रांझणा – 24
Ranjhana – 24
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Ranjhana By Sanjana Kirodiwal
Ranjhana – 24
सारिका भांग नशे में कुछ भी बोले जा रही थी l बेचारा शिवम उसने तो अपना सर पकड़ लिया सारिका ने जब देखा तो उसके पास आई और कहा,”अरे तुमको क्या हुआ ? सर में दर्द हो रहा है ………………… ओह्ह्ह्ह बेचारा !! रुको हम अभी ठीक करते है” कहकर सारिका शिवम् के नजदीक आयी और उसके सर को चूमकर कहा,”मुहह्हआ अब तुम्हारा सर दर्द बिल्कुल ठीक हो जाएगा , हमारे वहा मुंबई में ऐसा ही होता है”
शिवम् शर्म से पानी पानी हो गया l मुरारी ने देखा तो उसने अपना हाथ राधिका की आँखों के सामने कर दिया , अब कोई बहन अपने भाई को इस हालत में देखे अच्छा थोड़े लगता है लेकिन राधिका ने मुरारी का हाथ हटाते हुए कहा,”अरे हमको भी तो देखने दो”
राधिका की बात सुनकर सारिका फिर से उनके सामने आई और कहा,”तुमको क्या देखना है तुम भी तो रोज अपने फोन में जब देखो तब मुह्हा मुह्हा वाले किस इमोजी किसी रोहन को भेजती रहती हो l छोटु सी हो पर हमसे भी दो कदम आगे हो , अगर इतना ही प्यार है उनसे तो अपने भैया को क्यों नहीं बता देती ?”
राधिका का चेहरा डर से सफ़ेद पड़ गया आज सारिका किसी को बख्सने के मूड में नहीं थी और ये सब मुरारी की वजह से हुआ था लेकिन मुरारी को तो ये सब देखकर मजा आ रहा था l उसने सारिका को पहले कभी इतना बोलते हुए नहीं सूना और आज सारिका का यु बोलना उसे अच्छा लग रहा था l
राधिका ने डरते डरते शिवम् की और देखा और कहा,”भैया वो हम ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,”,राधिका अपनी बात पूरी कर पाती इस से पहले ही शिवम् ने सख्ती से कहा,”इस बारे में हम घर चलकर बात करेंगे इस वक्त जरुरी है सारिका जी को सम्हालना”
मुरारी तो बस प्यार से सारिका को देखे जा रहा था और मन ही मन सोच रहा था की काश नशे में ही सही सारिका शिवम् से अपने दिल की बात कह दे तो मजा आ जाये। शिवम् सारिका की तरफ बढ़ा और धीरे से कहा,”सारिका जी , बहुत तमाशा हो गया , अब हमारे साथ घर चलिए”
सारिका आज कहा रुकने वाली थी उसने शिवम् के होंठो पर अपनी ऊँगली रखी और कहा ,”शशशशश कितना बोलते हो तुम और ये क्या जी जी जी जी लगा रखा है , सुनके ऐसा लगता है जैसे हम 26 के ना होकर 56 के हो। आज से आप ,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं आज से तुम हमे तुम कहकर बुलाओगे और सारिका जी नहीं सिर्फ सारिका समझ मिस्टर सडु “
जैसे जैसे सारिका बोलती गयी शिवम् बस उसकी आँखों में देखता रहा और अपनी गर्दन हिलाता रहा सारिका इस वक्त उसे इतनी मासूम नजर आ रही थी जैसे कोई छोटी बच्ची किसी बात को समझाती है बिलकुल वैसे ही .
मुरारी को तो ये सब देखकर बहुत मजा आ रहा था उसने जानबूझकर ऊँची आवाज में कहा,”हम आपको क्या बुलाये फिर ?”
शिवम् ने घूरकर देखा पर मुरारी पर कोई असर नहीं हुआ वह तो सारिका के उलटे पुल्टे जवाब का इंतजार कर रहा था ! सारिका मुरारी की तरफ आई और कहा,”तुम्हे जो अच्छा लगे तुम बुलाना ,, हीच !!”
सारिका ने सीने पर हाथ रखकर हिचकी ली और फिर मुस्कुरा उठी ! शिवम् उसके पास आया और फिर से रिक्वेस्ट करते हुए कहा,”सारिका जी , मेरा मतलब सारिका प्लीज़ घर चलो आई हम सबका इंतजार कर रही होगी”
सारिका ने मासूम सा चेहरा बनाकर गर्दन झुकाकर शिवम् की तरफ देखा और कहा,”आई , उनका बस चले ना तो वो तो हमेशा हमेशा के लिए हमे अपने घर में रख ले और रोज प्रेग्नेंट टिंडे बनाकर खिलाये “
“प्रेग्नेंट टिंडे ? भैया हमको तो कभी नहीं खिलाये प्रेंग्नेट टिंडे आई ने”,मुरारी ने हैरानी से कहा
“तू चुप रहेगा कुछ देर , वैसे भी ये सब तेरी वजह से हुआ है हमारी मदद करने के बजाय मजे ले रहे हो”,शिवम् ने डांटते हुए कहा
“अरे वो होता है गोल गोल कुछ मीठा सा हां वो आई ना उसे कद्दू कद्दू कहती है”,सारिका ने मुंह बनाकर कहा
“अच्छा तो वो प्रेंग्नेंट कैसे हुआ ?”,शिवम् ने घूरकर सारिका से पूछा
सारिका ने शिवम् से कान पास लाने को कहा शिवम् जैसे ही उसके पास आया सारिका अपने होंठो को उसके कान के पास ले आई और फुसफुसाकर कहा,”क्योकि उसका फूल गोभी से चक्कर चल रहा है , किचन में !! दोनों साथ साथ ही रहते है लिव इन में “
शिवम् ने एक बार फिर अपना सर पिट लिया पर वह सारिका से कुछ कहता इस से पहले ही वह मुरारी के पास आई और कहा,”तुम एक बात बताओ जब दो लोग किस करते है तो नाक बिच में क्यों नहीं आती ?”
मुरारी ने सूना तो उस से अपनी हंसी कंट्रोल नहीं हुई और उसने शिवम् की तरफ देखकर कहा,”ये बात भी भैया ही बताएंगे क्यों भैया ?
शिवम् ने पांव से जूता निकालकर मुरारी की और फेका बस लगते लगते रह गयी ! वह मुरारी के पास आया और उसकी गर्दन दबोचते हुए कहा,”हम यहाँ पहले से ही परेशान है उनकी बातो से और तुम को बकैती सूझ रही है , क्या अंट शंट बुलवा रहे हो उनसे !!! “
“अरे भैया हम का करे हमने कोनसा कभी किसी को किस किया है जो बताये उनको”,मुरारी ने झुंझलाकर कहा
“हा हमने तो जैसे स्कूल खोल रखा है ना”,शिवम् ने गुस्से से कहा
“भैया स्कूल होता तब कितना अच्छा होता ना , हम तो वही घर बसा लेते”,मुरारी ने ख़ुशी से आँखे चमकाते हुए कहा
शिवम् मुरारी से क्या कहता कुछ कहता भी तो जवाब में कुछ अजीब ही सुनने को मिलता , शिवम् ने चुप रहना ही ठीक समझा तभी सारिका आई और दोनों हाथो से शिवम् की कॉलर पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए कहा,”चलो किस करो हमे देखना है नाक बिच में आती है या नहीं !!”
“हम आपको किस कैसे कर सकते है ?”,शिवम् ने घबराकर कहा
“तुम पागल वागल हो क्या ? हमे क्यों करोगे उसको करना है”,सारिका ने लड़खड़ाती जुबान में कहा
“किसको ?”,शिवम् ने कहा
“अरे उस मुरारी को , उसने ही तो कहा ना की तुम बताओगे तो अब उसको करो हम देखेंगे नाक बिच में आती है या नहीं ,, चलो !!”,सारिका ने शिवम् को मुरारी की तरफ धकेलकर कहा
“अरे अरे इह का बोल रही हो ? , भैया इह कैसे कर सकते है हमरे साथ ?”,मुरारी ने घबराकर पीछे हटते हुए कहा
“क्यों ? क्यों नहीं कर सकते ? थप्पड़ तो कितने मजे से खा लेते हो इनके हाथ का किस क्यों नहीं ?”,सारिका ने तुनककर कहा
“अरे मेरी माँ किस और थप्पड़ में फर्क होता है”,मुरारी ने झुंझलाकर कहा !
“कोई फर्क नहीं होता , थप्पड़ से गाल लाल होता है और किस से भी गाल लाल हो जाते है ,,, शर्म के मारे ! करो ना हमे देखना है नाक बिच में आती है या नहीं”,सारिका ने बच्चो की तरह जिद करते हुए कहा।
“राधिका चल निकल लेते है यहाँ से कही शादी से पहले ही हमारा चिर हरन ना हो जाये”,कहकर मुरारी वहा से भाग गया।
“राधिका तुम मुरारी के साथ घर चलो , हम इन्हे लेकर आते है”,शिवम् ने कहा
राधिका वहा से चली गयी तो सारिका ने कहा,”वो दोनों क्यों चले गए ?”
“उन्हें काम है चलिए हम भी चलते है , रात बहुत हो गयी”,शिवम् ने कहा।
सारिका ने प्यार भरी नजरो से शिवम् को देखते हुए कहा ,”आने वाली सुबहो की अब खबर किसे है ? , अब तो आरजू है की ये रात तेरे पहलु में कट जाये !!
शिवम् ने सूना तो खामोश हो गया और सारिका की आँखों में देखने लगा आज इन आँखों में एक अलग ही सुकून था , एक अलग ही आकर्षण था जो शिवम् को अपनी तरफ खींच रहा था। शिवम् सारिका के पास आया और कहा,”आप शायरी भी करती है ?”
“हां ये हमे अपनी माँ से विरासत में मिला है , इजाजत हो तो दो लाइन पेश करे”,सारिका ने कहा
“हम्म्म”,शिवम् दिल से सुनना चाहता था इसलिए ना नहीं कर सका
“मुददतो से है हमे तलाश जिसकी , उनकी मंजिलो का साथी कोई और था !
मेरे बाहर थी हर तरफ खामोशी क्योकि मेरे अंदर एक शोर था”
“वाह वाह वाह वाह , कितना अच्छा लिखते है ना हम”,सारिका ने अपनी तारीफ खुद करते हुए कहा
“आप बहुत अच्छा लिखती है”,शिवम् ने खोये हुए स्वर में कहा
सारिका शिवम् के सामने से हटकर सीढ़ियों पर जाकर बैठ गयी। शिवम् ने देखा तो सारिका ने अपने पास आकर बैठने का इशारा किया। शिवम् आकर कुछ दूरी बनाकर बैठ गया। सारिका ने एक नजर शिवम् को देखा और फिर सामने घाट को देखते हुए कहने लगी ,”जानते है हमारी माँ बहुत अच्छा लिखती थी , बचपन में हमे जब भी नींद नहीं आती थी तब वे अक्सर हमे अपनी कविताये और अपनी लिखी कहानिया सुनाया करती थी !
पर एक दिन वो हमे छोड़कर चली गयी और उसके बाद से हमे कविताओं और शायरियो से नफरत सी हो गयी। . जब माँ थी ना तब हम एक बार उनके साथ बनारस आये थे , हम पापा और हमारी छोटी बहन पर जब वापस लौट रहे थे तब वो हादसा हो गया जिसमे माँ और हमारी छोटी बहन हमेशा हमेशा के लिए हमे छोड़ककर चली गयी “
कहते कहते सारिका की आवाज रुंध गयी और उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। शिवम् ने अपना हाथ सारिका के हाथ पर रख दिया सारिका ने उसकी तरफ देखा तो शिवम् ने पलके झपकाकर उसे मजबूत रहने का हौसला दिया शिवम् की छुअन का अहसास उसे अपना सा लगा इसलिए उसने अपना हाथ वैसे ही रखा और आँखों के किनारे पोछते हुए आगे कहने लगी,”माँ के जाने के बाद बहुत अकेले पड़ गए थे।
पापा को काम से फुर्सत नहीं थी ना ही हमारे लिए वक्त उन्हें हमेशा लगता था की हमारी जगह अगर कोई बेटा होता तो उनके वश को आगे बढ़ाता लेकिन ऐसा नहीं हुआ। और इसलिए हम हमेशा अपने पापा की बेटी नहीं बल्कि उनका बेटा बनना चाहते थे ,, लड़कियों वाले सारे शौक छोड़कर हमने हमेशा उनके सामने उनका बेटा बनने की कोशिश की लेकिन वो कभी खुश नहीं हुए।
फिर उन्होंने दूसरी शादी कर ली नई माँ के साथ साथ हमारे घर में एक छोटी सी बच्ची भी आई हमे हमारी छोटी बहन वापस मिल गयी लेकिन पापा से हम दूर होते गए। अपने ही घर में जब गैरो जैसा बर्ताव होने लगा तो हमने बहुत कम उम्र में घर छोड़ दिया। घर छोड़ने के बाद अहसास हुआ की हमारा इस दुनिया में कोई नहीं है और फिर याद आया वो जो हमारे जीने की वजह बन गया ! आप जानते है हम बनारस क्यों आये है ? ”
सारिका ने आखरी लाइन शिवम की तरफ देखकर कही तो शिवम् ने ना में गर्दन हिला दी। सारिका फिर से सामने देखने लगी और कहा,”हम यहाँ किसी को ढूंढने आए है ! एक लड़का है जिस से 14 साल पहले हम यही मिले थे बनारस के घाट की इन्ही सीढ़ियों पर तब उन्होंने हमे डूबने से बचाया था , लेकिन डूब हम तब भी गए थे उनकी आँखों में !!
बनारस छोड़ने से पहले उन्होंने हमसे एक बात कही थी की ‘बनारस की हवा में भी इश्क़ बहता है’ उस वक्त हम इस बात का मतलब समझ ही नहीं पाए थे पर आज समझ आ रहा है की आज भी हमारी सांसे उसी इश्क़ की बेड़ियों में कैद है !! हमने बहुत कोशिश की उनसे मिलने की लेकिन पापा ने अग्नि परीक्षा रख दी हमारे सामने और कहा की अगर सच में ऐसा है तो इंतजार करो उसका वो खुद आएगा , उन्हें लगा ये हमारा बचपना है लेकिन नहीं ये इश्क़ ही था जो वक्त के साथ साथ बढ़ता गया !
14 साल पूरे 14 साल हमने उनका इंतजार किया इस उम्मीद में की कभी ना कभी तो वो हमे ढूंढते हुए आएंगे पर वो नहीं आये !! बिना उन्हें देखे , बिना बात किये , बिना मिले वो हमारे दिलो दिमाग में बस चुके थे ! हमे तो उनका नाम तक याद नहीं था पर हम उन्हें कभी भूले नहीं थे , हमारे दिन की शुरुआत उनसे होती है और शाम भी !! बहुत समझाया खुद को पर खुद को उनके इश्क़ से आजाद नहीं कर सके !! उनका वजूद कायम रखने के लिए हमने उन्हें अपनी डायरियों में जिन्दा रखना शुरू कर दिया।
जब भी खुश होते , उदास होते तो उनसे बात कर लेते। पापा चाहते थे हम शादी कर ले पर हम पहले ही उनको अपना मान चुके थे किसी और से वफ़ा कैसे कर पाते ? बहुत प्यार करते है उनसे इतना की वो अगर जान भी मांगे तो हसते हसते दे देंगे ! माँ की लिखी नज्मो को अक्सर बेनाम से लिखा करते थे उनके लिए पर उन्होंने शायद उन कविताओं को कभी पढ़ा ही नहीं ,,
हमने जान बूझकर माँ की डायरी बनारस में छोड़ी थी वो नज्मे नहीं थी हमारी भावनाये थी उनके लिए उन्होंने पढ़ी भी या नहीं हम नहीं जानते ,, जब दिल के हाथो मजबूर हो गए तो एक बार फिर हमे बनारस आना पड़ा उनकी तलाश में , वो नहीं आये तो क्या हुआ इश्क़ तो निभाना था हम चले आये !! और यहाँ आकर हमने महसूस किया जैसे कुछ नहीं बदला है सब वैसा ही है , वही घाट। वही सीढिया , वही हवाएं और वही इश्क़”
कहते कहते सारिका खामोश हो गयी ! पास बैठे शिवम् की आँखों से आंसू बहकर गालो पर आ गए उसे यकीन ही नहीं हो रहा था , जिस लड़की से वह अब तक दूर भागता आ रहा था वो कोई और नहीं बल्कि उसकी मैडम जी ही थी ! शिवम् का दिल भर आया उसका जी किया अभी के अभी सारिका को अपने सीने से लगा ले और पूछे की क्यों वो अब तक उस से इतना दूर रही पर शब्द जैसे उसके गले में ही फस गए उस से कुछ बोला नहीं गया , बस आँखों से आंसू बहते रहे सारिका ने जैसे ही शिवम की तरफ देखा
शिवम् ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया वो नहीं चाहता था सारिका उसकी आँखों में आये आंसुओ के देखे पर सारिका ने देख लिया था और मुस्कुराकर कहा,”देखा आपकी आँखों में भी आंसू आ गए ना हमारी कहानी सुनकर, हम कभी किसी से इतनी बाते नहीं करते ना ही किसी को अपनी भावनाओ के बारे में बताते है , पर आपसे कहने का मन किया इसलिए आपको ये सब बताया ! “
शिवम् ने अपने आंसू पोछे और सारिका की तरफ देखने लगा लेकिन आँखों ने साथ नहीं दिया और फिर से बहने लगी ! सारिका इस से बेखबर शिवम् को आएगी बताने लगी
सबके खिलाफ जाकर हम उनके लिए बनारस एक बार फिर आये पर हमने देर कर दी शिवम् , हमने उन्हें पाने से पहले ही खो दिया , दो दिन पहले उनकी शादी हो गयी किसी और के साथ “.कहते हुए सारिका ने अपना सर शिवम् के कंधे पर टिका दिया और उसकी बांह को मजबूती से थाम लिया ! सारिका इस वक्त जिस दर्द से गुजर रही थी शिवम् भी वही महसूस कर रहा था !
दोनों की आँखों से आंसू बहते रहे सारिका की आँखों से अपना रांझणा खो देने के और शिवम् की आँखों से मैडम जी के मिल जाने से !! आज शिवम् बहुत खुश था , सारिका के साथ बिताया एक एक पल उसकी आँखों के सामने एक एक करके आने लगा , सारिका से पहली बार टकराना , उसका घाट पर मिलना , वो झगडे , सारिका का उसके करीब आना हर एक पल खूबसूरत फिल्म की तरह उसकी आँखों के आगे आने लगा ! आँखों में भले आंसू थे पर शिवम् के होंठो पर मुस्कान फ़ैल गयी !
सारिका शिवम् के कंधे पर अपना सर टिकाये सामने घाट के पानी को देखती रही ! शिवम् की बांह पर उसके हाथो को पकड़ अब भी उतनी ही मजबूत थी पर आज ये पकड़ शिवम् को सुखद अहसास करवा रही थी ! वह बहुत खुश था उसे उसकी मैडम जी जो मिल गयी थी। नशे में ही सही पर सारिका की वजह से ही शिवम् जान पाया की जिसे अब तक वह धढूंढ रहा था वो उसके पास ही थी ! सारिका ने आँखे मूँद ली शिवम् उसके चेहरे को देखकर मुस्कुराता रहा !
उसने सामने घाट के पानी में देखा उसमे उसे अपना और सारिका का साया दमकता नजर आ रहा था , जिस बनारस के घाट ने उन्हें अलग किया था आज उसी बनारस के घाट ने उन्हें मिला दिया ! ठंडी हवाएं चल रही थी सारिका के बाल उड़कर उसके चेहरे पर आने लगे शिवम् ने देखा तो अपनी ऊँगली से हटा दिया ! चाँद भी अपने पूरे आकार पर था और उसकी रौशनी में दो प्रेमी एक दूसरे के साथ थे इस से खुबसुरत बात और क्या हो सकती थी भला !!
आज शिवम् को घर जाने की जल्दी नहीं थी वह चाहता था ये वक्त यही रुक जाये और सारिका हमेशा हमेशा के लिए ऐसे ही उसके साथ रहे !! सारिका बेफिक्र शिवम् के कंधे से सर लगाए सो रही थी ! शिवमं का दिल किया अभी चिल्लाकर सबको बता दे की उसे उसकी मैडम जी मिल गयी है पर इस वक्त वह सारिका की नींद में दखल डालना नहीं चाहता था वह खामोश बैठा सारिका के चेहरे को ताकता रहा !!
उसने पलटकर महादेव के मंदिर की और देखा और मन ही मन कहा,”बहुत बहुत शुक्रिया महादेव , हमको इनसे मिलाकर आपने हमे सब कुछ दे दिया। जितना इंतजार इन्होने हमारा किया है उतना ही हमने भी किया है ! जितनी भावनाये इनके मन में है हमे लेकर उस से कई ज्यादा हमारे मन में है इन्हे लेकर जो हम इन्हे बताना चाहते है पर अभी नहीं जब इन्हे होश आ जाएगा तब , तब हम इनसे वो सब कह देंगे जो आज तक इनके लिए महसूस किया है !!
इनको गलतफहमी है की हमारी शादी हो चुकी है , इनके बिना शादी कैसे हो सकती है ? पर आपसे वादा करते है महादेव आज के बाद कभी इनकी आँखों में आंसू नहीं आने देंगे , इन्हे हर खुशी देंगे , इतना प्यार देंगे इन्हे की ये सब भूल जाएँगी , 14 सालो का ये बनवास अब खत्म कर देंगे हम और इसके लिए कोई अग्नि परीक्षा नहीं होगी !!
हां बहुत प्यार करते है हम इनसे और जब ये जानेगी की इनका रांझणा कोई और नहीं ये सडु है तो हैरान हो जाएगी !! पर अब जैसे भी है इनके ही है ,, इस साल आपने हमे बनारस का सबसे खूबसूरत तोहफा दिया है महादेव , जिसे हम अपनी जान से भी ज्यादा सम्हाल कर रखेंगे”
शिवम् ने अपना सर सारिका के सर से लगा लिया और सामने शांत पड़े घाट के पानी को निहारता रहा ! घाट के पानी की तरह आज शिवम् का मन भी शांत था !! कुछ देर बाद बारिश की बुँदे आकर शिवम् के चेहरे पर गिरी उसने आसमान की तरफ नजर उठाई बारिश होने वाली थी उसने सारिका को नींद से जगाया पर उठते ही सारिका सब भूल गयी की उसने शिवम् से क्या कहा और क्या नहीं एक बार फिर वह अपने पहले वाले किरदार में आ गयी , भांग का नशा अभी भी वैसा ही था !!
बारिश होने लगी बारिश की बुँदे देखकर सारिका के चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी वह उठी और दोनों हाथ फैलाकर अपना चेहरा ऊपर आसमान की और उठा दिया और आँखे बंद कर उन बूंदो को महसूस करने लगी !! शिवम् देखता ही रह गया उसकी नजरे सारिका से हटने का नाम नहीं ले रही थी ! पानी में भीगते हुए सारिका किसी जलपरी सी लग रही थी ! शिवम् उठा और सारिका के सामने आ गया उसने देखा चेहरे से बहकर आती बुँदे गर्दन पर फिसल रही है ! इस वक्त वे बुँदे किसी सीप के मोतियों सी प्रतीत हो रही थी !
शिवम् बस देखता रहा जी किया जैसे इन बूंदो को अपने होंठो से चुरा ले लेकिन नहीं उसने खुद को रोक लिया ! सारिका ने शिवम् को अपने सामने देखा अपने दोनों हाथो में बारिश की बूंदो को इक्कठा किया और शिवम् के चेहरे पर उछाल कर खिलखिलाकर हंस पड़ी !! यही हंसी तो चाहता था शिवम् उसके चेहरे पर ! दोनों बारिश में भीग चुके थे ! शिवम् ने सारिका से चलने को कहा तो सारिका ने कहा,”साड़ी भीग गयी चला नहीं जाएगा”
शिवम् ने देखा सारिका की साड़ी पूरी भीग चुकी है वह उसके करीब आया अपनी गोद में उठा लिया ! ये हक़ शिवम् ने आज खुद को दिया था अपनी मैडम जी पर इतना हक़ तो बनता है उसका ! सारिका को गोद में उठाये वह घाट की सीढिया चढ़ने लगा ! पुरे रास्ते सारिका शिवम् के चेहरे की और देखती रही
उसकी आँखों में झाँकने की कोशिश की पर आज इन आँखों में कोई बेचैनी ना होकर सिर्फ एक सुकून था ! बारिश जारी थी ! शिवम् सारिका को लेकर घाट के बाहर आ गया , बारिश अभी भी जारी थी उसने कुछ देर रुकना ठीक समझा सारिका के साथ वह सामने बंद पड़ी दुकान के टिन के निचे आकर खड़ा हो गया ! सारिका अपने दोनों हाथो की हथेलियों को आपस में रगड़ रही थी शिवम् की नजर उस पर पड़ी तो उसकी धड़कने बढ़ गयी ! बालो से पानी टपक रहा था ! बा
रिश में भीगने की वजह से साड़ी उसके बदन से चिपक गयी थी जिस से सारिका की कमर और उभार साफ साफ नजर आ रहे थे ! शिवम् ने नजरे घुमा ली पर सारिका को ऐसे घर लेकर भी नहीं जा सकता ! उसने मुरारी को फोन करके गाड़ी मंगाने की सोची लेकिन बारिश में भीगने की वजह से फोन बंद हो चुका था ! शिवम ने कुछ सोचा और फिर अपने शर्ट के बटन खोलने लगा उसने अपना शर्ट निकाला और उसे झटककर सारिका की और बढाकर कहा,”इसे पहन लीजिये , ठण्ड लग जाएगी”
सारिका ने बिना कुछ कहे शर्ट ले लिया और पहन भी लिया लेकिन जब शिवम् ने देखा तो मुस्कुरा उठा और कहा,”आपने बटन गलत लगाए है”
“तो आप लगा दीजिये”,सारिका ने शिवम् के पास आकर कहा
शिवम् ने अपने हाथ सारिका की तरफ बढ़ाये लेकिन उसके हाथ कांप रहे थे , वह दूसरी तरफ देखने लगा बारिश में भी उसके माथे पर पसीने की बुँदे उभर आई ! सारिका को शिवम् की इस हालत पर हंसी आ रही थी पर उसने रोक ली और पीछे हटते हुए कहा,”रहने दीजिये हम खुद से लगा लेंगे”
शिवम् झेंप गया और सोचने लगा “ये क्या कर रहा है तू ? सारिका जी के सामने ऐसे बर्ताव करेगा तो वो तो हसेगी ना तुम पर , अगर ऐसा रहा तो उन्हें अपने दिल की बात कैसे कहोगे ?”शिवम ने सांसो को काबू में किया और सारिका की तरफ पलटा अपने शर्ट में सारिका को देखकर उसे बहुत अच्छा लग रहा था l
शिवम ने देखा ये वही बनारसी साड़ी थी जो उसने अपनी मैडम जी के लिए खरीदी थी l शिवम फिर मुस्कुरा उठा आज उसके चेहरे से मुस्कुराहट जाने का नाम नही ले रही थी l बारिश रुकने के बाद शिवम ने बाइक स्टार्ट की ओर सारिका से बैठने को कहा l सारिका को लेकर शिवम घर जा हि रहा था कि रास्ते मे सारिका की नजर रोज वाली चाय की दुकान दिखाई दी l
सारिका ने चाय पीने की जिद की l शिवम को मालूम था कोई ना कोई पंगा हो जाएगा इसलिए पहले तो उसने साफ साफ मना कर दिया लेकिन सारिका की जिद के आगे झुकना पड़ा l शिवम ने बाइक दुकान से कुछ दूरी पर रोक दी l सारिका को वही रुकने का बोलकर शिवम उसके लिए चाय लेने चला गया पर वापस आया तो सारिका नारारद थी l
“अब ये कहा गयी ?”,शिवम ने परेशानी से कहा तभी उसके कानों में गाने की आवाज पड़ी
“काटे नही कटते दिन ये रात कहनी थी तुमसे जो दिल की बात”
शिवम ने पलटकर देखा सामने चाय की दुकान पर वह गाना बज रहा था और सड़क के पास ही सारिका डांस कर रही थी l टपरी पर खड़े सभी की नजर सारिका पर ही थी सारिका ने जैसे ही शिवम को देखा गाते हुए उसके पास दौड़कर आई और कहा,”लो आज मैं कहती हूं i love you”
शिवम तो बस देखता ही रह गया l हवा से सारिका की साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे आ गिरा दूध सी सफेद सांचे में ढली कमर दिखाई देने लगी शिवम सारिका की तरफ बढ़ा उसने नीचे गिरा उसका पल्लू उठाया और वापस उसके कंधे पर रख दिया l सारिका पर अब भी भांग का नशा सर चढ़कर बोल रहा था शिवम ने उसका हाथ पकड़ा और उसे बाइक के पास ले आया l सारिका का सर अब दर्द करने लगा था l उसने खुद से ही शिवम को घर चलने को कहा l शिवम ने राहत की सांस ली और सारिका को लेकर घर आ गया l
सारिका को सहारा देकर उसे कमरे तक छोड़कर आया , लेटाकर उसके सर के नीचे तकिया लगाया और चद्दर ओढाकर खिड़की खोल दी जिस से ताजा हवा मिल सके l जैसे ही शिवम जाने लगा वह रुका वापस सारिका के पास आया और अपने लबो से उसका सर चूम लिया l l
शिवम अपने कमरे में चला आया जहा मुरारी पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था मुरारी को वहां देखते ही शिवम उसके गले जा लगा और कहा ,”मुरारी मेरी जान तुझे बता नही सकते हम आज कितना खुश है , तू सुनेगा न तो खुशी से पगला जाएगा”
“अच्छा ऐसा का हुआ भैया हमको भी बताओ ?”,मुरारी ने खुशी से चहकते हुए कहा
“हमारी मैडम जी मिल गयी”,शिवम ने खुशी से भरकर कहा
मुरारी उदास हो गया उसने सारिका को शिवम के लिए पसन्द किया हुआ था , उसने कुछ नही कहा तो शिवम ने उसके कंधे पकड़कर कहा,”जानता है वो कौन है ? सारिका जी ही हमारी मैडम जी है , हा मुरारी!!!!
कहकर शिवम ने मुरारी को घाट वाली सारी बाते बता दी जो सारिका ने कही थी l मुरारी खुशी से झूम उठा मेडम जी चाहे कोई भी हो उसके शिवम भैया को सारिका मिलने वाली थी उसने खुशी से भरकर कहा,”बस भैया अब जल्दी से जाकर उनसे अपने दिल की बात कह दो”
”अभी नही मुरारी अभी वो सो रही है , कल सुबह हम उन्हें सारा सच बता देंगे”,शिवम ने आंखो में खुशी भरकर कहा l
“फिर तो आज चैन की नींद आएगी आपको’,मुरारी ने कहा
शिवम ने खिड़की के बाहर आसमान में चांद को देखा और कहा
,”आज की रात नींद कहा आएगी मुरारी !!!!
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