शाह उमैर की परी – 38
Shah Umair Ki Pari-38
Shah Umair Ki Pari-38
शहर धनबाद में :-
”यह कौन सा कबाड़ उठा लाया है तू और तुझे क्या लगता है दिन भर उस परी के साथ घूमेगा तो वो तेरे झांसे में आ जायेगी? वो हसन खान की बेटी है और उस नुरैन की पोती जिसके वजह से हमारा खानदान मौत के घाट उतर गया ! ” रफ़ीक साहब ने सोफे पर रखे उमैर के कपड़ो को देखते हुए कहा…!
”ओफ्फो पापा आप भी ना! बेकार का गुस्सा हो रहे और यह कोई कबाड़ नहीं बल्की अल्लादीन का चिराग है !” आसिफ ने कहा !
”आखिर मेरे पेंशन से कब तक घर चलेगा? तुम खुद का कुछ क्यों नहीं करते हो आसिफ? इस झाड़ फूँक से कुछ हासिल नहीं होने वाला। इस ऑनलाइन काम में वो जो भी रक़म उठा कर देती है, तुम उसे चुप चाप रख लेते हो जब की तुम्हारा उस पर बराबरी का हक़ है !” रफ़ीक साहब ने फिर कहा !”मेरे प्यारे अब्बा, आप शांत रहे। वैसे भी घर में खाने वाला है ही कौन? मैं और आप। मैं तो वैसे भी ज्यादातर परी के घर पर ही खाना खाता हूँ !” आसिफ ने सोफे पर अंगड़ाई लेते हुए कहा !
”और वो लड़का कौन है? जिसे तुमने स्टोर रूम दिया है रहने को !” रफ़ीक साहब ने कहा !
“सब बताऊँगा, फिलहाल आप कुछ बना दे खाने को। बहुत भूख लगी है !” आसिफ ने पेट पर हाथ फेरते हुए कहा !
”कही तुम खुद की ही चाल में ना फस जाओ। इसलिए ध्यान से बेटे तुम्हारे अलावा मेरा इस दुनियाँ में है ही कौन..?” रफ़ीक साहब कहते हुए चले जाते है !
”पापा आप परेशान ना हो, मुझे कुछ नहीं होने वाला !” आसिफ कहता है फिर उमैर के उतारे हुए कपड़े को उठा कर अपने अल्मिराह में रख देता है !
परी कमरे में आती है तो देखती है उमैर बेड पर उदास बैठा होता है।
”क्या बात है? तुम गुमसुम क्यों बैठे हो ? तुम अभी तक जीन्स में क्यों हो ? लोवर पहन लो कम्फर्टेबले रहेगा !”
”पहन लूँगा फिलहाल आओ इधर मेरे पास बैठो !” उमैर कहता है तो परी उसके पास आकर बैठ जाती है !
”परी मैं आईने से अपने कमरे में नहीं जा पा रहा हूँ। लगता है उन्होंने मेरे लिए सारे रास्ते बंद कर दिये है !” परी की गोद में सर रख कर लेटते हुए उमैर ने कहा !
”कुछ काम है तुम्हे तो बताओ मैं चली जाती हूँ !” परी ने उमैर के बालों में अपने उँगलियों को फेरते हुए कहा !
”नहीं नहीं। तुम भूल कर भी मत जाना , मैं तुम्हारी जान को मुश्किल में नहीं डालना चाहता हूँ ! बस मुझे अपने बहनों की याद बहुत आती है उनके बगैर सब कुछ सुना है मेरी ज़िन्दगी में। बाकि मैं खुश भी हूँ के कम से कम तुम मेरे पास हो !” उमैर ने कहा !
”तुम्हारे मूड को ठीक करने का एक उपाय है मेरे पास चलो कही बाहर चलते है और आइस क्रीम खाते है। वैसे भी सर्दी बहुत है और सर्दियोँ में आइस क्रीम खाने का अलग ही मज़ा होता है !” परी ने कहा !
”पता नहीं तुम्हारी दुनिया में और कौन कौन सी अजीब चीज़ है खाने को !” उमैर ने कहा !
”वैसे बहुत लज़ीज़ चीज़ है आइस क्रीम एक बार खाओगे हमेशा खाना चाहोगे ! चलो ना खा कर आते है वैसे हम जाएंगे कैसे ?” परी ने कहा !
”तुम कही नहीं जा रही मैं लेकर आता हूँ आइस क्रीम हम साथ में छत पर बैठ कर खाएंगे मगर आइस क्रीम के पैसे तुम दोगी !” उमैर कहता है !
”नहीं मैं भी चलूंगी वरना रहने दो !” परी ने थोड़ा नाराज़ होकर कहा तो उमैर उसके पास आकर उसका हाथ थामा और वो दोनों कुछ सेकण्ड्स में ही आइसक्रीम पार्लर के सामने पहुच गए !
“वाओ उमैर क्या कमाल का जादू है, तुमने तो मुझे सेकण्ड्स में यहाँ पहुंचा दिया। जब की ऑटो से आने में आधे घंटे लगते है ! वैसे शॉप तो बंद है अब क्या करेगे हम?”परी ने चारो तरफ देखते हुए कहा !
” तुम यही रुको मैं अभी आया !” उमैर कहता और बंद शटर में आराम से शॉप के अंदर चला जाता है और थोड़ी ही देर में आइसक्रीम लेकर काउंटर पर पैसे रख कर वापस परी के पास आकर उसे आइस क्रीम खाने को देता है !
”मतलब आज तुम अपना जादू मुझे दिखा दिखा कर घायल कर डालोगे? बंद शटर से तुम आराम से शॉप के अंदर चले गए कैसे ?” परी ने आइस क्रीम लेते हुए कहा !
”परी सवाल नहीं चलो वापिस चलते है !” उमैर कहता है फिर वो वापिस परी के साथ घर की छत पर पहुँचता है ,
” सर्द हवाएँ , आधी रात , एक जिन और उसकी दीवानी, प्रेमिका छत पर एक साथ आइस क्रीम खाते हुए कितना रोमांटिस है ना सब ?” परी ने कहा !
अचानक उमैर को शरारत सूझती है तो वो परी को डराने के लिए धीरे धीरे खुद को लम्बा करता जाता है, इतना के उसकी हाइट मोबाइल टावर जितनी होती है। चेहरा पूरा सफ़ेद बेचारी परी के हाथ से डर की वजह से आइस क्रीम नीचे गिर जाती है। वो इतना डर जाती है कि उसके हलक से आवाज़ तक नही निकल रही होती !
”अब बोलो परी कैसा लग रहा है? है ना बिलकुल रोमांटिक मौसम ?” उमैर ने थोड़े डरावने अंदाज़ में उसके सामने झुकते हुए कहता है, तो परी बेहोश होकर गिरने लगती है वो उसे थाम लेता है वापस अपनी असली हालत में आकर उसके चेहरे पर फूँक मार कर उसे होश में लाता है !
”डरो नहीं बाबा मैं बस मज़ाक कर रहा था !” उमैर ने कहा !
”उमैर तुम बहुत बुरे हो डर से मुझे कही हार्ट अटैक आ जाता तो ? मैं मर जाती तो? जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती और तुमने तो मुझे आइस क्रीम भी खाने नहीं दी। मुझे वापस मेरे कमरे में पहुंचाओ मुझे नींद आ रही है!” परी ने गुस्से में कहा तो उमैर उसे गोद में उठा कर कुछ ही पल में उसके कमरे में पहुँचा देता है !
आसिफ सब कुछ अपने कमरे की खिड़की से देख रहा होता है !
”यह लो तुम्हारी आइस क्रीम और हाँ माफ़ी चाहता हूँ तुम्हे डराने के लिए वैसे तुमने देखा नहीं मेरी हाइट कितनी लम्बी हो गयी थी और तुम तो इत्ती सी हो मेरे कंधे तक भी नहीं आती। शायद तुम्हारी हाइट बढ़ना भूल गयी है !” उमैर ने परी को आइस क्रीम थमाते हुए मज़ाक से कहा !
‘’हाँ तो जाओ कोई लम्बी लड़की ढूंढ लो और यह आइस क्रीम अब तुम ही खाओ !” परी ने गुस्से में कहते हुए आइस क्रीम उमैर के चहरे पर लगा दी !
”खानी तो पड़ेगी तुम्हे वो भी मेरे चेहरे पर लगी हुई आइस क्रीम।” उमैर कहते हुए जैसे ही परी को पकड़ने के लिए उठता है तो परी बेड से उठ कर भागने की कोशिश करती है जिससे उसका पैर बेड के साइड से टकराता और वो बेड पर गिर जाती है साथ साथ उमैर भी लड़खड़ा कर उसके ऊपर गिर जाता है !
“सुनिए उठिए जरा !” नदिया जी ने हसन जी को उठाते हुए कहा !
”क्या हो गया बेगम? आधी रात को क्यों उठा रही हो ?” हसन जी ने पूछा !
”आप को परी के कमरे से बात करने और हँसने की आवाज़ सुनायी दे रही है क्या?” नदिया जी कहा ! ”आवाज़ का पता नहीं मगर मुझे नींद बहुत आ रही है तो मुझे सोने दे बेगम !” हसन जी ने करवट बदलते हुए कहा !
”ठीक सो जाये मैं खुद देखती हूँ !” नदिया जी ने कहते हुए अपने बेड से उतर कर आहिस्ता आहिस्ता परी के कमरे की तरफ जाती है और धीरे से उसके कमरे के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ी हो जाती है ! उससे पहले से उमैर को पता चल जाता है वो परी को चुप रहने का इशारा करता है ! मगर परी बार बार उसे अपने ऊपर से हटने के लिए कहती है तो वो उसका मुँह अपने हाथों से बंद कर देता है ! जब नदिया जी को तस्सली हो जाती है कि कही से कोई आवाज़ नहीं आ रही तब वो इत्मीनान होकर वापस अपने कमरे में सोने चली जाती है !
” जब मैं चुप रहने का इशारा कर रहा था तो तुमसे चुप नहीं रहा जा रहा था ! उधर तुम्हारी मम्मी तो तुम्हारी जासूसी कर रही है कही उन्हें शक तो नहीं हो गया है ?” उमैर ने कहा !
”करने दो उमैर। माँ बाप को हमारी फिक्र होती है तभी वो ऐसा करते है ! अब हटो मेरे ऊपर से तुम सो जाओ और मुझे भी सोने दो। बहुत नींद आ रही है !” परी ने उमैर को अपने ऊपर से धक्का देकर बेड पर गिराते हुए कहा !
”अच्छा ठीक है मगर मैं तुम्हारे पास ही सोऊंगा !” उमैर ने परी को पकड़ कर सोते हुए कहा !
”शरारती जिन जादे अपनी साइड में सोओ !” परी ने खुद को उमैर के गिरफ्त से अलग करते हुए कहा ! मगर उमैर कहा सुनने वाला होता है वो उसी तरह परी से चिपक कर सो जाता है !
Shah Umair Ki Pari-38
दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला :-
”तब भाभी आप के और इरफ़ान भाई के बीच कोई बात बनी के नहीं ? वैसे आज कल तो इरफ़ान भाई आप के ही आगे पीछे घूमते रहते है !” शहजादी मरयम अमायरा को छेड़ते हुए कहती है !
”अरे भाई क्यों नहीं घूमूँगा आगे पीछे? मेरी हमसफ़र है यह वैसे भी बीवी खुश तो ज़िन्दगी खुशहाल होती है !” शहजादे इरफ़ान उनके पास आते हुए कहते है !
अभी सब आपस में हँस बोल रहे होते है के शहजादे इरफ़ान को दूर से जिनो की फौज आती दिखाई देती है !
“अरे बाप रे इसका मतलब शहंशाह उस्मान ने सच में जंग छेड़ दी , तुम तीनों कमरे में जाओ और जब तक मैं ना आऊं बाहर नहीं निकलना मैं अब्बा को खबर देकर आता हूँ !” शहजादे इरफ़ान कहते हुए जल्दी से शाहशाह फरहान के पास जाते है !
”हुज़ूर शहशांह उस्मान ने हमारे क़बीले पर हमला कर दिया है वो पश्चिम की तरफ से आ रहे है, वो भी हज़ारों की तादाद में है !” आराम कर रहे शहशांह फरहान से गुलाम जिन ने कहा !
”आखिर के उस खबीस ने अपनी औक़ात दिखा ही दी , मैं यहाँ मामले को बात से ख़त्म करना चाहता हूँ और यह उस्मान आ गया अपनी फ़ौज को लेकर जाओ महल में सब को खबरदार करो !” शहंशाह ने कहा तो गुलाम जा कर जंग की शंख बजा देता है !
”अब्बा हुज़ूर अब हम क्या करेंगे? उन्होंने तो अचानक से हमला कर दिया !” शहजादे इरफ़ान दौड़ते हुए शंहशाह के पास आकर कहते है !
”करना क्या है? लड़ेंगे उनको उनकी औक़ात दिखाएंगे अपने सिपाहियों को इकट्ठा होने का हुक्म दो बाकी हम सब देख लेंगे !” शहेंशाह ने कहा !
इससे पहले के शहंशाह फरहान और शहजादे इरफ़ान कोई क़दम उठाते अचानक महल के बीचों बीच से एक बड़ा सा पेड़ गुज़रता हुआ अपने साथ कई गुलामों को कुचल कर रख देता है महल में चारों तरफ लाशें और खून बिखरे रहते है !
”इरफ़ान बच्चियों को महल से लेकर तुम निकलो मैं इनको देखता हूँ शाह ज़ैद और कौनैन मेरे साथ चलो !” शहंशाह फरहान ने कहा !
”मरयम तुम अमायरा और नफिशा को लेकर नीचे तहखाने में जाओ मैं अब्बा के पास जा रहा हूँ !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
”नहीं भाई हम सब लड़ेंगे आप जाये हम महल में रह कर उनसे लड़ेंगे हम बुजदिल नहीं है !” शहजादी मरयम ने कहा ! तभी अचनाक एक जिन उन पे तलवार से हमला करने वाला होता है अमायरा फ़ौरन ही उसे अपने हाथों के इशारे से उठा कर पटक देती है जिससे उसकी मौत वही पर हो जाती है !
”ठीक है तुम तीनों एक साथ रहना मैं उस उस्मान को देखता हूँ !” शहजादे इरफ़ान ने कहा फिर वो वहाँ से महल से बाहर चले जाते है जिधर उस्मान के गुलाम तबाही मचाये हुए रहते है !
”उस्मान क्या है यह सब? मैं कहता हूँ रुक जाओ इस तरह बेगुनाहो की जान लेकर तुम्हे क्या हासिल होगा ?” शहंशाह फरहान ने गरजते हुए कहा !
”यह सब मुझे बेइज्जत करने से पहले सोचना चाहिए था। अब बहुत देर हो चुकी है तुम्हारे पास दो रास्ते है, या पहले तुम सब के सामने मेरे कदमों में गिर कर माफ़ी मांगो और अपने क़बीले की हुकूमत मेरे नज़र कर दो। दूसरी मुकाबला करो मेरा अगर मैं हार गया तो मेरा क़बीला तुम्हारा !” शहंशाह उस्मान ने कहा जो के उस वक़्त अपने हाथों में पेड़ को थामे होते है !
”माफ़ी और तुझसे थू है तुझ पर !” शाहशाह फरहान उस्मान की तरफ थूकते हुए कहते है तो वो गुस्से में पेड़ उठा कर शाहशाह फरहान की तरफ फ़ेंक देता है इससे पहले के पेड़ से उनको चोट लगती शाह कौनैन पेड़ को इशारे से रोक कर वापस शहंशाह उस्मान की तरफ फ़ेंक देते है जिससे वो काफी घायल हो जाता है !
इस तरह दोनों क़बीले के लोगों के बीच जंग छिड़ी होती है महल चारो तरफ से खून और पेड़ की मोटी मोटी तनो से भरा होता है उधर शाहजादी मरयम और नफिशा अमायरा बाकी सब जिन जादियों को हमलें से बचा रही होती है ! जो क़बीला फूलों और ज़ाफ़रान की खुश्बू की तरह महकता था आज वहा चारों तरफ खून की बू फैली होती है !
शहंशाह उस्मान और शाहशाह फरहान के बीच काफी उठा पटक चल रही होती है अचानक शाहशाह फरहान, शहंशाह उस्मान को उठा कर इतनी जोर से पटकते है के उनकी मौत हो जाती है ! शहंशाह उस्मान का मरना था कि उनके सारे गुलाम घुटने के बल शाहशाह फरहान के सामने बैठ जाते है !
”पहले ही इसे मार देना चाहिए था बेकार में बे कसूर लोग मारे गए !” शाह कौनैन ने शाहशाह की तरफ देखते हुए कहा ! ”शहजादे इरफ़ान एक एक कर के सभी पेड़ को महल की दीवारों से निकालते है !
”तभी नफिशा दौड़ते हुए आती है और कहती है !” वो शहंशाह उस्मान का बेटा अल्तमश शहजादी मरयम को उठा कर ले गया !”
“तुम सब साथ में ही थी ना? फिर कैसे उठा ले गया वो मरयम को !” इरफ़ान ने पूछा !
”मरयम को चोट लगी थी तो मैं उन्हें और अमायरा आपी को ऊपर कमरे में छोड़ कर लेप लेने हकीम खाने में गयी थी जब वापस आती हूँ तो देखती हूँ के अमायरा आपी के सर पर चोट लगी है वो बेहोश पड़ी है और जब मैं बालकनी से देखती हूँ तो वो अल्तमश मरयम का मुँह दबाए अपने घोड़े पर सवार भाग रहा था !” नफिशा ने हाफ्ते हुए सारी बात बताई !
”किस तरफ गया वो मरयम को लेकर ?” शहजादे इरफ़ान ने पूछा !
”पूरब की तरफ जाते देखा मैंने !” नफिशा ने कहा ! तो शहजादे इरफ़ान फ़ौरन ही शाहज़ैद और कुछ गुलाम के साथ निकल जाते है मरयम की तलाश में !
क्रमशः shah-umair-ki-pari-39
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Written By- Shama Khan
“इश्क़ में नादानियां लाजमी है साहब ,
समझदार होकर यह कहा मुकम्मल हुआ है !“