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Love You जिंदगी – 77

Love You Zindagi – 77

Love you Zindagi
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मोंटी और रुचिका एक दूसरे को पसंद करते थे और नैना ने उनके दिल की बात को जानकर दोनों का रिश्ता ही करवा दिया। मोंटी नैना और रुचिका तीनो बालकनी में खड़े थे और ख़ुशी से मुस्कुरा रहे थे। रुचिका ने नैना को एक बार फिर गले लगाया और कहा,”सॉरी नैना मैंने तुम्हे गलत समझा।”
“अरे वो दोस्त ही क्या जो एक बार समझाने से समझ जाये”,नैना ने मुस्कुरा कर कहा
“रूचि नैना कभी कुछ गलत कर ही नहीं सकती है , शी इज सच अ डार्लिंग”,मोंटी ने कहा


“हां हां बेटा तू मक्खन लगाना बंद कर दोनों से पार्टी चाहिए और हां तुम दोनों बात करो मुझे कबाब में हड्डी नहीं बनना”,कहकर नैना वहा से चली गयी। मोंटी और रुचिका दोनों बालकनी में खड़े थे दोनों को ही शर्म आ रही थी ,, दोनों में कौन पहले बात शुरू करे कुछ समझ नहीं आ रहा था ? कुछ देर बाद मोंटी ने ही कहा,”सो तुम्हे अभी शादी नहीं करनी ?”
“किसने कहा ? मैं बचपन से शादी का सपना देख रही हूँ”,रुचिका ने मोंटी की और घूमकर जल्दी से कहा और जब मोंटी से नजरे मिली तो शरमा कर वह वापस पलट गयी। मोंटी ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे अपनी तरफ करके कहा,”अच्छा तो तुम्हे ये रिश्ता मंजूर है”


“अब भी जवाब चाहिए ?”,रुचिका ने मोंटी की और देखकर कहा तो मोंटी मुस्कुरा दिया और जैसे ही रुचिका को गले लगाने लगा पीछे खड़ी कुकू खासने का नाटक करने लगी और दोनों दूर हो गए। कुकू उनके पास आयी और कहा,”पहली मीटिंग में हग वग नॉट बेड , मतलब जान पहचान पहले से है ,,,,,,,,क्यों दी ?”
“शशशशशश धीरे बोल पापा ने सुन लिया ना तो”,रुचिका ने कुकू को चुप कराते हुए कहा
“जी हां जान पहचान पहले से है लेकिन थोड़ी सी तो सोचा उसे थोड़ा बढ़ा ले,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों मैं आपको पसंद नहीं आया ?”,मोंटी ने बड़े प्यार से कुकू से पूछा

तो कुकू मुस्कुरा उठी और कहा,”आप भी पसंद आये और आपका अंदाज भी ,,,, वैसे ये लव मैरिज को अरेंज में बदलने का आईडीया किसका था ?”
“हमारी नैना मेडम का”,मोंटी और रुचिका ने साथ कहा और दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा उठे
कुछ देर बाद तीनो बाहर हॉल में चले आये नैना बाकि लोगो के साथ वहा बैठी थी रुचिका आयी तो नैना ने उठते हुए शरारत से कहा,”बैठिये ना भाभीजी !”


“ये लो हमारी नैना बिटिया ने तो रुचिका को भाभी भी मान लिया”,शर्मा जी ने हँसते हुए कहा तो सभी हंस पड़े।
“हां लेकिन मोंटी और रुचिका से तो पूछ ले पहले उनकी हां है या नहीं”,उषा जी ने कहा और मोंटी की और देखा तो मोंटी ने हामी भर दी। कुकू को अपने होने वाले जीजाजी का नाम पसंद नहीं आया तो उसने कहा,”मोंटी ? ये कैसा नाम है ?”
“थोड़ा अजीब है ना ?”,नैना ने कुकू की और देखकर कहा
“हां बहुत ! कोई पूछेगा कुकू तुम्हारे जीजू कौन है और मैं कहूँगी मोंटी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हे हे हे हे हे”,कहकर कुकू हसने लगी और बाकि सब भी मुस्कुरा पड़े

“मानव शर्मा नाम है हमारा ,, मोंटी बस प्यार से बुलाते है घरवाले”,मोंटी ने कुकू से कहा
“हां हां जीजाजी समझ गए लेकिन हम तो आपको मोंटी जीजाजी ही बुलाएँगे वो भी प्यार से”,कुकू ने हँसते हुए कहा
सभी हॉल में बैठकर बातचीत करने लगे। बाहर हल्का अँधेरा होने लगा था आलोक जी ने सबको रात के खाने के लिए वही रोक लिया। आशा की मदद करने कुकू और उषा भी किचन में चली आयी , उधर दोनों पापा और मामाजी बैठकर सगाई और शादी का डिस्कशन करने लगे।

मोंटी और रुचिका घर के बाहर बने छोटे से लॉन में बाते करते हुए घूम रहे थे। नैना घर का मुआयना करते हुए ऊपर रुचिका के रूम में आयी और बेड पर बैठकर सोचने लगी,”चलो एक प्रॉब्लम तो खत्म हुई शर्मा जी का शादी का टॉर्चर खत्म हो गया और रुचिका को उसका शादी वाला राजकुमार मिल गया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे मानना पडेगा नैना क्या दिमाग पाया है तुमने ? कितनी आसानी से तुमने सब सेट कर दिया गुड़ गुड़”


नैना सोच में डूबी ही थी की रुचिका का फोन बजने लगा नैना ने फोन उठाया तो देखा स्क्रीन पर अवि का नाम आ रहा था उसने फोन उठाकर कान से लगा लिया लेकिन कुछ बोली नहीं तो अवि कहने लगा,”यार रूचि कुछ समझ नहीं आ रहा है , चंडीगढ़ आने के बाद तो बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा पहले दिल्ली में हर रोज सुबह उठते ही पड़ोसन को देखने की आदत थी लेकिन अब नहीं देख सकता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उसे बहुत मिस कर रहा हूँ यार ! ना काम में मन लग रहा है ना घर में दिनभर बस उसी के ख्याल आते रहते है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

तुम लोग जल्दी से जल्दी दिल्ली आ जाओ ना यार प्लीज मुझे उस से मिलना है,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे बताना ही भूल गया मैं लखनऊ गया था उसके घर लेकिन तुम तो जानती हो ना अपनी दोस्त को उसने भगा दिया मुझे वहा से ,,, ऊपर से ना जाने किस बात पर नाराज है , मुझे बाय तक बोलने नहीं आयी थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,खड़ूस !,,,,,,,,,,,,रूचि कुछ बोल ना यार तबसे मैं ही बोले जा रहा हूँ”
नैना ने सब सूना और कहा,”खड़ूस किसको बोला बे पडोसी ?”
“ए रूचि तुम्हारी आवाज को क्या हुआ है ? तुम नैना के जैसे बात क्यों कर रही हो ?”,अवि ने कहा


“नैना के जैसे बात नहीं बल्कि मैं नैना ही बोल रही हूँ मिस्टर पडोसी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बड़ा शौक है तुम्हे चुगलिया करने का और क्या कहा मैंने भगा दिया तुम्हे ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,तो क्या अपने बाप की जायदाद में पार्टनर बना लू तुम्हे ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरे ही दोस्तों से मेरी ही बुराई करते हुए शरम नहीं आयी तुम्हे ?”,नैना ने कहा तो अवि के हाथ से फोन गिरते गिरते बचा और उसने कहा,”नैना नैना नैना नैना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”
“क्या नैना नैना ? मैं देख रही हूँ पडोसी तुम्हारी जुबान कुछ ज्यादा ही चलने लगी है,,,,,,,,,,,,,!”,नैना ने कहा
“सॉरी !”,अवि ने धीरे से कहा तो नैना ने कहा,”अरे पडोसी सुनो मैंने क्या कमाल किया ?”


कहकर नैना ने हँसते खिलखिलाते अवि को मोंटी और रूचि के रिश्ते वाली सारी बात बता दी। नैना ने पहली बार शायद अवि से फोन पर इतनी बात की हो अवि तो उसकी आवाज सुनकर ही खुश हो गया था। नैना की बात सुनने के बाद अवि ने कहा,”तुम कोई भी काम सीधे तरीके से नहीं कर सकती ना ?”
“नाह १ सीधे रस्ते चलने वालो का पहले कटता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब घी जब सीधी ऊँगली से ना निकले,,,,,,!”.नैना ने कहा तो अवि बीच में ही बोल पड़ा,”तो ऊँगली टेढ़ी कर लेनी चाहिए”


“नहीं बल्कि घी को गरम कर लेना चाहिए , हर बात में ऊँगली करना जरुरी थोड़ी है”,नैना ने कहा
“तुम्हे तो खुद भगवान भी नहीं समझ सकते”,अवि ने अपना सर पीटते हुए कहा
“हम्म्म्म शायद ! लेकिन मैं बहुत खुश हूँ आज मेरे दोनों बेस्ट फ्रेंड की आपस में ही शादी होने वाली है”,नैना ने बेड पर पसरते हुए कहा तो अवि को अब जाकर समझ आया की रुचिका का रिश्ता किसी और से नहीं बल्कि उसी मोंटी से हुआ है जो नैना का बेस्ट फ्रेडं था और बार बार उसके और नैना के बीच आ रहा था।

अवि को समझ आया तो वह नाचने लगा और कहा,”मी टू !”
“अच्छा बाय मुझे काम है”,कहकर नैना ने फोन काट दिया और नीचे चली आई ! अवि ने फोन जेब में रखा और खुश होकर खुद से ही कहा,”अब नैना की लाइफ में कोई नहीं है”


नैना नीचे चली आयी और मोंटी के पास आकर कहा,”थोड़ी बातें शादी के बाद के लिए भी बचाकर रखो”
“ए नैना तुम्हारे बारे में ही बाते हो रही थी रुचिका बता रही थी तुम्हारे दिल्ली वाले किस्से”,मोंटी ने कहा
“अच्छा क्या बताया इस पांडा ने”,नैना ने रुचिका की और देखकर कहा
“ए पांडा वांडा नहीं चलेगा अब से , कितनी क्यूट तो है ये”,मोंटी ने रूचि की साइड आकर कहा
“ओह्ह हेलो ये बाबू शोना ना बाद में , अपने लिए तो ये अपनी पांडा थी पांडा है और पंडा रहेगी”,नैना ने हक़ से है


“अच्छा दोस्त की बीवी क्या होती है ?,,,,,,,,,,,,,,,,,भाभी,,,,,,,,,,,,,,,,,तो तुम भी इसे वही बुलाओगी”,मोंटी ने कहा
“अच्छा थी है बुला लेंगे”,नैना ने मुंह बनाकर कहा
“अच्छा और मुझे क्या बुलाओगी फिर ?”,मोंटी ने कहा तो नैना मुस्कुराई और कहा,”जोरू का गुलाम !”
बेचारा मोंटी मुंह बनाकर रह गया। कुछ देर बाद सभी को खाने के लिए इन्वाइट किया सभी साथ बैठकर खाना खाने लगे खाने के बाद मोंटी के पापा ने आलोक जी से कहा,”देखिये भाईसाहब ! रुचिका हमे बड़ी पसंद आयी ,

पंडित खानदान से है इसलिए दहेज़ हम लेंगे नहीं बस कोई अच्छी तारीख निकलवाकर इनकी सगाई कर देते है शादी इस साल ना करके अगले साल करेंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या है की रिश्तेदारी बहुत है ना सब जगह खबर करनी होगी और सबको बुलाना भी होगा”
“हां हां भाईसाहब कोई परेशानी नहीं है अभी रुचिका भी दिल्ली में जॉब कर रही है , 4 महीने बाकी है उसके बाद अगले साल शादी कर देंगे हमे भी तैयारियों के लिए थोड़ा वक्त मिल जाएगा”,आलोक जी ने कहा
“सुन ले मोटी अगले साल से तू मेरे घर में आई मीन मोंटी के घर में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सो हैप्पी”,नैना ने फुसफुसाते हुए रूचि के कान में कहा


“थैंक्स टू यू”,रुचिका ने कहा
“हां तो फिर दो हफ्ते बाद दीपावली से चार दिन पहले सगाई रख लेते है। आपको कोई ऐतराज ना हो तो मैं बदोबस्त करवा देता हूँ”,आलोक जी ने कहा
“हां भाईसाहब बिल्कुल फिर दिवाली के बाद मोंटी को भी वापस बीकानेर जाना है अपनी जॉब पर ,, दो हफ्ते बाद सही रहेगा और ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं हमारी तरफ से मेहमान कम ही आएंगे सगाई में क्या है ना बहुत लम्बा सफर है लेकिन शादी लखनऊ में करेंगे।”,इस बार मामाजी ने कहा


“हां जी बिल्कुल ठीक !”,आलोक जी ने कहा
सगाई तय हो गयी बाहर ड्राइवर गाड़ी स्टार्ट करके तैयार खड़ा था। सभी गाड़ी में बैठे और वहा से निकल गये। आलोक जी अंदर आये और आशा से कहा,”बड़े ही अच्छे लोग है , हमारी रूचि के लिए इतना अच्छा रिश्ता मिलेगा सोचा नहीं था”
“हां मुझे भी लड़का बहुत पसंद आया”,आशा ने कहा रुचिका सामने ही खड़ी थी आलोक जी ने उसे अपने पास बुलाया और कहा,”रूचि बेटा तुम खुश हो ना ?”


“हां पापा मैं बहुत खुश !”, रुचिका ने उनके गले लगकर कहा और सोचने लगी,”जिस से आप पसंद करते हो वही आपका लाइफ पार्टनर बने तो कितना अच्छा लगता है , थैंक्यू पापा एंड थैंक्यू नैना एंड थैंक्यू जिंदगी”

उधर गाड़ी में नैना को बैठे बैठे नींद आ गयी और उसका सर मोंटी के कंधे से जा लगा। सोते हुए वह बड़ी मासूम लगती थी मोंटी ने देखा तो उसके बालो की लट कान के साइड में करते हुए मन ही मन कहा,”पागल लड़की सबको खुशिया बांटते फिरती है , अपने लिए कभी कुछ नहीं सोचती। बस तुम्हारी जिंदगी में कोई ऐसा आ जाये नैना जो तुम्हे तुमसे भी ज्यादा प्यार करे , तुम्हारा ख्याल रखे , तुम्हारे साथ हर सुख दुःख में खड़ा रहे और हां जिसमे तुम्हारे मूड स्विंग्स झेलने की हिम्मत हो।

जो तुम्हे यकीन दिला सके की दुनिया में सब रिलेशनशिप बाबू शोना वाले नहीं होते है , कुछ मोहब्बतें अच्छी भी होती है और देखना एक दिन ऐसा जरूर आयेगा जब तुम्हे किसी से प्यार हो जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आहहह क्या पल होगा ना वो ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,प्यार का तो पता नहीं नैना लेकिन तुम इस दुनिया की सबसे अच्छी और सच्ची दोस्त हो कसम से ,,, थैंक्यू नैना और थैंक्यू इस जिंदगी को जिसने मुझे तुमसे मिलाया,,,,,,,,,,,,,,,,मेरा शैतान बच्चा सबको परेशान करके कैसे सो रहा है ?”
मोंटी ने भी सर पीछे सीट से लगा लिया और सो गया।

मोंटी और नैना के बीच जो रिश्ता था वो कभी कोई समझ ही नहीं पाया था दोनों ने इसे भले दोस्ती का नाम दिया था पर ये रिश्ता दोस्ती से भी बढ़कर और मोहब्बत से थोड़ा कम था। दोनों एक दूसरे को हमेशा समझते थे , सपोर्ट करते थे इन दोनो ने अपने परिवार , रिश्तेदार और समाज को ये दिखा दिया था की एक लड़का-लड़की दोस्त भी हो सकते है।
रातभर के लम्बे सफर में गाड़ी दो बार रुकी नैना और मोंटी घोड़े बेच के सो रहे थे। दोपहर के 3 बजे सभी वापस चित्रकूट पहुंचे सफर की वजह से नैना इतना थक चुकी थी की बिना कुछ खाये पिए ही सोने चली गयी।

रात में उषा ने उसे उठाकर मुश्किल से दो निवाले खिलाये और वह फिर सो गयी। अगली सुबह नैना उठी नहाकर आयी और नाश्ता किया तो विपिन जी का फोन आ गया। वे नैना को बहुत मिस कर रहे थे उन्होंने नैना से जल्दी घर आने को कहा। मोंटी को भी बीकानेर वापस जाना था इसलिए वह नैना के साथ उसकी गाड़ी लेकर लखनऊ के लिए निकल गया। रास्तेभर मोंटी नैना को रुचिका के बारे में ही बताता रहा और नैना मुस्कुराते हुए सुनती रही। घर पहुंचे गाड़ी साइड में लगाई और जैसे ही अंदर आये विपिन जी और आराधना ने आकर बरामदे में ही नैना को रोक लिया और कहा,”हमारे पास एक गुड़ न्यूज़ है”


“मेरे पास भी एक गुड़ न्यूज है”,नैना ने कहा
“ठीक है पहले तुम बताओ”,विपिन जी ने कहा।
“मोंटी की शादी तय हो गयी है वो भी रुचिका से”,नैना ने एक्साइटेड होकर कहा
“अरे वाह बहुत बहुत बधाई हो बेटा , रुचिका यहाँ आयी थी एक बार बहुत अच्छी लड़की है ,,, कॉन्ग्रैचुलेशन मोंटी”,विपिन जी ने कहा
“थैंक्यू अंकल !”,मोंटी ने कहा


“आप क्या बताने वाले थे ?”,नैना ने पूछा
विपिन जी और आराधना दोनों एक दूसरे की और देखकर मुस्कुराये और आराधना ने कहा,”शिला मौसी तुम्हारे लिए रिश्ता लेकर आयी है”
नैना ने जैसे ही सूना उसकी सारी ख़ुशी गायब हो गयी और उसने मन ही मन खुद से कहा,”माँ की आँख साला दुसरो का घर बसाने चले थे अपनी ही लंका लगा बैठे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इन सबको मिलके हमायी जिंदगी में भसड़ मचानी है।”

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