Manmarjiyan Season 3 – 78

Manmarjiyan Season 3 – 78

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गुप्ता जी का घर , कानपूर
रात के 10 बज रहे थे लेकिन शाम का गया गोलू मिश्रा जी के घर से अभी तक वापस नहीं आया था। गुप्ता जी को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योकि उन्हें पता था गोलू कई बार रात रात भर गुड्डू के यहाँ रुक जाता था। वे मस्त अपना आँगन की सीढ़ियो पर बैठकर हथेली में अपना चुना और खैनी रगड़ रहे थे। गुप्ताइन ने देखा गोलू अभी तक नहीं आया है तो पिंकी से कहा,”पिंकिया ! ए पिंकिया , ज़रा गोलुआ को फोन लगाकर पता तो करो कहा है उहहह ?”
“माँ जी , गोलू का फोन तो पापाजी ने तोड़ दिया था ना किसपे करे ?”,पिंकी ने कहा


“अरे तो गुड्डू के फ़ोन पर फोन कर ल्यो , उसी के साथ होगा”,गुप्ताइन ने कहा
पिंकी ने अपने फोन से गुड्डू का फोन लगाया रिंग जा रही थी। वही दूसरी तरफ सीढ़ियों पर बैठे गुप्ता जी हथेली में रगड़ी खैनी को चुटकी में उठाकर जैसे ही मुँह में धरने को हुए अपने बगल में बैठे मंगल फूफा को देखकर डर गए और पीछे हटे तभी सामने गमले के पास पड़ा फोन बजा
“भूत पिशाच निकट नहीं आवे , महावीर जब नाम सुनावे”


मंगल और गुप्ता जी ने हैरानी से फोन वाली दिशा में देखा ,गुप्ता जी उठे और फोन उठाकर देखा। उन्होंने फोन उठाया और कान से लगाकर कहा,”हेलो”
“हेलो , गुड्डू”,पिंकी ने कहा उसे गुड्डू की आवाज थोड़ी भारी लगी
“अरे गुड्डू नाही हम गज्जू गुप्ता बोल रहे है , कहा फोन किये हो भाई ?”,गुप्ता जी ने कहा वे भी पिंकी की आवाज पहचान नहीं पाए


गुड्डू के फोन पर गुप्ता जी की आवाज सुनकर पिंकी ने कहा,”पापाजी आप गुड्डू के यहाँ क्या कर रहे है ? अब वहा चले ही गए है तो फिर गोलू जी को भी साथ ले आईयेगा माजी ने कहा है,,,,,,,,!!”
पिंकी ने अपनी बात कही और फोन काट दिया उसने गुप्ता जी का जवाब भी नहीं सुना और गुप्ताइन से आकर कहा,”माजी , पापाजी गुड्डू के घर ही गए हुए है  शायद गोलू को लेने गए हो,,,,,,,हमने कहा है उनसे उन्हें साथ लेकर आने को”


“जे बाप-बेटा जब देखो तब गुड्डू से काहे चिपके रहते है ? खैर जो भी है हमहू रसोई मा जा रहे है बाकी का काम निपटा दे जरा , उह्ह दोनो बाप बेटे आ जाये तो तुमहू गोलू से कहकर घर का मेन गेट लगवा देना और मंगल फूफा और ओह्ह के आदमियों का बिस्तर वहा सामने वाले कमरे मा लगवाए है उह्ह सब वहा सो जायेंगे , अब इत्ती रात मा कहा जायेंगे बेचारे इह लोग भी,,,,,,,,,,!!”,गुप्ताइन ने कहा
“जी माजी”,पिंकी ने कहा और अपने कमरे में चली गयी। कमरे में आकर पिंकी ने भारी भरकम साड़ी निकाली और नहाकर फ्रेश होने के बाद कॉटन का सूट पहन लिया।

वह बिस्तर पर आ बैठी और गोलू के आने का इंतजार करने लगी , आज वह गोलू को समझाकर ही रहेगी। पिछले कुछ दिनों से गोलू जो कर रहा था या उस बेचारे के साथ जो हो रहा था वो सब देख देख कर पिंकी परेशान हो चुकी थी। साथ ही उसे गोलू के बहुत बुरा भी लग रहा था कि उसका पति से मार खा रहा है , गालियाँ सुन रहा है और अनचाही मुसीबत में फंस रहा है। पिंकी गोलू के बारे में सोच ही रही थी कि तभी उसका फोन बजा। पिंकी ने अपना फोन उठाया। स्क्रीन पर अपनी मम्मी का नाम देखकर पिंकी के चेहरे के भाव बदल गए।

जबसे शर्मा जी ने गोलू को पागलखाने भेजा था तब से पिंकी अपनी मम्मी और शर्मा जी से गुस्सा थी लेकिन अपनी मम्मी का फोन आया देखकर पिंकी ने फोन उठाया और कान से लगाकर रूखे स्वर में कहा,”हेलो”
“हेलो पिंकिया ! कैसी हो बिटिया ? गुप्ता जी की तबियत अब कैसी है ?”,शर्माईन ने कहा
“हम कैसे भी है उस से आपको और पापा को क्या फर्क पड़ता है मम्मी ?”,पिंकी ने चिढ़े हुए स्वर में कहा


“अरे बिटिया काहे इत्ता गुस्सा हो हम पर ? हम मानते है तुम्हाये पापा ने दामाद जी के साथ अच्छा नाही किया पर हम लोगो को अपनी गलती सुधारने का एक ठो मौका तो देओ,,,,,,,!!”,शर्माईन ने कहा
“कैसा मौका ?”,पिंकी ने हैरानी से कहा
“तुम्हाये पापा चाहते है कल तुम और दामाद जी कल शाम खाने पर आ जाओ , शादी में जो सोने की चेन दामाद जी को दी थी ओह्ह की जगह तुम्हाये पापा ने दामाद जी के लिए नयी चैन बनवा दी उह्ह देकर कल तुम्हाये पापा गोलू जी से अपनी गलती की माफ़ी भी मांग लेंगे और तुम्हायी शिकायत भी दूर कर देंगे”,शर्माईन ने कहा


पिंकी ने सुना तो हैरानी से कहा,”जे बात पापा ने खुद कही है , हम मान ही नहीं सकते मम्मी , अरे ! पापा तो गोलू की जान के दुश्मन बने बैठे है वो गोलू से माफ़ी मांगना तो दूर उसे देखकर ही भड़क जायेंगे,,,,,,,,,,,,नहीं मम्मी हम गोलू को वहा लेकर नहीं आएंगे , हम अपने पति की अपने मायके में और बेइज्जती  नहीं करवा सकते,,,,,,,!!”


शर्मा जी शर्माईन के पास ही बैठे थे इसलिए उसके हाथ से फोन लेकर कहा,”पिंकी , अगर तुम्हरा उह्ह राजकुमार पति यहाँ बिना कोनो गड़बड़ किये आया तो  कोई ओह्ह्ह की बेइज्जती नाही करेगा , ओह्ह से कहना बस थोड़ा तमीज से आये,,,,,,,,और तुम्हरी मम्मी जो कह रही है उह्ह सही है , कल शाम गोलू जी के साथ खाने पर आ जाओ तुम , उन्हें हमसे जो भी शिकायते है बैठकर बात कर लेंगे”
 शर्मा जी ने पिंकी का जवाब सुने बिना ही फोन वापस शर्माईन को दे दिया तो दूसरी तरफ से पिंकी ने कहा,”देखा मम्मी ! पापा अभी भी गोलू के लिए कितनी नफरत से बात कर रहे है,,,,,,,,!!”


“अरे ऐसा नहीं है पिंकिया ! तुम तो जानती हो ना अपने पापा का स्वाभाव जे हमेशा से ऐसे ही है और फिर हम कह रहे है ना कल गोलू जी और तुम्हारी सारी शिकायते दूर कर देंगे , गोलू जी कहा है लाओ बात करवाओ उनसे हम उन्हें ही कह देते है,,,,,,,!!”,शर्माईन ने कहा
“गोलू तो अभी बाहर गया है मम्मी पर आप हमे ये बताईये आप सच कह रही है ना , पक्का कल आप लोग गोलू की बेइज्जती नहीं करेंगे”,पिंकी ने पूछा , उसे अभी भी अपने घरवालो पर भरोसा नहीं था


“तुम्हायी कसम बिटिया , अरे घर के दामाद के साथ हम ऐसा क्यों करेंगे ? गोलू जी बहुत अच्छे दामाद है बस कभी कभी थोड़ी गड़बड़ कर देते है।”,शर्माईन ने कहा तो पिंकी थोड़ा उदास हो गयी और कहा,”हाँ मम्मी ! अच्छा तो वो है पर पिछले 4 दिन से तो ऐसा लग रहा है जैसे उस पर शनि देव की साढ़े साती चल रही हो , अच्छा करने जाता है और सब गड़बड़,,,,,,,,,!!”


“अरे तुमहू उसकी चिंता भी नाही करो,,,,,,,,अपने बगल वाले जो पडोसी है ना उनके यहाँ कल शाम में ज्योतिषी आएंगे उन्हें घर बुलाकर गोलू जी का हाथ भी दिखवा देंगे , का पता सच मा कोनो परेशानी हो,,,,,,,,,,,तुम परेशान ना हो बस कल समय से आ जाना , अभी हम रखते है अपना ख्याल रखना”,शर्माईन ने कहा
“ठीक है मम्मी , आप भी अपना ख्याल रखना हम गोलू जी से पूछकर कल सुबह आपको फोन कर देंगे”,पिंकी ने कहा और फोन काट दिया


उसने फोन साइड में रखा और बिस्तर पर लेट गयी , पिंकी का मन अब थोड़ा हल्का और शांत था उसके पापा और गोलू के बीच जो ग़लतफ़हमी है वो कल दूर हो जाएगी और गोलू की जिंदगी से थोड़ी परेशानिया तो कम होगी। यही सब सोचते हुए पिंकी की आँख लगी और वह सो गयी।

गुप्ता जी फोन को उलट पलट कर देखा और कहा,”जे किसका फोन है ? और बहु जे फोन पर काहे फोन की ? अंदर लेजाकर रख देते है जिसका होगा ले जाएगा”,बड़बड़ाते हुए गुप्ता जी अंदर जाने लगे तो देखा सीढ़ियों पर खड़ा मंगल यादव के घर की तरफ नजरें गड़ाये खड़ा था। गुप्ता जी उसके पास आये और उसकी गुद्दी पकड़कर उसे पीछे खींचकर कहा,”अबे मंगलू ! जिह फुलवारी के चक्कर मा इत्ता बड़ा तमाशा हुआ तुमहू अभी भी ओह्ह के घर मा झांक रहे हो , अबे सुधर जाओ ! तुम्हायी ओकात से बाहिर है उह्ह , ओह्ह के घर मा पति है चार बच्चे है साले शर्म कर ल्यो,,,,,,,!!”


“सच्चे प्यार मा जे सब नाही देखा जाता गुप्ता जी”,मंगल ने मदहोशी भरे स्वर में कहा
गुप्ता जी ने उसके सर के बालों को मुट्ठी में पकड़ा और सर हिलाते हुए कहा,”तुम्हरी प्यार करने की उम्र निकल चुकी है,,,,,,,,,,,हमहू तो कहेंगे 4 बार निकल चुकी है , इहलीये फुलवारी का ख्याल अपने दिमाग से निकालो और सुबह अपने गाँव की ट्रेन पकड़ ल्यो”


“अब तो जे आशिक़ अपनी महबूबा को साथ लेकर ही जाएगा गुप्ता जी,,,,,,,,चाहे जे के लिये हमे अपने सीने पर गोली खानी पड़े”,मंगल फूफा ने अपनी छाती पर जोर से थाप मारकर कहा लेकिन बेचारे में इतनी ही जान थी इसलिए थाप पड़ते ही लड़खड़ा गया उसकी सांस अटक गयी। गुप्ता जी ने देखा तो बांह पकड़कर रोकते हुए कहा,”अबे धीरे , कल भी साँस लेनी है,,,,,,,,,,,,,,तो मतलब तुमहू इह घर से नाही जाओगे ?”
“फुल को लिए बिना तो नाही जायेंगे,,,,,,,!!”,मंगल ने कहा


“हमको लगता था सिर्फ गोलुआ की किस्मत खराब है पर अब समझ आ गवा तुम्हरी भी साढ़े साती शुरू हो चुकी है,,,,,,,,,फूल के चक्कर मा भंवरा बने घूमो हमहू जाते है सोने वैसे भी आज के लिए इत्ता तमशा काफी है”,कहकर गुप्ता जी वहा से चले गए और मंगल फूफा 16 साल के आशिक़ की तरफ फिर यादव के घर की तरफ टकटकी लगाकर देखने लगा , इस चक्कर में बेचारे उसके आदमी भी बाहर ही बैठे रहे और हाथ पैरों पर काटते मच्छरों को मारते रहे।

लल्लन के अड्डे से निकलकर गुड्डू और गोलू ऐसे भागे जैसे मैराथन की दौड़ में हिस्सा लिए हो। अभी रात के बज रहे थे 10 और कानपूर में इस वक्त रौनक रहती ही है लेकिन गुड्डू और गोलू को नहीं पता था वे कानपूर के किस कोने में है। भागते भागते दोनों सड़क किनारे चले आये लेकिन सुनसान सड़क पर एक गाड़ी तो छोडो एक इंसान तक दिखाई नहीं दिया उन लोगो को , गुड्डू भागते भागते थक चुका था इसलिए रूककर हांफने लगा। गोलू ने देखा तो वह भी रुक गया और गुड्डू के पास चला आया।

गुड्डू ने गोलू की तरफ देखा और कहा,”अब हम और नाही भाग पाएंगे गोलू,,,,,,,,,,,आज रात के लिए यही कोई जगह देखकर रुकते है अँधेरे में ऐसे ही भागते रहे तो कही नाही पहुँच पाएंगे”
“बात तो सही है आपकी , वहा उह्ह खम्बे के पास चलते है वहा थोड़ी रौशनी है,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा और गुड्डू के सड़क के दूसरी तरफ खाली मैदान में चला आया , उबड़ खाबड़ जमीन थी गुड्डू और गोलू बहुत संभलकर आये और खम्बे से कुछ दूर एक जगह आकर बैठ गए , जहा खम्बे की हल्की रौशनी आ रही थी।

गोलू कुछ कहने की हालत में नहीं था उसको तेज प्यास लगी थी लेकिन आस पास पीने को पानी नहीं था , तभी एक मटका दिखा तो गोलू ने लपककर उसे उठाया और देखा उसमे पानी नहीं था उलटा मटके में छेद देखकर गोलू चिढ गया और कहा,”पक्का जे छेद प्रॉयमरी स्कूल का उह्ह प्यासा कौवा किये रहय , पत्थर डाल के पानी पीया और चोंच मार के छेद भी कर दे रहा,,,,,,,,,भक्क साला”
कहकर गोलू ने मटका सामने फेंक दिया और वह फूट गया ये देखकर गुड्डू ने कहा,”तुमहू थोड़ी देर के लिए शांति से नाही बैठ सकते का गोलू ?”


“ए गुड्डू भैया ! हम पे ना जियादा रौब दिखाने की जरूरत नाही है , एक तो साला आपके चक्कर मा पानी तक नसीब नाही हुआ हमे,,,,,,,मरे जा रहे है प्यास से”,गोलू ने चिढ़कर कहा
“हाँ हमहू तो जैसे 56 भोग खाकर बैठे है”,गुड्डू ने भी चिढ़ते हुए कहा
56 भोग का नाम सुनते ही गोलू और ज्यादा चिढ गया और कहा,”नाम नाही ल्यो 56 भोग का साला मिश्रा जी आज 56 भोग के नाम पर जो धोखा दिए है ना हमको , साला जिंदगीभर याद रहेगा हमे”


“अरे तो यार ओह्ह मा हमायी का गलती है ? एक तो साला उह्ह लबली जब से हमायी जिंदगी मा आवा है तब से बत्ती बनी हुई है हमायी , जहा जा रहे है मार खा रहे है , जिधर जा रहे है मार खा रहे है , साला समझ मा नाही आ रहा जाये तो जाये कहा करे तो करे का ?”,गुड्डू ने रोआँसा होकर गोलू से कहा लेकिन गोलू का ध्यान तो हाथ में पकडे दोने पर था जिसमे लड्डू , इमरती , बर्फी के साथ नींबू रखा था। गोलू ने गुड्डू की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और इमरती उठाकर खाने लगा।

गुड्डू ने देखा गोलू उसकी बात पर कोई जवाब नहीं दे रहा तो गोलू को खाते देखकर रोआँसा होकर कहा,”का खा रहे हो अकेले अकेले ?”
गोलू ने आधी बची इमरती गुड्डू की तरफ बढ़ा दी और दोने में रखा लड्डू उठाकर खाने लगा , भूख से बेहाल गुड्डू ने भी आधी इमरती ली और खाते हुए कहा,”जे कहा से आयी तुम्हरे पास ?”
“यही बगल मा धरी थी”,गोलू ने कहा


गुड्डू ने जैसे ही गोलू के बगल में देखा उसका गला सूख गया , आँखे बाहर आ गयी और हाथ डर से काँपने लगा और गोलू अभी भी मजे से लड्डू खा रहा था।
गोलू को इतने आराम से लड्डू खाते देखकर गुड्डू ने उसके हाथ से आधा लड्डू छीनकर फेंकते हुए कहा,”अबे गोलू ये टोटके के लड्डू है,,,,,,,,,,!!”


“ओह्ह से का होता है ?”,गोलू ने लापरवाही से कहा और जैसे ही अपने बगल में देखा इंसानी हड्डियों के साथ उसे टोटके का सामान दिखा , मिठाई का दोना भी गोलू ने वही से उठाया था। जैसे ही उसे समझ आया कि उसने टोटके वाली मिठाई खा ली है और इस वक्त वह और गुड्डू श्मशान घाट में बैठे है तो गोलू मारे डर के थर थर काँपने लगा और मुँह फाड़कर रोते हुए गुड्डू की तरफ पलटकर कहा,”अह्हह्ह्ह्ह गुड्डू भैयाअअअअअ , अरे हमने टोटके वाली मिठाई खा ली ,

अब तक इंसान हमायी बत्ती लगाय रहे थे अब भूत-प्रेत , चुड़ैल हमायी फील्डिंग सेट करेंगे,,,,,,,,अरे थोड़ा सा स्वीट डिश खाने के चक्कर मा हमहू भूतो का डिनर बन जायेंगे गुड्डू भैया,,,,,,,,,,अरे तुम्हरी ददिया यहाँ मरने के बाद आयी रही हमहू जीते जी चले आये रे , ए हमको भरी जवानी मा ऐसे नाही मरना है गुड्डू भैया,,,,हमको बचाय ल्यो”
कहते हुए गोलू गुड्डू चिपक गया , डर तो गुड्डू को भी लग रहा था क्योकि आज से पहले ऐसा भयानक काण्ड तो उन दोनो ने नहीं किया था।

गुड्डू कुछ सोचता इस से पहले गोलू ने कहा,”गुड्डू भैया , गुड्डू भैया हमको लगता है आत्मा हमाये अंदर घुसने की कोशिश कर रही है , हमको धीरे धीरे कुछो चुभ रहा है गुड्डू भैया,,,,,,लगता है कोनो जवान खूबसूरत चुड़ैल है गुड्डू भैया”
ऐसे समय में भी गोलू को बकैती करके गुड्डू ने कहा,”तुम्हे कैसे पता चुड़ैल है और उह्ह भी जवान खूबसूरत,,,,,,,,!!”
“का है कि उह्ह्ह हिया हमाये दिल पर चुभ रही है लगता है उसका इरादा यही से हमाये अंदर जाने का है,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह”,गोलू ने कहा


गुड्डू ने गोलू का हाथ उसके सीने से हटाया तो देखा उसकी जेब में कुछ है , गुड्डू ने उसकी जेब में हाथ डाला तो उसमे बिजली सॉकेट का एक छोटा फ्यूज था और उसी का हुक गोलू को चुभ रहा था। गुड्डू ने गोलू की गुद्दी पकड़कर उसे फ्यूज दिखाते हुए कहा,”तुमको जे चुड़ैल दिखती है ? तुमहू साले खुद तो डर रहे हो हमे भी डरा रहे हो,,,,,,,उठो यहाँ से और चलो इह से पहिले की कोनो गड़बड़ हो”

 गुड्डू उठा और गोलू को भी उठाया , गोलू अभी भी डर से काँप रहा था चलते चलते उसने नीचे पड़ा निम्बू उठाया और लेकर गुड्डू के साथ आगे बढ़ गया। इतने बड़े श्मशान घाट में गुड्डू और गोलू अकेले थे , दोनों को ही नहीं पता जाना कहा है इसलिए गुड्डू ने कहा,”गोलू ! सीधा सीधा चलते है कही न कही निकल ही जायेंगे,,,,हमाओ हाथ नाही छोड़ना और पीछे पलटकर तो बिल्कुल नाही देखना समझे,,,,,,,!!”


“ठीक है,,,,,,!!”,गोलू ने कहा और गुड्डू बजरंगबली का नाम लेकर गोलू के साथ आगे बढ़ गया। चलते चलते गुड्डू ने बगल में चलते गोलू को देखा , गोलू के हाथ में एक निम्बू था और गोलू उसे खाते हुए अजीब से मुंह बना रहा था। ये देखकर गुड्डू रुका और कहा,”गोलू ! जे का कर रहे हो तुम ?”
“अरे गुड्डू भैया जे खाने से मीठे का असर कुछो कम हो जाएगा फिर कोनो भूत प्रेत चुड़ैल नाही चिपटी है हम से , ल्यो आप भी खाओ”,गोलू ने निम्बू गुड्डू की तरफ बढाकर कहा


गुड्डू ने गोलू के हाथ से निम्बू लिया और साइड में फेंककर कहा,”तुम्हरे साथ रहे ना गोलू तो एक दिन भूत ऐसे भी बन ही जायेंगे हम”
गोलू ने कुछ नहीं कहा मासूम सा मुंह बनाकर आगे बढ़ गया , अंधेर में गुड्डू भी आगे बढ़ा और सामने लगा खम्बा उसे दिखा नहीं और गुड्डू का सर जोर से उस पर जा लगा।

गुड्डू धड़ाम से नीचे आ गिरा और गिरते ही बेहोश। गोलू ने गुड्डू को देखा और उसे उठाने के बजाय खुद भी उसके बगल में लेट गया और बेहोश होने का नाटक करते हुए मन ही मन कहा,”गुड्डू भैया की तरह ऐसे लेटे रहे तो सेफ रहेंगे , कहे थे गुड्डू भैया से निम्बू चाट ल्यो मीठे का असर थोड़ा कम हो जाही है पर नाही इनको तो हर बार गोलू बेवकूफ ही लगता है,,,,,,,,,अब गिरे ना चक्कर खाकर नीचे,,,,,,,,,,ज़िंदा रहे तो सुबह बतियाएंगे आपसे वरना नर्क तो फिक्स है ही आपके और हमाये लिए,,,,,,,,,कैसे सेल्फिश इंसान है गुड नाईट भी नाही बोले हमे”

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संजना किरोड़ीवाल  

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