Sanjana Kirodiwal

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रांझणा – 18

Ranjhana – 18

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 18

प्रताप के फार्म हॉउस पर शिवम् को सारिका की निशानी मिली जिस से उसे यकीन हो गया की प्रताप सारिका को यही लेकर आया था l लेकिन शादी का जोड़ा देखकर मुरारी और शिवम् दोनों ही परेशान थे की आखिर प्रताप का प्लान क्या है ?
“भाई ये देखकर तो यही लगता है प्रताप सारिका जी से शादी करने वाला है”,मुरारी ने कहा
“हां मुरारी पर प्रताप उन्हें लेकर कहा गया है ये समझ नहीं आ रहा”,शिवम् ने सोचते हुए कहा


“भैया हम कह रहे प्रताप शहर के मंदिर में तो जायेगा नहीं वहा उसको ख़तरा है , तो जहा तक हो सके वो किसी सुनसान जगह ही जाएगा”,मुरारी ने कहा
“पर ऐसी कौनसी जगह मुरारी , अगर प्रताप शादी करने के इरादे से उनको उठाकर लाया है तो इस वक्त जरूर वो किसी न किसी मंदिर मे ही मिलेगा , और बनारस के बाहर दो ही ऐसे मंदिर है जहा बहुत कम लोग जाते है l एक उत्तर दिशा की तरफ महादेव का दुसरा दक्षिण की तरफ हनुमान मंदिर l”,शिवम् ने कहा


“भैया हो ना हो वो इनमे से जरूर किसी एक जगह होगा”,मुरारी ने कहा
“हां मुरारी , पर दोनों जगह एक साथ कैसे जाया जा सकता है l ? हमारी जरा सी भी देरी सारिका जी को मुसीबत में डाल सकती है”,शिवम् ने उदास होकर कहा
“भैया तुम न बिल्कुल परेशान न हो , महादेव ने रास्ता दिखाया है न तो बस ढूंढ लेंगे उनको , दोनों साथ ना जाकर अलग अलग जाते है किसी एक को तो सारिका जी मिल ही जाएगी”,मुरारी ने कहा


“प्रताप के साथ उसके आदमी भी है मुरारी ऐसे अकेले कैसे जाने दे तुमको ?”,शिवम् ने चिंता जताते हुए कहा
“अरे भैया जब तक महादेव अपने साथ है कोई अपना बाल भी बांका नहीं कर सकता , और सारिका जी लिए अब इतना तो कर ही सकते है”,मुरारी ने आखरी बात पर थोड़ा जो देकर कहा
“सारिका जी के लिए कुछ भी…………………….हां सच में , बात क्या है मुरारी ?”,शिवम् ने मुरारी का मन टटोलते हुए कहा


“अरे बात का बात है , कछु बात नहीं है अब तुम हमरे भैया हो और वो तुमरी दोस्त है तो कुछ तो फर्ज बनता है ना हमरा भी , वैसे तुम चाहो तो हम भाभी कहके बुला सकते है उनको ………………..तुम चाहो तो”,मुरारी ने शरारत से कहा
‘मुरारी बकवास ना करो पिटे जाओगे किसी दिन हमसे”,शिवम् ने गुस्सा दिखाते हुए कहा
“अरे तो पिट लो न , अगर उ हमरी भाभी बनती है तो हम तुमसे जिंदगीभर मार खाने को तैयार है”,मुरारी ने आँखे चमकाते हुए कहा l


“मुरारी इह मजाक का वक्त नहीं है , पहले हमे सारिका जी को ढूँढना है l तुम हनुमान मंदिर जाओ और हम महादेव के मंदिर जाते है जिसको भी सारिका जी मिले वो दूसरे को खबर कर दे l और जरा ध्यान से”,शिवम् ने कहा
“हनुमान मंदिर जाओ तुम क्योकि तुमको शौक है लड़कियों से दूर रहने का ब्रह्मचारी बनने का , हम जा रह है महादेव के मंदिर ,, और तुम गाड़ी ले जाओ जल्दी पहुंचोगे”,मुरारी ने चाबी शिवम् को देते हुए कहा


“गाड़ी हम ले जायेंगे तो तुम कैसे जाओगे ?”,शिवम ने कहा
“अरे हम कोई दूसरा जुगाड़ कर लेंगे”,मुरारी ने कहा और शर्ट ने चश्मा निकालकर आँखों पर लगाते हुए कहा,”चलते है हर हर महादेव !!’
“हर हर महादेव”,कहकर शिवम् और मुरारी दोनों अलग अलग दिशाओ में चले गए l

शिवम् मुरारी की जीप लेकर चला गया और मुरारी पैदल ही चल पड़ा और सोचने लगा,”आह कितने खुशनसीब है ना हम जो सारिका जी को ढूंढने जा रहे है वैसे ही जैसे हनुमान जी सीता मैया को खोजने गये थे l अगर शिवम् भैया हमरे राम है तो सारिका जी ही हमारी सीता मैया बनेंगी l देखे नहीं कैसे बैचैन हो उठे थे भैया उनको न पाकर ,, प्यार बहुते करते है उनसे पर बाहर नहीं आने देते लेकिन आज तो साफ साफ दिख गया उनका प्यार अब बस वो जल्दी से उनको अपने दिल की बात बोल दे l बाकि सब हम सम्हाल लेंगे ………………….!!


मुरारी बड़बड़ाते हुए जा ही रहा था की तभी पंडित जी अपनी फटफटिया पर मुरारी के सामने से निकले l उन्हें देखते ही मुरारी ने आवाज दी,”अरे ओ पंडित जी , किधर ?”
पंडित जी ने अपनी फटफटिया रोकी और कहा,”महादेव के मंदिर जा रहे है किसी जरुरी काम से बुलाया है”
“महादेव के मंदिर , अरे ! तो हमको भी तो वही जाना है “,मुरारी ने कहा
“तुम्हारी जीप कहा है आज ?”,पंडित जी ने मुरारी को अकेले देखकर पूछा l


“अरे वो ख़राब हो गयी तभी तो पैदल जा रहे है , अब तुम ठहरे भले आदमी तुम थोड़े न हमको हिया छोड़कर जाओगे l नई”,मुरारी ने मक्खन लगाते हुए कहा l
पंडित जी सोच में पड़ गए और फिर कहा,”आजाओ !!
मुरारी ख़ुशी ख़ुशी आकर उनके पीछे बैठ गया तो पंडित जी ने गाड़ी आगे बढ़ा दी l पंडित जी धीरे धीरे चला रहे थे पीछे बैठे मुरारी को अब उन पर गुस्सा आने लगा था

उसने पंडित जी से फटफटी रोकने को कहा और उतरकर खुद आगे आया और पंडित जी को पीछे बैठने को कहा l पंडित जी पीछे खिसक गए और उसके बाद जो मुरारी ने फटफटी भगाई है पंडित जी की तो जान हलक में आ गयी l पंडित को डरता देखकर मुरारी ने स्पीड थोड़ी कम कर दी और कहा,”अच्छा पंडित तुम हमको ये नहीं बताये की शिव मंदिर किस काम से जा रहे तुम ?


“हमको का पता का काम है उ प्रताप है न उसका फोन आया था हमको की अभी के अभी वहा पहुंचो तो बस जा रहे है”,पंडित जी ने उखड़े हुए स्वर में कहा जैसे उन्हें जबरदस्ती वहा जाना पड़ रहा हो l
पंडित जी के मुंह से प्रताप का नाम सुनकर मुरारी के कान खड़े हो गए l

महादेव मंदिर -:
प्रताप की गाड़ी आकर मंदिर के सामने रुकी l प्रताप और उसके आदमी गाड़ी से उतरे और सारिका को बह निचे उतार लिया l वो जगह सारिका के लिए अनजान थी उसने मदद के लिए इधर उधर देखा पर कोई उम्मीद नजर नहीं आई l प्रताप ने फिर से सारिका के हाथ पीछे करके बांध दिए और मुंह पर भी पट्टी बांध दी l प्रताप उसे लेकर मदिर की सीढिया चढ़ने लगा वहा एक दो लोग थे जिन्हे प्रताप के आदमियों ने पहले ही डरा धमका कर वहा से निकाल दिया l

मंदिर में सिर्फ सारिका , प्रताप और उसके कुछ आदमी ही थे l मंदिर में शादी की तैयारियां हो चुकी थी , प्रताप ने सारिका को मंडप में लाकर पटक दिया l उसने पीछे मुड़कर देखा महादेव की मूर्ति थी सारिका की आँखों से आंसू बहने लगे उसने मन ही मन उसने मदद की प्रार्थना की l
“ये पंडित अब तक क्यों नहीं आया ?”,प्रताप ने गुस्से से अपने आदमियों से कहा
“भाई हम फोन किये थे उसको वो बोला आ रहा है”,आदमी ने कहा


“दोबारा फोन लगा उसको और पता कर कहा कब्र खुदवा रहा है वो अपनी , वरना तुम सबकी कब्र मैं यही खोद दूंगा”,प्रताप ने झल्लाते हुए कहा
आदमी ने पंडित को फोन लगाया रिंग जाती रही पर दूसरी तरफ से किसी ने फोन नहीं उठाया l आदमी ने डरते डरते कहा,”भाई फोन नहीं उठा रहा है वो”


प्रताप ने आदमी को एक थप्पड़ मारकर कहा,”एक काम ढंग से नहीं होता तुम लोगो से , एक पंडित लाने को कहे थे वो भी ना ला पाए ,, ऐसे तो हो गयी हमरी शादी l साला हम भी इंसान के रूप में गधे और बैल पाल रखे है”
“भैया गुस्सा ना करो , बहुते मुश्किल से वो पंडित मिला था l हम देखते है कहा है वो”,रजुआ ने कहा और फिर से पंडित के नंबर पर फोन किया l इस बार भी कोई जवाब नहीं मिला प्रताप को इतना गुस्सा आया की उसने रजुआ के हाथ से फोन लेकर दिवार पर मारकर तोड़ दिया और चिल्लाकर कहा,”कहा मर गया वो पंडित ?


“जजमान हम यहाँ है”,माहौल में एक आवाज उभरी तो सबकी नजर उधर गयी l सीढ़ियों पर सफ़ेद रंग का धोती कुर्ता पहने , गले में नारंगी रंग का गमछा डाले , एक हाथ में थैला और दूसरे में कुछ किताबे ले रखी थी l एक बात इस पंडित में अजीब थी उसने अपने चेहरे को दूसरे गमछे से ढांक रखा था सिर्फ उसकी आँखे ही दिखाई दे रही थी l पंडित चलकर मंडप में आया उसे देखते ही प्रताप ने भड़क कर कहा,”ए पंडित कहा मर गया था ? और ये चेहरा क्यों ढका है तुमने ?


“जजमान फटफटिया पंचर हो गयी थी हमारी तो पैदल चलकर आये है , और वो का ना हमको कुत्ता खासी है तो डाक्टर ने मुंह ढक के रखने को कहा है इस से का है ना बीमारी फैलने का खतरा है l तुम कहो तो हटा देते है”,कहकर पंडित ने जैसे ही गमछा हटाना चाहा प्रताप ने रोकते हुए कहा,”रहने दो, रहने दो पता नहीं कैसी बीमारी होगी , ये सब छोडो और जल्दी से शादी करवाओ “


“बड़े बेसब्र इंसान हो , चलो करवाते है तुम्हारी शादी”,कहकर पंडित आकर सारिका के पास बैठ गया l उसने सारिका को एक नजर देखा और फिर शादी की तैयारी करने लगा l प्रताप भी आकर सारिका के पास बैठ गया सारिका का मुंह और हाथ बंधे देखकर पंडित ने कहा,”भाई दुल्हन का मुंह काहे बाँधे हो , जबरदस्ती की शादी कर रहे हो का ?”


प्रताप ने अपनी पिस्तौल निकाली और पंडित के सामने करते हुए कहा,”तू चुपचाप अपना करो नहीं तो शादी बाद में होगी पहले तोहार अर्थी का इंतजाम करना पडेगा”
“अरे भैया ख़ुशी के मोके पर ऐसी बाते काहे कर रहे ? हम करवाते है ना शादी तुम बस अपना इह खिलौना को ना थोड़ा साइड में ही रखो”,पंडित ने बन्दुक की नोक नीची करते हुए कहा l


प्रताप ने पिस्तौल वापस अपने पास रख ली और अपने दो आदमियों को निचे सीढ़ियों पर जाकर ध्यान रखने को कहा l शाम के 6 बज रहे थे l सूरज ढलने का समय भी हो चला था l प्रताप से डरकर पंडित ने मन्त्र पढ़ना शुरू किया
“मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरुड़ ध्वज।
मंगलम पुण्डरीकाक्ष, मंगलाय तनो हरि।।”*


प्रताप के चेहरे पर मुस्कराहट तैर गयी l सारिका आंसुओ से भरी आँखों से सामने जलती अग्नि को देखती रही l हमेशा हर हाल में मजबूत रहने वाली सारिका आज कमजोर पड चुकी थी उसकी मदद करने वाला यहाँ कोई नहीं था l पंडित ने अपने मन्त्र पढ़ने जारी रखे और कहा
-: हर हर महादेव , बजाये इकतारा , सत्यानाश हो जाये तुम्हारा ,,,,,,,,,,,, ॐ स्वाहा !!
“ऐ पंडित ये क्या मन्त्र पढ़ रहा है ?”,प्रताप ने गुस्से से कहा


“तुम पढ़े लिखे हो , नहीं ना ,,,, शक्ल देखकर तो लगता है तुमने कभी स्कूल भी नहीं देखा होगा तो तुम्हे मंत्रो का क्या पता, चुप करके बैठे रहो नहीं ते हम जा रहे”,पंडित ने भड़क कर कहा
“अरे भैया चुप करके बैठे रहो न , आपको शादी से मतलब है मंत्रो का क्या करना “,रजुआ ने प्रताप से कहां
“हां रजुआ पर इसके मंत्र सुन के ऐसा लग रहा जैसे इह हमको गाली दे रहा है”,प्रताप ने कहा


“अरे भैया जिंदगीभर गलत काम किये है आज कुछ अच्छा करने जा रहे हो तो अच्छे शब्द भी गलत ही सुन रहे तुमको , एक बार शादी हो जाये फिर सब अच्छा ही अच्छा”,रजुआ ने कहा
“ठीक है ठीक है , पढ़ो मन्त्र”,प्रताप ने झुंझलाकर पंडित से कहा
पंडित ने आगे पढ़ना शुरू किया -: ॐ बडम बडम झूम झूम फुलवारी , कुछ देर रुको बेटा बेंड बजा देंगे तुम्हारी l
सारिका अजीब नजरो से पंडित को देखने लगी ये आँखे उसे जानी पहचानी लगी l

सारिका को अपनी और देखता पाकर पंडित ने कहा -: ये कन्या बड़ी सुशिल सुंदर है , पर ये साथ बैठा आदमी बिल्कुल बंदर है …………… ओम स्वाहा !!
प्रताप को पंडित पर गुस्सा आ रहा था लेकिन फिर भी वह चुप था और पंडित को घुर रहा था उसे घूरता पाकर पंडित ने फिर से मन्त्र पढ़ना शुरू किया -: शिव बनके राम अपनी सीता को लेने आएगा , ऐसे मत देख बच्चा पंडित को खायेगा क्या


“ऐ पंडित बंद कर अपने ये मंत्र और दूसरी रस्मे शुरू कर”,प्रताप ने खीजकर कहा
सारिका हैरान थी ऐसा पंडित और ऐसे मन्त्र उसने पहली बार सुने थे l आखिर पंडित के भेष में ये कौन था सारिका जानने की कोशिश कर रही थी l पंडित ने मंत्र बंद कर दिए और मीठे का टुकड़ा प्रताप की और बढाकर कहा,”ये लीजिये मुंह काला कीजिये………………….हमारा मतलब मुंह मीठा कीजिये “


प्रताप ने देखा पंडित जान बूझकर शादी करवाने में देर कर रहा है तो उसने मीठा फेक कर कहा,”बहुत हो गया पंडित अब मैं सीधा मंगलसूत्र पहनाकर शादी करूंगा , ए रजुआ मंगलसूत्र दे इधर”
रजुआ ने मंगलसूत्र निकालकर प्रताप की और बढ़ा दिया l प्रताप ने मंगलसूत्र लिया और सारिका को पहनाने के लिए हाथ बढ़ाये पंडित ने प्रताप का हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया l
“ए पंडित हमरा हाथ काहे पकड़ा है रे तू”,प्रताप ने गुस्से से कहा l


पंडित ने कुछ नहीं कहा और दूसरे हाथ से अपने मुंह से गमछा हटाया l जैसे ही पंडित के मुंह से गमछा हटा सब के चेहरे सफेद पड गए l प्रताप ने हैरानी से कहा,”मुरारी तू ?
“जरा उधर देखो , तुम सबका बाप भी आया है “,मुरारी ने सामने सीढ़ियों की तरफ देखकर कहा
सारिका की आँखों से ख़ुशी के आँसू बहने लगे l मुरारी ने एक नजर सारिका को देखा और आँखों ही आँखों में फ़िक्र न करने को कहा l

सारिका के साथ साथ सबकी नजर सामने सीढ़ियों की और चली गयी सामने सीढ़ियों पर शिवम खड़ा था l प्रताप का दिल तेजी से धड़कने लगा l शिवम् महादेव का ही दुसरा रूप नजर आ रहा था l बिखरे बाल , शर्ट के सामने के तीन बटन खुले , हाथो की स्लीव्स ऊपर तक मुड़ी हुई l आँखों में गुस्सा भरा हुआ था l शिवम् के हाथ में बड़ा सा लकड़ी का टुकड़ा था जिसे जमींन पर रगड़ते हुए शिवम् मंदिर की तरफ बढ़ रहा था l
“अबे देख क्या रहे हो हरामियों मारो उसे”,प्रताप ने अपने आदमियों से कहा l


मुरारी ने तब तक सारिका के हाथ और मुंह पर बंधा कपड़ा खोल दिया l सारिका काफी डरी हुई थी मुरारी ने उसे सम्हाला l उधर प्रताप के आदमी शिवम की और बढे शिवम् के एक एक वार से ही सब ढेर होकर जमीन पर गिरने लगी l उसकी मार इतनी तेज थी की किसी ने उठने का नाम नहीं लिया l ये देखकर प्रताप अंदर तक हिल गया l वह जैसे ही भागने लगा मुरारी ने पैर बिच में करके उसे गिरा दिया , प्रताप निचे जा गिरा शिवम् ने हाथ में पकड़ी लकड़ी को साइड में फेका और प्रताप की और बढ़ा l

डर और घबराहट प्रताप के चेहरे से साफ झलक रही थी l शिवम् ने उसे जमीं से उठाया और पीटने लगा तब तक पीटता रहा जब तक वह अधमरा न हो गया l शिवम् ने उसकी कॉलर पकड़कर उसे उठाया और सामने दिवार पर उसका सर दे मारा और कहा,”लड़की के साथ जबरदस्ती करता है , अब कर , अब कर , अबे कर ना”
सारिका वही खड़ी थी शिवम् का ये नया रूप देखकर सारिका अंदर तक सहम गई l डरकर उसने अपनी आँखे तेजी से बंद कर ली और दिवार से चिपक गई l

लहूलुहान प्रताप निचे जमीन पर जा गिरा l शिवम् ने सारिका का हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुए लाकर प्रताप के सामने करके कहा,”शादी करनी थी न , चल कर शादी , उठ ……………….. एक लड़की पर अपनी मर्दानगी दिखाता है थू ……….चल उठ और कर शादी ……………. हाथ लगा , लगा हाथ “,कहकर शिवम् ने एक जमाकर लात उसके मुंह पर मारी l

शिवम् ने सारिका का हाथ छोड़ दिया और निचे प्रताप के पास बैठकर कहने लगा,”इसे हाथ लगाकर सही नहीं किया तूने प्रताप , तुम्हारे मेरे बिच की दुश्मनी को मैं कबका भूल चुका था लेकिन मुझसे बदला लेने के लिए तूने एक लड़की को जरिया बनाया l क्यों किया ऐसा ? क्यों ( चिल्ला उठा शिवम् )
मुरारी एक कोने में खड़ा चुपचाप सब देख रहा था वह शिवम् के गुस्से से वाकिफ था इसलिए चुप था l

लेकिन सारिका उसके लिए इस से बड़ा आश्चर्य और कुछ नहीं था l पहली बार उसने शिवम का गुस्सा देखा था और ये सारिका को चौकाने के लिए काफी थी l प्रताप दर्द में भी हसने लगा और कहा,”यही………….यही तड़प तेरे चेहरे पर देखने के लिए किया ये सब लेकिन तेरे उस दोस्त ने आकर सब मिटटी में मिला दिया l”


शिवम् ने एक घुसा और मारा वह उठा और प्रताप को मारने के लिए कुछ ढूंढने लगा l शिवम् ने जैसे ही प्रताप को मारने के लिए लकड़ी का टुकड़ा उठाया सारिका ने शिवम् का हाथ पकड़ कर रोक लिया और ना में अपनी गर्दन हिला दी उसकी आँखों से आंसू लगातार बहते जा रहे थे शिवम् पिघल गया और उसने लकड़ी का वह टुकड़ा साइड में फेंक दिया l सारिका उसके सीने से लग गयी l

शिवम् से लिपटे हुए वह फुट फुट कर रोने लगी l मुरारी से देखा नहीं गया तो उसने नजरे घुमा ली l सारिका रोती रही उसका डर और उसका दर्द शिवम् समझ रहा था उसने कुछ नहीं कहा और सारिका के बालो को सहलाता रहा l सूरज डूबने वाला था मौसम हलकी लालिमा लिए हुए था l
“भैया घर चले !!”,मुरारी ने शिवम् से कहा


शिवम् ने सारिका का हाथ पकड़ा और मुरारी के साथ जाने लगा l प्रताप जो होश में था उसने पास पड़ी पिस्तौल उठायी शिवम की और पॉइंट करके ट्रिगर दबा दिया l ऐन वक्त पर मुरारी ने देख लिया उसने शिवम् को धक्का दिया शिवम् सारिका समेत निचे जा गिरा मुरारी ने पास पड़ा पत्थर का टुकड़ा प्रताप के हाथ पर मारा जिससे उसके हाथ से बन्दूक छूटकर निचे गिर पड़ी l प्रताप झुंझलाकर रह गया l सारिका और शिवम् बच गए लेकिन गिरने की वजह से सारिका के सर और हाथ पर चोट लग गयी जिसमे से खून बहने लगा था l

मुरारी दौड़कर दोनों के पास आया पर कहा,”तुम लोग ठीक हो , का भैया तुम जानते थे कितना हरामी है वो फिर भी उसको छोड़ दिया l “
शिवम् ने मुरारी बात को अनसुना कर दिया और सारिका का हाथ देखने लगा l सारिका के हाथ की चोट देखकर शिवम् ने कहा मुरारी गाड़ी निकाल l मुरारी शिवम् से चाबी लेकर निचे चला गया l सर पर चोट लगने की वजह से सारिका को चक्कर आने लगे थे उस से ठीक से चला भी नहीं जा रहा था l

शिवम् ने देखा तो बिना कुछ कहे उसने सारिका को अपनी गोद में उठाया और सीढिया उतरने लगा सारिका ख़ामोशी से एकटक शिवम् के चेहरे को देखे जा रही थी l शिवम् की नजरे सारिका पर ना होकर सामने थी गुस्सा अभी भी उसके चेहरे से साफ साफ झलक रहा था l सारिका को लेकर शिवम निचे आया उसे जीप की अगली सीट पर बैठाया और खुद ड्राइविंग सीट पर आ बैठा l मुरारी चुपचाप पीछे बैठा था l

शिवम ने गाड़ी स्टार्ट की और बनारस जाने वाले रस्ते पर दौड़ा दी l बनारस पहुंचते पहुँचते रात के 9 बज चुके थे l शिवम् ने गाड़ी क्लिनिक की तरफ मोड़ दी l जीप से उतरकर तीनो अंदर आये
“डॉक्टर साहेब कहा है ?”,मुरारी ने कुर्सी पर बैठे वार्ड बॉय से पूछा जो की नींद के कारण उघ रहा था l
“डाक्टर साहेब तो नहीं है , तुमको क्या काम है ?”,लड़के ने उबासी लेते हुए कहा


“देखिये इनके हाथ पर चोट लगी है , डॉक्टर को बुलाइये “,शिवम् ने सख्ती से कहा
“अरे बोला ना मैं तेरे कु डॉक्टर साहब इधर नहीं है”,लड़के ने फिर कहा
“सटाक” मुरारी ने खींचकर एक थप्पड़ मारा और कहा,”बेटा आँखे खुल गयी हो तो एक बार इह भी देख लो सामने कौन खड़ा है?
“अरे ! मुरारी भैया आप , हमका माफ़ कर दो आओ आओ अंदर आओ”,लड़के ने कहा


“बैठना वैठना नहीं है इह बताओ डॉक्टर साहब कहा है ?”,मुरारी ने कहा
“वो सो रहे है”,लड़के ने डरते डरते कहा
“सो रहे और तुम सला यहा उनकी पहरेदारी कर रहे हो”,कहकर मुरारी ने एक थप्पड़ और जड़ दिया और कहा,”जाकर उनको लेकर आओ नहीं ते तीसरा थप्पड़ तैयार है”
लड़का जल्दी से वहा से गया l शिवम् ने सारिका को बैठने का इशारा किया और खुद किसी से फोन पर बात करने लगा l

काफी इंतजार के बाद ना तो लड़का आया ना ही डॉक्टर l मुरारी उठा और कहा,”साला ये बनारस के लोगो को हो का गया है सब के सब गायब है , भैया चलो दूसरे अस्पताल चलते है “
शिवम् ने फिर मुरारी की बात को नजरअंदाज किया और सारिका का हाथ पकड़ कर उसे इमर्जेन्सी वार्ड में लेकर गया जहा एक पेशंट पहले से लेता हुआ था l मुरारी भी शिवम के पीछे पीछे चला आया आज उसके लिए कुछ बोलना खतरे से खाली नहीं था l वह चुपचाप खड़ा देखता रहा l

शिवम ने सारिका को सामने पड़ी स्टूल पर बैठने को कहा l सारिका बैठ गयी शिवम् टेबल पर रखी मेडिकल ट्रे ले आया और लाकर टेबल पर रखा l सारिका और मुरारी दोनों ही नहीं समझ पाए की आखिर शिवम् करने क्या वाला है l शिवम ने गलव्स पहने l उसने कॉटन लिया और उस पर स्परिट लगाकर सारिका के सर पर लगी चोट को साफ करने लगा l दर्द और जलन से सारिका के मुंह से ‘आह’ निकल गयी l शिवम् ने धीरे से उसके सर पर फूंक मारी और घाव को साफ करता रहा l

सारिका नम आँखों से शिवम् को देखती रही अब ये दर्द उसे एक मीठी चुभन का अहसास करा रहा था l घाव साफ करके शिवम् ने उस पर बैंडेज लगा दी l उसके बाद उसने सारिका का हाथ पकड़ा और जहा चोट लगी थी उसे स्परिट से साफ करने लगा l इस बार जलन का अहसास ज्यादा था तो सारिका ने शिवम् का हाथ पकड़ लिया शिवम् ने गुस्से से उसकी तरफ देखा तो सारिका ने तुरंत उसका हाथ वापस छोड़ दिया l

सारिका ने चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया वह नहीं चाहती थी शिवम् उसके चेहरे पर आये दर्द को देखे l शिवम ने दवा लगाकर हाथ पर पट्टी कर दी l सारिका की आँखे अब भी आंसुओ से भरी हुई थी l शिवम् से जब देखा नहीं गया तो वह बिना कुछ कहे वहा से बाहर निकल गया l
सारिका वही बैठी रही l मुरारी उसके पास आया और कहा,”आप ठीक है ना ?
सारिका ने कुछ नहीं कहा बस हाँ में अपनी गर्दन हिला दी


“चले !!”,मुरारी ने कहा
सारिका मुरारी के साथ साथ चलने लगी बेड पर सोया बुड्ढा कबसे उन्हें ही देख रहा था l मुरारी उसके बेड के पास से गुजरा तो वह रखा सेब उठाया और खाते हुए बूढ़े से कहा,”ज्यादा खायेगा मर जाएगा”
ऐसी सिचुएशन में भी मुरारी को हमेशा मजाक सूझता था l दोनों बाहर आये शिवम् वहा नहीं था वह पहले ही जाकर जीप में बैठ चूका था l सारिका और मुरारी चुपचाप आकर गाड़ी में बैठ गए l शिवम् ने गाड़ी स्टार्ट की आगे बढ़ा दी l कुछ देर बाद गाड़ी सारिका के होटल के सामने थी l तीनो गाड़ी से निचे उतरे


शिवम् ने सारिका से कहा,”अंदर जाईये और अपना सारा सामान लेकर आईये अब आप यहाँ नहीं रहेंगी”
“हम ठीक है”,सारिका ने मरी हुई सी आवाज में कहा
“हमने जितना कहा है उतना कीजिये”,शिवम् ने सारिका की तरफ देखे बिना सख्त होकर कहा
“आप खामखा परेशान हो रहे है”,सारिका ने कहा


“हमने कहा ना जाकर अपना सामान लेकर आईये”,इस बार शिवम् ने थोड़ी तेज आवाज में कहा तो सारिका सहम गयी , उसकी आँखों में आंसू आ गये l वह अंदर गयी और मैनेजर से रूम की डुबलीकेट चाबी लेकर अपने कमरे में आई उसने अपना सामान पैक किया और बेग लेकर निचे आ गयी l शिवम् ने मुरारी से बैग गाड़ी में रखने को कहा और खुद आकर गाड़ी में बैठ गया l सारिका गाड़ी में आकर बैठी और फिर तीनो घर के लिए निकल गए l

घर आकर शिवम् ने राधिका से सारिका को अपने कमरे में ले जाने को कहा और खुद वापस आकर गाड़ी में बैठ गया l उसने गाड़ी स्टार्ट की और वापस मोड़ दी l मुरारी की उस से कुछ पूछने की हिम्मत नहीं हो रही थी l मुरारी ने शिवम् को इतना गुस्से में आज से पहले कभी नहीं देखा था l गाड़ी आकर अस्सी घाट पर रुकी शिवम् गाड़ी से उतरा और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया l

गाड़ी में बैठे बैठे मुरारी को शिवम् के इस व्यवहार पर गुस्सा आया उसने गाड़ी साइड में लगायी और निचे आया शिवम् निचे ही निचे बिल्कुल पानी से कुछ ऊपर वाली सीढी पर मुरारी की तरफ पीठ किये हुए खड़ा था l मुरारी आया और शिवम् से दो सीढ़ी पर आकर रुक गया और कहने लगा

“आखिर तुम खुद को समझते का हो ? तुमने एको बार भी भाभी………………..मेरा मतलब सारिका जी से नहीं पूछा की वो कैसी है ? उल्टा उन पर बार बार चिल्लाकर उन्हें तकलीफ काहे पहुंचा रहे हो ? यार वो इतना भरोसा करती है तुम पे और तुम हो के उनको दर्द पे दर्द दिए जा रहे हो l हम तुमरी हर बात मानते है चाहे वो सही हो या गलत लेकिन आज जो व्यवहार तुम सारिका जी के साथ किये हो हम बिल्कुल अच्छा नहीं लगा l

इस वक्त उनको तुमरी, तुमरे साथ की जरूरत थी और तुम ओको घर पे छोड़ के हिया चले आये , का तुमरे सीने मे दिल नहीं है या अब किसी के दर्द से तकलीफ ही नहीं ना होती तुमको ? सारिका जी पर चिल्लाकर अच्छा नहीं किये तुम ? “


शिवम् ख़ामोशी से सामने देखता हुआ सब सुनता रहा l मुरारी निचे आया और शिवम् का कंधा पकड़ अपनी तरफ करते हुए कहा,”अब चुप काहे खड़े हो ? जवाब काहे………………………………..!!”
शिवम् को देखते ही आगे के शब्द मुरारी के हलक में ही अटक गए l

शिवम् की आँखे आंसुओ से भरी थी और इस वक्त उसके चेहरे पर वो ही दर्द था जो कुछ देर पहले मुरारी ने सारिका के चेहरे पर देखा था l

Continue With Part Ranjhana – 19

Read Previous Part Here रांझणा – 17

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संजना किरोड़ीवाल

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Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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