Manmarjiyan Season 3 – 39
Manmarjiyan Season 3 – 39

पहली बार ऐसा हुआ कि गोलू ने कोई प्लान बनाया और उसमे कोई गड़बड़ नहीं हुई उल्टा मिश्रा जी और फूफा दोनों उस से खुश थे। मिश्रा जी ने गोलू को टिकट के पैसे देकर तत्काल में ट्रेन की टिकट लेने भेजा जिस से रात वाली ट्रेन से बनारस के लिए निकल जाए और सुबह जल्दी पहुंचे। फूफा इस वहम में ख़ुशी ख़ुशी अपने कपडे बैग में रख रहे थे कि उन्होंने मिश्रा जी का प्लान फेल कर दिया जबकि प्लान तो सारा गोलू का था। मिश्रा जी ने मिश्राइन से कहकर सामान पैक करने को कहा और खुद बाहर चले आये। बाहर मिश्रा जी से मिलने लोग आये थे उनके साथ आ बैठे और बतियाने लगे।
शगुन ऊपर अपने कमरे में गुड्डू के यहाँ वहा फैले कपड़ो को उठाकर रख रही थी तभी गुड्डू कमरे में आया और शगुन से कहा,”जे फूफा ना कुछो जियादा ही उछल रहे है , हमारा तो दिल करता है सुना दे पकड़ के अच्छे से,,,,,,,,,!!”
शगुन ने सुना तो हाथ में पकडे कपड़ो को बिस्तर पर रखा और गुड्डू की तरफ पलटकर कहा,”अब क्या हुआ ? उन्होंने फिर से कुछ कहा आपसे ?”
“अरे कहेंगे का ? बस जब देखो तब आग लगाने को आतुर रहते है,,,,,,,,,अब तुम बताओ शगुन हमहू साला कही भी जाए किसी भी बख्त जाए इह से फूफा को का मतलब ?”,गुड्डू ने कहा जिसे थोड़ी देर पहले ही फूफा ने पिंकी के नाम से किलसाया था।
शगुन ने सुना तो एकदम से उसे रात वाली बात याद आ गयी और उसने कहा,”हाँ गुड्डू जी ! पूछना तो मैं भी आपसे चाहती थी , कल रात आप पिंकी से मिलने गए थे क्या हुआ था ?”
फूफा की जिस बात पर गुड्डू कीलसा था शगुन ने भी वही बात कर दी और ये करके उसने आग में घी डालने का काम किया। गुड्डू ने सुना तो उसने शगुन को देखा और कहा,”शगुन तुमहू जे काहे जानना चाहती हो की हमहू पिंकिया से मिलने काहे गए थे ? का तुम भी फूफा की तरह हम पर सक कर रही हो ?”
“नहीं गुड्डू जी मैं तो,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा लेकिन गुड्डू को शगुन की बात इतनी बुरी लग गयी कि उसने शगुन को आगे बोलने का मौका ही नहीं दिया और कहा,”बस शगुन,,,,,,,,,तुमको लग रहा होगा कि सादी के बाद भी हमहू अपने दिल मा पिंकिया के लिए फीलिंग्स रखे होंगे,,,,,,,,,शादी के बाद भी उनसे बोलना बतियाना जारी रखे होंगे,,,,,,,,तुमहू हमरे बारे में ऐसा कैसे सोच सकती हो शगुन ? अरे हम तो उसकी मदद करने गए थे,,,,,,उसको मुसीबत में हम याद आये तो इह मा हमरी गलती कैसे हुई ?”
गुड्डू की बाते सुनकर शगुन समझ गयी कि गुड्डू उसकी बात को गलत समझ रहा है उसने गुड्डू को समझाने के लिए जैसे ही कुछ कहना चाहा गुड्डू ने उसे फिर रोक दिया और इस बार शगुन को गुस्सा आ गया तो उसने थोड़ा तेज आवाज में गुस्से से कहा,”चुप , बिल्कुल चुप , बच्चे है क्या आप जो एक बात को पकड़कर बैठ जाते है , हर छोटी छोटी बात आपको बच्चो की तरह समझानी पड़ती है,,,,,,,,क्या मैंने आपसे कहा आपके मन में पिंकी को लेकर भावनाये है ? अपने मन से कुछ भी बोलते जा रहे है आप क्या बुद्धि नहीं है आप में ?”
कहते हुए शगुन गुड्डू पर लगभग चढ़ ही चुकी थी और बेचारा गुड्डू पीछे झुकता चला गया। जैसे ही शगुन चुप हुई गुड्डू वापस सीधा हुआ और इस बार शगुन को पीछे झुकना पड़ा और गुड्डू ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”जबान बहुते तेज चलती है तुम्हायी शगुन गुप्ता”
गुड्डू का यू एकटक घूरकर देखना शगुन को बेचैन करने लगा तो शगुन ने गुड्डू को पीछे धकियाया और कहा,”अच्छा और आपका दिमाग जो इतना तेज चलता है वो भी गलत बातो में उसका क्या ? गुड्डू जी मैंने आपसे बस पूछा क्योकि उस वक्त आप परेशान थे तो सोचा कोई अनहोनी ना हुई हो या पिंकी किसी मुसीबत में नहीं हो,,,,,,,,,,,शक करना ही होता न आप पर तो शादी की पहली रात ही छोड़कर बनारस चली जाती जब आपने मुझे पिंकी के बारे में बताया था , इंतजार नहीं करती आपके सुधर जाने का”
शगुन को गुस्से में देखकर गुड्डू एकदम चुप हो गया तो शगुन भी शांत हो गयी और कहा,”एक तो फूफा जी ने घर का माहौल पहले ही इतना खराब कर रखा है उस पर पापाजी भी नहीं बता रहे कि वो चुप क्यों है ? आपको क्या पता कितनी टेंशन है मेरे सर पर”
गुड्डू शगुन के पास आया उसके कंधो पर हाथ रखकर उसे बिस्तर पर बैठाया और कहा,”बइठो और थोड़ा साँस लो , काहे खुद को इतनी तकलीफ दे रही हो ? अब देखो जे टेंशन यानि हम तो हमेशा रहे है तुम्हायी जिंदगी मा अब बचे पिताजी तो एक बार ओह्ह का बनारस जाकर वापस आही दयो ओह्ह के बाद हमहू खुद उनसे पूछेंगे कि फूफा के मामले मा उह इतना चुप काहे है ?”
“गुड्डू जी ! आज से पहले फूफाजी जी और भुआजी ने इस घर में ऐसा तमाशा नहीं किया ये सब पहली बार हो रहा है , इसका मतलब कोई तो ऐसी बात है जो पापाजी हम सब से छुपा रहे है,,,,,,!!”,शगुन ने परेशानी भरे स्वर में कहा
गुड्डू उठा और टेबल पर रखे जग से गिलास में पानी लेकर शगुन के पास आया और गिलास उसकी तरफ बढाकर कहा,”ल्यो पीओ”
“मुझे नहीं चाहिए”,शगुन ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“ए मास्टरनी थोड़ा गटक ल्यो , जे हालत मा खुद को तकलीफ देना अच्छी बात नाही है”,गुड्डू ने बड़े प्यार से शगुन के पेट की तरफ देखकर कहा
बस यहाँ आकर शगुन पिघल जाती थी , गुड्डू की ये मीठी मीठी बातें ही तो उसे गुड्डू से ज्यादा देर नाराज रहने नहीं देती थी। शगुन ने गुड्डू के हाथ से गिलास लिया और पानी पीकर साइड में रखते हुए कहा,”गुड्डू जी मैं सच कह रही हूँ पापाजी पक्का किसी ना किसी बात को लेकर मजबूर है वरना कोई उनके सामने इतनी बदतमीजियां करे और वे चुप रह जाए ऐसा कभी नहीं हो सकता”
गुड्डू ने शगुन का हाथ अपने हाथो में लिया और प्यार से कहा,”शगुन हम जानते है पिताजी चुप काहे है और जे भी जानते है कि उह्ह फूफा की हर बात मानने को तैयार है,,,,,,सच का इह इह या तो फूफा जानते है या पिताजी ,, तो बस तुमहू थोड़ा इंतजार करो , हम सोचे थे कि सीधे रस्ते पर चलेंगे पर जे फूफा नाम के प्राणी ने हमे फिर से वही पुराना गुड्डू बनने पर मजबूर कर दिया है,,,,,,,,,,,अब हमहू दिखाते है फूफा को असली रंगबाजी”
शगुन को गुड्डू की आधी बात समझ आयी और आधी उसके सर के ऊपर से गयी , वह तो किसी और ही सोच में डूबी थी। शगुन को खामोश देखकर गुड्डू को लगा शगुन उसकी वजह से उदास है तो उसने कहा,”और अभी जो हमहू तुम पर चिल्लाये ओह के लिए सॉरी आगे से नहीं करेंगे,,,,,,!!
“और अगर किया तो ?”,शगुन ने गुड्डू की तरफ देखकर पूछा
“तो , तो तुमहू हमको दुइ थप्पड़ लगा देना , अपने आप बुद्धि आ जाएगी हम मा”,गुड्डू ने कहा
“सोच लीजिये,,,,,,,,!!”,शगुन ने गुड्डू को एकटक देखते हुए कहा
“सोच लिया,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
गुड्डू का इतना कहना था कि शगुन ने प्यार से गुड्डू के गाल पर एक थप्पड़ लगा ही दिया ,गुड्डू ने हैरानी से शगुन को देखा और कहा,”अरे जे का सच मा लगा दी”
“अभी एक थप्पड़ बाकि है,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने दुसरा गाल भी आगे कर दिया। शगुन ने मारने के लिए हाथ उठाया पर मारा नहीं बस प्यार से गुड्डू का गाल थपथपाया और कहा,”बहुत तंग करते हो आप मुझे गुड्डू जी”
गुड्डू ने सुना तो मुस्कुराते हुए शगुन के सामने से उठा और शीशे के सामने खड़े होकर खुद को आईने में देखते हुए कहने लगा,”अभी तुम्हरे सामने है तो तुमको तंग कर रहे है किसी दिन तुमसे दूर चले गए ना तो हमाये जे तंग करने को बहुते मिस करोगी तुमहू शगुन,,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने तो मजाक में कहा लेकिन गुड्डू की बात सुनकर शगुन का चेहरा उदासी से घिर गया और सीने में एक चुभन का अहसास हुआ। शगुन उठी और गुड्डू के पास आकर उसे अपनी तरफ करके कहा,”ख़बरदार जो ऐसी बात दोबारा मुंह से निकाली , बीते वक्त में क्या कम दूर रही हूँ मैं आपसे जो आप,,,,,,,,!!”
कहते कहते शगुन का गला रुंध गया और उसकी आँखों में आँसू भर आये गुड्डू ने देखा तो कहा,”अरे अरे जे का , हमहू तो बस मजाक कर रहे है,,,,,,,,साला हमको नाही पता था तुमहू हमसे इतना पियार करती हो,,,,,,,,,शगुन , ए मास्टरनी , अरे सॉरी यार माफ़ी देइ दयो दोबारा ऐसा कुछो ना कही है,,,,,,!!”
गुड्डू शगुन को समझा ही रहा था कि तभी मिश्राइन कमरे में आयी , उन्होंने जब शगुन की आँखों में आँसू और चेहरा उदास देखा तो कहा,”का हुआ शगुन तुमहू रो काहे रही हो ? जे गुड्डू ने तुमसे कुछो कहा का ?”
“नहीं माजी वो,,,,,,,!”,शगुन ने इतना ही कहा कि गुड्डू बीच में बोल पड़ा,”अरे हमहू कहा कुछो कहेंगे हमायी कहा इतनी हिम्मत , इह तो बूढ़ा को याद करके इमोशनल होय रही है बस”
शगुन और गुड्डू के बीच की बात मिश्राइन तक ना जाये सोचकर गुड्डू ने बात सम्हाल ली। मिश्राइन ने सुना तो शगुन के पास आयी और कहा,”इमोशनल तो होगी ही अम्मा से इत्ता लगाव जो रहा इह का , केशव पंडित से कहकर तुम्हरे लिए जे धागा बनवाये थे ताकि होने वाले बच्चे और तुम पर कोनो बुरी नजर ना पड़े,,,,,,,लाओ अपना हाथ दो”
शगुन ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया तो मिश्राइन बड़े प्यार और विश्वास के साथ वो धागा शगुन की बाँह पर बांधने लगी। गुड्डू बस प्यार से खामोश खड़ा दोनों को देख रहा था। मिश्राइन ने धागा शगुन की बांह पर बांधा और कहा,”अपना ख्याल रखो और जियादा टेंशन नाही ल्यो बच्चे की सेहत पर असर पड़ता है,,,,,,,,और तुमसे सीढिया चढ़कर ऊपर आने को किसने कहा ? कोनो काम था तो हमसे कहो हमहू कर दी है,,,,,,,,,,,!!”
“भाभी का ख्याल तो हम रख लेंगे अम्मा तुमहू चलकर पहिले भुआ को देखो”,वेदी ने कमरे में आते हुए कहा
“अब भुआ को का हुआ?”,गुड्डू ने पूछा
“वही अम्मा के बक्से का जोन भूत सवार है ओह्ह पे उह तांडव कर रहा है और का ?”,वेदी ने चिढ़ते हुए कहा
“जे जीजी ने भी नाक मा दम कर रखो है,,,,,,,,,अरे अभी बैठक का काम समाप्त हुआ है कि उह बक्से का राग अलापना शुरू कर दी,,,,,,,,!!”,मिश्राइन ने कहा
गुड्डू उनके पास आया और कहा,”ए यार अम्मा ! तुमहू उह्ह बक्सा भुआ के मुँह पे मार काहे नाही देती ? देइ दयो ना ओह्ह का बक्सा वैसे भी हमाये घर में का कमी है ? बूढ़ा के एक बक्से से का ही फर्क पढ़ना है पिताजी को,,,!!”
“बात अम्मा के बक्से की नाही है गुडडुआ , जीजी प्यार से हमसे कहती ना तो हमहू बक्सा का अम्मा का पूरा सामान ओह्ह के घर भिजवा देते पर हिया तो उह आदर्श बाबू की बातो मा आकर तुम्हाये पिताजी की छीछा लेदर करने मा लगी है,,,,,,,,,बक्सा तो हमहू अब ओह्ह को ओह्ह की औकात दिखाकर ही देंगे”,मिश्राइन ने गुस्से से कहा और दनदनाते हुए वहा से चली गयी
शगुन ने मिश्राइन को रोकने की कोशिश की लेकिन गुड्डू ने शगुन को ही रोकते हुए कहा,”अरे जाही दयो शगुन जे भुआ और फूफा की अकल तो अम्मा ही ठिकाने लगाई है अब,,,,,,,,,चलो नीचे चलकर खेला देखते है”
“खेला ?”,शगुन ने गुड्डू के मुंह से पहली बार ऐसा नाम सुना तो हैरानी से पूछा
“अरे मतलब तमाशा,,,,,,,,,चलो”,गुड्डू ने शगुन को अपने साथ ले जाते हुए कहा
गुड्डू को घर में होने वाली लड़ाई में इतनी दिलचस्पी दिखाते देखकर शगुन ने कहा,”कैसे इंसान है आप ? घर में होते झगडे को रोकने के बजाय आप उसे एन्जॉय करने की बात कर रहे है”
“अरे तुमहू चलो ना,,,,,,,,अभी तुमने अम्मा का असली रूप देखा नाही है , चलो आज दिखाते है”,गुड्डू शगुन का हाथ थामे उसे लेकर नीचे चला आया
घर के आँगन में भुआ पहले से ही सबको जमा करके तमाशा शुरू किये हुए थी और ये हुआ फूफा की वजह से उन्होंने ही बनारस जाने से पहले भुआ को बक्सा खुलवाने की बात कही और भुआ उनकी बातो में आ गयी।
“भाभी तुमहू हमका कही रही कि अम्मा की तिये की बैठक मा बक्सा खोली हो पर अभी तक बक्सा नाही खुला , अरे तुम्हरे मन मा चोर है जे तो हमहू पहिले ही समझ गए थे पर इत्ता बड़ा चोर है जे अब देख रहे है,,,,,,,,!!”,भुआ ने कहा
“पता नहीं का सोचकर अम्मा आपका नाम राजकुमारी रखी थी जीजी , गुण तो आपमा सारे असुरो वाले है,,,,,,,,,,,अरे अम्मा का बक्सा का कोनो बिस्कुट है जो हमहू निगल जाही है। अभी अम्मा की अस्थिया भी ठंडी नाही हुई और आप बक्सा बक्सा चिल्लाने लगी , अरे ऐसा तो कौनसा कुबेर का खजाना रखी थी अम्मा अपने बक्से मा जो आप इत्ता पगला गयी है एक बक्से के पीछे,,,,,,,,,!!”,मिश्राइन ने कहा
“अरे कुबेर का खजाना नाही है तो फिर खोल काहे नाही देती बक्सा ?”,फूफा ने कहा
“आदर्श बाबू अपनी हद मा रहिये वरना हमहू भूल जाही है आप इह घर के दामाद रहा ,, अरे औरतन के जइसन का बीच बीच मा आग लगाय रहे है ? हमहू बक्सा खोलने से मना कब किये ? जे रही चाबी खोल ल्यो पर एक बात दोनों जन भेजा मा घुसाय ल्यो कि हिस्सा सिर्फ जीजी का नाही हमरा , वेदी और शगुन का भी रही है,,,,,,,,,है मंजूर तो खोलो बक्सा”,कहते हुए मिश्राइन ने अम्मा के बक्से की चाबी का गुच्छा फूफा के हाथ पर रख दिया।
फूफा ने भुआ के साथ मिलकर जो चाल चली थी वह उन्हें ही उलटी पड़ गयी लेकिन फूफा इतनी जल्दी हार मानने वालो में से नहीं था उसने कहा,”ऐसा है तो फिर कोमलिया को भी हिस्सा देओ,,,,,,,,!!”
“देख रही हो शगुन कितने लिच्चड़ है जे फूफा हमाओ तो मन कर रहो है दे दुइ खींच के कान के नीचे,,,,,,,,,लेकिन पिताजी की वजह से चुप है”,गुड्डू ने फुसफुसाते हुए शगुन से कहा
शगुन की निगाहे तख्ते पर खामोश बैठे मिश्रा जी पर थी जिनके चेहरे पर बस मायूसी के भाव थे। मिश्रा जी जानते थे एक तरफ उनकी बीवी थी और दूसरी तरफ बहन बोले तो बोले क्या इसलिए बेचारे शांत तख्ते पर बैठे इस कलह के खत्म होने का इंतजार करने लगे।
गोलू टिकट लेकर अंदर आया आँगन में भीड़ जमा देखकर उसका माथा ठनका , उसने टिकट कमल को थमाई और मिश्रा जी को देने का इशारा करके खुद आँगन की तरफ बढ़ गया , चलते चलते पैरो में पीतल का लोटा आया और गोलू को ठोकर लगी , एक तो आँगन में जमा भीड़ देखकर गोलू की धड़कने पहले ही बढ़ी हुई थी उसने लोटा उठाया और साइड में फेंका लेकिन जैसा गोलू है उसका निशाना भला सीधा कैसे लगता वह लोटा सामने खम्बे से जाकर टकराया और सीधा आकर लगा फूफा के माथे पर , फूफा पीठ के बल धड़ाम से जमीन पर आ गिरे एकदम से सब शांत हो गए,,,,,,,,,,,!!”
गोलू आया और गुड्डू से कहा,”का हुआ इत्ती शान्ति काहे है ? फिर से कोनो निपट गवा का ?”
कहते हुए गोलू गुड्डू को साइड कर जैसे ही आगे आया जमीन पर गिरे फूफा को देखकर हैरान रह गया , उसने ऊपर देखा और मन ही मन कहा,”हमहू आपसे जे घर की मुसीबत खत्म करने को बोले थे आप फूफा को ही ऊपर बुला लिए,,,,,,,,,,,!!”
“अरे कोई पानी लाओ रे,,,,,,,,,,,,,,अरे रे कोमलिया के पिताजी जे का हो गवा ?”,भुआ एकदम से चिल्लाते हुए फूफा की तरफ आयी
गोलू ने बीच में ही भुआ को रोक लिया और रोने की एक्टिंग करते हुए कहा,”होंसला रखो भुआ , होनी को अब कौन टाल सकता है ? अरे जाने वालो को कौन रोक सकता है,,,,,,,,,,,,,!!!”
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संजना किरोड़ीवाल


🤣🤣🤣🤣 yeh Golu maharaj bina kuch kiye hee itna lotpot kar date hai ya ki kya bole…khud liye ko pav se maar kar fufa ko fek diye aur fufa gir gaye…usne Golu maharaj ki dimag k kya khane ..jane wale ko kon rok sakta hai Bua 😂😂😂 kasam se Golu na ho to iss story m mazza na aaye…ek taraf Golu ki bakchodi aur ek taraf baki sab log …khar Guddu ne sahi bola tha Shagun ko ki wo janti nhi hai apni sasu maa Ko…ek baar m hee fufa ko chup kar diya ..baki kaam Golu maharaj ne kar diya…khar next part m dekhte hai ki Golu ki Lanka lagti hai ya nhi
Please upload mai teri heer chapter