मनमर्जियाँ – 44
Manmarjiyan – 44
Manmarjiyan – 44
मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा गुड्डू जाती हुई शगुन को देखता रहा। गुड्डू कुछ देर वही बैठा रहा और फिर मिश्राइन के आवाज लगाने पर उनके साथ चल पड़ा। ये दूसरी बार था जब गुड्डू शगुन के साथ मंदिर में आया था। पंडित जी ने गुड्डू के हाथ पर मौली बांधते हुए कहा,”बहुत भाग्यशाली हो बेटा ,, तुम्हारे जीवन की सभी समस्याओ का अंत जल्द होने वाला है”
“सबसे बड़ी समस्या तो हमायी बगल में खड़ी है पंडित जी”,गुड्डू ने शगुन की और देखकर मन ही मन कहा। जब शगुन की नजर गुड्डू पर पड़ी तो गुड्डू सामने देखने लगा और उसे देखकर शगुन ने मन ही मन कहा,”आपकी जिंदगी में आने वाली हर समस्या मुझसे होकर गुजरे और आपको जिंदगी की हर ख़ुशी मिले”
पंडित जी ने दोनों को तिलक किया और फिर सभी वहा से घर के लिए निकल गए। घर आकर मिश्रा जी मेहमानो के साथ बिजी हो गए , मिश्राइन भी आये हुए मेहमानो को विदाई देने लगी। एक एक करके सभी मेहमान जाने लगे अंजलि भाभी और भूपेश तो सुबह ही चले गए थे। सब के जाने से घर खाली खाली लगने लगा था। दोपहर के खाने के बाद वेदी शगुन को अपने कमरे में ले आयी और बाते करने लगी , कुछ देर बाद रौशनी भी वहा आ पहुंची और शगुन के पास आकर बैठ गयी। रौशनी शगुन को बस घूरे जा रही थी शगुन ने थोड़ा असहज होकर कहा,”आप मुझे ऐसे क्यों देख रही है ?”
“माफ़ करना उह का है ना बहुते सुन्दर है आप , गुड्डू कितना किस्मतवाला है यही सोच रहे थे”,रौशनी ने कहा
“नजर ना लगाओ हमारी भाभी को रौशनी”,वेदी ने कहा
“अरे दद्दा हम काहे नजर लगाएंगे ,, वैसे हम इनको अपनी शादी में इन्वाइट करने आये है”,रौशनी ने कहा
“आपकी शादी है ?”,शगुन ने पूछा
“हां 7 दिन बाद और आपको हर फंक्शन में जरूर आना है”,रौशनी ने कहा तो शगुन मुस्कुरा उठी। जैसे जैसे रौशनी शगुन से बात करती गयी शगुन को अहसास हुआ की रौशनी अच्छी लड़की है। कुछ देर बाद रौशनी वापस चली गयी। दिनभर शगुन शादी में आये तोहफे कपडे देखती रही ,, कभी बाहर से कोई आता उस से मिलने तो उनके साथ बैठ जाती ,, सुबह से गुड्डू से बात करने का उसे मौका ही नहीं मिला। गुड्डू शाम को मनोहर के साथ मार्किट चला गया उसकी शादी की शॉपिंग के लिए। घर में नयी बहू आयी है सोचकर मिश्राइन ने रात का खाना शगुन की पसंद का बनवाया। सभी खाना खाने बैठे तो मिश्रा जी ने देखा गुड्डू वहा नहीं है।
“गुड्डू कहा है ?”,मिश्रा जी ने सवाल किया
“उह मनोहर के साथ गया है शादी की खरीदारी करने”,मिश्राइन ने जवाब दिया
“अरे नयी नयी शादी हुई है उसकी घर में रुकना चाहिए उसको”,मिश्रा जी ने कहा
“हम फोन कर देते है”,मिश्राइन ने कहा और उठकर चली गयी। मिश्रा जी ने पास खड़ी शगुन से कहा,”बिटिया खड़ी काहे हो आओ बइठो और खाना खाओ”
“नहीं पापा आपके बराबर में कैसे बैठ सकते है ? और उनसे पहले खाना भी गलत होगा”,शगुन ने धीरे से कहा तो मिश्रा जी मुस्कुरा उठे
“ठीक है बिटिया लेकिन गुड्डू का पता नहीं कब तक आएगा , तुमहू भी जाके कुछो खाय ल्यो”,मिश्रा जी ने कहा तो शगुन वहा से चली गयी। रात के 8 बज रहे थे गुड्डू अब भी बाहर ही था। शगुन ऊपर कमरे में चली आयी उसे घर की बहुत याद आ रही थी , गुप्ता जी और प्रीति के बारे में सोचते हुए उसकी आँखों से आंसू निकल आये। जैसे ही दरवाजा खुला शगुन जल्दी से खड़ी हुई और पल्लू सर पर रखकर आंसू पोंछ लिए। गुड्डू अंदर आया लेकिन शगुन को देखकर उसका दिल धक् धक् करने लगा। गुड्डू शगुन से नजरे चुराकर बाथरूम में घुस गया। हाथ मुंह धोकर वापस आया देखा शगुन वही है , शगुन ने हाथ में पकड़ा छोटा तौलिया गुड्डू की और बढ़ा दिया गुड्डू ने हाथ मुंह पोछा और बालो को सही करके कहा,”उह मनोहर के साथ बाहर गए थे उसकी शादी है ना तो कुछो खरीदना था उसे”
“हम्म्म कोई बात नहीं”,शगुन ने धीरे से कहा
अचानक गुड्डू के सर में हल्का सा दर्द हुआ तो गुड्डू सर दबाते हुए बिस्तर पर बैठ गया। शगुन ने देखा तो गुड्डू के पास आयी और जैसे ही गुड्डू का सर छुआ गुड्डू ने पीछे हटते हुए कहा,”का कर रही हो ?”
“मुझे लगा आपका सर दर्द कर रहा है”,शगुन ने कहा
“नहीं इसकी कोई जरूरत नहीं है , तुमहू दूर रहो हमसे”,गुड्डू ने कहा तो शगुन को अजीब लगा और उसने कहा,”मैं कुछ समझी नहीं”
“तुमहू जो सोच रही हो उह नहीं हो सकता हमने तुमसे शादी जरूर की पर हम किसी और से प्यार करते है”,गुड्डू ने जैसे ही कहा शगुन का दिल टूट गया ,गुड्डू के साथ जो सपने उसने देखे थे सब एकदम से चूर चूर हो गए। उसकी आँखो में आंसू भर आये और वह गुड्डू को एकटक देखने लगी। गुड्डू के जिस मासूम चेहरे से शगुन को लगाव हुआ था उसी मासूम चेहरे से आज कठोरता टपक रही थी। शगुन को अपनी और देखता पाकर गुड्डू कहने लगा,”हम जानते है तुमको इह सब सुनकर बहुते बुरा लग रहा होगा पर हम मजबूर थे ,, हम जिस लड़की से प्यार करते है उह हमारे लिए सबकुछ है लेकिन पिताजी नहीं चाहते थे की हमायी शादी उनसे हो इसलिए हमे ये शादी करनी पड़ी।”
शगुन बस बूत बनी गुड्डू की बात सुनते जा रही थी ना वह कुछ कहने की हालत में थी ना ही उसे गुड्डू पर गुस्सा आ रहा था , वह बस अंदर ही अंदर टूटते जा रही थी।
गुड्डू शगुन को सच बता चुका था इसके बाद क्या होने वाला था वह खुद नहीं जानता था ? गुड्डू ने शगुन को चुप देखा तो उठकर बाहर चला गया। शगुन की आँखो से आंसू बहने लगे अभी एक ही दिन पहले उसकी शादी हुई थी और इतनी जल्दी उसका दिल टूट गया। जिस गुड्डू से वह पहले मिली थी वह कोई और था , आज उसके सामने खड़ा गुड्डू कोई और था। शगुन ने अपने आंसू पोछे और साइड में पड़ा अपना सूटकेस उठाकर बिस्तर पर रखा और अपने बाहर रखे सामान को उसमे रखने लगी। शगुन का दिल भारी हो चुका था और घुटन होने लगी थी। कपडे बैग में रखते रखते एकदम से उसके हाथ रुक गए और उसे अपने पापा की कही बातें याद आने लगी,”अब वही तुम्हारा घर है बेटा , किसी भी तरह की ऊंच नीच ना होने पाए। कभी कुछ गलत लगे तो उसे सही करने की कोशिश करना लेकिन कोई गलत फैसला लेकर अपनी जिंदगी बर्बाद मत करना। मायके से बेटी की डोली जाती है और ससुराल से उसकी अर्थी इस बात को हमेशा याद रखना बेटा”
शगुन की आँखो में आंसू एक बार फिर भर आये उसने सूटकेस बंद कर दिया और साइड में रख दिया। कुछ समझ नहीं आ रहा था शगुन बाथरूम में आयी और मुंह धोया शीशे में जब खुद को देखा तो सबसे पहले मांग में भरा सिन्दूर नजर आया। शगुन शीशे में देखते हुए खुद से कहने लगी,”नहीं शगुन तुझे वापस नहीं जाना है ,, वापस जाकर क्या मुंह दिखाएगी पापा को , प्रीति को और घरवालों को। कितने धूमधाम से पापा ने तुम्हारी शादी की है अगर उन्हें ये सब पता चला तो उनका दिल टूट जाएगा और उनका भरोसा भी। गुड्डू जी के मम्मी पापा बहुत अच्छे है , उनकी यहाँ बहुत इज्जत है तुम ऐसे गयी तो क्या इज्जत रह जाएगी इनकी। अपनी ख़ुशी के लिए तुम इन सबका दिल नहीं तोड़ सकती शगुन ,, तुम्हे इस शादी को निभाना होगा , इस रिश्ते को निभाना होगा , अपने पापा का सर तुम ऐसे झुकने नहीं दे सकती शगुन। जो भी फैसला लो सोच समझकर लेना”
शगुन बाथरूम से बाहर चली आयी , वह काफी देर तक खुद से ही झुंझती रही लेकिन किसी फैसले पर ना पहुँच सकी। शगुन आकर सोफे पर बैठ गयी और अपने रिश्ते के बारे में सोचने लगी।
गुड्डू निचे आया उसे डर था की अब शगुन आकर सबको सब बता देगी और एक बार फिर गुड्डू को मिश्रा जी के गुस्से का सामना करना होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। गुड्डू ने थोड़ी देर इंतजार किया और फिर खाना खाने आ बैठा। लाजो ने गुड्डू के लिए खाना लगा दिया , जैसे ही गुड्डू ने पहला निवाला मुंह में रखा मिश्रा जी आकर उसकी बगल में बैठे और कहा,”सब है बेटा ?”
“का मतलब ?”,गुड्डू ने मिश्रा जी से पूछा
“हमहू पूछ रहे की तुम्हारे और बहू के बीच सब ठीक है ?”,मिश्रा जी ने सीधा सीधा पूछ लिया
“हां , काहे पूछ रहे है ?”,गुड्डू ने मन ही मन ड़रते हुए कहा
“तो फिर बाहर काहे घूमते रहते हो , तुम्हायी नयी नयी शादी हुई है घर में रहो , बहू को थोड़ा बक्त दो , घूमना फिरन यारी दोस्ती ना सब चलता रहेगा।”,मिश्रा जी ने दबी आवाज में कहा
“मतलब ?”,गुड्डू ने अनजान बनते हुए कहा
“कतई बौड़म इंसान हो यार तुम मतलब सारी बातें हमही समझाए , खुद का दिमाग भी इस्तेमाल कर लिया करो पड़े पड़े जंग लग जाएगा किसी दिन”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू ने कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप खाना खाता रहा। गुड्डू को खाते देखकर मिश्रा जी ने कहा,”बहू कहा है ?”
“ऊपर है कमरे में”,गुड्डू ने बिना उनकी और देखे कहा
“तो तुमु अकेले बैठ के ठुसे जा रहे हो , बहु से पूछा की उसने खाया या नहीं ? बस खाना देखा और टूट पड़े”,मिश्रा जी ने गुड्डू को घूरते हुए कहा
“उन्होंने खाना नहीं खाया ?”,गुड्डू ने मिश्रा जी की और देखकर कहा
“नाही का है की अभी से अपना पति धर्म निभाना शुरू कर दी है उह तुम्हारा पता नहीं कबो अकल आएगी,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए मिश्रा जी उठे और वहा से चले गए। अब खाना गुड्डू के हलक से नहीं उतर रहा था। उसने एक दो निवाले और खाये और उठकर हाथ धोने चला गया वापस आया तो देखा मिश्राइन हाथ में खाने की थाली लिए खड़ी थी। उन्होंने थाली गुड्डू की और बढाकर कहा,”बहू ने खाना नहीं खाया है इह लेकर जाओ उसके लिए”
“हम काहे लेकर जाये उनको जब भूख लगेगी उह खुद ही आकर खा लेगी”,गुड्डू ने कहा
“गुड्डू शगुन अभी इस घर में नयी है , यहाँ के तौर तरीके , रहन सहन सब उसके लिए नया है। धीरे धीरे उह सब सीख जाएगी और झिझक भी कम हो जाएगी और तुमहू तो उसे साथी हो तुम्हे तो उसका ख्याल रखना चाहिए। अब जियादा सवाल ना करो और इह खाना लेकर ऊपर जाओ और अपने हाथो से अपनी दुल्हिन को खिलाओ”,कहते हुए मिश्राइन ने थाली गुड्डू को थमा दी और चली गयी। कुछ उन्हें कुछ नहीं कह पाया और थाली लेकर ऊपर चला आया। कमरे के सामने आकर गुड्डू रुक गया उसका दिल धड़क रहा था कुछ देर पहले ही वह शगुन से सच बोलकर गया था पता नहीं उसे देखते ही शगुन कैसा रिएक्ट करेगी ? गुड्डू ने एक गहरी साँस ली और धीरे से दरवाजा खोलकर अंदर आया। अंदर आकर उसकी नजर शगुन पर पड़ी जो की सोफे पर सो रही थी। गुड्डू ने खाने की प्लेट स्टूल पर रखी और शगुन को देखने लगा ,, सोते हुए वह किसी मासूम बच्चे सी लग रही थी। शगुन को सोया देखकर गुड्डू ने उसे नहीं उठाया और बिस्तर पर पड़ी कम्बल लाकर शगुन को ओढ़ा दी। कमरे की लाइट बंद करके छोटी लाइट जला दी और खुद आकर बिस्तर पर लेट गया।
गुड्डू अभी बिस्तर पर लेटा ही था की उसका फोन बज उठा , गुड्डू ने फोन देखा पिंकी का कॉल था। गुड्डू उठा और कमरे से बाहर आकर ऊपर छत पर चला आया उसने फोन उठाकर कहा,”हैल्लो हां पिंकिया का हुआ ? सब ठीक है”
पिंकी – कुछ ठीक नहीं है गुड्डू , तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लग रहा है ,, बार बार दिल में एक ही ख्याल आता है की तुम उस शगुन के साथ हो
गुड्डू – हमहू उसके साथ है पर दूर है उस से
पिंकी – हम कैसे मान ले गुड्डू की तुम दूर हो ? मर्द हो आखिर कब तक दूर रहोगे कभी न कभी तो तुम भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
गुड्डू – कैसी बातें कर रही हो पिंकिया ? हमने उसे छुआ तक नहीं है
पिंकी – सच कह रहे हो गुड्डू ?
गुड्डू – तुम्हायी कसम झूठ काहे बोलेंगे , हमने उस से कह दिया की इह शादी हम पिताजी के कहने पर किये है और हम तुमसे प्यार करते है
पिंकी – क्या सच में ? (ख़ुशी से भरकर)
गुड्डू – हां पिंकिया , अब एक न एक दिन तो सच्चाई का पता लगना ही था ना
पिंकी – ये तुमने बहुत अच्छा किया गुड्डू अब देखना सुबह होते ही शगुन ये घर छोड़कर चली जाएगी और उसके बाद हम दोनों शादी करेंगे
गुड्डू – हम सही तो कर रहे है ना पिंकिया ? (गुड्डू ने बेचैनी महसूस करते हुए कहा)
पिंकी – ज्यादा मत सोचो गुड्डू अगर तुम्हे अपना प्यार चाहिए तो किसी ना किसी का दिल तो टूटेगा ही ना गुड्डू ,,, तुम बस अपनी ख़ुशी देखो सब अच्छा होगा
गुड्डू – कुछ समझ नहीं आ रहा है पिंकिया , काफी उलझ चुके है
पिंकी – गुड्डू हम है ना तुम्हारे साथ बस जैसा हम कहे वैसा करते जाओ ,, सब ठीक हो जाएगा
गुड्डू – हम रखते है पिंकिया
पिंकी – हम्म ठीक है गुड्डू सुबह बात करते है
गुड्डू ने फोन काट दिया और जैसे ही पलटा पीछे मिश्राइन खड़ी थी मिश्राइन को वहा देखते ही गुड्डू के चेहरे का रंग उड़ गया। मिश्राइन ने गुड्डू को देखा और कहा,”इतनी रात में किस से बात हो रही है ?”
“वो,,,,,,,,,,हम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उह प्रीति का फोन था अपनी बहन से बात करना चाहती थी”,गुड्डू सफ़ेद झूंठ बोल गया
“तो करवादो बात हिया का खड़े हो ?”,मिश्राइन ने कहा
“उह सो चुकी है इहलीये तो बाहर आकर हम कह रहे थे की सुबह बात करवा देंगे”,गुड्डू ने कहा तो मिश्राइन मान गयी और हाथ में पकड़ा दूध का गिलास गुड्डू की और बढाकर कहा,”इह ल्यो पि लेना और अंदर जाओ”
गुड्डू ने दूध पीकर ग्लास वापस मिश्राइन को दिया और कमरे में आकर मन ही मन कहा,”बच गए गुड्डू”
गुड्डू आकर सो गया और कुछ देर बाद उसे नींद आ गयी। मिश्राइन नीचे आयी तो देखा मिश्रा जी किसी गहरी सोच में डूबे है। मिश्राइन उनके पास आकर बैठी और कहा,”का बात है बहुते परेशान नजर आ रहे है ?”
मिश्रा जी ने मिश्राइन का हाथ अपने हाथो में लिया और कहा,”हां मिश्राइन गुड्डू को लेकर थोड़ा परेशान है , हमने उसकी शादी शगुन से करवाकर कोई गलती तो नहीं कर दी। उन दोनों के बीच कुछ ठीक नहीं लग रहा है हमे”
“कैसी बात कर रहे है ? सब कितने अच्छे से से निपट गया रही बात गुड्डू की तो धीरे धीरे वह शगुन को समझ जाएगा ,,आपका लिया फैसला कभी गलत नहीं हो सकता , आप खामखा चिंता कर रहे है”,मिश्राइन ने कहा तो मिश्रा जी को थोड़ा अच्छा लगा और वे कहने लगे,”हां मिश्राइन माँ बाप कोई भी फैसला बच्चो की भलाई के लिए ही लेते है लेकिन अब डर लग रहा है की कही मेरे इस फैसले की वजह से गुड्डू और शगुन की जिंदगी ख़राब ना हो जाये”
“का मिश्रा जी आप ऐसी बातें कर रहे है ? शगुन बहुते समझदार है उह हमाये बेटे को सुधार भी देगी और उसे अपना भी बना लेगी”,मिश्राइन ने कहा
“कैसे ?”,मिश्रा जी ने हैरानी से कहा
“जैसे हमने सुधारा है”,मिश्राइन ने शरारत से कहा
“मतलब हमहू बिगड़े हुए है , का मिश्राइन सास बन गयी हो लेकिन बकैती करना नहीं भूली हो”,मिश्रा जी ने कहा तो मिश्राइन मुस्कुरा उठी और उन्हें मुस्कुराता देखकर मिश्रा जी भी मुस्कुराने लगे !
क्रमश – manmarjiyan-45
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संजना किरोड़ीवाल
Pata nahi ye pinki kya karegi ..or guddu ke pass pana dimag nhi hai kya..jaise pinki bol rhi hai waise hi kar raha hai..bhagwan kare pandit ji ki baat sach ho jaye..or itna to smjh gaye ham ki pinki guddu se sirf pauso ke.liye shaadi kar rahi hai..ab shagun ko hi kuch karna hoga golu ke saath milke
Ye guddu etna galt kaise kar sakta hai shagun ke sath…i hope ki use jaldi smjh aa jaye ki pinky uske liye sahi nahi hai aur wo shagun ke sath galt kar raha hai…Aur ye goli kaha gya ab yahi sayad sab kuch thik karne me shagun ki help kare…
मैम ये गुड्डू के सिर से पिंकी का भूत उतरा नहीं हैं….अब शगुन को भी चाहिए कि वो गुड्डू को इग्नोर करें और उससे कोई मतलब ना रखें….अभी गुड्डू हीरो नहीं विलेन लग रहा हैं… पिंकी तो शुरू से मतलबी हैं….पर जब खुद का सिक्का खोटा हो तो दूसरो को क्या दोष देना…अच्छी बात ये हैं कि शगुन को उस घर में बाकि सबका सर्पोट हैं…और गोलू जैसा देवर भी हैं…जो जरूरत पडने पर अपनी भाभी के लिऐ कुछ कांड जरूर करेगा😊 superb part👌👌👌👌👌
Aj to guddu k uper bhut hi gussa aa rha h bilkul hi paagal hota ja rha h pinki k chakkar m
guddu to bail buddi ho rha hai
Guddu to khud ki lanka khud lgwa ra hh… Bel budhi hh btaa hdd ho gyii😏😏😏
Y pinki achha nhi kr rhi h bt jb guddu ko akl ayegi n tb isko chhodega nhi bus Shagun sb pyar s shi kr de good luck shagun
I hate this pinki naam ki chudail…
Lagta hai ye guddu such mein baura gaya hai bilkul bhi dimag nahi hai Pinky ke baat manta he ja raha hai aur Shagun ko bhi Dukhi kar raha hai please mam kisi ko bhejo jo is Pinky ke pol khol de…🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कब बजेगी गुड्डू की बैंड???कब शगुन गुड्डू को छोड़कर जाएगी??? शायद तभी गुड्डू को कुछ एहसास हो… वरना तो गुड्डू खुद अपना सत्यनाश करने जा रहा है…संजना जी उसे थोड़ी बुद्धि दे
Wah re guddu bhaiya…. Jab tak shagun pinkiya ka band nahi bajeyegi…. Tab tak pinkiya na sudheregi….😜
Sach aaj bahut bura lag raha h Shagun k liye galti pinki k nahi hai life m achche bure sab log milte hai hum galti b karte hai par agar hum galti karke b sabak na le to sach m hum murkh hai or Guddu khud ko murkh sabit kar raha hai.
Very beautiful