान हो जाएगा ! शिवम् ने एक नजर कमरे में सोई सारिका पर डाली और खाना खाने लगा। आई ने मुरारी के लिए भी खाना परोसा मुरारी ने जैसे ही खाने का निवाला उठाया आई ने कहा,”बड़ी बहु तो घर आ गयी मालूम नहीं छोटी वाली कब आएगी !” कहते हुए आई की नजरे मुरारी पर ही थी पर मुरारी ने आई की बात को नजरअंदाज किया और खाने लगा ! !

आई को मुरारी बदला बदला नजर आने लगा था ! खाना खाने के बाद सभी देर तक बाते करते रहे और फिर मुरारी अपने घर चला गया। शिवम् अपने कमरे में आया तो देखा सारिका बेपरवाह सी सोई हुई है , खिड़की से आती हवा से सारिका के बाल उड़कर उसके चेहरे पर आ जा रहे थे शिवम् ने खिड़की बंद कर दी और सारिका के पास आकर बैठ गया ! सारिका के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहने लगा,”देखा सरु आई , बाबा और राधिका आपसे कितना प्यार करते है !

और हम , हम तो आपको इतना चाहते है की बयां करने के लिए शब्द कम पड़ जायेंगे !! बस आप जल्दी से ठीक हो जाओ , हमे बहुत सारी बातें करनी है आपसे , आपकी आवाज सुननी है आपको हँसते , खिलखिलाते हुए देखना है और आपके साथ पूरा बनारस भी तो घूमना है !! इस बार पुरे हक़ के साथ आपका हाथ पकड़ कर घाट पर घूमेंगे कोई कुछ कहता है तो कहे ! आप सो रही है और हम है की बड़बड़ाये जा रहे है ! आप आराम कीजिये “


शिवम् ने झुककर सारिका के माथे को अपने होंठो से छुआ और फिर सारिका की बगल में ही जमीं पर बिस्तर लगाकर लेट गया जिस से सारिका को सोते हुए देख सके ! सारिका के सोते हुए चेहरे को देखकर शिवम् मन ही मन खुद से कहने लगा,”भले आपसे शादी हो गयी हो , पर हमारा रिश्ता आपके साथ हमेशा पाक रहेगा ! आपकी मर्जी के बिना हम कभी आपके इतना करीब नहीं आएंगे जिस से आपको बुरा लगे ! और प्यार आपके से है , आपके होने से है इस जिस्म से नहीं !!

हम आपको देखकर ही खुश है , आपका अहसास काफी है हमारे लिए !! चलिए अब ज्यादा परेशान नहीं करते आपको सो जाईये , शुभ रात्रि ” शिवम् ने अपनी आँखे मूंद ली ! अगली सुबह शिवम् जल्दी उठ गया और नहा धोकर तैयार हो गया , बार बार वह दरवाजे की और देख रहा था ! कुछ देर बाद बड़े पंडित जी अपने शिष्य के साथ घर आये ! आई बाबा ने उन्हें नमस्ते की और शिवम् राधिका ने आकर उनके पांव छुए ! पंडित जी आकर बरामदे में रखे सोफे पर बैठ गए और शिष्य उनके पास खड़ा हो गया !

कुछ देर आई बाबा से बात करने के बाद उन्होंने सारिका से मिलने की इच्छा जाहिर की ! शिवम् आदर पूर्वक उन्हें सारिका के कमरे में ले आया ! सारिका जागी हुयी थी। पंडित जी उसके पास रखी कुर्सी पर आकर बैठे उन्होंने सारिका के हाथ की नब्ज देखी ! कुछ देर ध्यान और चिंतन करने के बाद उन्होंने सारिका की आँखों की पुतलिया देखी कुछ देर खामोश रहने के बाद उन्होंने शिवम् की और देखकर कहा,”इलाज संभव है ! और मेरा मन कहता है की जल्दी ही ये ठीक हो जाएगी”


पंडित जी की बात सुनकर सभी के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे ! पंडित जी ने बाबा की और रुख किया और कहने लगे,”इलाज की प्रक्रिया बहुत जटिल है जिसके लिए इन्हे मेरे आश्रम में रहना होगा ! वहा प्रकृति के बिच रहकर इनके ठीक होने की संभावना ज्यादा है !”
“लेकिन आश्रम में सरु अकेले कैसे रह सकती है ?”,शिवम् ने बेचैनी से कहा !
“चिंता मत करो शिवा , आश्रम में महिला शिष्या भी है जो इनका पूरा ध्यान रखेंगी ! सब काम हमारी निगरानी में ही होगा !


हां तुम चाहो तो इनसे मिलने वहा आ सकते हो पर चिकित्सा शुरू करने के बाद , मरीज के पास किसी बाहरी इंसान का आना वर्जित है ! ये एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसमे किसी भी तरह का खलल मरीज के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है ! इसलिए जो भी फैसला करो सोच समझ कर करना है !”,पंडित जी ने गंभीर भाव से कहा
शिवम् कुछ पल के लिए खामोश रहा और फिर कहा,”जैसा आपको ठीक लगे पंडित जी , लेकिन हम सरु से मिलने वहा आएंगे , उसके पास नहीं जायेंगे पर दूर से ही देख लेंगे “


“हां शिवा तुम आ सकते हो !”,पंडित जी ने शिवम् की बेचैनी भांपते हुए कहा ! पंडित जी ने राधिका से कागज और पेन लाने को कहा। राधिका ले आयी तो पंडित जी ने कुछ ओषधियो के नाम लिखे और सारिका के इलाज में काम आने वाला सामान लिखकर लिस्ट बनाकर शिवम् को थमा दी और कहां,”ये उसका पता है , वो हमारा मित्र ही है उसे हमारा नाम बताना तो वो सामग्री सही रकम में दे देगा ! शाम तक ये आश्रम में पहुंचा देना !”
“जी पंडित जी !”,शिवम् ने कहा ! पंडित जी बाहर आ गए और शिवम् से सारिका का जरुरी सामान पैक करने को कहा !

वे उसी वक्त उसे अपने साथ लेकर जाना चाहते थे ! शिवम् का मन भारी हो गया सारिका को खुद से दूर करना उसके सीने से दिल निकालने जैसा था ! उसने खुद को मजबूत किया और सारिका पैक करके बैग बाहर ले आया ! आयी ने राधिका की मदद से सारिका को तैयार किया और व्हील चेयर से बाहर ले आयी ! पंडित जी ने अपने शिष्य से सारिका को लेकर चलने को कहा ! शिवम् ने आसभरी नजरो से पंडित जी को देखा और कहा,”पंडित क्या हम साथ चल सकते है !”


शिवम् की आँखों में बेचैनी देखकर पंडित जी ने उसे साथ आने की इजाजत दे दी ! शिवम् सारिका को लेकर पंडित जी के आश्रम पहुंचा ! बनारस के आखरी घाट से कुछ ही दूरी पर बना पंडित जी का आश्रम बहुत बड़ा था ! पंडित जी ने शिवम् को सारिका के साथ अंदर आने को कहा
शिवम् सारिका को लेकर अंदर आया ! पंडित जी ने अपनी एक शिष्या को बुलाया सारिका को अंदर ले जाने को कहा l शिवम् तब तक सारिका को देखता रहा जब तक वह आँखों से ओझल न हो गयी !

शिवम् को देखकर पंडित जी ने कहा,”ये वही है ना बचपन वाली ?” “जी !!”,शिवम् ने पंडित जी की और पलटकर कहा ! पंडित जी मुस्कुराये और शिवम् के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”चिंता मत करो , तुम दोनों पर जो संकट था वो टल चुका अब सब अच्छा होगा ! इस बच्ची का पांव बहुत शुभ है बेटा तुम्हारी किस्मत के दरवाजे खोल देगा , आने वाला समय खुशियों से लबरेज होगा बेटा बस इसका साथ मत छोड़ना”
शिवम् ने हां में सर हिला दिया और फिर शाम को आने का बोलकर चला गया !

सारिका को अकेले छोड़ना तो नहीं चाहता था पर सारिका के लिए उसे ऐसा करना पड़ा l मुरारी का फ़ोन आने से शिवम् को याद आया आज उसे चाचा के गोदाम पर भी जाना था ! शिवम् वहा पहुंचा मुरारी बाहर गाड़ी के बोनट पर लेटा उसी का इंतजार कर रहा था l शिवम् को देखते ही मुरारी निचे उतरा और कहा,”का भैया नौकरी के पहिले दिन ही लेट पहुंचे हो , उह ससुरा चाचा पैसे काट लेगा !”
“सरु को आश्रम छोड़ कर आये है !”,शिवम् ने उदास मन से कहा !

शिवम् की बात सुनकर मुरारी ने कहा,”इह सब भी तो तुमने भाभी के लिए किया है न ! देखना बहुते जल्दी ठीक हो जाएगी उह , और फिर रो जायेंगे न उनसे मिलने ! चिंता काहे कर रहे हो ?” शिवम् ने आगे बढकर मुरारी को गले लगा लिया तो मुरारी ने उसकी पिट सहलाते हुए कहा,”अले अले मेला बच्चा , चलो चलकर अंदर का नजारा देखते है”


मुरारी की इस बात पर शिवम् हंसने लगा और दोनों गोदाम के अंदर जा पहुंचे l गोदाम का नजारा देखकर शिवम् का सर चकरा गया उसने मुरारी की और देखकर कहां,”मुरारी यहाँ तो बहुत मेहनत करनी पड़ेगी ”

मुरारी ने चारो और नजर दौड़ाई और कहां ,”हां भैया लगता तो ऐसा ही है , चलो जुट जाओ काम पर !” शिवम् ने अपनी शर्ट उतार कर रख दी और काम मे जुट गया , मुरारी ने भी गले से गमछा निकाला और सर पर बांध लिया ! दोनों लगे गोदाम के काम मे जरुरी सामान एक तरफ रखा और बाकि सामान को एक क़तार में मुरारी और शिवम के अलावा 2-4 आदमी वहा उनकी मदद के लिए और मौजूद थे ! दोपहर तक गोदाम अच्छे से जम चूका था !

थककर मुरारी और शिवम् दोनों बैठ गए शिवम् ने नजरे घुमाकर देखा अब वह जगह काम करने लायक लग रही थी ! शाम तक शिवम् ने सभी केस पेंडिंग लोगो की लिस्ट बना ली और जिनके आर्डर पेंडिंग थे उनका सामान भी रवाना करवा दिया l काम करते हुए कब शाम के 7 बज गए पता ही नहीं चला !! शिवम् बुरी तरह थक चूका था लेकिन जैसे ही सारिका का ख्याल आया शिवम् ने मुरारी से चलने को कहा l उसने चलते हुए अपना शर्ट उठाया और पहनते हुए गाड़ी के पास आया l

सारिका के ख्याल से ही उसकी सारी थकान दूर हो चुकी थी l मुरारी ने गाड़ी स्टार्ट की और आश्रम की और बढ़ा दी l आश्रम के बाहर पहुंचकर शिवम् निचे उतरा और मुरारी को रुपयों का बण्डल और एक पर्ची देकर सामान लाने को कहा l मुरारी के जाने के बाद शिवम् अंदर आया l एक शिष्या सारिका को व्हील चेयर पर लेकर हरी घास के बगीचे की सैर करवा रही थी l शिवम् ने देखा सारिका उदास आँखों से यहाँ वहा देख रही है शिवम् उसके सामने आकर घुटनो पर बैठ गया शिष्या कुछ देर के लिए उन्हें अकेला छोड़कर चली गयी l

सारिका ने शिवम् को सामने देखा तो गुस्से से आँखे बंद कर ली l शिवम् ने देखा तो सारिका का हाथ अपने हाथ में लेकर कहने लगा,”हम जानते है आप बहुत नाराज है हमसे , होना भी चाहिए हम बिना आपको बताये यहाँ छोड़कर चले गए l क्या करते पंडित जी ने जब कहा की आप ठीक हो जाएँगी तो हम सब भूल गए ये भी की आपको कुछ बताया नहीं है , सुनो ना सरु आई ऍम सॉरी ! प्लीज़ आँखे खोलो ना ” सारिका ने आँखे खोली और शिवम् के हाथ से अपना हाथ झटक दिया l

उसकी आँखों में आंसू भर आये , शिवम् ने देखा तो उसे बहुत दुःख हुआ उसे अपनी गलती का अहसास हुआ उसने अपने दोनों कान पकड़ लिए और कहने लगा,”माफ़ कर दीजिये न , ये सब भी हमने आपके लिए किया है l हम जानते है हमने कितनी मुश्किल से खुद को समझाया है !! जब आप थी ठीक जाएँगी ना तो आप हमे जो सजा देगी वो मंजूर होगी !”
सारिका ने अपनी पलके झपकाकर शिवम् को माफ़ी दे दी ! शिवम् वही बैठा सारिका को दिनभर का हाल सुनाता रहा l

मुरारी सामान ले आया और पंडित जी के पास भिजवा दिया वह भी आकर शिवम् और सारिका के पास बैठ गया और बातें करने लगा l अँधेरा होने लगा तो शिष्या आयी और सारिका को अंदर ले गयी शिवम् उसे जाते हुए देखता रहा l पंडित जी वहा आये और कहा,”शिवा , कल से सारिका का इलाज शुरू होगा , तुम लोग उस से मिल नहीं पाओगे हां दूर से देख जरूर सकते हो ! ये वक्त खुद को मजबूत करने का है बेटा महादेव ने चाहा तो सब सही हो जाएगा !”


शिवम् और मुरारी ने पंडित जी को नमस्ते की और वहा से निकल गए ! रास्ते में शिवम् ने मुरारी से घाट चलने को कहा l घाट की सीढ़ियों पर बैठा शिवम् मन ही मन बस सारिका के ठीक होने की दुआ करता रहा l मुरारी को याद आया दोनों ने सुबह से कुछ खाया नहीं है वह शिवम् को वही रुकने का बोलकर ऊपर चला गया l उसने वहा एक दुकान से एक चिप्स का पैकेट खरीदा तभी उसके कानो में एक एक आवाज पड़ी – अनु , अनु रुको !


मुरारी अनु का नाम सुनकर तेजी से पलटा उसने देखा 30-35 साला सलवार सूट पहने एक लड़की अनु अनु चिल्लाते हुए सीढ़ियों पर भागी जा रही है ! ना जाने क्यों मुरारी को लगा जैसा वहा उसकी अनु हो वह भी उस लड़की के पीछे दौड़ पड़ा l दुकानवाले ने पीछे से आवाज लगाते हुए कहा,”अरे मुरारी भैया अपने पैसे तो लेते जाओ !” पर मुरारी वहा होता तब ना सुनता वह तो बस अपनी मस्ती में भागता जा रहा था l

मुरारी ने देखा निचे सीढ़ियों पर जाकर वह लड़की झुककर किसी को डांट रही थी मुरारी ख़ुशी से भागता हुआ वहा पहुंचा पर जैसे ही उसने देखा उसके चेहरे से ख़ुशी गायब हो गयी सामने अनु नहीं बल्कि 10 साल की एक प्यारी सी बच्ची खड़ी मुस्कुरा रही थी ! मुरारी को वहा देखकर उस लड़की ने उस बच्ची को डांटना छोड़कर मुरारी पर बिगड़ते हुए कहा,”क्या है ? ऐसे क्यों घूर रहे हो ?”
“उह तुम अभी अनु अनु चिल्ला रही थी !”,मुरारी ने हिचकिचाते हुए कहा

“वो वो हम अपनी बेटी को रोक रहे थे , ये जो सामने खड़ी है इसी का तो नाम अनु है !”,लड़की ने असमझ की स्तिथि में कहा मुरारी बच्ची के सामने घुटनो पर बैठ गया उसकी आँख देखकर उसे अपनी अनु की याद आ रही थी मुरारी ने प्यार से उस से कहा,”अगर तुम अपनी अम्मा को परेसान नाही करो तो हम तुमको इह चिप्स का पूरा पैकेट दे देंगे” पैकेट देखकर लड़की ने हां में सर हिलाया तो मुरारी ने पूरा पैकेट उसके हाथ में थमा दिया और उसके गाल पर किस करके आगे बढ़ गया l

बच्ची ने आकर एक हाथ से अपनी माँ का हाथ पकड़ा और दूसरे में चिप्स का पैकेट पकड़ा और चली गयी l मुरारी अभी कुछ कदम चला ही था की उसका मन किया एक बार उस छोटी अनु को फिर से देखे वह पलटा तो उसने पाया की छोटी अनु भी उसे देख रही है l दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए l मुरारी खाली हाथ वापस शिवम् के पास लौट आया दोनों घर के लिए निकल गए !! अगले दिन से आश्रम में सारिका का इलाज शुरू हो गया l शिवम् हर सुबह शाम उसे देखने जाता था !

गोदाम का काम भी उसने और मुरारी ने बखूबी सम्हाल लिया था l दिन रात वह महादेव से सारिका के लिए प्रार्थना करता था !! वक्त गुजरने लगा शिवम् ने खुद को सारिका और काम में व्यस्त कर लिया , मुरारी खुद को अनु की यादो से आजाद करने की नाकाम कोशिश कर रहा था , सारिका आश्रम में रोज शिवम् के आने की राह देख रही थी !! सब सही चल रहा था l शिवम् की मेहनत और लगन रंग ला रही थी चाचा ने वह गोदाम शिवम् को बेच दिया l


अब वह गोदाम शिवम् और मुरारी का था दोनों दिन रात मेहनत करके अपने काम को आगे बढ़ाने में लगे हुए थे l देखते ही देखते एक महीना गुजर गया l सारिका की हालत में सुधार हो रहा था l उसके शरीर का 90 % हिस्सा ठीक हो चला था बस दिमाग अभी भी सदमे के कारण ब्लॉक था जिसकी वजह वो खून का थक्का भी था ! पंडित जी इसी कोशिश में लगे थे की किसी तरह सारिका को बीती जिंदगी याद आ जाये और वह पूरी तरह ठीक हो जाये !

शिवम् ने जब सारिका को देखा तो उसे बहुत ख़ुशी हुई l हर रोज वह अधिराज जी और अम्बिका को फोन करके सारिका के बारे में बताता था l अधिराज जी ने जब किसी भी तरीके से शिवम् की मदद करनी चाही तो शिवम ने साफ मना कर दिया वह खुदगर्ज इंसान है ये अधिराज जी भी जानते थे और इसलिए उन्होंने फिर कभी शिवम् की भावनाओ को ठेस पहुंचाने का नहीं सोचा ! एक शाम शिवम् को माल की डिलीवरी के लिए शहर से बाहर जाना था वह जाना तो नहीं चाहता था लेकिन जरुरी था l

मुरारी भी उस दिन शहर में नहीं था वह चाचा के साथ किसी काम से बाहर गया था l शिवम् ने गोदाम में अपने आदमियों को छोड़ा और खुद ही निकल गया ! पहली बार ऐसा हुआ था की शिवम् सारिका से मिलने नहीं पहुंचा l बगीचे में बेंच पर बैठी सारिका शिवम् के आने की राह देख रही थी l भले शिवम् उसे दूर से देखकर चला जाता था लेकिन एक आस सारिका के दिल में रहती थी की वो जरूर आएगा l पर उस शाम शिवम् नहीं आया l शाम से रात हो चुकी थी सारिका वही बैठी एकटक दरवाजे को देखती रही शिवम् नहीं आया l

शिष्या उसे लेने आयी और उठाते हुए कहा,”लगता है आज वो नहीं आएगा ! चलो अंदर तुम्हारी दवाओं का समय हो गया है” शिष्या ने सहारा देकर सारिका को उठाया और अंदर ले जाने लगी सारिका ने पीछे मुड़कर देखा शिवम् वहा नहीं था l सारिका का मन अजीब भावनाओ से घिरने लगा शिवम् का ना आना उसे कुछ बुरा होने का अहसास दिला रहा था l ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था की शिवम् उस से मिलने ना आया हो , आंधी बारिश , कैसा भी वक्त हो शिवम जरूर आता था l

सारिका अंदर आ चूकी थी शिष्या ने उसे खाना खिलाया और दवा देकर सुला दिया l कमरे की लाइट बंद कर वह वहा से चली गयी लेकिन सारिका की आँखों में नींद नहीं थी l अजीबो गरीब ख्याल उसके मन में आने लगे l उसने अपने दिमाग पर जोर डाला तो कुछ धुंधली तस्वीरें उसकी आँखों के सामने आने लगी l घाट , घाट का पानी , छोटी लड़की , एक लड़का जो मंदिर में महादेव की पूजा के समय डमरू बजा रहा है ! वो धुंधला अक्स सारिका को कुछ चैन जैसा देता है l सारिका उस चेहरे को याद करने की कोशिश कर रही है पर कुछ याद नहीं आ रहा है l

वह बैचैन हो जाती है और अपनी आँखे बंद कर लेती है धुंधले चित्र एक बार फिर उसकी आँखों के सामने घूमने लगते है l मुंबई की लम्बी चौड़ी सड़के , दूर दूर तक फैला समंदर , बड़ी सी बिल्डिंग , ऑफिस , लोगो से घिरी एक खूबसूरत सी लड़की जिसकी आँखे बहुत उदास है l एक खुली पड़ी डायरी के फड़फड़ाते पन्ने , भूरी आँखों वाला एक हमउम्र लड़का जो उसकी आँखों में झांकता मालूम पड़ता है , बारिश की बुँदे , शादी का घर , मेहँदी लगे उसके हाथ ! एक लड़की गुस्से से भरी और एक लड़की का ऊंचाई से निचे गिर जाना ! “


पसीने से सारिका तर बतर हो चुकी थी उसके बचपन से लेकर अब तक की यादें किसी फिल्म की रील की तरह उसकी आँखों के सामने चल रही थी पर कुछ साफ नजर नहीं आ रहा था सारिका का सर चकराने लगा था , एक दर्द उसे अपने सर के दांये हिस्से में महसूस हो रहा था l एक चुभन वह अपने सीने में महसूस कर रही थी और फिर वह बेहोश होकर निढाल सी बिस्तर पर गिर पडी !!

सुबह के 5 बजे शिवम् ट्रक में सामान लोड करवाकर वापस बनारस के लिए निकल रहा था ! उसने ट्रक वाले को चलने को कहा और खुद मुरारी की जीप लिए पीछे पीछे चलता रहा l सुबह का अच्छा मौसम शिवम् अपनी जीप में गाने सुनता हुवा चला जा रहा था l उसे सारिका के पास पहुँचना था l शिवम् के चेहरे की ख़ुशी बता रही थी की वह सारिका से मिलने के लिए कितना बैचैन था !

शिवम् ने जीप की स्पीड थोड़ी बढ़ा दी और गुनगुनाता हुआ गाड़ी चलाता रहा l कुछ ही दूर चला होगा की सामने से आते एक ट्रक ने शिवम् की गाड़ी को जबरदस्त टक्कर मारी l गाड़ी के परखच्चे उड गए और लहू लुहान शिवम् सड़क पर दूर जा गिरा !

“शिवम्……………………….!!”,आश्रम के कमरे में लेटी सारिका जोर से चीखते हुए उठी ! उसकी सांसे धोकनी सी तेज चल रही थी और आँखों में डर साफ नजर आ रहा था !

Ranjhana – 57 Ranjhana – 57 Ranjhana – 57 Ranjhana – 57 Ranjhana – 57 Ranjhana – 57 Ranjhana – 57 Ranjhana – 57 Ranjhana – 57 Ranjhana – 57 Ranjhana – 57 Ranjhana – 57 Ranjhana – 57

Continue With Part Ranjhana – 58

Read Previous Part रांझणा – 56

Follow Me On facebook

संजना किरोड़ीवाल

Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57RanjhanRanjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57

Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57a – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57Ranjhana – 57

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!